Incest मैं अपने परिवार का दीवाना

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rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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अपडेट 44
फिरसे मदन की चीख टेप में दब गयी
मैं अखिल को इशारा किया
अखिल मेरे साथ रूम में आया
दिलीप- अच्छा सुन अभी मदन अपने किए हुए सारे जुर्म क़ुबूल करेगा
तुझे छुप के उसकी रेकॉर्डिंग करना है
और याद रहे रेकॉर्डिंग में मदन का सिर्फ़ चेहरा नज़र आए
अखिल- ठीक है
दिलीप- अच्छा सुन अभी हम इसे बेहोश करेंगे
जब तक तू जाके खाना लेके आ
[अखिल बाहर चला गया]
मैं बाहर आया
मदन अपने बँधे हाथ पैर चला रहा है
मैं सरिया लेके मदन के सामने खड़ा हो गया]
देख चुप चाप लेटा रह वरना यह सरिया तेरी गंद में पेल दूँगा
मुझे लगा कि मदन कुछ बोलना चाहता है

[आइ जी ऑफीस]
एसपी- सर एक बात समझ में नही आई
आइजी- यही ना कि शीतल की लाश हमें आज मिली पर डॉक्टर्स का कहना है कि 3 दिन पहले उसका गॅंगरेप हुआ और फिर ज़हर देके मारा गया
एसपी- सर एक और बात है शीतल 3 दिन पहले मरी पर आज हमें किसीने प्राइवेट नंबर से फोन किया
कि इस सोसाइटी के इस घर में एक लाश है और सर ठाकुर साहब का भांजा दिलीप भी कल यहीं देखा गया था
आइजी- तुम यह कहना चाहते हो कि दिलीप का गायब होना और शीतल का खून अरविंद वो एक लड़का है वो भी गाओं का
और यह मत भूलो कि शीतल का गॅंगरेप हुआ है

ट्रिंग ट्रिंग आइजी ने फोन उठाया

आइजी- हेलो
जी सर
क्या जी मैं अभी
[फोन कट गया]
एसपी- क्या हुआ सर
आइजी- एमएलए का बेटा और बेटी किडनॅप हो गये
एसपी- वाह
आइजी- अरविंद यह बहुत ज़्यादा हो रहा है अगर जल्दी एमएलए का बेटा और बेटी नही मिले
तो एमएलए चुप नही बैठेगा

एसपी- सर हमें एमएलए की गिरफ्तारी का वॉरेंट क्यूँ नही मिलता

आइजी- यही तो आज तक मेरी समझ में नही आया जब भी मैं वॉरेंट लेने कोर्ट जाता हूँ
तभी मॅजिस्ट्रेट को एक फोन आता है और वो मना कर देते हैं
[दिलीप हाउस]
दिलीप- मैने टेप हटा दिया]
मदन- तुझे पता नाì है कि तूने किससे पंगा लिया है
दिलीप- मैं फिर टेप चिपका दिया मदन के मुँह पे]
[अखिल खाना लेके आ गया]
अखिल- अबे पोलीस इनको ढूँढ रही है
दिलीप- तो डर क्यूँ रहा है
अखिल- अप्पुन किसीसे नही डरता
दिलीप- 4 प्लेट में चलके खाना परोस
अखिल- ठीक है
पर मदन के हाथ खोल देंगे तो वो कोई लफडा ना कर्दे
दिलीप- हाथ क्यूँ खोलेंगे
अखिल- अबे फिर मदन को खिलाएँगे कैसे
दिलीप- मैं क्या उसका जीजा हूँ जो उसको अपने हाथ से खाना खिलाउन्गा
प्लेट उसके मुँह पे रख देना कुत्ते के तरह चाट के खाएगा
[अखिल खाना परोस के ले आया]
2 प्लेट मैं अपने साथ निम्मी वाले रूम में ले गया
मैं रूम में एंटर हुआ तो देखा निम्मी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही है
मुझे देखते ही उसने अपनी आँखें बंद करली
मैं आगे बढ़ा और उसके मुँह से टेप हटा दिया
निम्मी- मुझे यहाँ क्यूँ लाए मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है
प्लीज़ मुझे छोड़ दो
दिलीप- [मैने प्लेट से एक नीवाला लेके उसके मुँह पे लगाया]
निम्मी मुझे घूर्ने लगी और अपना सर मेरे हाथ पे मारा नीवाला गिर गया
निम्मी- मुझे नही खाना मैं तो तुम्हे जानती भी नही हूँ फिर तुमने मुझे क्यूँ अगवा किया है
दिलीप- मैने मेघा दी वाला मोबाइल अपनी जेब से निकाला और निम्मी की तरफ करके ऑन कर दिया]
निम्मी आँखें फाड़ के देखने लगी]
यह मेरी बहेन है और तुम्हे पता है इसकी यह हालत किसने की है मदन ने
तो बेहतर यही होगा कि तुम चुप चाप खाना खाओ मेरे सय्यम की परीक्षा मत लो
मैं अपने आप को समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि तुम्हारे भाई के किए की सज़ा तुम्हे ना दूं
[फिर मैने निम्मी को खाना खिलाया और दोबारा उसके मुँह पे टेप चिपका दिया....

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rangila
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

Post by rangila »




अपडेट 45
दिलीप- जब मैं बाहर आया तो देखा कि खाना नीचे ज़मीन पे गिरा है
और अखिल मदन की तरफ मुँह करके खाना खा रहा था
मैने भी खाना खाया
यह खाना ज़मीन पे कैसे गिरा
अखिल- कुत्ता खाना नही खा रहा है
दिलीप- यह खाना उठा और दोबारा प्लेट में रख देखता हूँ कैसे नही ख़ाता है
मैने सरिया उठाया और मारा मदन की गांद पे
यह तेरे बाप के भड़वा गिरी के पैसे का खाना नही है
अभी यह खाना रखेगा 5 मिनिट में अगर तूने खाना नही खाया
तो इस सरिया पे आसिड लगाउन्गा और तेरी गांद में पेल दूँगा
[मदन कुत्ते की तरह खाने लगा मैं अखिल के साथ रूम में गया
कहा -पूछ
अखिल- क्या
दिलीप- वही जो तू सोच रहा है
अखिल- अप्पुन यह सोच रहा है कि यह घर किसका है
दिलीप- पहले अपने दिल पे हाथ रख
अखिल- क्यूँ
दिलीप- रखना
अखिल- ले रख लिया अब बोल
दिलीप- यह घर एमएलए का है
अखिल- अप्पुन के कान में कुछ घुस गया है क्या
दिलीप- नौटंकी बंद कर यह घर मदन के बाप एमएलए का है
अखिल- अबे तेरे को इस सिटी में कोई और घर नही मिला
दिलीप- तुझे क्या लगता है एमएलए को पता नही होगा कि किसीने उसके बेटे को उठा लिया है
और वो इस शहेर का चप्पा चप्पा छान मारेगा सिर्फ़ यह घर छोड़ कर
अखिल- तुझे ऐसा क्यूँ लगता है
दिलीप- क्यूंकी जो लोग ग़रीबी से नफ़रत करते हैं वो कभी अपनी ग़रीबी याद नही करते
अखिल- अबे सीधा बताना
दिलीप- एमएलए पहले भड़वा था और इसी घर में रहता था
वो कभी इस घर के बारे में नही सोच सकता कि हम ने उसके बेटे को यही रखा है
अखिल- तेरे दिमाग़ में यह सब आइडिया आता कहाँ से है
दिलीप- पहले अपने मोबाइल में देख कोई एसएमएस आया है
[अखिल ने जब मोबाइल के इंबॉक्ष मेसेज पढ़ा तो चीख पड़ा]
अखिल- अबे किसीने अप्पुन के अकाउंट में 1 करोड़ रुपया जमा किया है अप्पुन की तो लॉटरी लग गयी
[अखिल नाचने लगा]
दिलीप- इतना खुश मत हो मैने वो पैसा मँगाया है
[यह सुनके अखिल ने ऐसा मुँह बनाया जैसे मैने उसकी मार ली हो]
अखिल- तू कॉन्सा करोड़पति है और है भी तो इतने पैसे का तू करेगा क्या
दिलीप- आरडीएक्स
अखिल- आरडीएक्स मतलब
दिलीप- [मैने अखिल के कान में सारी बात बताई]
अखिल- अबे अप्पुन को एमएलए से बदला लेना है अप्पुन लोग यह सब करने में में खुद ही फँस जाएँगे
दिलीप- तू अपना दिमाग़ मत चला वो मेरा काम है और तू यही पे रुक मैं आता हूँ
[मैने रुमाल पे बेहोशी की दवा लगाई और जाके मदन के मुँह पे रख दी
सारा समान फिट किया
अखिल तय्यार हो जा
अखिल- अप्पुन तय्यार है
[30 मिनिट बाद]
मदन ने अपनी आँखें खोली तो देखा वो पूरे सूट बूट में कुर्सी पे बँधा है
सिर्फ़ कमर के नीचे पूरा नंगा था
दिलीप- एक सवाल पूरा जवाब कोई झूट नही
वरना जबभी यह रस्सी खींचुँगा 1 बूँद आसिड तेरे कहाँ पे गिरेगा वो तो तुझे पता ही है
पहला सवाल
तूने शीतल के साथ चक्कर क्यूँ चलाया
मदन- मुझे शीतल से कोई प्यार नही था यह 6 महीने पहले की बात है
बॉर्डर से सटके एक ज़मीन थी गवर्नमेंट उसकी नीलामी कर रही थी
उस नीलामी में जितने लोग आए थे उनसब की फॅमिली से हम ने एक-2 लड़की को उठा लिया
बोली 50करोड़ से शुरू हुई
मेरे पिता ने 50करोड़ 1 रुपया की बोली लगाई
जैसे ही गिनती
1
2 पे पहुँची किसीने पीछे से 60करोड़ की बोली लगा दी
यह कोई और नही इस शहर का सबसे बड़ा बिज्निस मेन ठाकुर जतिन वीर परताप सिंग था....
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Kamini
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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Nice update
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Re: मैं अपने परिवार का दीवाना

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superb good going
@V@
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