Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन
बंधुओ एक और रचना शुरू कर रहा हूँ ये रचना भी पारवारिक रिश्तो का ताना बाना है इस रचना में एक विधवा माँ और उसके बेटे के बीच बने अवैध रिश्ते का व्याख्यान है जो आपको पसंद आएगा जिन बंधुओ को रिश्तों मे कहानियाँ पढ़ने में अरुचि होती हो वो कृपया इस रचना को ना पढ़ें . चलिए अब ज़्यादा बोर ना करते हुए कहानी की तरफ चलते हैं
Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन complete
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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन
दिव्या अपने लंबे लंबे काले बालों को चेहरे से हटाते हुए अपने बेटे के बेडरूम के दरवाजे की ओर गुस्साई नज़रों से देखती है.
"बॉब्बी, मैं जानती हूँ तुम वहाँ पर इस समय क्या कर रहे हो! मुझे तुम्हारी ये रोज़ाना हस्तमैथुन करने की आदत से नफ़रत है. बॉब्बी क्या तुम सुन रहे हो?
नयी नयी जवानी मे पाँव रख रहे उस के बेटे ने कोई जवाब नही दिया. बेड की पुष्ट की दीवार से टकराने की लगातार आ रही आवाज़ और उँची हो जाती है, और बॉब्बी और भी आतूरता से अपने लंड को पीटने लग जाता है. उसकी कलाई उसके मोटे, लंबे और सख़्त लंड पर उपर नीचे और भी तेज़ी से फिसलने लग जाती है.
"बॉब्बी"
दिव्या ने तेश मे आते हुए ज़ोर से अपने पावं को फरश पर पटका. वो 36 बरस की यौवन से भरपूर नारी थी. बड़ी बड़ी काली आँखे, लंबे बाल छरहरा बदन और उसपे मोटे मोटे गोल मटोल मम्मे उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे.
"बॉब्बी, मेरी बात को अनसुना मत करो"
बॉब्बी एक गहरी सांस लेता है और बेड की पुष्ट की दरवाजे से टकराने की आवाज़ और भी उँची हो जाती है. शायद वो स्खलन के करीब था. दिव्या गुस्से से लाल होती हुई दरवाजे से पीछे की ओर हटते हुए नीचे हाल की तरफ बढ़ जाती है. उसने एक टाइट जीन्स और नीले रंग की शर्ट पहनी है जिसमे कि उसके मोटे मम्मे बिना ब्रा के काफ़ी उछल कूद मचा रहे होते हैं. यह किसी भी घरेलू ग्रहिणी के घर पर पहनने के लिए नॉर्मल पोशाक मानी जा सकती थी मगर वो जिस हालात मे से गुज़र रही थी वो नॉर्मल नही थे.
एक तो वो तलाक़सुदा थी और उसकी नौकरी से उसे बहुत ज़्यादा सॅलरी नही मिलती थी. उसके बेटे की पढ़ाई का खर्च उसके पति द्वारा दिए गये खर्च से होता था और उसकी अपनी सॅलरी से घर का खर्च अच्छे से चल जाता था. कुल मिलाकर वो कोई रईसजादि नही थी लेकिन जीवन की सभी आवश्यक ज़रूरते पूरी हो जाती थी. उसकी खुशकिस्मती यह थी कि तलाक़ के बाद उसके पति ने घर को खुद उसके नाम कर दिया था और बेटे की पढ़ाई के खर्च की ज़िम्मेदारी भी अपने उपर ली थी ता कि तलाक़ आसानी से हो जाए. इन सब के उपर बॉब्बी की हस्तमैथुन की लत ने उसे परेशान किया हुआ था.
यह 6 महीने पहले शुरू हुआ था जब उसका नया नया तलाक़ हुआ था. बॉब्बी 18 बरस का बहुत ही सुंदर और मज़बूत कद काठी का मालिक था. उसकी जीन्स मे हर समय रहने वाले उभार को दिव्या शरम के बावज़ूद वी नज़रअंदाज़ नही कर सकती थी. दिव्या ने कहीं पर पढ़ा था कि किशोर युवकों में संभोग की बहुत ही तेज़ और ज़ोरदार चाहत होती है. मगर अपने बेटे की पॅंट में हर समय रहने वाला उभार उसके लिए अप्रत्याशित था.
उसे लगता था कि शायद उसकी सुंदर काया उसके बेटे के हस्तमैथुन का कारण है. दिव्या की कमर ज़रूरत से कुछ ज़यादा ही पतली थी और उसकी लंबी टाँगे और उसकी वो गोल मटोल उभरी हुई गान्ड. मगर उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे उसके बड़े बड़े मोटे मोटे मम्मे. एसा लगता था जेसे वो कमीज़ फाड़ कर बाहर आना चाहते हों जेसे वो पुकार पुकार कर कह रहे हों आओ और हमें निचोड़ डालो. उसका जिस्म हर मर्द को अपनी ओर आकर्षित करता था और उसे डर था कि उसका अपना बेटा भी कोई अपवाद नही है. तलाक़ के बाद पिछले 6 महीनो में उसने अपने बेटे को अक्सर उसके जिस्म का आँखो से चोरी चोरी मुयायना करते हुए पकड़ा था और उसकी पैंट में उस वक्त बनने वाले तंबू को देखकर वो अक्सर काँप जाया करती थी
'कम से कम उसे खुद को रोकने की कोशिस तो करनी चाहिए' दिव्या सोचती 'या कम से कम उसे यह काम धीमे बिना किसी आवाज़ के करना चाहिए'. इस वक़्त दुपहर के साढ़े तीन बाज रहे थे और बॉब्बी को घर आए हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था. वो घर आते ही भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ कर सीधे उपर अपने कमरे में चला गया उसकी पैंट में सामने का उभार सॉफ दिखाई दे रहा था.
दो मिनिट बाद ही थप थप की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. वो यह आवाज़ रोज़ाना कम से कम चार बार सुनती थी. उसने कयि बार कोशिस की बॉब्बी से इस बाबत बात करने की नर्मी से भी और सख्ताइ से भी लेकिन बॉब्बी कभी भी उसकी सुनता नही था. उसने जवाब मे सिर्फ़ इतना ही कहा था कि वो चाह कर भी खुद को रोक नही पाता जैसे ही उसका लंड खड़ा होता था उसके हाथ खुद ब खुद उसे रगड़ने के लिए उठ जाते थे.
'नहीं ऐसे नही चलेगा, उसे खुद पर संयम रखना सीखना होगा' दिव्या ने सहसा अपने ख़यालों से बाहर आते हुए खुद से कहा. वो उठकर हॉल के क्लॉज़ेट मे से बॉब्बी के कमरे की चाबी निकालती है. पक्के इरादे के साथ वो बॉब्बी के कमरे की ओर वापस बढ़ जाती है यह सोचते हुए कि आज वो अपने बेटे को रंगे हाथों पकड़ने जा रही है. किसी युवक के लिए इतना हस्तमैथुन ठीक नही था. बॉब्बी को अपनी शरीरक़ इच्छाओं को काबू में रखना सीखना होगा.
"बॉब्बी, मैं जानती हूँ तुम वहाँ पर इस समय क्या कर रहे हो! मुझे तुम्हारी ये रोज़ाना हस्तमैथुन करने की आदत से नफ़रत है. बॉब्बी क्या तुम सुन रहे हो?
नयी नयी जवानी मे पाँव रख रहे उस के बेटे ने कोई जवाब नही दिया. बेड की पुष्ट की दीवार से टकराने की लगातार आ रही आवाज़ और उँची हो जाती है, और बॉब्बी और भी आतूरता से अपने लंड को पीटने लग जाता है. उसकी कलाई उसके मोटे, लंबे और सख़्त लंड पर उपर नीचे और भी तेज़ी से फिसलने लग जाती है.
"बॉब्बी"
दिव्या ने तेश मे आते हुए ज़ोर से अपने पावं को फरश पर पटका. वो 36 बरस की यौवन से भरपूर नारी थी. बड़ी बड़ी काली आँखे, लंबे बाल छरहरा बदन और उसपे मोटे मोटे गोल मटोल मम्मे उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे.
"बॉब्बी, मेरी बात को अनसुना मत करो"
बॉब्बी एक गहरी सांस लेता है और बेड की पुष्ट की दरवाजे से टकराने की आवाज़ और भी उँची हो जाती है. शायद वो स्खलन के करीब था. दिव्या गुस्से से लाल होती हुई दरवाजे से पीछे की ओर हटते हुए नीचे हाल की तरफ बढ़ जाती है. उसने एक टाइट जीन्स और नीले रंग की शर्ट पहनी है जिसमे कि उसके मोटे मम्मे बिना ब्रा के काफ़ी उछल कूद मचा रहे होते हैं. यह किसी भी घरेलू ग्रहिणी के घर पर पहनने के लिए नॉर्मल पोशाक मानी जा सकती थी मगर वो जिस हालात मे से गुज़र रही थी वो नॉर्मल नही थे.
एक तो वो तलाक़सुदा थी और उसकी नौकरी से उसे बहुत ज़्यादा सॅलरी नही मिलती थी. उसके बेटे की पढ़ाई का खर्च उसके पति द्वारा दिए गये खर्च से होता था और उसकी अपनी सॅलरी से घर का खर्च अच्छे से चल जाता था. कुल मिलाकर वो कोई रईसजादि नही थी लेकिन जीवन की सभी आवश्यक ज़रूरते पूरी हो जाती थी. उसकी खुशकिस्मती यह थी कि तलाक़ के बाद उसके पति ने घर को खुद उसके नाम कर दिया था और बेटे की पढ़ाई के खर्च की ज़िम्मेदारी भी अपने उपर ली थी ता कि तलाक़ आसानी से हो जाए. इन सब के उपर बॉब्बी की हस्तमैथुन की लत ने उसे परेशान किया हुआ था.
यह 6 महीने पहले शुरू हुआ था जब उसका नया नया तलाक़ हुआ था. बॉब्बी 18 बरस का बहुत ही सुंदर और मज़बूत कद काठी का मालिक था. उसकी जीन्स मे हर समय रहने वाले उभार को दिव्या शरम के बावज़ूद वी नज़रअंदाज़ नही कर सकती थी. दिव्या ने कहीं पर पढ़ा था कि किशोर युवकों में संभोग की बहुत ही तेज़ और ज़ोरदार चाहत होती है. मगर अपने बेटे की पॅंट में हर समय रहने वाला उभार उसके लिए अप्रत्याशित था.
उसे लगता था कि शायद उसकी सुंदर काया उसके बेटे के हस्तमैथुन का कारण है. दिव्या की कमर ज़रूरत से कुछ ज़यादा ही पतली थी और उसकी लंबी टाँगे और उसकी वो गोल मटोल उभरी हुई गान्ड. मगर उसके जिस्म को चार चाँद लगाते थे उसके बड़े बड़े मोटे मोटे मम्मे. एसा लगता था जेसे वो कमीज़ फाड़ कर बाहर आना चाहते हों जेसे वो पुकार पुकार कर कह रहे हों आओ और हमें निचोड़ डालो. उसका जिस्म हर मर्द को अपनी ओर आकर्षित करता था और उसे डर था कि उसका अपना बेटा भी कोई अपवाद नही है. तलाक़ के बाद पिछले 6 महीनो में उसने अपने बेटे को अक्सर उसके जिस्म का आँखो से चोरी चोरी मुयायना करते हुए पकड़ा था और उसकी पैंट में उस वक्त बनने वाले तंबू को देखकर वो अक्सर काँप जाया करती थी
'कम से कम उसे खुद को रोकने की कोशिस तो करनी चाहिए' दिव्या सोचती 'या कम से कम उसे यह काम धीमे बिना किसी आवाज़ के करना चाहिए'. इस वक़्त दुपहर के साढ़े तीन बाज रहे थे और बॉब्बी को घर आए हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था. वो घर आते ही भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ कर सीधे उपर अपने कमरे में चला गया उसकी पैंट में सामने का उभार सॉफ दिखाई दे रहा था.
दो मिनिट बाद ही थप थप की आवाज़ आनी शुरू हो गयी. वो यह आवाज़ रोज़ाना कम से कम चार बार सुनती थी. उसने कयि बार कोशिस की बॉब्बी से इस बाबत बात करने की नर्मी से भी और सख्ताइ से भी लेकिन बॉब्बी कभी भी उसकी सुनता नही था. उसने जवाब मे सिर्फ़ इतना ही कहा था कि वो चाह कर भी खुद को रोक नही पाता जैसे ही उसका लंड खड़ा होता था उसके हाथ खुद ब खुद उसे रगड़ने के लिए उठ जाते थे.
'नहीं ऐसे नही चलेगा, उसे खुद पर संयम रखना सीखना होगा' दिव्या ने सहसा अपने ख़यालों से बाहर आते हुए खुद से कहा. वो उठकर हॉल के क्लॉज़ेट मे से बॉब्बी के कमरे की चाबी निकालती है. पक्के इरादे के साथ वो बॉब्बी के कमरे की ओर वापस बढ़ जाती है यह सोचते हुए कि आज वो अपने बेटे को रंगे हाथों पकड़ने जा रही है. किसी युवक के लिए इतना हस्तमैथुन ठीक नही था. बॉब्बी को अपनी शरीरक़ इच्छाओं को काबू में रखना सीखना होगा.
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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन
दिव्या ने डोर खोला और अंदर दाखिल हो गयी. बूबी को एक लम्हे बाद एहसास हुआ कि उसकी मम्मी डोर खोल कर अंदर आ गयी है. उसे ऐसी आशा नही थी. वो हमेशा डोर लॉक करके हस्तमैथुन करता था लेकिन उसने कभी नही सोचा था कि उसकी मम्मी दूसरी चाबी से लॉक खोल सकती है. जैसी दिव्या को आशा थी, वो पीठ के बल लेटा हुआ था और उसकी पॅंट बेड के पास नीचे पड़ी हुई थी. बेबी आयिल की एक बोतल बेड के पास रखे नाइट्स्टेंड के उपर खुली पड़ी थी. बॉब्बी अपने होंठो पर जीभ फेरते हुए अपनी कलाई को अपने लंड पर उपर नीचे करते हुए और भी तेज़ी से चलाने लगता है.
दिव्या अपने बेटे के लंड को निगाह भर कर देखती है. यह पहली बार था कि वो अपने बेटे के पूर्ण रूप से विक्षित खड़े लंड को उसके असली रूप मे देख रही थी. उसकी कल्पना के अनुसार उसके बेटे के लंड का साइज़ छोटा होना चाहिए था यदि वो पूर्ण रूप से वयस्क था.
मगर उसने पहली नज़र मे ही जान लिया कि उसकी कल्पना ग़लत थी. बॉब्बी का लंड बहुत बड़ा था. घूंघराली झान्टो के बीच मे खड़े उस मोटे सख़्त लंड की लंबाई कम से कम 9 इंच थी और उसकी मोटाई उसकी कलाई के बारोबार थी. लंड का सुपाडा किसी छोटे सेब जितना मोटा था और गहरे लाल रंग की गहराई लिए हुए था उसके मुँह से रस बाहर आ रहा था. उसी पल तलाक़ शुदा सेक्स की प्यासी कुंठित माँ ने अपनी चूत में एक नयी तड़प महसूस की.
उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि अपने बेटे का सख़्त लंड देखकर उसकी चूत इतनी गीली और गरम हो जाएगी.
" ऑल राइट. बॉब्बी. मैं कहती हूँ इसी पल रुक जाओ"
बॉब्बी सर उठाता है और ऐसे दिखावा करता है जैसे उसे अपनी मम्मी के अंदर आने का अभी पता चला हो. वो एक गहरी सांस लेता है और अपने लंड से हाथ हटाकर अपने सर के पीछे बाँध लेता है. वो अपने लंड को छुपाने की कोई कोशिस नही करता है. उसका विकराल लंड भयंकर तरीके से झटके मार रहा होता है. दिव्या अपने बेटे के पास बेड के किनारे बैठ जाती है और प्रयत्न करती है कि वो उसके लंड की ओर ना देखे. हू महसूस करती है कि उसके निपल्स कड़े हो रहे हैं और शर्ट के उपर से नज़र आ रहे हैं. वो मन ही मन सोचती है कि काश उसने ब्रा पहनी होती तो उसके स्तन उसके बेटे के सामने इस तरह झूला नही झूलते.
"मोम मुझे आपसे इस तरह की उम्मीद नही थी" बॉब्बी भूंभुनाते हुए बोलता है "क्या मुझे थोड़ी सी भी प्राइवसी नही मिल सकती"
"तुम अच्छी तरह जानते हो मैने कुछ समय पहले तुम्हारे डोर पर दस्तक दी थी. मेरे ख़याल से इतना प्रयत्न काफ़ी है मेरे द्वारा चाबी यूज़ करने के लिए. तुम जानते हो ये एसा गंभीर मुद्दा है जिसपर हमें बात करने की सख़्त ज़रूरत है. इन दिनो तुम सिर्फ़ हस्तमैथुन मे ही व्यस्त रहते हो. यह सही नही है. तुम कभी भी सामान्य तोर पर विकास नही कर सकोगे अगर तुम अपना सारा समय इस तरह हस्तमैथुन करते हुए बर्बाद करोगे"
"मैं खुद को विवश महसूस करता हूँ मोम. जैसे ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है मेरे हाथ खुद ब खुद उसे रगड़ने के लिए उठ जाते है. आख़िर इसमे ग़लत क्या है" उसने बिना किसी शरम के लंड शब्द का इस्तेमाल किया था. दिव्या उसकी बेशर्मी पर हैरान हो जाती है मगर अपने अंदर एक अजीब सी सिहरन महसूस करती है.
"क्या तुम अपने स्कूल मे किसी हमउम्र लड़की को नही जानते जो तुम्हारे साथ...." दिव्या शरम से लाल हो जाती है ये सोचते हुए कि वो उसे किसी जवान लड़की को चोदने के लिए बोल रही है. "...जो तुम्हे सामान्य तरीके को समझने मे मदद कर सके"
"मम्मी तुम्हारा मतलब अगर किसी लड़की की चुदाई करने से है तो मोम मैं ना जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका हूँ. लड़कियाँ मेरे इस मोटे लंड पे मरती हैं. अगर तुम आग्या दो तो मैं कल एक लड़की लाकर यहीं पर चोद सकता हूँ. मुझे बस हस्तमैथुन करने में हद से ज़यादा मज़ा आता है, इसलिए मैं खुद को रोक नही पाता" दिव्या ने महसूस कर लिया था कि उसका बेटा उसके सामने शरम नही करेगा. उसे खुद की स्थिति बहुत दयनीय लगी, एक तरफ़ तो उसे अपने बेटे से एसी खुली बाते करते हुए अत्यंत शरम महसूस हो रही थी मगर उसका मातृधरम उसे मजबूर कर रहा था कि वो उससे बातचीत करके कोई हल निकाले ऑर दूसरा उसे अपनी चूत मे सुरसूराहट बढ़ती हुई महसूस हो रही थी.
"तुम कम से कम अपनी पॅंट तो वापिस पहन सकते हो जब तुम्हारी माँ तुमसे बात कर रही है. तुम कितने बेशर्म हो गये हो"
"मोम, आप मुझसे बात करना चाहती थी. मैं अब और नही रुक सकता. मेरे टटटे वीर्य से भरे हुए हैं मुझे अपना रस बाहर निकालना है"
उसके बाद उस भारी भरकम लंड के मालिक उसके बेटे ने अपनी मम्मी को फिर से चोंका दिया जब उसने अपना हाथ लंड पर फेरते हुए उसे मजबूती से थाम लिया. असचर्यचकित दिव्या चाह कर भी खुद को अपने बेटे के विशाल लंड को घूर्ने से रोक ना सकी जब बॉब्बी फिर से अपने लंड को धीमे मगर कठोरता से पीटने लग जाता है. बॉब्बी के मुख से कराहने की आवाज़ें निकलने लगती हैं जब उसकी कलाई उसके कुदरती तोर पर बड़े लंड पर उपर नीचे होने लगती है.
दिव्या अपने बेटे के लंड को निगाह भर कर देखती है. यह पहली बार था कि वो अपने बेटे के पूर्ण रूप से विक्षित खड़े लंड को उसके असली रूप मे देख रही थी. उसकी कल्पना के अनुसार उसके बेटे के लंड का साइज़ छोटा होना चाहिए था यदि वो पूर्ण रूप से वयस्क था.
मगर उसने पहली नज़र मे ही जान लिया कि उसकी कल्पना ग़लत थी. बॉब्बी का लंड बहुत बड़ा था. घूंघराली झान्टो के बीच मे खड़े उस मोटे सख़्त लंड की लंबाई कम से कम 9 इंच थी और उसकी मोटाई उसकी कलाई के बारोबार थी. लंड का सुपाडा किसी छोटे सेब जितना मोटा था और गहरे लाल रंग की गहराई लिए हुए था उसके मुँह से रस बाहर आ रहा था. उसी पल तलाक़ शुदा सेक्स की प्यासी कुंठित माँ ने अपनी चूत में एक नयी तड़प महसूस की.
उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि अपने बेटे का सख़्त लंड देखकर उसकी चूत इतनी गीली और गरम हो जाएगी.
" ऑल राइट. बॉब्बी. मैं कहती हूँ इसी पल रुक जाओ"
बॉब्बी सर उठाता है और ऐसे दिखावा करता है जैसे उसे अपनी मम्मी के अंदर आने का अभी पता चला हो. वो एक गहरी सांस लेता है और अपने लंड से हाथ हटाकर अपने सर के पीछे बाँध लेता है. वो अपने लंड को छुपाने की कोई कोशिस नही करता है. उसका विकराल लंड भयंकर तरीके से झटके मार रहा होता है. दिव्या अपने बेटे के पास बेड के किनारे बैठ जाती है और प्रयत्न करती है कि वो उसके लंड की ओर ना देखे. हू महसूस करती है कि उसके निपल्स कड़े हो रहे हैं और शर्ट के उपर से नज़र आ रहे हैं. वो मन ही मन सोचती है कि काश उसने ब्रा पहनी होती तो उसके स्तन उसके बेटे के सामने इस तरह झूला नही झूलते.
"मोम मुझे आपसे इस तरह की उम्मीद नही थी" बॉब्बी भूंभुनाते हुए बोलता है "क्या मुझे थोड़ी सी भी प्राइवसी नही मिल सकती"
"तुम अच्छी तरह जानते हो मैने कुछ समय पहले तुम्हारे डोर पर दस्तक दी थी. मेरे ख़याल से इतना प्रयत्न काफ़ी है मेरे द्वारा चाबी यूज़ करने के लिए. तुम जानते हो ये एसा गंभीर मुद्दा है जिसपर हमें बात करने की सख़्त ज़रूरत है. इन दिनो तुम सिर्फ़ हस्तमैथुन मे ही व्यस्त रहते हो. यह सही नही है. तुम कभी भी सामान्य तोर पर विकास नही कर सकोगे अगर तुम अपना सारा समय इस तरह हस्तमैथुन करते हुए बर्बाद करोगे"
"मैं खुद को विवश महसूस करता हूँ मोम. जैसे ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है मेरे हाथ खुद ब खुद उसे रगड़ने के लिए उठ जाते है. आख़िर इसमे ग़लत क्या है" उसने बिना किसी शरम के लंड शब्द का इस्तेमाल किया था. दिव्या उसकी बेशर्मी पर हैरान हो जाती है मगर अपने अंदर एक अजीब सी सिहरन महसूस करती है.
"क्या तुम अपने स्कूल मे किसी हमउम्र लड़की को नही जानते जो तुम्हारे साथ...." दिव्या शरम से लाल हो जाती है ये सोचते हुए कि वो उसे किसी जवान लड़की को चोदने के लिए बोल रही है. "...जो तुम्हे सामान्य तरीके को समझने मे मदद कर सके"
"मम्मी तुम्हारा मतलब अगर किसी लड़की की चुदाई करने से है तो मोम मैं ना जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका हूँ. लड़कियाँ मेरे इस मोटे लंड पे मरती हैं. अगर तुम आग्या दो तो मैं कल एक लड़की लाकर यहीं पर चोद सकता हूँ. मुझे बस हस्तमैथुन करने में हद से ज़यादा मज़ा आता है, इसलिए मैं खुद को रोक नही पाता" दिव्या ने महसूस कर लिया था कि उसका बेटा उसके सामने शरम नही करेगा. उसे खुद की स्थिति बहुत दयनीय लगी, एक तरफ़ तो उसे अपने बेटे से एसी खुली बाते करते हुए अत्यंत शरम महसूस हो रही थी मगर उसका मातृधरम उसे मजबूर कर रहा था कि वो उससे बातचीत करके कोई हल निकाले ऑर दूसरा उसे अपनी चूत मे सुरसूराहट बढ़ती हुई महसूस हो रही थी.
"तुम कम से कम अपनी पॅंट तो वापिस पहन सकते हो जब तुम्हारी माँ तुमसे बात कर रही है. तुम कितने बेशर्म हो गये हो"
"मोम, आप मुझसे बात करना चाहती थी. मैं अब और नही रुक सकता. मेरे टटटे वीर्य से भरे हुए हैं मुझे अपना रस बाहर निकालना है"
उसके बाद उस भारी भरकम लंड के मालिक उसके बेटे ने अपनी मम्मी को फिर से चोंका दिया जब उसने अपना हाथ लंड पर फेरते हुए उसे मजबूती से थाम लिया. असचर्यचकित दिव्या चाह कर भी खुद को अपने बेटे के विशाल लंड को घूर्ने से रोक ना सकी जब बॉब्बी फिर से अपने लंड को धीमे मगर कठोरता से पीटने लग जाता है. बॉब्बी के मुख से कराहने की आवाज़ें निकलने लगती हैं जब उसकी कलाई उसके कुदरती तोर पर बड़े लंड पर उपर नीचे होने लगती है.
- Ankit
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Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन
Congratulation for new story
- rangila
- Super member
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- Joined: 17 Aug 2015 16:50
Re: Incest -माँ से बढ़कर प्यारा कौन
Mitr nayi kahani ke liye congratulation
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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