बहू नगीना और ससुर कमीना
- sexi munda
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
sexi update hai mitr
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
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- Ankit
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Happy Republic Day 2018:
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Thanks all for your encouraging comments.
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव और चारु घर पहुँचे तब शाम हो चुकी थी। सब ड्रॉइंग रूम में बैठे थे। मालिनी ने चाय बनाई और उसे देते हुए बोली: बहुत ख़ाली ख़ाली सा लग रहा है मम्मी के जाने के बाद ।
राजीव उसे अपनी गोद में खींचकर उसे प्यार किया और कहा: बहू ,मम्मी की याद तो मुझे आ रही है तुमको तो राजेश याद आ रहा होगा। मस्त गाँड़ मारी थी ना उसने।
मालिनी: पापा अब तो सबको चुदवाते देखकर मेरी भी नीचे खुजाती है। मैं कल अस्पताल जा रही हूँ और जाँच करवा कर आऊँगी। देखते हैं शायद डॉक्टर चुदाई की पर्मिशन दे दे।
राजीव उसे चूमते हुए उसकी चूची दबाकर बोला: सच बहुत दिन हो गए तुम्हें चोदे। उफ़्फ़्फ़्फ मैं तो मरा जा रहा हूँ तुमको चोदने के लिए।
सोफ़े पर अधलेटी मुन्नी बोली: अंकल आप तो सबको करने के लिए मरे जाते हो।
राजीव हँसकर: अरे जिसके घर में बहू जैसी मस्त माल हो वो साला पागल तो हो ही जाएगा ना चोदने के लिए।
इस पर चारु बोली: पापा आप पहले करेंगे दीदी के साथ या हमारे जीजू ?
राजीव: अरे दोनों मिलकर ही ले लेंगे तेरी दीदी की। है ना बहू रानी?
मालिनी हँसकर: हाँ हाँ क्यों नहीं मैंने कब मना किया है?
चारु: बेचारी मुन्नी का क्या होगा? देखो ना अंकल उसके निपल्ज़ कैसे कड़े हो गए हैं?
मुन्नी: हाँ हो गए हैं तो तुझे क्यों जलन हो रही है।
मालिनी उठी और सबके कप लेकर किचन में जाते हुए बोली: अरे क्यों बेकार में लड़ रही हो?
राजीव उठकर मुन्नी के पास जाकर बैठा और उसकी टाँगे सहलाकर मज़े से भर कर बोला: चारु , हमारी रानी गुड़िया को मत चिढ़ाओ। फिर वो हाथ को जाँघ तक ले जाकर सहलाता हुआ बोला: उफ़्फ़्फ बिटिया कितनी चिकनी हो तुम? फिर उसने उसकी स्कर्ट उठाई और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को मूठ्ठी में भरकर दबाने लगा। मुन्नी की आऽऽऽऽऽह निकल गयी। अब वो उसकी पैंटी के साइड से उसकी चूत में उँगलियाँ अंदर किया और मुन्नी उइइइइइइ कहकर अपनी गाँड़ उठा दी। थोड़ी देर तक दो उँगलियाँ अंदर बाहर करने के बाद वो उनको बाहर निकाला और चूसने लगा और बोला: उफ़्फ़्फ क्या स्वाद है।
चारु उठी और कमरे में जाते हुए बोली: मैं तो आराम करने जा रही हूँ। आप लोग मस्ती करो।
राजीव भी शमा को चोदकर थका हुआ था। उसने मस्ती शुरू तो कर दी थी पर वह जानता था कि वह इस समय इस गरम गुड़िया को चोद नहीं सकता था। इसलिए उसने उसका टॉप उठाया और उसकी मस्त चूचियों को मुँह में लेकर चूसते हुए दबाने भी लगा। जब मुन्नी पूरी गरम हो गयी तो वह नीचे बैठा और उसको घुमाकर उसकी पैंटी निकाला और फिर उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखकर वह अपना मुँह उनके बीच में डाला। अब वह बेतहाशा उसकी मस्त गुलाबी चूत चूसने लगा। उसकी लम्बी जीभ मुन्नी को सिसकियाँ लेने पर मजबूर कर दीं और वो आऽऽऽऽऽह उइइइइइइइ उफ़्फ़्फ़्फ कहकर अपने मज़े का इजहार करने लगी और राजीव के सिर को पकड़ कर अपनी बुर में दबाने लगी और साथ ही अपनी गाँड़ भी उछालने लगी। क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद जब राजीव उसकी क्लिट पर हमला किया तो वह उइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइ कहकर उसके मुँह में अपना फ़ौवारा छोड़ने लगी। राजीव उसके मस्त रस को पीते चला गया।
अब राजीव अपना मुँह साफ़ किया और हँसते हुए उठा और अपने कमरे की ओर जाता हुआ बोला: बिटिया रात को चुदाई के लिए तय्यार रहना।
लस्त पड़ी मुन्नी बोली: आऽऽह अंकल अभी तो आपने मेरा पूरा रस ही निचोड़ लिया। रात की रात को देखेंगे। वह वहीं वैसे ही सो गयी।
मालिनी किचन से बाहर आयी तो देखी कि मुन्नी सोफ़े पर सोयी हुई है और उसका टॉप खुला है और स्कर्ट भी ऊपर है और पैंटी ज़मीन पर पड़ी है। उसने अपना माथा पीटा और सोची कि पापा भी बहुत सेक्सी हैं । यहीं सोफ़े पर ही इससे मस्ती कर लिए।
वह उसे वैसे ही छोड़कर अपने कमरे में चली गयी।
शाम को आठ बजे शिवा आया तो ड्रॉइंग रूम में कोई नहीं था। सब अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे । वह अपने कमरे में गया तो वहाँ मालिनी गुड़िया को दूध पिला रही थी। वह शिवा को देखकर मुस्कुराई और शिवा मस्ती में आकर उसके दूसरे दूध को पीने लगा। मालिनी भी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर रही थी।
मालिनी: मैं कल डॉक्टर के पास जाँच करवाने जा रही हूँ।मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता, मुझे भी मज़े से चुदवाना है।
शिवा: ठीक है कल जा कर जाँच करवा लेना। पापा को ले जाना।
मालिनी: नहीं मैं अकेली चली जाऊँगी । पापा घर में गुड़िया का ध्यान रखेंगे।
शिवा दूध पीते हुए: ठीक है जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
उस रात खाना खाकर रात को शिवा ने चारु को और राजीव ने मुन्नी को चोदा और मालिनी गुड़िया के साथ सो गयी।
अगले दिन सबको विदा करके गुड़िया को काम वाली बाई और राजीव को सौंप कर मालिनी अस्पताल चली गयी। अस्पताल में गायनिक की पर्ची कटवा कर वह इंतज़ार करने लगी। जब उसे अंदर बुलाया गया तो वह चौंकी क्योंकि उसकी लेडी डॉक्टर की जगह एक ४२/४५ साल का आदमी था जो काफ़ी तगड़ा सा दिख रहा था।
मालिनी: जी जी वो डॉक्टर निशा नहीं है क्या?
डॉक्टर: वह तो छुट्टी पर है मेरा नाम पाटिल है मैं ही आपको देखूँगा। बैठिए बताइए क्या तकलीफ़ है।
मालिनी थोड़ा सा हिचकिचाई फिर बोली: ये मेरी रिपोर्ट है मुझे कुछ दिनों पहले बेटी हुई है।
पाटिल : हाँ ओके रिपोर्ट तो सब ठीक है। वैसे नीचे अभी सब ठीक है ना?
मालिनी: हाँ जी ठीक है। मैं अपनी जाँच करवाने आयी थी कि नीचे सब ठीक है या नहीं? पर अब निशा नहीं है तो मैं वापस जाती हूँ।
पाटिल: अरे मैं जाँच कर लेता हूँ ना। इसमें क्या बात है। आख़िर मैं भी गायनिक ही हूँ।
तभी एक नर्स आयी और बोली: चलिए आप वहाँ लेटिए ।
नर्स के आने से मालिनी का हौंसला बढ़ा और वह उठकर पार्टिशन के पीछे रखे बिस्तर पर लेट गयी। उसने साड़ी पहनी थी और पैंटी नहीं पहनी थी कि आख़िर जाँच के लिए खोलनी तो होगी ही ।
नर्स ने उसे अपनी क़मर उठाने को कहा। वह जब कमर उठाई तो उसने उसकी साड़ी पेटिकोट समेत ऊपर कर दी और उसकी बुर एकदम से नंगी हो गयी। मालिनी इस अचानक हमले से चौंक गयी। तभी नर्स बोली: आइए डॉक्टर सब तय्यार है।
पाटिल का सोचकर मालिनी ने शर्म से आँखे बंद कर ली। डॉक्टर अंदर आया और मालिनी की चिकनी साफ़ सुंदर बुर को देखा और देखता ही रह गया। उसने बड़ी मुश्किल से वहाँ से नज़र हटायी और मालिनी के पेट से साड़ी हटाकर उसका पेट दबाकर चेक करने लगा। मालिनी ने आँखे खोली और दोनों की नज़रें मिली।
तभी नर्स का फ़ोन बजा और वह बोली: डॉक्टर मुझे जाना होगा। इमर्जन्सी में बुला रहे हैं । वह चली गयी।
अब पाटिल उसके चिकने पेट को चेक करते रहा और उसकी नाभि में ऊँगली डालकर मस्ती से भरने लगा। उसके पैंट में तंबू बनने लगा था। फिर वह बोला: बेटी कोई तकलीफ़ है क्या?
मालिनी: जी नहीं सब ठीक है। बस आप नीचे की जाँच कर लीजिए कि सब ठीक है या नहीं? बोलने के साथ ही वह झेंप सी गयी।
पाटिल: हाँ देखता हूँ अभी नीचे भी। पहले तुम्हारा ब्लड प्रेशर देख लूँ। यह कहकर वो उसके हाथ में पट्टी लगाने लगा और उसका हाथ का किनारा उसकी उभरी हुई छातियों से टकरा गया। मालिनी को थोड़ा अजीब सा लगा फिर सोची कि डॉक्टर से कैसी शर्म । फिर पाटिल बोला: बेटी बी पी तो सही है। बाक़ी की जाँच भी कर लेता हूँ।
अब वह उसकी साड़ी को छातियों से हटाया और स्टेठेस्कोप को उसकी छातियों पर दबाकर वो उसके उभारों को महसूस करते हुए चेक अप किया। मालिनी की आँख अचानक उसके तंबू पर पड़ी और वह हैरान हो कर सोची कि हे भगवान ये कैसा डॉक्टर है। पर एक बात मालिनी सोचकर मन में मुस्कुराई कि तंबू तो शिवा और पापा सरीखा ही बड़ा सा बना हुआ है। तभी वो महसूस करी कि उसका हाथ ज़्यादा ही देर तक उसके उभारों पर है। वह बोली: सब ठीक है ना?
पाटिल: हाँ सब ठीक है । अब नीचे की जाँच कर लेता हूँ।पर पहले दरवाज़ा बंद कर लेता हूँ कहीं कोई अंदर नहीं आ जाए। अब वो दरवाज़ा बंद करके अपने तंबू को ऐडजस्ट करते हुए ,उसके पैरों की ओर गया। जैसे ही उसकी निगाह उसके जाँघों पर पड़ी वह उनको सहलाया और बोला: बेटी जाँघे फैलानी पड़ेंगी ना। और घुटने भी मोड़ने होंगे।
मालिनी ने टाँगें फैला दीं और घुटने मोड़ दिए। और उसकी पूरी कचौरी सी फूली बुर उसकी आँखों के सामने थी। डॉक्टर के मुँह से आह निकल गयी। वो उसकी बुर की फाँक को देखा और बोला: बेटी इतनी सुंदर चू- मतलब योनि मैंने नहीं देखी। जानती हो मैंने हज़ारों नंगी लड़कियाँ और औरतें देखीं हैं पर उफ़्फ़्फ इतनी सुंदर योनि कभी नहीं देखी।
मालिनी शर्मा कर: क्या डॉक्टर जैसे सबकी होती है वैसी ही मेरी है। अच्छा चेक अप करिए ना । मेरे पति बहुत आतुर हो रहे हैं सेक्स के लिए। उसने मन में सोचा कि शिवा ही नहीं पापा भी पागल हो रहे हैं मेरी बुर की चुदाई के लिए।
अब वह उसकी बुर को सहलाते हुए बोला: अरे नहीं नहीं बेटी ये तो बहुत ही प्यारी है। उसकी हथेली मालिनी को अंदर तक उत्तेजित कर रही थी। उसकी इच्छा हुई कि गाँड़ उछालकर अपनी चूत में घुसेड़ ले उसकी उँगलियाँ ।पर शर्म के मारे चुपचाप लेटी रही। अब डॉक्टर ने उसकी चूत की फाँकों को फैलाया और उसके अंदर झाँका। उफ़्फ़्फ क्या गुलाबी छेद था और एकदम साफ़ सुथरी बुर थी। वह बोल उठा: बेटी सब ठीक है अंदर से ।अब तुम चुदवा सकती हो। वैसे जैसे तुम्हारे पति का मन करता है चुदाई के लिए, तुम्हारा भी तो मन करता होगा ना चुदवाने को।
मालिनी बोल उठी: हाँ मेरा भी मन करता है।
पाटिल: ये तो बिलकुल सामान्य बात है । वैसे एक बात बोलूँ ये इतनी सुंदर है कि बेटी बड़ा मन हो रहा है, एक चुम्बन ले लूँ इसका?
मालिनी शर्मा कर आँख बंद कर ली और कोई जवाब नहीं दी। पाटिल ने इसे उसकी हामी समझी और उसकी बुर का एक नहीं कई चुम्मा ले लिया। अब मालिनी की सिसकी निकल गयी। फिर वो उँगलियाँ अंदर डालकर जाँच लिया और बोला: बेटी ये बताओ कि एक बच्चा पैदा करने के बाद भी तुम्हारी चूत इतनी टाइट कैसे है?
मालिनी: वो डॉक्टर मैंने चू- मतलब योनि को टाइट करने की एक्सर्सायज़ की थी जैसे डॉक्टर शांति जी ने बताया था।
पाटिल: उफ़्फ़्फ ये बिलकुल हैरानी की बात है बेटी । क्या मस्त टाइट चूत है तुम्हारी। इस बार उसने चूत शब्द का इस्तेमाल कर ही लिया। मालिनी तो चूत और ऐसे शब्दों की आदी थी सो उसे भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। बल्कि अब उसकी चूत पानी छोड़ रही थी डॉक्टर पाटिल की हरकतों के कारण।
पाटिल अब मस्त होकर बोला: बेटी बड़ा मन कर रहा है इसे चाटने का। चाट लूँ?
मालिनी चुप रही और पाटिल झुका और उसकी चूत की फ़ाकें फैलाकर अपनी जीभ डालकर चाटने लगा। अब मालिनी अपने पर क़ाबू नहीं रख सकी और अपनी गाँड़ उठाकर आऽऽऽऽऽह करके अपनी चूत चटवाने लगी। थोड़ी देर बाद वह उत्तेजना से अपनी चूचियाँ ब्लाउस के ऊपर से मसलने लगी। फिर वह बोली: आऽऽऽऽऽह डॉक्टर मेरी चूची भी दबाओ ना। आऽऽऽऽऽह । मस्त लग रहा है।
पाटिल ने अपने हाथ बढ़ाए और उसकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबोच कर दबाते हुए चूत चाटने लगा। मालिनी आऽऽऽऽऽह उइइइइइइ कहकर मस्त हो रही थी। तभी पाटिल ने अपना सिर उसकी चूत से हटाया और वो बोल उठी: आऽऽऽऽह क्या हुआ डॉक्टर ? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।
राजीव उसे अपनी गोद में खींचकर उसे प्यार किया और कहा: बहू ,मम्मी की याद तो मुझे आ रही है तुमको तो राजेश याद आ रहा होगा। मस्त गाँड़ मारी थी ना उसने।
मालिनी: पापा अब तो सबको चुदवाते देखकर मेरी भी नीचे खुजाती है। मैं कल अस्पताल जा रही हूँ और जाँच करवा कर आऊँगी। देखते हैं शायद डॉक्टर चुदाई की पर्मिशन दे दे।
राजीव उसे चूमते हुए उसकी चूची दबाकर बोला: सच बहुत दिन हो गए तुम्हें चोदे। उफ़्फ़्फ़्फ मैं तो मरा जा रहा हूँ तुमको चोदने के लिए।
सोफ़े पर अधलेटी मुन्नी बोली: अंकल आप तो सबको करने के लिए मरे जाते हो।
राजीव हँसकर: अरे जिसके घर में बहू जैसी मस्त माल हो वो साला पागल तो हो ही जाएगा ना चोदने के लिए।
इस पर चारु बोली: पापा आप पहले करेंगे दीदी के साथ या हमारे जीजू ?
राजीव: अरे दोनों मिलकर ही ले लेंगे तेरी दीदी की। है ना बहू रानी?
मालिनी हँसकर: हाँ हाँ क्यों नहीं मैंने कब मना किया है?
चारु: बेचारी मुन्नी का क्या होगा? देखो ना अंकल उसके निपल्ज़ कैसे कड़े हो गए हैं?
मुन्नी: हाँ हो गए हैं तो तुझे क्यों जलन हो रही है।
मालिनी उठी और सबके कप लेकर किचन में जाते हुए बोली: अरे क्यों बेकार में लड़ रही हो?
राजीव उठकर मुन्नी के पास जाकर बैठा और उसकी टाँगे सहलाकर मज़े से भर कर बोला: चारु , हमारी रानी गुड़िया को मत चिढ़ाओ। फिर वो हाथ को जाँघ तक ले जाकर सहलाता हुआ बोला: उफ़्फ़्फ बिटिया कितनी चिकनी हो तुम? फिर उसने उसकी स्कर्ट उठाई और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को मूठ्ठी में भरकर दबाने लगा। मुन्नी की आऽऽऽऽऽह निकल गयी। अब वो उसकी पैंटी के साइड से उसकी चूत में उँगलियाँ अंदर किया और मुन्नी उइइइइइइ कहकर अपनी गाँड़ उठा दी। थोड़ी देर तक दो उँगलियाँ अंदर बाहर करने के बाद वो उनको बाहर निकाला और चूसने लगा और बोला: उफ़्फ़्फ क्या स्वाद है।
चारु उठी और कमरे में जाते हुए बोली: मैं तो आराम करने जा रही हूँ। आप लोग मस्ती करो।
राजीव भी शमा को चोदकर थका हुआ था। उसने मस्ती शुरू तो कर दी थी पर वह जानता था कि वह इस समय इस गरम गुड़िया को चोद नहीं सकता था। इसलिए उसने उसका टॉप उठाया और उसकी मस्त चूचियों को मुँह में लेकर चूसते हुए दबाने भी लगा। जब मुन्नी पूरी गरम हो गयी तो वह नीचे बैठा और उसको घुमाकर उसकी पैंटी निकाला और फिर उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखकर वह अपना मुँह उनके बीच में डाला। अब वह बेतहाशा उसकी मस्त गुलाबी चूत चूसने लगा। उसकी लम्बी जीभ मुन्नी को सिसकियाँ लेने पर मजबूर कर दीं और वो आऽऽऽऽऽह उइइइइइइइ उफ़्फ़्फ़्फ कहकर अपने मज़े का इजहार करने लगी और राजीव के सिर को पकड़ कर अपनी बुर में दबाने लगी और साथ ही अपनी गाँड़ भी उछालने लगी। क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद जब राजीव उसकी क्लिट पर हमला किया तो वह उइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइ कहकर उसके मुँह में अपना फ़ौवारा छोड़ने लगी। राजीव उसके मस्त रस को पीते चला गया।
अब राजीव अपना मुँह साफ़ किया और हँसते हुए उठा और अपने कमरे की ओर जाता हुआ बोला: बिटिया रात को चुदाई के लिए तय्यार रहना।
लस्त पड़ी मुन्नी बोली: आऽऽह अंकल अभी तो आपने मेरा पूरा रस ही निचोड़ लिया। रात की रात को देखेंगे। वह वहीं वैसे ही सो गयी।
मालिनी किचन से बाहर आयी तो देखी कि मुन्नी सोफ़े पर सोयी हुई है और उसका टॉप खुला है और स्कर्ट भी ऊपर है और पैंटी ज़मीन पर पड़ी है। उसने अपना माथा पीटा और सोची कि पापा भी बहुत सेक्सी हैं । यहीं सोफ़े पर ही इससे मस्ती कर लिए।
वह उसे वैसे ही छोड़कर अपने कमरे में चली गयी।
शाम को आठ बजे शिवा आया तो ड्रॉइंग रूम में कोई नहीं था। सब अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे । वह अपने कमरे में गया तो वहाँ मालिनी गुड़िया को दूध पिला रही थी। वह शिवा को देखकर मुस्कुराई और शिवा मस्ती में आकर उसके दूसरे दूध को पीने लगा। मालिनी भी प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर रही थी।
मालिनी: मैं कल डॉक्टर के पास जाँच करवाने जा रही हूँ।मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता, मुझे भी मज़े से चुदवाना है।
शिवा: ठीक है कल जा कर जाँच करवा लेना। पापा को ले जाना।
मालिनी: नहीं मैं अकेली चली जाऊँगी । पापा घर में गुड़िया का ध्यान रखेंगे।
शिवा दूध पीते हुए: ठीक है जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
उस रात खाना खाकर रात को शिवा ने चारु को और राजीव ने मुन्नी को चोदा और मालिनी गुड़िया के साथ सो गयी।
अगले दिन सबको विदा करके गुड़िया को काम वाली बाई और राजीव को सौंप कर मालिनी अस्पताल चली गयी। अस्पताल में गायनिक की पर्ची कटवा कर वह इंतज़ार करने लगी। जब उसे अंदर बुलाया गया तो वह चौंकी क्योंकि उसकी लेडी डॉक्टर की जगह एक ४२/४५ साल का आदमी था जो काफ़ी तगड़ा सा दिख रहा था।
मालिनी: जी जी वो डॉक्टर निशा नहीं है क्या?
डॉक्टर: वह तो छुट्टी पर है मेरा नाम पाटिल है मैं ही आपको देखूँगा। बैठिए बताइए क्या तकलीफ़ है।
मालिनी थोड़ा सा हिचकिचाई फिर बोली: ये मेरी रिपोर्ट है मुझे कुछ दिनों पहले बेटी हुई है।
पाटिल : हाँ ओके रिपोर्ट तो सब ठीक है। वैसे नीचे अभी सब ठीक है ना?
मालिनी: हाँ जी ठीक है। मैं अपनी जाँच करवाने आयी थी कि नीचे सब ठीक है या नहीं? पर अब निशा नहीं है तो मैं वापस जाती हूँ।
पाटिल: अरे मैं जाँच कर लेता हूँ ना। इसमें क्या बात है। आख़िर मैं भी गायनिक ही हूँ।
तभी एक नर्स आयी और बोली: चलिए आप वहाँ लेटिए ।
नर्स के आने से मालिनी का हौंसला बढ़ा और वह उठकर पार्टिशन के पीछे रखे बिस्तर पर लेट गयी। उसने साड़ी पहनी थी और पैंटी नहीं पहनी थी कि आख़िर जाँच के लिए खोलनी तो होगी ही ।
नर्स ने उसे अपनी क़मर उठाने को कहा। वह जब कमर उठाई तो उसने उसकी साड़ी पेटिकोट समेत ऊपर कर दी और उसकी बुर एकदम से नंगी हो गयी। मालिनी इस अचानक हमले से चौंक गयी। तभी नर्स बोली: आइए डॉक्टर सब तय्यार है।
पाटिल का सोचकर मालिनी ने शर्म से आँखे बंद कर ली। डॉक्टर अंदर आया और मालिनी की चिकनी साफ़ सुंदर बुर को देखा और देखता ही रह गया। उसने बड़ी मुश्किल से वहाँ से नज़र हटायी और मालिनी के पेट से साड़ी हटाकर उसका पेट दबाकर चेक करने लगा। मालिनी ने आँखे खोली और दोनों की नज़रें मिली।
तभी नर्स का फ़ोन बजा और वह बोली: डॉक्टर मुझे जाना होगा। इमर्जन्सी में बुला रहे हैं । वह चली गयी।
अब पाटिल उसके चिकने पेट को चेक करते रहा और उसकी नाभि में ऊँगली डालकर मस्ती से भरने लगा। उसके पैंट में तंबू बनने लगा था। फिर वह बोला: बेटी कोई तकलीफ़ है क्या?
मालिनी: जी नहीं सब ठीक है। बस आप नीचे की जाँच कर लीजिए कि सब ठीक है या नहीं? बोलने के साथ ही वह झेंप सी गयी।
पाटिल: हाँ देखता हूँ अभी नीचे भी। पहले तुम्हारा ब्लड प्रेशर देख लूँ। यह कहकर वो उसके हाथ में पट्टी लगाने लगा और उसका हाथ का किनारा उसकी उभरी हुई छातियों से टकरा गया। मालिनी को थोड़ा अजीब सा लगा फिर सोची कि डॉक्टर से कैसी शर्म । फिर पाटिल बोला: बेटी बी पी तो सही है। बाक़ी की जाँच भी कर लेता हूँ।
अब वह उसकी साड़ी को छातियों से हटाया और स्टेठेस्कोप को उसकी छातियों पर दबाकर वो उसके उभारों को महसूस करते हुए चेक अप किया। मालिनी की आँख अचानक उसके तंबू पर पड़ी और वह हैरान हो कर सोची कि हे भगवान ये कैसा डॉक्टर है। पर एक बात मालिनी सोचकर मन में मुस्कुराई कि तंबू तो शिवा और पापा सरीखा ही बड़ा सा बना हुआ है। तभी वो महसूस करी कि उसका हाथ ज़्यादा ही देर तक उसके उभारों पर है। वह बोली: सब ठीक है ना?
पाटिल: हाँ सब ठीक है । अब नीचे की जाँच कर लेता हूँ।पर पहले दरवाज़ा बंद कर लेता हूँ कहीं कोई अंदर नहीं आ जाए। अब वो दरवाज़ा बंद करके अपने तंबू को ऐडजस्ट करते हुए ,उसके पैरों की ओर गया। जैसे ही उसकी निगाह उसके जाँघों पर पड़ी वह उनको सहलाया और बोला: बेटी जाँघे फैलानी पड़ेंगी ना। और घुटने भी मोड़ने होंगे।
मालिनी ने टाँगें फैला दीं और घुटने मोड़ दिए। और उसकी पूरी कचौरी सी फूली बुर उसकी आँखों के सामने थी। डॉक्टर के मुँह से आह निकल गयी। वो उसकी बुर की फाँक को देखा और बोला: बेटी इतनी सुंदर चू- मतलब योनि मैंने नहीं देखी। जानती हो मैंने हज़ारों नंगी लड़कियाँ और औरतें देखीं हैं पर उफ़्फ़्फ इतनी सुंदर योनि कभी नहीं देखी।
मालिनी शर्मा कर: क्या डॉक्टर जैसे सबकी होती है वैसी ही मेरी है। अच्छा चेक अप करिए ना । मेरे पति बहुत आतुर हो रहे हैं सेक्स के लिए। उसने मन में सोचा कि शिवा ही नहीं पापा भी पागल हो रहे हैं मेरी बुर की चुदाई के लिए।
अब वह उसकी बुर को सहलाते हुए बोला: अरे नहीं नहीं बेटी ये तो बहुत ही प्यारी है। उसकी हथेली मालिनी को अंदर तक उत्तेजित कर रही थी। उसकी इच्छा हुई कि गाँड़ उछालकर अपनी चूत में घुसेड़ ले उसकी उँगलियाँ ।पर शर्म के मारे चुपचाप लेटी रही। अब डॉक्टर ने उसकी चूत की फाँकों को फैलाया और उसके अंदर झाँका। उफ़्फ़्फ क्या गुलाबी छेद था और एकदम साफ़ सुथरी बुर थी। वह बोल उठा: बेटी सब ठीक है अंदर से ।अब तुम चुदवा सकती हो। वैसे जैसे तुम्हारे पति का मन करता है चुदाई के लिए, तुम्हारा भी तो मन करता होगा ना चुदवाने को।
मालिनी बोल उठी: हाँ मेरा भी मन करता है।
पाटिल: ये तो बिलकुल सामान्य बात है । वैसे एक बात बोलूँ ये इतनी सुंदर है कि बेटी बड़ा मन हो रहा है, एक चुम्बन ले लूँ इसका?
मालिनी शर्मा कर आँख बंद कर ली और कोई जवाब नहीं दी। पाटिल ने इसे उसकी हामी समझी और उसकी बुर का एक नहीं कई चुम्मा ले लिया। अब मालिनी की सिसकी निकल गयी। फिर वो उँगलियाँ अंदर डालकर जाँच लिया और बोला: बेटी ये बताओ कि एक बच्चा पैदा करने के बाद भी तुम्हारी चूत इतनी टाइट कैसे है?
मालिनी: वो डॉक्टर मैंने चू- मतलब योनि को टाइट करने की एक्सर्सायज़ की थी जैसे डॉक्टर शांति जी ने बताया था।
पाटिल: उफ़्फ़्फ ये बिलकुल हैरानी की बात है बेटी । क्या मस्त टाइट चूत है तुम्हारी। इस बार उसने चूत शब्द का इस्तेमाल कर ही लिया। मालिनी तो चूत और ऐसे शब्दों की आदी थी सो उसे भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। बल्कि अब उसकी चूत पानी छोड़ रही थी डॉक्टर पाटिल की हरकतों के कारण।
पाटिल अब मस्त होकर बोला: बेटी बड़ा मन कर रहा है इसे चाटने का। चाट लूँ?
मालिनी चुप रही और पाटिल झुका और उसकी चूत की फ़ाकें फैलाकर अपनी जीभ डालकर चाटने लगा। अब मालिनी अपने पर क़ाबू नहीं रख सकी और अपनी गाँड़ उठाकर आऽऽऽऽऽह करके अपनी चूत चटवाने लगी। थोड़ी देर बाद वह उत्तेजना से अपनी चूचियाँ ब्लाउस के ऊपर से मसलने लगी। फिर वह बोली: आऽऽऽऽऽह डॉक्टर मेरी चूची भी दबाओ ना। आऽऽऽऽऽह । मस्त लग रहा है।
पाटिल ने अपने हाथ बढ़ाए और उसकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबोच कर दबाते हुए चूत चाटने लगा। मालिनी आऽऽऽऽऽह उइइइइइइ कहकर मस्त हो रही थी। तभी पाटिल ने अपना सिर उसकी चूत से हटाया और वो बोल उठी: आऽऽऽऽह क्या हुआ डॉक्टर ? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।