Raj sharma stories चूतो का मेला compleet

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007
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »




घर आके मैंने सबको पूरा वाकया सुनाया सब को एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ की ऐसे किस्मत से खजाना मिल सकता है पर मेरे देश में ना जाने ऐसे कितने खजाने दबे पड़े है सदियों से ,सब लोग अपने अपने ख्यालो में डूब से गए थे कहानी थोड़ी फ़िल्मी टाइप हो चली थी पर सच तो ये ही था की उनको खजाना मिला था या फिर उन्होंने माता के खजाने को चुराया था खैर मैंने अगले दिन उस मंदिर को देखने का निर्णय लिया थोड़ी उत्सुकता सी हो चली थी साथ ही वो चबूतरा भी फिर से बनवाना था


बस इंतज़ार था उस रात के बीतने का जब हम उस जगह को देखंगे जहा पर खजाना था पिताजी के व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलु देखने को मिला था आज पर वो लालची नहीं थ अगर लालच होता तो अपनों में बंटवारा नहीं करते उस सोने का , पर फिर उस सोने से नफरत सी होने लगी क्योंकि उसकी वजह से आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं था क्या होता जो हमारे पास इतना धन नहीं होता कम से कम माँ की गोद तो होती जब प्यार से वो मेरे सर को चूमती तो मेरी हर परेशानी पल में दूर हो जाती , मेरे सर पर मेरे पिता के प्यार की छत होती जब कभी मैं कमजोर पड़ता तो वो मुझे हौंसला देते
अगले दिन कुछ मजदूरो को लेके हम लोग चल पड़े पहुचे वहा पर उनको चबूतरा बाकायदा इज्जत के साथ बनाने को कहा आखिर मेरा भाई सो रहा था वहा पर मन थोडा भावुक था पर अब कुछ चीजों पर कहा किसका जोर चलता है , उसके बाद हम आगे तो चल पड़े नीनू को ही पता था रस्ते का घनी झाड़ियो पेड़ो से होते हुए करीब दो कोस बाद हम उस मंदिर तक पहुचे पहली नजर में ही पता चलता था की वो शायद अपने अंतिम समय में है मैंने माता को प्रणाम किया बस एक कमरा सा ही था


कमरा क्या एक कोटडा सा था तो मैंने ये अनुमान लगाया की शायद ये खजाना किसी ज़माने में लूटा गया होगा
और फिर यहाँ छुपाया गया होगा लूटने वाले लोग किसी कारण से यहाँ से ना निकाल पाए और ये धरती में दबा रह गया मंदिर को खूब देखा बस साधारण ही था सब वहा पर उसके बाद जैसे रतिया काका ने बताया था पास मेही वो कुआ भी मिल गया हमे अब उसमे मिटटी ही थी बस



मैं- देखो यहाँ था वो सब सोना



उसके बाद हमने आस पास खुदाई की छान बीन की कुछ नहीं मिला सिवाय कुछ सोने के टुकडो के जो शायद निकालते समय इधर ही रह गया होगा कुछ भी हो पर थोडा रोमांच हो रहा था उसके बाद हम लोग वापिस आ गए मैंने मजदूरो से पुछा तो पता चला की दो दिन तो लग ही जायेंगे उसके बाद उनको वही छोड़ के हम वापिस हुए



पिस्ता को शहर जाना था किसी काम से तो वो चली गयी नीनू और माधुरी घर रह गयी मुझे आज ममता से मिलना था उसने कहा था की दोपहर को वो खेत पर मिलेगी तो मैं वहा चल दिया दोपहर का समय था खेतो में दूर तक कोई नहीं दिख रहा था करीब आधे घंटे बाद मैं रतिया काका के खेतो की तरफ पहुच गया ये खेत हमारी तरफ ना होकर गाँव की परली तरफ थे ममता मुझे कुवे पर ही मिल गयी उसने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पीछे कमरे में पहुच गया




मैं- यहाँ क्यों बुलाया



वो- बैठिये तो सही जेठ जी



मैं बैठ गया



ममता- जेठ जी मुझे ना बात घुमा फिरा के कहने की आदत नहीं है मैं जान गयी हु की आपके और आपके परिवार के साथ क्या हुआ और आपको आपके गुनेह्गारो की तलास्श है और इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हु



मैं- और इसमें तुम्हारा क्या फायदा है



वो- अब कुछ तो मेरा भी भला होगा ही



मैं- मुद्दे की बात करो



मेरा ऐसे कहते ही ममता मेरे पास आके बैठ गयी और बोली- जेठजी अब आपके किस्से तो पुरे गाँव में मशहूर है और आपको तो पता ही होगा की मेरे पति और ननद का रिश्ता भाई बहन से बढ़ कर कुछ और ही है



ओह तो इसको राहुल और मंजू के बारे में पता था ,



ममता- जेठजी, कुछ दिन पहले मैंने उन दोनों को हमबिस्तर देखा जाहिर है खून तो मेरा बहुत खौला मेरा पति अपनी ही बहन के साथ वो सब कर रहा था जो उसे मेरे साथ करना चाहिए था उसके बाद वो आपकी बाती करने लगे मंजू कह रही थी की वो आपसे सेक्स करेगी क्योंकि उसको आपके साथ बहुत मजा आता है और उसने राहुल को बताया की ..........की



मैं- की क्या



वो- की आपका हथियार भी बहुत लम्बा और मोटा है



मैं- ममता देखो तुम्हे ऐसा नहीं बोलना चाहिए तुम्हारा और मेरा नाता ऐसा नहीं है



वो- जेठ जी, आप के मुह से ऐसी बाते सुनके लगता है कोई आतंकवादी शांति की बात करने लगा हो



रिस्ते नातो की बात आप मत करो , और फिर आपका भी तो फायदा होगा आपको एक और जिस्म चखने को मिलेगा जेठ जी मैं सच में आपके बहुत काम आ सकती हु



मैं- देखो ममता जब तुम इतना खुल ही रही हो तो मैं आपको बता दू की चूत और दारू मैं अपनी मर्ज़ी से यूज़ करता हु वैसे मुझे तुम्हारा बिंदास अंदाज पसंद आया पर पहले तुम मुझे बताओ की तुम्हे इस मामले में क्या पता है



ममता- जेठ जी, मैं आपको सलाह दूंगी की ये जो आपके अपने बने फिरते हैं ना इनसे थोडा दूर रहना ये कब छुरा मार देंगे पता नहीं चलेगा



मैं- तुम्हे ऐसा क्यों लगता है



वो- आपको कुछ बातो का पता नहीं है जेठ जी, मेरे ससुर बहुत ही तेज खोपड़ी है जितना उन्होंने शराफत का नकाब ओढ़ रखा है अन्दर से वो उतने ही नीच है , गाँव की कई औरतो से उनके तालुकात है अब सोचो जो इंसान बुढ़ापे में भी अपनी बहु और बेटी को रगड़ सकता है तो वो जवानी में कैसा रहा होगा



मैं- तो क्या तुम्हे भी



वो- हां जेठ जी , ब्याह के कुछ दिनों बाद ही उसने मेरे साथ, खैर अब तो आदत सी हो गयी है , मैं जानती हु उन्होंने आपको खजाने की बात बता दी है पर इसलिए नहीं की क्योंकि आधा हिस्सा आपके पिता का था बल्कि इसलिए की आपके जरिये वो उस खोये हुए आधे हिस्से को पाना चाहते है



मैं- तुम्हे खजाने की बात की पता और साथ ही ये की उन्होंने वो बात मुझे बता दी है



वो- कल रात मैं दूध लेके उनके कमरे में गयी थी वो फ़ोन पर किसी को बता रह थे तो मेरे कानो में पड़ी मुझे देख कर वो चुप हो गए पर मैंने दरवाजे पर कान लगा दिए ऐसा लग रहा था की वो किसी बहुत ही खास इंसान से बात कर रहे थे पर वो जो भी था ससुर जी का खास था



मैं- वो खास कौन है क्या तुम पता कर सकोगी



वो- मैं पूरी कोशिश करुँगी



मैं- ममता, बात खाली ये नहीं है की जिस तरह से तुम मेरी मदद करना चाहती हो बात ये भी नहीं है की तुम अपना जिस्म परोसना चाहती हो बात ये है की ये कोई ट्रैप भी तो हो सकता है कोई साजिश क्योंकि एक बार पहले भी मुझे एक हुस्न्वाली ने मारने की कोशिस की थी हो सकता है की जो बात तुमने मुझे बताई हो वो सच हो , और काका एक रंगीन आदमी है ये भी मुझे पता चल चूका है




ममता- जेठ जी मैं जानती हु की आप ऐसे ही मेरा विश्वास नहीं कर लोगे आप पर जो हमला हुआ वो ससुर जी ने ही करवाया था और एक खास बात आपके चाचा और मेरे ससुर मिले हुए है वो काफी समय से खजाने को ढूंढ रहे है



मैं- तो क्या हुआ हमारे घरलू सम्बन्ध है दोनों व्यापारी है साथ है तो क्या गुनाह हुआ



ममता- तो फिर जाके अपनी भाभी से पूछो की क्यों चाचा ने उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका क्यों उस औरत का साथ छोड़ दिया जिसके लिए पुरे परिवार से नाराजगी हो गयी थी आखिर ऐसा क्यों हुआ की बिमला और वो अलग हो गए


कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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zainu98
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by zainu98 »

bhai kahani bahut bumpar hai good
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007
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

zainu98 wrote:bhai kahani bahut bumpar hai good
थॅंक्स दोस्त
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casanova0025
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by casanova0025 »

मस्त है लिखते रहिये
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007
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

मैं- चाचा ने बताया था की बिमला ने विधायक का साथ कर लिया था वो उस बात से खुश नहीं थे तो इसलिए वो अलग हो गए

ममता- जेठ, जी ज़माने को देखे तो आप बहुत भोले रह गए आप आज भी पिछले ज़माने में जी रहे है कभी बिमला से पूछ लेना शायद वो बता दे आपको

मैं- मेरा उस से कोई लेना देना नहीं है

वो- चलो मैं बताती हु की मेरे ससुर और चाचा की घनिष्टता बढ़ने लगी थी दोनों साथ रंडीबाजी करते कुछ और उलटे सीधे काम करते और फिर एक दिन ससुर जी ने बिमला को भोगने की अपनी मंशा चाचा को बताई, पर चाचा ने बदले में मेरी सास मांगी तो बात तय हो गयी पर बिमला को जब पता चला तो वो काफी आग बबूला हुई और उसका और चाचा का झगडा हो गया उसके कुछ दिनों के बाद कंवर सिंह बड़े जेठ जी आ गए तो उनको अब पता चल गया तह इधर बिमला और चाचा का उनसे काफी झगडा हुआ उस बात को लेके और फिर वो यहाँ से चले गए


चाचा चाहता था की बिमला मेरे ससुर से सम्बन्ध बनाये पर बिमला को वो बात चुभ गयी थी इसलिए वो दोनों अलग हो गए और तबसे अलग ही है

मैंने एक गहरी साँस ली थी साला हरामखोर चाचा जी तो चाह रहा था की उसकी गांड पे लात दू

मैं- ममता एक बात कहू

वो- क्या

मैं- हरिया काका की मौत के बारे में क्या जानती हो

वो- कुछ नहीं , हमारा उनसे कुछ लेना देना नहीं ससुर जी का गीता से पंगा है किसी बात को लेकर तो आना जाना है है बस इतना पता है की गीता ने बिमला पर उसकी मौत का इल्जाम लगाया था

मैं- वैसे पंगा क्या है

वो- पता नहीं पर शायद कोई उसी समय की बात है जब ये सब शुरू हुआ था मतलब आपके परिवार की मुसीबते
ये कहकर वो खड़ी हुई और बाहर दरवाजे की तरफ चली मेरी नजर उसकी मध्यम साइज़ की गांड पर अटक गयी वो दरवाजे पर इस तरह से खड़ी थी की मेरी नजर उसकी गांड पर पड़े ही पड़े ममता कोई पच्चीस की पटाखा औरत थी उसकी पतली कमर रूप रंग भी मस्त था मैं खड़ा हुआ और उसको पीछे से अपनी बाहों में जकड लिया उसने बिलकुल भी प्रतिकार नहीं किया करती भी कैसे वो तो खुद चुदना चाहती थी मैंने आने हाथो को उसकी छाती पर ले आया उर उसकी गोल मटोल चूचियो को दबाने लगा


“आह!जेठ जी धीरे ओह जेठ जी ”

“धीरे नहीं ममता , अब तो जोर आजमाइश होगी पर मेरी भी शर्त है ”

“क्या जेठजी ”

“तुझे दिखाना होगा की की तू कितनी गरम है जितना तेरी बातो में नखरा है उतना नखरा तेरे जिस्म में भी है ”
मैंने उसके ब्लाउज को खोलना चालू किया वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी उसके बदन से आती भीनी भीनी खुशबु मुझे उत्तेजित करने लगी और अगले ही पल उसका ब्लाउज उतर गया था मैंने ब्रा भी उतार दिया उसकी नंगी पीठ पर चूमा मैंने

“आह ”वो सिसक उठी उसका हाथ मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर पहुच गया वो सहलाने लगी मैंने उसकी पीठ और नंगे कंधो को चूमने लगा कुछ देर उसके उभारो से खेलता रहा वो मेरी बाँहों में पिघलने लगी थी और फिर अब मैंने उसको अणि तरफ घुमाया और उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया हमारे होंठ आपस में टकराए मुझे ऐसा लगा की जैसे गुलाब की पंखुड़िया चख रहा हु मैं ममता ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपनी जीभ को मेरे मुह में डाल दिया मी हाथ उसकी गांड तक पहुच चुके थे

करीब दस मिनट तक बस हम एक दुसरे को चूमते रहे फिर ममता ने मेरी पेंट खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही वो उसकी आँखों के सामने आया बोली- सच कहती थी दीदी,

अगले ही पल वो अपने घुटनों पे बैठ गयी और बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया उसकी गीली जीभ जैसे ही मेरे सुपाडे से टकराई बदन में चिनगारिया सी उडी उसकी और मेरी नजर एक बार मिली और फिर वो तेजी से उसे चुसने लगी उसके मुह का थूक उसकी चूचियो पर गिरने लगा मस्ती में चूर ममता पुरे उन्माद से भरी मेरे लंड को चूस रही थी उसके सुपाडे को चूम रही थी कुछ देर में उसने मेरे लंड को अपने मुह से निकाल दिया


उसने अपनी साडी और पेटीकोट उतार दिया गुलाबी कच्छी ही शेष थी उसके बदन पर जो उसकी उन्नत योनी का भार संभाल नहीं पा रही थी मैंने भी अपने कपडे उतार दिये और ममता जो अपनी गोदी में बिठा लिया और एक बार फिर से उसकी चूचियो से खेलने लगा वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी वो अपने चहरे को मेरे चेहरे पर पटकने लगी और फिर उसने अपनी गांड को थोडा सा ऊपर किया और अपनी कच्छी को उतार दिया मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फंस गया वो आहे भरने लगी

“क्यों तडपा रहे हो जेठ जी रौंद क्यों नहीं देते मुझे , बादल बन कर मुझ धरती पर बरस क्यों नहीं जाते ”

मैं- अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ तुम तड़पने लगी

वो खड़ी हुई मैंने देखा उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी यहाँ तक की जन्घो का कुछ हिस्सा भी उसके रस से सन गया था मैंने उसे खाट पर लिटाया औरउसके ऊपर लेट गया उसके बदन को चूमने लगा मेरा लंड उसकी चूत को छूने लगा ममता मेरी बाहों में तड़प रही थी उसकी तेज साँसे बता रही थी की उसका हाल क्या है बारी से मैं उसकी चूचियो को चूसने लगा वो आहे भरते हुए तड़पने लगी थी

“जेठ जी, क्या कर रहे हो ये मुझे क्या हो रहा है ahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh ओह जेठ जी आउच ”


मैंने उसके बोबो को निचोड़ना चालू किया वो जल बिन मछली की तरह तदपने लगी अपने पैरो को पटकने लगी और अबकी बार मैंने जैसे ही ममता की चूची को मुह में लिया वो झड़ने लगी उसका बदन अकाद गया और आह भरते हुए उसकी चूत से कामरस टपकने लगा , और जैसे ही वो झड़ी मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और उसके कामरस को अपनी जीभ से चाटने लगा ममता झर झर झड़ने लगी उसकी टाँगे ऊपर को उठने लगी

मैंने ऊसका पूरा कामरस चाट लिया वो दो पल को शांत हुई और मैंने उसकी चूत को अपने मुह में भर लिया किसी गोलगप्पे की तरह बिना बालो की उसकी हलकी फूली हुई चूत फिर से गरम होने लगी और दो मिनट में ही वो फिर से गर्म आहे भरने लगी


“जेठ ही बस भी कीजिये क्या ऐसे ही मार डालने का इरादा है ऊफ्फ्फ आह काटो मत प्लीज ”

“ऐसे ही नहीं मरूँगा ममता रानी, अभी तो मजा बाकी है ”

ममता की टाँगे विपरीत दिशाओ में फैइ हुई थी वो अपने हाथो से मेरे मुह को अपने योनी द्वार पर दबा रही थी उसकी चूत का गीलापन फिर से बढ़ने लगा था उत्तेजना का सागर अपनी लहरों पर उसको सवार करके घुमाने लगा था कभी वो अपने पैर पटके कभी अपने बाल नोचे तो कभी अपनी गांड उठा के पूरी चूत मेरे मुह में धकेले मस्ती में चूर वो अपने जेठ को अपनी चूत का रसपान करवा रही थी

पांच सात मिनट और बीते उसका पूरा शरीर पसीने से सं चूका था पर मैं उसकी योनी को चुसे ही जा रहा था फलसवरूप वो एक बार और झड गयी थी बिना चोदे ही मैंने उसको दो बाद ढीली कर दिया था
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