Raj sharma stories चूतो का मेला compleet

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

मुझे कोई फरक नहीं पड़ता तुम्हारा जो भी मतलब था , और न ही उन लोगो की बातो से जो वो मेरे बारे में करते हैं आखिर कुछ चीजों को आप कितनी भी कोशिशि कर लो पर सही कर नहीं सकते और फिर किसी को क्या हैं मैं अपनी ज़िन्दगी को कैसे भी जिउ ये मेरी मर्जी हैं , उसने कहा
मैं- वो भी हैं पर सची में मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता था

वो थोडा सा मुस्कुराई , और बोली अच्छे लड़के हो तुम तहजीब हैं तुम्हारे अन्दर मेरी छोड़ो तुम बताओ कुछ क्या पता फिर कभी तुमसे कभी बाते करने का मोका मिले न मिले

मैं – ऐसा क्यों सोचती ही फिर कभी हम मिलेंगे तो बात तो करेंगे ही वैसे मेरे पास कुछ हैं नहीं तुम्हे बताने को बस कट रही हैं जैसे तैसे कर के

पिस्ता- मैंने तो सुना था की बड़े घरो के लड़के अक्सर ऐसे वैसे होते हैं पर तुम तो अलग हो

मैं- तुम्हे लगता हैं तो ऐसा ही होगा

प्यास लगी हैं थोडा पानी मिलेगा कहा उसने
हां, अभी लाता हूँ, गिलास भर कर दिया उसको पानी पीते समय थोडा सा पानी उसके सूट पर गिर गया तो मैंने कहा कोई रेल पकडनी हैं क्या आराम से पियो वो मुस्कुराई मेरी और देख के फिर खाली गिलास मुझे पकड़ा दिया

मैंने उसे भरा और फिर पीने लगा तो उसने कहा अरे मेरा झूठा क्यों पि रहे हो
मैं- ये झूठा सच्चा नहीं पता मुझे मुझे भी पानी पीना था तो पि लिया बस इतनी सी तो बात हैं
पिस्ता बस मुस्कुरा कर रह गयी
मैंने बातो का सिलसिला आगे बढ़ाते हूँए कहा- तुम रोज आती हो खेत में
पिस्ता- नहीं रे, बताया न तुम्हे, सब्जियों में पानी देना था इसलिए आई वैसे अगर तुम कहो तो रोज आ जाऊ इस बहाने तुम से बाते भी हो जाया करेंगी ,

मैंने मन में सोचा चलो यार ये मिल गयी तो टाइम पास हो जायेगा मेरा वो कर भी रही थी मजेदार बाते मैंने आगे बढ़ते हूँए कहा , वो क्या तुम सच में घर से भाग गयी थी
पिस्ता- ऐ वो मुझे न हीरोइन बन ने का शौक हो गया था तो उसी के लिए चली गयी थी काम न बना था तो वापिस आ गयी गाँव के लोगो ने बात फैला दी की भाग गयी फलाना फलाना

ये सुनते ही मुझे तेज हँसी आ गयी , मैं बोला- तुम तो गजब हो भला ऐसा कोई करता हैं क्या
अब मैं तो ऐसी ही हूँ जो करना हैं करना हैं दुनिया कौन हैं मुझे रोकने वाली मैं तो ऐसे ही बेतकल्लुफी ही जीती हूँ और जियूंगी पर तुम बहुत खोद खोद के पूछ रहे हो क्या इरादा हैं तुम्हारा

मेरा क्या इरादा होना हैं , बस ऐसे ही पूछ रहा था

मुझे लगा की तुम में मेरे लिए इंटरेस्ट जाग गया हैं कहा उसने

मैं हैरान रह गया , कितनी बिंदास लड़की थी यार ये, पर उसकी मुह पर बोलने वाली बात अच्छी लगी मुझे ,
हाँ मैं हूँ ही इतनी मस्ती की किसी का भी इंटरेस्ट जाग ही जाता हैं

मैं- नहीं , नहीं मेरा वो इरादा नहीं था

वो थोडा सा मेरे पास को सरकी, और कहा- तो फिर क्या इरादा था

मैं- वो मुझे नहीं पता पर अच्छा लग रहा हैं तुमसे बाते करना अब ये मत पूछना की क्यों , मेरे पास जवाब नहीं हैं

पिस्ता- अक्सर लोगो के पास जवाब नहीं होते हैं कुछ सवाल होते ही ऐसे हैं पर तुम पूछो जो पूछना है आज मेरा भी मूड अच्छा हैं

मैं- अब लाइट तो पता नहीं कब आएगी घर चली जाओ, यहाँ कब तक बैठी रहोगी कहो तो मैं चलूँ घर तक

पिस्ता- ओह हो की बात हैं, सीधा घर तक आने को कह रहे हो

मैं- तुम हर बात का ऐसे ही जवाब देती हो क्या

पिस्ता- क्या तुम्हे मैं यहाँ पर अच्छी नहीं लगती हू

मैं- मेरे अच्छे लगने न लगने से क्या होता हैं मैं सोच रहा था की शायद तुम्हे घर जाना चाहिए इस लिए बोला

पिस्ता- लाइट थोड़ी बहुत देर में आने वाली होंगी , पानी देना जरुरी हैं

मैं- तुम चाहो तो लेट जाओ थोड़ी देर मैं खेतो का एक चक्कर लगा कर आता हूँ और चल दिया पूरा चक्कर लगाने में करीब आधे घंटे से भी ज्यादा लग गया था मैं जब आया तो पिस्ता खाट पर बेसुध होकर सोयी पड़ी थी उसकी चुनरिया चेहरे से सरक गयी थी चाँद की दूधिया रौशनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी साँस लेने से उसके जिस्म में हलकी हलकी सी हरकत हो रही थी

मेरी नजर उसके चेहरे पर ठहर सी गयी थी लगा की इस से सुन्दर नजारा फिर नहीं दिखेगा मैं वही पास में एक पत्थर पर बैठ गया और एकटक उसके चेहरे को निहारने लगा बेसुध सी वो अपन सपनो की दुनिया में कही खोई हूँई थी दीन दुनिया से बेखबर लगा की जैसे उस चन्द्रमा के सारे नूर को पिस्ता ने अपने आप में समेट लिया हो उसके रूप का खुमार चढ़ने लगा मुझे पर और फिर मैं उसके चेहरे के ऊपर थोडा सा झुका और उसके गुलाबी गाल पर एक पप्पी ले ली

अलसाई ओस की बूंदों जैसे मुलायम गाल उसके उसकी सांसो की वो सोंधी सोंधी की महक जैसे मुझे अपने में घोल ही लिया था पर ये सब बस कुछ देर के लिए ही था उस गरम रात में वो ताज़ी हवा के झोंके की तरह आया था , पर ख़ुशी ज्यादा देर कहा टिकती थी वैसे भी अपने पास निगोड़ी तकदीर का खेल देखो उस बिजली को भी तभी आना था कुएँ का लट्टू बिना किसी बात के जल उठा रौशनी फ़ैल गयी दूर दूर तक पिस्ता की आँखे अचानक से खुल गयी और वो उठ बैठी अपने आँचल को सही किया उसने और बोली- बाप रे लाइट आ गयी मोटर चलानी हैं पानी देके मिलती हूँ और भाग चली अपने खेत की तरह हम रह गए उस रात की ख़ामोशी के साथ
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »


फिर ना जाने कब नींद आगई आँख खुली तो धुप सर पर पड़ रही थी बिस्तर को कुएँ पर बने कमरे में पटका और तेजीसे भगा घर ओर कॉलेज के लिए लेट हो गया था बिना नहाये ही पंहूँचा जैसे तैसे करके क्लास लग गयी थी पर मास्टर जी की दो डांट सुन ने के बाद बैठ गया थोड़ी देर बाद नीनू से आँखे चार हूँई पर बस आँखे ही मिल कर रह गयी आधी छुट्टी में पूछा उसने की कॉलेज क्यों नहीं आ रहे थे मैंने कहा – बहार गया हूआ था और एक दिन जान कर घर पर ही रुक गया था

नीनू- पर तुम्हारे चक्कर में मेरे मैथ का तो नुक्सान हो गया ना

मैं- वो क्यों भला
नीनू- तुमने कहा जो था की छुट्टी के बाद तुम पढ़ा दिया करोगे भूल गए क्या तुम
मैं- अरे हाँ , आज से करवा दूंगा तुम्हे और बताओ क्या चल रहा हैं
नीनू- अपना क्या चलना हैं वो ही इधर से घर घर से इधर तुम मजे में हो चंडीगढ़ घूम आये सुना बहुत हैं उधर के बारे में , तुम भी बताओ कुछ
मैं- हाँ, सहर तो जबरदस्त हैं, और वहा की रात की बात तो बहुत निराली हैं
नीनू- ऐसा क्या हैं
मैं- अरे बस वो न पूछो तुम वहा का रहन सहन गाँवो से तो बहुत ही अलग हैं किसी पर कोई पाबन्दी नहीं सब मस्त हैं अपने आप में, लड़के लडकिय ओपन में साथ घूमते हैं वहा की तो हर बात ही निराली हैं
नीनू- बड़े शहरों की बड़ी बाते , वैसे तुमने बस यही नोटिस किया की लड़के लडकिया साथ घूमते-फिरते हैं इसके आलावा कुछ

मैं- और भी बहुत कुछ था पर फिर कभी बताऊंगा अभी चलता हूँ और स्टूडेंट्स सोचेंगे इतनी देर से क्या बात चीत कर रहे है वो हंस पड़ी

कॉलेज के बाद करीब घंटा भर नीनू के मैथ ने ले लिया पर पता नहीं क्यों उसके साथ समय बिताना थोडा अच्छा सा लगा घर पंहूँचा , खाना खाया और सीधा बिमला के घर का रास्ता नाप लिया , वो अकेली ही थी सीधा उसको अपनी बाहों में घर लिया और उसके भरे भरे गालो को चूमने लगा तो वो बोली क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे पर मैं कहा मानने वाला था उसको कस लिया अपनी मजबूत बाँहों में और उसके अधरों का रस पीने लगा

बिमला- क्यों तंग कर रहे हो
मैं- और जो मुझ पर गुजर रही है उसका क्या भाभी
मैं क्या जानू बोली वो
अच्छा जी कहकर उसकी चूची को कस कर दबा दिया मैंने तो वो दर्द से बिलबिला उठी और अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर मसल दिया पर उसकी इस हरकत ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया मैंने तुरंत उसका ब्लाउस खोला और ब्रा को थोडा सा ऊपर करके उसकी चूची पर अपने होठ लगा दिए नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में भर गया तक़रीबन आधी चूची को मुह में ले लिया औ चूसने लगा थोड़ी देर बाद बिमला खुद मेरे सर को अपनी चूची पर दबाने लगी बहुत मजा आ रहा था मेरी पेंट की ज़िप खोल कर उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगी मेरे तन बदन में जैसे बिजलिया सी रेंगने लगी


काफ़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा और फिर अचानक से भाभी अपने घुटनों के बल बैठी और मेरे लंड को सीधे अपने मुह के अन्दर ले लिया मेरे को कसम से इतना मजा आया की बस पूछो ही मत मेरा आधा लंड उनके मुह में था उनके होटो ने जैसे लंड पर ताला सा लगा दिया था और उनकी गरम जीभ जो लंड के सुपाडे पर जो गोल गोल घूम रही थी मेरा तो हाल बुरा हो गया पूरा बदन मस्ती से भर गया और कांपने लगा था मेरे घुटने ऐसे हिल रहे थे की उनकी कटोरिया बस अब बाहर को गिरने ही वाली थी अपने आप मेरे हाथ भाभी के सर पर कसते चले गए
ohhhhhhhhhhhhh भाभी ये क्या गजब कर दिया आपने ओह भाभी ओह्ह्ह्ह आह्ह्हह्ह रुक जाओ न पर उन्होंने थोड़े से लंड को और मुह के अन्दर कर लिया और साथ ही साथ मेरी गोटियो को भी अपने हाथ से मसलने लगी थी मुझे अब दुगना मजा आने लगा था मेरी कमर अपने आप हिलने लगी थी जैसे उनका मुह ही चूत हो बिमला भी पुरे जोश से मेरे लंड को चूस रही थी मेरे साथ पहली बार ऐसा हो रहा था आँखे अपने आप बंद होती चली गयी मस्ती के मारे और फिर कुछ याद नहीं रहा , कुछ याद था तो की बस पूरा जिस्म किसी सूखे पत्ते की तरह कामपा और भाभी के मुह में लंड से निकलती धार गिरने लगी जिसे बिना किसी परेशानी के उन्होंने अपने गले में उतार लिया

मुट्ठी तो बहुत मारी थी पर आज जो मजा आया था उसके आगे तो सब फेल था , मैंने सोचा चूत मारूंगा तो कितना मजा आएगा , अपनी उखड ती सांसो को संभाला ही था की बिमला ने कहा अब तुम्हे भी ऐसे करना है और खड़ी हो कर अपनी साडी को कमर तक ऊपर को उठा लिया अन्दर से वो नंगी थी काली चूत मेरी आँखों के सामने लपलपा रही थी खीच रही थी मुझे अपनी और को , मैं अपना मुह उसकी तरफ ले गया एक बेहद ही अजीब सी खुशबू मेरी नाक में उतरती चली गयी भाभी ने कहा चलो चूसो इसको और अपनी जांघो को उन्होंने खोल दिया मैं टांगो के बीच आ गया और अपने होंठो को उस गरम चूत पर रख दिए

मेरी सांसो की गर्मी से भाभी का पूरा शरिर दहक उठा बिमला की चूत थर थारा गयी बिमला ने मेरे सर को अपनी चूत पर कस कर दबा दिया और दीवार से लग गयी मैंने अपनी जीभ को बाहर निकाला और ऊपर से नीचे तक पूरी चूत पर एकबार जो फेरा तो बिमला के जिस्म में गरम तंदूर भड़क गया मेरे सर के बालो में अपनी उंगलिया फिराने लगी वो उसके चुतड हौले हौले से हिलने लगे वो अपने दांतों से अपने होटो को काट रही थी मैंने हाथ से चूत की फांको को अलग अलग किया तो अन्दर से लाल लाल हिस्सा दिखने लगा उसकी चूत थोडा थोडा सा कांप रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी मैं लगातार चूत पर अपनी जीभ को ऊपर नीचे कर रहा था बिमला की चूत से चिपचिपा सा रस सा बहने लगा था जिसका स्वाद कुछ नमकीन कुछ खट्टा सा था


लम्बी लम्बी सांसे लेते हूँए बिमला मेरे सर को बार बार अपनी चूत पर रगड़ रही थी कमरे में उस वक़्त अगर कुछ था तो बस हमारी गरम सांसे जो आज और भी गरम होकर शोलो में बदल जाने वाली थी बिमला ने अपनी टांगो को थोडा और खोल लिया और मुझे बोली की जीभ को अन्दर डाल कर चूसो उसने अपने हाथो से चूत की पंखुडियो को खोला और मैंने एक बार फिर से अपने होटो को रस से भरी उस गरम चूत पर रख दिए उसका नमकीन रस की एक एक बूँद मेरे मुह में टपक रही थी कुछ देर में मुझे भी चूत का रस पीना आचा लगने लगा तो मैं भी जोश से भरके चूत के रस को निचोड़ने लगा बिमला की आँखे बंद हो गयी थी और उसकी कमर अब हिलने लगी थी चूत के पानी से मेरा पूरा मुह गीला हो गया था

थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही चूत की चुसाई करता रहा और फिर बिमला ने मेरे से पर अपना पूरा दवाब दे दिया और काफी सारा चिपचिपा पानी मेरे मुह में भर गया दो- चार मिनट तक बिमला ने मेरे सर को अपनी योनी पर दबाये रखा और फिर वो अलग हो गयी हम दोनों एक दुसरे को देखने लगे और फिर मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके होटो को अपने मुह में भर लिया और चूमने लगा उसने अपने आप को मेरी बहो में सुपुर्द कर दिया और मेरा साथ देने लगी हमारे होठ एक दुसरे से मदहोशी भरी बाते कर रहे थे मैंने अपनी जीभ को उसके मुह में सरका दिया जिसे वो चूस रही थी मेरा लंड कब फिर से खड़ा हो गया था पता ही नहीं चला बस अब उसको चोदना था मुझे पर हाय रे किस्मत चूमा चाटी चल ही रही थी की

बिमला के बचे बाहर से आ गया और दरवाजा खोलने को आवाज देने लगे वो झट से मुझसे अलग हूँई और अपनी सलवार को सँभालते हूँए बाहर चाय गयी अब तो चुदाई हो नहीं सकती थी तो फिर मैं भी वहा से कट लिया और घुमने को चल दिया ,चूत बस मिलने ही वाली थी और बीच में अडंगा लग गया तो फिर दिमाग थोडा सा ख़राब हो गया था तो सोचा की थोड़ी नमकीन खा लू दुकान पर गया तो देखा की पिस्ता भी आई हूँई है सामान लेने को हमारी नजरे मिली वो मेरी और देख कर मुस्कुराई मैं भी मुस्कुरा दिया , दुकानदार अन्दर को सामान लाने गया हूँआ था पता नहीं मुझे क्या सूझा मैंने उस से पूछ लिया की क्या वो आज भी खेत में आएगी
पिस्ता-मेरे मन में तो नहीं है पर तुम कहो तो आज आ जाऊ, वैसे क्या जरुरत आन पड़ी तुम्हे मेरी हँसते हूँए पुचा उसने
मैं- वो क्या हैं न , की मुझे भी आज जाना होगा खेत पर तो अगर तुम भी आ रही हो तो बाते हो जाएँगी कल अच्छा लगा तुमसे बाते करके
पिस्ता-अच्छा, जी ऐसा तो कुछ कहा भी नहीं मैंने, फिर क्या अच्छा लग गया तुम्हे
मैं- पता नहीं पर कुछ तो अच्छा लगा मुझे तुम में, देख लो अगर टाइम हो तो आ जाना
पिस्ता- देखूंगी
उसने अपना सामान लिया और चली गयी मेरी नजरे उसे देखती रही , क्यों मिलना चाहता था मैं उस से, मेरा तो कोई लेना देना नहीं था उस से, जबकि उसके करैक्टर के बारे में भी पता था मुझे फिर क्यों मुझे उस से बाते करने का जी कर रहा था ये बात सोची मैंने पर कोई जवाब नहीं मिला मुझे घूम फिर कर जब मैं घर आया तो थोड़ी देर घरवालो से बात चीत करी और फिर मैंने चाचा से कहा की आप परेशां ना होना मैं खेत पर चला जाऊंगा मुझ से ऐसी जिम्मेदारी भरी बात सुन कर वो खुश हो गए और एक बीस का नोट निकल कर मुझे दिया मैं भी खुश वैसे तो रात को मुझे पूरा मोका मिलना था बिमला को छोड़ने का पर मेरा दिल मुझे पिस्ता की और ले जा रहा था तो मैंने दिल की सुनी और खाना खा कर अपना सामान उठाया और पहूँच गया खेत में

एक चक्कर उसके खेत पर भी काट दिया पर मोहतरमा का कोई अता पता नहीं था थोड़ी देर इंतज़ार किया फिर चारपाई पर लेट गया थोड़ी देर सोया सा था की किसी ने जगाया तो आँखों से जो चेहरा देखा वो पिस्ता का था , कब आई तुम पुछा मैंने, बस अभी अभी वो मेरे पास बैठते हूँए बोली , नींद भरी आँखों से जो सूरत देखि उसकी बड़ी ही मन मोहनी लगी वो मुझे अपना मुह धोया मैंने ताकि आलस दूर हो जाये
बड़ी देर लगायी आने में कहा मैंने
पिस्ता- टीवी देख रही थी तो बाद में ध्यान आया तुम्हारा सो बस आई ही हूँ , तुम्हे बड़ी जल्दी नींद आ गयी
मैं- हां आंख लग गयी थी
पिस्ता- कहो, क्यों बुलाया मुझे क्या बात करनी थी
मैं- सच कहू तो पता नहीं क्या कहना था तुमसे दुकान पर तुम्हे देखते ही दिल से मिलने की बात आई तो पुच लिया तुमसे , दिल कह रहा हैं बस तुम सामने बैठी रहो मैं तुम्हे देखता रहूँ

पिस्ता- ओह हो, मैं क्या ऐश्वर्या हूँ जो मुझे देखोगे मैं तो सोची पता नहीं क्या काम होगा फालतू में टाइम ख़राब किया जाती हूँ मैं और जाने को कड़ी हो गयी
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी और खीच लिया वो मेरी और खीचती आई,
छोड़ो मेरा हाथ- कहा उसने एक लड़की का हाथ पकड़ने का मतलब पता हैं तुम्हे
मैं- मतलब तो पता नहीं पर कुछ देर रुक जाओ न
पिस्ता अपनी नशीली आँखे मेरी आँखों से मिलते हूँवे – क्या करोगे मुझे रोक कर आग हूँ मैं दूर रहो कब जल गए पता भी नहीं चलेगा
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

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तुम आग हो तो मैं सर्द पानी की बारिश हूँ कहा मैंने
पिस्ता- अच्छा जी ये बात हैं ,
मैं- नहीं बात तो कुछ और हैं पर मैं कह नहीं पाउँगा
पिस्ता- अक्सर होटो तक आ गयी बात को कह देना चाहिए वर्ना दिल पर बोझ कुछ ज्यादा बढ़ जाता हैं
मैं- तुम्हे बड़ा पता हैं दिल की बातो का
पिस्ता- बस पता हैं , अब कमसेकम मेरी कलाई तो छोड़ दो दुखने लगी है कबसे पकडे हो इसको
मैं- पहले वादा करो को यही रुकोगी जाओगी नहीं
पिस्ता- रे बुद्धू, जाना होता तो आती ही क्यों मैं तो तुम्हे परख रही थी
मैं- तो क्या परखा तुमने
पिस्ता- वो सब जाने दो , और ये बताओ की क्यों करता हैं मुझे ऐसे ही देखने का मन
मैं- सच कहू तो वो कल की मुलाकात जो हूँई, थोड़ी बहुत देर जो हम लोग साथ बैठे थे मन में बस सा गया हैं, पूरा दिन और तुम्हारे जाने के बाद रात बस अगर मन में कोई ख्याल था तो बस तुम्हारा ही था , अब तुम कहोगी की तुम हो ही ऐसी की हर कोई हसरत करता हैं तुम्हारी पर मैं उन लोगो में से नहीं हूँ पर तुम न जाने क्यों मुझे औरो से थोड़ी अलग सी लगी शायद वो बात बस तुम्हारे अन्दर ही हैं

पिस्ता- अपनी आँखों को गोल गोल घुमाते हूँए , अच्छा जी लड़की पटाने का बड़ा निराला तरीका हैं तुम्हारा पर मैं ठहरी आजाद चिड़िया अपनी मर्ज़ी की मालिक हाथ नहीं आउंगी तुम्हारे
रात धीरे धीरे चढ़ रही थी चाँद का नूर बरसा पड़ा था चारो और पर आज गर्मी नहीं थी थोड़ी ठंडी हवा चल रही थी , दूर दूर तक अगर कुछ था तो बस चारो तरफ फैला हूँआ सन्नाटा पर मेरे दिल की रफ़्तार कुछ तेज सी हो गयी थी धड़कने बेकाबू सी मेरी पकड़ से भाग रही थी ऊपर से पिस्ता जैसी शोख लड़की मेरे साथ उस खुले आसमान के तले साथ थी तो पता नहीं क्यों बड़ा अच्छा लग रहा था, उसकी हर बात उसकी वो बेतकल्लुफी भा सी गयी थी मन को

अब कुछ बोलोगे भी तुम या बस ऐसे ही बैठे रहोगे कहा उसने
मैं- पिस्ता, इतनी बेफिक्र कैसे हो तुम
वो- फ़ालतू के इंसान हो तुम भी , कल मुझे मजा आया था तुमसे बाते करके पर आज पता नहीं क्यों कुछ बेचैन से लगते हो तुम कैसे कैसे सवाल पूछ रहे हो अगर में मन में कोई बात है तो कहो बे झिजक
मैं-चाय पिओगी
ये सुनते ही उसकी हंसी छुट गयी और वो हसने लगी उसने अपना पेट पकड़ा और काफ़ी देर तक हस्ती ही रही उसको इस तरह देख कर मुस्कुरा पड़ा मैं बिना किसी बात के ही, फिर हो रुकी और बोली इस टाइम मैंने कहा टाइम से क्या है तुम्हे पीनी हैं तो बताओ
वो- हां तुम बनाओगे तो जरुर पियूंगी वैसे भी मैंने आजतक किसी लड़के को चाय बनाते नहीं देखा हैं

हम बाते कर ही रहे थे की बल्ब बुझ गया बिजली चली गयी थी मैं कमरे में गया और लालटेन जलाई और स्टोव पर चाय चढ़ा दी पता नहीं कब वो चुलबुली लड़की दबे पाँव कमरे के अन्दर आ गयी उस पर नजर जो पड़ी तो पूछने लगा मैं अरे तुम यहाँ क्यों आ गयी बस दो मिनट में चाय बन रही हैं
वो- कोई बात नहीं मैं यही ठीक हूँ
दो कपो में चाय डाली और एक कप उसको पकडाया हम दरवाजे पर ही खड़े खड़े चाय की चुसकिया लेते हूँवे एक दुसरे को बड़ी गहरी नजर से देख रहे थे नजरे जैसे उलझ सी गयी थी एक दुसरे से पसीना कुछ ज्यादा ही आने लगा था मुझे

चाय मस्त बनायीं हैं तुमने कहा उसने
सर झुका कर उसका इस्तकबाल किया मैंने
लालटेन की मद्धम रौशनी में बड़ी प्यारी लग रही थी उसकी सूरत पता नहीं क्या हूँवा उसको अपने गले लगा लिया मैंने ५-7 मिनट उसको सीने से लगाये रखा मैंने पर जब कुछ ज्यादा ही देर हो गयी तो धक्का देकर परे को हो गयी वो
वो-क्या कर रहे हो
मैं- सॉरी , बस अपने आप हो गया
वो- कोई बात नहीं पर काबू रखो खुद पर
हम वापिस से चारपाई पर आ गए और बातो का सिलसिला शुरू हो गया
मैं- बताओ न कुछ अपने बारे में
वो- क्या बताऊ, खाली किताब हैं ज़िन्दगी मेरी हर पन्ना कोरा हैं बस इतनी सी बात हैं
मैं- अगर कोई खाली पन्नो को रंगना चाहे तो
वो- बड़ा महंगा है वो रंग उसका मोल न चूका पायेगा कोई
मैं- अनमोल चीज़ का कोई मोल नहीं पर रंग होते हैं महकने के लिए तो फिर तुम कोरी क्यों
वो- बातो में न उलझाओ तुम बस इतना समझ लो ऐसा कोई रंग अभी नहीं जिसमे मैं रंग जाऊ, ऐसा कोई फाग नहीं जो बरस जाए बरसात की तरह और भिगो दे मुझे इस कदर की फिर लाख कोशिश करू वो रंग छुटे ही ना

मैं- कहो तो रंग दू तुम्हे अपने रंग में
वो- बस मुस्कुरा पड़ी
आओ जरा थोडा आगे तक चलते हैं कहा मैंने और वो साथ साथ चल पड़ी , एक गोल चक्कर लिया और उसके खेत के परली तरफ तक पहूँच गए हवा जैसे रुक सी गयी थी वक़्त की गति जैसे थम सी गयी थी चांदनी रात का रंग आज इस तरफ से बरसने वाला था की फिर बस कभी वो उतरा ही नहीं, थोड़ी और चले हम फिर मेरे कदम रुक गए
उसने देखा मेरीओर
दोस्ती करोगी मुझसे पुछा मैंने
वो- मुझमे क्या देख लिया जो दोस्ती तक पहूँच गए कल को कहोगे प्यार हो गया हैं मैं दुनिया दरी खूब समझती हूँ थोड़े दिन ये नाटक चलेगा पर आखिर तुम्हारी मंजिल भी इस जिस्म पर आकर खड़ी हो जाएगी एक बार जो काम निकला फिर मन भरा और फिर सब ख़तम इतनी सी बात हैं तो दोस्ती को इसमें मत लाओ दोस्ती बहुत अलग चीज़ होती हैं

मैं – मैंने बस इतना कहा दोस्ती करोगी क्या जरा एक बार मेरी आँखों में देखो क्या दिखता हैं तुम्हे
वो- मुझे जो देखना था कल रात ही देख लिया था मैंने , वर्ना आज इस रात यु तुम्हारे साथ इधर न होती , पर देखो मेरे बारे में तुमने गाँव-बस्ती में बहुत सी बाते सुनी होंगी, लोगो ने नमक-मिर्च लगा कर किस्से गढ़े है अगर आज मैं तुम्हारी दोस्ती कबूल करती हूँ तो कल तुम्हारे ऊपर हैं की इस बात को तुम किस तरह लेते हो, ज़िन्दगी में कुछ बाते ऐसी होती हैं जो हम लोग चाह कर भी नहीं बदल सकते है, और ये जो तुम दोस्ती बोल रहे हो तुम मेरा साथ करोगे तो बात कभी न कभी खुलेगी हर किसी को पता चलेगा तब तुम क्या करोगे मैं जैसी हूँ वैसे ही रहूंगी दोस्ती का मतलब हैं एक दुसरे को समझना जानना देख लो मैं जैसी हूँ वैसे तुम्हे चलेगी तो ठीक हैं

मैं- देखो तुम्हे इन सब बातो का जवाब अपने आप मिल जायेगा आजतक कभी कोई दोस्त था नहीं मेरा पर तुमसे जो कल मुलाकात हूँई तुम अपना एक हिस्सा छोड़ गयी थी मेरे पास मैं कभी घुमा फिर करके बात नहीं करता अब तुम जानो
वो- ठीक हैं तो करलो दोस्ती पर इतना ही कहूँगी कभी मेरी आजमाइश न करना
मैं- एक बार गले तो लगालो
वो आई और मेरे सीने से लग गयी करार आ गया बेचैन दिल को उसकी पीठ पर अपने हाथो की पकड़ कस दी मैंने उसकी साँसे मेरे सीने से टकरा रही थी
अब छोड़ो भी मुझे कहा उसने
न जी ना कहा मैंने
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

पता नहीं क्यों पर दिल बहुत खुश हो गया था ना जाने कितनी देर से उसको अपनी बाहों में लिए खड़ा था मैं न वो कुछ बोल रही थी न मैं कुछ , बस वो खामोशिया ही थी जो हमारी सांसो की ताल को पहचान रही थी आज पहली बार किसी से यु दोस्ती की थी किसी ने कबूल किया था मुझे कुछ ऐसा लग रहा था की शब्द नहीं हैं बताने को पर जब बहुत देर हो गयी तो पिस्ता धीरे से मेरी बाहों से खिसक गयी और बोली- पूरी रात क्या खड़े खड़े गुजारनी हैं
मैं- दिल नहीं कर रहा तुमसे दूर होने को
वो- इतने पास भी ना आओ की फिर तकलीफ हो दूर जाने में
मैं- दूर किसलिए जाना हैं

पिस्ता- कभी न कभी तो जाना ही होगा
मैं- तब की तब देखेंगे
वो- अच्छा तो मैं चलती हूँ,
मैं- कहा
वो- नींद बहुत आ रही हैं जाने दो वैसे भी अब तो मुलाक़ात होती ही रहेगी
मैं- पर जो मेरी नींद उड़ गयी है उसका क्या
वो- जिसने नींद उड़ाई है उस से पूछो मुझे क्या पता
मैं- अच्छा जी , ज़ख्म देने वाला ही मरहम का पता दे रहा हैं
पिस्ता मुस्कुराते हूँए- बाते बड़ी अच्छी करते हो तुम
मैं- और तुम कितनी अच्छी हो बस मैं जनता हूँ
वो- अभी मत बोलो ये अभी टाइम लगेगा मुझे जानने में
मैं- तो फिर करती क्यों नहीं जान पहचान , रुक जाओ ना तुम चली जाओ गी तो फिर मेरा मन नहीं लगेगा
वो- इतने बेसब्रे न बनो, कही मेरा नशा चढ़ गया तो फिर मुश्किल होगी तुम्हे
मैं- नशे का इलाज करने को तुम हो न

पिस्ता ने अपने आँचल को सही किया और चल पड़ी घर की तरफ बिना कुछ कहे मुझे पता था अब नहीं रुकेगी ये बाकी की रात बस अब इसके बारे में सोचते ही कटेगी वो कुछ दूर गयी ही थी की मैंने पुछा फिर कब मिलोगी
वो- जिसको मिलना होता हैं वो पूछते नहीं मिल ही लिया करते हैं मैं कौन सा 90 कोस दूर हूँ घर का पता तुम्हे मालूम हैं जब जी करे आ जाना बाकि राहो में कही न कही टकरा ही जाना हैं , वैसे मैं सुबह ठीक 5 बजे मंदिर वाले नल पर जाती हूँ पानी भरने की लिए क्या पता तुम्हारी भी कोई दुआ कबूल हो जाये इतना कह कर बंदी चल पड़ी फिर न देखा मुद कर उसने

कुछ तो बात थी इस लड़की में जो इतना भा गयी थी मुझे उसकी वो बेतकल्लुफी भरी बाते बड़ी अच्छी लगती थी मुझे मेरा जी तो चाह रहा था की रोक लू उसको पर अभी नया नया नाता जोड़ा था तो जल्दबाजी भी ठीक नहीं थी कलाई घडी पर टाइम देखा और सो गया सुबह जल्दी जो उठाना था पर अपनी किस्मत भी आजकल कुछ ज्यादा ही आँख मिचोली खेलने लगी थी आँख खुली ही नहीं , जब नींद टूटी तो सूरज सर पर खड़ा था जल्दी से भगा उधर से और सीधा आकर बाथरूम में घुस गया तैयार होने के लिए पर आज तो साली क़यामत ही हो गयी ,

सोचा नहीं था की ये सब ऐसे अचानक हो जायेगा, दरअसल जल्दबाजी में मैंने ध्यान नहीं दिया दरवाजा थोडा सा खुला था तो मैं सीधा अन्दर घुस गया जबकि अन्दर चाची नाहा रही थी पानी की बूंदों स सरोबार उनके संगमरमरी जिस्म पर मेरी भूखी नजरे जो रुकी तो अपने आप को उस नज़ारे को निहारने से ना रोक सका गोर जिस्म पर बैंगनी ब्रा- पेंटी क्या खूब लग रही थी गीले होने के कारण बिलकुल बदन से चिपक गयी थी , उधर मेरे अचानक से अन्दर घुस जाने से चाची भी सकपका गयी थी हमारी हालत लगभग एक जैसे ही थी उन्होंने जल्दी से अपने बदन पर एक तौलिया लपेटा जो बस नाम मात्र से ही उनके जिस्म को ढक पाया था


माफ़ करना चाची पता नहीं था आप हो मैं भगा वहा से पीछे से वो गालिया बकती रही पर उनको इस तरह से देख कर मजा बहुत आया लंड में तो जैसे तूफ़ान आ गया था पर कॉलेज जाना था तो बस पंहूँचा उधर दरवाजे पर ही नीनू के दर्शन हो गए वो भी बस आई ही थी दुआ सलाम के बाद उसने पुचा आजकल बहुत भागे भागे से लगते हो क्या चक्कर हैं
मैं- कुछ नहीं बस ऐसे ही
वो- थोडा ध्यान हम पर भी दो
मैं- हा हा और अन्दर चल दिया
जैसे तैसे करके टाइम बीता पर फिर नीनू को मैथ का चैप्टर करवाना था तो उसमे लग गए स्कूल तीन बजे छूटता था पर 5 कब बज गए पता ही नहीं चला मैंने कहा आज तो देर हो जाएगी तुम्हे वो बोली कोई बात नहीं मैं चली जाउंगी, तभी उसने अपने बैग से एक टिफिन निकला और मुझे दे दिया
क्या हैं इसमें पुछा मैंने
वो-खोल कर देख लो
मैंने टिफ़िन खोला तो उसने ४-५ लड्डू थे
तुम्हारे लिए हैं कहा उसने
शुक्रिया मैंने कहा , पर किस ख़ुशी में
नीनू- मेरे भाई की डेल्ही पुलिस में नोकरी लग गयी हैं तो कल इसी ख़ुशी में बांटे थे थोड़े तुम्हारे लिए भी ले आई
मैं लड्डू खाते हूँवे- बधाई हो तुम्हे , पर टिफिन तुम्हे कल ही वापिस मिलेगा क्योंकि इतने लड्डू अभी के अबी तो खा नहीं पाउँगा
नीनू हँसते हूँए- हा बाबा, हां ले जाओ और जब जी करे तब वापिस कर देना

शाम तो हो ही गयी थी मैंने सोचा की इसको इसके घर के पास तक छोड़ आता हूँ, वैसे भी कच्चे सुनसान रस्ते से जाती है तो उसके मन करने के बाद भी मैं उसके साथ हो ही लिया साइकिल चलते हूँए बार बार जब वो घंटी बजाती थी तो मुझे बहुत प्यारी लगती उसकी वो हरकत जब उसका घर थोडा पास रह गया तो मैंने कहा अब तुम जाओ मैं वापिस चला वो तो बोल रही थी की चाय पानी पी कर ही जाना पर मैंने कहा फिर कभी और मोड़ दी अपनी साइकिल गाँव की ओर तभी याद आया की आज तो क्रिकेट मैच होना था तो मैंने शॉर्टकट लिया नहर की तरफ और पास वाले जंगल के परली तरफ से होते हूँए ग्राउंड की तरफ चल दिया

नीनू के चक्कर में मैच की बात तो ध्यान से ही निकल गयी थी तेजी से पैडल मारते हूँए मैं चले जा रहा था और फिर जैसे ही जंगल को ख़तम करके मेन सड़क पर आया मेरे साइकिल वाही पर रुक गयी ..
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

मुझे मेरी आँखों पर यकीन नहीं हुआ पर सामने तो वो ही थी , तुम यहाँ क्या कर रही हो पूछा मैंने
पिस्ता- क्यों, जंगल क्या मोल ले लिया हैं तुमने जो मैं यहाँ पर नहीं आ सकती बताओ कौन सा गुनाह कर दिया तुम्हारी इस मिलकियत में आ कर
मैं- अरे वो बात नहीं है, ऐसे ही चौंक गया तुम्हे इधर देख कर
वो- दरअसल माँ के साथ लकडिया काटने आई थी एक जोड़ी तो माँ लेकर चली गयी मैं भी बस जा ही रही थी की तुम आ धमके वैसे इस समय तुम किधर से आ रहे हो
मैंने सोचा नीनू का जिक्र करना ठीक नहीं होगा तो झूठ बोलते हूँए कह दिया की बस ऐसे ही तफरी मार रहा था जंगल का शांत वातावरण अच्छा लगता है इधर को आ जाया करता हूँ ,
वो- चलो ठीक ही हुआ तुम मिल गए एक काम करो इन लकडियो को अपनी साइकिल पर लाद लो वर्ना इनका बोझ मुझे धोना पड़ता
मैं- अरे ये भी कोई कहने की बात हैं अभी लो और लाद ली लकडिया
मैं- आज रात को खेत में आओगी क्या
वो- क्यों, मेरा कोई घर बार नहीं हैं क्या जो रातो को भटकती फिरू तुम्हे मिलना हैं तो तुम आओ
मैं- खेत के सिवाय कहा मिल सकते है तुम्हे बता दो
वो- देखो मिल तो अब भी रहे हैं ना , थोड़ी देर इधर ही रुक जाते है करलो तुम्हे जो बाते करनी हैं
मैं- पर यार रात को जब तक तेरा चेहरा न देखूंगा तो नींद नहीं आएगी
वो- तो मैं क्या तुम्हारे लिए नींद की गोली लेकर आउंगी और हसने लगी
मैं- अब आदत हो गयी हैं तुम्हारी
वो- चार दिन हूँए न हमे मिले आदत भी हो गयी वैसे मेरा भी मन तो है तुमसे मिलने का बाते करने का पता नहीं क्यों तुमसे बात करना सुकून सा देता है मुझे पर क्या है न की मैं ठहरी लड़की ऊपर से करेक्टर ढीला अगर आज खेत में आई तो माँ शक कर लेगी फिर बिन बात का कलेश होगा घर में तो मेरी भी मज़बूरी हैं

मैं- तो फिर ठीक हैं सह लेंगे तुम्हारी जुदाई किसी तरह से हम
वो- तुम यार हो चीज़ कमाल के दो दिन से ही तो मिली हूँ तुमसे पर लगता है की बरसो की पहचान हैं अब तुम परेशान हो तो फिर मैं भी परेशान करना पड़ेगा कुछ न कुछ क्या तुम मेरे घर आ सकते हो रात में
मैं- पागल है क्या किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी
वो- कल तो बड़ी बड़ी बात कर रहे थे की दोस्ती की लिए कुछ भी कर दूंगा आज ही घबरा गए तो फिर क्या दोस्ती निभाओगे
मैंने उसकी साइकिल रोकी और उसकी कमर में हाथ डालकर उसको अपने आगोश में भर लिया और उसकी कजरारी आँखों में आँखे डालते हूँए कहा पता नहीं कैसा जादू सा कर दिया है तूने मुझ पर देखा तो पहले भी था तुझे इन राहो में पर हाथ रख मेरे दिल पर और महसूस कर इन दोड़ती धडकनों को बस आरज़ू लिए हैं तेरे दीदार की, तू जो हैं न अब तू नहीं हैं तू बस मैं हूँ तेरी महकती साँसों की लत सी हो गयी हैं मुझे काश मैं शब्दों में ढाल पाता की मेरी साँसों की सरगम तुझसे क्या कहना चाहती हैं हाथ जो थामा हैं तेरा अब जुदा न हो पाउँगा तुझसे

उसके बाद फिर हमारी कुछ बाते ना हूँई आँखों ने आँखों को अपनी भाषा में जो कहा बात दिल तक पहूँच ही गयी थी
उसने भी मेरी बाहों से निकलने की कोई कोशिश नहीं की न उसको किसी का डर था न मुझे किसी का डर हाथ जो थाम लिया था उसका अब जो हो देखा जाये,
वो- अब छोड़ो भी मुझे कब तक ऐसे ही बाँहों में भरे रहोगे
मैं- तुम कहो तो उम्र भर
वो- पर अभी तो छोड़ दो देर हो रही हैं घर पर ढेर सारा काम पड़ा हैं तो फिर कुछ खट्टी-मिट्ठी बाते करते हूँए हम लोग घर आ गए उसके घर के बाहर लकडिया रखवाई मैं वापिस मुदा ही था की उसने कहा सुनो मैं ऊपर चोबारे में सोती हूँ , दूसरी तरफ गली में सीढ़ी लगा दूंगी इंतज़ार करुँगी तुम्हारा आ जाना याद से वर्ना मुझे भी नींद नहीं आएगी

ये बोलकर जो तिरछी निगाहों से देखा जो उसने कसम से दिल साला टुकड़े टुकड़े हो गया मैंने कहा 11 बजे तक पक्का आ जाऊंगा
घर गया तो तगड़ी वाली क्लास लगी आज पूरा दिन से लापता था घर का कोई काम किया नहीं था तो काफ़ी देर तक बस ताने ही सुनता रहा पर अपना ये रोज का काम था तो कोई दिक्कत नहीं थी हाथ मुह धोकर थोड़ी देर किताबो पर नजर मारी फिर खाना- वाना खा लिया था प्लान ये था की खेत पर जाऊँगा और फिर उधर से ही पिस्ता के घर आज से पहले कभी ऐसी गुस्ताखी की नहीं थी तो दिल थोडा घबरा भी रहा था पर जाना था तो जाना ही था

बातो बातो में नो बज गए थे मैंने करी तैयारी घर से निकल ही रहा था की चाची ने टोक दिया बोली कहा जा रहे हो,
मैं- जी खेत में सोने जा रहा हूँ,
चाची- उसकी जरुरत नहीं हैं, तुम्हारे चाचा चले गए है, बोल रहे थे की तुम बस पढाई पर ध्यान दो
उनकी ये बात सुनकर मेरे तो हुआ हाल बुरा , कहा तो प्लान था की दोस्त से मिलके बाते करेंगे कुछ अपनी कहूँगा कुछ उसकी सुनूंगा पर अब करू तो क्या अब पड़े न चैन मुझे मेरा करार तो पिस्ता ले गयी , पर वादा तो वादा करीब 11 बजे घर कमरे से निकला मैं लाइट बंद घर अँधेरे में डूबा सब लोग सोये पड़े थे आहिस्ता से मेन गेट को खोला सुनसान गली में फैला सन्नाटा थोडा डर भी लग रहा था पर अब तो जाना ही था घर से निकल कर चोरी छिपे चल पड़ा उसके घर की तरफ दो गालिया पार की और पहूँच गया उसके घर की पिछली साइड में बस अब थोड़ी देर और फिर उसको भर लेना था अपनी बाहों में .
दिल में हजार अरमान लिए मैं पहूँच गया पिछली गली में पर जाकर देखा तो सारे अरमानो पर पानी फिर गया गली में सीढ़ी थी ही नहीं अब हूँई जान को मुश्किल करे तो क्या करे आवाज दे सकता नहीं काफ़ी देर हो गयी इंतज़ार करते करते ऊपर से ये डर की कोई पेशाब करने या किसी और काम से घर से बाहर आ न निकले पकडे गए तो फिर आई जान गले में पर करू भी तो क्या करू फिर सोचा की मिलना तो हैं ही अब जो हो देखा जाये पर जाया कैसे जाए ऊपर तक थोडा घूम फिर कर देखा तो पास में टेलीफोन की लाइन का खम्बा था अगर उस पर चढ़ सकू तो काम बन जाये तो किसी तरह से मेहनत करके पिस्ता की दीवार पर चढ़ ही गया उसने बताया था की चोबारे में मिलेगी तो दबे पांव पहूँच गया

दरवाजा खुला हुआ ही था बत्ती बंद बस पंखे की ही आवाज आ रही थी मतबल की सो रही थी थोडा गुस्सा भी आया की इसके लिए इतने पापड़ बेल कर यहाँ तक आया ये सो रही हैं मैंने दीवार पर बल्ब का स्विच तलाशा और लट्टू जलाया पड़ी जो नजर यार पर दिल को करार आया दीन दुनिया से बेखबर नींद की बाँहों में पड़ी थी वो आहिस्ता से जगाया उसे हडबडाते हूँए उठी और पूछा कब आये और कैसे आये मैंने कहा तुम्हारी सीढ़ी तो मिली नहीं तो खम्बा चढ़ कर ही आया हूँ , जम्हाई लेते हूँए वो बोली पता नहीं कैसे नींद लग गयी उसने चोबारे का दरवाजा बंद किया कुण्डी लगायी और आ गयी पास मेरे उसके गुलाबी गाल और भी गुलाबी हो गए थे मंद मंद मुस्कुराते हूँवे कहा उसने यकीन नहीं होता तुम यहाँ पर
मैं- अब तुमने बुलाया तो आना ही था
वो- अच्छा किया बड़ी याद आ रही थी तुम्हारी सच कहू तो सपना भी तुम्हारा ही आ रहा था
मैं- अच्छा जी
मैं- उसका हाथ अपने सीने पर रखते हूँए, देख यार मेरी धडकनों को कितना तेज भाग रही हैं
वो- और जो मेरे चैन को चुरा लिया हैं तुमने उसका क्या
मैंने उसको अपनी और खीच लिया वो मेरी गोदी में सर रख कर लेट गयी चुन्नी सरक गयी साइड में उसके उभारो का नजारा मेरी आँखों में नशा भर रहा था नजरे थम सी गयी थी मैंने अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया और सहलाने लगा उसके जिस्म में हरकत होने लगी क्या देख रहे हो पुछा उसने
मैं- तुम्हे
वो- इस तरह से न देखो मुझे
मैं- तो किस तरह से देखू तुम्हे
वो-खैर जाने दो ये बताओ की डर तो नहीं लगा तुम्हे
मैं- डर कैसा कोई चोरी थोड़ी न कर रहा हूँ
वो- चोरी ही तो है देखो चोरी छिपे तुम मुझसे मेरे घर मिलने आ गए हो
मैं अपने दुसरे हाथ से उसके बालो को सहलाते हूँए, तुम भी यार कैसी बाते लेकर बैठ गयी हो

वो- तुम्हे कैसी बाते पसंद हैं
मैं- मत पूछ हाल मेरे दिल का कर सकती है तो महसूस कर ले
वो- एक बात पूछु,
मैं- हां
वो- कभी किस किया है
मैं- किया तो नहीं पर तुम्हे कर लूँगा
वो हँसते हूँए, दीखते हो उतने शरीफ हो नहीं तुम
मैं- अब क्या दोस्त को किस्स नहीं कर सकता क्या
वो- कर तो सकते हो पर अभी मेरा मूड नहीं हैं
मैं- तो कब होगा तुम्हारा मूड
वो-मैं क्या जानू
वो मेरी आँखों में देखते हूँए बोली ना जाने क्यों बहुत अच्छा अच्छा सा लग रहा हैं, तुमसे दो दिन की दोस्ती लगती है जैसे की उम्र भर पुरानी हो, सच्ची कहती हूँ तुम्हारे जैसा ही एक दोस्त ढूंढ रही थी जिस से अपने दिल की बाते कर सकू,
मैं – मैं भी तुम्हे ही ढूंढ रहा था , जिस से दो चार बाते कर सकू तुम्हे पता हैं एक खालीपन सा हैं मेरे अन्दर उस दिन जब खेत में तुमसे बाते की तभी ना जाने क्यों मुझे लगा की तुम एक बेहतर दोस्त हो सकती हो
वो- पर मैं तो बदनाम हूँ, कभी सोचा हैं की मेरे जैसी लड़की के साथ तुम्हारा नाम जुड़ेगा तो .......
मैं- देख यार, तेरी अपनी ज़िन्दगी हैं जो तू करती है या किया हैं वो तू जाने, मैं क्या कर सकता हूँ तू रुकेगी तो अपनी मर्ज़ी से और इर कमिया तो सबमे होती है मुझे देख सबको लगता है इसकी लाइफ मजे में है सब सेट है पर हकीकत में घर में दो कोडी की भी औकात नहीं है मेरी जिसने जब चाहा सुना दिया कभी ये काम करो कभी वो काम करो , चलो काम तक तो ठीक है पर कोई नहीं समझता वहा मुझे बस रोटियों के टुकड़े डाल दिए और हो गया
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