प्यासे दिन और प्यासी रातें complete

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rangila
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

Post by rangila »

यह तो कन्फर्म था कि अगले 4-5 घंटे हमें डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था।
बस जय का ही डर था, उसे मैंने कह दिया था कि वो फोन भी न करे।
चाय लेकर हम दोनों नीचे सेटी पर ही बैठ गई।
रात की चुदाई पूरी प्रीति ने बड़ी बेशर्मी से सुना दी… मुझे बहुत मजा आया प्रीति की बात सुनकर…
प्रीति बोली- मैं तो सोने आई हूँ… रात भर जय ने सोने नहीं दिया!
मैंने कहा- नहा ले, फिर सो लेना।
वो नहाने चली गई… मैं देखती रह गई… सोचा था साथ नहायेंगे… उसकी अन्दर से आवाज आई- क्यों? क्या शर्म आ रही है साथ नहाने मैं?
मैं फटाफट बाथरूम में गई।
अन्दर वो वीट से अपनी चूत के बाल साफ़ कर रही थी… क्या गोल गोल मम्मे थे बिल्कुल मेरे जैसे!
मैंने भी कपड़े उतार लिए।
वो मेरे मम्मे दबाते हुए बोली- तेरे मम्मों का तो जय भी दीवाना है…
मैंने बनावटी गुस्से में कहा- जय ने कहाँ देख लिए?
प्रीति बोली- इतनी गोल गोल हैं और जब तू टाइट ड्रेस पहनती है तो अंधे को भी नजर आ जायेंगे…
प्रीति बोली- रात जय ने कहा था कि इसकी शेव कर लूं, इसीलिए वीट अपने साथ ले आई थी कि पता नहीं यहाँ हो या न हो।
प्रीति ने मेरे भी रिमूवर लगा दिया, हैण्ड शावर की मोटी धार से हम दोनों ने एक दूसरे की चूत मालिश की।
चिपक कर नहाने के बाद हम तौलिया लपेट कर बाहर निकली… मैंने उसे फ्रॉक दी पहनने को तो वो बोली- चल, ऐसे ही लेटते हैं, उठ कर पहन लेंगे।

बेड पर लेटते ही हम दोनों बेकाबू हो गईं, 69 पोजीशन में पहले तो चूत चटाई हुई और दोनों ने एक दूसरे की चूत में खूब उंगली की… थक कर हम दोनों चिपक कर सो गईं।

दो बजे आँख खुली, कपड़े पहन कर मैंने जय और रंगीला को फोन किया कि आ जाओ, साथ खाना खायेंगे।
आधा घंटे में वो दोनों आ गए और हमें फ्रॉक में देखकर मुस्कुरा पड़े।
हम दोनों ही अच्छे से तैयार हुई थीं… हाँ, ब्रा पैंटी न मैंने पहनी थीं और न प्रीति को पहनने दी थी।
हालाँकि वो बहुत जिद कर रही थी पहनने के लिए।
रंगीला और जय दोनों को समझ आ गया था कि हम लोग नीचे कुछ नहीं पहने हैं।
मैं कुछ लेने किचन में गई तो पीछे पीछे रंगीला आ गया और किचन में ही मुझे चूमने लगा और मेरी फ्रॉक उठा कर मेरी चूत में उंगली कर दी।
मैंने कहा- क्या करते हो? जय आ जायेगा।
रंगीला बोला- उस हरामी को मैं अच्छे से जनता हूँ, वो भी बाहर यही कर रहा होगा।
मैंने कहा- दूसरे के घर में? ऐसा हो ही नहीं सकता…
रंगीला बोला- बाहर चलते हैं, अगर जय प्रीति में घुसा मिले तो तुझे वहीं मुझसे चुदना पड़ेगा।
मैंने हाँ कह दी क्योंकि मुझे लगा कि प्रीति ऐसा नहीं करेगी।
बाहर आई तो देख कर हैरान रह गई कि जय ने प्रीति को घोड़ी बना कर चुदाई शुरू कर दी थी।
मैं शर्त हार गई थी और रंगीला अपना लंड निकल कर मेरी फ्रॉक उठा कर मेरी चूत में घुसा चुका था।
मैं चहक कर बोली- प्रीति की बच्ची… इंतज़ार नहीं कर सकती थी? रात भर चुदी है, फिर शुरू हो गई?
प्रीति हंस कर बोली- जय चोदने पर अमादा था… या तो वो तेरी चोदता या मेरी… अब बता तुझे चुदवाना हो तो तू आ जा…
आईडिया बढ़िया था।
रंगीला ने मुझे छोड़ दिया और में जय प्रीति के पास गई…
पहले तो प्रीति को किस किया फिर जय को…
जय प्रीति की चूत से बाहर आ गया और मुझे पास के सोफे पर ले गया और मेरी टांगों को ऊपर करके अपनी पुरानी स्टाइल में मेरी चूत में घुस गया।
उधर रंगीला और प्रीति भी होंठ चिपकाये खड़े थे।
रंगीला ने प्रीति की एक टांग पास के सोफे पर रखी और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
नया लंड नई चूत… जोर ज्यादा लग रहा था, प्रीति चीखी- फाड़ दोगे क्या मेरी?
रंगीला ने प्रीति को सेटी पर लिटा दिया और पहले तो उसकी चूत को चूस कर थूक से चिकना किया, जब प्रीति गर्म हो गई, तब उसने भी घमासान चुदाई शुरू की… अब तो हम दोनों ही ‘और करो… और जोर से…’ के नारे लगा रहीं थी।
थोड़ी देर में ही हम दोनों की चूत माल से भर गई… सफाई करके हमने खाना खाया।
थोड़ी देर बाद जय और प्रीति चले गए, रंगीला भी फैक्ट्री चला गया।
मैंने पायल को फोन लगाया।
पायल शिकायत कर रही थी कि बहुत दिनों से हम मिले नहीं हैं।
गप्पें लगने के बाद उसका फोन रखा ही था कि प्रीति का फोन आ गया… वो बहुत खुश थी, बोली- बस किसी को पता नहीं चले प्लीज… मैंने कहा- पागल है क्या? भला ये बातें किसी से कही जाती हैं।
मैंने प्रीति से कहा- हमारे बहुत अच्छे दोस्त हैं पायल और राज… तुम लोगों को उनसे मिलवाना है। कल पायल दोपहर को मेरे घर आएगी, तुम भी आ जाना… खाना हमारे साथ ही खाना।
अगले दिन सुबह सच में बहुत काम था, मैं और जय सुबह से ही कई लोगों से मिले। अच्छा बिजनेस मिलने की उम्मीद थी… जय मेरे बात करने के स्टाइल से बहुत खुश था।
मैं क्लाइंट्स को पॉलिसी बहुत प्रभावी ढंग से समझाती थी।
हमें बिज़नस भी मिल रहा था।
मैंने जय को 11 बजे तक के लिए ही बोला था, जय ने मुझे ठीक ग्यारह बजे घर पर उतारा।
मैंने कहा- कुछ पीकर जाना, उसे मालूम था कि प्रीति आएगी!
तो चाह कर भी वो रुका नहीं, बस गेट के अंदर आकर मुझे लिपटा कर एक लम्बा फ्रेंच किस किया।
उसके लंड के उभार को और अपनी चूत के गीलेपन को मैं समझ रही थी पर मौका नहीं था इसलिए तड़फ कर रह गई।

फटाफट कपड़े बदले… जान बूझकर एक शार्ट और टॉप डाला… अंदर कुछ नहीं…
मैंने किचन में जाकर भेलपुरी और फ्रूट चाट बनाई और एक बियर फ्रिज में रख दी।
थोड़ी देर में ही प्रीति आ गई… मुझे इन कपड़ों में देखकर मेरे मम्मे दबा दिये… बोली- जय के साथ मस्ती कर रही थी क्या?
मैंने कहा- अगर उसके साथ मस्ती कर रही होती तो तुझसे क्या शर्म थी… वो तो मुझे गेट से ही छोड़ कर चला गया।
मैंने उसे भी चेंज करने को कहा तो वो मेरी वार्डरॉब से एक बरमूडा और सॉर्ट टॉप निकाल लाई और वहीं बदलने लगी।
उसके कपड़े उतरते ही मैंने उसके मम्मे लपक लिए और उन पर प्यार से काट लिया।
तभी डोर बेल बजी..
मैंने कहा- जल्दी पहन, पायल है।
जब तक मैं पायल को लाई तब तक प्रीति मेरे बेड रूम में ड्रेसिंग टेबल पर हल्का सा मेकअप ठीक करके आ गई।
हाँ उसने अब लिपस्टिक ऑरेंज कलर की लगा रखी थी जो उस पर खूब फब रही थी।
पायल और प्रीति को इंट्रोडयूस किया मैंने… उसने आते ही पायल को गले लगाकर चुम्बन लिया… जो पायल को बहुत अच्छा लगा।
हम दोनों के कपड़े देखकर पायल ने मुँह गोल करके सीटी मारी…
मैंने कहा- ज्यादा नीयत मत ख़राब कर और तू भी चेंज कर ले! फिर गप्पें मारेंगे।
पायल सकुचाई तो मैंने कहा- दो-चार घंटे कोई नहीं आ रहा।
प्रीति ने उसे एक फ्रॉक दी और कहा- आज मेरी पसंद से पहन लीजिये।
पायल बेड रूम में गई, पीछे पीछे मैं भी गई और उसे बता आई कि आज हम दोनों ने भी अंदर कुछ नहीं पहना है।
मैंमे और प्रीति किचन से सामान लेकर बेड पर ही बिछा लिया… बियर भी ले आई में।
हम तीनों बेड पर बैठी… बियर हम तीनों ही लेती थीं, इस लिए शुरुआत बियर से ही हुई।
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rangila
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

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हम तीनों के निप्पल साफ़ दिख रहे थे और पायल की तो चूत भी दिख रही थी क्योंकि उसकी फ्रॉक उसने घुटने के ऊपर कर रखी थी। हम लोगों के बीच एडल्ट जोक्स और अपनी अपनी बेड पर चुदाई और अपने अपने पतियों के लंड के चर्चे हो रहे थे।
हम सब एक दूसरे के पतियों से चुद चुकी थीं पर अभी पायल और प्रीति के बीच पर्दा था इसलिए ग्रुप सेक्स का जिक्र नहीं किया।
बियर और माहौल की मस्ती में अब चूत चिकनी हो चुकी थीं।
मैंने बेड पर से सफाई करी बस हम लोगों के बियर की गिलास हमारे हाथों में थे।
मैंने एक बदमाशी की और अपना पैर पायल की फ्रॉक में घुसा दिया और अंगूठे को उसकी चूत में कर दिया।
पायल चुप थी… प्रीति ने देख लिया, वो मेरे पीछे से आई और मेरे टॉप को उठा कर मेरे मम्मे दबाने लगी।
अब माहौल गर्म हो चुका था और अगले दो मिनट में हम तीनों के कपड़े उतर चुके थे और हम तीनों एक गोला सा बनाकर एक दूसरे की चूत को चूस या उंगली कर रही थी।
प्रीति अचानक हाँफते हुए उठी और पायल के ऊपर लेट कर अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ने लगी… उन दोनों की जीभ एक दूसरे को चूस रही थी।
मैं किचन से दो खीरे ले आई और पायल और प्रीति को सीधा लिटा कर उनकी चूत में घुसा दिया। अब वो दोनों ही कभी अपने आप कभी एक दूसरे की चूत की चुदाई खीरे से करने लगीं।
मैंने उन्हें डांट कर कहा- अबे कमीनियों, अपनी अपनी चूत को मजा दोगी या मेरे बारे में भी कुछ सोचोगी?
दोनों हंसती हुई उठी और प्रीति तो मेरी चूत चूसने लगी और पायल मेरे होठों से जुड़ गई।
दोनों ने अपनी चूत से खीरे नहीं निकाले थे।
पायल का खीरा तो मेरी पहुँच में था तो उसकी चूत की मालिश तो मैंने करनी शुरू कर दी और प्रीति इस स्टाइल से लेटी थी कि नीचे से बेड का दबाब उसके खीरे पर पड़े जो उसकी चूत में घुसा था।
वो बार बार हिल रही थी जिससे खीर लंड जैसे मजे उसे दे रहा था।
प्रीति उठी और मेरे ऊपर बैठ कर खीरे का दूसरा हिस्सा मेरी चूत में कर दिया और मेरे बगल में लेट गई … अब में और वो दोनों हिल हिल कर एक दूसरे की चुदाई कर रहे थे।
एक घंटे मस्ती के बाद हम थक गईं और बाथरूम में जाकर शावर लेकर बिना कपड़ों के ही बेड पर चिपक कर सो गई।
चार बजे मेरी आंख खुली, मैंने उन्हें भी उठाया, कपड़े बदल कर हमने चाय पी और वो दोनों चली गई।
अगले दिन प्रीति का फ़ोन आया उसने पूछा- सच्ची बता कि क्या तू और पायल ग्रुप सेक्स में भी हैं?
मैंने कहा- हाँ हैं… और अब तुझे और जय को भी इसमें आना है, तू जय से बात कर, मैं पायल से बात करती हूँ।
दो दिन प्रीति का फोन नहीं आया, मैं घबरा रही थी कि कहीं जय ने बुरा तो नहीं मान लिया।
मैंने डर के जय का फोन भी नहीं उठाया और न ही ऑफिस गई।
उधर पायल तैयार थी… मैंने प्रीति को फोन भी नहीं किया। रंगीला का फोन आया- जय का फोन आया है, वो बहुत नाराज हो रहा था कि तुम फोन नहीं उठा रही हो, उसे कुछ जरूरी मीटिंग करनी है किसी क्लाइंट से… तुम तैयार हो जाओ, वो आ रहा है तुम्हें लेने।
मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ।
खैर अच्छे से तैयार हुई और जय का इन्तजार करने लगी… कोल्ड काफी बना ली थी मैंने।
जय आया और उसके हाथ में लाल गुलाब था, यानि वो नाराज तो नहीं था।
हमने हग किया… किस नहीं कर पाई क्योंकि मेरी लिपस्टिक और उसका चेहरा खराब हो जाता।
वो बोला- तुम भी अजीब हो… दो दिनों से फोन नहीं उठा रही हो। प्रीति का मोबाइल गिर कर ख़राब हो गया था और वो और मैं दोनों ही तुम्हें मेरे मोबाइल से फोन कर रहे थे तुम फोन नहीं उठा रहीं हो… क्या बात है?
मैं चुप रही… वो मुझे चिपटा कर बोला- पायल राज के साथ दोस्ती करके हमें अच्छा लगेगा। और जब तुम कह रही हो तो दुबारा सोचना क्या… प्रीति खुश है पायल से मिलकर!
मैं खुश थी और इस ख़ुशी का यह परिणाम हुआ कि जिस क्लाइंट से हम मिलने गए थे वो मेरे प्रेजेंटेशन से इतना प्रभावित हुआ कि हमें बिज़नस तो दिया ही हमारे रीजनल हेड जिनको वो जानते थे उन्हें फोन करके जय और मेरी तारीफ़ भी की।
यह जय के लिए बड़ी बात थी।
घर छोड़ने आया तो जय का सब्र का बाँध टूट गया और हम बिना कपड़ों के एक दूसरे की बाँहों में सोफे पर ही मस्त हो गए।
सोफे पर मन नहीं भरा तो खिसक कर नीचे सेटी पर जय ने अपनी पसंदीदा स्टाइल में यानि मेरी टांगे अपने कंधे पर रख कर मेरी चुदाई की।
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Re: प्यासे दिन और प्यासी रातें

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ग्रुप सेक्स की तैयारी
जय के जाने के बाद में शावर लेकर फ्रेश हुई… तभी प्रीति का फोन आया… उसका फोन अभी ठीक होकर आया था।
फोन पर वो बहुत नाराज हुई, बोली- अगर मुझे कुछ हो जाए तो तू तो मिलने भी नहीं आएगी?
मैंने उसको सॉरी बोला… और उससे पूछा- क्या सोचा?
वो बोली- सोचना क्या है, जब तू कह रही है तो, यहाँ तो सोच सोच के चूत चिकनी हो रही है और उसका फायदा जय मेरी चूत फाड़ के ले रहा है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं प्रोग्राम बनाती हूँ।
मैंने पायल से और रंगीला से बात करके शनिवार की रात का अपने घर का प्रोग्राम बनाया। खाना सभी ने साथ ही खाना था।
इस बीच में हम तीनों ब्यूटी पार्लर जाकर फुल बॉडी वेक्सिंग वगैरा करा आईं।
मेरे और पायल की मेहंदी भी बहुत हल्की पड़ गई थी तो तीनों ने ही मेहंदी भी लगवा ली।
हमने अपने पतियों को भी पूरी शेव करने को बोल दिया था।
शनिवार को रंगीला ने होटल से खाना मंगाने का इन्तजाम कर लिया ताकि मुझे थकान न हो।
शनिवार को 8 बजे तक तीनों कपल्स आ गए, सबने एक दूसरे को हग करके होठों पर किस किया।
सबको मालूम था कि किस लिए आये हैं।
हम लोग ड्राइंग रूम में बैठे, ड्रिंक रखी थीं, सब सेल्फ सर्व था, तीन गिलास व्हिस्की के थे और तीन बियर के पर जय ने हम लोगों की बियर में भी व्हिस्की टपका दी।
रंगीला ने डांस म्यूजिक लगा दिया था, सबने अपने अपने पैग खली किये और अपने जोड़ों में डांस करने लगे।
अपनी वाली के साथ डांस में मजा नहीं आ रहा था तो मेरी राय पर लाइट और म्यूजिक बंद कर दिया गया और सभी अलग अलग हो गए और म्यूजिक शुरू होते ही आपस में जोड़े बाबा कर डांस करने लगे, पता नहीं कौन किसके पास था… मैंने हल्की रोशनी खोल दी… मैं जय की बाँहों में थी, पायल रंगीला की और प्रीति राज की बाँहों में थी।
डांस शुरू हुआ और हमारे होंठ जुड़ गए।
राज और प्रीति तो बिल्कुल चिपट कर खड़े थे… राज के हाथ प्रीति के टॉप के अंदर घुस कर उसकी पीठ सहला रहे थे और प्रीति अपने हाथों से उसे कन्धों से दबा रही थी।
राज अपने लंड का दबाब उसकी चूत पर बनाये हुए था।
जय भी मेरे मम्मों को दबाता हुआ मुझे चूमे जा रहा था और रंगीला और पायल तो बस पूछो मत… दोनों ने एक दूसरे का चेहरा अपने हाथों से पकड़ा हुआ था और चूम रहे थे।
थोड़ी देर बाद सबने अपनी पोजीशन बदली और एक दूसरे की देखा देखी आदमी सभी लड़कियों के पीछे आ गए, सभी ने अब पार्टनर बदल लिए थे।
मैं राज के पास थी, रंगीला प्रीति के पास पायल जय के पास थी।
लड़के लड़कियों की गर्दन से हाथ डालकर उनके सीने पर ले आये। हम लड़कियों ने भी अपने हाथ पीछे ले जाकर उनके सर के पीछे रख रखे थे।
कामुकता का माहौल था।
राज के हाथ तो मेरे मम्मों पर पहुँच कर मेरे निप्पल दबा रहे थे और मैं भी अपने हाथों से उसका लंड टटोल रही थी।
प्रीति तो रंगीला का लंड निकाल चुकी थी और जय ने पायल का टॉप उतार कर उसे ऊपर से नंगी कर दिया था।
एक के कपड़े उतरते ही नंगा होने और करने की होड़ मच गई और दो तीन मिनट में ही सब नंगे थे… अब चुदाई का माहौल गर्म था। इसके लिए मैंने टेंट हाउस से गद्दे मंगा रखे थे जो सबने मिलकर बिछा लिए।
एक बार फिर चूम छाती के बाद पायल ने कहा- एक बार लाइट बंद करते हैं, सब म्यूजिक पर बदल बदल के फ़ास्ट डांस करेंगे और म्यूजिक बंद होते ही जिसके पास जो होगा, वही कपल चुदाई में साथ रहेगा।
पर प्रीति ने इसका विरोध किया, बोली- आगे पति ही पल्ले पड़ गया तो मजा नहीं आएगा।
तो फिर प्रीति से ही पूछा गया- कैसे हो?
तो प्रीति बोली- ग्रुप सेक्स है तो सब मिल कर चुदाई करेंगे… बदल बदल कर और शुरू करने के लिए चूंकि मैंने राज का लंड नहीं खाया है तो राज और मैं… जय के साथ रेखा क्योंकि दोनों की अच्छी पटती है और रंगीला और पायल…
सब खुश थे क्योंकि दिल से सब चाहते भी यही थे।
अब एक सेक्सुअल म्यूजिक प्ले हो रहा था और मैं जय की बाँहों में चली गई।
जय मझे चिपटा कर चूमता हुआ नीचे होने लगा और मुझे लिटा दिया और मेरी चूत को चाटने लगा… मैंने अपने हाथों से अपनी चूत के पास की खाल को खींच लिया था जिससे चूत खुल जाए।
मेरे पैरों के पास रंगीला और पायल गुंथे पड़े थे। वहाँ पायल रंगीला का लंड चूस रही थी और रंगीला उसकी चूत।
राज तो प्रीति के मम्मों को पागलों की तरह चूस रहा थ और प्रीति उसका लंड हिला रही थी।
अब राज और प्रीति भी 69 पोजीशन पर आ गए और आवाज करते हुए चूस रहे थे।
जय से बर्दाश नहीं हो रहा था तो वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी टांगें पंखे की ओर छत की तरफ करके अपना लंड मेरी लपलपाती चूत में घुसेड़ दिया।
पायल भी रंगीला के ऊपर बैठ कर उसे चोद रही थी, उसकी स्पीड में रंगीला भी नीचे से उछल उछल कर उसका साथ दे रहा था और अपने हाथों से उसके मम्मे दबा रहा था।
राज भी प्रीति की चूत को फाड़ने की तैयारी से पूरा घुस चुका था।
मेरे मम्मों पर प्रीति के हाथ आ गए थे और वो उन्हें जोर जोर से दबा रही थी।
हर ओर यह आवाज थी ‘और जोर से… फाड़ दो… हाँ आज नहीं छोडूँगा… आज जिन्दगी भर के मजे दूंगा… हाँ और चोदो मेरे राजा, मेरी चूत तो आज तुम्हारा लंड ख जायेगी…’
कोई शर्म नहीं थी सब यह भी भूल गए कि वो पार्टनर बदल भी सकते हैं… बस एक ही आलम था चुदाई चुदाई और चुदाई…
तो यह थी दोस्तो… ग्रुप सेक्स के नए जोड़ीदारों की कहानी…



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