चूतो का मेला
दोस्तो एक और नई कहानी पेशेखिदमत है आपकी वैसे तो दो कहानियाँ पहले ही रनिंग मे है पर धीरे धीरे अपडेट देता रहूँगा
और वैसे भी हमारे इस फोरम मे लोग सिर्फ़ पढ़ने के लिए आते हैं कोई भूले बिछड़े कमेंट पास कर दे वो अलग बात है
ज़िंदगी के खेल भी बड़े ही निराले होते है कभी हसती है कभी रूलाती है कुछ लोग कहते है कि खूबसूरत होती है ज़िंदगी कुछ कहते है कि बड़ी ही अच्छी होती है पर कुछ अभागे लोग भी होते है मेरी तरह के जो जीना चाहते है बड़ा ही खुल के पर जी नही पाते है हमेशा कोई ना कोई अड़चन रह रोक लेती है जब लगता है मंज़िल पा ली तभी वो हाथ से फिसल जाती है कुछ ऐसी ही कहानी इस हारे हुए इंसान की है जो उड़ना चाहता था उस खुले आसमान मे जो जीना चाहता था पर हर इंसान को कहाँ खुशिया मिला करती है कई बार वो उपरवाला अपनी आँखे इस तरह से फेर लेता है की फिर उसे याद ही नही आती किसी की
कुछ ऐसी ही कहानी है मेरी जिसे ज़िंदगी ने हर कदम पर चला हर कदम पर बस वो ठगती ही रही, दिल भर गया है उपर तक तो सोचा कि इस बोझ को आप सभी से शेयर कर दूँ क्या पता थोड़ा हल्का हो जाए
ये सब शुरू हुआ उस दिन जब दोपहर मे मे अपने कपड़े सुखाने छत पर गया कपड़े सूखा ही रहा था कि मेरी नज़र पड़ोस के आँगन मे पड़ गयी और जो कुछ मैने देखा ऐसा पहले कभी नही देखा था पड़ोसन बिम्ला दिन दुनिया से बेख़बर आँगन मे नहा रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर नज़ारा बहुत ही अच्छा था आज से पहले मैने कभी किसी औरत को नंगा नही देखा था तो नज़र ठहर सी गयी उसका वो काला बदन धूप मे चमक सा रहा था
क़ायदे की बात तो थी कि मुझे तुरंत ही उधर से हट जाना चाहिए था पर मैं हट नही सका मुंडेर पे छिपके मैं उसको नहाती हुई देखने लगा जबकि वो बेख़बर पूरी मस्ती से नहाए जा रही थी कुछ देर बाद वो खड़ी हुई अबकी बार उसका चेहरा मेरी तरफ था उसके खुले हुवे बाल जो कमर तक आ रहे थे अच्छे लगे उसकी चूचिया ज़्यादा मोटी नही थी तो पतली भी नही थी, मीडियम से थोड़ा ज़्यादा साइज़ की गहरी नाभि और जाँघो के बीच काले बालो मे छिपी हुई वो लाल लाल सी योनि जिसकी बस एक झलक ही देख पाया था
उसने अपने एक पैर को हल्का सा उपर किया और साबुन लगाने लगी कसम से उस से ज़्यादा मजेदार नज़ारा और क्या होता जवानी की दहलीज पर खड़े मुझ को तो कुछ होश ही ना रहा जब वो अपनी गोल सुडोल चुचियो पर साबुन लगा रही थी तो लगता था कि जैसे दो गेंदो से खेल रही हो वो करीब दस मिनिट तक मैं उसको देखता रहा पर तभी उसने मेरी तरफ देखा तो मैं तुरंत ही उधर से भाग लिया क्या उसकी नज़र मुझ पर पड़ गयी थी ये सोचते ही मेरी गंद फट गयी कही वो घर पर शिकायत तो नही कर देगी कि मैं उसको देख रहा था नहाते दिमाग़ मे सैकड़ो सवाल घूमने लगे
शाम तक अपने कमरे से बाहर नही निकला मैं बार बार देखता कि कही आ तो नही गयी शिकायत लेकर पर ऐसा कुछ नही था तब जाके थोड़ी शांति मिली पर उसके नंगे बदन ने मुझे आकर्षित कर दिया दिल मे कही ना कही आ ही गया की यार अगर बिम्ला पट जाए तो चोदने मे मज़ा आएगा अब इस अमर मे हर लड़के को चूत की हसरत तो होती ही है ना और फिर क्या गोरी क्या काली क्या फरक पड़ता है बस मिल जाए बस
शाम को मैं बिम्ला के घर गया तो उसकी सास बैठ कर सब्ज़ी काट रही थी तो मैं उनसे बाते करने लगा बिम्ला पास मे ही बकरी को घास खिला रही थी जब वो झुकी तो उसके ब्लाउज से बाहर को आते हुए चूचे मेरी नज़रो मे आ गये तो मेरी जीभ लॅप लपा गयी पर उसका ध्यान नही था और फिर थोड़ा बहुत तो दिख ही जाता है कुछ देर इधर उधर की बाते करने की बाद मैं घर आने ही वाला था कि बिम्ला बोली
बिंला- सुनो क्या तुम कल मेरे लिए मेडिकल से बदन दर्द की गोली का पत्ता ला दोगे
मैं- हाँ क्यो नही ले आउन्गा
बिंला-रूको मैं पैसे लेकर आई
मैं- अरे भाभी बाद मे दे देना
घर आते ही खाना खाया और फिर कुछ देर किताबें लेकर बैठ गया पर दिल नही लग रहा था तो बिम्ला के बारे मे सोच कर लंड को हिला डाला तब जाके चैन मिला अगली सुबह घर वालो की डाँट खाकर मेरी नींद खुली जल्दी से तैयार हुआ और स्कूल चला गया गाँव का सरकारी स्कूल जहाँ पढ़ाई बस धक्के देकर ही होती थी पर सहर दूर था तो उधर ही पढ़ना पड़ता था पर मैं खुश था
अपनी ज़िंदगी भी कोई लंबी चौड़ी नही थी, कॉलेज से आते ही पढ़ना फिर शाम को जंगल मे या नहर पर घूमने चले जाना घर का काम करना भैंसो के काम मे मदद करना चारा काटना उनको नहलाना बस खेतो पर नही जाता था मैं बहुत हुआ तो साइकल उठा कर शहर का चक्कर लगा लिया जो करीब दस किलोमेटेर दूर पड़ता था उस रात बहुत गर्मी लग रही थी बिजली भी नही आ रही थी मेरे कमरे मे खिड़की भी नही थी बहुत बार बोल चुका था घरवालो को पर कभी किसी ने ध्यान नही दिया था तो अपनी दरी उठा कर मैं छत पर आ गया
पर इधर भी गरम हवा ही चल रही थी तो हाल मुश्किल हुआ मेरा रेडियो चलाया तो वो सही से स्टेशन नही पकड़ रहा था तो उसके तार को अड्जस्ट करने लगा
तभी साथ वाली छत से बिम्ला ने पुकारा- क्या बात है नींद नही आ रही है क्या
मैं- हाँ भाभी आज गर्मी बहुत है
बिम्ला- हाँ वो तो है और बिजली भी नही आ रही है उपर सोने का सोचा तो मच्छर काट रहे है
मैं- भाभी थोड़ी हवा चल जाए तो ठीक रहे
वो मेरी मुन्डेर के पास आकर खड़ी हो गयी और बाते करने लगी
मैने पूछा- भाभी भाई नही दिख रहा
बिम्ला- उन्होने कोई नया काम लिया है तो कुछ दिन उधर ही रहेंगे
बिम्ला- और तुम बताओ क्या चल रहा है
मैं-बस भाभी कट रही है कॉलेज से घर , घर से कॉलेज यही चल रहा है अपना शाम को मैं आया था आप थे ही नही घर पर
बिम्ला- अब तुम्हारी तरह फ़ुर्सत तो होती नही है काम करने पड़ते है खेत मे गयी थी घास लाने को
मैं-भाभी बहुत काम करती हो आप कभी माजी को भी कहा करो
तो वो बोली – तुम ही कह दो मेरा तो सुन ने से रही वो
बिम्ला- मेरी गोली का पत्ता नही लाए तुम
मैं-माफ़ करना भाभी आज ध्यान नही रहा मैं कल पक्का ला दूँगा
चाँदनी रात मे बिम्ला के ब्लाउज से झाँकते उनके बोबे मेरा हाल बुरा कर रहे थे नीचे मेरी निक्कर मे लंड परेशान करने लगा था कुछ देर बाते करने के बाद वो जाकर सो गयी और मैं भी अपने बेड पर लेट गया एक नये सवेरे की उम्मीद मे
फ़िल्मे देखते थे कोई कोई फिलम देख कर ऐसा लगता था कि गर्लफ्रेंड तो होनी ही चाहिए पर कहाँ होना था अपने लिए ऐसे हालत मे क्लास मे दो तीन लड़किया होती थी जो बड़ी ही अच्छी लगा करती थी सुंदर थी पर अपन कभी कोशिश कर नही पाते थे क्लास के एक लड़के सुमित ने एक लड़की मंजू से फ्रेंडशिप कर ली थी पूरी क्लास मे पता चल गया था तो डर भी लगा करता था दिन कट रहे थे बिना किसी बात के और मैं अपने झूठे सच्चे अरमानो के साथ जिए जा रहा था
कॉलेज से आते टाइम बिम्ला के लिए गोलियाँ ले ली थी दोपहर का समय था उसके घर देने गया तो दरवाजा खुला था पर कोई दिखा नही मैं अंदर की तरफ चला गया तो मैने पाया कि बिम्ला अपने कमरे मे सोई पड़ी थी गहरी नींद मे सोते टाइम बड़ी प्यारी सी लगी मुझे वो उसकी छातिया सांस लेने से उपर नीचे को हो रही थी पतली कमर और सुतवा पेट गहरी नाभि होतो पर लाल लिपीसटिक किसी का भी मन भटका दे उसकी धोन्कनी की तरह उपर को उठती चूचिया जैसे मुझे अपने पास बुला रही हो
थोड़ा सा उसके पास गया तो उसके बदन से आती भीनी भीनी सी खुश्बू मुझे पागल बनाने लगी तभी उसने एक करवट सी ली और अपनी टाँगो को सीधा कर लिया घाघरा उसकी टाँगो पर बुरी तरह से चिपका पड़ा था और जाँघो के जोड़ वाले हिस्से पर वी शेप बना रहा था जिस से उसकी योनि वाले हिस्से का अच्छा दीदार हो रहा था पर मैं ज़्यादा देर तक नही रुक सकता था तो मैने थोड़ी सी शरारत करने का तो सोचा और उसके बोबे को हाथ से हल्का सा दबा दिया उसने कोई रिएक्ट नही किया
तो दो तीन बार ऐसी ही करने के बाद मैने उसे जगा दिया और गोली देकर घर आ गया अपने कमरे मे पड़ा पड़ा मैं सोच रहा था की कुछ भी करके कोई भी ट्रिक लगाके बिम्ला की तो लेनी ही है पर कैसे ये नही पता , शाम को मैं बाहर जा ही रहा था कि चाची बोली आ ज़रा प्लॉट तक चल मेरे साथ घास काट दियो और थोड़ी सफाई भी करनी है
मैं- चाची, मुझे क्रिकेट खेलने जाना है आके कर दूँगा
चाची- अपनी आँखे दिखाते हुए तो साहिब अब सचिन बनेंगे रात को दूध तो गॅप गॅप पी लेता है और काम ना करवाओ इस से
कभी कभी चाची की तीखी बातों से बड़ा दुख होता था पर सह लेता था तो फिर कपड़े चेंज करके प्लॉट मे चल दिया उनके साथ मेरी चाची का नाम सुनीता था उमर होगी 30-31 की दो बच्चे थे रंग गेहुंआ सा था हाइट थोड़ी कम थी पर मोटी अच्छी ख़ासी थी वो और स्वाभाव भी कुछ तीखा सा था उनका घमंडी टाइप का जाते ही फटाफट मैने घास काटी और फिर सफाई करने लगा चाची भैंसो को नहला रही थी उन्होने अपनी साड़ी को घुटनों तक कर लिया था ताकि पानी से गीली ना हो तो उनके सुडौल पैर देख कर पता नही क्यो फिर से मेरा हाल बिगड़ने लगा
अपनी गंदी नज़र से मैं उनको भी देखने लगा मोटी थी पर लगती कमाल की थी उनके कूल्हे तो बड़े ही मस्त थे पर चाची थी तो फिर ज़्यादा नज़रे नही की उनकी तरफ काम करते करते अंधेरा हो गया था घर जा रहा था तो बिम्ला के पति ने रास्ते मे ही रोक लिया मुझे और कहा यार तुझसे थोड़ा सा काम है मैने कहा हाँ भाई बताओ क्या बात है तो उसने कहा कि मुझे एक बड़ा काम मिल गया है तो मैं एक साल के लिए बाहर देश जा रहा हूँ मैने कहा भाई ये तो बहुत ही अच्छी बात है पर इतने दिनो के लिए वो बोला भाई क्या करूँ अब पैसे अच्छे दे रहे है तो मैं टाल ना सका
तो उसने कहा कि पीछे से घर का ध्यान रख लियो भाई , कुछ छोटा मोटा काम हो तो कर दिए मैने कहा आप चिंता ना करो तो वो बोला एक काम और आज रात की ट्रेन है देल्ही के लिए तो स्टेशन तक छोड़ आइयो मैने कहा भाई अब रात को इतना दूर साइकल ना चलेगी मुझसे तो उसने कहा स्कूटर से चलेंगे फिर तू आजना मैने कहा ठीक है भाई जब चलना हो आवाज़ दे दियो मैने सोचा कि ठीक ही हुआ ये जा रहा है अब मैं बिम्ला के साथ और टाइम दूँगा और लाइन मारूँगा
जब उसको छोड़ने जा रहे थे तो बिम्ला भी साथ आ गयी भाई स्कूटर चला रहा था मैं बीच मे था और वो पीछे उपर से दो बॅग भी तो अड्जस्ट करना मुश्किल हो रहा था पर थोड़ी देर की ही तो बात थी ट्रेन टाइम पर ही थी उसको रवाना करने के बाद मैने स्कूटर स्टार्ट किया और कहा भाभी बैठो तो वो बोली ज़रा धीरे ही चलना कही गिरा ना देना मुझे मैने कहा आप चिंता ना करो रास्ता बड़ा ही उबड़-खाबड़ सा था तो भाभी का बोझ बार बार मेरे उपर आ रहा था मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था फिर उसने मेरी कमर मे हाथ डाल के पकड़ लिया तो बड़ी ही मस्त फीलिंग आई मुझे
अगले दिन कॉलेज मे लगातार टेस्ट थे तो बस उनपे ही ध्यान रहा मेरा , जब छुट्टी हुई तो मुझे थोड़ा टाइम लग गया अपना समान समेटने मे तकरीबन लोग जा चुके थे बॅग को कंधे पर लटकाए अपने बालो मे हाथ फेरते हुए मैं बाहर निकला तो देखा कि मेरी ही क्लास मे पढ़ने वाली लड़की नीनु अपनी साइकल लिए गेट के पास ही खड़ी थी मैं उसे देख का रुक गया और पूछा
मैं-अरे नीनु क्या हुआ गयी नही
नीणू- देखो ना मेरी साइकल पंक्चर हो गयी है अब परेशानी हो गयी मेरे लिए
मैं अरे तो साइकल यही छोड़ जाती ना और अपने गाँव की लड़कियो के साथ चली जाती
नीणू- और कोई चुरा ले जाता तो
मैं- आजा पास मे ही एक साइकल की दुकान है उधर लगवा ले
हम बाते करते चल पड़े थोड़ी दूरी पर दुकान थी पर आज देखो वो बंद पड़ी थी
नीणू दुखी होते हुए बोली अब क्या करू घर कैसे जाउन्गी
मैं- परेशान ना हो कुछ करता हूँ चल एक काम कर मैं चलता हूँ तेरे साथ तेरे गाँव तक अब पैदल तुझसे तो साइकल घसिटी जाएगी नही
नीणू- रहने दो तुम, मैं चली जाउन्गी मैने कहा अरे क्या बात करती है तू परेशान होगी और तेरा गाँव भी थोड़ा दूर है कभी मुझे मदद पड़े तो तू कर देना उसमे क्या है नीणू ने अपनी गोल आँखो से मुझे देखा और बस मुस्कुरा पड़ी
Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
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Raj sharma stories चूतो का मेला compleet
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
उस से पहले नीनु से मैने कभी इतना खुल के बात नही की थी बल्कि यू कहूँ कि देखा ही नही था उसकी तरफ बस कभी कुछ पढ़ाई के चक्कर मे कुछ हुआ हो तो ध्यान ही नही था वैसे भी मेरा मन क्लास मे कहाँ लगा करता था हालाँकि क़ायदा ये कहता था कि मुझे उसके साथ जाना नही चाहिए था पर अपना दिल नही माना लगा कि नज़ाने कब तक परेशान होगी ये तो कोई ना उसका गाँव मेरे गाँव से करीब 1.5 किमी दूर था हमारे गाँव मे से ही कॉलेज के लिए कच्चे रास्ते से होकर शॉर्टकट जाता था तो आस पास के गाँवो के कई स्टूडेंट्स उधर ही आते थे
जल्दी ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया उसने अपने सर पर चुन्नी ओढ़ ली थी धूप से बचने को मैने उस से बात करना शुरू कर दिया तो पता चला कि वो गाँव से थोड़ी दूर खेतो मे घर बना कर रहते है मैने कहा जहाँ ले चलना है चल तो वो मुस्कुरा पड़ी उस से खुल के बात करने पर पता चला कि यार ये तो बड़ी ही शैफ़ और अच्छी लड़की है बातों बातों मे उसका घर भी आ गया था उसकी माँ ने देखा कि उसकी लड़की किस लड़के के साथ आई है तो कुछ सोचने लगी पर नीणू ने बताई साइकल की दास्तान तो उन्होने मुझे शुक्रिया कहा और चाइ के लिए पूछा पर मैने मना कर दिया और लौट आया थोड़ी दूर आने पर देखा कि नीनु मुझे ही देख रही थी
अपने घर आने के बाद मैं खाना खाकर सो गया तो फिर जब उठा तो हल्का हल्का सा अंधेरा हो रहा था गली से निकल ही रहा था कि बिम्ला ने रोक लिया बोली चाइ बना रही हूँ पीओगे क्या मैने सोचा चल इसी बहाने थोड़ा टाइम पास भी कर लूँगा तो हाँ कह दी मैने कहा भाभी घर पर कोई दिख नही रहा तो वो बोली माँ जी बच्चो को लेकर तुम्हारे प्लाट मे गयी है दादी के पास आती होंगी बातों बातों मे मैने जिकर कर दिया कि कल छुट्टी है तो सहर जाउन्गा
बिम्ला-अरे वाह मैं भी कल बाजार जा रही हूँ तुम कितने बजे जाओगे साथ ही चलेंगे
मैं- तो ठीक है सुबह दस के करीब चलेंगे
बिम्ला हाँ तुम रहोगे तो मेरी मदद भी हो जाएगी
बिम्ला मेरा खाली कप लेने को थोड़ा सा झुकी तो उसके उभारों की घाटी मे मेरी नज़र चली गयी उसने भी नोटीस कर लिया पर कुछ कहा नही और फिर इतना तो एक आम बात थी अपन ने साइकल को धो कर चमका लिया था सुबह सुबह ही वो बोली इस्पे कैसे जाएँगे मैने कहा भाभी तुम बैठो तो सही अपन तो उस पर ही जाते है तो वो बैठ गयी और चले सहर की ओर जो करीब 8-10 कोस था तो साइकल से बढ़िया और क्या हो सकता था टेंपो भरे जब चले तो कॉन इंतज़ार करे दरअसल मुझे सेक्सी कहानी वाली किताबो और जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक सा लगा पड़ा था
तो हर एतवार मैं सहर को हो लिया करता था सहर पहुच कर मैने भाभी को उनके समान की दुकान पर छोड़ा और कहा कि आप समान ख़रीदो मैं आता हूँ और बस अड्डे पर हो लिया जल्दी से दो चार किताबें ली छुपाने के लिए उनको कुछ और किताबो की काली थैली मे छुपा लिया ताकि बिम्ला कही देख ना ले वरना अपनी क्या इज़्ज़त रहती उसने फिर छोटा मोटा समान लिया पर काफ़ी देर लगा दी फिर बच्चों के लिए जूते और कपड़े फिर वो एक लॅडीस समान की दुकान मे घुस गयी और समान लेने लगी मैं उधर बैठ गया
तो मैने देखा कि लिपीसटिक, पाउडर के बाद उसने कुछ जोड़ी ब्रा-पैंटी भी ली तो मेरा लंड दुकान मे ही अंगड़ाई लेने लगा तो पॅंट मे परेशानी होने लगी अब आए थे साइकल पर और अब समान का थैला भी भारी हो गया था तो मैने कहा भाभी थैले को लगा पीछे और तू आगे डंडे पर बैठ जा तो बिम्ला बोली ना जी ना मुझे शरम आएगी मैने कहा अभी तो बैठ जाओ जब गाँव आएगा तो पीछे बैठ जाना तो वो मान गयी और हम गाँव के लिए चल पड़े
रास्ते मे मैने बड़ा मज़ा लिया जब जब मैं पैडल मारता तो उसके कुल्हो से मेरे घुटने टच करते तो वो आह सी भरती और मुझे मज़ा आता उसकी पीठ पर मैं बार बार अपनी छाती का बोझ दे रहा था बिम्ला बैठी तो थी पर असहज हो रही थी मुझे पता था कि साइकल का डंडा उसकी गान्ड मे चुभ रहा है अब वो डंडा उसकी मस्त गान्ड को संभालता भी तो कैसे पूरे रास्ते मैने उसका भरपूर मज़ा लिया जब गाँव आने लगा तो वो पीछे बैठ गयी
घर आते ही मैने अपनी पन्नि निकाली उसके झोली से और घर आते ही अलमारी मे छुपा दिया बस अब इंतज़ार था रात का कि कब नयी किताब पढ़ु और मुट्ठी मारू थोड़ी देर टीवी देखने के बाद इधर उधर घूमने के बाद अब मैं आया अपने कमरे मे और अलमारी से वो पन्नि निकाल कर खोला और तभी.................
जल्दी ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया उसने अपने सर पर चुन्नी ओढ़ ली थी धूप से बचने को मैने उस से बात करना शुरू कर दिया तो पता चला कि वो गाँव से थोड़ी दूर खेतो मे घर बना कर रहते है मैने कहा जहाँ ले चलना है चल तो वो मुस्कुरा पड़ी उस से खुल के बात करने पर पता चला कि यार ये तो बड़ी ही शैफ़ और अच्छी लड़की है बातों बातों मे उसका घर भी आ गया था उसकी माँ ने देखा कि उसकी लड़की किस लड़के के साथ आई है तो कुछ सोचने लगी पर नीणू ने बताई साइकल की दास्तान तो उन्होने मुझे शुक्रिया कहा और चाइ के लिए पूछा पर मैने मना कर दिया और लौट आया थोड़ी दूर आने पर देखा कि नीनु मुझे ही देख रही थी
अपने घर आने के बाद मैं खाना खाकर सो गया तो फिर जब उठा तो हल्का हल्का सा अंधेरा हो रहा था गली से निकल ही रहा था कि बिम्ला ने रोक लिया बोली चाइ बना रही हूँ पीओगे क्या मैने सोचा चल इसी बहाने थोड़ा टाइम पास भी कर लूँगा तो हाँ कह दी मैने कहा भाभी घर पर कोई दिख नही रहा तो वो बोली माँ जी बच्चो को लेकर तुम्हारे प्लाट मे गयी है दादी के पास आती होंगी बातों बातों मे मैने जिकर कर दिया कि कल छुट्टी है तो सहर जाउन्गा
बिम्ला-अरे वाह मैं भी कल बाजार जा रही हूँ तुम कितने बजे जाओगे साथ ही चलेंगे
मैं- तो ठीक है सुबह दस के करीब चलेंगे
बिम्ला हाँ तुम रहोगे तो मेरी मदद भी हो जाएगी
बिम्ला मेरा खाली कप लेने को थोड़ा सा झुकी तो उसके उभारों की घाटी मे मेरी नज़र चली गयी उसने भी नोटीस कर लिया पर कुछ कहा नही और फिर इतना तो एक आम बात थी अपन ने साइकल को धो कर चमका लिया था सुबह सुबह ही वो बोली इस्पे कैसे जाएँगे मैने कहा भाभी तुम बैठो तो सही अपन तो उस पर ही जाते है तो वो बैठ गयी और चले सहर की ओर जो करीब 8-10 कोस था तो साइकल से बढ़िया और क्या हो सकता था टेंपो भरे जब चले तो कॉन इंतज़ार करे दरअसल मुझे सेक्सी कहानी वाली किताबो और जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक सा लगा पड़ा था
तो हर एतवार मैं सहर को हो लिया करता था सहर पहुच कर मैने भाभी को उनके समान की दुकान पर छोड़ा और कहा कि आप समान ख़रीदो मैं आता हूँ और बस अड्डे पर हो लिया जल्दी से दो चार किताबें ली छुपाने के लिए उनको कुछ और किताबो की काली थैली मे छुपा लिया ताकि बिम्ला कही देख ना ले वरना अपनी क्या इज़्ज़त रहती उसने फिर छोटा मोटा समान लिया पर काफ़ी देर लगा दी फिर बच्चों के लिए जूते और कपड़े फिर वो एक लॅडीस समान की दुकान मे घुस गयी और समान लेने लगी मैं उधर बैठ गया
तो मैने देखा कि लिपीसटिक, पाउडर के बाद उसने कुछ जोड़ी ब्रा-पैंटी भी ली तो मेरा लंड दुकान मे ही अंगड़ाई लेने लगा तो पॅंट मे परेशानी होने लगी अब आए थे साइकल पर और अब समान का थैला भी भारी हो गया था तो मैने कहा भाभी थैले को लगा पीछे और तू आगे डंडे पर बैठ जा तो बिम्ला बोली ना जी ना मुझे शरम आएगी मैने कहा अभी तो बैठ जाओ जब गाँव आएगा तो पीछे बैठ जाना तो वो मान गयी और हम गाँव के लिए चल पड़े
रास्ते मे मैने बड़ा मज़ा लिया जब जब मैं पैडल मारता तो उसके कुल्हो से मेरे घुटने टच करते तो वो आह सी भरती और मुझे मज़ा आता उसकी पीठ पर मैं बार बार अपनी छाती का बोझ दे रहा था बिम्ला बैठी तो थी पर असहज हो रही थी मुझे पता था कि साइकल का डंडा उसकी गान्ड मे चुभ रहा है अब वो डंडा उसकी मस्त गान्ड को संभालता भी तो कैसे पूरे रास्ते मैने उसका भरपूर मज़ा लिया जब गाँव आने लगा तो वो पीछे बैठ गयी
घर आते ही मैने अपनी पन्नि निकाली उसके झोली से और घर आते ही अलमारी मे छुपा दिया बस अब इंतज़ार था रात का कि कब नयी किताब पढ़ु और मुट्ठी मारू थोड़ी देर टीवी देखने के बाद इधर उधर घूमने के बाद अब मैं आया अपने कमरे मे और अलमारी से वो पन्नि निकाल कर खोला और तभी.................
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
जैसे ही मैने वो पॅकेट खोला मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी , उसमे से ब्रा –पैंटी निकले मतलब कि मेरा वाला पॅकेट बिम्ला के पास रह गया था अब तक तो उसने खोल भी लिया होगा और उन किताबों को देख भी लिया होगा यार ये तो बड़ी मुश्किल हुई अब कैसे उस से नज़रे मिला पाउन्गा मैं . क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे कही घर वालो से ना कह दे सारी रात इसी बारे मे सोचते हुवे आँखो आँखो मे कटी अपनी अब करे क्या कुछ समझ ना आया तो फिर सो गये.
अगली सुबह जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तो बिम्ला बाहर चूल्हे पर रोटियाँ पका रही थी उसने झलक भर मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी पर मैं जल्दी से निकल गया ,कॉलेज वाले मोड़ पर ही मुझे नीनु मिल गयी मुझे देख कर अपनी साइकल से उतर गयी और मेरे साथ चलने लगी वो उसने बातों बातों मे मेरा धन्यवाद किया मैने कहा उसकी क्या ज़रूरत भला तो वो बोली – तुम मेरे साथ घर तक गये शुक्रिया तुम्हारा और बाते करते हुए हम लोग कॉलेज की तरफ बढ़ने लगे
ये मेरे लिए पहली बार था जब कोई लड़की आगे से मुझसे बात कर रही थी वरना अपनी तरफ कोई देखता भी तो क्यो. क्लास मे अभी स्टूडेंट्स आने शुरू नही हुवे थे जो दो-चार आ गये थे वो बाहर थे, मैने कहा लगता है आज मैं जल्दी आ गया नीनु बोली- हाँ शायद
मैं भी बात को आगे बढ़ाते हुवे मैने पूछा- तुमको डर नही लगता क्या इतने सुनसान रास्ते से अकेले आते जाते हुवे ,
नीणू- डर क्यो लगेगा और फिर मैं अपनी सहेलियो के साथ आती जाती हूँ वो तो कल ही रुकना पड़ा
मैं- अच्छा अच्छा उनका तो मुझे ध्यान ही नही रहा
अब और भी स्टूडेंट्स आने लगे थे तो नीनु बाहर चली गयी अपन भी कुछ देर बाद बाहर चले गये उस दिन पता नही क्यो बार बार मेरी नज़रे नीनु की ओर ही जा रही थी चोरी छिपे बस मैं उसको ही देखे जा रहा था मेरे दोस्तो ने टोका भी मुझे कि क्या बात है आज ध्यान कहाँ है तेरा अब उनको क्या बता ता मैं कि मेरा ध्यान कहाँ पर है मुझे खुद नही पता था छुट्टी होने के बाद मैं घर को आया शाम को मैं बाहर जा रहा था तो बिम्ला से टकरा गया
वो बोली- कहाँ जा रहे हो
मैं- बस घर ही जा रहा हूँ
बिम्ला- ज़रा मेरे साथ आना
मैं थोड़ा सा घबराते हुवे- अभी मुझे काम है बाद मे आ जाउन्गा
बिम्ला ने मेरा हाथ पकड़ा और खीचते हुवे अपने साथ ले गयी और कमरे मे ले जाकर बोली – वो कल जब हम बाजार गये थे तो शायद मेरा एक पॅकेट तुम्हारे पास रह गया है तो वो वापिस कर देना
मैं- जी मैं देख लूँगा
बिम्ला- कोई परेशानी है क्या कुछ सूने सूने से लग रहे हो
मैं- नही, बस ऐसे ही
बिम्ला- चलो कोई बात नही मैं रात को छत पा आउन्गि तब मेरा पॅकेट दे देना
मैने सोचा कि मैं भी अपनी किताब माँग लेता हूँ पर फिर हिम्मत ही नही हुई और ना ही उसने कोई जिकर किया तो फिर मैं घर पर आ गया.
रात रोशन हो रही थी धीरे धीरे बिम्ला अभी छत पर नही आई थी मैने अपन बिस्तर बिछाया , पानी का जग रखा साइड मे और लेट गया उपर आसमान मे चाँद चमक रहा था, अपनी चाँदनी को बिखेरते हुवे हवा चल रही थी गरमी की सदा को लिए अपने साथ बेशक रात थी पर उमस दिन जैसी ही थी करीब दस बजे बिम्ला छत पर आई तो मैं भी उठ कर मुंडेर पर चला गया . मुझे देख कर वो मेरी साइड आई और बोली- सोए नही क्या अभी तक
मैं-गर्मी बहुत है तो नींद नही आ रही
बिंला- हाँ वो तो है
मैं- ये लो आपका पॅकेट
बिम्ला- खोल के तो नही देखा ना
मैं- खोल लिया था पर तभी रख दिया था
बिम्ला- बड़े शैतान हो गये हो तुम, मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ समझती थी पर तुम तो पक्के वाले बदमाश हो गये हो
मैं चुप ही रहा
बिम्ला- कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- कुछ नही बोला
बिम्ला- अब शरमाओ मत , वैसे भी मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत है नही तुमको बताओ कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- नही, नही है अब मेरी तरफ कॉन देखेगा
बिम्ला- भला ऐसा क्यो
मैं- बस ऐसे ही
बिम्ला- हूंम्म्मममममम
मैं- आप ये सब क्यो पूछ रही हो
बिम्ला- बस ऐसे ही करो ट्राइ किसी से दोस्ती करने की कोई ना कोई तो पट ही जाएगी
मैं- नही मैं ऐसे ही ठीक हूँ
बिम्ला- क्यो भला, अब तुम भी जवान हो गये हो कोई तो अच्छी लगती होगी तुमको भी मुझसे क्या शरमाना बताओ मुझे
मैं- मुझे तो बस आआआआआआआआआअ नही कुछ नही
बिम्ला- ओह हो तो अब शरम आ रही है जब ऐसी करतूते करते हो तब शरम नही आती है तुमको अब देखो कैसा भोला पन टपक रहा है चेहरे से
मैं कुछ नही बोला
बिम्ला- अब इतने भोले भी ना बनो और बताओ
मैं- क्या बताऊ , दिल तो करता है पर डर भी लगता है और फिर मेरी तरफ कोई देखती भी नही
बिम्ला-इसका ये मतलब तो नही कि किसी से दोस्ती ना कर सकोगे
मैं-अब कोई नही करती दोस्ती तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ
बिम्ला- कभी कह के तो देखो किसी को फिर बताना
मैं- आआप जब इतना ही कह रही हो तो फिर आप ही कर्लो ना फ्रेंडशिप आख़िर मेरे मूह से अपने मन की बात निकल ही गयी
बिम्ला- मेरी और आँखे फेरते हुवे बड़े बदमाश हो गये हो सीधा मुझ पर ही लाइन मार रहे हो अपनी उमर देखो मेरी उमर देखो शरम नही आई तुम्हे
मैं- अब देखलो जब आप ने ही मना कर दिया तो फिर और कोई होती वो भी मना कर देती
बिंला- ऐसा नही है भोन्दु
मैं- फिर कर्लो दोस्ती
अगली सुबह जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तो बिम्ला बाहर चूल्हे पर रोटियाँ पका रही थी उसने झलक भर मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी पर मैं जल्दी से निकल गया ,कॉलेज वाले मोड़ पर ही मुझे नीनु मिल गयी मुझे देख कर अपनी साइकल से उतर गयी और मेरे साथ चलने लगी वो उसने बातों बातों मे मेरा धन्यवाद किया मैने कहा उसकी क्या ज़रूरत भला तो वो बोली – तुम मेरे साथ घर तक गये शुक्रिया तुम्हारा और बाते करते हुए हम लोग कॉलेज की तरफ बढ़ने लगे
ये मेरे लिए पहली बार था जब कोई लड़की आगे से मुझसे बात कर रही थी वरना अपनी तरफ कोई देखता भी तो क्यो. क्लास मे अभी स्टूडेंट्स आने शुरू नही हुवे थे जो दो-चार आ गये थे वो बाहर थे, मैने कहा लगता है आज मैं जल्दी आ गया नीनु बोली- हाँ शायद
मैं भी बात को आगे बढ़ाते हुवे मैने पूछा- तुमको डर नही लगता क्या इतने सुनसान रास्ते से अकेले आते जाते हुवे ,
नीणू- डर क्यो लगेगा और फिर मैं अपनी सहेलियो के साथ आती जाती हूँ वो तो कल ही रुकना पड़ा
मैं- अच्छा अच्छा उनका तो मुझे ध्यान ही नही रहा
अब और भी स्टूडेंट्स आने लगे थे तो नीनु बाहर चली गयी अपन भी कुछ देर बाद बाहर चले गये उस दिन पता नही क्यो बार बार मेरी नज़रे नीनु की ओर ही जा रही थी चोरी छिपे बस मैं उसको ही देखे जा रहा था मेरे दोस्तो ने टोका भी मुझे कि क्या बात है आज ध्यान कहाँ है तेरा अब उनको क्या बता ता मैं कि मेरा ध्यान कहाँ पर है मुझे खुद नही पता था छुट्टी होने के बाद मैं घर को आया शाम को मैं बाहर जा रहा था तो बिम्ला से टकरा गया
वो बोली- कहाँ जा रहे हो
मैं- बस घर ही जा रहा हूँ
बिम्ला- ज़रा मेरे साथ आना
मैं थोड़ा सा घबराते हुवे- अभी मुझे काम है बाद मे आ जाउन्गा
बिम्ला ने मेरा हाथ पकड़ा और खीचते हुवे अपने साथ ले गयी और कमरे मे ले जाकर बोली – वो कल जब हम बाजार गये थे तो शायद मेरा एक पॅकेट तुम्हारे पास रह गया है तो वो वापिस कर देना
मैं- जी मैं देख लूँगा
बिम्ला- कोई परेशानी है क्या कुछ सूने सूने से लग रहे हो
मैं- नही, बस ऐसे ही
बिम्ला- चलो कोई बात नही मैं रात को छत पा आउन्गि तब मेरा पॅकेट दे देना
मैने सोचा कि मैं भी अपनी किताब माँग लेता हूँ पर फिर हिम्मत ही नही हुई और ना ही उसने कोई जिकर किया तो फिर मैं घर पर आ गया.
रात रोशन हो रही थी धीरे धीरे बिम्ला अभी छत पर नही आई थी मैने अपन बिस्तर बिछाया , पानी का जग रखा साइड मे और लेट गया उपर आसमान मे चाँद चमक रहा था, अपनी चाँदनी को बिखेरते हुवे हवा चल रही थी गरमी की सदा को लिए अपने साथ बेशक रात थी पर उमस दिन जैसी ही थी करीब दस बजे बिम्ला छत पर आई तो मैं भी उठ कर मुंडेर पर चला गया . मुझे देख कर वो मेरी साइड आई और बोली- सोए नही क्या अभी तक
मैं-गर्मी बहुत है तो नींद नही आ रही
बिंला- हाँ वो तो है
मैं- ये लो आपका पॅकेट
बिम्ला- खोल के तो नही देखा ना
मैं- खोल लिया था पर तभी रख दिया था
बिम्ला- बड़े शैतान हो गये हो तुम, मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ समझती थी पर तुम तो पक्के वाले बदमाश हो गये हो
मैं चुप ही रहा
बिम्ला- कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- कुछ नही बोला
बिम्ला- अब शरमाओ मत , वैसे भी मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत है नही तुमको बताओ कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- नही, नही है अब मेरी तरफ कॉन देखेगा
बिम्ला- भला ऐसा क्यो
मैं- बस ऐसे ही
बिम्ला- हूंम्म्मममममम
मैं- आप ये सब क्यो पूछ रही हो
बिम्ला- बस ऐसे ही करो ट्राइ किसी से दोस्ती करने की कोई ना कोई तो पट ही जाएगी
मैं- नही मैं ऐसे ही ठीक हूँ
बिम्ला- क्यो भला, अब तुम भी जवान हो गये हो कोई तो अच्छी लगती होगी तुमको भी मुझसे क्या शरमाना बताओ मुझे
मैं- मुझे तो बस आआआआआआआआआअ नही कुछ नही
बिम्ला- ओह हो तो अब शरम आ रही है जब ऐसी करतूते करते हो तब शरम नही आती है तुमको अब देखो कैसा भोला पन टपक रहा है चेहरे से
मैं कुछ नही बोला
बिम्ला- अब इतने भोले भी ना बनो और बताओ
मैं- क्या बताऊ , दिल तो करता है पर डर भी लगता है और फिर मेरी तरफ कोई देखती भी नही
बिम्ला-इसका ये मतलब तो नही कि किसी से दोस्ती ना कर सकोगे
मैं-अब कोई नही करती दोस्ती तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ
बिम्ला- कभी कह के तो देखो किसी को फिर बताना
मैं- आआप जब इतना ही कह रही हो तो फिर आप ही कर्लो ना फ्रेंडशिप आख़िर मेरे मूह से अपने मन की बात निकल ही गयी
बिम्ला- मेरी और आँखे फेरते हुवे बड़े बदमाश हो गये हो सीधा मुझ पर ही लाइन मार रहे हो अपनी उमर देखो मेरी उमर देखो शरम नही आई तुम्हे
मैं- अब देखलो जब आप ने ही मना कर दिया तो फिर और कोई होती वो भी मना कर देती
बिंला- ऐसा नही है भोन्दु
मैं- फिर कर्लो दोस्ती
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
बिमला- अरे नहीं कर सकती तुमसे दोस्ती
मैं- पर क्यों नहीं कर सकती
बिमला- देखो समझने की कोशिश करो, मेरी और तुम्हारी उम्र में काफी फासला है और फिर पड़ोस का मामला है ऐसी बाते देर सवेर खुल ही जाया करती है तो फिर तुम्हे तो कुछ नहीं , पर मुझे बहुत फरक पड़ेगा, और फिर बच्चे भी अब बड़े हो रहे है और मैं नहीं चाहती की कल को कोई ऐसी बात हो जिसका मेरी गृहस्ती पर कुछ प्रभाव पड़े अभी तुम मेरी इस बात को नहीं समझोगे पर जब तुम थोड़े और बड़े हो जाओगे तो शायद समझ पाओगे
वैसे भी रात बहुत हो गयी है जाओ सो जाओ मुझे भी नींद आ रही है काफी थक जाती हु पूरा दिन
मैं- पर भाभी मुझे आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा आपकी हां का इंतज़ार करूँगा मैं कभी न कभी तो आप मुझसे दोस्ती करो ही गी
बिमला ने एक भरपूर नजर मेरी और डाली और अपनी गांड को मटकाते हुवे चली गयी और मैं रह गया अपने अधूरेपन के साथ उस आसमान के चाँद की तरह जो चांदनी के साथ होते हुवे भी अधुरा सा था
पता नहीं मेरे साथ ऐसा क्यों था की ज्यादा लोगो से मैं घुल मिल नहीं पाता था बस अपने आप से ही झूझता था मैं अगली सुबह मैं तैयार होकर रसोई में गया तो चाची रोटिया बनाने के लिए आता लगा रही थी निचे फर्श पर बैठ कर उनकी गोल मटोल छातिया ब्लाउस के बंधन को तोड़ कर बहार आने को मचल रही थी जैसे की सुबह सुबह ऐसा सीन देख कर मजा ही आ गया पर उनका मिजाज थोडा कसैला था तो वहा रुका नहीं और फिर कॉलेज चला गया
ख़ामोशी से बैठा मैं कुछ सोच रहा था की नीनू मेरे पास आई और बोली- मुझे तुमसे एक काम है
मैं- हा बोलो क्या बात है
नीनू- वो बात दरअसल ये है की, तुम्हे तो पता ही है की मैं मैथ में कितनी कमजोर हु क्लास के बाद तुम इधर ही रुक कर पढ़ते हो तो अगर तुम मुझे भी थोडा पढ़ा दो तो मेरी परेशानी भी दूर हो जाएगी
मैं-नीनू देखो, तुम तो मुझसे बेहतर ही हो पढाई में, और फिर थोड़े दिनों में सब क्लास वाले मास्टर जी से कोचिंग लेने ही वाले है तो तुम भी उधर ही पढ़ लेना वो अच्छे से समझा सकेंगे तुमको
नीनू- वो तो मैं करुँगी ही पर अगर तुम भी मेरी हेल्प कर देते तो ........ ......
मैं- ठीक है पर तुम ऐसे छुट्टी के बाद रुकोगी तो कोई कुछ कहेगा मेरा मतलब तुम समझ रही हो न
नीनू- तुम उसकी चिंता मत करो बस किसी तरह से मेरा मैथ सही करवादो
मैं- ठीक है हम कल से तयारी शुरू करेंगे
नीनू- पर आज से क्यों नहीं
मैं- आज मुझे कुछ जरुरी काम निपटाने है पर कल से पक्का
नीनू मुस्कुराई और अपनी सहेलियों के पास चली गयी मैं अपने पीरियड के लिए बढ़ गया
जब मैं घर आया तो घर पर कोई नहीं था लाइट आ रही थी तो मैंने मोके का फ़ायदा उठाने की सोची और डीवीडी पर बी अफ लगा कर देखने लगा वैसे मुझे ऐसा मोका कभी कभी ही मिलता था मेरे कमरे में ब्लैक एंड वाइट टीवी था और हमारी बैठक में कलर वाला था तो मैंने सोचा की आज रंगीन पर ही देखता हु तो मैंने सब सेटिंग की और अपनी आँखे सेकने लगा धीरे धीरे मुझ पर गर्मी छाने लगी अब घर पर कोई नहीं तो मैं ही राजा था
ऊपर से टीवी पर चलता गरमा गरम सीन मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया और मैंने भी बिना देर किये अपने कच्चे को निचे सरकाया और अपने लंड को हिलाने लगा मस्ती में डूबने लगा पर ये मस्ती जल्दी ही हवा हो गयी वो हुवा कुछ यु की मैं हमारा मेन दरवाजा बंद करना भूल गया था था और पता नहीं किस काम से बिमला आ गयी और उसने भी कोई आवाज नहीं की सीधा ही अन्दर आ गयी अब सिचुएशन ऐसी हुई की टीवी पर फिलम चल रही और मैं अपने हाथ मी लंड लिए खड़ा था
मैं- पर क्यों नहीं कर सकती
बिमला- देखो समझने की कोशिश करो, मेरी और तुम्हारी उम्र में काफी फासला है और फिर पड़ोस का मामला है ऐसी बाते देर सवेर खुल ही जाया करती है तो फिर तुम्हे तो कुछ नहीं , पर मुझे बहुत फरक पड़ेगा, और फिर बच्चे भी अब बड़े हो रहे है और मैं नहीं चाहती की कल को कोई ऐसी बात हो जिसका मेरी गृहस्ती पर कुछ प्रभाव पड़े अभी तुम मेरी इस बात को नहीं समझोगे पर जब तुम थोड़े और बड़े हो जाओगे तो शायद समझ पाओगे
वैसे भी रात बहुत हो गयी है जाओ सो जाओ मुझे भी नींद आ रही है काफी थक जाती हु पूरा दिन
मैं- पर भाभी मुझे आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा आपकी हां का इंतज़ार करूँगा मैं कभी न कभी तो आप मुझसे दोस्ती करो ही गी
बिमला ने एक भरपूर नजर मेरी और डाली और अपनी गांड को मटकाते हुवे चली गयी और मैं रह गया अपने अधूरेपन के साथ उस आसमान के चाँद की तरह जो चांदनी के साथ होते हुवे भी अधुरा सा था
पता नहीं मेरे साथ ऐसा क्यों था की ज्यादा लोगो से मैं घुल मिल नहीं पाता था बस अपने आप से ही झूझता था मैं अगली सुबह मैं तैयार होकर रसोई में गया तो चाची रोटिया बनाने के लिए आता लगा रही थी निचे फर्श पर बैठ कर उनकी गोल मटोल छातिया ब्लाउस के बंधन को तोड़ कर बहार आने को मचल रही थी जैसे की सुबह सुबह ऐसा सीन देख कर मजा ही आ गया पर उनका मिजाज थोडा कसैला था तो वहा रुका नहीं और फिर कॉलेज चला गया
ख़ामोशी से बैठा मैं कुछ सोच रहा था की नीनू मेरे पास आई और बोली- मुझे तुमसे एक काम है
मैं- हा बोलो क्या बात है
नीनू- वो बात दरअसल ये है की, तुम्हे तो पता ही है की मैं मैथ में कितनी कमजोर हु क्लास के बाद तुम इधर ही रुक कर पढ़ते हो तो अगर तुम मुझे भी थोडा पढ़ा दो तो मेरी परेशानी भी दूर हो जाएगी
मैं-नीनू देखो, तुम तो मुझसे बेहतर ही हो पढाई में, और फिर थोड़े दिनों में सब क्लास वाले मास्टर जी से कोचिंग लेने ही वाले है तो तुम भी उधर ही पढ़ लेना वो अच्छे से समझा सकेंगे तुमको
नीनू- वो तो मैं करुँगी ही पर अगर तुम भी मेरी हेल्प कर देते तो ........ ......
मैं- ठीक है पर तुम ऐसे छुट्टी के बाद रुकोगी तो कोई कुछ कहेगा मेरा मतलब तुम समझ रही हो न
नीनू- तुम उसकी चिंता मत करो बस किसी तरह से मेरा मैथ सही करवादो
मैं- ठीक है हम कल से तयारी शुरू करेंगे
नीनू- पर आज से क्यों नहीं
मैं- आज मुझे कुछ जरुरी काम निपटाने है पर कल से पक्का
नीनू मुस्कुराई और अपनी सहेलियों के पास चली गयी मैं अपने पीरियड के लिए बढ़ गया
जब मैं घर आया तो घर पर कोई नहीं था लाइट आ रही थी तो मैंने मोके का फ़ायदा उठाने की सोची और डीवीडी पर बी अफ लगा कर देखने लगा वैसे मुझे ऐसा मोका कभी कभी ही मिलता था मेरे कमरे में ब्लैक एंड वाइट टीवी था और हमारी बैठक में कलर वाला था तो मैंने सोचा की आज रंगीन पर ही देखता हु तो मैंने सब सेटिंग की और अपनी आँखे सेकने लगा धीरे धीरे मुझ पर गर्मी छाने लगी अब घर पर कोई नहीं तो मैं ही राजा था
ऊपर से टीवी पर चलता गरमा गरम सीन मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया और मैंने भी बिना देर किये अपने कच्चे को निचे सरकाया और अपने लंड को हिलाने लगा मस्ती में डूबने लगा पर ये मस्ती जल्दी ही हवा हो गयी वो हुवा कुछ यु की मैं हमारा मेन दरवाजा बंद करना भूल गया था था और पता नहीं किस काम से बिमला आ गयी और उसने भी कोई आवाज नहीं की सीधा ही अन्दर आ गयी अब सिचुएशन ऐसी हुई की टीवी पर फिलम चल रही और मैं अपने हाथ मी लंड लिए खड़ा था
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला
वो सब दो मिनट की ही बात होगी बिमला की आँखे फटी की फटी रह गयी और मेरी गांड तो वैसे ही फतनी थी जल्दबाजी में मैं कुछ कर ही नहीं पाया उसको भी लगा की शायद वो गलत टाइम पर आ गयी है तो वो तो फ़ौरन ही रफू चक्कर हो गयी और रह गया मैं इस अजीबो गरीब हालत में तो जल्दी से कपड़ो को सही किया और फिर डीवीडी को हटाया दो तीन गिलास पानी पी चूका था पर सांसे अभी भी बहुत तेज चल रही थी बिमला के सामने तो अपना पोपट हो गया था कहा सोच रहा था की उस से हां करवा कर रहूँगा पर अपनी तो अब कोई इज़त ही न रही उसके सामने न जाने क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में
बाद में बता चला की पड़ोस में किसी के यहाँ ब्याह देने आये है तो सब घरवाले उधर ही गए थे मैंने सोचा ये सही है कई दिन हुए बारात नहीं गए इसी बहाने थोडा मजा आएगा रात हुई और अपन तो फिर पहुच गए अपनी दरी उठा कर चाट पर बिमला ने अपना फोल्डिंग आज बिलकुल मुंडेर की बाजु में ही लगाया था तो मैंने भी अपनी दरी बिलकुल पास में ही बिछा दी मुझे हर गुजरते दिन के साथ बिमला को पटाने की इच्छा बढती ही जा रही थी पर वो थी की बस हाथ आ ही नहीं रही थी वैसे इतनी सुन्दर भी नहीं थी वो पर उसके बदन में एक अलग ही मादकता थी जो मुझे बहुत तद्पाया करती थी
दिल करता था की बस उसको अपनी बहो में दबोच लू और उसकी मस्त गांड को बुरी तरह से मसल दू उसकी चूत मारने को बड़ा ही उतावला हुए जा रहा था मैं पर कैसे कैसे
पर वो कहते हैं न की उसके घर में देर है पर अंधेर नहीं तो अपने को भी एक मोका ऐसा ही मिल गया बिमला के ससुर करीब महीने भर बाद ही रिटायर होने वाले थे तो उनको वो एक महिना उसी सहर में ड्यूटी करनी थी जहा पर से वो भरती हुवे थे उनकी उम्र भी काफी थी बस कर रहे थे नोकरी किसी तरह से तो तय हुवा की बिमला की सास भी उनके साथ जाएगी अब बिमला का पति भी बहार कमाने गया हुवा था तो अब बिमला और बच्चो को कैसे अकेले छोड़ा जाये तो उन्होंने पिताजी से बात की और पिताजी ने बोल दिया मेरे बारे में की ये रात को आपके घर सो जाया करेगा और घर के काम भी करेगा तो आप लोग यहाँ की चिंता न करो और फिर बस महीने भर की ही तो बात है
पर उन्हें ये कहा पता था की इस एक महीने में मैं पूरी कोशिश करूँगा बिमला को पटाने की अगले दिन मैं और बिमला उसके सास ससुर को छोड़ने के लिए चंडीगढ़ चले गए बच्चो के कुछ टेस्ट वगैरा थे तो वो हमारे घर पर ही रह गए ताऊ जी को ऑफिस की तरफ से ही कमरा मिल गया था तो उसकी थोड़ी साफ़ सफाई की और सेटिंग कर दी रहने की , अब मैं पहली बार चंडीगढ़ आया था थो घूमना फिरना तो बनता ही था मैंने बिमला से कहा पर वो शायद अपनी सास से थोडा बच रही थी पर ताऊ जी ने खुद ही कह दिया की फिर कब आना होगा तुम देवर भाभी सिटी देख आओ
शाम को हम लोग निकल पड़े घुमने को बिमला हलके आसमानी रंग की साडी में कहर ढा रही थी थोडा बहुत घुमने फिरने के बाद हम लोग एक पार्क में जाके बैठ गए अँधेरा भी होने लगा था पार्क में कई जोड़े और भी मस्ती कर रहे थे अब बड़े सहर की बड़ी बाते गाँव की बिमला भाभी को हैरानी हो रही थी की कैसे खुलम खुला लोग एक दुसरे को चूमा छाती कैसे रहे है पर यहाँ तो ओपन ही था भाभी के गाल शर्म से लाल होने लगे थे पर उन्होंने एक बार भी यहाँ से चलने के लिए नहीं कहा
तो मोका देख कर मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और उनसे बाते करते हुवे बोला- भाभी आपने मेरी बात का अभी तक जवाब नहीं दिया है
बिमला- कोण सी बात का
मैं- वो ही दोस्ती वाली बात का
बिमला- अब कैसे समझाऊ मैं तुम्हे, नहीं हो सकता
मैं- पर क्यों भाभी मैं आपको विश्वास दिलाता हु की मेरी वजह से आपको कोई भी तकलीफ नहीं होगी आप मुझे सच में बहुत अच्छी लगती हो, जी करता हैं की बस आपको ही देखता रहूँ आपसे ही बाते करू और ...................
और क्या पूछा उन्होंने
और आपसे प्यार करना चाहता हूँ,
पर मुझमे ऐसा क्या देख लिया तुमने , अपनी उम्र की कोई लड़की देखो न तुम, मेरे पीछे क्यों पड़े हो मैं न तो गोरी चिट्टी हूँ , ऊपर से दो बच्चो की माँ तुम्हारा मेरा कोई मेल नहीं
मैं- भाभी, मैं कुछ नहीं जनता बस कह देता हु आपको मेरी दोस्ती कबूल करनी ही होगी
पार्क में एक जोड़ा एक ही कप से कुछ पी रहे थे बारी बारी से भाभी उन्हें ही देख रही थी मैं उनके हाथ को अपने हाथ से मसलने लगा अँधेरा हो रहा था तो उन्होंने कहा चलो बहुत देर हो गयी अब घर चलते है और हम वहा से निकल लिए.
मैंने ऑटो लेने को कहा पर उन्होंने कहा सिटी बस से ही चलते है, पर शाम का समय होने के कारण भीड़ बहुत ही ज्यादा थी जैसे तैसे करके चढ़ गए, अब सहर में कौन किसको सीट देता है तो हम खड़े हो गए, मैंने जान के बिमला को अपने आगे खड़ा कर लिया भीड़ से बचाने को या यूँ कह लो की तक़दीर में थोड़ी मस्ती करनी लिखी थी एक दो स्टॉप पर भीड़ और बढ़ गयी तो बिमला और मैं एक दुसरे से बिलकुल सत कर खड़े हुए थे
उसकी गांड का पूरा बोझ मेरे ऊपर आ रहा था अब लंड तो ठहरा गुस्ताख तो लगा शरारत करने और बिमला की गांड में फुल सेट हो गया बिमला बेचारी हिल भी नहीं सकती थी भीड़ जो इतनी थी तो बस चुप चाप खड़ी रही बस के हिचकोलो से उसके चुतड जब जब हिलते कसम से अपनी तो फुल मजे थे पर हमारा सफ़र जल्दी ही ख़तम हो गया था घर आने के बाद खाना-वना खाया और आई बारी सोने की पर समस्या ये हुई की वहा पर बस दो हो फोल्डिंग थी जिनपर ताऊ और ताई को सोना था तो मैंने और भाभी ने अपना बिस्तर हॉल गैलरी में निचे बिछा लिया
और सोने की तैयारी करने लगे, पर तभी लाइट चली गयी अँधेरा हो गया मैंने कहा मोमबती जला देता हूँ तो बिमला ने मना करते हुए कहा की क्या जरुरत हैं सोना ही तो हैं रहने दो और वो सो गयी पर मुझे कहा नींद आने वाली थी वो भी जब, जब वो मेरे पास ही सो रही हो ऊपर से मेरा खड़ा लंड जो न जाने आज क्या गुल खिलाने वाला था मैंने बहुत कण्ट्रोल किया पर ये साली जिस्म की आग जब लगती हैं तो फिर सब बेकार
मैं सरक कर बिमला के और पास हो गया और अपना हाथ उसकी छाती पर रख दिया अहिस्ता से ..........
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