प्यासी जिंदगी complete
- rangila
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Re: प्यासी जिंदगी
happy new year mitro
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: प्यासी जिंदगी
बाजी ने मेरा खुला बैग एक झटके से बंद किया- अभी छोड़ो.. दफ़ा करो और बैग नीचे रख दो..
यह बोलते हुए बाजी ने मेरे लण्ड को पकड़ा और किचन के दरवाज़े से बाहर देखते हुए नीचे बैठ गईं.. और आखिरी बार नज़र बाहर डाल कर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया।
आज इतने दिनों बाद अपने लण्ड पर बाजी के मुँह की गर्मी को महसूस करके मैं भी तड़फ उठा- उफ्फ़ आप्पी.. मेरी सोहनी बहना के मुँह की गर्मी.. लण्ड की क़ातिल..
मैंने एक सिसकारी ली और बाजी के चेहरे को देखने लगा।
बाजी भी मेरा लण्ड चूसते हुए ऊपर नज़र उठा कर मेरी आँखों में ही देख रही थीं।
बाजी लण्ड ऐसे चूसती थीं.. जैसे कोई अनुभवी चुसक्कड़ हो।
शायद यह चीज़ औरतों में कुदरती तौर पर ही होती है कि वो चुदाई के तमाम असरार बिना किसी से सीखे ही समझ जाती हैं और बाजी तो काफ़ी सारी ट्रिपल एक्स मूवीज देख चुकी थीं जो वैसे ही अपने आप में एक बहुत बड़ा ट्रेनिंग स्कूल होती हैं।
मेरा लण्ड अब बाजी के मुँह की गर्मी से फुल खड़ा हो गया था, मैंने मज़े में डूबते हुए बाजी के सिर पर हाथ रख दिए।
जब बाजी मेरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में उतार लेतीं.. तो मैं बाजी के सिर को दबा कर कुछ देर वहीं रोक लेता और जब बाजी पीछे की तरफ ज़ोर देने लगतीं.. तो मैं अपने हाथों को ढीला कर लेता।
इसी तरह से बाजी ने मेरा लण्ड चूसते हुए अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी टाँगों के बीच रखा ही था कि किसी आहट को सुन कर बाजी फ़ौरन पीछे हट कर खड़ी हो गईं और मैंने भी जल्दी से अपने लण्ड को अपनी पैंट में डाल कर ज़िप बंद कर दी।
बाजी मुझसे दूर हट कर वॉशबेसिन में बिला वजह बर्तन इधर-उधर करने लगीं और मैं सांस रोके वहीं खड़ा किसी के आने का इन्तजार करने लगा।
लेकिन काफ़ी देर तक कोई सामने ना आया तो बाजी ने डरते-डरते दरवाज़े के बाहर नज़र डाली और वहाँ किसी को ना पाकर मेरी तरफ देखा।
मैंने बाजी को हाथ से इशारा करके बगैर आवाज़ के होंठों को जुंबिश दी- बाहर जा कर देखो ना यार..
बाजी सहमे हुए से अंदाज़ में ही बाहर तक गईं और फिर अन्दर आ कर बोलीं- कोई नहीं है बाहर.. और बस अब तुम जाओ.. मैं रात में आऊँगी कमरे में.. सोना नहीं अच्छा..
मैं भी रेफ्रिजरेटर की साइड से निकाल कर बाजी के सामने आया और कहा- सो भी गया तो उठा देना.. लेकिन मेरी अभी की बारी का क्या होगा?
बाजी ने एक नज़र बाहर देखा और कहा- अभी क्या करना है तुमने.. छोड़ो.. रात को ही कर लेना।
मैंने बाजी का चेहरा पकड़ कर उनके होंठ चूमे और कहा- जी नहीं.. रात की रात में देखेंगे.. लेकिन मेरी अभी की बारी दो..
‘अच्छा ना.. बोलो क्या करना है?’
ये कह कर बाजी ने अपने एक हाथ से दुपट्टा अपने सीने से हटाया और दूसरे हाथ से सीने के एक उभार को अपनी क़मीज़ के ऊपर से पकड़ कर कहा- ये चूसना है?
बाजी की कुंवारी चूत की खुशबू
मैंने गर्दन को नहीं के अंदाज़ में हिलाया और दो सेकेंड रुक कर कहा- इस दुनिया की सबसे ज्यादा मदहोश कर देने वाली खुश्बू सूँघनी है.. और दुनिया के लज़ीज़-तरीन मशरूब के जो चंद क़तरे निकले होंगे.. वो पीने हैं।
बाजी ने फिर से अपने निचले होंठ की साइड को दाँत से काट कर नशीली नजरों से मुझे देखा और फिर आँख मार कर घूमीं और हँसते हुए किचन से बाहर भाग गईं।
बाजी के इस तरह बाहर भाग जाने से मेरी गाण्ड ही जल गई और मुझे इतनी शदीद झुंझलाहट हुई कि मेरे मुँह से कोई बात ही नहीं निकल सकी।
मेरे दिमाग़ में बस दो ही लफ्ज़ गूँजने लगे ‘वसीम चूतिया.. वसीम चूतिया..’
मैं आँखें फाड़े खाली दरवाज़े को ही देख रहा था कि बाजी फिर से सामने आईं और अपने दोनों अंगूठों को अपने कान पर रख कर मुझे मुँह चिढ़ा कर मेरी तरफ पीठ की और अपने कूल्हों को मटकाते हुए मुझे देख कर गाना गाने लगीं- जा जा.. हो.. जाअ जा.. मैं तुम से नहीं बो.. लूँन्न्न्.. जाअ.. जाआ..
बाजी का यह मज़ाक़ मुझे इस वक़्त ज़हर सा लग रहा था.. मैंने बाजी की तरफ से नज़र हटा ली और गुस्से से सिर झटक कर रैक पर पड़े पानी के जग की तरफ घूम गया।
मैंने गिलास में पानी उड़ेला और पानी पी ही रहा था कि बाजी अन्दर आईं और मेरी राईट साइड पर दोनों हाथ अपनी कमर पर टिका कर खड़ी हो गईं।
मैंने पानी पी कर गिलास नीचे रखा और बुरा सा मुँह बनाए हुए बाजी की तरफ देखा.. तो वो मेरे चेहरे को ही देख रही थीं।
कुछ देर ऐसे ही मैं और बाजी एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर मैंने नज़र झुका लीं और बाजी की साइड से हो कर बाहर निकलने लगा।
तो बाजी ने मेरा हाथ कलाई से पकड़ा और झटके से अपनी तरफ घुमाते हुए मेरे होंठों को चूम कर कहा- यार मज़ाक़ कर रही थी ना.. एक तो तुम इतनी जल्दी मुँह बना लेते हो?
मैंने बाजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी आँखों में ही देखता रहा।
बाजी ने मेरी शर्ट का सबसे ऊपर वाला बटन खुला देखा तो उसको बंद करते हुए बोलीं- यार वसीम.. ऐसा ना किया कर ना.. मेरे भाई.. प्लीज़ अब मान जाओ।
मैंने उखड़े-उखड़े लहजे में ही कहा- यार बाजी आप भी तो अजीब ही हरकत करती हो ना.. इतना ज़बरदस्त मूड बना हुआ था.. सबकी माँ चोद दी आपने।
‘अच्छा बस.. बकवास नहीं कर अब.. गालियाँ दे कर अपना मुँह गंदा मत किया करो।’
‘तो क्या करूँ.. पता है हम दोस्त यार एक मिसाल दिया करते हैं कि खड़े लण्ड पर धोखा.. ये मिसाल इस मौके पर बिल्कुल फिट बैठ रही है.. आपने भी कुछ ऐसा ही किया है.. यानि खड़े लण्ड पर धोखा दिया है।’
बाजी ने हँसते हुए मेरा हाथ थामा और वापस अन्दर रेफ्रिजरेटर की तरफ जाते हुए कहा- यह मिसाल तुम दोस्तों तक ही रखो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. बहनें या तो लण्ड खड़ा ही नहीं करवाती हैं.. और अगर लण्ड खड़ा करवा दें.. तो कभी धोखा नहीं देती हैं.. और मैं भी अपने सोहने भाई को खड़े लण्ड पर धोखा नहीं दूँगी।
बाजी ने बात खत्म की तो हम रेफ्रिजरेटर के पास पहुँच गए थे। बाजी ने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और घूम कर उसी जगह पर दीवार से टेक लगा कर खड़ी हो गईं.. जहाँ कुछ देर पहले मैं खड़ा था।
मेरा मूड अभी भी खराब ही था, मैं सिर झुका कर बुरा सा मुँह बना कर खड़ा रहा।
बाजी ने कुछ देर ऐसे ही मुझे देखा और फिर मेरे हाथों को छोड़ कर उल्टे हाथ की हथेली में मेरी ठोड़ी को भर कर ऊपर उठा दिया और सीधा हाथ अपने चूड़ीदार पजामे में डाल कर अपनी चूत पर रगड़ने लगीं।
बाजी ने 3-4 बार अपनी चूत पर हाथ रगड़ कर बाहर निकाला.. तो उनकी उंगलियों पर उनकी चूत का पानी लगा था।
बाजी ने अपनी चूत के रस से गीली उंगलियों को मेरे नाक के पास रगड़ा और मेरे होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए फिल्मी अंदाज़ में बोलीं- मेरे सोहने भाई के लिए.. इस दुनिया की सब्ब से ज्यादा मदहोश कर देने वाली खुश्बू.. सोहने भाई की सग़ी बहन की चूत के रस की खुशबू… और दुनिया के लज़ीज़ तरीन मशररूब.. तुम्हारी बाजी की चूत के जूस के चंद क़तरे हाज़िर हैं।
बाजी के इस अंदाज़ ने मेरे मूड की सारी खराबी को गायब कर दिया और बेसाख्ता ही मुझे हँसी आ गई।
मैंने बाजी को अपनी तरफ खींच कर उनको सीने से लगाया और अपने बाजुओं में भींचते हुए कहा- आई लव यू बाजी.. आई रियली लव यू!
बाजी ने भी मेरी क़मर पर हाथ फेरा और अपना सिर पीछे करते हुए मेरे गाल को चूम कर कहा- आई लव यू टू जानू.. मेरा सोहना भाई!
बाजी की झांटों भरी चूत
हम इसी तरह कुछ देर गले लगे रहे.. फिर बाजी मुझसे अलग हुईं और दीवार से क़मर लगा कर अपनी फ्रॉक का दामन सामने से उठाया और कहा- चलो अब अपना इनाम ले लो।
मैंने हँस कर बाजी को देखा और नीचे बैठ कर उनके पजामे के ऊपर से टाँगों के बीच अपना मुँह दबा लिया।
बाजी की चूत की खुशबू को अपने अंग-अंग में बसने के बाद मैंने मुँह पीछे किया और बाजी के पजामे को उतारने के लिए हाथ फँसाए ही थे कि बाजी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया और कहा- आहहनन्न.. तुम हाथ हटा लो.. मैं खुद.. अपने सोहने भाई के लिए.. अपने हाथों से.. अपना पजामा नीचे करूँगी।
‘ओके बाबा.. जो रानी जी की मर्ज़ी..’
मैंने यह कह कर अपने हाथ पीछे कर लिए और अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच में चिपका कर पजामा नीचे होने का इन्तजार करने लगा।
बाजी ने अपनी फ्रॉक के दामन को दाँतों में दबाया और दोनों अंगूठे साइड्स से पजामे में फँसा कर आहिस्ता-आहिस्ता नीचे करने लगीं।
बाजी ने अपने पजामे को दो इंच नीचे सरकाया और नफ़ से थोड़ा नीचे करके रुक गईं।
मैं उत्तेजना से मुँह खोले अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच जमाए हुए.. पजामे के उतरने का इन्तजार कर रहा था, मेरी शक्ल से ही बहुत बेताबी ज़ाहिर हो रही थी।
जब काफ़ी देर बाद भी बाजी ने पजामा नीचे ना किया.. तो मैंने नज़र उठा कर बाजी के चेहरे की तरफ देखा तो वो खिलखिला कर हँस पड़ीं, उनकी आँखों में इस वक़्त शदीद शरारत नाच रही थी।
बाजी को हँसता देख कर मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि बाजी हँसी को ज़बरदस्ती रोकते हो बोलीं- अच्छा अच्छा सॉरी.. मूड ऑफ मत कर लेना.. सॉरी सॉरी..
मैंने कुछ नहीं कहा.. बस मुस्कुरा कर वापस अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच जमा दीं।
बाजी ने अपने पजामे को थोड़ा और नीचे किया.. तो उनकी चूत के ऊपर वाले हिस्से के बाल नज़र आने लगे.. जो काफ़ी बड़े हो रहे थे और गुलाबी जिल्द पर डार्क ब्लैक बाल बहुत भले लग रहे थे।
‘बाजी क्या बात है.. कब से बाल साफ नहीं किए? बहुत बड़े-बड़े हो रहे हैं?’
‘काफ़ी दिन हो गए हैं.. सुबह यूनिवर्सिटी जाना था.. इतना टाइम नहीं था कि साफ करती.. अब आज करूँगी।’
बाजी ने ये कहा और पजामे को घुटनों तक पहुँचा दिया।
मैंने नज़र भर के बाजी की चूत को देखा।
टाँगों के बंद होने की वजह से सिर्फ़ चूत का ऊपरी हिस्सा ही दिख रहा था।
मैंने अपना हाथ बारी-बारी बाजी की खूबसूरत रानों पर फेरा और अपना अंगूठा चूत से थोड़ा ऊपर रख कर चूत को ऊपर की तरफ खींचते हुए बाजी से कहा- बाजी टाँगें खोलो ना थोड़ी सी..
बाजी ने अपनी टाँगों को खोला.. तो चूत बालों में घिरी एक लकीर सी नज़र आ रही थी।
मैंने अंगूठे को थोड़ा नीचे ला कर बाजी की चूत के दाने पर रख दिया और उसे मसलते हुए बाजी की रानों को चाटने लगा।
मैंने बारी-बारी से दोनों रानों को चाटा और फिर अंगूठे के दबाव से चूत को ऊपर की जानिब खींच कर अपनी ज़ुबान बाजी की चूत से लगा दी।
मेरी ज़ुबान बाजी की चूत पर टच हुई तो उन्होंने एक झुरझुरी सी ली और अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर दबाने लगीं।
मैंने चूत को मुकम्मल चाट कर बाजी की चूत के एक लब को अपने होंठों में दबाया और उसका रस निचोड़ने लगा।
इसी तरह मैंने दूसरे लब को चूसा और फिर दोनों लबों को एक साथ मुँह में लेकर पूरी चूत को चूसने की कोशिश की.. तो बाजी ने एक ‘आह..’ भरते हुए कहा- अहह.. वसीम दाना.. दाने को चूसो.. प्लीज़..
मैंने बाजी की बात सुन कर एक बार फिर पूरी चूत पर ज़ुबान फेरी और उनकी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बाजी की चूत के दाने से मीठे रस का चश्मा उबल रहा है.. जो मेरे मुँह में शहद घोलता जा रहा है।
बाजी की चूत के दाने को चूसने की वजह से मेरी नाक.. चूत के बालों में उलझ सी गई और मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मेरी नाक अपनी बाजी की चूत की खुश्बू को एक-एक बाल से चुन लेना चाहता हो।
अम्मी आ गई
मैं अपने इन्हीं अहसासात के साथ बाजी की चूत को चाट और चूस रहा था कि एक आवाज़ बॉम्ब की तरह मेरी शामत से टकराई- रूहीयययययई…
अम्मी की आवाज़ सुनते ही मैं तड़फ कर पीछे हटा और अभी उठने भी नहीं पाया था कि किचन के दरवाज़े पर अम्मी खड़ी नज़र आईं।
उन्होंने मुझे ज़मीन पर बैठे देखा तो हैरत से पूछा- यह क्या कर रहे हो वसीम?
मैंने अम्मी को देखे बिना ही रेफ्रिजरेटर के नीचे हाथ डाला और कुछ ढूँढने के अंदाज़ में हाथ फिराता हुआ बोला- कुछ नहीं.. अम्मी वो पानी पी रहा था.. तो हाथ में पकड़ा पेन नीचे गिर गया है.. वो ही देख रहा हूँ।
कह कर मैंने तिरछी नज़र से बाजी को देखा तो वो उसी हालत में क़मीज़ दाँतों में दबाए.. पाजामा घुटनों तक उतारा हुआ और टाँगें थोड़ी सी खोले हुए.. बुत बनी खड़ी थीं।
अम्मी ने माथे पर हाथ मार कर कहा- या रब्बा.. ये लड़के भी ना.. इतनी क्या मुसीबत पड़ी है पेन की.. बाद में निकाल लेना था.. अभी अपने सारे कपड़े गंदे कर लिए हैं।
मैं दिल ही दिल में दुआ कर रहा था कि अम्मी अन्दर ना आ जाएँ। फिर मैंने हाथ रेफ्रिजरेटर के नीचे से निकाला और अपना बैग उठा कर खड़ा हो रहा था.. तो अम्मी बोलीं- रूही को तो नहीं देखा तुमने? पता नहीं कहाँ चली गई है?
‘नहीं अम्मी..! मैंने तो नहीं देखा.. जाना कहाँ हैं.. ऊपर स्टडी रूम में होंगी।’
अम्मी ने सीढ़ियों की तरफ मुँह कर के तेज आवाज़ लगाई- रुहीययई..
फिर अपने कमरे की तरफ घूम कर बोलीं- वसीम जा बेटा ऊपर हो तो उसे मेरे पास भेज देना।
बोल कर अम्मी धीमे क़दमों से मुड़ते हुए अपने कमरे की तरफ चल दीं।
यह बोलते हुए बाजी ने मेरे लण्ड को पकड़ा और किचन के दरवाज़े से बाहर देखते हुए नीचे बैठ गईं.. और आखिरी बार नज़र बाहर डाल कर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया।
आज इतने दिनों बाद अपने लण्ड पर बाजी के मुँह की गर्मी को महसूस करके मैं भी तड़फ उठा- उफ्फ़ आप्पी.. मेरी सोहनी बहना के मुँह की गर्मी.. लण्ड की क़ातिल..
मैंने एक सिसकारी ली और बाजी के चेहरे को देखने लगा।
बाजी भी मेरा लण्ड चूसते हुए ऊपर नज़र उठा कर मेरी आँखों में ही देख रही थीं।
बाजी लण्ड ऐसे चूसती थीं.. जैसे कोई अनुभवी चुसक्कड़ हो।
शायद यह चीज़ औरतों में कुदरती तौर पर ही होती है कि वो चुदाई के तमाम असरार बिना किसी से सीखे ही समझ जाती हैं और बाजी तो काफ़ी सारी ट्रिपल एक्स मूवीज देख चुकी थीं जो वैसे ही अपने आप में एक बहुत बड़ा ट्रेनिंग स्कूल होती हैं।
मेरा लण्ड अब बाजी के मुँह की गर्मी से फुल खड़ा हो गया था, मैंने मज़े में डूबते हुए बाजी के सिर पर हाथ रख दिए।
जब बाजी मेरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में उतार लेतीं.. तो मैं बाजी के सिर को दबा कर कुछ देर वहीं रोक लेता और जब बाजी पीछे की तरफ ज़ोर देने लगतीं.. तो मैं अपने हाथों को ढीला कर लेता।
इसी तरह से बाजी ने मेरा लण्ड चूसते हुए अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी टाँगों के बीच रखा ही था कि किसी आहट को सुन कर बाजी फ़ौरन पीछे हट कर खड़ी हो गईं और मैंने भी जल्दी से अपने लण्ड को अपनी पैंट में डाल कर ज़िप बंद कर दी।
बाजी मुझसे दूर हट कर वॉशबेसिन में बिला वजह बर्तन इधर-उधर करने लगीं और मैं सांस रोके वहीं खड़ा किसी के आने का इन्तजार करने लगा।
लेकिन काफ़ी देर तक कोई सामने ना आया तो बाजी ने डरते-डरते दरवाज़े के बाहर नज़र डाली और वहाँ किसी को ना पाकर मेरी तरफ देखा।
मैंने बाजी को हाथ से इशारा करके बगैर आवाज़ के होंठों को जुंबिश दी- बाहर जा कर देखो ना यार..
बाजी सहमे हुए से अंदाज़ में ही बाहर तक गईं और फिर अन्दर आ कर बोलीं- कोई नहीं है बाहर.. और बस अब तुम जाओ.. मैं रात में आऊँगी कमरे में.. सोना नहीं अच्छा..
मैं भी रेफ्रिजरेटर की साइड से निकाल कर बाजी के सामने आया और कहा- सो भी गया तो उठा देना.. लेकिन मेरी अभी की बारी का क्या होगा?
बाजी ने एक नज़र बाहर देखा और कहा- अभी क्या करना है तुमने.. छोड़ो.. रात को ही कर लेना।
मैंने बाजी का चेहरा पकड़ कर उनके होंठ चूमे और कहा- जी नहीं.. रात की रात में देखेंगे.. लेकिन मेरी अभी की बारी दो..
‘अच्छा ना.. बोलो क्या करना है?’
ये कह कर बाजी ने अपने एक हाथ से दुपट्टा अपने सीने से हटाया और दूसरे हाथ से सीने के एक उभार को अपनी क़मीज़ के ऊपर से पकड़ कर कहा- ये चूसना है?
बाजी की कुंवारी चूत की खुशबू
मैंने गर्दन को नहीं के अंदाज़ में हिलाया और दो सेकेंड रुक कर कहा- इस दुनिया की सबसे ज्यादा मदहोश कर देने वाली खुश्बू सूँघनी है.. और दुनिया के लज़ीज़-तरीन मशरूब के जो चंद क़तरे निकले होंगे.. वो पीने हैं।
बाजी ने फिर से अपने निचले होंठ की साइड को दाँत से काट कर नशीली नजरों से मुझे देखा और फिर आँख मार कर घूमीं और हँसते हुए किचन से बाहर भाग गईं।
बाजी के इस तरह बाहर भाग जाने से मेरी गाण्ड ही जल गई और मुझे इतनी शदीद झुंझलाहट हुई कि मेरे मुँह से कोई बात ही नहीं निकल सकी।
मेरे दिमाग़ में बस दो ही लफ्ज़ गूँजने लगे ‘वसीम चूतिया.. वसीम चूतिया..’
मैं आँखें फाड़े खाली दरवाज़े को ही देख रहा था कि बाजी फिर से सामने आईं और अपने दोनों अंगूठों को अपने कान पर रख कर मुझे मुँह चिढ़ा कर मेरी तरफ पीठ की और अपने कूल्हों को मटकाते हुए मुझे देख कर गाना गाने लगीं- जा जा.. हो.. जाअ जा.. मैं तुम से नहीं बो.. लूँन्न्न्.. जाअ.. जाआ..
बाजी का यह मज़ाक़ मुझे इस वक़्त ज़हर सा लग रहा था.. मैंने बाजी की तरफ से नज़र हटा ली और गुस्से से सिर झटक कर रैक पर पड़े पानी के जग की तरफ घूम गया।
मैंने गिलास में पानी उड़ेला और पानी पी ही रहा था कि बाजी अन्दर आईं और मेरी राईट साइड पर दोनों हाथ अपनी कमर पर टिका कर खड़ी हो गईं।
मैंने पानी पी कर गिलास नीचे रखा और बुरा सा मुँह बनाए हुए बाजी की तरफ देखा.. तो वो मेरे चेहरे को ही देख रही थीं।
कुछ देर ऐसे ही मैं और बाजी एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर मैंने नज़र झुका लीं और बाजी की साइड से हो कर बाहर निकलने लगा।
तो बाजी ने मेरा हाथ कलाई से पकड़ा और झटके से अपनी तरफ घुमाते हुए मेरे होंठों को चूम कर कहा- यार मज़ाक़ कर रही थी ना.. एक तो तुम इतनी जल्दी मुँह बना लेते हो?
मैंने बाजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी आँखों में ही देखता रहा।
बाजी ने मेरी शर्ट का सबसे ऊपर वाला बटन खुला देखा तो उसको बंद करते हुए बोलीं- यार वसीम.. ऐसा ना किया कर ना.. मेरे भाई.. प्लीज़ अब मान जाओ।
मैंने उखड़े-उखड़े लहजे में ही कहा- यार बाजी आप भी तो अजीब ही हरकत करती हो ना.. इतना ज़बरदस्त मूड बना हुआ था.. सबकी माँ चोद दी आपने।
‘अच्छा बस.. बकवास नहीं कर अब.. गालियाँ दे कर अपना मुँह गंदा मत किया करो।’
‘तो क्या करूँ.. पता है हम दोस्त यार एक मिसाल दिया करते हैं कि खड़े लण्ड पर धोखा.. ये मिसाल इस मौके पर बिल्कुल फिट बैठ रही है.. आपने भी कुछ ऐसा ही किया है.. यानि खड़े लण्ड पर धोखा दिया है।’
बाजी ने हँसते हुए मेरा हाथ थामा और वापस अन्दर रेफ्रिजरेटर की तरफ जाते हुए कहा- यह मिसाल तुम दोस्तों तक ही रखो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. बहनें या तो लण्ड खड़ा ही नहीं करवाती हैं.. और अगर लण्ड खड़ा करवा दें.. तो कभी धोखा नहीं देती हैं.. और मैं भी अपने सोहने भाई को खड़े लण्ड पर धोखा नहीं दूँगी।
बाजी ने बात खत्म की तो हम रेफ्रिजरेटर के पास पहुँच गए थे। बाजी ने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और घूम कर उसी जगह पर दीवार से टेक लगा कर खड़ी हो गईं.. जहाँ कुछ देर पहले मैं खड़ा था।
मेरा मूड अभी भी खराब ही था, मैं सिर झुका कर बुरा सा मुँह बना कर खड़ा रहा।
बाजी ने कुछ देर ऐसे ही मुझे देखा और फिर मेरे हाथों को छोड़ कर उल्टे हाथ की हथेली में मेरी ठोड़ी को भर कर ऊपर उठा दिया और सीधा हाथ अपने चूड़ीदार पजामे में डाल कर अपनी चूत पर रगड़ने लगीं।
बाजी ने 3-4 बार अपनी चूत पर हाथ रगड़ कर बाहर निकाला.. तो उनकी उंगलियों पर उनकी चूत का पानी लगा था।
बाजी ने अपनी चूत के रस से गीली उंगलियों को मेरे नाक के पास रगड़ा और मेरे होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए फिल्मी अंदाज़ में बोलीं- मेरे सोहने भाई के लिए.. इस दुनिया की सब्ब से ज्यादा मदहोश कर देने वाली खुश्बू.. सोहने भाई की सग़ी बहन की चूत के रस की खुशबू… और दुनिया के लज़ीज़ तरीन मशररूब.. तुम्हारी बाजी की चूत के जूस के चंद क़तरे हाज़िर हैं।
बाजी के इस अंदाज़ ने मेरे मूड की सारी खराबी को गायब कर दिया और बेसाख्ता ही मुझे हँसी आ गई।
मैंने बाजी को अपनी तरफ खींच कर उनको सीने से लगाया और अपने बाजुओं में भींचते हुए कहा- आई लव यू बाजी.. आई रियली लव यू!
बाजी ने भी मेरी क़मर पर हाथ फेरा और अपना सिर पीछे करते हुए मेरे गाल को चूम कर कहा- आई लव यू टू जानू.. मेरा सोहना भाई!
बाजी की झांटों भरी चूत
हम इसी तरह कुछ देर गले लगे रहे.. फिर बाजी मुझसे अलग हुईं और दीवार से क़मर लगा कर अपनी फ्रॉक का दामन सामने से उठाया और कहा- चलो अब अपना इनाम ले लो।
मैंने हँस कर बाजी को देखा और नीचे बैठ कर उनके पजामे के ऊपर से टाँगों के बीच अपना मुँह दबा लिया।
बाजी की चूत की खुशबू को अपने अंग-अंग में बसने के बाद मैंने मुँह पीछे किया और बाजी के पजामे को उतारने के लिए हाथ फँसाए ही थे कि बाजी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया और कहा- आहहनन्न.. तुम हाथ हटा लो.. मैं खुद.. अपने सोहने भाई के लिए.. अपने हाथों से.. अपना पजामा नीचे करूँगी।
‘ओके बाबा.. जो रानी जी की मर्ज़ी..’
मैंने यह कह कर अपने हाथ पीछे कर लिए और अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच में चिपका कर पजामा नीचे होने का इन्तजार करने लगा।
बाजी ने अपनी फ्रॉक के दामन को दाँतों में दबाया और दोनों अंगूठे साइड्स से पजामे में फँसा कर आहिस्ता-आहिस्ता नीचे करने लगीं।
बाजी ने अपने पजामे को दो इंच नीचे सरकाया और नफ़ से थोड़ा नीचे करके रुक गईं।
मैं उत्तेजना से मुँह खोले अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच जमाए हुए.. पजामे के उतरने का इन्तजार कर रहा था, मेरी शक्ल से ही बहुत बेताबी ज़ाहिर हो रही थी।
जब काफ़ी देर बाद भी बाजी ने पजामा नीचे ना किया.. तो मैंने नज़र उठा कर बाजी के चेहरे की तरफ देखा तो वो खिलखिला कर हँस पड़ीं, उनकी आँखों में इस वक़्त शदीद शरारत नाच रही थी।
बाजी को हँसता देख कर मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि बाजी हँसी को ज़बरदस्ती रोकते हो बोलीं- अच्छा अच्छा सॉरी.. मूड ऑफ मत कर लेना.. सॉरी सॉरी..
मैंने कुछ नहीं कहा.. बस मुस्कुरा कर वापस अपनी नजरें बाजी की टाँगों के बीच जमा दीं।
बाजी ने अपने पजामे को थोड़ा और नीचे किया.. तो उनकी चूत के ऊपर वाले हिस्से के बाल नज़र आने लगे.. जो काफ़ी बड़े हो रहे थे और गुलाबी जिल्द पर डार्क ब्लैक बाल बहुत भले लग रहे थे।
‘बाजी क्या बात है.. कब से बाल साफ नहीं किए? बहुत बड़े-बड़े हो रहे हैं?’
‘काफ़ी दिन हो गए हैं.. सुबह यूनिवर्सिटी जाना था.. इतना टाइम नहीं था कि साफ करती.. अब आज करूँगी।’
बाजी ने ये कहा और पजामे को घुटनों तक पहुँचा दिया।
मैंने नज़र भर के बाजी की चूत को देखा।
टाँगों के बंद होने की वजह से सिर्फ़ चूत का ऊपरी हिस्सा ही दिख रहा था।
मैंने अपना हाथ बारी-बारी बाजी की खूबसूरत रानों पर फेरा और अपना अंगूठा चूत से थोड़ा ऊपर रख कर चूत को ऊपर की तरफ खींचते हुए बाजी से कहा- बाजी टाँगें खोलो ना थोड़ी सी..
बाजी ने अपनी टाँगों को खोला.. तो चूत बालों में घिरी एक लकीर सी नज़र आ रही थी।
मैंने अंगूठे को थोड़ा नीचे ला कर बाजी की चूत के दाने पर रख दिया और उसे मसलते हुए बाजी की रानों को चाटने लगा।
मैंने बारी-बारी से दोनों रानों को चाटा और फिर अंगूठे के दबाव से चूत को ऊपर की जानिब खींच कर अपनी ज़ुबान बाजी की चूत से लगा दी।
मेरी ज़ुबान बाजी की चूत पर टच हुई तो उन्होंने एक झुरझुरी सी ली और अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर दबाने लगीं।
मैंने चूत को मुकम्मल चाट कर बाजी की चूत के एक लब को अपने होंठों में दबाया और उसका रस निचोड़ने लगा।
इसी तरह मैंने दूसरे लब को चूसा और फिर दोनों लबों को एक साथ मुँह में लेकर पूरी चूत को चूसने की कोशिश की.. तो बाजी ने एक ‘आह..’ भरते हुए कहा- अहह.. वसीम दाना.. दाने को चूसो.. प्लीज़..
मैंने बाजी की बात सुन कर एक बार फिर पूरी चूत पर ज़ुबान फेरी और उनकी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बाजी की चूत के दाने से मीठे रस का चश्मा उबल रहा है.. जो मेरे मुँह में शहद घोलता जा रहा है।
बाजी की चूत के दाने को चूसने की वजह से मेरी नाक.. चूत के बालों में उलझ सी गई और मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मेरी नाक अपनी बाजी की चूत की खुश्बू को एक-एक बाल से चुन लेना चाहता हो।
अम्मी आ गई
मैं अपने इन्हीं अहसासात के साथ बाजी की चूत को चाट और चूस रहा था कि एक आवाज़ बॉम्ब की तरह मेरी शामत से टकराई- रूहीयययययई…
अम्मी की आवाज़ सुनते ही मैं तड़फ कर पीछे हटा और अभी उठने भी नहीं पाया था कि किचन के दरवाज़े पर अम्मी खड़ी नज़र आईं।
उन्होंने मुझे ज़मीन पर बैठे देखा तो हैरत से पूछा- यह क्या कर रहे हो वसीम?
मैंने अम्मी को देखे बिना ही रेफ्रिजरेटर के नीचे हाथ डाला और कुछ ढूँढने के अंदाज़ में हाथ फिराता हुआ बोला- कुछ नहीं.. अम्मी वो पानी पी रहा था.. तो हाथ में पकड़ा पेन नीचे गिर गया है.. वो ही देख रहा हूँ।
कह कर मैंने तिरछी नज़र से बाजी को देखा तो वो उसी हालत में क़मीज़ दाँतों में दबाए.. पाजामा घुटनों तक उतारा हुआ और टाँगें थोड़ी सी खोले हुए.. बुत बनी खड़ी थीं।
अम्मी ने माथे पर हाथ मार कर कहा- या रब्बा.. ये लड़के भी ना.. इतनी क्या मुसीबत पड़ी है पेन की.. बाद में निकाल लेना था.. अभी अपने सारे कपड़े गंदे कर लिए हैं।
मैं दिल ही दिल में दुआ कर रहा था कि अम्मी अन्दर ना आ जाएँ। फिर मैंने हाथ रेफ्रिजरेटर के नीचे से निकाला और अपना बैग उठा कर खड़ा हो रहा था.. तो अम्मी बोलीं- रूही को तो नहीं देखा तुमने? पता नहीं कहाँ चली गई है?
‘नहीं अम्मी..! मैंने तो नहीं देखा.. जाना कहाँ हैं.. ऊपर स्टडी रूम में होंगी।’
अम्मी ने सीढ़ियों की तरफ मुँह कर के तेज आवाज़ लगाई- रुहीययई..
फिर अपने कमरे की तरफ घूम कर बोलीं- वसीम जा बेटा ऊपर हो तो उसे मेरे पास भेज देना।
बोल कर अम्मी धीमे क़दमों से मुड़ते हुए अपने कमरे की तरफ चल दीं।
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )... ( Hindi Sexi Novels ) ....( हिंदी सेक्स कहानियाँ )...( Urdu Sex Stories )....( Thriller Stories )
- rangila
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Re: प्यासी जिंदगी
एक क़दम पीछे होकर मैंने बाजी को देखा.. उनका चेहरा खौफ से पीला पड़ा हुआ था। वो इतनी खौफजदा हो गई थीं कि उन्हें यह ख्याल भी नहीं रहा कि अपने दाँतों से फ्रॉक का दामन ही निकाल देतीं ताकि चूत ऐसी नंगी खुली न पड़ी रहती।
मैंने उनके साथ कोई शरारत करने का सोचा लेकिन फिर उनकी हालत के पेशेनज़र अपने ख़याल को खुद ही रद कर दिया और आगे बढ़ कर बाजी का पजामा ऊपर करने के बाद उनके दाँतों से फ्रॉक का दामन भी खींच लिया।
लेकिन उनकी हालत में कोई फ़र्क़ नहीं आया था।
बाजी को कंधों से पकड़ कर आगे करके मैंने अपने सीने से लगाया और उन्हें बाँहों में भर लिया, फिर एक हाथ से उनकी क़मर और दूसरे हाथ से उनके गाल को सहलाते हुए कहा- बाजी.. बाजी.. अम्मी चली गई हैं.. कुछ भी नहीं हुआ.. सब ठीक है.. मेरी जान से प्यारी मेरी बहना कुछ भी नहीं हुआ..
मैं इसी तरह बाजी की क़मर और गाल को सहलाते हुए उन्हें तसल्लियाँ देता रहा और कुछ देर बाद बाजी पर छाया खौफ टूटा और वो सहमी हुई सी आवाज़ में बोलीं- वसीम, अगर अम्मी देख लेतीं तो?
‘बाजी इतना मत सोचो यार.. देख लेतीं तो ना.. देखा तो नहीं है? जो इतनी परेशान हो रही हो.. बस अपना मूड ठीक करो.. याद करो कैसे कह रही थीं वसीम दाने को चूसो ना.. बोलो तो दोबारा चूसूँ ‘दाने’ को?’
मेरी बात सुन कर बाजी ने मेरी क़मर पर मुक्का मारा और मुस्कुरा दीं, फिर मेरे सीने पर गाल रगड़ कर अपने चेहरे को मज़ीद दबाते हुए संजीदगी से बोलीं- वसीम कितना सुकून मिलता है तुम्हारे सीने से लग कर.. मैं कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहती वसीम.. हम हमेशा साथ रहेंगे।
मैंने बाजी को फिर से संजीदा होते देखा तो उनसे अलग होकर शरारत से कहा- अच्छा मलिका ए जज़्बात साहिबा.. सीरीयस होने की नहीं हो रही.. आपको भी अम्मी ने बुलाया है। मैं भी ऊपर जाता हूँ.. कुछ देर सोऊँगा।
फिर बाजी के सीने के उभार को दबा कर शरारत से कहा- रात में जागना भी तो है ना.. अपनी बहना जी के साथ।
बाजी मेरी बात पर हल्का सा मुस्कुरा दीं।
मैं घूमा और जाने लगा तो बाजी ने आवाज़ दी- वसीम!
मैंने रुक कर पूछा- हूउऊउन्न्न?
बाजी आगे बढ़ीं और आहिस्तगी से मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूम कर कहा- बस अब जाओ.. रात में आऊँगी।
मैंने बाजी को मुहब्बत भरी नज़र से देखा और किचन से निकल गया।
छोटे भाई की चुदास
मैं कमरे में आया.. तो ज़ुबैर कंप्यूटर के सामने बैठा था और ट्राउज़र से अपना लण्ड बाहर निकाले.. पॉर्न मूवी देखते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपने लण्ड को सहला रहा था।
दरवाज़े की आहट पर उसने घूम कर एक नज़र मुझे देखा तो मैंने कहा- बस एग्जाम खत्म हुए हैं.. तो फिर शुरू हो गया ना इन्हीं चूत चकारियों में?
‘भाई इतने दिन हो गए हैं.. मैं इन सब चीज़ों से दूर ही था.. बाजी भी नहीं आती हैं.. अब कम से कम मूवी तो देखने दें ना..’
यह कह कर ज़ुबैर ने फिर से अपना रुख़ स्क्रीन की तरफ कर लिया।
‘ओके देख लो मूवी.. लेकिन कंट्रोल करके रखना.. बाजी अभी आएँगी।’
मेरी बात सुन कर वो खुशी से उछल पड़ा और मुझे देख कर बोला- सच भाईईइ.. अभी आएँगी बाजी?
मैंने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी और ज़ुबैर वैसे ही बैठे मूवी भूल कर गुमसुम सा हो गया.. या शायद यूँ कहना चाहिए कि बाजी के ख्यालों में गुम हो गया।
मैंने कैमरा कवर से निकाला और रिकॉर्डिंग मोड को सिलेक्ट करते हुए कैमरा ड्रेसिंग टेबल पर रख कर उसका ज़ूम बिस्तर पर सैट कर दिया।
अब सिर्फ़ रिकॉर्डिंग का बटन दबाने की देर थी कि हमारी मूवी बनना स्टार्ट हो जाती।
कैमरा सैट करके मैंने अल्मारी से अपना स्लीपिंग ट्राउज़र निकाला और चेंज करने लगा।
और बाजी आ गई
मैं अपने ट्राउज़र को पहन कर घूमा ही था कि कमरे का दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर दाखिल हुईं।
बाजी ने आज काली शनील का क़मीज़ सलवार पहन रखा था और सिर पर वाइट स्कार्फ बाँधा हुआ था।
कमरे में दाखिल होकर बाजी ने दरवाज़ा बंद किया और घूमी ही थीं कि ज़ुबैर अपनी कुर्सी से उछाल कर भागते हुए गया और बाजी के जिस्म से लिपट कर बोला- बाजी.. मेरी प्यारी बाजी.. आज मेरा बहुत दिल चाह रहा था कि आप हमारे पास आएँ.. और आप आ गईं।
और यह कह कर क़मीज़ के ऊपर से ही बाजी के दोनों उभारों के बीच में अपना चेहरा दबाने लगा।
मैंने एक नज़र उन दोनों को देखा और कैमरे से उनको ज़ूम में लेकर रिकॉर्डिंग ऑन करके वहाँ साथ पड़ी कुर्सी पर ही बैठ गया।
बाजी ने अपने एक हाथ से ज़ुबैर की क़मर सहलाते हुए दूसरा हाथ ज़ुबैर के सिर की पुश्त पर रखा और अपने सीने में दबाते हुए कहा- उम्म्म्म.. फ़िक्र नहीं करो मेरे छोटू.. आज दिल भर के एंजाय कर लेना.. मैं यहाँ ही हूँ तुम्हारे पास..
फिर ज़ुबैर को अपने आपसे अलग करते हुए कहा- चलो उतारो अपने कपड़े।
‘बाजी आप ही उतार दें न.. भाई को तो पहनाती भी आप अपने हाथों से हैं.. लेकिन मुझे..’
इतना बोल कर ही वो चुप हुआ और उसकी शक्ल ऐसी हो गई कि जैसे अभी रो देगा।
ज़ुबैर का बुझा सा चेहरा देख कर बाजी ने उसकी ठोड़ी को अपनी हथेली में लिया और गाल को चूम कर कहा- ऐसी कोई बात नहीं मेरी जान.. तुम दोनों ही मेरे भाई हो और भाई होने के नाते जितना फिर मुझे वसीम से है.. उतने ही लाड़ले तुम भी हो।
यह कह कर बाजी ने अपने दोनों हाथों से ज़ुबैर की शर्ट को पेट से पकड़ कर उठाते हुए कहा- चलो हाथ ऊपर उठाओ।
ज़ुबैर की शर्ट उतार कर बाजी पंजों के बल नीचे बैठीं और ज़ुबैर के ट्राउज़र को साइड्स से पकड़ते हुए नीचे करने लगीं। ज़ुबैर का ट्राउज़र थोड़ा नीचे हुआ तो उसका खड़ा लण्ड एक झटका लेकर उछलते हुए बाहर निकला।
बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड को देखा और अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए बोलीं- वॉववओ.. मेरा छोटू तो आज बहुत ही कड़क हो रहा है।
ज़ुबैर का लण्ड बाजी के हाथ में आया तो वो तड़फ उठा और एक सिसकी लेकर बोला- आहह.. बाजी मुँह में लो ना प्लीज़।
लण्ड छोड़ कर बाजी ने ट्राउज़र को पकड़ा और नीचे करके ज़ुबैर के पाँव से निकाल दिया और फिर से ज़ुबैर का लण्ड हाथ में पकड़ कर खड़े होते हो बोलीं- अन्दर तो चलो ना.. यहाँ दरवाज़े पर ही सब कुछ करूँ क्या?
और ऐसे ही ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ कर उससे खींचते हुए बिस्तर की तरफ चलने लगीं।
बाजी हँसते हुए आगे-आगे चल रही थीं उनकी नज़र ज़ुबैर के लण्ड पर थी और ज़ुबैर एक तरह से घिसटता हुआ बाजी के पीछे-पीछे चला जा रहा था।
ऐसे ही बाजी बिस्तर के पास आईं और ज़ुबैर के लण्ड को छोड़ कर दो क़दम पीछे हो कर अपनी क़मीज़ उतारने लगीं।
मेरे और उनके बीच तकरीबन 7-8 फीट का फासला था, मेरी तरफ बाजी की क़मर थी और ज़ुबैर उनके सामने उनसे दो क़दम आगे खड़ा था।
बहन का नंगा बदन
बाजी ने दाएं हाथ से क़मीज़ का सामने वाला दामन पकड़ा और बाएँ हाथ से क़मीज़ का पिछला हिस्सा पकड़ कर हाथों को मोड़ते हुए क़मीज़ उतारने लगीं।
क़मीज़ ऊपर उठी तो मुझे उनकी ब्लैक शनील की सलवार में क़ैद खूबसूरत कूल्हे नज़र आए और अगले ही लम्हें बाजी की क़मीज़ थोड़ा और ऊपर उठी और उनकी इंतिहाई चिकनी, साफ शफ़फ़ गुलाबी जिल्द नज़र आई.. जो क़मीज़ के ब्लैक होने की वजह से बहुत ही ज्यादा खिल रही थी।
बाजी ने अपनी क़मर को थोड़ा सा खम दे कर क़मीज़ को मज़ीद ऊपर उठाया और अपने सिर से बाहर निकालते हो सोफे पर फेंक दिया।
जैसे ही बाजी की क़मीज़ उनके सिर से निकली.. तो उनके बालों की मोटी सी चोटी किसी साँप की तरह बल खाते हुए नीचे आई और इधर-उधर झूलने के बाद उनके कूल्हों के बीच रुक गई।
बाजी ने गहरे गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी.. जिसकी पट्टी टाइट होने की वजह से उनकी क़मर में धँसी हुई सी नज़र आ रही थी।
ब्रा का रंग उनकी हल्की गुलाबी जिल्द से ऐसे मैच हो रहा था कि जैसे ये रंग बना ही बाजी के जिस्म के लिए हो।
अपने दोनों कंधों से बाजी ने बारी-बारी ब्रा के स्ट्रॅप्स को खींचा और अपने बाज़ू से निकाल कर बगल में ले आईं और ब्रा को घुमा कर कप्स को पीछे लाते हुए थोड़ा नीचे अपने पेट पर किया और सामने से ब्रा क्लिप खोल कर ब्रा को भी सोफे की तरफ उछाल दिया।
अपने दोनों अंगूठे बाजी ने अपनी सलवार में फँसाए और थोड़ा सा झुकते हुए सलवार नीचे की और बारी-बारी दोनों टाँगें सलवार में से निकाल कर अपने हाथ कमर पर रखे और सीधी खड़ी हो कर ज़ुबैर को देखने लगीं।
मैंने उनके साथ कोई शरारत करने का सोचा लेकिन फिर उनकी हालत के पेशेनज़र अपने ख़याल को खुद ही रद कर दिया और आगे बढ़ कर बाजी का पजामा ऊपर करने के बाद उनके दाँतों से फ्रॉक का दामन भी खींच लिया।
लेकिन उनकी हालत में कोई फ़र्क़ नहीं आया था।
बाजी को कंधों से पकड़ कर आगे करके मैंने अपने सीने से लगाया और उन्हें बाँहों में भर लिया, फिर एक हाथ से उनकी क़मर और दूसरे हाथ से उनके गाल को सहलाते हुए कहा- बाजी.. बाजी.. अम्मी चली गई हैं.. कुछ भी नहीं हुआ.. सब ठीक है.. मेरी जान से प्यारी मेरी बहना कुछ भी नहीं हुआ..
मैं इसी तरह बाजी की क़मर और गाल को सहलाते हुए उन्हें तसल्लियाँ देता रहा और कुछ देर बाद बाजी पर छाया खौफ टूटा और वो सहमी हुई सी आवाज़ में बोलीं- वसीम, अगर अम्मी देख लेतीं तो?
‘बाजी इतना मत सोचो यार.. देख लेतीं तो ना.. देखा तो नहीं है? जो इतनी परेशान हो रही हो.. बस अपना मूड ठीक करो.. याद करो कैसे कह रही थीं वसीम दाने को चूसो ना.. बोलो तो दोबारा चूसूँ ‘दाने’ को?’
मेरी बात सुन कर बाजी ने मेरी क़मर पर मुक्का मारा और मुस्कुरा दीं, फिर मेरे सीने पर गाल रगड़ कर अपने चेहरे को मज़ीद दबाते हुए संजीदगी से बोलीं- वसीम कितना सुकून मिलता है तुम्हारे सीने से लग कर.. मैं कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहती वसीम.. हम हमेशा साथ रहेंगे।
मैंने बाजी को फिर से संजीदा होते देखा तो उनसे अलग होकर शरारत से कहा- अच्छा मलिका ए जज़्बात साहिबा.. सीरीयस होने की नहीं हो रही.. आपको भी अम्मी ने बुलाया है। मैं भी ऊपर जाता हूँ.. कुछ देर सोऊँगा।
फिर बाजी के सीने के उभार को दबा कर शरारत से कहा- रात में जागना भी तो है ना.. अपनी बहना जी के साथ।
बाजी मेरी बात पर हल्का सा मुस्कुरा दीं।
मैं घूमा और जाने लगा तो बाजी ने आवाज़ दी- वसीम!
मैंने रुक कर पूछा- हूउऊउन्न्न?
बाजी आगे बढ़ीं और आहिस्तगी से मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूम कर कहा- बस अब जाओ.. रात में आऊँगी।
मैंने बाजी को मुहब्बत भरी नज़र से देखा और किचन से निकल गया।
छोटे भाई की चुदास
मैं कमरे में आया.. तो ज़ुबैर कंप्यूटर के सामने बैठा था और ट्राउज़र से अपना लण्ड बाहर निकाले.. पॉर्न मूवी देखते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपने लण्ड को सहला रहा था।
दरवाज़े की आहट पर उसने घूम कर एक नज़र मुझे देखा तो मैंने कहा- बस एग्जाम खत्म हुए हैं.. तो फिर शुरू हो गया ना इन्हीं चूत चकारियों में?
‘भाई इतने दिन हो गए हैं.. मैं इन सब चीज़ों से दूर ही था.. बाजी भी नहीं आती हैं.. अब कम से कम मूवी तो देखने दें ना..’
यह कह कर ज़ुबैर ने फिर से अपना रुख़ स्क्रीन की तरफ कर लिया।
‘ओके देख लो मूवी.. लेकिन कंट्रोल करके रखना.. बाजी अभी आएँगी।’
मेरी बात सुन कर वो खुशी से उछल पड़ा और मुझे देख कर बोला- सच भाईईइ.. अभी आएँगी बाजी?
मैंने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी और ज़ुबैर वैसे ही बैठे मूवी भूल कर गुमसुम सा हो गया.. या शायद यूँ कहना चाहिए कि बाजी के ख्यालों में गुम हो गया।
मैंने कैमरा कवर से निकाला और रिकॉर्डिंग मोड को सिलेक्ट करते हुए कैमरा ड्रेसिंग टेबल पर रख कर उसका ज़ूम बिस्तर पर सैट कर दिया।
अब सिर्फ़ रिकॉर्डिंग का बटन दबाने की देर थी कि हमारी मूवी बनना स्टार्ट हो जाती।
कैमरा सैट करके मैंने अल्मारी से अपना स्लीपिंग ट्राउज़र निकाला और चेंज करने लगा।
और बाजी आ गई
मैं अपने ट्राउज़र को पहन कर घूमा ही था कि कमरे का दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर दाखिल हुईं।
बाजी ने आज काली शनील का क़मीज़ सलवार पहन रखा था और सिर पर वाइट स्कार्फ बाँधा हुआ था।
कमरे में दाखिल होकर बाजी ने दरवाज़ा बंद किया और घूमी ही थीं कि ज़ुबैर अपनी कुर्सी से उछाल कर भागते हुए गया और बाजी के जिस्म से लिपट कर बोला- बाजी.. मेरी प्यारी बाजी.. आज मेरा बहुत दिल चाह रहा था कि आप हमारे पास आएँ.. और आप आ गईं।
और यह कह कर क़मीज़ के ऊपर से ही बाजी के दोनों उभारों के बीच में अपना चेहरा दबाने लगा।
मैंने एक नज़र उन दोनों को देखा और कैमरे से उनको ज़ूम में लेकर रिकॉर्डिंग ऑन करके वहाँ साथ पड़ी कुर्सी पर ही बैठ गया।
बाजी ने अपने एक हाथ से ज़ुबैर की क़मर सहलाते हुए दूसरा हाथ ज़ुबैर के सिर की पुश्त पर रखा और अपने सीने में दबाते हुए कहा- उम्म्म्म.. फ़िक्र नहीं करो मेरे छोटू.. आज दिल भर के एंजाय कर लेना.. मैं यहाँ ही हूँ तुम्हारे पास..
फिर ज़ुबैर को अपने आपसे अलग करते हुए कहा- चलो उतारो अपने कपड़े।
‘बाजी आप ही उतार दें न.. भाई को तो पहनाती भी आप अपने हाथों से हैं.. लेकिन मुझे..’
इतना बोल कर ही वो चुप हुआ और उसकी शक्ल ऐसी हो गई कि जैसे अभी रो देगा।
ज़ुबैर का बुझा सा चेहरा देख कर बाजी ने उसकी ठोड़ी को अपनी हथेली में लिया और गाल को चूम कर कहा- ऐसी कोई बात नहीं मेरी जान.. तुम दोनों ही मेरे भाई हो और भाई होने के नाते जितना फिर मुझे वसीम से है.. उतने ही लाड़ले तुम भी हो।
यह कह कर बाजी ने अपने दोनों हाथों से ज़ुबैर की शर्ट को पेट से पकड़ कर उठाते हुए कहा- चलो हाथ ऊपर उठाओ।
ज़ुबैर की शर्ट उतार कर बाजी पंजों के बल नीचे बैठीं और ज़ुबैर के ट्राउज़र को साइड्स से पकड़ते हुए नीचे करने लगीं। ज़ुबैर का ट्राउज़र थोड़ा नीचे हुआ तो उसका खड़ा लण्ड एक झटका लेकर उछलते हुए बाहर निकला।
बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड को देखा और अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए बोलीं- वॉववओ.. मेरा छोटू तो आज बहुत ही कड़क हो रहा है।
ज़ुबैर का लण्ड बाजी के हाथ में आया तो वो तड़फ उठा और एक सिसकी लेकर बोला- आहह.. बाजी मुँह में लो ना प्लीज़।
लण्ड छोड़ कर बाजी ने ट्राउज़र को पकड़ा और नीचे करके ज़ुबैर के पाँव से निकाल दिया और फिर से ज़ुबैर का लण्ड हाथ में पकड़ कर खड़े होते हो बोलीं- अन्दर तो चलो ना.. यहाँ दरवाज़े पर ही सब कुछ करूँ क्या?
और ऐसे ही ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ कर उससे खींचते हुए बिस्तर की तरफ चलने लगीं।
बाजी हँसते हुए आगे-आगे चल रही थीं उनकी नज़र ज़ुबैर के लण्ड पर थी और ज़ुबैर एक तरह से घिसटता हुआ बाजी के पीछे-पीछे चला जा रहा था।
ऐसे ही बाजी बिस्तर के पास आईं और ज़ुबैर के लण्ड को छोड़ कर दो क़दम पीछे हो कर अपनी क़मीज़ उतारने लगीं।
मेरे और उनके बीच तकरीबन 7-8 फीट का फासला था, मेरी तरफ बाजी की क़मर थी और ज़ुबैर उनके सामने उनसे दो क़दम आगे खड़ा था।
बहन का नंगा बदन
बाजी ने दाएं हाथ से क़मीज़ का सामने वाला दामन पकड़ा और बाएँ हाथ से क़मीज़ का पिछला हिस्सा पकड़ कर हाथों को मोड़ते हुए क़मीज़ उतारने लगीं।
क़मीज़ ऊपर उठी तो मुझे उनकी ब्लैक शनील की सलवार में क़ैद खूबसूरत कूल्हे नज़र आए और अगले ही लम्हें बाजी की क़मीज़ थोड़ा और ऊपर उठी और उनकी इंतिहाई चिकनी, साफ शफ़फ़ गुलाबी जिल्द नज़र आई.. जो क़मीज़ के ब्लैक होने की वजह से बहुत ही ज्यादा खिल रही थी।
बाजी ने अपनी क़मर को थोड़ा सा खम दे कर क़मीज़ को मज़ीद ऊपर उठाया और अपने सिर से बाहर निकालते हो सोफे पर फेंक दिया।
जैसे ही बाजी की क़मीज़ उनके सिर से निकली.. तो उनके बालों की मोटी सी चोटी किसी साँप की तरह बल खाते हुए नीचे आई और इधर-उधर झूलने के बाद उनके कूल्हों के बीच रुक गई।
बाजी ने गहरे गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी.. जिसकी पट्टी टाइट होने की वजह से उनकी क़मर में धँसी हुई सी नज़र आ रही थी।
ब्रा का रंग उनकी हल्की गुलाबी जिल्द से ऐसे मैच हो रहा था कि जैसे ये रंग बना ही बाजी के जिस्म के लिए हो।
अपने दोनों कंधों से बाजी ने बारी-बारी ब्रा के स्ट्रॅप्स को खींचा और अपने बाज़ू से निकाल कर बगल में ले आईं और ब्रा को घुमा कर कप्स को पीछे लाते हुए थोड़ा नीचे अपने पेट पर किया और सामने से ब्रा क्लिप खोल कर ब्रा को भी सोफे की तरफ उछाल दिया।
अपने दोनों अंगूठे बाजी ने अपनी सलवार में फँसाए और थोड़ा सा झुकते हुए सलवार नीचे की और बारी-बारी दोनों टाँगें सलवार में से निकाल कर अपने हाथ कमर पर रखे और सीधी खड़ी हो कर ज़ुबैर को देखने लगीं।
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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- rangila
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Re: प्यासी जिंदगी
बाजी की कमर पतली होने की वजह से इस वक़्त उनका जिस्म बिल्कुल कोकाकोला की बोतल से मुशबाह था।
सुराहीदार लंबी गर्दन.. सीना भी गोलाई लिए थोड़ा साइड्स पर निकला हुआ.. पतली खंडार क़मर.. और फिर खूबसूरत कूल्हे भी थोड़ा साइड्स पर निकले हुए..
हर लिहाज़ से मुतनसीब और मुकम्मल जिस्म.. आह्ह..
ज़ुबैर की शक्ल किसी ऐसे बिल्ली के बच्चे जैसी हो रही थी कि जिसको उसकी माँ ने दूध पिलाने से मना कर दिया हो.. उसके मुँह से कोई आवाज़ भी नहीं निकल रही थी।
बाजी ने चंद लम्हें ऐसे ही उसके चेहरे पर नज़र जमाए रखे और फिर ज़ुबैर की हालत पर तरस खाते हुए हँस पड़ीं और नीचे बैठने लगीं।
अपने घुटनों और पंजों को ज़मीन पर टिकाते हुए बाजी कुछ इस तरह बैठीं कि उनके कूल्हे पाँव की एड़ियों से दब कर मज़ीद चौड़े हो गए।
उन्होंने ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी पूरी लंबाई को अपनी ज़ुबान से चाटने लगीं।
ज़ुबैर के मुँह से बेसाख्ता ही एक ‘आहह..’ खारिज हुई और वो बोला- अहह.. बाजीयईई.. बाजी पूरा मुँह में लें ना..
बाजी ने मुस्कुरा कर उसकी बेताबी को देखा और कहा- सबर तो करो ना.. अभी तो शुरू किया है।
यह कह कर बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड की नोक पर अपनी ज़ुबान की नोक से मसाज सा किया और फिर लण्ड की टोपी को अपने मुँह में ले लिया।
‘आह्ह.. आअप्पीईईई ईईई पूरा मुँह में लो ना.. उस दिन भी आपने दिल से नहीं चूसा था..’
बाजी ने उसके लण्ड को मुँह से निकाल कर एक गहरी नज़र उसके चेहरे पर डाली और फिर बिना कुछ बोले दोबारा लण्ड को मुँह में लेकर अन्दर-बाहर करने लगीं और 5-6 बार अन्दर-बाहर करने के बाद ही लण्ड पूरा जड़ तक बाजी के मुँह में जाने लगा।
ज़ुबैर का जिस्म काँपने लगा था.. वो सिसकती आवाज़ में बोला- बाजी मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा..
बाजी ने लण्ड मुँह से निकाला और कहा- ओके नीचे लेट जाओ।
ज़ुबैर एक क़दम पीछे हटा और ज़मीन पर लेट कर अपनी दोनों टाँगों को थोड़ा खोलते हुए बाजी के इर्द-गिर्द फैला लिया।
इस तरह लेटने से बाजी फ़रहान की टाँगों के बीच आ गई थीं। इसी तरह घुटनों और पाँव की ऊँगलियों को ज़मीन पर टिकाए हो बाजी आगे की तरफ झुकाईं.. जिससे उनकी गाण्ड ऊपर को उठ गई.. और वे ज़ुबैर के लण्ड को चूसने लगीं।
मैं बाजी के पीछे था.. जब बाजी इस तरह से झुकीं तो उनके कूल्हे थोड़े से खुल गए और बाजी की गाण्ड का खूबसूरत.. डार्क ब्राउन.. झुर्रियों भरा सुराख.. और उनकी छोटी सी गुलाबी चूत की लकीर मुझे साफ नज़र आने लगी।
मैंने मेज से कैमरा उठाया और पहले बाजी की गाण्ड के सुराख को ज़ूम करता हुआ रिकॉर्ड किया और फिर कैमरा थोड़ा नीचे ले जाते हो चूत के लबों को ज़ूम किया।
बाजी की चूत के लब आपस में ऐसे चिपके हुए थे कि अन्दर का हिस्सा बिल्कुल ही नज़र नहीं आ रहा था और बस दो उभरे हुए से लबों के बीच एक बारीक सी लकीर बन गई थी।
मैंने कैमरा टेबल पर सैट करके रखा और बाजी के दोनों ग्लोरी होल्स पर नज़र जमाए हुए अपने एक हाथ से लण्ड को सहलाते दूसरे हाथ से अपना ट्राउज़र उतारने लगा।
ट्राउज़र उतार कर मैं कुछ देर वहीं खड़ा बाजी के प्यारे से कूल्हों और उनके बीच के हसीन नज़ारे को देखते हुए अपने लण्ड को सहलाता रहा और फिर ट्रांस की कैफियत में बाजी की तरफ क़दम बढ़ा दिए।
मैं आगे बढ़ा और बाजी के पीछे उन्हीं के अंदाज़ में बैठ कर चूत के पास अपना मुँह लाया और बाजी की चूत से उठती मदहोश कर देने वाली महक को एक लंबी सांस के ज़रिए अपने अन्दर उतारा, फिर अपनी ज़ुबान निकाली और चूत पर रख दी।
मेरी ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस करके बाजी के जिस्म को एक झटका लगा और उन्होंने ज़ुबैर के लण्ड को मुँह से निकाले बिना ही एक सिसकी भरी और उनके चूसने के अंदाज़ में शिद्दत आ गई।
मैं कुछ देर ऐसे ही बाजी की चूत की मुकम्मल लंबाई को चाटता और उनकी चूत के दाने को चूसता रहा। तो बाजी ने ज़ुबैर का लण्ड मुँह से निकाला और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- आह वसीम.. पीछे वाला सुराख भी चाटो नाआ..
बाजी की ख्वाहिश के मुताबिक़ मैंने उनकी गाण्ड के सुराख पर ज़ुबान रखी और उसी वक़्त उनकी चूत में अपनी एक उंगली भी डाल दी।
बाजी 2 सेकेंड को रुकीं और कुछ कहे बगैर फिर से अपना काम करने लगीं।
मैंने बाजी की गाण्ड के सुराख को चाटा और उससे सही तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद मैंने अपने दूसरे हाथ का अंगूठा बाजी की गाण्ड के सुराख में उतार दिया और अपने दोनों हाथों को हरकत दे कर अन्दर-बाहर करने लगा।
मेरा लण्ड शाम से ही बेक़रार हो रहा था और अब मेरी बर्दाश्त जवाब दे चुकी थी। मैंने अपना अंगूठा बाजी के पिछले सुराख में ही रहने दिया और चूत से ऊँगली निकाल कर अपना लण्ड पकड़ा और अपने लण्ड की नोक बाजी की चूत से लगा दी।
बाजी ने इससे महसूस कर लिया और फ़ौरन अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाते हुए चूत को नीचे की तरफ दबा दिया और गर्दन घुमा कर कहा- वसीम क्या कर रहे हो तुम.. अन्दर डालने की कोशिश का सोचना भी नहीं।
मैंने तकरीबन गिड़गिड़ाते हुए कहा- प्लीज़ बहना.. आपको इस पोजीशन में देख कर दिमाग बिल्कुल गरम हो गया है.. अब बर्दाश्त नहीं होता ना.. और बाजी इतना कुछ तो हम कर ही चुके हैं.. अब अगर अन्दर भी डाल दूँ तो क्या फ़र्क़ पड़ता है।
‘बहुत फ़र्क़ पड़ता है इससे वसीम.. अगर तुम से कंट्रोल नहीं हो रहा.. तो मैं चली जाती हूँ कमरे से..’
बाजी के मुँह से जाने की बात सुन कर ज़ुबैर उछल पड़ा.. वो अपने लण्ड पर बाजी के मुँह की गर्मी को किसी क़ीमत पर खोना नहीं चाहता था।
वो फ़ौरन बोला- नहीं बाजी प्लीज़ आप जाना नहीं.. भाई प्लीज़ आप कंट्रोल करो ना.. अपने आप पर..
मैंने बारी-बारी बाजी और ज़ुबैर के चेहरे पर नज़र डाली और शिकस्तखुदा लहजे में कहा- ओके ओके बाबा.. अन्दर नहीं डालूंगा.. लेकिन सिर्फ़ ऊपर-ऊपर रगड़ तो लूँ ना..
बाजी के चेहरे पर अभी भी फ़िक्र मंदी के आसार नज़र आ रहे थे- क्या मतलब.. अन्दर रगड़ोगे?
मैंने बाजी के कूल्हों को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाते हुए कहा- अरे बाबा नहीं डाल रहा ना अन्दर.. अन्दर रगड़ने से मुराद है कि आपकी चूत के लबों को थोड़ा खोल कर अन्दर नरम गुलाबी हिस्से पर अपना लण्ड रगडूँगा।
बाजी अभी भी मुतमइन नज़र नहीं आ रही थीं।
उन्होंने अपनी क़मर को नीचे की तरफ खम देते हुए गाण्ड ऊपर उठा दी लेकिन गर्दन घुमा कर मेरे चेहरे पर ही नज़र जमाए रखी।
मैंने अपने लण्ड को हाथ में लिया और बाजी की चूत के दोनों लबों के बीच रख कर लबों को खोला और चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर लण्ड को ऊपर से नीचे रगड़ने लगा।
मेरे इस तरह रगड़ने से मेरे लण्ड की नोक बाजी की चूत के अंदरूनी हिस्से को रगड़ दे रही थी और टोपी की साइड्स बाजी की चूत के लबों पर रगड़ लगा रहे थे।
मैंने 4-5 बार ऐसे अपने लण्ड को रगड़ा तो बाजी के मुँह से बेसाख्ता ही एक सिसकारी निकली और मुझे अंदाज़ा हो गया कि बाजी को इस रगड़ से मज़ा आने लगा है।
कुछ देर बाजी ऐसे ही गर्दन मेरी तरफ किए रहीं और अपनी आँखों को बंद करके दिल की गहराई से इस रगड़ को महसूस करने लगीं। अब मेरे लण्ड की रगड़ के साथ-साथ ही बाजी ने अपनी चूत को भी हरकत देनी शुरू कर दी थी।
मैंने अपने लण्ड को एक जगह रोक दिया तो बाजी ने आँखें खोल कर मुझे देखा और फिर शर्म और मज़े की मिली-जुली कैफियत से मुस्कुरा कर अपना मुँह ज़ुबैर की तरफ कर लिया और अपनी चूत हिला-हिला के मेरे लण्ड पर रगड़ने लगीं।ि
चूत में उंगली
कुछ देर तक ऐसे ही अपना लण्ड बाजी की चूत के अन्दर रगड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड हटाया और बाजी की गाण्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान रखते हो अपनी दो उंगलियाँ बाजी की चूत में तकरीबन 1. 5 इंच तक उतार दीं और उन्हें आगे-पीछे करते हुए अपनी तीसरी उंगली भी अन्दर दाखिल कर दी।
बाजी ने तक़लीफ़ के अहसास से डूबी आवाज़ में कहा- उफ्फ़ वसीम.. दर्द हो रहा है!
मैंने बाजी की बात अनसुनी करते हुए अपनी उंगलियों को अन्दर-बाहर करना जारी रखा और उनकी गाण्ड के सुराख को चूसने लगा ताकि इससे तक़लीफ़ का अहसास कम हो जाए..
लेकिन बाजी की तक़लीफ़ में कमी ना हुई और वो बोलीं- आआईईई वसीम.. दर्द ज्यादा बढ़ रहा है ऐसे.. निकालो उंगलियाँ उफ्फ़..
मैंने उंगलियाँ निकाल लीं और बाजी से कहा- बाजी ऐसा करो.. ज़ुबैर के ऊपर आ जाओ और उसका लण्ड चूसो.. वो साथ-साथ आपकी चूत के दाने(क्लिट) को भी चूसता रहेगा तो दर्द नहीं होगा।
मेरी बात सुन कर ज़ुबैर खुश होता हुआ बोला- हाँ बाजी ऊपर आ जाएँ.. इससे ज्यादा मज़ा आएगा।
बाजी ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर ज़ुबैर को देखते हुए मुँह चढ़ा कर तंज़िया लहजे में उसकी नकल उतारते हुए बोली- बाजी ऊपाल आ जाएं बाअला मज़ा आएगा.. खुशी तो देखो ज़रा इसकी.. शर्म करो कमीनो.. मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ.. कोई बाज़ारी औरत नहीं हूँ।
बाजी का अंदाज़ देख कर मैं मुस्कुरा दिया.. लेकिन ज़ुबैर ने बुरा सा मुँह बनाया और खराब मूड में कहा- बाजी..!! भाई कुछ भी कहते रहें.. आप उन्हें कुछ नहीं कहती हैं.. मैं कुछ बोलूँ तो आप नाराज़ हो जाती हैं।
बाजी ने ज़ुबैर की ऐसी शक्ल देख कर हँसते हुए उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाई और अपनी टाँगें उसके चेहरे के दोनों तरफ़ रखते हुए बोलीं- पगले मजाक़ कर रही थी तुमसे.. हर बात पर इतने बगलोल ना हो जाया करो।
फिर वे अपनी चूत ज़ुबैर के मुँह पर टिकाते हुए झुकीं और उसका लण्ड अपने मुँह में भर लिया।
ज़ुबैर ने अभी भी बुरा सा मुँह बना रखा था.. लेकिन जैसे ही बाजी की चूत ज़ुबैर के मुँह के पास आई तो उनकी चूत की महक ने ज़ुबैर का मूड फिर से हरा-भरा कर दिया और एक नए जोश से उसने बाजी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया।
मैंने बाजी की चूत की तरफ हाथ बढ़ाया और फिर से उनकी गाण्ड के सुराख को चूसते हुए चूत में पहले 2 और फिर 3 उंगलियाँ डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा और मेरे आइडिया का रिज़ल्ट पॉज़िटिव ही रहा.. मतलब बाजी को अब इतनी तक़लीफ़ नहीं हो रही थी.. या यूँ कहना चाहिए कि बाजी के मज़े का अहसास उनकी तकलीफ़ के अहसास पर ग़ालिब आ गया था और कुछ ही देर बाद बाजी की चूत मेरी 3 उंगलियों को सहने के क़ाबिल हो गई थीं,अब वो मेरी उंगलियों के साथ-साथ ही अपनी चूत को भी हरकत देने लगीं।
अब पोजीशन ये थी कि बाजी ज़ुबैर का लण्ड चूसते हुए अपनी चूत को भी हरकत दे रही थीं। ज़ुबैर के मुँह में बाजी की चूत का दाना था.. जिसे वो बहुत मजे और स्वाद से चूस रहा था। मेरी 3 उंगलियाँ बाजी की चूत में डेढ़ दो इंच गहराई तक अन्दर-बाहर हो रही थीं और मैं बाजी की गाण्ड के सुराख पर कभी अपनी ज़ुबान फिराता.. तो कभी उसे चूसने लगता।
सुराहीदार लंबी गर्दन.. सीना भी गोलाई लिए थोड़ा साइड्स पर निकला हुआ.. पतली खंडार क़मर.. और फिर खूबसूरत कूल्हे भी थोड़ा साइड्स पर निकले हुए..
हर लिहाज़ से मुतनसीब और मुकम्मल जिस्म.. आह्ह..
ज़ुबैर की शक्ल किसी ऐसे बिल्ली के बच्चे जैसी हो रही थी कि जिसको उसकी माँ ने दूध पिलाने से मना कर दिया हो.. उसके मुँह से कोई आवाज़ भी नहीं निकल रही थी।
बाजी ने चंद लम्हें ऐसे ही उसके चेहरे पर नज़र जमाए रखे और फिर ज़ुबैर की हालत पर तरस खाते हुए हँस पड़ीं और नीचे बैठने लगीं।
अपने घुटनों और पंजों को ज़मीन पर टिकाते हुए बाजी कुछ इस तरह बैठीं कि उनके कूल्हे पाँव की एड़ियों से दब कर मज़ीद चौड़े हो गए।
उन्होंने ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी पूरी लंबाई को अपनी ज़ुबान से चाटने लगीं।
ज़ुबैर के मुँह से बेसाख्ता ही एक ‘आहह..’ खारिज हुई और वो बोला- अहह.. बाजीयईई.. बाजी पूरा मुँह में लें ना..
बाजी ने मुस्कुरा कर उसकी बेताबी को देखा और कहा- सबर तो करो ना.. अभी तो शुरू किया है।
यह कह कर बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड की नोक पर अपनी ज़ुबान की नोक से मसाज सा किया और फिर लण्ड की टोपी को अपने मुँह में ले लिया।
‘आह्ह.. आअप्पीईईई ईईई पूरा मुँह में लो ना.. उस दिन भी आपने दिल से नहीं चूसा था..’
बाजी ने उसके लण्ड को मुँह से निकाल कर एक गहरी नज़र उसके चेहरे पर डाली और फिर बिना कुछ बोले दोबारा लण्ड को मुँह में लेकर अन्दर-बाहर करने लगीं और 5-6 बार अन्दर-बाहर करने के बाद ही लण्ड पूरा जड़ तक बाजी के मुँह में जाने लगा।
ज़ुबैर का जिस्म काँपने लगा था.. वो सिसकती आवाज़ में बोला- बाजी मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा..
बाजी ने लण्ड मुँह से निकाला और कहा- ओके नीचे लेट जाओ।
ज़ुबैर एक क़दम पीछे हटा और ज़मीन पर लेट कर अपनी दोनों टाँगों को थोड़ा खोलते हुए बाजी के इर्द-गिर्द फैला लिया।
इस तरह लेटने से बाजी फ़रहान की टाँगों के बीच आ गई थीं। इसी तरह घुटनों और पाँव की ऊँगलियों को ज़मीन पर टिकाए हो बाजी आगे की तरफ झुकाईं.. जिससे उनकी गाण्ड ऊपर को उठ गई.. और वे ज़ुबैर के लण्ड को चूसने लगीं।
मैं बाजी के पीछे था.. जब बाजी इस तरह से झुकीं तो उनके कूल्हे थोड़े से खुल गए और बाजी की गाण्ड का खूबसूरत.. डार्क ब्राउन.. झुर्रियों भरा सुराख.. और उनकी छोटी सी गुलाबी चूत की लकीर मुझे साफ नज़र आने लगी।
मैंने मेज से कैमरा उठाया और पहले बाजी की गाण्ड के सुराख को ज़ूम करता हुआ रिकॉर्ड किया और फिर कैमरा थोड़ा नीचे ले जाते हो चूत के लबों को ज़ूम किया।
बाजी की चूत के लब आपस में ऐसे चिपके हुए थे कि अन्दर का हिस्सा बिल्कुल ही नज़र नहीं आ रहा था और बस दो उभरे हुए से लबों के बीच एक बारीक सी लकीर बन गई थी।
मैंने कैमरा टेबल पर सैट करके रखा और बाजी के दोनों ग्लोरी होल्स पर नज़र जमाए हुए अपने एक हाथ से लण्ड को सहलाते दूसरे हाथ से अपना ट्राउज़र उतारने लगा।
ट्राउज़र उतार कर मैं कुछ देर वहीं खड़ा बाजी के प्यारे से कूल्हों और उनके बीच के हसीन नज़ारे को देखते हुए अपने लण्ड को सहलाता रहा और फिर ट्रांस की कैफियत में बाजी की तरफ क़दम बढ़ा दिए।
मैं आगे बढ़ा और बाजी के पीछे उन्हीं के अंदाज़ में बैठ कर चूत के पास अपना मुँह लाया और बाजी की चूत से उठती मदहोश कर देने वाली महक को एक लंबी सांस के ज़रिए अपने अन्दर उतारा, फिर अपनी ज़ुबान निकाली और चूत पर रख दी।
मेरी ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस करके बाजी के जिस्म को एक झटका लगा और उन्होंने ज़ुबैर के लण्ड को मुँह से निकाले बिना ही एक सिसकी भरी और उनके चूसने के अंदाज़ में शिद्दत आ गई।
मैं कुछ देर ऐसे ही बाजी की चूत की मुकम्मल लंबाई को चाटता और उनकी चूत के दाने को चूसता रहा। तो बाजी ने ज़ुबैर का लण्ड मुँह से निकाला और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- आह वसीम.. पीछे वाला सुराख भी चाटो नाआ..
बाजी की ख्वाहिश के मुताबिक़ मैंने उनकी गाण्ड के सुराख पर ज़ुबान रखी और उसी वक़्त उनकी चूत में अपनी एक उंगली भी डाल दी।
बाजी 2 सेकेंड को रुकीं और कुछ कहे बगैर फिर से अपना काम करने लगीं।
मैंने बाजी की गाण्ड के सुराख को चाटा और उससे सही तरह अपनी थूक से गीला करने के बाद मैंने अपने दूसरे हाथ का अंगूठा बाजी की गाण्ड के सुराख में उतार दिया और अपने दोनों हाथों को हरकत दे कर अन्दर-बाहर करने लगा।
मेरा लण्ड शाम से ही बेक़रार हो रहा था और अब मेरी बर्दाश्त जवाब दे चुकी थी। मैंने अपना अंगूठा बाजी के पिछले सुराख में ही रहने दिया और चूत से ऊँगली निकाल कर अपना लण्ड पकड़ा और अपने लण्ड की नोक बाजी की चूत से लगा दी।
बाजी ने इससे महसूस कर लिया और फ़ौरन अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाते हुए चूत को नीचे की तरफ दबा दिया और गर्दन घुमा कर कहा- वसीम क्या कर रहे हो तुम.. अन्दर डालने की कोशिश का सोचना भी नहीं।
मैंने तकरीबन गिड़गिड़ाते हुए कहा- प्लीज़ बहना.. आपको इस पोजीशन में देख कर दिमाग बिल्कुल गरम हो गया है.. अब बर्दाश्त नहीं होता ना.. और बाजी इतना कुछ तो हम कर ही चुके हैं.. अब अगर अन्दर भी डाल दूँ तो क्या फ़र्क़ पड़ता है।
‘बहुत फ़र्क़ पड़ता है इससे वसीम.. अगर तुम से कंट्रोल नहीं हो रहा.. तो मैं चली जाती हूँ कमरे से..’
बाजी के मुँह से जाने की बात सुन कर ज़ुबैर उछल पड़ा.. वो अपने लण्ड पर बाजी के मुँह की गर्मी को किसी क़ीमत पर खोना नहीं चाहता था।
वो फ़ौरन बोला- नहीं बाजी प्लीज़ आप जाना नहीं.. भाई प्लीज़ आप कंट्रोल करो ना.. अपने आप पर..
मैंने बारी-बारी बाजी और ज़ुबैर के चेहरे पर नज़र डाली और शिकस्तखुदा लहजे में कहा- ओके ओके बाबा.. अन्दर नहीं डालूंगा.. लेकिन सिर्फ़ ऊपर-ऊपर रगड़ तो लूँ ना..
बाजी के चेहरे पर अभी भी फ़िक्र मंदी के आसार नज़र आ रहे थे- क्या मतलब.. अन्दर रगड़ोगे?
मैंने बाजी के कूल्हों को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाते हुए कहा- अरे बाबा नहीं डाल रहा ना अन्दर.. अन्दर रगड़ने से मुराद है कि आपकी चूत के लबों को थोड़ा खोल कर अन्दर नरम गुलाबी हिस्से पर अपना लण्ड रगडूँगा।
बाजी अभी भी मुतमइन नज़र नहीं आ रही थीं।
उन्होंने अपनी क़मर को नीचे की तरफ खम देते हुए गाण्ड ऊपर उठा दी लेकिन गर्दन घुमा कर मेरे चेहरे पर ही नज़र जमाए रखी।
मैंने अपने लण्ड को हाथ में लिया और बाजी की चूत के दोनों लबों के बीच रख कर लबों को खोला और चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर लण्ड को ऊपर से नीचे रगड़ने लगा।
मेरे इस तरह रगड़ने से मेरे लण्ड की नोक बाजी की चूत के अंदरूनी हिस्से को रगड़ दे रही थी और टोपी की साइड्स बाजी की चूत के लबों पर रगड़ लगा रहे थे।
मैंने 4-5 बार ऐसे अपने लण्ड को रगड़ा तो बाजी के मुँह से बेसाख्ता ही एक सिसकारी निकली और मुझे अंदाज़ा हो गया कि बाजी को इस रगड़ से मज़ा आने लगा है।
कुछ देर बाजी ऐसे ही गर्दन मेरी तरफ किए रहीं और अपनी आँखों को बंद करके दिल की गहराई से इस रगड़ को महसूस करने लगीं। अब मेरे लण्ड की रगड़ के साथ-साथ ही बाजी ने अपनी चूत को भी हरकत देनी शुरू कर दी थी।
मैंने अपने लण्ड को एक जगह रोक दिया तो बाजी ने आँखें खोल कर मुझे देखा और फिर शर्म और मज़े की मिली-जुली कैफियत से मुस्कुरा कर अपना मुँह ज़ुबैर की तरफ कर लिया और अपनी चूत हिला-हिला के मेरे लण्ड पर रगड़ने लगीं।ि
चूत में उंगली
कुछ देर तक ऐसे ही अपना लण्ड बाजी की चूत के अन्दर रगड़ने के बाद मैंने अपना लण्ड हटाया और बाजी की गाण्ड के सुराख पर अपनी ज़ुबान रखते हो अपनी दो उंगलियाँ बाजी की चूत में तकरीबन 1. 5 इंच तक उतार दीं और उन्हें आगे-पीछे करते हुए अपनी तीसरी उंगली भी अन्दर दाखिल कर दी।
बाजी ने तक़लीफ़ के अहसास से डूबी आवाज़ में कहा- उफ्फ़ वसीम.. दर्द हो रहा है!
मैंने बाजी की बात अनसुनी करते हुए अपनी उंगलियों को अन्दर-बाहर करना जारी रखा और उनकी गाण्ड के सुराख को चूसने लगा ताकि इससे तक़लीफ़ का अहसास कम हो जाए..
लेकिन बाजी की तक़लीफ़ में कमी ना हुई और वो बोलीं- आआईईई वसीम.. दर्द ज्यादा बढ़ रहा है ऐसे.. निकालो उंगलियाँ उफ्फ़..
मैंने उंगलियाँ निकाल लीं और बाजी से कहा- बाजी ऐसा करो.. ज़ुबैर के ऊपर आ जाओ और उसका लण्ड चूसो.. वो साथ-साथ आपकी चूत के दाने(क्लिट) को भी चूसता रहेगा तो दर्द नहीं होगा।
मेरी बात सुन कर ज़ुबैर खुश होता हुआ बोला- हाँ बाजी ऊपर आ जाएँ.. इससे ज्यादा मज़ा आएगा।
बाजी ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर ज़ुबैर को देखते हुए मुँह चढ़ा कर तंज़िया लहजे में उसकी नकल उतारते हुए बोली- बाजी ऊपाल आ जाएं बाअला मज़ा आएगा.. खुशी तो देखो ज़रा इसकी.. शर्म करो कमीनो.. मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ.. कोई बाज़ारी औरत नहीं हूँ।
बाजी का अंदाज़ देख कर मैं मुस्कुरा दिया.. लेकिन ज़ुबैर ने बुरा सा मुँह बनाया और खराब मूड में कहा- बाजी..!! भाई कुछ भी कहते रहें.. आप उन्हें कुछ नहीं कहती हैं.. मैं कुछ बोलूँ तो आप नाराज़ हो जाती हैं।
बाजी ने ज़ुबैर की ऐसी शक्ल देख कर हँसते हुए उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाई और अपनी टाँगें उसके चेहरे के दोनों तरफ़ रखते हुए बोलीं- पगले मजाक़ कर रही थी तुमसे.. हर बात पर इतने बगलोल ना हो जाया करो।
फिर वे अपनी चूत ज़ुबैर के मुँह पर टिकाते हुए झुकीं और उसका लण्ड अपने मुँह में भर लिया।
ज़ुबैर ने अभी भी बुरा सा मुँह बना रखा था.. लेकिन जैसे ही बाजी की चूत ज़ुबैर के मुँह के पास आई तो उनकी चूत की महक ने ज़ुबैर का मूड फिर से हरा-भरा कर दिया और एक नए जोश से उसने बाजी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया।
मैंने बाजी की चूत की तरफ हाथ बढ़ाया और फिर से उनकी गाण्ड के सुराख को चूसते हुए चूत में पहले 2 और फिर 3 उंगलियाँ डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा और मेरे आइडिया का रिज़ल्ट पॉज़िटिव ही रहा.. मतलब बाजी को अब इतनी तक़लीफ़ नहीं हो रही थी.. या यूँ कहना चाहिए कि बाजी के मज़े का अहसास उनकी तकलीफ़ के अहसास पर ग़ालिब आ गया था और कुछ ही देर बाद बाजी की चूत मेरी 3 उंगलियों को सहने के क़ाबिल हो गई थीं,अब वो मेरी उंगलियों के साथ-साथ ही अपनी चूत को भी हरकत देने लगीं।
अब पोजीशन ये थी कि बाजी ज़ुबैर का लण्ड चूसते हुए अपनी चूत को भी हरकत दे रही थीं। ज़ुबैर के मुँह में बाजी की चूत का दाना था.. जिसे वो बहुत मजे और स्वाद से चूस रहा था। मेरी 3 उंगलियाँ बाजी की चूत में डेढ़ दो इंच गहराई तक अन्दर-बाहर हो रही थीं और मैं बाजी की गाण्ड के सुराख पर कभी अपनी ज़ुबान फिराता.. तो कभी उसे चूसने लगता।
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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Re: प्यासी जिंदगी
हमलोग कि प्यास भी बढ़ती जा रही है