वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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नीलोफर को अपने भाई के इस अंदाज़ से हैरत हुई और उस ने खुद अपने मुँह में घुसे हुए ज़ाहिद के लंड को निकालने की एक नाकाम कॉसिश की.मगर ज़ाहिद के मज़बूत हाथो ने उस के कमज़ोर बाज़ुओं को अपनी जकड में ले लिया और वो कुछ ना कर पाई.

ज़ाहिद ने अब अपनी गान्ड को हल्का हल्का आगे पीछे हिलाना शुरू किया.

नीलोफर के थूक से ज़ाहिद का लंड गीला हो चुका था. इस वजह से अब ज़ाहिद का लंड नीलोफर के नरम होंठो से रगड़ ख़ाता उस के मुँह में आसानी से अंदर बाहर होने लगा.

ज़ाहिद का लंड बहुत मोटा था.इस लिए नीलोफर को ज़ाहिद का लंड अपने मुँह में लेने के लिए अपना पूरा मुँह खोलना पड़ रहा था.

नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में जाने से रोकने के लिए थोड़ी मुज़मत तो की.

मगर आज अपने जिस्म को दो मर्दो के हाथो में खेलता हुआ पा कर उस का अपने उपर कंट्रोल टूट गया. और उस की चूत बुरी तरह गीली होने लगी.

नीलोफर का दिल और दिमाग़ तो उसे रोकने की कॉसिश में थे. मगर उस की चूत में लगी हुई आग उसे किसी और ही बात पर बहका रही थी.

उस समझ आने लगा कि मुज़हमत का कोई फ़ायदा नही है. इस लिए उस ने भी जज़्बात की रौ में बह कर ज़ाहिद के लंड को पकड़ लिया और उसे अपने मुँह में डालने लगी.

अपनी बेहन की इस हरकत को देख कर जमशेद को भी जोश आ गया ऑर वो भी स्पीड में आते हुए अपनी बेहन की चूत में तेज तेज घस्से मारने लगा.

जमशेद गान्डू(गे) तो नही था. मगर इस के बावजूद अपनी बेहन के होंठो के दरमियाँ फिरते हुए ज़ाहिद के इतने बड़े और मोटे लंड को देख कर वो अपने ऊपर काबू ना रख पाया.

और फिर अपनी बेहन को चोदते चोदते जमशेद को नज़ाने की सूझी. के उस ने भी अपनी बेहन के ऊपर लेटते हुए नीलोफर के मुँह में धन्से हुए ज़ाहिद के मोटे तगड़े लंड के ऊपर अपनी ज़ुबान रख दी और ज़ाहिद का लंड सक करने लगा.


जमशेद को यूँ ज़ाहिद का लंड चुसते देख कर नीलोफर और ज़ाहिद दोनो के मुँह से एक सिसकारी निकली” आआःःःःःःःःःःःःहाआआआआआआआआआआआआआआआआआआ”

जमशेद ने जो हरकत की उस ने ना सिर्फ़ ज़ाहिद बल्कि नीलोफर को भी हक्का बक्का कर दिया.

“भाई यह आप क्या कर रहे हैं” नीलोफर ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह से निकालते हुए ज़ोर से चिल्लाई.

“उफफफफफफफ्फ़ मेरी जान,यह हरगिज़ मत समझना कि में गान्डु हूँ. बस बात यह है कि आज तुम को अपने सामने किसी और मर्द का लंड चूस्ते देख कर में भी हवस की आग में बहक गया हूँ” जमशेद ने ज़ाहिद के लंड से अपनी ज़ुबान हटाते हुए जवाब दिया.

जमशेद अपनी इस हरकत से खुद भी बहुत शर्मिंदा हुआ.उस को अब अपनी बेहन से आँखे मिलाने की हिम्मत नही हो रही थी.इस लिए वो नीलोफर से नज़रें चुराते हुए थोड़ा नीचे झुका और अपनी बेहन के तने हुए निपल्स को मुँह में भर कर प्यार करने लगा.

अपने भाई को यूँ दीवाना वार किसी और मर्द के लंड की चुसाइ लगाती देख कर निलफोर की चूत में से उस का पानी एक फव्वारे की तरह बहने लगा.

उस ने भी अब और जोश में आते हुए ज़ाहिद के लंड की टोपी को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया.

जब के नीचे से उस की फुद्दि अब पहले से ज़्यादा तेज़ी से उठा और उठ कर अपने भाई के लंड को अपने अंदर समाने लगी.

एएसआइ ज़ाहिद के लिए भी उस की जिंदगी का यह पहला तजुर्बा था. जब दो ज़ुबाने एक साथ उस के लंड पर चल रही थीं.

और वो दो ज़ुबाने ना सिर्फ़ एक मर्द और एक औरत की थीं. बल्कि वो दोनो मर्द औरत आपस में बेहन भाई भी थे.

ज़ाहिद ने भी जोश में आते हुए नीलोफर को उस के सर से पकड़ लिया ऑर ज़ोर ज़ोर से अपना लंड नीलोफर के मुँह में आगे पीछे करने लगा. कि जैसे वो नीलोफर के मुँह को चोद रहा है..

एएसआइ ज़ाहिद का लंड नीलोफर के मुँह में जा कर अब मज़ीद सख़्त ओर लंबा होता जा रहा था.

अपने भाई से चुदवाते हुए नीलोफर भी ज़ाहिद के लंड को मज़े मज़े से चूसने लगी.

कमरे में बिछे बिस्तर पर उन तीनो की चुदाई कुछ देर इसी अंदाज़ में जारी रही.

फिर कुछ मिनिट्स के बाद जमशेद अपना लंड अपनी बेहन की चूत से बाहर निकल कर खुद बिस्तर पर लेट गया और नीलोफर को अपने हवा में तने हुए लंड पर आन कर बैठ जाने का कहा.

अपने भाई के हुकम की तकमील करते हुए नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह से निकाला और अपने भाई के बदन के ऊपर जा कर उस के लौडे को अपने हाथ में था और आहिस्ता आहिस्ता अपने जिस्म को नीचे लाने लगी.जिस वजह से जमशेद का लंड इंच बाइ इंच उस की बेहन की चूत में समाने लगा.

जब नीलोफर अपने भाई के लंड को उस की जड़ तक अपने अंदर ले चुकी. तो वो अपने भाई के लंड पर बैठ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को अपने भाई के लंड से चुदवाने लगी.

इस पोज़िशन में नीलोफर की तंग चूत में उस के भाई जमशेद का लंड बहुत ही ज़्यादा फँस फँस कर अंदर बाहर हो रहा था.


जिस की वजह से नीलोफर को बहुत मज़ा आ रहा था और पूरे कमरे में उस की लज़्ज़त भरी तेज चीखे गूँज रहीं थीं.

आआआआहहुउऊुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफूऊओुईईईईई माआआआऐययईईईईईईईन्न्नननननणणन् म्म्म्मउमममममममाआआआररर्र्र्र्र्र्ररर गगगगगगगैइिईईईईईईई उूुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं.

आआआआआहह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है उूुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ प्लीज़ और तेज झटके मारो उूुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ और ज़ोर से मेरी चुदाई करो.

जमशेद अपनी बेहन की लज़्ज़त भरी चीखे सुन कर और तेज़ी से उस की प्यासी चूत को चोदने लगा.

जमशेद के ज़ोर दार झटकों की वजह से उस की बेहन उस के लंड पर बैठी लज़्ज़त से बुरी तरह मचल रही थी.
ज़ाहिद पहले तो कुछ देर यूँ ही खड़ा दोनो बेहन भाई की चुदाई का नज़ारा देख कर मूठ लगाता रहा.

फिर चन्द लम्हे बाद वो उठ कर नीलोफर के पीछे आन बैठा और जमशेद के लंड को उस की बेहन की चूत में आते जाते देखने लगा.

जमशेद के लंड के ऊपर झुक कर बैठने की वजह से नीलोफर की टाँगे चौड़ी हो रही थीं.

जिस की वजह से उस के पीछे बैठे एएसआइ ज़ाहिद को नीलोफर की गान्ड का हल्का हल्का खुलता और बंद होता ब्राउन कलर का सुराख बिल्कुल सॉफ दिखाई देने लगा.

एएसआइ ज़ाहिद इस से पहले काफ़ी औरतो की गान्ड को चोद चुका था.इस लिए नीलोफर की गान्ड के सुराख को पहली नज़र में ही देख कर ज़ाहिद के तजुर्बे ने उसे बता दिया कि नीलोफर की गान्ड अभी तक कंवारी है.

नीलोफर की मोटी और उभरी हुई गान्ड के कंवारे ब्राउन सुराख को देख कर ज़ाहिद का लंड खुशी से उछलने लगा.
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उस का दिल चाहने लगा कि वो आगे बढ़ कर नीलोफर की गान्ड के खुलते और बंद होते सुराख की खुसबू को ना सिर्फ़ सूँघे बल्कि गान्ड के सुराख को अपनी ज़ुबान से चूखे,चूमे और चाटे.

यह ही सोच कर ज़ाहिद आहिस्ता से आगे बढ़ा और नीलोफर के पीछे बिस्तर पर बैठे बैठे अपने हाथों से उस की गान्ड को थोड़ा और चौड़ा किया.और फिर साथ ही झुक कर उस ने अपनी नोकिली ज़ुबान की टिप से नीलोफर की गान्ड के सुराख को हल्का सा छुआ.

ज्यों ही एएसआइ ज़ाहिद की ज़ुबान नीलोफर की गान्ड के सुराख से टच हुई. तो नीलोफर के मुँह से एक सिसकरीईईईईईई फुटीईईईईईईईईईई.“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़”.

ज़ाहिद की गरम ज़ुबान नीलोफर की गान्ड के सुराख से टकराने की वजह नीलोफर को एक हल्की सी गुदगुदी हुई. जिस की वजह से वो थोड़ी सी कांप गई और उस ने अपनी गान्ड के सुराख को भींच कर टाइट कर लिया.

ज़ाहिद ने जब नीलोफर को यूँ अपनी गान्ड टाइट करते देखा तो उस ने नीलोफर की गान्ड की बड़ी और गुदाज पहाड़ियों को अपने हाथो में थाम कर खोला और पहले तो उस पर एक तवील चूमि ली. और फिर नीलोफर की गान्ड के सुराख को मुँह में भर कर उसे पागलों की तरह अपनी ज़ुबान से चाटने लगा.

आज तक जमशेद या नीलोफर के शोहर ने नीलोफर की गान्ड पर इस तरहा से प्यार नही किया था. इस लिए यह नीलोफर के लिए एक नया तजुर्बा था.

उस को ज़ाहिद की ज़ुबान अपनी गान्ड पर फिरते हुए महसूस कर के बहुत मज़ा आ रहा था और वो लज़्ज़त के मारे सिसकारियाँ लेने लगी.

अपने भाई के लंड को अपने अंदर बाहर लेती और एएसआइ ज़ाहिद के मुँह से अपनी गान्ड के सुराख को चटवाती नीलोफर लज़्ज़त के मारे मरी जा रही थी.

अपनी गान्ड के अंदर तक जाती ज़ाहिद की ज़ुबान ने उसे मज़े से बेहाल कर दिया था.

मज़े की शिद्दत से वो पागल हुए जा रही थी.उस का बस चलता तो वो ज़ाहिद की ज़ुबान को अपनी गान्ड की तह तक ले जाती.

जमशेद भी ज़ाहिद की नीलोफर की चौड़ी गान्ड में घुमती हुई ज़ुबान की लापर्र्ररर लाप्र्र्रर और नीलोफर की सिसकारीओं को सुन कर जोश में अपनी बेहन की चूत के मज़े लेने में मगन था.

अपने अपने जिस्मो की आग ने दोनो बहन भाई को इतना मस्त कर दिया था. कि वो दोनो यह ना देख पाए कि एएसआइ ज़ाहिद नीलोफर की गान्ड के सुराख को अपनी ज़ुबान से तर करने के साथ साथ बिस्तर की साइड टेबल पर पड़ी पोंड क्रीम से अपने लंड को भी फुल तर कर के उसे नीलोफर की कंवारी गान्ड में डालने के लिए तैयार कर चुका है.

इस से पहले के नीलोफर या जमशेद कुछ समझ पाते. ज़ाहिद ने नीलोफर के पीछे घुटनो के बल बैठ कर अपने तने हुए मोटे,सख़्त और बड़े लंड को हाथ में थामा और फिर एक दम से अपना मस्त लंड नीलोफर की गान्ड पर रख कर एक ज़ोरदार झटका मारा.

नीलोफर की गान्ड से “घुऊदूप” की एक तेज आवाज़ निकली और ज़ाहिद का बड़ा लंड नीलोफर की गान्ड की दीवारों को बुरी तरहा से चीरता हुआ जड़ तक उस की गान्ड के अंदर घुस्स गया.

ज़ाहिद का झटका इतना अचानक और इतना ज़ोरदार था. कि नीलोफर के हलक़ से बे इकतियार एक चीख निकल गई और वो झटके के ज़ोर से अपने सामने लेटे हुए अपने भाई जमशेद की छाती पर गिर पड़ी.

“यह किस ने
मेरी गान्ड में
इतना बड़ा लंड डाला
मार डाला हाएएयी मार डाला”

नीलोफर दर्द की शिद्दत से चिल्ला उठी.


“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मेंन्नननननननननननणणन् मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गई आआआआआआआआआआ.................................ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ.............................
...आMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMईईईई अम्मिईीई......... मेरिइईईईईईईईईईईईईई तो फटत्त गेिईईईईईई नीलोफर की आवाज़ इतनी उँची थी कि यक़ीनन कमरे से बाहर भी उस की चीख की आवाज़ ज़रूर पहुँची हो गी.


नीलोफर ने आगे बढ़ते हुए अपने आप को ज़ाहिद के लंड के चुंगल से बचाने की एक नाकाम कोशिस की. मगर ज़ाहिद ने नीलोफर की गान्ड की पहाड़ियों को अपने हाथ में कस कर था और अपना लंड एक झटके से नीलोफर की गान्ड से बाहर निकाल लिया.

एएसआइ ज़ाहिद का लंड नीलोफर की गान्ड में बुरी तरहा से फँसा हुआ था.

इस लिए ज्यों ही ज़ाहिद ने अपना लंड नीलोफर की गान्ड से निकाला तो ऐसी आवाज़ आई जैसे किसी बॉटल का ढक्कन खोल दिया हो.

ज़ाहिद ने दोबारा झटका मारा,नीलोफर दुबारा चीखी और झटके के ज़ोर से फिर अपने भाई के उपेर गिर पड़ी.

अब की बार जमशेद ने अपनी बेहन के जिस्म के गिर्द अपने हाथ बाँध कर उसे अपनी बाज़ुओं में क़ैद कर लिया. और अपनी बेहन के मुँह पर अपना मुँह राख कर उस के होंठो को चूसने लगा.

जमशेद ने जब ज़ाहिद को यूँ नीलोफर की कंवारी गान्ड की सील तोड़ते हुए देखा तो उसे बहुत मज़ा आया.

वो इस से पहले कई बार अपनी बेहन से उस की गान्ड मारने की फरमाइश कर चुका था. मगर नीलाफर ने आज तक उस की यह बात नही मानी थी.

इस लिए आज ज़ाहिद से नीलोफर की गान्ड चुदाई के बाद जमशेद को यकीन था. कि अब जल्द ही वो भी अपनी बेहन की गान्ड का स्वाद चाख पाए गा.

जमशेद ने इशारे से ज़ाहिद को अपनी चुदाई रोकने को कहा. तो नीलोफर की गान्ड में झटके मारता हुआ ज़ाहिद रुक गया.

असल में जमशेद चाहता था कि ज़ाहिद थोड़ा रुक कर नीलोफर को संभालने का मोका दे. ता कि नीलोफर की गान्ड ज़ाहिद के मोटे और बड़े लंड को अपने अंदर अड्जस्ट कर सके.

क्योंकि एक दफ़ा जब नीलोफर की गान्ड का दर्द काम हो गा. तो उस के बाद वो सही मायनों में ज़ाहिद के लंड को अपनी गान्ड में ले कर मज़े से चुदवा सके गी.
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by vnraj »

ऊफफफफ कहीं भी रोक देते है । जरा हमलोगो का भी ख्याल रखिये
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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

vnraj wrote:ऊफफफफ कहीं भी रोक देते है । जरा हमलोगो का भी ख्याल रखिये
दोस्त आगे से ख्याल रखूँगा
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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कुछ देर ज़ाहिद ने ऊपर से कोई हरकत ना की मगर नीचे से जमशेद हल्के हल्के झटके मारता हुआ अपनी बेहन की चूत को चोदने में मसरूफ़ रहा.

नीलोफर ने अब अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला छोड़ दिया. जिस की वजह उस की गान्ड में दर्द की शिद्दत कम होने लगी और अब उसे अपनी गान्ड में फँसा हुआ ज़ाहिद का लंड अच्छा लगने लगा.

जब ज़ाहिद ने महसूस किया कि नीलोफर की गान्ड की दीवारे उस के लंड के इर्द गिर्द थोड़ी ढीली पड़ने लगी हैं. तो वो भी समझ गया कि अब नीलोफर की गान्ड ने उस के लंड को अपनी आगोश में “काबूलियत” का “शरफ” बख्स दिया है.

इस बात को जानते ही ज़ाहिद ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को आगे पीछे कर के नीलोफर की गान्ड की चुदाई दुबारा से शुरू कर दी.

ज़ाहिद ने अपना पूरा दबाव नीलोफर की पुष्ट पर डाला हुआ था. जिस की वजह से नीलोफर बुरी तरहा अपनी भाई के सीने से चिपटी हुई थी. और ज़ाहिद के झटकों की वजह से नीलोफर के बड़े बड़े मम्मे के निपल्स उस के भाई की सख़्त छाती से रगड़ खा रहे थे. इस वजह से नीलोफर को अपनी चुदाई का और भी मज़ा आ आने लगा.


नीलोफर की चूत और गान्ड के दरमियानी हिस्से में जो उस के बदन का पतला सा गोश्त था.उस गोश्त के अंदर से जमशेद को नीलोफर की गान्ड में जाता हुआ ज़ाहिद का लंड अपने लंड से टकराता हुआ महसूस हो रहा था.

जब कि नीचे से ज़ाहिद के लटकते हुए टटटे जमशेद के टट्टो के साथ टकरा रहे थे.

अब नीलोफर अपने भाई और एएसआइ ज़ाहिद के दरमियाँ में एक स्वन्डविच बनी हुई थी. और वो दोनो नीलोफर की चूत और गान्ड को मज़े ले ले कर चोद रहे थे.

नीलोफर ने इस से पहले कभी दो मर्दो से एक साथ नही चुदवाया था. इस लिए चुदाई के इस अंदाज़ ने उस को जिन्सी लज़्ज़त की उन मंज़िलो तक पहुँचा दिया कि जिस का उस ने कभी तसव्वुर भी नही किया था.

वो अब तक कितनी बार झड चुकी थी. इस का खुद उसे भी नही पता था.झड झड कर नीलोफर की चूत पूरी सूख चुकी थी.

नीलोफर को अपनी इस तरह की चुदवाइ का बहुत मज़ा आ रहा था और वो मज़े के आलम में चीखने लगी.

जमशेद और ज़ाहिद को नीलोफर की चूत और गान्ड की चुदाई करते हुए 10 मिनिट्स से ज़्यादा का टाइम हो गाया था.और इस ज़ोरदार चुदाई की वजह से वो तीनो पसीने पसीने हो गये थे.

कुछ लम्हे बाद जमशेद बोला: ओह्ह्ह्ह नीलोफर मेरी जान में अब छूटने वाला हूँ.

ज़ाहिद ने ज्यों ही यह सुना तो वो नीलोफर के पीछे से फॉरन बोला: यार थोड़ा सबर कर में भी छूटने लगा हूँ दोनो साथ छूटेंगे.

फिर दोनो ने एक साथ पूरे जोश में आ कर नीलोफर की चूत और गान्ड में झटके मारे.

दोनो के लंड ने एक साथ झटका खाया और दोनो के लंड से एक साथ वीर्य की पिचकारी निकली. जो नीलोफर की चूत और गान्ड को एक साथ भरती चली गई.

दो लंड के गरमा गरम वीर्य को एक साथ अपनी चूत और गान्ड के अंदर छूटता हुआ महसूस कर के नीलोफर को जो मज़ा मिला वो उस के लिए ना क़ाबले बयान था.

मज़े की शिद्दत से महज़ूज़ होते हुए नीलोफर के जिस्म ने एक झटका खाया और उस की अपनी चूत ने भी एक बार फिर अपना पानी छोड़ दिया.

अपनी चूत का पानी छूटा हुआ महसूस करते ही नीलोफर को ऐसा स्वाद आया कि उस ने मज़े में आते हुए अपनी आँखे बंद कर लीं.

नीलोफर की ऐसी चुदाई आज तक किसी ने नही की थी.वो अपने हाल से बे हाल हो गई थी. और वो इस भरपूर चुदाई के हाथो बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी.

अब वो तीनो बिस्तर पर एक दूसरे के ऊपर उसी तरह पड़े लंबी लंबी साँसे ले रहे थे.

जमशेद और ज़ाहिद के लंड अभी तक नीलोफर की गान्ड और चूत में धन्से हुए थे. और उन के लंड का रस आहिस्ता आहिस्ता बहता हुआ नीलोफर की चूत और गान्ड से बाहर निकल कर बिस्तर की चादर में जज़्ब हो रहा था.

कुछ देर बाद जब अपने जिस्म के ऊपर बेसूध पड़े एएसआइ ज़ाहिद के जिस्म का बोझ नीलोफर के लिए ना क़ाबले बर्दास्त हो गया तो उस ने ज़ाहिद को अपने जिस्म से अलग होने को कहा.

ज्यों ही ज़ाहिद नीलोफर से अलहदा हो कर बिस्तर पर ढेर हुआ. तो नीलोफर की जान में जान आई.

थोड़ी देर अपनी बिखरी सांसो को बहाल करने के बाद नीलोफर अपनी भाई के लंड से उठी और अपने कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ चल पड़ी.

आज दो मर्दो के हाथो अपनी चुदाई और ख़ास्स तौर पर पहली दफ़ा गान्ड मरवाई के बाद नीलोफर के लिए इस वक्त बाथरूम तक चल कर जाना भी मुश्किल हो रहा था.

उस की चूत और गान्ड चुदाई की शिद्दत की वजह से सूज कर फूल गईं थीं. और उस की चूत और गान्ड में बुरी तरह से एक जलन सी हो रही थी.जिस की वजह से उस के लिए चलना भी मुहाल हो रहा था.

जैसे तैसे कर के वो बाथरूम पहुँची और अपने मुँह और जिस्म को सॉफ कर के उस ने बड़ी मुश्किल से अपने कपड़े पहने और फिर बाथरूम से बाहर निकल आई.

नीलोफर के बाथरूम से बाहर आने तक जमशेद और ज़ाहिद भी अपने अपने कपड़े पहन चुके थे.

ज्यों ही नीलोफर बाथरूम से वापिस लॉटी तो एएसआइ ज़ाहिद ने दोनो बेहन भाई को अपनी क़ैद से रिहाई की सज़ा सुनाई.

जमशेद और नीलोफर को यकीन ना हुआ कि ज़ाहिद उन को यूँ पैसे लिए बगैर जाने दे गा.

मगर फिर ज्यों ही उन्हो ने ज़ाहिद के मुँह से चले जाने के इलफ़ाज़ सुने. तो जमशेद और नीलोफर ने फॉरन कमरे से बाहर निकल जाने में ही अपनी ख़ैरियत समझी.

वो दोनो बेहन भाई जैसे ही कमरे से बाहर निकलने लगे तो ज़ाहिद ने उन को पीछे से आ कर फिर रोक लिया.

ज़ाहिद: में तुम दोनो को एक शर्त पर जाने की इजाज़त दे रहा हूँ.

जमशेद: वो क्या?.

ज़ाहिद: बात यह है कि आज नीलोफर को चोद कर मुझे बहुत मज़ा आया है और में चाहता हूँ कि तुम कभी कभार उसे मुझ से चुदवाने के लिए इधर ले आया करो.

यह कह कर ज़ाहिद ने जमशेद को अपने मकान की चाभी देते हुए कहा” इसे अपने पास रख लो और जब दिल चाहे तुम लोग बिना किसी खोफ़ के इधर आ कर एक दूसरे के साथ चुदाई कर सकते हो.

जमशेद दिली तौर पर ज़ाहिद की किसी शर्त या ऑफर को कबूल करने पर तैयार ना हुआ. मगर मोके की नज़ाकत को समझते हुए उस ने खामोशी इक्तियार कर के ज़ाहिद से चाभी ले कर अपनी पॉकेट में रख ली और अपनी बेहन को ले कर तेज़ी से बाहर निकल गया.

उस शाम जब ज़ाहिद अपने घर वापिस आया तो उस की नज़र घर के सहन में काम करती अपनी बेहन शाज़िया पर पड़ी. जो उस वक्त एक टब में पानी ले कर सब घर वालो कपड़े धोने में मसरूफ़ थी.



ज़ाहिद को घर के अंदर आते देख कर शाज़िया ने अपने भाई को सलाम किया और भाई का हाल चाल पूछ कर दुबारा अपने काम में मसरूफ़ हो गई.

शाज़िया को देखते ही ज़ाहिद को दिन में नीलोफर की कही हुई बात याद आ गई. कि जवान जिस्म की आग बहुत ज़ालिम होती है. और जवानी की यह आग रात की तन्हाई में एक अकेली औरत को उस के बिस्तर पर बहुत तंग करती है.

ज़ाहिद यह बात याद कर के सोच में पड़ गया. कि अगर शादी शुदा होने के बावजूद नीलोफर को उस की जिस्म की आग इतना तंग कर सकती है.के वो अपने शोहर के होते हुए भी अपने ही सगे भाई से चुदवाने पर मजबोर हो जाय.

जब कि उस की बेहन शाज़िया तो एक तलाक़ याफ़्ता औरत है. वो अभी जवान है और नीलोफर की तरह यक़ीनन शाज़िया की जवानी के भी जज़्बात होंगे . तो वो कैसे अपने इन जज़्बात को ठंडा करती होगी.

आज दिन को पेश आने वाले वाकये का खुमार अभी तक ज़ाहिद के होशो-हवास पर छाया हुआ था. जिस ने ज़ाहिद को अपनी बेहन के बड़े में पहली बार ऐसा कुछ सोचने पर मजबूर ज़रूर कर दिया था. जब के आम हालत में ज़ाहिद के दिमाग़ में इस किस्म की सोच आना एक नामुमकिन सी बात होती.

लेकिन इस के साथ साथ हर भाई की तरह ज़ाहिद के लिए भी उस की बेहन एक शरीफ और पाक बाज़ औरत थी.और अपनी बेहन के मुतलक ज़ाहिद ज़ेहनी तौर पर यह बात कबूल करने को तैयार नही हो पा रहा था. कि नीलोफर की तरह उस की बेहन शाज़िया भी गरम होती हो गी.

इस लिए वो अपने दिमाग़ में आने वाले इन ख्यालात को झटकता हुआ अपनी अम्मी के पास टीवी लाउन्ज में जा बैठा.
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