वो जिसे प्यार कहते हैं

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rangila
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Re: वो जिसे प्यार कहते हैं

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अपने ख्यालों में राजेश ये नही देख पाया कि उनमें से एक लड़की तिरछी नज़रों से उसे ही देख रही है- एक नेपाली लड़की. वो थोड़ी स्टेप्स ही दूर थी, जिस्म आधा मोड़ रखा था उसकी तरफ, और उसे इस तरहा देख रही थी, जिससे शायद इनकी दुनिया में – तिर्छी नज़र- कहते हैं. उस लड़की में खूबसूरती का कोई नामो निशान ना था – एक चालू रंडी लग रही थी. लेकिन जिस्म सही कटाव से भरपूर था, कपड़े ऐसे थे जो सब दिखा रहे थे, जाहिर है ऐसे कपड़ों में उसका जिस्म आकर्षित करेगा. उसके बूब्स ब्लाउस से बाहर टपक रहे थे जैसे मल्लिका शेरावत के हो रहे थे कॅन्स में. ये तो नही लग रहा था की उस लड़नी ने ट्रॅन्सप्लॅंट करवाया होगा.

राजेश सोच रहा था कि समीर का आइ कॉंटॅक्ट ज्ञान कहीं यहीं इन बार्स में आ कर ही तो नही डेवेलप हुआ..उसको सोचों से समीर ने ही बाहर निकाला.’ चलो शुरू हो गया है, बस लड़की को इंच बाइ इंच मॅच करो, उसे ऐसे ही बेशरम लुक दो जैसे वो दे रही है’

अगर समीर का मतलब सच मुच में ऐसा ही करने का था तो राजेश, अपनी ज़ुबान निकाल कर धीरे धीरे अपने होंठों पे फरेगा और नशीली नज़रों से लड़की की तरफ देखेगा. राजेश ने सिर्फ़ ओगल करना पसंद किया. कुछ देर तक दोनो बेकार में ओग्लिंग करते रहे, फिर उस लड़की ने समझा कि राजेश बच्चा है या फिर वो ज़्यादा पैसा नही खर्च करना चाहता, उसने अपना ध्यान राजेश से हटा कर उसपे कर दिया जो ज़यादा विल्लिंग क्लाइंट नज़र आ रहे था.

जबकि समीर ने अपनी आँखें एक लंबी खूबसूरत लड़की पे टिका ली और थोड़ी ओग्लिंग के बाद सीधे इशारों पे उतर आया. उसने बड़े स्टाइल से उस लड़की को पटाया जिसका नाम रेशमा था और Xअविएर्स में इंग्लीश होनोस कर रही थी. Xअविएर्स का नाम सुन कर समीर बोखला सा गया पर अब तो उसका सारा ध्यान सिर्फ़ उस लड़के के साथ सेक्स करने के लिए था. उस लड़की ने अपना चार्ज 10,000 बताया एक घंटे के लिए पर समीर ने उसे 2500 में मना लिया , पर उसमे वो लड़की ओरल नही करेगी.जल्दी ही समीर उस लड़की को उन कमरों की तरफ ले गया जो फर्स्ट फ्लोर पे थे और उन कमरों का मक़सद ही कस्टमर्स को सेक्स करने की सुविधा प्रदान करना था- जाहिर है कमरे का रेंट अलग होगा.

समीर की एक्सपर्ट गाइडेन्स के बिना राजेश और आर्यन खुद को अनाथ समझने लगे. सभी कस्टमर्स की हूटिंग आंड रिमार्क्स के शोर ने उनको अपनी सोचो में रहने ही नही दिया. और दोनो ने फ़ैसला किया कि अच्छी लड़कियों को अपने पास बुलाएँगे और देखते हैं क्या होता है इस से पहले की सारी बुक हो जाएँ.

आर्यन एक शॉर्ट और क्यूट लड़की बिजली के साथ बैठ गया, वो ज़यादा बिंगाली बोल रही थी, आर्यन ने निष्कर्ष निकाला के बांग्लादेश की ग़ैरक़ानूनी माइग्रेंट है. उसकी जिग्यासा को जगाने के लिए इतना काफ़ी था, और उसकी आदत थी खुद को ज़यादा महत्व देने की, उसने तो बाक़ायदा उस लड़की का इंटरव्यू शुरू कर दिया. उसके सवाल इस प्रकार के थे :
तुम्हारी उम्र क्या है ? कब से तुम ये काम कर रही हो? क्या तुम अपनी फॅमिली के साथ रहती हो? कितना कमा लेती हो? उस लड़की को समय की बर्बादी से नफ़रत होने लगी. आर्यन को ये समझ में आ गया तो बाकी लोग जो छेड़ छाड़ के लिए नोट निकाल रहे थे, आर्यन ने अपने सवालों के जवाब जानने के लिए नोट निकाल ने शुरू कर दिए.उसकी पर्सनल जिंदगी को इतना कुरेद कुरेद के सवाल पूछ रहा था जैसे सीबीआइ का केस तयार कर रहा हो. हर सवाल जो वो जवाब दे रही थी उसके चेहरे के भाव धीरे धीरे सख़्त होते गये.

वहीं थोड़ी दूर राजेश ने एक सुंदर सेक्सी घाघरा चोली पहने हुए एक लड़की को पास बुलाया – शनाज़.

वो जानता था कि कोई भी लड़की अपना असली नाम नही बताएगी. शनाज़ बड़ी अग्रेटस उसकी अगली हरकत का इंतेज़ार कर रही थी.राजेश बहुत ही अजीब सिचुयेशन में था. एक तरफ सिमरन का ख़याल उसमे ग्लानि भर रहा था वो उस जगह से ही बाहर निकल जाना चाहता था. दूसरी तरफ वो जगह ही उसे ललचा रही थी. अपने पहले एक्सपीरियेन्स के हिसाब से इस बात में कोई ग़लती नही थी कि ये डॅन्स बार्स असल में सेक्स बार्स हैं. ठीक है, उसने मान लिया, वो शायद पूरी चुदाई के लिए नही जाएगा, पर और भी ऑप्षन्स मोजूद हैं जैसे उसके बूब्स दबाना, कपड़ों के साथ ही उसे उंगली करना, उसकी पीठ पे हाथ फेरना. पर क्या वो वाकयी में ये सब करना चाहता था? उसे नही लगता था, पर अब तक दारू सर चढ़ के बोल रही थी. और अपने एक्सपीरियेन्स के हिसाब से वो जानता था कि वापसी में समीर कितना बाद चढ़ के बोलेगा कि उसने क्या क्या किया, तब क्या राजेश सिर्फ़ चुप चाप सुनता ही रहेगा. उस लड़की के उकसाने पर हर हरकत के 100 रुपये के हिसाब से राजेश ने वहीं बैठे सब कुछ किया जो वो कर सकता था. वो लड़की राजेश के चार्म्स से बहुत प्रभावित थी और आगे बढ़ने का हिंट देने के लिए उसने राजेश के होंठों पे किस जड़ दिया. राजेश को ये अच्छा नही लगा, वो तो शायद उल्टी ही कर देता.
हैरानी की बात है, राजेश की शरारते जब ख़तम हुई तो उसके पास एक ही साधन रह गया था मनोरण का गिटार सुनना और उसे इसमे ज़यादा मज़ा आ रहा था.

करीब पोने तीन बजे तीनो उस बार से निकल पड़े. समीर तो मस्ती में अपना किस्सा सुना रहा था. आर्यन अपने ख़यालों में खो गया और राजेश गुस्से में चुपचाप भूनबुना रहा था.

‘क्या मज़ा आया यार, माइंडब्लोयिंग, वो वाकई में बहुत बढ़िया थी. शायद ये लोग हमारी बीवियों को कम से कम आधा ही ट्रेन कर्दे नये अंदाज़ों के बारे में.’ समीर राजेश की हालत शायद समझ गया.

‘क्या हुआ हीरो? अब ये मत कहना तू खाली हाथ आया है , कुछ नही किया, जिस तरहा तू अपने स्पॉन्सर्स के यहाँ से खाली हाथ आता है.’

‘जस्ट शट अप, अपने बकवास बंद करो, मैं चाहता हूँ तुम अपना ये एक्सपीरियेन्स अपनी बीवी के साथ शेयर करो’

राजेश का इस तरहा यूँ चिल्लाना किसी ने भी सोचा नही था. सब एक दम चुप हो गये. सुई भी गिरती तो आवाज़ सुनाई देती.

आर्यन जानता था ये सब कुछ अचानक नही हुआ, एक बारूद काफ़ी दिनो से फटने को पड़ा था और आज फट गया. राजेश को समीर की ये हरकतें बिल्कुल अच्छी नही लगती थी – अपनी बीवी को धोका देना.

राजेश जब तक अपने घर पहुँचा उसे खुद से नफतत हो रही थी. उस लड़की के किस ने एक आलर्जी सी भर दी थी , घिन आ रही थी अपने जिस्म से . जब तक अच्छी तरहा से घिस्स के नहा नही लिया तब तक उसे चैन नही आया. अगले दिन 11 बजे तक वो सोता रहा. चाइ पी के वो न्यूज़ चॅनेल्स बदल बदल के देखने लगा जब उसे झटका लगा. कल रात पोलीस ने रेड कर के कम से कम 1000 लोगो को गिरफ्तार किया था. सबसे ज़यादा लोग महफ़िल से पकड़े थे. और ये सारी रेड 3 बजे हुई थी. सिर्फ़ 15 मिनट से बचे
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12 जून बारिश के भगवान ने आख़िर अपनी कृपा दिखा ही दी. कल रात से लगातार बारिश हो रही थी, कभी मुसलदार तो कभी रिंजीम. चारों तरफ एक ख़ुसी का महॉल था पर अंदर बसी निराशा को ख्तम ना कर पा रही थी. फ्राइडे का दिन वैसे तो थॅंक गॉड इट्स फ्राइडे की भावना को जगाता था, आनेवाले वीकेंड की खबर ले कर , लेकिन आज ये ब्लॅक फ्राइडे लग रहा था, सारे ही स्टाफ को, सबके चेहरे उतरे हुए थे.

आज आखरी दिन था राजेश के लिए अपना टारगेट पूरा करने के लिए. और अब तक मुस्किल से 20% ही पूरा हुआ था. बड़ा सा टला लगता हुआ दिख रहा था, शायद कोई मिराकल ही अब कंपनी को बचा पाए.

कुछ लोग तो आगे के बारे में सोचने लग गये, उन्हे गोलडेन हॅंडशेक के बारे में बताया गया था – कुछ महीनो की तन्खा के साथ छुट्टी.

लोगो ने नौकरीडॉटकॉम में नौकरी ढूंडना भी शुरू कर दिया था, अपनी वेबसाइट पे काम करने की जगह सभी नौकरीडॉटकॉम देख रहे थे.

राजेश के लिए आज टेस्ट था – तेज़ाब वाला टेस्ट.

उसने एक प्रेज़ेंटेशन देनी थी – एक बहुत ही खास क्लाइंट – शगुन को. शगुन – इंडिया का सबसे पहला और सबसे अद्वितिय वेड्डिंग माल, जहाँ एक छत के नीचे सब कुछ मोजूद था. वेड्डिंग ड्रेसस, गिफ्ट्स, और पता नही क्या क्या. पिछले कुछ सालों में मिली सक्सेस की वजह से एक चैन खोल दी गई थी इंडिया के बड़े बड़े सहरों में. जीने का एक नया लाइफ स्टाइल.

शगुन की प्रॉडक्ट लाइन ध्यान से देखो तो अपार्ट ही जिसमे शामिल थे – शेरवानी, कमरबंध,साफा,जूती,कंठा, और भी बहुत कुछ आदमियों के लिए और डेसिनेर घाघरा चोली, सॅंडल्ज़, नये नये पर्स, एमब्राय्डरी वाली साड़ी और भी बहुत कुछ था लड़कियों और औरतों के लिए. डाज और वरी का पूरा समान. सब एक ही ब्रांड के अंदर मार्केट किया जाता था – शगुन.

इनकी लेटेस्ट अडिशन थी – डिज़ाइनर फर्निचर. और सुना था कि हनिमून कपल्स के लिए बीचवीर भी इनकी प्रॉडक्ट लाइन में जुड़नेवाला था.

इतनी बड़ी प्रॉडक्ट लाइन की साले के लिए अड्वर्टाइज़िंग की इन्हे बहुत आवश्यकता थी. और इनकी टारगेट मार्केट, राजेश की वेबसाइट के कस्टमर्स के लग भाग करीब थी अगर एक ना हो तो.

पता नही क्यूँ राजेश की कंपनी ने अभी तक इस ब्रांड को टॅप नही किया था. राजेश से पहले जो था – विराट – उसकी रिपोर्ट के हिसाब से इनकी मॅनेजर – मिनी को कन्विन्स करना नामुमकिन था . मिनी को एक ईगोयिस्टिक और आधी इन्फर्मेशन रखने वाली अपने ही पुराने मार्केटिंग के दाव पेच से जुड़ी रहनेवाली बताया था – इंटरनेट मार्केटिंग में उसे कोई इंटेरेस्ट नही था. बहुत कोशिश करने के बाद राजेश को उसके साथ अपायंटमेंट मिली थी.

अचानक हुई बारिश से जो ताज़गी फैली थी, वो राजेश को इशारा कर रही थी, कुछ अच्छा होनेवाला है. पर राजेश इस बात पे ध्यान नही रखता. पॉज़िटिव सोचना तो उसके लिए एलीयन हो गया था.

सिर्फ़ 2 घंटे रहते थे राजेश की मीटिंग के लिए, ऑफीस का महॉल तनावपूर्ण था. कुछ औरते शिकायत कर रही थी, इस बारिस की वजह से पॉटहोल्स भर जाएँगे आना जाना कितना मुश्किल हो जाएगा.

राजेश सोच रहा था काश कंपनी की हालत खराब ना होती तो आज दिल खोल कर बारिश का मज़ा लेता.

कुछ दूर, समीर लड़कियों को घूर रहा था, और लड़कियाँ जान कर भी चुप थी.वुड बे ब्राइड्स जो थी, और अपना प्रोफाइल वेबसाइट पे अच्छा रखवाना चाहती थी.

साड़ी में सजी सँवरी एक लड़की को कम से कम एक मिनट. तक घूर्ने के बाद समीर बोला ‘ ये लड़की तो बिस्तर में आग लगा देगी’.आर्यन जो पास में ही डेली फोर्कास्ट देख रहा था मिड डे में सोचने पे मजबूर हो गया- ये समीर इतनी गॅरेंटी के साथ कैसे बोल देता है. आर्यन चुप रहा कुछ कहता तो समीर का लंबा भाषण शुरू हो जाता.

समीर ने राजेश की तरफ देखा जो बहुत ही चिंतित लग रहा था. उसे थोड़ा रिलॅक्स करने के लिए बोल पड़ा ‘अगर ये वेबसाइट बंद होनी है तो होने दे. बहुत सी जगह हैं जहाँ हमे अच्छी नौकरी और देखने के लिए अच्छी लड़कियाँ मिल जाएँगी – इधर आ इन खूबसूरत लड़कियों को देख शायद तुझे सिमरन से कोई अच्छी मिल जाए’

राजेश को कभी कभी समीर पे ताज्जुब होता था – किस तरहा वो ये सब कर जाता है. शायद कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका कोई जवाब नही होता – इन्हे छोड़ देना चाहिए’

राजेश को अजीब से बेचैनी हो रही थी ऑफीस में, उसने सीधा मीटिंग के लिए निकलना बेहतर समझा.

12.30 बज चुके थे, वॉरली जाने में आम तौर् पे एक घंटा लगता है , इस बेरिश की वजह से कम से कम आधा और लगेगा. उसने अपनी बाइक पे जाने की बजाय समीर से उसकी सैंट्रो माँगी जो समीर ने हँसते हुए दे दी.
गाड़ी चलाते वक़्त राजेश मीटिंग के बारे में और मिनी के बारे में ही सोच रहा था. किस टाइप की औरत है वो? नाम तो इतना सॉफ्ट है. कैसी होगी सुंदर ये भुतनी दिखेगी?

क्या उम्र होगी उसकी? क्या वो आराम से उसकी बात सुनेगी या टरका देगी?
बहुत से सवाल उसके दिमाग़ में घूम रहे थे, इसलिए गाड़ी भी आहिस्ता चला रहा था.

राजेश जानता था मीटिंग इतनी आसान नही होगी ख़ासकर एक तुच्छ औरत के साथ जिसकी ईगो बहुत ज़यादा है.

राजेश को अपनी एक पुरानी मीटिंग याद आ गई एक औरत के साथ, ढंग से इंग्लीश आती भी नही थी उसे. बस बहस करे जा रही थी – न्यूसपेपर से बढ़िया वेबसाइट अड्वर्टाइज़िंग कैसे? कितना लॉजिकली उसे समझाया पर धाक के तीन पात. कुछ सुनने को तयार ना थी और राजेश को उसपे बहुत गुस्सा चढ़ गया था.

राजेश इस बात को मानता था कि हर औरत में एक नज़ाकत और शोभा होती है. इनके बिना औरत औरत नही लगती. जिस औरत में नज़ाकत नही होती उसे देख अपनेआप ही राजेश के मन में गृहण के भाव आ जाते. वो सोचता था ऐसी औरत का पति क्या करता होगा, अगर उसकी बीवी ऐसी निकली तो उसे प्यार के लिए घर के बाहर झाँकना ही पड़ेगा.

अपने ख़यालों में घूमता हुआ राजेश उस वक़्त खोया हुआ लग रहा था. और उसका निन्दनिय व्यवहार अभी ख़तम नही हुआ था ‘ देखो सर, मुझे नही लगता कि आप पूरी तायारी के साथ आए हो, और आपका का ध्यान भी मीटिंग में नही है. तो अगली बार पूरी तायारी के साथ आना’ उसने संवेदनशून्यता के साथ टिप्पणी करी. जैसे ही वो गयी राजेश उसे चुन चुन के गलियाँ देने लगा, जो वो कभी नही करता था, जब तक की ऐसे लोगो से भिड़ना ना पड़े.

रुग्ण रूप से निराशावेद उसके दिमाग़ को ग्रस्त करने लगा जब उसने वो अनुभव याद किया. और विराट ने जो मिनी के बारे में बताया था – वो भी कुछ अलग नही होगी.

गड़गड़ाहट की एक तेज़ आवाज़ उसे यथार्थ में वापस ले आई, ऐसा लगा जैसे बदल फट गया हो, एक दम इतनी तेज़ बारिश होने लगी कि गाड़ी चलना नामुमकिन हो गया. शायद 20 मिनट का रास्ता और रह गया था. कुछ दिख नही रहा था और ऐसे में वो कोई रिस्क ना ले कर सड़क के किनारे गाड़ी रोक कर बैठा रहा.

तेज़ बारिश ने उसे आधे घंटे वहीं रोक के रक्खा. जब तक वो ट्रॅफिक के सॉफ होने की वेट कर रहा था कुछ बच्चे उसे इतनी बेरिश में फूटबाल खेलते हुए नज़र आए.

तेज़ होती हुई बारिश उन्हे शायद खेलने के लिए उर्जा दे रही थी.उनमे से एक जो सबसे छोटा था उसने दो गोल लगातार किए. जिस जोश के साथ वो खेल रहे थे उस ने राजेश को भी निराशावादी से बाहर निकाल लिया.

राजेश शगुन के ऑफीस आधे घंटे लेट पहुँचा. माल ग्राउंड फ्लोर पे था और ऑफीस फर्स्ट फ्लोर पे और पूरा फ्लोर ही इनका ऑफीस था. कोई छोटा मोटा नही.

राजेश फटाफट रिसेप्षनिस्ट के पास पहुँचा जो फोन पे बिज़ी थी, पर पीयान को इशारा कर के राजेश को कान्फरेन्स हॉल में भेज दिया.

जो संवेदनहीन व्यवहार रेसेपटिनिस्ट का था वो राजेश के दिमाग़ में बैठी हुई शगुन और मिनी की धारणा की और पुष्टि करता गया. शायद इनका काम करने का तरीका ही हँसमुख था.

कान्फरेन्स हॉल में बैठा राजेश इंतेज़ार कर रहा था मिनी के आने का और एक अजीब सी धँसती हुई भावना का बोध होने लगा. अपने 5 साल के करियर में उसने ऐसा कभी महसूस नही किया था. खुद को संभालने के लिए वो दीवारों पे लगे पोस्टर्स पे ध्यान देने लगा. बिल्कुल किंग फिशर के कॅलंडर की तरहा लग रहे थे जो मॉडेल्स को ज़रूरत से ज़यादा वस्त्रहीन दिखाता था. शायद ये नये बीचवीयर के पोस्टर्स थे जो नया ब्रांड शगुन लॉंच करने वाला था. और जो अफ्वाएँ फैली हुई थी उनकी पुष्टि हो रही थी.

अपने ख़यालों में शगुन के सारे स्टाफ को बीचबीयर में देखने लगा जैसे इन पोस्टर्स में मॉडेल्स को. उसने सर झटकते हुए अपना ध्यान फिर मिनी पे लगा दिया, कैसा व्यक्तित्व होगा उसका , क्या बिकिनी पहन के आएगी.!!!

उसने अपने दिमाग़ में उमड़ते हुए इन वाहियात खलों का कारण कंपनी को ही दिया, खराब कंपनी है तभी ऐसे ख़याल दिमाग़ में आ रहे हैं.

तभी दरवाजा खुलता है और एक 30 साल की औरत बहुत ही खूबसूरत अंदर आती है.
“हाई, आइ’एम मिनी, मिनी पडगाओंकार”

राजेश मंत्रमुग्ध हो कर उसे देखता ही रहा, ऐसा लग रहा था जैसे पहले कभी मिला हो. कब और कहाँ मिला होगा?

मिनी ने तो उसकी सारी अपेक्षाओं की धज़ियाँ उड़ा दी थी. ऑफ वाइट सलवार कुर्ते में वो सोम्य और सुंदर दिख रही थी.

उसकी आँखें भूरे रंग की थी और लग रहा था कि उसने कॉंटॅक्ट लेंस लगा रखे हैं.लम्बे रेशमी बाल. उसकी मधुर वाणी कानो में मिशरी सा रस घोल रही थी.

‘माफ़ कीजिए गा , मुझे देर हो गयी’ राजेश ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, वो इतना मंत्रमुग्ध हो गया था कि बात शुरू करने में देर लगा दी.

‘कोई बात नही. आप को मुश्किल हुई होगी इतनी बारिश में अंधेरी से यहाँ तक आने में. अगर आप चाहते तो ये मीटिंग हम कल के लिए भी पोस्टपोन कर सकते थे’

मिनी ने जो मानवता दिखाई वो राजेश ने कभी उसके द्वारा अपेक्षित नही किया था.
राजेश उसके मधुर व्यवहार से बहुत अचांबित हुआ. उसने जब अंधेरी का ज़िकरा किया और साथ में जो लंबा रास्ता राजेश ने बारिश में तय किया, वो बता रहा था कि मिनी एक केरिंग औरत है – राजेश ने सोचा. उसने एक बार ही तो फोन पे बताया था कि उसका ऑफीस कहाँ है जब उसने अपायंटमेंट ली थी.

एक दूसरे का अभिवादन करने के बाद , इस से पहले वो अपनी मीटिंग शुरू करते, राजेश यही सोच रहा था कि मिनी इतनी जानी पहचानी क्यूँ लग रही है? क्यूँ उसे ऐसा लग रहा था कि वो मिनी से पहले भी मिल चुका है? क्या ये पिछले जनम का कोई चक्कर है? शायद नही.

मिनी ने वक़्त ना बर्बाद करते हुए – ‘हां तो मिस्टर. राजेश बताइए आपका क्या प्रपोज़ल है’

राजेश अपनी प्रेज़ेंटेशन शुरू करने ही जा रहा था कि उसे ये समझ में आया कि क्यूँ मिनी उसे जानी पहचानी लग रही थी. वो बिल्कुल सॉनॅक्षी की तरहा है – वोही आत्मीयता,वोही भोलापन,वोही नज़ाकत,वोही देखभाल करना. उसे ऐसे लग रहा था कि सॉनॅक्षी से सालों बाद मिल रहा है.

राजेश ने अपनी बार बार अच्छी तरहा सोची समझी प्रेज़ेंटेशन मिनी को दी, किस तरहा उसकी वेबसाइट शगुन के टारगेट कस्टमर्स को पहुँचती है,और क्या उसकी वेबसाइट की पहुँच है. जब उसने ख़तम किया तो उसे महसूस हुआ कि उसे एक बार भी बीच में टोका नही गया, जबकि बीच बीच में उसका ध्यान हट रहा था.
एक बार वो कुछ बोल कर फिर, उसे ठीक कर के बोला, अपनी ही बात को नकारते हुए. जिसपे मिनी ने कोई ध्यान नही दिया.
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राजेश अपनी प्रेज़ेंटेशन के बाद बहुत खुश था और दो ही घूँट में कॉफी ख़तम कर गया. वो जानता था कि उससे बीच में गड़बड़ क्यूँ हुई. अब वो मिनी क्या कहती है उसका इंतेज़ार कर रहा था.

‘एक और कप कॉफी चलेगी?’ मिनी का व्यवहार एक दम प्रोटेक्टिव था. आउज़ इस वजह से उसके दिमाग़ में कुछ गड़बड़ होने का डर बैठ गया. वो बहुत अच्छी तरहा से व्यवहार कर रही थी जो किसी भी अन्य ब्रांड मॅनेजर से मेल नही ख़ाता था- जिनसे भी वो आज तक मिला.

कुछ पलों के लिए उसे शक़ हुआ कि ये अच्छापन वाकई में है या फिर एक दिखावा. ऐसे लोगो से वो शायद ही आज तक मिला हो. उसके बारे में कोई सही राय बनाना बहुत मुश्किल था.

मिनी ने ये सारे डर उसके दिमाग़ से निकाल दिए जब उसने कितने ही कॉन्फिडेन्स के साथ बोलना शुरू किया- जो बताता था कि उसकी जानकारी कितनी गहरी है.

‘ मेरा एक सवाल है- हमारी अपनी रिसर्च के हिसाब से 5 में 4 जो हमारे माल में आते हैं वो ए+ या ए इनकम ग्रूप के हैं. और इन लोगो मैं शादियाँ , जान पहचान,और अपने सर्कल में ही ज़यादा होती है. जायदातर इनकी शादियाँ भी बिज़्नेस डील होती हैं. तो मुझे नही लगता की आपकी वेबसाइट का ऐसे लोगों पे कुछ असर होगा.’

राजेश ने कुछ पल सोच कर आग्रह किया.

‘मैं मानता हूँ कि जिस क्लास के लोगों के बारे में आप कह रही हैं वो शायद हमारी वेबसाइट पे नही जाएँगे. पर हमारी वेबसाइट आपका कस्टमर बेस बढ़ा सकती है. आप को शायद अपनी प्रॉडक्ट लाइन थोड़ी बदलनी होगी या फिर कुछ नये प्रॉडक्ट्स जो कुछ सस्ते हों. मेरे ख़याल से आप भी सहमत होंगी कि इस मार्केट को छोड़ना नही चाहिए.’ शायद मिनी का असर उसपे दिखने लगा था वो बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ बोला था.

मिनी की जानकारी कमाल की थी उसे अपने कॉंपिटेशन की एड फिगर्स, और राजेश की वेबसाइट के कॉंपिटेशन के बारे में पूरी जानकारी थी. एक एक फिगर उसे रॅटा हुआ था.

राजेश समझ चुका था कि वो उसे बेवकूफ़ नही बना सकता – जैसे कि मार्केटिंग के गुरु कहते हैं गंजे को कंघी बेचना. ऐसा नही था कि राजेश को अपने क्लाइंट को बेवकूफ़ बना पसंद था पर थोड़ी बहुत मनिप्युलेशन तो चलती ही है – गोबर को सोने के दमो पे बेचने के लिए.

वो जानता था कि मिनी के साथ वो ऐसा नही कर पाएगा. और वो ऐसा करना भी नही चाहता था. मिनी बहुत अच्छी है, जिससे बरगलाने की कोशिश की जाए.

‘मेडम, मैं ज़रूर कहना चाहूँगा कि आपकी पास जानकारी का पूरा ख़ज़ाना है’

‘ओह, शुक्रिया. लेकिन, विश्वास करो, रिसर्च एक बहुत ही अहम रोल प्ले करती है हमारे काम में, कम से कम मैं आज के नये खून की तरहा अपने इन्स्टिंक्ट पे काम नही करना चाहूँगी, मुझे कोई भी फ़ैसला करने के लिए पूरी जानकारी चाहिए होती है’

राजेश सोच रहा था कि अगर कोई और औरत होती तो वो उसे उपदेशक समझ ता, पर मिनी के साथ उसे ऐसा नही लग रहा था. वो चाहता था कि मिनी बोलती रहे.

उनकी बातें चलती रही , चलती रही,राजेश बीच बीच में कुछ अच्छे तर्क डाल देता और मिनी जवाब देती रहती और राजेश उसकी मिठास को महसूस करता रहता. उसके बोल राजेश के कानो में संगीत की तरहा बज रहे थे. मिनी के आस पास एक ताज़गी भरा वातावरण था.

मिनी एक पूरी प्रोफेशनल की तरहा तर्क वितर्क कर रही थी पर फिर भी उसके पास एक सादगी थी जो कभी कभी वास्तविक नही लगती थी. राजेश का सारा ध्यान उसकी आँखों और उसके लबों पे था.

राजेश सोच रहा था कि सॉनॅक्षी भी क्या मिनी की तरहा आज भी लगेगी, अगर उसे मिले का मोका मिल जाए. दोनो के व्यक्तित्व के बीच में कितनी समानताएँ हैं.
सात साल एक लंबा अरसा होता है, बहुत कुछ बदल जाता है, अनुभव बदलते हैं, हालत बदलते हैं, और कभी कभी तो लोग खुद ही बदल जाते हैं. शायद सॉनॅक्षी के पास एक ही चीज़ नही थी, वो प्रोफेशनल नही थी, घरेलू ज़यादा थी, घर का इतना अंकुश जो था उसपे. शायद ये सात साल अगर सॉनॅक्षी ने राजेश के साथ गुज़ारे होते तो वो भी आज मिनी की तरहा बातें किया करती जैसे मिनी आज कर रही है.

दो घंटे के तर्कवितर्क के बाद समय आ गया था जब मिनी को अपना फ़ैसला सुनाना था.

राजेश को जो पॉज़िटिव वाइब्स मिल रही थी, उसके हिसाब से वो आज खाली हाथ वापस नही जाएगा.

हां रकम कुछ लाख ही होगी, क्योंकि वो अपने अनुभव से ये बात जानता था कि नये क्लाइंट्स पहले ब्रांड असोसियेशन को परखते हैं फिर दिल खोल के रकम लगाते हैं.

कुछ भी हो, वो काफ़ी उत्तेजित हो रहा था,वो हमेशा सोचता था कि कुछ ना कुछ तो होगा जो हारने पर भी उसे मुँह की नही खानी पड़ेगी..चाहे आज कंपनी बंद हो जाए, पर उसे एक तस्सली ज़रूर रहेगी एक नया क्लाइंट बना लिया.

मिनी आख़िर बोल पड़ी जो वो सुनना चाहता था.

‘ह्म्म व्यवसाय हमेशा जोखिम से भरा होता है, और शायद मैं भी आज एक जोखिम उठाउंगी. बाकी ब्रॅंड्स की तरहा नही जो खुद को हर जगह मोजूद रखना चाहते हैं.

मैं लंबे समय के लिए युक्तीपूर्वक निवेश करना चाहूँगी. मैं आपके साथ एक साल लंबी डील करूँगी.'

राजेश को अपने कानो पे विश्वास नही हुआ. इतना बढ़िया रेस्पॉन्स उसे मिलेगा. उसका आश्चर्या उस पे हावी हो गया और शब्द निकालने भारी पड़ गये.

‘त..त..थॅंक यू सो मच , मा’म’

राजेश झीजक रहा था पूछने के लिए की कितनी रकम निवेश करी जाएगी. मिनी खुद बोली
‘जहाँ तक रकम का सवाल है वो इस बात पे निर्भर करेगा कि आप कैसी डील हमे दोगे, मैं अभी इस पे कुछ नही कह पाउन्गि.’

और राजेश जानता था कि कम से कम 10लाख की डील तो होगी ही और अब तक किए हुए 3 लाख को मिला के 80% टारगेट पूरा होज़ायगा. उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना था.
‘बिल्कुल मेडम, मैं कल ही आपको प्रपोज़ल मैल कर दूँगा’
‘यस गॉट इट !!!’

80% टारगेट पूरा करना से था, 100% करने का मतलब अगली बार टारगेट कई गुना बढ़ जाएगा. अब मूरती की ज़ुबान बंद हो जाएगी.
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Re: वो जिसे प्यार कहते हैं

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कुछ देर, उसका चेहरा खाली स्लेट की तरहा रहा, दुनिया भर की भावनाए आ जा रही थी और अंत में एक मुस्कान उसके चेहरे पे आ गई. मिनी को राजेश की हालत देख के ताज्जुब हो रहा था, उसके डिसिशन का ऐसा असर राजेश पे पड़ेगा, उसने तो जो उसकी कंपनी के लिए अच्छा था वही किया, राजेश की कंपनी की वेबसाइट के बारे मे उसकी अच्छी राय थी.

राजेश के लिए तो वो एक परी की तरहा थी जिसने उसे मुसीबत से उभार लिया था अकेले ही.
राजेश ने फिर थॅंक्स किया और जाने की इजाज़त माँगी, बाहर देखा तो बरखा रानी पूरे ज़ोर से छम छमा छम बरस रही थी. अब किस मुँह से वो रुकने के लिए बोलता.

‘एक कप कॉफी और ?’ मिनी ने मुस्कुराते हुए पूछा.

‘ओह क्यूँ नही’ राजेश एक दम बोल पड़ा, पर खुद को रोका और अगले पल ‘ अगर आपके पास वक़्त हो तो मुझे बुरा नही लगेगा’

और दोनो अपने कॉफी के तीसरे कप पे बैठ गये.

अब दोनो बिज़्नेस नही, मुंबई की बारिश के बारे में बाते कर रहे थे.
और मिनी ने कुछ सुझाव दिया राजेश की कंपनी की वेबसाइट को और भी बेहतर करने के लिए. मिनी को पता चलता है कि राजेश मुंबई में नया है और राजेश को पता चलता है कि मिनी का घर उसके ऑफीस के बहुत पास है लोखंडवाला में. थोड़ी देर बाद बारिश बंद होती है और राजेश चल देता है.

शाम देर तक कंपनी में पार्टी होती है. आज मूरती भी अपने रेयर जॉली मूड में था. समीर के साथ वो भी डॅन्स करता है ‘कजरा रे …..कजरा रे’ जो कंप्यूटर पे ज़ोर से चलाया हुआ था. दोनो ऐसे डॅन्स कर रहे थे जैसे अमिताभ और अभिषेक ने किया था. ये असर था राजेश का टारगेट के पास पहुँचने पर.

उसके बाद राजेश ने एक बहुत बड़ा केक काटा और मूरती अपनी खुशी में हर एक के थोबदे पर केक मल्ता रहा. सब कुछ हर एक के लिए एक आश्चर्य था, मूरती का इस तरहा सब के साथ घुलना मिलना डॅन्स करना. अगर पहले कभी कोई ऐसी पार्टी करने की जुर्रत करता तो मूरती गला फाड़ फाड़ कर उसे कंपनी से बाहर कर देता.

सब मस्ती में डूबे हुए थे सिर्फ़ राजेश के जो एक कोने में अकेला खड़ा था. समीर ने वहाँ जानने की कोशिश करी पर राजेश टाल गया.

जब तक पार्टी ख़तम होती 10 बज चुके थे. समीर की मस्ती अभी ख़तम नही हुई थी, वो राजेश और आर्यन को एक लोंग ड्राइव पे ले चलता है. तीनो के हाथ में हेवर्ड्स 5000 , चेहरे पे खुशी और एक कामयाबी का जशन छाया हुआ था. जिंदगी फिर गुलाब की महक से भरी हुई लग रही थी.

राजेश फिर भी खोया हुआ दिख रहा था. वो मिनी से अपनी मुलाकात के बारे में सोच रहा था. सालों के बाद उसे कोई ऐसा मिला था जो उस लड़की के आस पास था जिसे वो अपना बनाना चाहता था. ये ख़याल उसे पुराने दिनो में ले गया सॉनॅक्षी के बारे में जिसे वो भूलने की बहुत कोशिश कर रहा था.

समीर ने कार मराइन ड्राइव पे आख़िर रोक दी.

राजेश फटाफट कार से उतर गया, अपने आप में खोया हुआ सीधा समुन्द्र के किनारे चला गया. समुंद्र के उस पार उसे मलाबार हिल्स दिख रहा था. बारिश ने सारा महॉल जादुई कर दिया था, शायद अच्छे विचार उसे बेहतर महसूस होने दे रहे थे.

समीर और आर्यन को उस सीन से कोई मतलब नही था. उन्हें तो ये पता भी नही था कि वो कहाँ है.

वो तो समीर के मोबाइल में केयर्ना और शाहिद के स्मूच का एमएमएस देख के मस्त हो रहे थे.

राजेश समुंदर के किनारे बनी दीवार पे खड़ा हो गया दोनो हाथ फैला के और वातावरण की सुंदरता को अपने अंदर सोखने लगा. हल्की फुहार में उसका ये यूँ खड़ा होना कितना रोमॅंटिक लग रहा था.

समीर और आर्यन वो एमएमएस देख कर राजेश की तरफ मुड़े, ये जानने के लिए की वो अकेला इतना खुश क्यूँ है.

जो खुशी राजेश को थी वो आर्यन और समीर सपने में भी नही पा सकते थे.

‘हे मुझे मेरे सपनो की राजकुमारी मिल गई’ राजेश बड़े उल्लास से चीखा.
समीर और आर्यन ने अचंभे के साथ देखा ‘ वाउ! कौन है वो?’

‘मिनी’

दोनो को साँप सूंघ गया. ‘ तुम्हारा मतलब ब्रांड मॅनेजर शगुन की?’

समीर और आर्यन ने सोचा राजेश को चढ़ गई है, होश में नही है.वो जानते थे स्ट्रॉंग बियर उसे पचती नही.

राजेश तो अपनी ही धुन में था – ‘हां वो ही है मिनी पडगाओंकार!!’

पाँच दिन निकल चुके थे मिनी से मिले हुए दूसरी मीटिंग की तैयारी से ही दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी.

अब बारिश मूसलाधार नही हो रही थी. हल्की हल्की फुहार की तरहसारा दिन होती रहती. फुहार इतनी हल्की थी की इसमे नहाना भी किसी को बुरा नही लगता और ड्राइविंग करने का अलग ही मज़ा था.

सिवाए अच्छे मौसम के दो और कारण थे राजेश की उत्तेजना के पहला तो डील को क्लोज़ करना था और दूसरा था मिनी से मिलना जिसका नशे जैसा असर पड़ा था राजेश पर, और इस बार वो मीटिंग को पर्सनलआइज़्ड लेवेल पे ले जाना चाहता था.

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Re: वो जिसे प्यार कहते हैं

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मिनी छुट्टी पे थी इसलिए मीटिंग पोस्टपोन करनी पड़ी और राजेश का दिमाग़ फिर डर से घिर गया, ऐसा उसके साथ पहले भी हो चुका था जब कोई मिलना नही चाहता था तो उस छुट्टी या ट्रान्स्फर के बहाने दिए जाते थे.

आख़िर बुधवार को अचानक मिनी का फोन आ गया.

‘असल में मैं छुट्टी पे हूँ, इसलिए ऑफीस नही जा रही हूँ. पर मैं आपको रोक के नही रखना चाहती, तो सोचा कि कुछ टाइम निकाल कर इस तरफ ही आपसे मिल लेती हूँ’

‘ये तो बहुत ही बढ़िया होगा मेडम’ राजेश लगबघ उछल ही पड़ा आवेश और अचंभे के कारण जो उसे मिनी की अप्रत्याशित अच्छाई के कारण महसूस हुआ.

‘ठीक है, तो 4 बजे मोवा पे, जुहू बीच, पे मिलते हैं’

‘ओके साउंड्स पर्फेक्ट’

‘हां रिलीस ऑर्डर आपको कल ही मिल पाएगा’

‘कोई प्राब्लम नही’

राजेश ने अपनी घड़ी देखी पोने एक हो रहा था. तीन घंटे के अंदर वो मिनी से मिलने जा रहा था, उसकी बेकरारी बढ़ती जा रही थी.

उसने खिड़की से बाहर देखा फुहार की वजह से मौसम में ताज़गी आई हुई थी.
पोने तीन बजे वो मोवा के लिए निकल पड़ा. वो टाइम से पहले ही पहुँच गया, वो भी तब जब उसने अपनी बाइक की स्पीड कम कर दी रास्ते में. मिनी अभी तक नही आई थी.

राजेश अंदर चला गया और एक मेनू कार्ड उसके सामने रख दिया गया.
मेनू कार्ड में जो ड्रिंक्स लिखी हुई थी, राजेश ने उनका नाम कभी नही सुना था और कुछ तो उसे एलीयन लग रही थी. वो नही चाहता था कि वेटर्स ये समझे क़ी वो पहली बार आया है .

‘वन आइस्ड टी’ यही ऐसी ड्रिंक थी जो मेनू में उसे समझ में आई.
जब तक मिनी आती तो उसने सोचा क्यूँ ना अपना हुलिया ठीक कर लिया जाए इस लिए वो रेस्ट रूम में चला गया.

5’9” की हाइट के साथ वो कोई ज़यादा लंबा नही लगता था, जो ‘टॉल, डार्क,हॅंडसम’ की केटेगरी में आता हो, पर फिर भी उसकी हाइट ठीक ही थी. उसे अच्छे फीचर, गहरी आँखें,अच्छे कपड़े कई लोगो के सर उसकी तरफ घुमा देते थे. जब उसके बाल कटे होते तो वो बहुत क्यूट लगता और वो ज़यादा ही लोग उसे मूड के देखते.

आज कल वो लंबे बाल रख रहा था. उसके व्यक्तित्व का एक और विशेष गुण था उसकी स्वरघटित इंग्लीश. उसे दोस्त यार सब हैरान होते थे, वो कभी बाहर नही गया था तो ऐसी इंग्लीश उसे कैसे आई. राजेश के लिए ये उसका ये गुण एक रामबाण की तरहा था जो उसकी ग्रॅमर की ग़लतियों को भी छुपा लेता था. जो भी वो करता पूरे विश्वास और ज़ोर शोर से करता.

जहाँ तक उसकी कंपनी की मॅट्रिमोनियल वेबसाइट का सवाल था उसके हिस्साब से वो सच में एक काबिल और सबसे योग्य बॅचलर था.

राजेश आम तौर पे अपनी रेक्टॅंग्युलर सनग्लासस पहनता था जो उसके व्यक्तित्व की शोभा बढ़ाती थी.उसका पहना भी बिल्कुल अलग था, और नये नये एक्सपेरिमेंट करता था, जहाँ उसके कॉलीग्स फॉर्मल कपड़े पहनते वो चमकीले कपड़े पहनता. आज उसने वाइट शर्ट जिसपे मरून धारियाँ थी और काला ट्राउज़र पहना था.

पोने चार हो गये थे और मिनी अभी तक नही आई थी. राजेश सोच रहा था कहीं फस ना गई हो.

राजेश सोच रहा था कौन सी कार इस्तेमाल करती होगी वो. उसका दिल कह रहा था – हुंडई आक्सेंट. ये तो वो खुद भी नही जानता था कि उसका दिल कैसे इस नतीजे पर पहुँचा. अपनी आइस्ड टी के सीप लेते हुए बार बार वो अपनी घड़ी देख रहा था. बार बार यही सोच रहा था कि इस बार ‘टाइमिंग’ के साथ क्या गड़बड़ हुई है.

तभी उसने मोवा के बाहर एक ऑटो को रुकते हुए देखा, सफेद सलवार में उसे टाँगे नज़र आइी , जाहिर है कोई औरत ही होगी. जब एक औरत छाता ले कर बाहर निकली तो वो हैरान हो गया देख कर कि वो मिनी थी.

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