बस उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ. बस हम दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई और धीरे धीरे एक हफ्ता बीत गया. मैं रिशू के साथ एक दो बार साइबर कैफ़े भी हो आया और रिशू के साथ अब मैं खुल कर सेक्स के बारे में बात करने लगा. उसकी सेक्स की नॉलेज सिर्फ बुक और फिल्म तक ही नहीं थी बल्कि उसकी बातो से लगता था की उसने कई बार प्रक्टिकल भी किया था पर किसके साथ ये उसने मुझे नहीं बताया.
कुछ दिनों बाद पापा दीदी के लिए घर में ही कंप्यूटर ले आये थे और मैं अक्सर उसपर गेम खेलता रहता था. मेरे पेपर हो गए थे और हम रिजल्ट का वेट कर रहे थे. गर्मी की छुट्टिया शुरू हो गयी थी. उस दिन भी मैं गेम खेल रहा था. फ्राइडे का दिन था. दीदी मेरे पास आकर बोली चलो कंप्यूटर बंद करो और मेरे साथ बैंक चलो.
क्यों दीदी क्या हुआ.
अरे मुझे एक फॉर्म के साथ ड्राफ्ट भी लगाना है जल्दी से तैयार हो जा.
जब मैं तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो दीदी ने भी ड्रेस चेंज करके एक ग्रीन कलर का कुरता और ब्लैक चूडीदार पहन लिया था और अपने रेशमी बालों की एक लम्बी पोनी बनी हुई थी.
जल्दी कर मोनू बैंक बंद होने वाला होगा. आज मेरे को ड्राफ्ट बनवाना ही है. कल फॉर्म भरने की लास्ट डेट है बोलते बोलते दीदी सैंडल पहनने के लिए झुकी तो उनके कुरते के अन्दर कैद वो गोरे गोरे उभार मुझे नज़र आ गए. मेरा दिल फिर से डोल गया और हम बैंक की तरफ चल पड़े.
मैंने मेह्सूस किया की लगभग हर उम्र का आदमी दीदी को हवस भरी नज़रो से घूर रहा था. पर दीदी उनपर ध्यान न देते हुए चलती जा रही थी. मुझे अपने ऊपर बड़ा फक्र हुआ की मैं इतनी खूबसूरत लड़की के साथ चल रहा था भले ही वो मेरी बहन ही.हम १५ मिनट में बैंक पहुँच गए पर उस दिन बैंक में बहुत भीड़ थी. ड्राफ्ट वाली लाइन एक दम कोने में थी और उसके आस पास कोई और लाइन नहीं थी. शुक्र था की वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.
मोनू तू यहाँ बैठ जा और ये पेपर पकड़ ले मैं लाइन में लगती हूँ दीदी बैग से कुछ पेपर निकलते हुए बोली.
मैं वही साइड पर रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कोने में जाकर लाइन में लग गयी. मैं बैठा देख रहा था की बैंक की ईमारत की हालत खस्ता थी. एक बड़ा हाल जिसमे हम लोग बैठे थे. और बाकि तीन तरफ कुछ कमरे बने थे. कुछ खुले थे कुछ में ताला लगा था. जिस जगह मैं बैठा था उसके पीछे के कमरे में तो सिर्फ टूटा फर्निचर ही भरा था.
खैर ये तो उस समय के हर सरकारी बैंक का हाल था. जहाँ दीदी खड़ी थी उस जगह तो tubelight भी नहीं जल रही थी, अँधेरा सा था. दीदी मेरी तरफ देख रहीं थी और मुझसे नज़र मिलने पर उन्होंने एक हलकी सी तिरछी स्माइल दी जैसे कह रही हो ये कहा फंस गए हम.
तभी दीदी के पीछे एक आदमी और लाइन में लग गया जिसकी उम्र करीब ३५ साल होगी. वो गुटका खा रहा था. उसने एक दम पुराने घिसे हुए से कपडे पहने थे. एक दम काले तवे जैसा उसका रंग था. गर्मी भी काफी हो रही थी.
कितनी भीड़ है बहेंनचोद... उसने गुटका थूकते हुए कहा.
तभी उसका फ़ोन बजा मैं तो अचम्भे में पड़ गया की ऐसे आदमी के पास मोबाइल फ़ोन कैसे आ गया. उस वक़्त मोबाइल रखना एक बहुत बड़ी बात थी वो भी हमारे छोटे से शहर में.
फ़ोन उठाते ही वो सामने वाले को गलिया देने लगा. बहन के लौड़े तेरी माँ चोद दूंगा वगेरह. दीदी भी ये सब सुन रही थी पर क्या कर सकती थी. उस आदमी को भी कोई शर्म नहीं थी की सामने लड़की है वो और भी गलिया दिए जा रहा था. मुझे गुस्सा आ रहा था पर तभी उसने फ़ोन काट दिया.
५ मिनट के बाद मैंने देखा तो मुझे लगा की जैसे वो आदमी दीदी से चिपक के खड़ा है. उसका और दीदी का कद बराबर था और उसने अपनी पेंट का उभरा हुआ हिस्सा ठीक दीदी के चूतरों पर लगा रखा था. मेरी तो दिल की धड़कन ही रुकने लगी. वो आदमी दीदी की शकल को घूर रहा था और दीदी के कुरते से उनकी पीठ कुछ ज्यादा ही नज़र आ रही थी. मुझे लगा वो अपनी सांसे दीदी की खुली पीठ पर छोड़ रहा था.
दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा जिससे दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा और दीदी थोडा आगे हुई तो मैंने देखा उस आदमी के पेंट में टेंट बना हुआ था उसने अपने हाथ से अपना लंड एडजस्ट किया, इधर उधर देखा और फिर से आगे बढकर दीदी से चिपक गया. अब उसकी पेंट का विशाल उभार उनके उभरे हुए चूतड़ो के बीच में कहीं खो गया. दीदी का चेहरा लाल हो गया था जिससे पता चल रहा था की दीदी के साथ जो वो आदमी कर रहा था उसको वो अच्छे से महसूस कर रही थी. एक बार को मेरा मन हुआ की जाकर उस आदमी को चांटा मार दूं पर पता नहीं क्यों मैं वही बैठा रहा और चुपचाप देखता रहा.
दीदी की तरफ से कोई विरोध न होते देख कर उस आदमी का हौसला बढ़ रहा था और वो दीदी से और ज्यादा चिपक गया और उनके बालों में अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा. अब दीदी काफी परेशान सी दिख रही थी. दीदी की चोटी उस आदमी के बदन से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत बहन के साथ उस गंदे आदमी को चिपके हुए देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. तभी उस आदमी ने अपना निचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के अन्दर से दीदी के उभरे हुए चूतरों पर रगड़ खाने लगा. ये हरकतें करते हुए वो आदमी दीदी के चेहरे के बदलते हुए हाव भाव देखने लगा.
उस जगह अँधेरा होने का वो आदमी अब पूरा फायदा उठा रहा था वैसे भी इतनी सुन्दर जवानी से भरपूर लड़की उसकी किस्मत में कहाँ थी. दीदी न जाने क्यों उसे रोक नहीं रही थी और बीच बीच में मुझे भी देख रही थी की कहीं मैं तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने एक अख़बार उठा लिया था और उसको पढने के बहाने कनखियों से दीदी को देख रहा था. जब दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा तो वो थोड़ी रिलैक्स लगने लगी.
वो आदमी लगभग १० मिनट से दीदी के कपड़ो के ऊपर से ही खड़े खड़े अपना लंड अन्दर बहार कर रहा था. तभी मुझे लगा उस आदमी ने दीदी के कान में कुछ बोला जिसका दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर उस आदमी ने अपना दीवार की तरफ वाला हाथ उठा कर शायद दीदी की चूंची को साइड दबा दिया और दीदी की ऑंखें ५ सेकंड के लिए बंद हो गयी और उनके दान्त उनके रसीले होंठो को काटने लगे.
मुझे ठीक से समझ नहीं आया पर शायद वो आदमी हवस के नशे में दीदी की चूंची को ज्यादा ही जोर से दबा गया था.
पाप पुण्य complete
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Re: पाप पुण्य
जब तक दीदी का नंबर आ गया था तो काउंटर पर बैठा आदमी बोला मैडम लंच टाइम है. दीदी ने कहा मैं बहुत देर से लाइन में लगी हूँ. उसने कहा वैसे तो अब काउंटर बंद होने का टाइम है पर १० मिनट वेट कीजिये, मैं खाना खाकर आता हूँ और वो विंडो बंद करके चला गया अब लाइन में केवल दीदी और वो गन्दा आदमी ही बचे थे. तभी उसने दीदी के कान में फिर से कुछ कहा और दीदी ने झिझकते हुए अपनी टांगो को थोडा खोल दिया. अब वो थोड़ी तेज़ी से दीदी के उभरे हुए चूतरों को ठोकने लगा. हवस का ऐसा नज़ारा देख कर मैं पागल हो गया की दीदी उसको सपोर्ट कर रही थी और उनको इस बात का भी डर नहीं था की अगर बैंक में कोई उनको ऐसे देख लेता तो कितनी बदनामी होती. मैं और देखना चाहता था की वो आदमी अब क्या करेगा.
तभी उसने दीदी से फिर कुछ कहा इस बार दीदी ने भी उसको कुछ जवाब दिया तो वो कुछ पीछे होकर खड़ा हो गया और दीदी ने मुझे आवाज़ लगाई मोनू जरा इधर तो आ. मैं उधर गया और अंजान बनकर दीदी से बोला क्या हुआ दीदी.
सुन यहाँ तो खाने का टाइम हो गया है अगर मैं हटी तो कोई और लाइन में लग जायेगा तो मैं यही लाइन में हूँ तू तब तक जाकर १० रेवेनु स्टाम्प ले आ. पापा ने मंगवाए थे और उन्होंने मुझे २० रुपये दिए. जा जल्दी से ले आ. मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करता जाना तो पड़ेगा ही तो मैं पैसे लेकर जल्दी से पोस्ट ऑफिस की तरफ भगा. बाहर जाकर मैंने मुडकर देखा की वो आदमी फिर दीदी से कुछ कह रहा था. अब दीदी उसकी तरफ देख रही थी और उनका चेहरा अभी भी लाल था. मैं जल्दी से स्टाम्प लेने के लिए दौड़ने लगा और सोचने लगा की अब वो आदमी दीदी के साथ क्या कर रहा होगा. मेरी दीदी तो बहुत भोली है फिर दीदी ने मुझसे जाने के लिए क्यों कहा. क्या जो हो रहा था उसमे दीदी की मर्ज़ी थी. नहीं नहीं मेरी दीदी ऐसी लड़की नहीं है. वो शायद डर के कारण कुछ नहीं बोली थी. वो आदमी इसी का फायदा उठा रहा था. क्या अब वो रुक जायेगा. क्या दीदी उसको मना करेंगी. मैं येही सब सोच रहा था और स्टाम्प ले कर आने में मुझे 3० मिनट लग गए थे. मैं जल्दी से बैंक पहुच कर ड्राफ्ट की लाइन की तरफ बढ़ा पर वहां तो कोई भी नहीं था. और काउंटर बंद हो गया था.
बैंक में भीड़ भी नहीं थी ज्यादातर लोग चले गए थे. तभी मैंने देखा की वो टूटे फुर्निचर वाले रूम से वोही आदमी निकला और मैंने ध्यान से देखा की उसके पेंट की ज़िप खुली हुई थी. मुझे लगा दीदी शायद घर वापस चली गयी होंगी पर तभी उसी कमरे से दीदी भी अपने बाल ठीक करती हुई निकली.मेरी दिल की धड़कने एकदम से तेज़ हो गयी. दीदी उस कमरे में उस आदमी के साथ अकेले. जब वो खुले में इतना कुछ कर रहा था तो अकेले में क्या किया होगा? इस सवाल ने मेरे लंड में खून का दौरा बढ़ा दिया.
आप कहा चली गयी थी. मैं आपको ढूँढ रहा था. मैंने दीदी से कहा
दीदी हल्का सा घबरा गयी फिर मुस्कुरा कर बोली तू स्टाम्प ले आया.
हां ले आया और अपने ड्राफ्ट बनवा लिया.
नहीं यार वो क्लर्क बोला की आपका अकाउंट यहाँ होना चाहिए ड्राफ्ट बनाने के लिए दीदी बोली. दीदी का कुरता कई जगह से पसीने से तर बतर था मतलब दीदी उस कमरे में काफी देर रही थी .
दीदी मेरे सामने खड़ी थी मैंने ध्यान से देखा की उनके सूट पर बहुत झुर्रिया पड़ी हुई हैं खास करके उनकी छातियो पर पर जब हम घर से चले थे तो दीदी ने प्रेस किया हुआ कुरता पहना था, मैंने दीदी से सीधे पूँछ लिया की आप उस कमरे में क्या कर रही थी. दीदी मुस्करा कर बोली अरे उधर वाशरूम है न. पर मुझे लगता था ये काम उस गंदे आदमी के हाथों का है. मुझे अब बहुत जलन सी हो रही थी उस गंदे आदमी से और ऊपर से दीदी मुझसे झूट बोल रही थी मुझे लगा वो मेरे जाते ही काउंटर से हट कर उस टूटे फर्नीचर वाले अँधेरे कमरे में चली गयी थी तभी ड्राफ्ट नहीं बना.
मेरा ये सब सोच कर बुरा हाल था मेरा लंड भी बहुत अकड़ रहा था और मुझे बाथरूम जाना था. मैंने सोचा की मैं भी वाशरूम जाने को बोलता हूँ तो ये पता चल जायेगा की दीदी सच बोल रही है या नहीं. तो मैंने दीदी को वेट करने को बोला और उधर कमरे में चला गया. उस कमरे के एक कोने में लेडीज और दुसरे कोने में जेंट्स वाशरूम थे मतलब दीदी सच बोल रही थी और वो आदमी भी हो सकता है की बाथरूम से निकल कर आ रहा था जब मैंने उसे देखा. मैंने जल्दी से बाथरूम जाकर पेशाब की और बाहर आकर देखा की दीदी अभी भी अपना सूट ठीक कर रही थी.
मैं अब ध्यान से कमरे को देखने लगा टूटा पुराना फर्नीचर सीलन से भरा हुआ कमरा था ऊपर रोशनदान से हलकी रौशनी आ रही थी फर्श पर धुल की मोती परत जमी थी जिन पर लोगो के पैरो के निशान बने थे तब मैंने देखा की सब निशान तो बाथरूम की तरफ जा रहे हैं पर सिर्फ चार पैरों के निशान कमरे के दुसरे कोने की तरफ जा रहे थे जहाँ कुछ टेबल्स एक के ऊपर एक रखी थी और उनके पीछे जाकर वो पैरों के निशान आपस में ऐसे मिल रहे थे जैसे काफी खीचतान हुई हो. मैंने सोचा क्या ये दीदी और उस आदमी के निशान है. फिर मैं जल्दी से रूम से निकल आया.
फिर हम घर की तरफ चल पड़े. मैं यही सब सोच रहा था तो दीदी से थोडा पीछे हो गया. मैंने देखा की उनकी चोटी से भी काफी बाल बहार आ गए थे और उनकी गर्दन पर एक पिंक निशान भी था जैसे किसी ने काटा हो. रिशू के साथ वो सब गन्दी फिल्मे देखने से मेरे मन में गंदे ख्याल आने लगे की पक्का दीदी और उस आदमी के बीच कुछ हुआ है पर खड़े खड़े १५-२० मिनट में चुदाई तो नहीं हो सकती.
हमारे घर पहुँचने तक हममे कोई बात नहीं हुई. रात को भी मुझे नींद नहीं आ रही थी और रह रह कर बैंक की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थी और सबसे ज्यादा ये की दीदी ने उस आदमी को रोका क्यों नहीं. ये सब सोचते सोचते मैंने सामने सोती हुई दीदी को देखा और मेरा हाथ अपने खड़े हुए लंड पर चला गया. और मैं जोर जोर से अपना लंड हिलाने लगा और थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकल गया और मैं नींद के आगोश में डूब गया.
तभी उसने दीदी से फिर कुछ कहा इस बार दीदी ने भी उसको कुछ जवाब दिया तो वो कुछ पीछे होकर खड़ा हो गया और दीदी ने मुझे आवाज़ लगाई मोनू जरा इधर तो आ. मैं उधर गया और अंजान बनकर दीदी से बोला क्या हुआ दीदी.
सुन यहाँ तो खाने का टाइम हो गया है अगर मैं हटी तो कोई और लाइन में लग जायेगा तो मैं यही लाइन में हूँ तू तब तक जाकर १० रेवेनु स्टाम्प ले आ. पापा ने मंगवाए थे और उन्होंने मुझे २० रुपये दिए. जा जल्दी से ले आ. मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करता जाना तो पड़ेगा ही तो मैं पैसे लेकर जल्दी से पोस्ट ऑफिस की तरफ भगा. बाहर जाकर मैंने मुडकर देखा की वो आदमी फिर दीदी से कुछ कह रहा था. अब दीदी उसकी तरफ देख रही थी और उनका चेहरा अभी भी लाल था. मैं जल्दी से स्टाम्प लेने के लिए दौड़ने लगा और सोचने लगा की अब वो आदमी दीदी के साथ क्या कर रहा होगा. मेरी दीदी तो बहुत भोली है फिर दीदी ने मुझसे जाने के लिए क्यों कहा. क्या जो हो रहा था उसमे दीदी की मर्ज़ी थी. नहीं नहीं मेरी दीदी ऐसी लड़की नहीं है. वो शायद डर के कारण कुछ नहीं बोली थी. वो आदमी इसी का फायदा उठा रहा था. क्या अब वो रुक जायेगा. क्या दीदी उसको मना करेंगी. मैं येही सब सोच रहा था और स्टाम्प ले कर आने में मुझे 3० मिनट लग गए थे. मैं जल्दी से बैंक पहुच कर ड्राफ्ट की लाइन की तरफ बढ़ा पर वहां तो कोई भी नहीं था. और काउंटर बंद हो गया था.
बैंक में भीड़ भी नहीं थी ज्यादातर लोग चले गए थे. तभी मैंने देखा की वो टूटे फुर्निचर वाले रूम से वोही आदमी निकला और मैंने ध्यान से देखा की उसके पेंट की ज़िप खुली हुई थी. मुझे लगा दीदी शायद घर वापस चली गयी होंगी पर तभी उसी कमरे से दीदी भी अपने बाल ठीक करती हुई निकली.मेरी दिल की धड़कने एकदम से तेज़ हो गयी. दीदी उस कमरे में उस आदमी के साथ अकेले. जब वो खुले में इतना कुछ कर रहा था तो अकेले में क्या किया होगा? इस सवाल ने मेरे लंड में खून का दौरा बढ़ा दिया.
आप कहा चली गयी थी. मैं आपको ढूँढ रहा था. मैंने दीदी से कहा
दीदी हल्का सा घबरा गयी फिर मुस्कुरा कर बोली तू स्टाम्प ले आया.
हां ले आया और अपने ड्राफ्ट बनवा लिया.
नहीं यार वो क्लर्क बोला की आपका अकाउंट यहाँ होना चाहिए ड्राफ्ट बनाने के लिए दीदी बोली. दीदी का कुरता कई जगह से पसीने से तर बतर था मतलब दीदी उस कमरे में काफी देर रही थी .
दीदी मेरे सामने खड़ी थी मैंने ध्यान से देखा की उनके सूट पर बहुत झुर्रिया पड़ी हुई हैं खास करके उनकी छातियो पर पर जब हम घर से चले थे तो दीदी ने प्रेस किया हुआ कुरता पहना था, मैंने दीदी से सीधे पूँछ लिया की आप उस कमरे में क्या कर रही थी. दीदी मुस्करा कर बोली अरे उधर वाशरूम है न. पर मुझे लगता था ये काम उस गंदे आदमी के हाथों का है. मुझे अब बहुत जलन सी हो रही थी उस गंदे आदमी से और ऊपर से दीदी मुझसे झूट बोल रही थी मुझे लगा वो मेरे जाते ही काउंटर से हट कर उस टूटे फर्नीचर वाले अँधेरे कमरे में चली गयी थी तभी ड्राफ्ट नहीं बना.
मेरा ये सब सोच कर बुरा हाल था मेरा लंड भी बहुत अकड़ रहा था और मुझे बाथरूम जाना था. मैंने सोचा की मैं भी वाशरूम जाने को बोलता हूँ तो ये पता चल जायेगा की दीदी सच बोल रही है या नहीं. तो मैंने दीदी को वेट करने को बोला और उधर कमरे में चला गया. उस कमरे के एक कोने में लेडीज और दुसरे कोने में जेंट्स वाशरूम थे मतलब दीदी सच बोल रही थी और वो आदमी भी हो सकता है की बाथरूम से निकल कर आ रहा था जब मैंने उसे देखा. मैंने जल्दी से बाथरूम जाकर पेशाब की और बाहर आकर देखा की दीदी अभी भी अपना सूट ठीक कर रही थी.
मैं अब ध्यान से कमरे को देखने लगा टूटा पुराना फर्नीचर सीलन से भरा हुआ कमरा था ऊपर रोशनदान से हलकी रौशनी आ रही थी फर्श पर धुल की मोती परत जमी थी जिन पर लोगो के पैरो के निशान बने थे तब मैंने देखा की सब निशान तो बाथरूम की तरफ जा रहे हैं पर सिर्फ चार पैरों के निशान कमरे के दुसरे कोने की तरफ जा रहे थे जहाँ कुछ टेबल्स एक के ऊपर एक रखी थी और उनके पीछे जाकर वो पैरों के निशान आपस में ऐसे मिल रहे थे जैसे काफी खीचतान हुई हो. मैंने सोचा क्या ये दीदी और उस आदमी के निशान है. फिर मैं जल्दी से रूम से निकल आया.
फिर हम घर की तरफ चल पड़े. मैं यही सब सोच रहा था तो दीदी से थोडा पीछे हो गया. मैंने देखा की उनकी चोटी से भी काफी बाल बहार आ गए थे और उनकी गर्दन पर एक पिंक निशान भी था जैसे किसी ने काटा हो. रिशू के साथ वो सब गन्दी फिल्मे देखने से मेरे मन में गंदे ख्याल आने लगे की पक्का दीदी और उस आदमी के बीच कुछ हुआ है पर खड़े खड़े १५-२० मिनट में चुदाई तो नहीं हो सकती.
हमारे घर पहुँचने तक हममे कोई बात नहीं हुई. रात को भी मुझे नींद नहीं आ रही थी और रह रह कर बैंक की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थी और सबसे ज्यादा ये की दीदी ने उस आदमी को रोका क्यों नहीं. ये सब सोचते सोचते मैंने सामने सोती हुई दीदी को देखा और मेरा हाथ अपने खड़े हुए लंड पर चला गया. और मैं जोर जोर से अपना लंड हिलाने लगा और थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकल गया और मैं नींद के आगोश में डूब गया.
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Re: पाप पुण्य
अगले दिन शाम को मैं रिशू से कैफे में मिला और फिर से कुछ ब्लू फिल्म देखी और वहां से निकल कर मैं साथ के सरकारी टॉयलेट में घुस गया और पेशाब करने लगा तभी रिशू भी अन्दर घुस आया और बोला क्यों बे मुठ मार रहा है क्या और हँसते हुए मेरे बगल में खड़ा हो कर मूतने लगा.
आ आजा आह यलगार ... वो अपना मुह ऊपर करके बोला. तभी मेरी नज़र उसके लंड पर गयी. बाप रे कितना बड़ा लंड था उसका. मैं उसका साइज़ अपने से कम्पेयर करने लगा. हम दोनों के ही लंड खड़े थे अगर मेरा लंड ४.५ इंच का था तो उसका कम से कम ७.५ इंच का रहा होगा और मोटा भी ज्यादा था. मुझे लगा इसका बैठा हुआ लंड मेरे खड़े लंड के बराबर होगा. फिर मैंने सोचा की इसकी उम्र भी मुझसे ज्यादा है शायद इसीलिए.
तभी रिशू ने देखा की मैं उसके लंड को घूर रहा हूँ. क्यों कैसा लगा गांडू. वो मुझे छेड़ते हुए बोला. मुह में लेगा क्या. मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अपनी ज़िप बंद करके बाहर आ गया.
अबे बोल न बड़ा है न. साले इसी पर तो लडकिया मरती है. वो भी बाहर आते हुआ बोला. इंडिया में कामन साइज़ ५-६ इंच का होता है. मेरा स्पेशल साइज़ है समझा और हम घर की तरफ बढ़ गए.
हम थोड़ी दूर ही गए थे तभी मुझे लगा की कोई मुझे बुला रहा है. मैंने पीछे देखा की रश्मि दीदी मेरे तरफ आ रही थी. उन्होंने आज आसमानी रंग की जीन्स और पैरेट कलर का टॉप पहना हुआ था. हालाकी हमारे शहर में उस वक़्त लडकिया जीन्स बहुत कम पहनती थी पर हमारे घर पर ऐसी कोई रोक टोक नहीं थी.
क्या बात है साले तू तो छुपा रुस्तम निकला... पूरे शहर में नहीं मिलेगा ऐसा माल फसाया है बे. रिशू दीदी को घूरते हुए बोला. मुझे बड़ा गुस्सा आया रिशू पर.
मैंने चिढ़ते हुए बोला वो मेरी बड़ी बहन है. फालतू बात मत करो.
तब तक दीदी हमारे पास आ चुकी थी. उनके बदन से deo की भीनी भीनी खुशबु आ रही थी.
कहा घूम रहा है और ये श्रीमान कौन है. दीदी रिशू की तरफ देखते हुए बोली.
मेरे कुछ कहने से पहले ही रिशू ने आगे होकर अपने हाथ बढ़ा दिया, जी मेरा नाम रिशू है मैं इसका दोस्त हूँ हम साथ ही पढ़ते है. दीदी ने भी अपना हाथ आगे करके रिशू से मिला लिया.
तब मैंने कहा ये कामिनी आंटी का बेटा है.
ok, very nice to meet you Rishu. तुमको तो कभी देखा ही नहीं. कभी अपनी मम्मी के साथ घर आयो न..
मैंने देखा रिशू की नज़रे सीधे दीदी की चूचियों पर गड़ी थी. टॉप दीदी के बदन पर एक दम फिट था और उसमे दीदी की गोलाईया बहुत आकर्षक लग रही थी. दीदी ने भी रिशू को अपने बदन का मुआएना करते हुए देख लिया और वो थोडा शर्मा गयी.
दीदी मैं तो घर ही जा रहा था. बस यहाँ रिशू से मिलने आया था. मैं बोला
अच्छा जल्दी से घर आ जाना. मुझे तुझसे कुछ काम है. दीदी बोली
आप फिकर मत करिए मैं खुद इसको घर छोड़ दूंगा. रिशू दीदी की आँखों में झांकता हुआ बोला और फिर से हाथ आगे बढ़ा दिया.
थैंक यू रिशू. दीदी ने उससे हाथ मिलते हुए कहा.
और हां दीदी अगर आपको मुझसे कोई काम हो तो जरूर बताइयेगा. ये कहते हुए रिशू ने दीदी का हाथ हलके से दबा दिया.
दीदी ने अपना हाथ छुड़ाया और जाने लगी. पीछे से रिशू उनके सुडोल और उभरे हुए चूतरो को देख रहा था और अपना लंड खुजा रहा था. ये देख कर मेरे मन में एक कसक सी उठी. न जाने क्यों.
फिर हम थोड़ी देर इधर उधर की बातें करते रहे और रिशू कहने लगा चल तुझे घर छोड़ आता हूँ. मैंने मना किया तो वो पीछे गया. बोला मैंने दीदी से प्रॉमिस किया है. दरअसल मैं जानता था की रिशू एक बिगड़ा हुआ आवारा लड़का है और मैं उसे अपना घर नहीं दिखाना चाहता था पर वो मुझे घर तक छोड़ ही गया. वो तो अन्दर भी आना चाहता था पर मैंने उसे बहाने से टरका दिया.
मैं घर में घुसा तो पापा ने कहा अरे तुझे रश्मि पूछ रही थी. पता नहीं क्या काम है. ऊपर रूम में गयी है जा देख.
मैंने ऊपर जा कर देखा तो दीदी बेड पर लेटी थी. मुझे देखते ही बोली आ गया तू. वो काम तो अभी रहने दे पहले मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है जरा तेल लाकर मालिश कर दे. और वो उठ कर नीचे फर्श पर बैठ गयी. और में तेल लाकर बेड के ऊपर बैठ गया दीदी मेरे दोनों पैरों के बीच में आ गयी. दीदी ने एक पुरानी टीशर्ट और लोअर पहना हुआ था. मैंने अपने हाथों में तेल लिया और उनके रेशमी बालो में हाथ डाल दिए और हलकी हलकी मालिश करने लगा. तभी मेरा ध्यान दीदी के टीशर्ट के अगले हिस्से पर गया जिससे मुझे दीदी की चूचिया साफ़ दिख रही थी. दीदी ने ब्रा नहीं पहना था. पहली बार मैंने इतने करीब से दीदी के चूचियो को देखा था. जैसे जैसे चम्पी करते करते दीदी का सर हिलता था वैसे ही उनकी चूचिया भी हिलती थी. इस सबसे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और दीदी से सर से टच करने लगा.
आ आजा आह यलगार ... वो अपना मुह ऊपर करके बोला. तभी मेरी नज़र उसके लंड पर गयी. बाप रे कितना बड़ा लंड था उसका. मैं उसका साइज़ अपने से कम्पेयर करने लगा. हम दोनों के ही लंड खड़े थे अगर मेरा लंड ४.५ इंच का था तो उसका कम से कम ७.५ इंच का रहा होगा और मोटा भी ज्यादा था. मुझे लगा इसका बैठा हुआ लंड मेरे खड़े लंड के बराबर होगा. फिर मैंने सोचा की इसकी उम्र भी मुझसे ज्यादा है शायद इसीलिए.
तभी रिशू ने देखा की मैं उसके लंड को घूर रहा हूँ. क्यों कैसा लगा गांडू. वो मुझे छेड़ते हुए बोला. मुह में लेगा क्या. मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अपनी ज़िप बंद करके बाहर आ गया.
अबे बोल न बड़ा है न. साले इसी पर तो लडकिया मरती है. वो भी बाहर आते हुआ बोला. इंडिया में कामन साइज़ ५-६ इंच का होता है. मेरा स्पेशल साइज़ है समझा और हम घर की तरफ बढ़ गए.
हम थोड़ी दूर ही गए थे तभी मुझे लगा की कोई मुझे बुला रहा है. मैंने पीछे देखा की रश्मि दीदी मेरे तरफ आ रही थी. उन्होंने आज आसमानी रंग की जीन्स और पैरेट कलर का टॉप पहना हुआ था. हालाकी हमारे शहर में उस वक़्त लडकिया जीन्स बहुत कम पहनती थी पर हमारे घर पर ऐसी कोई रोक टोक नहीं थी.
क्या बात है साले तू तो छुपा रुस्तम निकला... पूरे शहर में नहीं मिलेगा ऐसा माल फसाया है बे. रिशू दीदी को घूरते हुए बोला. मुझे बड़ा गुस्सा आया रिशू पर.
मैंने चिढ़ते हुए बोला वो मेरी बड़ी बहन है. फालतू बात मत करो.
तब तक दीदी हमारे पास आ चुकी थी. उनके बदन से deo की भीनी भीनी खुशबु आ रही थी.
कहा घूम रहा है और ये श्रीमान कौन है. दीदी रिशू की तरफ देखते हुए बोली.
मेरे कुछ कहने से पहले ही रिशू ने आगे होकर अपने हाथ बढ़ा दिया, जी मेरा नाम रिशू है मैं इसका दोस्त हूँ हम साथ ही पढ़ते है. दीदी ने भी अपना हाथ आगे करके रिशू से मिला लिया.
तब मैंने कहा ये कामिनी आंटी का बेटा है.
ok, very nice to meet you Rishu. तुमको तो कभी देखा ही नहीं. कभी अपनी मम्मी के साथ घर आयो न..
मैंने देखा रिशू की नज़रे सीधे दीदी की चूचियों पर गड़ी थी. टॉप दीदी के बदन पर एक दम फिट था और उसमे दीदी की गोलाईया बहुत आकर्षक लग रही थी. दीदी ने भी रिशू को अपने बदन का मुआएना करते हुए देख लिया और वो थोडा शर्मा गयी.
दीदी मैं तो घर ही जा रहा था. बस यहाँ रिशू से मिलने आया था. मैं बोला
अच्छा जल्दी से घर आ जाना. मुझे तुझसे कुछ काम है. दीदी बोली
आप फिकर मत करिए मैं खुद इसको घर छोड़ दूंगा. रिशू दीदी की आँखों में झांकता हुआ बोला और फिर से हाथ आगे बढ़ा दिया.
थैंक यू रिशू. दीदी ने उससे हाथ मिलते हुए कहा.
और हां दीदी अगर आपको मुझसे कोई काम हो तो जरूर बताइयेगा. ये कहते हुए रिशू ने दीदी का हाथ हलके से दबा दिया.
दीदी ने अपना हाथ छुड़ाया और जाने लगी. पीछे से रिशू उनके सुडोल और उभरे हुए चूतरो को देख रहा था और अपना लंड खुजा रहा था. ये देख कर मेरे मन में एक कसक सी उठी. न जाने क्यों.
फिर हम थोड़ी देर इधर उधर की बातें करते रहे और रिशू कहने लगा चल तुझे घर छोड़ आता हूँ. मैंने मना किया तो वो पीछे गया. बोला मैंने दीदी से प्रॉमिस किया है. दरअसल मैं जानता था की रिशू एक बिगड़ा हुआ आवारा लड़का है और मैं उसे अपना घर नहीं दिखाना चाहता था पर वो मुझे घर तक छोड़ ही गया. वो तो अन्दर भी आना चाहता था पर मैंने उसे बहाने से टरका दिया.
मैं घर में घुसा तो पापा ने कहा अरे तुझे रश्मि पूछ रही थी. पता नहीं क्या काम है. ऊपर रूम में गयी है जा देख.
मैंने ऊपर जा कर देखा तो दीदी बेड पर लेटी थी. मुझे देखते ही बोली आ गया तू. वो काम तो अभी रहने दे पहले मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है जरा तेल लाकर मालिश कर दे. और वो उठ कर नीचे फर्श पर बैठ गयी. और में तेल लाकर बेड के ऊपर बैठ गया दीदी मेरे दोनों पैरों के बीच में आ गयी. दीदी ने एक पुरानी टीशर्ट और लोअर पहना हुआ था. मैंने अपने हाथों में तेल लिया और उनके रेशमी बालो में हाथ डाल दिए और हलकी हलकी मालिश करने लगा. तभी मेरा ध्यान दीदी के टीशर्ट के अगले हिस्से पर गया जिससे मुझे दीदी की चूचिया साफ़ दिख रही थी. दीदी ने ब्रा नहीं पहना था. पहली बार मैंने इतने करीब से दीदी के चूचियो को देखा था. जैसे जैसे चम्पी करते करते दीदी का सर हिलता था वैसे ही उनकी चूचिया भी हिलती थी. इस सबसे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और दीदी से सर से टच करने लगा.
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Re: पाप पुण्य
इसी उत्तेजना मे मैंने दीदी का सर थोडा जोर से रगड़ दिया.
आह आराम से भैया दीदी बोली.
मुझ पर तो मानो नशा सा हो गया, मुझे याद आने लगा रिशू दीदी को कैसे देख रहा था. मुझे वो बैंक वाला आदमी भी याद आ गया. मुझ पर वासना छाने लगी और मैंने दीदी के बालो को उठा कर अपने लंड पर डाल लिया और एक हाथ से उनके बालो को अपने लंड से रगड़ने लगा और दुसरे हाथ से उनका सर सहलाता रहा.
अरे दोनों हाथो से कर न. दीदी अपनी बंद आँखों को खोलते हुए बोलीं.
फिर मैंने उनके सर को थोडा पीछे करके अपने लंड पर भी लगाया और मैं झड़ने ही वाला था की मम्मी रूम में आ गयी.
क्या बात है बड़ी सेवा कर रहा है बहन की. मम्मी बोली.
मेरा सारा मज़ा किरकिरा हो गया.
सच में माँ ये बहुत अच्छी मालिश कर रहा है. दीदी हँसते हुए बोली.
चलो दोनों जल्दी से नीचे आ जाओ खाना लग गया है. दीदी ने जुड़ा बांध लिया और उठ गयी. मैंने अपने पर कण्ट्रोल किया और दीदी के साथ नीचे चला गया.
पिछले कुछ दिनों से मेरा दीदी के लिए बदलता नजरिया मुझे बहुत परेशान कर रहा था. अब वो मुझे अपनी बहन नहीं एक जवान लड़की लगने लगी थी. यह सब बाते मेरी ग्लानी को बढ़ा रही थी. मुझे लगता था ये पाप है. पर मै ये भी सोचता था की अगर दीदी के साथ कोई और ऐसा करे जिसका दीदी से सिर्फ लंड चूत का रिश्ता हो. मुझे वो बैंक वाला गन्दा आदमी याद आ जाता था. रिशू का दीदी को हवस से घूरना याद आ जाता था
आह आराम से भैया दीदी बोली.
मुझ पर तो मानो नशा सा हो गया, मुझे याद आने लगा रिशू दीदी को कैसे देख रहा था. मुझे वो बैंक वाला आदमी भी याद आ गया. मुझ पर वासना छाने लगी और मैंने दीदी के बालो को उठा कर अपने लंड पर डाल लिया और एक हाथ से उनके बालो को अपने लंड से रगड़ने लगा और दुसरे हाथ से उनका सर सहलाता रहा.
अरे दोनों हाथो से कर न. दीदी अपनी बंद आँखों को खोलते हुए बोलीं.
फिर मैंने उनके सर को थोडा पीछे करके अपने लंड पर भी लगाया और मैं झड़ने ही वाला था की मम्मी रूम में आ गयी.
क्या बात है बड़ी सेवा कर रहा है बहन की. मम्मी बोली.
मेरा सारा मज़ा किरकिरा हो गया.
सच में माँ ये बहुत अच्छी मालिश कर रहा है. दीदी हँसते हुए बोली.
चलो दोनों जल्दी से नीचे आ जाओ खाना लग गया है. दीदी ने जुड़ा बांध लिया और उठ गयी. मैंने अपने पर कण्ट्रोल किया और दीदी के साथ नीचे चला गया.
पिछले कुछ दिनों से मेरा दीदी के लिए बदलता नजरिया मुझे बहुत परेशान कर रहा था. अब वो मुझे अपनी बहन नहीं एक जवान लड़की लगने लगी थी. यह सब बाते मेरी ग्लानी को बढ़ा रही थी. मुझे लगता था ये पाप है. पर मै ये भी सोचता था की अगर दीदी के साथ कोई और ऐसा करे जिसका दीदी से सिर्फ लंड चूत का रिश्ता हो. मुझे वो बैंक वाला गन्दा आदमी याद आ जाता था. रिशू का दीदी को हवस से घूरना याद आ जाता था