thanks kamini
बहू नगीना और ससुर कमीना
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
शिवा की नींद क़रीब १२ बजे खुली और वो उठकर मुन्नी के कमरे में गया। मुन्नी गहरी नींद सो रही थी। वो उसके पास जाकर बैठा और उसके गाल सहलाकर उसे उठाने लगा। वो चौंक कर उठ बैठी और शिवा को देखकर मुस्करायी: क्या हुआ जिजु ? भूक़ लगी है ?
शिवा उसके होंठ चूसते हुए बोला: मुझे तो प्यास लगी है। यह कहते हुए उसने उसकी चूचियाँ दबा दीं।
चारु हँसकर: क्या जिजु हमेशा प्यासे ही रहते हो। वह उठी और बाथरूम से बाहर आयी तो देखा कि शिवा अभी भी वहीं था। शिवा उसको अपनी गोद में खिंचा और प्यार करने लगा।
वह भी चुपचाप मज़े लेती रही। शिवा अब उसके गाल चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबा रहा था। तभी उसका फ़ोन बजा। वो मुन्नी के पाजामा में हाथ डाला और उसकी मुनिया को सहलाते हुए फ़ोन उठाया: हेलो पापा। सब ठीक है ना?
राजीव: हाँ बेटा सब ठीक है। मालिनी को भूक़ लग रही है। उसके लिए खाना और जूस ले आओ।
शिवा: ठीक है पापा अभी लाता हूँ।
अब मुन्नी खड़ी हुई और बोली: आप खाना खा लो और फिर दीदी का डिब्बा ले जाओ।
शिवा: तुम भी खा लो और साथ ही चलते हैं अस्पताल।
मुन्नी: नहीं बाबा मुझे बोर लगता है वहाँ। आप ही जाओ।
शिवा: अच्छा चलो एक बार मुनिया की चुम्मी तो दे दो प्लीज़।
मुन्नी शर्मा कर अपने मुँह को अपने हाथ से छिपा कर बोली: छी जिजु आप बहुत गंदे हो।
अब तक शिवा बिस्तर पर बैठे हुए उसका पाजामा और पैंटी नीचे कर दिया था । अब उसकी चिकनी मासूम सी बुर उसके सामने थी। वो नीचे घुटनों के बल बैठा और अपने हाथ से बुर को सहलाकर मस्ती से भर गया। अब वो अपना मुँह वहाँ डालकर उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। मुन्नी की आऽऽऽऽऽऽह निकल गयी और वो जिइइइइइइइइइजु कहकर अपनी गाँड़ हिला कर अपनी मस्ताई हुई बुर को शिवा के मुँह पर रगड़ने लगी। शिवा के हाथ अब उसकी गाँड़ को गोलाइयों को नाप रहे थे और उसकी दो उँगलियाँ उसकी गाँड़ के छेद में अठकेलियाँ कर रही थी। उसकी सिकुड़ी हुई नाज़ुक से छेद में ऊँगली मानो धमाल मचा रही थी। तभी वो जीभ से उसकी पूरी बुर को चाटने लगा और बीच बीच में वो उसकी क्लिट को भी जीभ से कुरेदने लगा। अब मुन्नी ने उसका सिर पकड़ा हुआ था और वो उसे अपनी बुर में ज़ोर से दबा रही थी और खुलकर आऽऽऽऽऽऽऽह मरीइइइइइइइइइ उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ चिल्लाए जा रही थी। अचानक मज़ा उसके सहनशक्ति से बाहर हो गया और वो जिइइइइइइजु मैं गयीइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शिवा मस्ती से उसका पानी पी गया। अब वो उठा और अपनी पैंट नीचे करके अपने खड़े लौड़े को बाहर निकाला और उसको बिस्तर में बिठाकर उसकी मस्त चूचियों के बीच अपने लौड़े को रगड़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने ले आया और मुन्नी अपना मुँह खोल कर उसे मुँह में ले कर चूसने लगी। शिवा उसकी मस्त चूचियाँ दबाकर अपना लौड़ा उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। क़रीब दस मिनट में ही वो अत्यधिक उत्तेजना वश उसके मुँह में आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगा और मुन्नी भी मज़े से उसका वीर्य पीने लगी। शिवा ने देखा कि मुन्नी जो थोड़ा बहुत वीर्य उसके होंठों पर लगा था वो उसे भी ऊँगली से साफ़ करके ऊँगली चूस ली। शिवा सोचा कि उफफफफ इस उम्र में क्या रँडी बनती जा रही है। कितनी टाइट बुर है इसकी और पता नहीं अगर चोद दिया तो फट ही ना जाए। वो सोचा कि अभी कुछ दिन और इंतज़ार किया जाए। उसने देखा कि मुन्नी अभी भी बड़ी ही मस्ती से उसका लौड़ा चूसे ही जा रही थी मानो उसका पूरा रस ही निचोड़ लेगी। उसे बहुत प्यार आया इस नन्ही सी जान पर।
अब जब उसका लौड़ा नरम हो गया तो वो उसके मुँह से निकाला और उसके गाल सहलाकर बोला: मुन्नी लगता है मेरा लौड़ा बहुत पसंद आ गया है तुमको?
मुन्नी शर्माकर लौड़े के सुपाडे को चूमकर बोली: हाँ जिजु देखो ना कितना प्यारा है म्म्म्म्म्म। वो उसे कई बार चूमकर बोली।
शिवा हँसकर : जब तुम्हारी बुर में जाएगा ना तब तुम इसका दीवाना हो जाओगी जैसे तुम्हारी दीदी है ।
मुन्नी हँसकर बाथरूम जाकर सफ़ाई की और फिर खाना लगाई। दोनों ने खाना खाया और फिर मुन्नी ने टिफ़िन बना दिया मालिनी के लिए। शिवा टिफ़िन लेकर वहाँ से अस्पताल के लिए निकल गया।
उधर अस्पताल में राजीव और मालिनी को देखकर चारु मस्त हो गयी थी। मालिनी का हाथ ससुर के पैंट पर लौड़े पर था और ससुर का हाथ बहू की चूची पर था। सुबह के १० बजे थे। राजीव बोला: बहु चूची चूसने का मन कर रहा है।
यह सुनकर चारु के लाल गाल हो गए और मालिनी मुस्कुराई और उसको अपने पास आने का इशारा किया। जब चारु आकर बिस्तर में राजीव के सामने बैठी तो भी मालिनी का हाथ ससुर के लौड़े पर ही था जिसे वो पैंट के ऊपर से हल्के से दबाकर मस्ती ले रही थी। अब चारु की पैंटी गीली होने लगी पर वो शर्मा गयी। अब मालिनी मुस्कुराई और बोली: वाह पापा के साथ सब मज़े ले ली और अब शर्म आ रही है?
चारु बोली: अंकल आपने सब बता दिया क्या?
राजीव हाथ बढ़ाकर उसके गाल सहला के बोला : अरे बहू से क्या छिपाना?
मालिनी: चारु जाओ दरवाज़ा बंद कर के आओ। पापा को मेरी चूची चूसनी है।
चारु उठकर दरवाज़ा बंद की और आकर बिस्तर पर बैठ गयी।
मालिनी ने मुस्कराके अपना गाउन खोला और ब्रा के सामने लगे हुक को खोलकर अपनी चूचियाँ बाहर निकाली । दूध से भरी हुई उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बहुत सेक्सी दिख रहीं थीं। उसने पास रखे तौलिए से चूचियों का पसीना पोंछा और फिर एक हाथ से पकड़कर अपनी चूची उठाकर बोली: लो पापा पी लो।
राजीव मस्ती में आकर एक चूचि पर झुका और पहले दबाकर निपल से दूध बाहर निकाला और पीने लगा। चारु आँखें फाड़ कर ये सब पास ही बैठी देखे जा रही थी। मालिनी का हाथ अभी भी राजीव के लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था। तभी मालिनी चारु को देखकर बोली: चारु , तुमको भी पीना है क्या? वो अपने एक दूध को उठाकर उसे दिखाती हुए बोली। चारु शर्मा कर हाँ में सिर हिला बैठी।
मालिनी ने प्यार से उसका मुँह अपनी ओर झुकाया और अपना एक निपल उसके मुँह में भी दे दिया। अब चारु भी एक चूची चूसने लगी। क़रीब पाँच मिनट बाद मालिनी बोली: चलो अब दोनों हटो दोनों गुड़िया के लिए भी कुछ छोड़ दो।
दोनों ने अपना मुँह उठा लिया और अब मालिनी ने तौलिए से अपनी चूचियाँ साफ़ कीं और वापस ब्रा में डाल कर गाउन बंद कर दिया।
मालिनी: पापा आपका हथियार तो बहुत कड़ा हो गया है। उसे बाहर निकाल दो चारु चूस देगी। हैं ना चारु?
चारु शर्मा कर हाँ में सिर हिलाई।
राजीव: चारु बेटी तुम ख़ुद ही बाहर निकाल कर मज़े कर लो ना। यह कहकर वो मालिनी के पास ही लेट गया उसका सिर मालिनी के पैर की तरफ़ था। चारु झिझकी पर उसका बेल्ट खोली और जींस खोली और नीचे की। फिर चड्डी में से वो ख़तरनाक हथियार पूरा तना हुआ मस्त लग रहा था। मालिनी ने भी प्यार से उसे चड्डी के ऊपर से महसूस किया और चारु ने उसे चड्डी खिसका कर बाहर निकाला। उफफफ क्या लग रहा था मस्त लौड़ा। अब चारु से नहीं रहा गया और वो झुक कर उसके लंड को हर जगह चूमने लगी और जल्दी ही जीभ से पूरी लम्बाई को चाटने लगी। अब वो उसकी गोटियों को भी चूस रही थी। फिर वो उसके सुपाडे को चूसने लगी और जल्दी ही राजीव आऽऽहहह करने लगा। मालिनी भी उसकी गोटियाँ दबाकर उसे मस्त कर रही थी। दस मिनट में ही राजीव ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा और चारु ने उसका पूरा रस गटक लिया। अब राजीव भी उठा और तभी मालिनी ने टिश्यू पेपर से उसके लंड को साफ़ किया।
मालिनी: पापा कपड़े ठीक कर लो। डॉक्टर गुड़िया का चेक अप करने आएगी।
राजीव और चारु तय्यार हो गए और चारु ने दरवाज़ा खोल दिया। थोड़ी देर बाद डॉक्टर आयी और दवाई वगेरह देकर चली गयी और बता दिया कि कल अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी। सब ख़ुश हो गए।
मालिनी: पापा चारु ने तो आपको मज़ा दे दिया अब आप भी उसे मज़ा दे दो ना।
राजीव मुस्कुरा कर: हाँ हाँ क्यों नहीं। चलो चारु दरवाज़ा बंद कर लेटो।
चारु दरवाज़ा बंद की और आकर बग़ल के बिस्तर पर लेती और आँख बंद कर ली शर्म से । राजीव आकर उसका टॉप उठाया और हाथ डालकर ब्रा से उसके सख़्त अमरूदों को बाहर निकाला और दबाकर चूसने लगा। चारु आऽऽऽऽहहह कर उठी। कुछ देर चूसने के बाद वो उसकी स्कर्ट उठाया और पैंटी को सूँघा और बोला: बहू देखो कितनी गीली ही गयी है इसकी पैंटी। अब वो उसे भी उतारा और उसकी टांगों को फैलाया और बुर सहला कर बोला: देखो बहू क्या मस्त बुर है। वो दो ऊँगली डाला और बोला: देखो कितनी टाइट है। फिर वो ऊँगली चाटने लगा। अब उसने अपना मुँह बुर में घुसाया और उसकी बुर की चुसाई शुरू कर दी। वो उसकी गाँड़ उठाकर उसकी गाँड़ के छेद से लेकर पूरी बुर चाट रहा था। चारु उइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछालकर मज़े ले रही थी। क़रीब दस मिनट की मस्त चुसाई के दौरान वो दो बार झड़ी और निढ़ाल होकर गिर गयी। उसकी बुर चाटकर राजीव अपने मुँह को पोंछा और बोला: बहू मस्त स्वाद कामरस है चारु का। म्म्म्म्म्म मज़ा आ गया।
अब दोनों ने सफ़ाई की और फिर से दरवाज़ा खोल दिया।
अब वो शिवा का इंतज़ार करने लगे।
शिवा १ बजे के बाद आया और मालिनी ने खाना खाया।
राजीव: शिवा तुम अभी बैठो । मैं और चारु बाहर खाना खाकर आते हैं।
राजीव चारु को लेकर पास के एक रेस्तराँ में गया और एक कोने के टेबल पर बैठ गया। तभी एक आदमी क़रीब ६५ साल का एक कमसिम जवानी के साथ अंदर आया। राजीव ने पहचाना कि वो तो उनका पुराना टेलर शकील भाई ही था और साथ में उसकी पोती रूहि ही थी जो उनको कुछ दिन पहले रास्ते में मिली थी। जैसे ही शकील की नज़र चारु और राजीव पर पड़ी वो ख़ुश होकर उनके पास आया और बोला: अरे वाह आप दोनों भी यहाँ हो।
राजीव ने रूहि को देखा टाइट क़ुर्ती और लेग्गिंग में क्या मस्त लग रही थी। वह उसकी कमसिन जवानी को घूरकर बोला: आओ आप लोग यहाँ ही बैठो ना। साथ में लंच करते हैं।
रूहि का दूधिया रंग और निखरती हुई जवानी राजीव को मदहोश किए जा रही थी।
शकील भी चारु को घूरता हुआ बोला: बिटिया रानी आयी नहीं तुम कपड़े सिलवाने , मैंने कहा था ना कि एक से एक कपड़े सिल दूँगा। देखो ये रूहि की क़ुर्ती मैंने ही सिली है।
चारु ने देखा कि क़ुर्ती बहुत ही सेक्सी सिली थी उसमें से उसके गोल गोल अमरूदों की अच्छी ख़ासी झलक मिल रही थी। दोनों अमरूद अलग से क्लीवेज़ में से दिख रहे थे।
रूहि चारु के सामने बैठी और शकील राजीव के सामने बैठा।
चारु रूहि से स्कूल का पूछने लगी और अपने कोलेज के बारे में बताने लगी। राजीव और शकील थोड़ी देर इधर उधर की बात किए और खाने का ऑर्डर भी कर दिए।फिर अचानक शकील राजीव को धीरे से बोला: आओ भाई ज़रा बाहर चलते हैं, मुझे एक सिगरेट पीना है।
खाना आने में थोड़ी देर थी सो दोनों बाहर आ गए। शकील उसे रेस्तराँ के एक कोने में बाहर की ओर ले गया और सिगरेट सुलगाया। राजीव ने उसे मना कर दिया कि वो नहीं पीता। शकील:भाई आपने भाभीजी के जाने के बाद हमारी दुकान पर आना ही बंद कर दिया।
राजीव मन ही मन में सोचा कि साला मेरी बीवी से मज़े ले चुका है अब अगर बहू को लेकर गया तो उसे भी पटा लेगा।
राजीव: हाँ बस आजकल सब रेडी मेड ही पहनते हैं ना इसलिए मौक़ा नहीं मिला।
शकील: वो तो है। पर जो फ़िटिंग मैं दे सकता हूँ वी रेडी मेड में कहाँ मिलेगी। ले आना कभी बहु रानी को और चारु को भी। वैसे चारु बड़ी प्यारी बच्ची है। वो अपना लंड पाजामा के ऊपर से खुजा कर बोला।
राजीव भी मुस्कुराया: हाँ है तो और रूहि भी बहुत नाज़ुक सी प्यारी सी बच्ची है।
शकील: हाँ यार मस्त लौड़िया है रूहि भी। वो आँख मारकर बोला।
राजीव अब खुलते हुए: तो क्या हाथ वगेरह फेर लिए हो क्या पोती पर।
शकील सिगरेट का कश मारकर: हाँ यार पोती को तो पूरी तरह अपने शीशे में उतार लिया है। तुम बताओ कि चारु के साथ तुम कहाँ तक पहुँचे?
राजीव मुस्कुरा कर: चारु भी मस्त माल है। उसकी बुर की सील तोड़ दी है भाई। मस्त मज़ा ले रही है अपनी कमसिन जवानी का।
शकील अपना लंड मसलकर: वाह भाई आप तो मस्त बंदे हो बहु की बहन पर ही हाथ साफ़ कर दिया?
राजीव: और आप कौन से कम हो अपनी पोती को भी नहीं छोड़ा आपने।
शिवा उसके होंठ चूसते हुए बोला: मुझे तो प्यास लगी है। यह कहते हुए उसने उसकी चूचियाँ दबा दीं।
चारु हँसकर: क्या जिजु हमेशा प्यासे ही रहते हो। वह उठी और बाथरूम से बाहर आयी तो देखा कि शिवा अभी भी वहीं था। शिवा उसको अपनी गोद में खिंचा और प्यार करने लगा।
वह भी चुपचाप मज़े लेती रही। शिवा अब उसके गाल चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबा रहा था। तभी उसका फ़ोन बजा। वो मुन्नी के पाजामा में हाथ डाला और उसकी मुनिया को सहलाते हुए फ़ोन उठाया: हेलो पापा। सब ठीक है ना?
राजीव: हाँ बेटा सब ठीक है। मालिनी को भूक़ लग रही है। उसके लिए खाना और जूस ले आओ।
शिवा: ठीक है पापा अभी लाता हूँ।
अब मुन्नी खड़ी हुई और बोली: आप खाना खा लो और फिर दीदी का डिब्बा ले जाओ।
शिवा: तुम भी खा लो और साथ ही चलते हैं अस्पताल।
मुन्नी: नहीं बाबा मुझे बोर लगता है वहाँ। आप ही जाओ।
शिवा: अच्छा चलो एक बार मुनिया की चुम्मी तो दे दो प्लीज़।
मुन्नी शर्मा कर अपने मुँह को अपने हाथ से छिपा कर बोली: छी जिजु आप बहुत गंदे हो।
अब तक शिवा बिस्तर पर बैठे हुए उसका पाजामा और पैंटी नीचे कर दिया था । अब उसकी चिकनी मासूम सी बुर उसके सामने थी। वो नीचे घुटनों के बल बैठा और अपने हाथ से बुर को सहलाकर मस्ती से भर गया। अब वो अपना मुँह वहाँ डालकर उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। मुन्नी की आऽऽऽऽऽऽह निकल गयी और वो जिइइइइइइइइइजु कहकर अपनी गाँड़ हिला कर अपनी मस्ताई हुई बुर को शिवा के मुँह पर रगड़ने लगी। शिवा के हाथ अब उसकी गाँड़ को गोलाइयों को नाप रहे थे और उसकी दो उँगलियाँ उसकी गाँड़ के छेद में अठकेलियाँ कर रही थी। उसकी सिकुड़ी हुई नाज़ुक से छेद में ऊँगली मानो धमाल मचा रही थी। तभी वो जीभ से उसकी पूरी बुर को चाटने लगा और बीच बीच में वो उसकी क्लिट को भी जीभ से कुरेदने लगा। अब मुन्नी ने उसका सिर पकड़ा हुआ था और वो उसे अपनी बुर में ज़ोर से दबा रही थी और खुलकर आऽऽऽऽऽऽऽह मरीइइइइइइइइइ उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ चिल्लाए जा रही थी। अचानक मज़ा उसके सहनशक्ति से बाहर हो गया और वो जिइइइइइइजु मैं गयीइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शिवा मस्ती से उसका पानी पी गया। अब वो उठा और अपनी पैंट नीचे करके अपने खड़े लौड़े को बाहर निकाला और उसको बिस्तर में बिठाकर उसकी मस्त चूचियों के बीच अपने लौड़े को रगड़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने ले आया और मुन्नी अपना मुँह खोल कर उसे मुँह में ले कर चूसने लगी। शिवा उसकी मस्त चूचियाँ दबाकर अपना लौड़ा उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। क़रीब दस मिनट में ही वो अत्यधिक उत्तेजना वश उसके मुँह में आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगा और मुन्नी भी मज़े से उसका वीर्य पीने लगी। शिवा ने देखा कि मुन्नी जो थोड़ा बहुत वीर्य उसके होंठों पर लगा था वो उसे भी ऊँगली से साफ़ करके ऊँगली चूस ली। शिवा सोचा कि उफफफफ इस उम्र में क्या रँडी बनती जा रही है। कितनी टाइट बुर है इसकी और पता नहीं अगर चोद दिया तो फट ही ना जाए। वो सोचा कि अभी कुछ दिन और इंतज़ार किया जाए। उसने देखा कि मुन्नी अभी भी बड़ी ही मस्ती से उसका लौड़ा चूसे ही जा रही थी मानो उसका पूरा रस ही निचोड़ लेगी। उसे बहुत प्यार आया इस नन्ही सी जान पर।
अब जब उसका लौड़ा नरम हो गया तो वो उसके मुँह से निकाला और उसके गाल सहलाकर बोला: मुन्नी लगता है मेरा लौड़ा बहुत पसंद आ गया है तुमको?
मुन्नी शर्माकर लौड़े के सुपाडे को चूमकर बोली: हाँ जिजु देखो ना कितना प्यारा है म्म्म्म्म्म। वो उसे कई बार चूमकर बोली।
शिवा हँसकर : जब तुम्हारी बुर में जाएगा ना तब तुम इसका दीवाना हो जाओगी जैसे तुम्हारी दीदी है ।
मुन्नी हँसकर बाथरूम जाकर सफ़ाई की और फिर खाना लगाई। दोनों ने खाना खाया और फिर मुन्नी ने टिफ़िन बना दिया मालिनी के लिए। शिवा टिफ़िन लेकर वहाँ से अस्पताल के लिए निकल गया।
उधर अस्पताल में राजीव और मालिनी को देखकर चारु मस्त हो गयी थी। मालिनी का हाथ ससुर के पैंट पर लौड़े पर था और ससुर का हाथ बहू की चूची पर था। सुबह के १० बजे थे। राजीव बोला: बहु चूची चूसने का मन कर रहा है।
यह सुनकर चारु के लाल गाल हो गए और मालिनी मुस्कुराई और उसको अपने पास आने का इशारा किया। जब चारु आकर बिस्तर में राजीव के सामने बैठी तो भी मालिनी का हाथ ससुर के लौड़े पर ही था जिसे वो पैंट के ऊपर से हल्के से दबाकर मस्ती ले रही थी। अब चारु की पैंटी गीली होने लगी पर वो शर्मा गयी। अब मालिनी मुस्कुराई और बोली: वाह पापा के साथ सब मज़े ले ली और अब शर्म आ रही है?
चारु बोली: अंकल आपने सब बता दिया क्या?
राजीव हाथ बढ़ाकर उसके गाल सहला के बोला : अरे बहू से क्या छिपाना?
मालिनी: चारु जाओ दरवाज़ा बंद कर के आओ। पापा को मेरी चूची चूसनी है।
चारु उठकर दरवाज़ा बंद की और आकर बिस्तर पर बैठ गयी।
मालिनी ने मुस्कराके अपना गाउन खोला और ब्रा के सामने लगे हुक को खोलकर अपनी चूचियाँ बाहर निकाली । दूध से भरी हुई उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बहुत सेक्सी दिख रहीं थीं। उसने पास रखे तौलिए से चूचियों का पसीना पोंछा और फिर एक हाथ से पकड़कर अपनी चूची उठाकर बोली: लो पापा पी लो।
राजीव मस्ती में आकर एक चूचि पर झुका और पहले दबाकर निपल से दूध बाहर निकाला और पीने लगा। चारु आँखें फाड़ कर ये सब पास ही बैठी देखे जा रही थी। मालिनी का हाथ अभी भी राजीव के लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था। तभी मालिनी चारु को देखकर बोली: चारु , तुमको भी पीना है क्या? वो अपने एक दूध को उठाकर उसे दिखाती हुए बोली। चारु शर्मा कर हाँ में सिर हिला बैठी।
मालिनी ने प्यार से उसका मुँह अपनी ओर झुकाया और अपना एक निपल उसके मुँह में भी दे दिया। अब चारु भी एक चूची चूसने लगी। क़रीब पाँच मिनट बाद मालिनी बोली: चलो अब दोनों हटो दोनों गुड़िया के लिए भी कुछ छोड़ दो।
दोनों ने अपना मुँह उठा लिया और अब मालिनी ने तौलिए से अपनी चूचियाँ साफ़ कीं और वापस ब्रा में डाल कर गाउन बंद कर दिया।
मालिनी: पापा आपका हथियार तो बहुत कड़ा हो गया है। उसे बाहर निकाल दो चारु चूस देगी। हैं ना चारु?
चारु शर्मा कर हाँ में सिर हिलाई।
राजीव: चारु बेटी तुम ख़ुद ही बाहर निकाल कर मज़े कर लो ना। यह कहकर वो मालिनी के पास ही लेट गया उसका सिर मालिनी के पैर की तरफ़ था। चारु झिझकी पर उसका बेल्ट खोली और जींस खोली और नीचे की। फिर चड्डी में से वो ख़तरनाक हथियार पूरा तना हुआ मस्त लग रहा था। मालिनी ने भी प्यार से उसे चड्डी के ऊपर से महसूस किया और चारु ने उसे चड्डी खिसका कर बाहर निकाला। उफफफ क्या लग रहा था मस्त लौड़ा। अब चारु से नहीं रहा गया और वो झुक कर उसके लंड को हर जगह चूमने लगी और जल्दी ही जीभ से पूरी लम्बाई को चाटने लगी। अब वो उसकी गोटियों को भी चूस रही थी। फिर वो उसके सुपाडे को चूसने लगी और जल्दी ही राजीव आऽऽहहह करने लगा। मालिनी भी उसकी गोटियाँ दबाकर उसे मस्त कर रही थी। दस मिनट में ही राजीव ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा और चारु ने उसका पूरा रस गटक लिया। अब राजीव भी उठा और तभी मालिनी ने टिश्यू पेपर से उसके लंड को साफ़ किया।
मालिनी: पापा कपड़े ठीक कर लो। डॉक्टर गुड़िया का चेक अप करने आएगी।
राजीव और चारु तय्यार हो गए और चारु ने दरवाज़ा खोल दिया। थोड़ी देर बाद डॉक्टर आयी और दवाई वगेरह देकर चली गयी और बता दिया कि कल अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी। सब ख़ुश हो गए।
मालिनी: पापा चारु ने तो आपको मज़ा दे दिया अब आप भी उसे मज़ा दे दो ना।
राजीव मुस्कुरा कर: हाँ हाँ क्यों नहीं। चलो चारु दरवाज़ा बंद कर लेटो।
चारु दरवाज़ा बंद की और आकर बग़ल के बिस्तर पर लेती और आँख बंद कर ली शर्म से । राजीव आकर उसका टॉप उठाया और हाथ डालकर ब्रा से उसके सख़्त अमरूदों को बाहर निकाला और दबाकर चूसने लगा। चारु आऽऽऽऽहहह कर उठी। कुछ देर चूसने के बाद वो उसकी स्कर्ट उठाया और पैंटी को सूँघा और बोला: बहू देखो कितनी गीली ही गयी है इसकी पैंटी। अब वो उसे भी उतारा और उसकी टांगों को फैलाया और बुर सहला कर बोला: देखो बहू क्या मस्त बुर है। वो दो ऊँगली डाला और बोला: देखो कितनी टाइट है। फिर वो ऊँगली चाटने लगा। अब उसने अपना मुँह बुर में घुसाया और उसकी बुर की चुसाई शुरू कर दी। वो उसकी गाँड़ उठाकर उसकी गाँड़ के छेद से लेकर पूरी बुर चाट रहा था। चारु उइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछालकर मज़े ले रही थी। क़रीब दस मिनट की मस्त चुसाई के दौरान वो दो बार झड़ी और निढ़ाल होकर गिर गयी। उसकी बुर चाटकर राजीव अपने मुँह को पोंछा और बोला: बहू मस्त स्वाद कामरस है चारु का। म्म्म्म्म्म मज़ा आ गया।
अब दोनों ने सफ़ाई की और फिर से दरवाज़ा खोल दिया।
अब वो शिवा का इंतज़ार करने लगे।
शिवा १ बजे के बाद आया और मालिनी ने खाना खाया।
राजीव: शिवा तुम अभी बैठो । मैं और चारु बाहर खाना खाकर आते हैं।
राजीव चारु को लेकर पास के एक रेस्तराँ में गया और एक कोने के टेबल पर बैठ गया। तभी एक आदमी क़रीब ६५ साल का एक कमसिम जवानी के साथ अंदर आया। राजीव ने पहचाना कि वो तो उनका पुराना टेलर शकील भाई ही था और साथ में उसकी पोती रूहि ही थी जो उनको कुछ दिन पहले रास्ते में मिली थी। जैसे ही शकील की नज़र चारु और राजीव पर पड़ी वो ख़ुश होकर उनके पास आया और बोला: अरे वाह आप दोनों भी यहाँ हो।
राजीव ने रूहि को देखा टाइट क़ुर्ती और लेग्गिंग में क्या मस्त लग रही थी। वह उसकी कमसिन जवानी को घूरकर बोला: आओ आप लोग यहाँ ही बैठो ना। साथ में लंच करते हैं।
रूहि का दूधिया रंग और निखरती हुई जवानी राजीव को मदहोश किए जा रही थी।
शकील भी चारु को घूरता हुआ बोला: बिटिया रानी आयी नहीं तुम कपड़े सिलवाने , मैंने कहा था ना कि एक से एक कपड़े सिल दूँगा। देखो ये रूहि की क़ुर्ती मैंने ही सिली है।
चारु ने देखा कि क़ुर्ती बहुत ही सेक्सी सिली थी उसमें से उसके गोल गोल अमरूदों की अच्छी ख़ासी झलक मिल रही थी। दोनों अमरूद अलग से क्लीवेज़ में से दिख रहे थे।
रूहि चारु के सामने बैठी और शकील राजीव के सामने बैठा।
चारु रूहि से स्कूल का पूछने लगी और अपने कोलेज के बारे में बताने लगी। राजीव और शकील थोड़ी देर इधर उधर की बात किए और खाने का ऑर्डर भी कर दिए।फिर अचानक शकील राजीव को धीरे से बोला: आओ भाई ज़रा बाहर चलते हैं, मुझे एक सिगरेट पीना है।
खाना आने में थोड़ी देर थी सो दोनों बाहर आ गए। शकील उसे रेस्तराँ के एक कोने में बाहर की ओर ले गया और सिगरेट सुलगाया। राजीव ने उसे मना कर दिया कि वो नहीं पीता। शकील:भाई आपने भाभीजी के जाने के बाद हमारी दुकान पर आना ही बंद कर दिया।
राजीव मन ही मन में सोचा कि साला मेरी बीवी से मज़े ले चुका है अब अगर बहू को लेकर गया तो उसे भी पटा लेगा।
राजीव: हाँ बस आजकल सब रेडी मेड ही पहनते हैं ना इसलिए मौक़ा नहीं मिला।
शकील: वो तो है। पर जो फ़िटिंग मैं दे सकता हूँ वी रेडी मेड में कहाँ मिलेगी। ले आना कभी बहु रानी को और चारु को भी। वैसे चारु बड़ी प्यारी बच्ची है। वो अपना लंड पाजामा के ऊपर से खुजा कर बोला।
राजीव भी मुस्कुराया: हाँ है तो और रूहि भी बहुत नाज़ुक सी प्यारी सी बच्ची है।
शकील: हाँ यार मस्त लौड़िया है रूहि भी। वो आँख मारकर बोला।
राजीव अब खुलते हुए: तो क्या हाथ वगेरह फेर लिए हो क्या पोती पर।
शकील सिगरेट का कश मारकर: हाँ यार पोती को तो पूरी तरह अपने शीशे में उतार लिया है। तुम बताओ कि चारु के साथ तुम कहाँ तक पहुँचे?
राजीव मुस्कुरा कर: चारु भी मस्त माल है। उसकी बुर की सील तोड़ दी है भाई। मस्त मज़ा ले रही है अपनी कमसिन जवानी का।
शकील अपना लंड मसलकर: वाह भाई आप तो मस्त बंदे हो बहु की बहन पर ही हाथ साफ़ कर दिया?
राजीव: और आप कौन से कम हो अपनी पोती को भी नहीं छोड़ा आपने।
- Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
शकील हँसकर : यार अपना हाल तो काफ़ी अलग है। पहले इसकी माँ याने बहू को पटाया और अब उसकी बेटी यानी मेरी पोती से मज़े ले रहा हूँ।
राजीव: ओह बहू को पहले ही पता रखा है? कितनी बड़ी थी जब उसको पटाया?
शकील: अरे शादी के पहले महीने में ही बहू को पटा लिया था। बेटे से ज़्यादा तो मैंने उसे चोदा है।
अब वो खुलकर अश्लील बात करने लगा। वो फिर बोला: तुमने अपनी बहू को पटाया या नहीं?
राजीव हँसकर: यार हम दोनों एक जैसे ही कमीने हैं । हाँ यार मैं भी बहू को अपनी बीवी की तरह ही चोदता हूँ। और अब ये कमसिन चारु भी मस्त मज़ा देगी।
शकील: एक बात बोलूँ? बुरा नहीं मानना। पसंद ना आए तो मना कर देना।
राजीव: हाँ हाँ बोलो ना।
शकील: यार मैं चारु को चोदना चाहता हूँ। बदले में तुम चाहो तो रूहि की ले लो।
राजीव उसका मुँह हैरानी से देखता रह गया। क्या चारु इसके लिए मानेगी? रूहि की जवानी का सोचकर उसका लौड़ा अकड़ने लगा। पर अभी भी वो तय नहीं कर पा रहा था कि क्या ये सही है।
तभी शकील बोला: यार देखो मेरा घर पास ही है और वहाँ कोई नहीं है। मेरा बेटा और बहू बाहर गए है। खाना खाकर वहीं चलते हैं और लौड़ियों की मस्त चुदाई करते हैं । बोलो क्या कहते हो?
राजीव थोड़ा हिचकते हुए: यार पता नहीं चारु मानेगी या नहीं? क्या रूहि मान जाएगी?
शकील: रूहि को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। वो मेरे दो दोस्तों से पहले ही चुदवा चुकी है। और चारु का तुम मुझपर छोड़ दो मैं उसे मना लूँगा।
राजीव अपने खड़े लंड का एडजेस्ट किया और बोला: चलो ठीक है पर कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होगी किसी के भी साथ।
शकील हँसकर: अरे साली दोनों लौंडिया हमारा लंड ख़ुद पकड़कर अपनी फुद्दी में डालेंगी देखना तुम ?
अब दोनो हँसते हुआ अंदर आए और आकर लड़कियों के साथ बैठ गए । तभी खाना आ गया और सब खाने लगे।
शकील: रूहि बिटिया, राजीव अंकल तुम्हारी बड़ी तारीफ़ कर रहे थे । वो बोल रहे थे बाहर में कि रूहि बहुत प्यारी गुड़िया सी है। मैं बोला कि रूहि अब गुड़िया नहीं मस्त माल है जो मज़ा देती है। मैं ठीक बोला ना?
रूहि के गाल लाल हो गए: क्या दादू आप भी छी कुछ भी बोलते हो।
राजीव: वैसे चारु , शकील भाई तुम्हारे बारे में भी पूछ रहे थे कि क्या जवानी के मज़े ले रही हो या नहीं? तो मैंने भी कहा कि हाँ पूरा मज़ा ले रही है। ठीक कहा ना?
अबकि बार चारु के गाल लाल हो गए थे वो शर्मा कर मुँह झुका कर खाना खाती रही।
तभी राजीव बोला: शकील भाई ने आज हमें अपने घर आने को कहा है अभी खाना खाने के बाद।
शकील: हाँ चारु हमने एक नया फ़िश एकुएरियम लिया है जिसमें बहुत सुंदर मछलियाँ हैं । तुम देखना तुमको बहुत पसंद आएँगी।
चारु: जी अंकल देख लूँगी। फिर सबने खाना खाया और बिल राजीव ने दिया। अब राजीव की कार में सब शकील के घर पहुँचे जो पास में ही था। अंदर ड्रॉइंग रूम में एकुएरीयम रखा था। रूहि ख़ुश होकर चारु को दिखाने लगी। दोनों बहुत मज़े से आगे झुकी हुईं मछलियों को देखकर ख़ुश हो रही थीं।
राजीव और शकील सोफ़े पर बैठ कर उन दोनों की कमसिन गाँड़ जो कि झुकने के कारण मस्त गोल गोल दिखाई पड़ रहीं थी देखकर अपने अपने लौड़े मसल रहे थे। तभी राजीव ने प्रश्न भरी नज़रों से शकील को देखा: कैसे शुरू करेंगे?
शकील कमिनी मुस्कुराहट के साथ बोला: बस यार थोड़ा सबर करो सब हो जाएगा। क्या मस्त गाँड़ है चारु की? उफफफफ।
राजीव: हाँ यार बहुत मस्त है उसकी गोल गाँड़ चिकनी भी बहुत है।
शकील: मार ली क्या?
राजीव: अरे नहीं यार अभी तो एक ऊँगली भी बड़ी मुश्किल से घुसती है। थोड़ी और बड़ी हो जाए तो ऊँगली डाल डाल कर ढीला करूँगा फिर ही गाँड़ मारूँगा।
शकील: मैंने तो रूहि की बुर और गाँड़ दोनों खोल दी है। गाँड़ खोलने के समय इसकी माँ की भी मदद लेनी पड़ी थी। वैसे माँ बेटी को एक साथ चोदने में बहुत मज़ा आता है।
राजीव: क्या तुम्हारे बेटे को ये पता है?
शकील: अरे नहीं वो तो दुबई में रहता है। आता जाता रहता है। बहू तो मेरे भरोसे ही है और अब रूहि को भी जवान कर ही दिया है मस्त काम में आ रही है माँ बेटी दोनों।
राजीव: तो क्या एक साथ चोदते हैं दोनों को?
शकील: हाँ रात को हम तीनों एक साथ ही सोते हैं। आजकल बेटा आया हुआ है पर अभी दोनों बाहर गए हुए है। जब वो यहाँ होता है तो मैं सिर्फ़ रूहि को ही चोदता हूँ क्योंकि रात को बहू बेटा साथ सोते हैं।
राजीव: यार बड़ा लकी है तू।
शकील: हाँ वो तो हूँ। पर अभी चारु को चोदने का बहुत मन है। वो अपना लौड़ा दबाकर बोला।
राजीव: अब शुरू कैसे करें इन लड़कियों के साथ?
शकील: अरे अभी सब हो जाएगा आप देखते जाओ।
अब दोनों लड़कियाँ मोबाइल पर एक दूसरे को गेम्ज़ दिखा रहीं थीं ।
शकील: रूहि बेटी बीयर पीने का मन कर रहा है। जाओ ना दो बोतल और गिलास लाओ।
रूहि: जी दादू । कहकर चली गयी। चारु भी उसके साथ किचन में गयी। अब ट्रे में दो गिलास और दो बोतल फ्रिज से निकाल कर वो बाहर आने लगी। चारु भी उसके पीछे पीछे बाहर आयी। अब वो ट्रे को शकील के सामने टेबल पर रखी तो शकील ने प्यार से अपनी पोती की कमर पर हाथ फेरा और बोला: बेटी गिलास में डाल दो ना। जब वो दो गिलास में डाल रही थी तो वो उसकी जाँघ सहलाता हुआ बोला: अरे बेटी सिर्फ़ दो गिलास ही लायी? तुम तो पीती हो ना। चारु भी तो पीती होगी ना?
चारु : नहीं अंकल मैंने कभी नहीं पिया।
राजीव: अरे बेटी तो क्या हुआ ? आज ले लो। और कोलेज की स्मार्ट लड़कियाँ तो सब पीती हैं।
शकील: जाओ बेटी दो गिलास और ले आओ। अबकि रूहि फिर से जाकर और दो गिलास ले आयी और कुछ काजू भी ले आयी।
अब रूहि ने चार गिलास में बीयर डाली और सबने लेकर चीयर किया और चारु को छोड़कर सब पीने लगे। गुड़िया सी रूहि क्या मज़े से बीयर सिप कर रही थी। राजीव बोला: अरे चारु पी कर देखो तो सही। मस्त मज़ा आएगा।
चारु ने हिचकते हुए एक सिप लिया और नाक सिकोड़कर बोली: छी बहुत कड़वी है।
रूहि हँसी और बोली: अरे एक गिलास पी लो फिर और माँगोगी। यह सुनकर सब हँसने लगे।
अब सब पी रहे थे और फ़िल्मों की बातें होनी लगीं।
शकील: वैसे मुझे तो दीपिका पदकोने बहुत पसंद है। क्या मस्त फ़िगर है उसका।
राजीव: हाँ अपनी रूहि भी वैसी ही दिखती है। रूहि यह सुनकर ख़ुशी से शर्मा गयी।
शकील: और हमारी चारु भी तो बहुत स्वीट है बिलकुल श्रध्धा कपूर सी दिखती है। वैसे ही सेक्सी फ़िगर है।
अबकि चारु शर्मा गयी। अब चारु रूहि के द्वारा बार बार कहने पर सिप ले ले कर गिलास आधा ख़ाली कर चुकी थी। अब वो हल्के से सुरुर में आ चुकी थी। अचानक शकील बोला: चलो एक घूँट में गिलास ख़ाली करते हैं। देखते ही देखते सबके गिलास ख़ाली हो गए। चारु को थोड़ा दिक़्क़त हुई पर वो भी ख़ाली कर ली। अब रूहि और चारु की आँखें लाल होने लगीं थीं। राजीव ने देख लिया था कि बीयर एक्स्ट्रा स्ट्रोंग थी।
शकील: रूहि जाओ दो बीयर और लाओ। रूहि उठी और हल्के से डगमगायी तो शकील बोला: राजीव आप ज़रा रूहि की मदद कर देना कहीं वो गिर ना जाए। यह कहकर उसने राजीव को आँख मार दी। राजीव समझ गया और उठ कर किचन में रूहि के पीछे पीछे चला गया। जब रूहि फ्रिज खोलकर बीयर लेने को झुकी तो उसकी टाइट लेग्गिंग से उसकी मस्त गाँड़ देखकर वो मस्ती में आकर उसके पिछवाड़े में अपना लंड दबा दिया। रूहि: आऽऽऽह अंकल क्या कर रहे है?
राजीव उसे पकड़कर: बेटी कहीं तुम गिर ना जाओ। इस लिए पकड़ा हुआ हूँ। रूहि ने अब एक बोतल निकाली और खड़ी हुई। जैसे ही वो सीधी हुई राजीव के लौड़े का कड़ापन महसूस करके वो मस्त होने लगी। बीयर का सरूर तो था ही। अब राजीव ने उसके कंधे पर पीछे से चुम्बन लिया और बोला: म्म्म्म्म क्या मस्त गंध है बिटिया तुम्हारे बदन की। उफफफफ क्या मस्त जवान हो गयी हो तुम। यह कहते हुए वो उसके पेट के हिस्से को सहलाते हुए अपना लंड उसकी गाँड़ पर रगड़ने लगा। अब रूहि भी आऽऽऽऽह अंकल कहकर अपनी मस्ती का इजहार की।
उधर शकील बोला: क्या हो गया इनको इतनी देर क्यों लग रही है? मैं देखकर आता हूँ तुम बैठो चारु।
वो जब किचन में पहुँचा तो राजीव रूहि से पीछे से चिपका हुआ था और उसके गाल चूम रहा था और उसके हाथ उसकी चूचियों के निचले हिस्से तक पहुँच चुके थे। अचानक आए शकील को देखकर रूहि शर्मायी और बोली: उफफफ अंकल छोड़िए ना।
शकील मुस्कुराया और बोला: अरे बिटिया क्या हुआ? अरे मज़े लो ना। इसमें शर्माने की क्या बात है! अंकल बहुत अच्छें हैं । बहुत मज़ा देंगे। वैसे अगर तुम अंकल को मज़ा करने दोगी तो मैं भी चारु से थोड़ा मज़ा ले लूँगा। ठीक है ना बिटिया? ये कहकर उसने रूहि के गाल सहलाए और उसके मस्त सख़्त अमरूदों को दबाया और बोला: देखो राजीव भाई ऐसे सख़्त अमरूद कभी दबाए आपने?
राजीव भी कमिनी मुस्कुराहट के साथ उसके अमरूदों को दबाया और बोला: आऽऽऽह सच यार ये तो चारु से भी सख़्त हैं। मस्त हैं बेबी तुम्हारे। अब दोनों मर्द उसकी एक एक चूची दबाने लगे। अब शकील ने उसकी लेग्गिंग के ऊपर से उसकी बुर को दबाया और कहा: बिटिया अंकल को मज़ा दोगी ना?
रूहि मज़े से आँख बंद कर ली और बोली: ठीक है दादू वैसे ही ना जैसे आपके दोस्त रहीम अंकल को दिया था और आपने उनकी बेटी से मज़ा लिया था?
शकील: हाँ बेटी बिलकुल हो वैसे। राजीव चौंक कर शकील को देखा और उसके मुँह पर कमिनी मुस्कान देखकर समझ गया कि ये साला टेलर ऐसा पहले भी कर चुका है।
शकील: चलो अब चारु को थोड़ी सी और पिलाओ तो वो भी शीशे में उतर जाएगी।
सब बाहर आए तो चारु चुपचाप बैठी थी और हल्के से नशे में लग रही थी। शकील उसके लिए एक और गिलास भरा और उसके बग़ल में बैठ कर बोला: लो बिटिया और लो। मस्त मज़ा आएगा।
अब राजीव रूहि से सट कर बैठा था और अब वो पीते हुए रूहि की जाँघ सहला रहा था । चारु को ये थोड़ा अजीब सा लगा पर वो चुप रही। तभी शकील बोला: लो बिटिया इसको ख़त्म करो ना एक घूँट में। अब चारु जल्दी जल्दी पीने लगी और नशे से मस्त होने लगी।
शकील ने राजीव को इशारा किया और राजीव बोला: चारु एक बात कहनी है अगर तुम बुरा नहीं मानो तो।
चारु: आऽऽऽं क्या अंकल?
राजीव: मुझे रूहि बहुत अच्छी लग रही है क्या मैं उसे अपनी गोद में लेकर प्यार कर लूँ? तुम बुरा तो नहीं मानोगी?
चारु चौंकी पर नशे की हालत में बोली: मुझे क्यों बुरा लगेगा?
अब राजीव ने रूहि को अपनी गोद में बिठाया और उसको चूमने लगा। चारु आँखें फाड़े सब देख रही थी। वो हैरानी से शकील को देखी पर वो तो उसे ही देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। वो बोला: क्या हुआ चारु? देखो कैसे मज़ा ले रही है मेरी पोती?
चारु ने देखा कि अब वो उसकी क़ुर्ती में हाथ डालकर उसके मस्त अमरूदों को दबा रहा था और दोनों के होंठ एकदम चिपके हुए थे।चारु भी मस्ती में आने लगी। उसके निपल्ज़ कड़े हो गए और उसकी बुर खुजाने लगी। तभी उसे किसी का हाथ अपनी जाँघ पर महसूस हुआ और वो देखी कि शकील उसकी जाँघ सहला रहा था। वो चुप रही और मस्ती में आने लगी। शकील बोला: राजीव भाई आप तो मेरी पोती से मज़ा कर रहे हो तो क्या मैं भी थोड़ा चारु से मस्ती कर लूँ?
चारु चौकी और राजीव को देखी और हैरान रह गयी क्योंकि राजीव रूहि की क़ुर्ती उतार रहा था और वो भी मज़े से नशे में हाथ उठाकर अपनी क़ुर्ती उतरवा रही थी। जल्दी ही अब वो ब्रा में थी और छोटी सी ब्रा में उसकी जवानी राजीव को मानो पागल किए जा रही थी। राजीव ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा।रूहि अपनी गाँड़ हिलाकर राजीव के लंड को अपनी गाँड़ ने महसूस करने लगी।
शकील: देखो बेटी रूहि कितना मज़ा ले रही है? राजीव भाई तुम दोनों मज़ा ले रहे हो और मैं और चारु तुमको देख रहे हैं। भाई क्या हम दोनों भी मस्ती कर लें?
राजीव: अरे भाई ये भी कोई पूछने की बात है? चारु मज़ा लो ना अंकल से ।
चारु अब नशे और उत्तेजना से अपना आपा खोने लगी थी। वो शकील को देखी और नज़र झुका ली। शकील इसको हरी झंडी समझा और उसे खींचकर अपनी गोद में बिठाया और उसके होंठ चूमने लगा। चारु को भी अपनी गाँड़ के नीचे कड़े लंड का अहसास होने लगा था। म
रूहि कई बार चुदवा चुकी थी और पूरी मस्ती ले रही थी पर चारु तो आज दूसरी बार ही चुदने वाली थी और वो भी एक नए मर्द से, इसलिए थोड़ा झिझक रही थी। पर नशे ने उसे थोड़ा सा बेशर्म बना दिया था। अब वो भी मज़े से शकील के होंठ चूस रही थी। कमरा गरम होने लगा था।
- rangila
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
Very good bhai Wating for next
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
keep updating more n more....
मस्त राम मस्ती में
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