तवायफ़ की प्रेम कहानी complete

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jay
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Re: तवायफ़

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रात के 2 बज चुके थे, ऋुना भी खामोश थी...



“तू कोठे पर कैसे पहुचि काजल......जिस दिन तुझे मैं पहली बार मिली थी उस दिन भी पुछा था, लैला से भी पुछा ............ना तूने बताया , ना उसने ...........जाने क्यू मुझे लगता नहीं कि असली वजह लैला को भी पता है......बता....कैसे और क्यू आई तू कोठे पर............???”



“बाजी, माफ़ कीजिएगा...........लेकिन ये मैं नहीं बता सकती......तब भी मैने नहीं बताया था आपको, और आज भी नहीं बता सकती..........” काजल के चेहरे पर एक सख्ती आ गयी.........



“काजल बता दे,,,शायद मैं तेरे लिए कुछ कर पाऊ.....बता दे मेरी बच्ची.....”” ऋुना उसे य्कीन दिलाना चाह रही थी.



“आपको जो बताना था मैने बता दिया, मैं आलोक को कैसे जानती हूँ ये बता दिया...और ये भी बता देती हूँ कि उसके बाद मैं आलोक से कभी नहीं मिली.........और क्या बताऊ......अब जो बचा है उसे जानकार कुछ हासिल नहीं होना है......और......” काजल कुछ कहते कहते रुक गयी.



“और क्याअ....” ऋुना ने पुछा.


“कुछ नहीं......एक बात बताइए...........आप कैसे जानती हैं सदानंद को........जैसे वो चौंका था आपको देखकर, ऐसा लगता है वो भी आपको अच्छे से जानता है........” काजल ने उल्टे ऋुना से ही सवाल कर दिया.



“काजल मैं वक़्त आने पर सब बता दूँगी....प्लीज़ मेरा भरोसा कर....तुझे मुझपर भरोसा करना ही होगा............बता मुझे......” ऋुना ने फिर से मिन्नतें की.



“ठीक है ऋुना बाजी.....हमेसा बड़ी बहन माना है आपको......कर लिया आप पर ऐतबार .......खाइए मेरे सर की कसम कि कभी आप किसी को नहीं बताएँगी जो मैं बताने जा रही हू........और अगर आपने बताया तो याद रखिएगा कोहिनूर आपको फिर कभी नहीं मिलेगी इस दुनिया मे....बोलिए मंजूर है........” काजल की बात से ऋुना बुरी तरह किलस गयी.



“पर अगर मैं किसी को बताउन्गी नहीं तो................देख तू समझ नहीं रही है....मैं सब तेरे लिए ही कर रही हू...बता मुझे.....”



“नहीं, फिर जाने दीजिए.........मुझे कुछ नहीं चाहिए.......मैं खुश हू........हां एक लम्हे को कमजोर पड़ गयी थी मैं.......लेकिन अब नहीं...आप नहीं जानती बाजी उस एक बात से कितनी ज़िंदगियाँ बर्बाद होंगी........कुछ नहीं कहना और मुझे........सो जाइए........” काजल ने सारी बात ही ख़त्म कर दी.



“ठीक है , नहीं बताउन्गी...तेरी कसम..खुदा गवाह है..कभी नहीं कहूँगी किसी से....अब बता...........”



“ ठीक है बाजी तो सुनिए............” काजल ने फिर बताना सुरू किया............



काजल जो बात सारी दुनिया से अब तक छुपती आई थी ,आज अंजाने मे वो जुंमन तक पहुच रही थी..............जाने किसकी जिंदगी दाव पर लग रही थी.

काजल ऋुना को सब सच बताए जा रही थी , इधर आलोक के घर मे सोफी काफ़ी परेशान थी.....इतनी रात को भी नींद उसकी आँखो से कोसो दूर थी..........आलोक ने उस घटना के बाद से खुद को एक कमरे मे बंद कर लिया था.......सोफी कुछ कुछ तो समझ गयी थी लेकिन एक बार आलोक के मूह से वो पूरी बात जान ना चाहती थी कि कौन है वो लड़की, कैसे जानता है उसे आलोक और जो कुछ आज हुआ वो क्यू हुआ..?



सोफी एक बार फिर से आलोक के कमरे के दरवाज़े पर खड़ी थी..जाने कितनी बार चेक कर चुकी थी वो लेकिन हर बार अंदर से बंद ही होता..इस बार खुला मिल गया....शायद आलोक बंद करना भूल गया था.........सोफी चुपके से अंदर पहुचि और दरवाज़ा बंद कर दिया......कमरे की लाइट्स ऑफ थी.....आलोक एक चेर पर बैठा किसी गहरी सोच मे डूबा था...या शायद उन यादो के भंवर मे गुम था....एक हाथ मे एक छोटी ग्लास थी...........वाइन से भरी...........और दूसरे मे एक सिगरेट.....सामने रखे म्यूज़िक सिस्टम पर धीमे वॉल्यूम मे सॉंग चल रहा था...........शायद उसके दिल की आवाज़..........




“मेरे दिल से दूर जाकर , कहाँ खो गये हो तुम,
ख़ुसी की ये बात है कि ,खुस तो हो गये हो तुम......
इतना बता दो राज दिल को क्यू छुपाया,
दिल ना मिलाया..

क्यू मेरा प्यार तुम्हे रास ना आया,
नज़र मिलाई तुम ने दिल ना मिलाया...........”


सोफी ने आगे बढ़कर सिस्टम बंद कर दिया........आलोक मे पलट कर उसकी ओर देखा और आँखे बंद कर ली......



“आजा सोफी......... सॉरी यारा....तू भी सोच रही होगी कैसा हूँ मैं...तुझे भी क्या क्या देखना पड़ा.....कही नहीं घुमा पाया तुझे मैं....अपने ही दर्द मे चूर........सॉरी यारा........” आलोक जैसे बेहोशी के से आलम मे बोल रहा था..............बहुत पी ली थी उसने.



“आलोक ..यू ओके?? .....इतना क्यू पी रहे हो......उ नेवेर ड्रिंक........नाउ, व्हाट हॅपंड..........???.....आलोक टेल मी अबौट दट गर्ल.........हू ईज़ शी??”



“सोफी...कम हियर.......इधर आ यार........बैठ यहाँ....” आलोक ने सोफी को पास बुलाया और उसका हाथ पकड़कर अपने पास बिठा लिया.



“वो लड़किईईई!.......शी ईज़ माइ फर्स्ट लव....यू नो फर्स्ट लव....पहला प्यार...और ...और आख़िरी भी.......लेकिन यार मुझे छोड़ कर चली गयी......मैं..मैं जब पहली बार यूएसए गया था तब......तब से मैं उसे प्यार करता हू........उस से भी पहले से........लेकिन यार कभी कहा नहीं...सोचा था आते ही बोल दूँगा....फिर शादी फिर बच्चे...मस्त बनेगी लाइफ.........” आलोक बहुत नशे मे था इसलिए दिल का दर्द बाहर आ रहा था.



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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: तवायफ़

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“लेकिन यार जब मैं वापस आया तो वो जा चुकी थी....जाने कहाँ?? ..बिना कुछ बताए............और ये भी बोलती गयी कि.......कि..कि....मुझे प्यार नहीं करती.........मुझे बोली कि भूल जाना मुझे........मैने कोशिस की उसे ढूँढने की, पर नहीं मिली.........यार सोफी...तू बता.........कैसे भूल जाउ...इतना आसान है क्या भूल जाना...........???... नहीं मिली मुझे.........दिल नहीं लगता था यहा.....यूएसए चला गया मैं........लेकिन अब देख किस्मत का खेल.........जब वापस आया तो फिर मिला दिया उस से...और मिलाया भी तो किस तरह से..””



आलोक ने एक और पॅक बनाया और गटक गया...........



“यार,सोफी ,...शी ईज़ माइ लाइफ........माइ लव......लेकिन मेरे पापा समझते ही नहीं.......मैं...मैं डरता नहीं हूँ किसी से..........लेकिन यार एक बार वो तो बोल दे..........वो तो कहे कि हां मैं तुमसे प्यार करती हू........तुम्हारी हूँ मैं..........मैं उसके लिए सारी दुनिया से लड़ जाउन्गा...सारी दुनिया छोड़ दूँगा.....लेकींन.........यू नो व्हाट??? ......अव्वककककक......शी लव्स मी..........बहुत प्यार करती है वो मुझसे....आइ नो........लेकिन मानती नहीं है यार..... और अब तो वो कभी नहीं कहेगी और ना ही मानेगी......”




“उसे लगता होगा कि उसके इस रूप मे देखकर मैं उसे नहीं अपना पाउन्गा..............कितनी नादान है वो..........उसे नही पता कि मुहब्बत तो दिल से की जाती है....आज भी मुझे वो उतनी ही पवित्र लगती है........चाहे एक तवायफ़ के रूप मे ही सही......आज भी उसकी आँखो मे वही प्यार है मेरे लिए........आज भी वही सादापन है......सोफी, शी लव मी.......बहुत प्यार करती है...... ..बस कहती नहीं है......अच्छा अब तू बता.........नहीं तो क्यू कहती कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती...........बता क्यू कहती......मैने तो उस से पुछा भी नहीं था.........जब मैं वापस आया तो मुझे उसका एक लेटर मिला कुछ दिनो बाद..........सब लिखा था उसने........मैं समझ गया कि वो भाग रही है मेरी मुहब्बत से.” आलोक का नशा उसके दर्द मे घुलता जा रहा था...



वो सोफी के साथ बैठा अपने दिल की सारा दर्द निकाल रहा था........



“यस........शी लव्स यू........उस लड़की के साथ जो लेडी थी, शी टोल्ड मी....उसने कहा कि कोहिनूर जल्द ही आलोक से मिलेगी...मैं भूल गयी थी तुम्हे बताना........” सोफी को अब याद आई थी ऋुना की बात.....



“उसने कहा ??? सच?????...ओह, थॅंक यू सोफी.....मुझे पता था सोफी.......वो ज़रूर मुझसे मिलेगी.......”आलोक का चेहरा पहली बार दमक उठा एक उम्मीद से....



“लेकिन सोफी......वो कुछ बोलती नहीं है.......कभी कहे तो मुझसे.............यार सोफी, कोई बहुत बड़ी बात है........कोई साज़िश की गयी है...मेरे पापा तो ऐसा नहीं करेंगे ...........तो फिर किसने किया???......लेकिन कल जो हुआ उस से सॉफ लग रहा था कि पापा जानते हैं उसे......पापा कब मिले उससे........और मुझे क्यू नहीं बताया ???......पुछा मैने पापा से....लेकिन गुस्से मे हैं ना तो बताया नहीं....पता करूँगा मैं.....कल भी कोसिस की मैने पता लगाने की.........पर पता चल नहीं पाया कि वो कहाँ है......यार मैं उसे जाने ही नहीं देता.......लेकिन उसने कहा कि वो मेरी कुछ नहीं लगती , सिर्फ़ एक तवायफ़ है...........” आलोक की आँखे भर आई.......




“अब मैं क्या करता........इसीलिए मैने सोचा कि पहले उस वजह का पता चल जाए जिसने काजल को कोहिनूर बना दिया, और शायद तभी मुझे मेरी काजल मिल जाए..........मैं किसी भी कीमत पर उस सच तक पहुचूँगा........उस वक़्त मुझे लगा था कि शायद सच मुच मुझे ही ग़लतफहमी हुई थी, उसे मुझसे प्यार नहीं था, लेकिन अब जितनी बार सोचता हू, हर बार लगता है कि हद से ज़्यादा मुहब्बत करती है वो मुझ से....हां कहा नहीं उसने ,,...मैं भी नहीं कह पाया......शायदा वक़्त ने मौका ही नहीं दिया.............उस से पहले ही वो चली गयी............वो क्यू चली गयी?? क्यू आज एक तवायफ़ के रूप मे है.....क्यू मुझसे भाग रही है.....इन सब बातों की वजह एक ही है.....और मुझे वो वजह पता करनी है.........”




आलोक की आँखो मे दर्द था ,मुहब्बत थी, और एक उम्मीद थी.......इस बार वो अपने प्यार को पाने के लिए किसी भी हद से गुजर जाने वाला था ...क्यूकी इस बार उसकी मुहब्बत उसे बेड़ियों मे क़ैद नज़र आ रही थी.



सोफी ने उसके कंधो पर हाथ रखा और आलोक उसके गले लगकर रो दिया......... “इस बार मैं उसे नहीं जाने दूँगा सोफी....चाहे कुछ भी हो........मैं नहीं जाने दूँगा.......”





इधर ट्रेन मे काजल अपनी बात कहकर चुप हो गई थी......ऋुना मानो बुत बन गयी थी....ऋुना की आँखे लगातार बरस रही थी और काजल के चेहरे पर एक सख्ती थी... सदियों की उदासी थी.........ऋुना ने कज़ला की ओर देखा , वो चुप थी , एक दम चुप......ऋुना को ऐसा लग रहा था कि उसका सर फॅट जाएगा........



उसने खिचकर काजल को अपने गले से लगा लिया.... ..



“जीती रह मेरी बच्ची..........इतनी बड़ी कुर्बानी.....ओह्ह मेरे ख़ुदाया.....अगर ऐसी होती है “तवायफ़” तो खुदा से इल्तीज़ा करूँगी कि हर जन्म मे मुझे तुझ जैसी एक बेटी दे........ तुझ जैसी किसी तवायफ़ की माँ बनाए मुझे........कैसे कर दिया ये सब मेरी जान....कैसे............??”



“सब मुहब्बत है बाजी, बड़ी ताक़त होती है इस मुहब्बत मे ..छोटे से छोटा इंसान भी बड़ी से बड़ी कुर्बानी दे जाता है..........” काजल ने भी ऋुना को ज़ोर से गले लगा लिया......”

काजल के होंठो पर दर्द मे डूबी एक मुस्कान फैल गयी थी.



ऋुना जैसे ही काजल के गले से अलग हुई , उसकी नज़र सामने खड़े जुंमन के चेहरे पर पड़ी........


ऋुना का चेहरा फक्क पड़ गया..........जुंमन का पूरा चेहरा आँसुओ मे भीगा हुआ था......वो रो रहा था......... एक पत्थर आज शायद पिघल गया था............ऋुना को अपनी आँखो पर यकीन नहीं हुआ..........


“जुंमन ??तुम रो रहे हो........???”

जुंमन ने सर उठा कर उसकी ओर देखा और अपने आँखो के आँसू पोन्छ लिए..........



"हां ऋुना बाई , आज जुंमन भी रो दिया..........जब से होश संभाला सिर्फ़ दुख तकलीफें झेली.......लेकिन हर तकलीफ़ मुझे और मजबूत बनाती गयी या यूँ कहूँ कि मुझे और बुरा इंसान बनाती गयी.....घर से भाग आया मुंबई , और दर बदर की ठोकरें खाकर इस कोठे पर पहुच गया......आज तक सिर्फ़ दूसरो को रुलाने वाला जुंमन आज रो दिया.......कैसा कर दिया रे कोहिनूर तूने ये सब....इतनी छोटी सी तू है, तेरा दिल कितना बड़ा है रे...........एक तवायफ़ ने इतनी बड़ी कुर्बानी दे दी, लेकिन दुनिया को वो नहीं दिखा, सिर्फ़ कोठे पर उसके मुज़रे दिखे, कभी नहीं उसकी आँखो का दर्द नज़र आया, मुझे भी तो नहीं दिखा कभी आज तक."



"ऋुना बाई, इंसान बुरा पैदा नहीं होता, हालत उसे बुरा बना देते हैं....और सबसे बुरा इंसान वो बनता है जिसकी ज़िंदगी मे कोई मकसद नहीं होता ,जैसे कि मैं, आज तक समझ ही नहीं पाया कि मैं इस दुनिया मे क्यू आया....दो बोतल शराब, और दो वक़्त का खाना .....और कभी कभार एक रंगीन रात.......यही मकसद रहा आज तक जुंमन का."


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jay
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Re: तवायफ़

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जुंमन सर झुका कर बैठा बोल रहा था...काजल और ऋुना दोनो चुपचाप सुन रही थी.


"कोई बात नहीं जुंमन...अब तो तुम आज़ाद हो.....अब तुम कहीं चले जाओ ...मत जाओ वहाँ....""...ऋुना ने कहा.


"जुंमन हमेसा आज़ाद रहा है ऋुना, किसी माई के लाल मे हिम्मत ही नहीं कि जुंमन को क़ैद करके रखे...अरे मैं खुद उस कोठे पे रहता हू...जब चाहता वहाँ से चला जाता...लेकिन आज तक कभी गया नहीं...कोई वजह ही नहीं थी वहाँ से जाने की.,"


"तो अब...आज क्यू...??"



"ऋुना...... जुंमन ने आज तक अपनी जिंदगी मे कोई अच्छा काम नहीं किया है, लेकिन एक काम अब ज़रूर करूँगा.....चाहे जान रहे या चली जाए...लेकिन कोहिनूर अब कोठे पर नहीं जाएगी..अब वो काजल बन कर जिएगी.....सिर्फ़ काजल."



"हां जुंमन, आज मेरा दिल भी यही कह रहा है..........."


"नहीं जुंमन भाई, मुझे जाना होगा......जिसके लिए इतना सबकुछ कुर्बान कर दिया, अब उसकी ख़ुसीयों मे आग क्यू लगाऊ..........मैं वही करूँगी जो लैला बाई कहेंगी....." काजल के चेहरे पर बहुत दर्द था , इतना दर्द की कलेजा फट जाए.


जुंमन खामोश हो गया...लेकिन उसकी आँखे देखकर लग रहा था कि वो काजल की बात मानने को तैयार नहीं है.


ट्रेन के उस डिब्बे मे अब बिल्कुल खामोशी थी....ऋुना और जुंमन काजल के अगल बगल बैठे थे...........जब से काजल ने कहानी बतानी सुरू की थी कम से कम 10 बार जुंमन के मोबाइल पर लैला का फोन आ चुका था...एक दो बार उसने रिसीव किया तो आवाज़ नहीं आई............और उसके बाद उसने फोन उठाया ही नहीं.....काजल की कहानी मे खोया हुआ जो था...........जुंमन बात का पक्का और बिल्कुल निडर था ...इसीलिए अपने सबसे ज़रूरी काम लैला उस से ही करवाती थी.......लेकिन आज काजल की दास्तान का दर्द उसके सीने को चियर गया था.....उसे नफ़रत हो रही थी खुद से भी और लैला से भी.



भोर के 4 बज गये थे...ट्रेन एक छोटे से स्टेशन पर रुकी कोहिनूर, ऋुना और जुंमन ट्रेन से उतर गये....ट्रेन से जैसे ही नीचे उतरे एक बार फिर से जुंमन का फ़ोन बज उठा............उसने ऋुना और काजल को चुप रहने का इशारा किया और उनसे थोड़ी दूर जाकर इस बार फोन उठा लिया...........



"कहाँ मार गया है रे तू..."फोन उठाते ही लैला की तेज आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,जुंमन के जी मे आया कि जमाने भर की गालियाँ सुना दे लैला को, लेकिन कुछ सोच कर खामोश रहा..........



" इतना क्या भड़क रही है..........ट्रेन मे नेटवर्क नहीं आ रहा था तो अपुन नहीं उठाया फ़ोन..........और सोचा था उतरते ही तेरे को कॉल करके बता देगा कि अपुन इधर पहुच गया है...........और सुन जुंमन से तमीज़ से बात करने का......मेरे को जानती है ना तू............." जुंमन की आवाज़ भी धीरे धीरे गरम हो गयी.


"कमीने......??...चल छोड़...हाँ हां चल ठीक है.......... अच्छा सुन , ज़रूरी बात है" लैला जानती थी कि अगर जुंमन सनक गया तो फिर किसी की नहीं सुनेगा., वो अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कॉसिश करते हुए बोली...


"हां बोल"



"तू उन दोनो पर नज़र रखना.............जाने क्यूँ सदा बाबू बहुत नाराज़ हो रहे हैं कि मैने ऋुना के साथ क्यू भेज दिया काजल को.........वो कह रहे थे कि ऋुना काजल को बहकाएगी....वैसे तो वो कोहिनूर मेरी मुट्ठी मे है लेकिन फिर भी तू होशियार रहना...वो दोनो वहाँ से कहीं जानी नहीं चाहिए...........हम जल्द ही वहाँ पहुच रहे हैं ...सदा बाबू ...." लैला की बात अधूरी रह गयी थी कि सदानंद ने रिसीवर छीन लिया उसे से.


"देखो जुंमन, मेरी बात ध्यान से सुनो...मैं कुछ घंटो मे वहाँ पहुचूँगा, तब तक वो लड़की और ऋुना वहाँ से जानी नहीं चाहिए....मैं तुम्हे दौलत से मालामाल कर दूँगा.........लेकिन अगर वो दोनो वहाँ से गयी तो समझ लेना तुम...बोटिया कटवा दूँगा तुम्हारी....."सदानंद बहुत गुस्से मे थे....और शायद उन्हे मालूम नहीं था कि जुंमन कितना खिसका हुआ इंसान है



जुंमन ने सब कुछ सुन लिया चुपचाप , बस हर लफ्ज़ के साथ उसके चेहरे का रंग बदल रहा था........आज जिंदगी मे पहली बार जुंमन ने किसी का इतना बर्दाश्त किया था.......जुंमन के पास कुछ खोने के लिए नहीं था, और शायद इसीलिए वो किसी से नहीं डरता था...एक की 10 सुनाने वाला जुंमन खामोशी से सुनता रहा..


"जी साब, कही नहीं जाएँगी ये दोनो ...आप खुद को तकलीफ़ क्यू देते.....मैं हू ना...." जुंमन एक एक शब्द को चबाता हुआ बोला.



"नहीं तुम बस आज शाम तक उन दोनो पर नज़र रखो, मैं पहुचता हूँ...."सदानंद ने इतना ही कहा और फ़ोन काट कर दिया.

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जुंमन का चेहरा गुस्से से भभक रहा था...लेकिन उसने खुद पर कंट्रोल किया हुआ था........"मादरचोद ..जुंमन को धमकी देता है" उसने फ़ोन कट होते ही गली बकि.



"क्या हुआ जुंमन, किसका फ़ोन था" ऋुना उसके चेहरे के बदले तेवर देखकर बोली.



"ऋुना बाजी आपका घर कितना दूर है यहाँ से...." आज पहली बार जुंमन ने ऋुना बाई की जगह ऋुना बाजी कहा था...वो उसके सवाल का जवाब देने की बजाय बस यही बोला.


"मुश्किल से आधे घंटे लगेंगे...........बताओ तो हुआ क्या....??"



"ऋुना बाजी, कुछ नहीं बस थोड़ा जल्दी कीजिए.........मुझे भूख लग रही...और इस समय तो स्टेशन पर कुछ मिलेगा भी नहीं..चलिए..." जुंमन ने बड़ी सफाई से हर बात पर परदा डाल दिया और छोटा सा बॅग उठाया और चल दिया...पिछे पिछे ऋुना और काजल.




काजल को भी इतना तो समझ मे आ गया था कि बात उसके ही बारे मे हो रही है लेकिन उसने पुछा नहीं कि क्या बात हो रही थी....शायद उसे यकीन था कि जुंमन नहीं बताएगा...... ऋुना ने भी कुछ नहीं कहा क्यूकी उसने जुंमन का शांत रहने के लिए चुपके से किया गया वो इशारा देख लिया था.




इधर मुंबई मे, आलोक के घर पर,



सदानंद अपने आदमियों एक साथ ऋुना के गाओं को निकल गये थे…..उनका एक आदमी रात मे ही निकल गया था जब पता चला कि ऋुना के साथ कोहिनूर गयी है….लेकिन अभी तक वो पहुचा नहीं था.



सदनद अपनी खुद की गाड़ी से निकले थे …..उनके पिछे दो गाड़ियाँ और थी जिनमे उनके ही आदमी भरे थे……….लाख कोसिस के बाद भी किसी फ्लाइट का टिकेट नहीं मिल पाया था और अगले 24 घंटे मे कोई फ्लाइट नहीं थी……ट्रेन का रूट बहुत घूम कर था उस स्टेशन तक , और बस 2-4 घंटे का ही अंतर होता था बाइ रोड और बाइ ट्रेन….और अगर ट्रेन लेट हो गयी तो लगभग बराबर टाइम ही लगता था……..इसलिए मजबूरी मे उन्हे अपनी गाड़ी से ही जाना पड़ रहा था…….लगभग 15 घंटे का रास्ता था वहाँ से ऋुना के गाओं का.




इस बात का खास ख्याल रखा गया था कि आलोक को कोई भनक ना लगे, उसे यही पता था कि उसके पापा किसी रॅली मे जा रहे हैं..वैसे भी उसे कोई खास दिलचस्पी नहीं थी सदानंद के कही आने जाने मे.
*********************************************************************


लगभग 20 मिनिट ऑटो मे चलने के बाद जुंमन, ऋुना और काजल गाओं के बीचो बीच बने एक छोटे से घर के दरवाज़े पर खड़े थे.......घर क्या था अब महज एक खंडहर ही रह गया था...लेकिन दरवाज़े पर ताला लगा था....ऋुना कभी कभी आती थी अपने गाओं.... अभी भोर ही था तो ज़्यादा लोग नहीं दिख रहे थे गाओं मे.



ऋुना ने आगे बढ़कर ताला खोला और सब अंदर चले गये...घर अब खंडहर् हो चुका था, लेकिन देख कर लग रहा था कि किसी जमाने मे एक ख़ुसीयो का बसेरा हुआ करता था..एक बड़ी सी दालान , एक बड़ा से आँगन, तीन कमरे और एक कमरा उपर फर्स्ट फ्लोर पर.........एक वॉशरूम और एक किचन रूम से लगा हुआ ही.


एक हॅंड पंप लगी हुई थी ...और वही एक चीज़ थी जो नयी लगी हुई लग रही थी पूरे घर मे...शायदा जल्द ही उसे लगवाया गया था.



ऋुना ने बॅग को एक कमरे मे रखा और काजल को वॉशरूम की ओर इशारा कर दिया.



जुंमन उस से क्या कहना चाहता था वो जान ना सबसे ज़्यादा ज़रूरी था...जैसे ही काजल वॉशरूम मे घुसी दोनो घर से बाहर निकल गये..........


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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