बजाज की उपन्यास

s_bajaj4u
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Re: बजाज की उपन्यास

Post by s_bajaj4u »

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दोस्तों में संजय एक कहानी लेके आया हु जो मेरे दोस्त की उसी के जुबानी लिख रहा हु उसने कैसे अपना प्रोमाशम लिया उसकी कहानी है।

सर्दियो का मौसम था मेरी एक फाइनेन्स कंपनी मे नई नई जॉब लगी थी ओर वो काफ़ी अच्छी ओर बड़ी कंपनी है मुझे अभी ऑफीस जाते हुये 2 महीने पूरे नही हुये थे लेकिन अपनी चार्मिंग लुक्स ओर स्वभाव से ऑफीस मे काफ़ी फेमस हो गया था. लड़कियो के साथ मेरी बचपन से अच्छी बनती आई है तो मुझे लड़कियो से दोस्ती करने मे ज्यादा टाइम नहीं लगता था ओर मैने वहा काफ़ी अच्छी दोस्ती बना ली थी ओर काफ़ी लड़कियां मुझ पर फिदा भी थी लेकिन में पहले से प्लान कर चुका था की ऑफीस मे अगर किसी पर हाथ मारूँगा तो किसी बड़ी चीज़ पर जिस से कुछ फायदा भी हो तो बस अपने उसी प्लान के मुताबित चल रहा था.



लेकिन मेरी नाइट शिफ्ट थी ओर उसमे कोई ज्यादा ख़ास ओर माल लड़की नही थी तो प्लान पूरा होने मे टाइम लग रहा था लेकिन किस्मत ने साथ दिया ओर मेरे अच्छे काम को देख कर मुझे सुबह की शिफ्ट में कर दिया गया क्योकि सुबह की शिफ्ट मे ज्यादा लड़कियां होती थी ओर उनसे काम करना आसान नही होता था तो मुझे ये काम दिया गयाओर जब पहले दिन मे सुबह को तेयार हो कर ऑफीस पहुचां तो मुझे मेरी सीनियर से मिलने को भेजा गया उसके केबिन मे मुझे उसके ही नीचे काम करना था जैसे ही में केबिन मे अन्दर गया तो सेन्ट की मस्त सी खुशबू आ रही थी वो सामने कुर्सी पर बैठी थी ओर फोन पर बात कर रही थी उसने मुझे बैठने का इशारा किया में कुर्सी पर बैठ गया ओर वो फोन पर थी.

मैने केबिन मे जाने से पहले सोचा की वो बड़ी सी उम्र वाली लेडी होगी लेकिन मेरी तो किस्मत अच्छी चल रही थी वो देखने मे मेरी उम्र की ही लग रही थी उसका कलर बिल्कुल फेयर नही था लेकिन चॉकलेट कलर की स्किन थी उसकी हेयर स्टाइल बहुत अच्छी थी वो दिखने मे बहुत हॉट और सेक्सी थी उसकी लम्बाई ज्यादा नहीं थी लगभग 5 फीट और 4 इंच थी ओर बॉडी पर्फेक्ट शेप मे थी उस दिन उसने हल्के नीले कलर की ऑफीशियल शर्ट ओर ग्रे कलर की पेन्ट पहनी थी उसकी शर्ट मे ही उसके बूब्स टाइट शेप मे दिख रहे थे ओर उसकी ब्रा भी हल्की हल्की दिख रही थी पहली नज़र मे देखने से ही पता चल रहा था की उसके बूब्स 34 साइज़ के थे बाकी कुर्सी पर बैठे होने की वजह से उसकी कमर ओर गांड का साइज़ पता नही चल रहा था.

उसने मेरे आने के बाद उसने 10 मिनिट तक बात फोन पर जारी रखी जिस बीच मे मैने जो कुछ बताया था वो सब चेक आउट कर लिया था ओर इसी बीच शायद उसे लग रहा था की में उसे देख रहा हूँ तो उसने फोन पर बात करते हुये मुझ से इशारे मे पूछा “क्या हुआ” ओर मैने कुछ नही का इशारा कर दिया.लगभग 10 मिनिट के बाद उसने फोन रख दिया ओर मेरी तरफ़ स्माइल करके हाथ आगे बढ़ा कर कहा “हाय आई एम प्रिया” ओर मैने भी हाथ मिलाते हुये कहा अपना परिचय दिया ओर फिर उसने मुझे काम बताया ओर कहा की आज उसे जल्दी जाना है तो में काम संभाल लूँ ओर में काम मे व्यस्त हो गया कुछ दिन काम करता रहा ओर इसी बीच मेरे दिमाग़ की बत्ती भी जल गई थी की पटाना है तो प्रिया को ही पटाना है.

फिर एक टीम मे काम करते हुये हमारी बाते होने लगी ओर इसी बीच मुझे पता लगा की वो मेरे ही आगे की है ओर उपर से जिस मोहल्ले मे मेरा घर था वो वही रूम ले कर रहती थी जो की मेरे लिये प्लस पॉइंट था इस वजह से हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी अब ऑफीस ख़त्म होने के बाद हम साथ मे घर जाया करते जब वो मेरे पीछे बाइक पर बैठती थी तो खुद ही काफ़ी चिपक कर बेठती थी ओरउसके बूब्स मेरी पीठ से टच हो जाते थे ओर उस 15 मिनिट के सफ़र मे मेरा लंड खड़ा ही रहता था ओर मुझे रोज घर आ कर मुट्ठ मार कर उसे शांत करना पड़ता था.
Sanjay Bajaj
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Re: बजाज की उपन्यास

Post by s_bajaj4u »

इसी बीच एक दिन हम ऑफीस मे लेट तक काम कर रहे थे तो उसने मुझसे मस्ती मे पूछ लिया की “प्रेम मुझे लगता है की तुमकुछ छुपाते हो मुझ से जब मुझे घर ड्रॉप करते हो तुम” उसके चेहरे पर एक छोटी सी स्माइल थी ओर वो मेरी तरफ देख रही थी में भी कमीना ही हूँ मैने भी तपाक से बोल दिया की “अगर ना छुपाऊ तो तुम जाने थोड़े दोगे फिर घर” ओर स्माइल दी ओर उसने मेरे पास आ कर पूछा “क्यो जी ऐसा क्या छुपाते हो” मैने कहा “मौका आने पर पता चल जायेगा” ओर उठ कर बाहर आ गया उस दिन काम ज्यादा था तो हमने ऑफीस मे ही खाना खा लिया था तो मैने घर पर फोन करके खाना बनाने के लिये मना कर दिया था ओर तभी प्रिया ने मुझसे कहा की घर पर बोल दे की शायद आज ऑफीस मे ही रुकना पड़े तो मैने ये भी बोल दिया ओर फिर काम निपटाने लगे काम टाइम से पहले ही ख़त्म हो गया तो मैने सोचा घर चला जाता हूँ.

प्रिया ओर में बाइक पर निकले रात के करीबन 11 बजे थेठंड ज्यादा थी तो प्रिया मुझ से कुछ ज्यादा ही चिपक कर बैठी थी ओर मेरे सीने पर अपने हाथो को फेर भी रही थी ओर उसकी गर्म साँसे मेरे कानो को छू रही थी ओर उसकी चुचियां मेरी पीठ मे गढ़ी हुई थी स्वेटर पहने होने के बावजूद मुझे उसके बूब्स अच्छी तरह फील हो रहे थे ओर मेरा लंड ठंड मे भी खड़ा हो गया था मैने प्रिया के घर के बाहर बाइक रोकी और उसे उतरने को कहा और वो उतर गयी ओर मुझ से कहने लगी “प्रेम तुमने तो घर आने को मना कर दिया था तो अब तो घर वालो ने दरवाजा बन्द कर दिया होगा फिर क्या करोगे”.
Sanjay Bajaj
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Re: बजाज की उपन्यास

Post by s_bajaj4u »

हुआ यूँ की मैने कह दिया की “जगाना पड़ेगा उन्हे अब” उसने मेरे हाथ पर हाथ रखते हुये कहा की “एक काम करो आज मेरे यहा ही रुक जाओ परिवार को क्यों तंग करना” मैने भी ठीक हे कहा ओर अपने ऑफिस बेग से
अपने खड़े लंड को छुपाते हुये बाइक को बरामदे मे पार्क करने लगा बेग को आगे लटका कर बाइक पार्क करने मे दिक्कत हो रही थी जो प्रिया ने नोटीस कर लिया ओर उसने कहा की बेग मुझे पकड़ा दो मैने मना किया लेकिन फिर भी उसने बेग मुझसे ले लिया ओर जैसे ही बेग हटाया तो लाइट की रोशनी मे मेरा तने हुये लंड का तंबू उसे दिख गया ओर उसने झट से पूछा प्रेम ये क्या है मैने हँसते हुये कहा वही है जो रोज छुपाता हूँ ओर आज तुम ने पकड़ ही लिया.ओर उसने हँसते हुये कहा लल्लू अभी पकड़ा कहा है अभी तक तो हाथ भी नही लगाया. ओर मेरे पास आ कर मेरे कान में धीरे से बोली प्रेम मेरे ज़रा से चिपकने से तुम्हारा ये हाल है तो बाकी से क्या हाल होगा.

मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने पास खींचते हुये बोला की “ट्राइ कर के देख लो क्या हाल होगा” ओर उसके होठों को चुमने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी ओर ज़ोर ज़ोर से होठों को चूस रही थी मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था वो उसकी टांगो के बीच मे उसकी चूत के ऊपर रगड़ रहा था जिससे वो ओर टाइट हो गया. मैने उसको घुमाया ओर उसकी गांड को बाइक पर टीका कर उसे चुमने लगा ओर उसके एक बोबे को अपने हाथो से दबाने लगा वो गर्म होने लगी थी ओर मुझे ओर ज़ोर से किस करने लगी थी ओर अपनी जीभ मेरे मुँह मे घुसेड़ने लगी ओर अपना हाथ मेरे हाथ पर रखकर अपने बोबे दबवाने लगी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ओर वो भी अपनी गांड हिलाने लगी थी लेकिन तभी दूर से आती एक गाड़ी की लाइट पड़ी तो हम अलग हो गये ओर वो रूम का लॉक खोलने लगी ओर में बाइक पार्क करके अंदर आ गया.


उसका रूम काफ़ी अच्छा था उसने ज़मीन पर ही अच्छे से बिस्तर लगा रखा था जो काफ़ी नरम था.अंदर आते ही वो सीधा बाथरूम मे चली गयी ओर मुझे अंदर से आवाज़ लगा कर कहा “में फ्रेश हो कर आती हूँ तुम भी तब तक बैठ जाओ” मुझे कहा आराम आना था मेरा तो डंडा खड़ा था ओर झटके मार रहा था मैने भी जल्दी से अपने कपड़े उतारे ओर केवल चड्डी मे बाथरूम के पास गया ओर प्रिया को आवाज़ लगाई ओर कहा की मुझे भी मन कर रहा है नहाने का आ जाऊ. ओर उसने कोई जवाब नही दिया बस दरवाजा खोल दिया मैं भी झट से अंदर घुस गया ओर देखा वो सफेद पेन्टी ओर ब्रा मे शावर के नीचे खड़ी थी गर्म पानी के छीटे उस पर से हो कर मुझ पर गिर रहे थे पानी उसके सर से होता हुआ उसकी ब्रा मे उसके बोबो के बीच की धारी मे जा रहा था ओर सफेद रोशनी मे भीगी हुई क्या लग रही थी यार बता नही सकता उसने मुझसे कहा की “मेरे बाहर आने तक का वेट नही हो रहा था जो अभी नहाना था.
मेंने झट से उसे अपनी बाहों मे भर कर बिना कुछ कहे उसकी गर्दन पर किस करने लगा ओर चूसने लगा पानी उसकी गर्दन से बहता हुआ मेरे मुँह मे जा रहा था जो नमकीन सा लग रहा था वो भी मेरे बालो मे उंगलियां डाल कर सहला रही थी. मैने उसके होठों को चुमना शुरू कर दिया ओर वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरे होठ चुसने लगी मैने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुये उसकी ब्रा का हुक खोल दिया ओर उसने जल्दी से अपनी ब्रा अपने कंधो से अलग कर दी ओर मेरेसामने उसके नंगे बोबे थे क्या चीज़ थी वो यार बिल्कुल तने हुये हार्ड थे ओर उस पर भूरे कलर के निप्पल कमाल लग रहे थे मैने झट उन्हे मसलना शुरू कर दिया ओर अब वो आँहे भरने लगी अहह सस्स्स्स्स्सस्स की आवाज़े निकालने लगी.
Sanjay Bajaj
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मैने उसके निपल को मुँह मे लेकर चुसना शुरू कर दिया ओर वो पागल हो गयी अपने बोबो को मेरे मुँह मे ओर ज़ोर से दबाने लगी ओरअपनी चूत को मेरे लंड पे रगड़ने लगी. क्या सीन था दोस्तो में तो बस उसके रसीले बोबे चुखते ही उनको खा ही जाना चाहता था.मैने अब उसे बाथरूम की दीवार के सहारे खड़ा किया ओर अब दोनो हाथो से उसके बोबो को नींबू की तरह निचोड़ रहा था ओर वो आवाजे कर रही थी सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहह की आवाजे निकाल रही थी फिर मैने एक हाथ उसकी गांड पर फेरना शुरू कर दिया ओर पेन्टी में हाथ डाल कर उसकी गांड दबाने लगा ओर उसे अपनी तरफ खींच कर अपने लंड से उसकी चूत रगड़ने लगा वो भी मेरा साथ दे रही थी ओर अपनी चूत लंड पर रगड़ रही थी. मैने उसे पेन्टी उतारने को कहा उसने एक हाथ से पेन्टी नीचे की ओर की फिर टांगो से बाहर निकाल दी क्या चूत थी उसकी यार एक दम डबल रोटी के जैसी फूली हुई ओर एक भी बाल नही था पूरी क्लीन शेव थी मैने अपना हाथ उसके ऊपर फेरना शुरू किया तो वो काँप उठी ओर मेरे होठों को काटने लगी.
मैने उसकी चूत के अंदर उंगली डाल कर हिलाना शुरू कर दिया वो बिल्कुल टाइट थी ओर बहुत गर्म थी वो भी अपनी गांड हिला हिला कर उंगली अंदर ले रही थी ओर आह्ह्ह आह्ह्ह की आवाज़े निकाल रही थी मेरा लंड तो अब खड़े खड़े दर्द करने लगा था ओर शायद उसे ये पता लग गया उसने मुझे घुमा दिया ओर दीवार के साइड कर दिया ओर झट से नीचे झुक कर मेरा अंडरवेयर उतार कर मेरे लंड को हाथो मे ले कर सहलाने लगी ओर एक बार मेरी ओर देख कर उसे मुँह मे ले लिया ओर चूसने लगी. ओह माई गॉड क्या फीलिंग थी यार उसका गर्म गर्म थूक मेरे लंड पर चिकना सा लग रहा था उसके मुँह मे लंड आधा ही जा रहा था लेकिन वो उसे पूरा गले तक लेने की कोशिश कर रही थी में बता नही सकता यार की वो कितने अच्छे से लंड चूसती थी
Sanjay Bajaj
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