वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

ज़ाहिद को औरतों से अपना लंड चुसवाने में बहुत मज़ा आता था. इसी लिए अपनी बहन के इनकार के बावजूद ज़ाहिद शाज़िया को भी इस काम पर मजबूर करने पर तूल आया था.

फिर ज्यों ही ज़ाहिद के लंड ने पहली बार अपनी बहन के गुदाज होंठों को अपनी मोटी टोपी से छुआ. तो ज़ाहिद का फॅन फनाता हुआ लंड पहले से ज़्यादा अकड़ गया. और साथ ही ज़ाहिद के लंड से उस का पानी (प्री कम) का एक कतरा निकल कर शाज़िया के प्यासे होंठो को भिगा गया .

दूसरी तरफ जैसे ही शाज़िया ने अपने भाई के लंड को पहली बार अपने होंठो पर महसूस किया. तो ज़ाहिद के लंड की तपिश और सख्ती ने शाज़िया के जिस्म में एक आग सी लगा दी.

अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर होते हुए शाज़िया ने अपनी एक लम्हे पहले कही हुई बात को भुला दिया.और फिर शाज़िया ने अपनी ज़ुबान निकाल कर ना सिर्फ़ अपने भाई के पानी को फॉरन अपनी ज़ुबान से चाट लिया. बल्कि उस ने जोश में आते हुए अपना मुँह खोल कर अपने भाई के बड़े लंड की मोटी टोपी को सक करना शुरू कर दिया.



“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उफफफफफ्फ़ क्या मस्त चुसाइ लगाती हो तुम मेरी बहन” ज्यों ही ज़ाहिद के लंड की टोपी उस की बहन के मुँह में दाखिल हुई तो ज़ाहिद जोश से चिल्ला उठा.

अपने भाई ज़ाहिद के लंड की गर्मी और सख्ती को अपने होंठो पर ही महसूस कर के शाज़िया सोचने लगी.कि उस के भाई का ये मोटा और बड़ा लंड तो आज उस की फुद्दि की धज्जियाँ बखेर कर रख देगा .

ये सोच सोच कर शाज़िया की फुद्दि का पानी उस की टाँगों से बह बह कर बाहर निकलने लगा.जिस से बिस्तर की चादर भी गीली हो गई.

अपने भाई के सामने घुटनों के बल बैठ कर अपने ही भाई के लंड की चुसाइ लगाते हुए शाज़िया अब इतनी बेचैन हुई. कि उस का दिल चाहने लगा कि किसी तरह वो अपने भाई का लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में भर ले.



मगर ज़ाहिद का लंड इतना बड़ा और मोटा था. कि कोशिश के बावजूद शाज़िया उसे अपने मुँह में नही ले पाई.

शाज़िया इस वक्त बड़े शौक,मज़े और जोश से अपने भाई के लंड को चूसने में मसरूफ़ थी.


शाज़िया अपने भाई के लंड की टोपी को चाट्ती हुई नीचे जाती और फिर चाट्ती हुई दूसरी तरफ से वापिस लंड की टोपी तक पहुँच जाती थी.और फिर अपनी ज़ुबान से अपने भाई के लौडे को चारों तरफ से चाट्ती और फिर ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में ले कर उसे कुलफी की तरहा चूस रही थी.

बेशक किसी भी मर्द के लंड को सक करने का शाज़िया का ये पहला तजुर्बा था. मगर इस के बावजूद शाज़िया उस वक्त बहुत महारत से अपने भाई का लंड चूस रही थी.

शाज़िया अब अपने भाई के लंड का स्वाद पा कर सब कुछ भूल गई थी. और जिस से ज़ाहिद की कुछ देर पहले कही हुई बात सच साबित हो गई थी. के शाज़िया जब एक दफ़ा तुम मेरे लंड को सक कर लोगी .तो फिर तुम को लंड चूसने में मज़ा आने लगे गा.

दूसरी तरफ पिछले कुछ हफ्ते नीलोफर या किसी और की चूत ना मारने की वजह से ज़ाहिद के लंड में स्टॉक हुआ उस का वीर्य तो पहले ही बाहर निकलने को उबल रहा था. और अब अपनी बहन के मुँह से चुसाइ लगवा कर ज़ाहिद तो मज़े से बे हाल हो रहा था. जिस से उस की हालत बिगड़ने लगी थी.

इस से पहले कि शाज़िया अपने भाई के लंड को चूस चूस कर उस का सारा पानी निकाल लेती. ज़ाहिद ने शाज़िया के मुँह से अपने लंड को निकाल लिया.

“हाईईईईईईईईईईईईईईई तुम तो कहती थी कि तुम ने कभी लंड की चुसाइ नही लगाई,मगर लंड चुसाइ में तुम तो नीलोफर को भी मात दे दी हो मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की तरफ करते हुए कहा.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

शाज़िया अपने भाई से अपनी तारीफ सुन कर शर्मा सी गई और अपने हाथों में अपने मुँह को ढांप लिया.

“अच्छा जान अब शरमाना छोड़ो और मुझे भी इसी तरह अपनी फुद्दि का स्वाद चखने दो जिस तरह तुम ने मेरे लंड का चखा है” ज़ाहिद ने सिसकते हुए अपनी बहन को कहा.

ये कहते हुए और अपने लंड को सहलाते हुए ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ आया.तो शाज़िया ने भी बे शरमी से अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं.

ज़ाहिद शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ आ कर नीचे को झुका और अपनी बहन की गुलाबी नंगी चूत को अपनी हथेली से हलके से छुआ.

अपनी बहन की चूत को अपने हाथ से हल्का हल्का रगड़ते हुए ज़ाहिद ने अपना मुँह नीचे झुका कर अपनी बहन की फूली हुई फुद्दि को अपने नाक से सूँघा.

शाज़िया की चूत पर लगे हुए परफ्यूम और उस की चूत से बहते हुए फुद्दि के पानी ने आपस में मिक्स हो कर शाज़िया की फुद्दि को कुछ इस तरह महका दिया था. कि ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया की छूट के बहते पानी की खुसबू को सूंघ कर दिवाना हो गया.

ये शायद शाज़िया की चूत से निकलती हुई महक का ही असर था. कि ज़ाहिद ने दिवाना वॉर अपने होंठो के आगे बढ़ा कर उन्हे अपनी बहन की फुद्दि पर रखा और शाज़िया की पानी से तर गरम चूत को चूम लिया.



ज़ाहिद की गरम नुकीली ज़ुबान ज्यों ही उस की बहन की फुद्दि से पहली दफ़ा टकराई.तो शाज़िया मज़े की शिद्दत से उछल पड़ी ”हाऐईयईईईईईईईईई भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”



“भाई नही करूऊ,ये गंदी जगहह है” शाज़िया ने अपने भाई के मुँह को अपनी चूत से हटाने की कोशिश की.

“इतनी प्यारी गुलाबी और मज़े दार चूत को गंदी कहती हो तुम,जब मुझे तुम अच्छी लगती हो,तो फिर तुम्हारी चूत कैसे गंदी लग सकती है मेरी जान” ज़ाहिद ने शाज़िया की बात का जवाब देते हुए अपनी बहन की चूत पर अपना मुँह रख दिया.और किसी भूके जानवर की तरह अपनी बहन की चूत को चाटने लगा.

ज़ाहिद अब पागलों की तरह दीवाना वार अपनी बहन की चूत में अपनी ज़ुबान फेरने लगा था.

ज़ाहिद के इस जोश,मस्ती और इन्मिहाक से अपनी बहन की फुद्दि में अपनी ज़ुबान फेरने की वजह से शाज़िया की चूत का गहरा और लेस दार रस उस की फुद्दि से निकल निकल कर ज़ाहिद के मुँह को तर करने लगा.

अपनी बहन के नमकीन और लेस दार पानी को अपने मुँह में महसूस करते ही ज़ाहिद को अपनी बहन के पानी का ज़ायक़ा इतना मज़े दार लगा. कि उस ने शाज़िया की चूत से बैठे पानी को रूह-अफज़ा समझ कर पीना शुरू कर दिया.

शाज़िया के सबका शोहर ने तो कभी शाज़िया की चूत को नही चूसा था. मगर शाज़िया नीलोफर के हाथों फुद्दि चुस्वाई के इस स्वाद से ज़रूर आगाह हो चुकी थी.

लेकिन नीलोफर ने भी आज तक शाज़िया की फुद्दि को इस तरह नही चाटा था. जिस प्यार और दीवानगी से उस का भाई ज़ाहिद उस की फुद्दि में अपनी ज़ुबान डाल कर उसे चाट रहा था.

अपने भाई ज़ाहिद की ज़ुबान के हाथों बे हाल होते हुए शाज़िया तो मज़े से पागल हो कर गुलाब की पत्तियॉं से सजी अपनी सुहाग की सेज कर मदहोश लेटी हुई अपने हलक में से मस्ती भरी सिसकियाँ और आवाज़ें निकल रही थी…



“आआआअहह ज़ाहिद भाई.. में मरी……. उफफफफफफफ्फ़.. ये क्या कर रहो हो आप…. आह ओइइ ज़ाहिद भाई मुझ हाई लगता है आज में मर जाउन्गी… अहह उफफफफफ्फ़… मेरे सबका शोहर ने तो मुझे ऐसा मज़ा कभी नही दिया था……. अह्ह्ह्ह. हाईईईईईई भाई ये मुझ है क्या हो रहा है…. उफफफ्फ़ मेरी जान निकल रही है…. अहह…ये कहते हुए शाज़िया के जिस्म को झटके लगे और शाज़िया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया…

ज्यों ही शाज़िया के जिस्म ने झटके खाने शुरू किए.तो ज़ाहिद ने अपना मुँह अपनी बहन की चूत से अलग कर लिया. और वो अपनी बहन के जिस्म को झटके लगते और उस की फुद्दी से चूत(ऑर्गॅज़म) का पानी निकलते हुए देखने लगा.

“फुद्दि बे करार है,लंड भी तैयार है
आजा मेरे भाई,तेरी बहन की चूत अब तैयार है,

अपनी बहन के जिस्म को यूँ झटके खाते देख कर और इस शायर को अपने ज़हन में लाते हुए ज़ाहिद अब ये बात अच्छी तरह समझ गया था. कि इस वक्त उस की बहन की चूत उस का मोटा और लंबा लंड निगलने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी है.

इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी बहन के चेहरे की तरफ देखते हुए शाज़िया से पूछा “शाज़िया,मेरी रानी,किया ख्याल है कि अब हम चुदाई कर के सुबह होने वाला अपना वालिमा जायज़ कर लो ,मेरी जान?

“उफफफफ्फ़……. हााआअँ …. अब अम्मी के हुकम की तामील करते हुए मुझे अपने सख़्त और जवान लंड से चोद कर हमारा वलिमा हलाल कर ही दो भाईईईईईईईई”

शाज़िया के मुँह से वालिमे वाली बात को सुन कर ज़ाहिद का लंड तन कर उस की अपनी ही नाभि से आ लगा था.

अपनी बहन के मुँह से ये इलफ़ाज़ सुन कर ज़ाहिद शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ से उठ कर दुबारा अपने घुटनों पर बैठा.

ज्यों ही ज़ाहिद शाज़िया की चूत से अपना मुँह उठा कर सीधा बैठा.तो शाज़िया ने अपने मेहन्दी भरे पावं उठा कर अपने भाई की छाती पर रख दिए.

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

ज़ाहिद और शाज़िया दोनो के लिए अब मज़ीद सबर करना मुश्किल हो रहा था.इसीलिए ज़ाहिद ने जोश में आते हुए अपनी बहन शाज़िया के मेहन्दी लगे पाँव को अपनी छाती से हटा कर अपनी बहन की टाँगों को अपने हाथो से उठाया. और शाज़िया के घुटनो को मोडते हुए उस की टाँगों को उस की भारी छाती से लगा कर शाज़िया की टांगे खोल दीं.

साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया की गान्ड के नीचे एक तकिया रखा. जिस की वजह से शाज़िया की गुलाबी चूत का मुँह ज़ाहिद की आँखों के सामने खुल गया.

थोड़ी देर तक ज़ाहिद अपनी बहन की टाँग और गीली चूत को देखता रहा. और फिर ज़ाहिद ने अपनी बहन की फूली हुई चूत के छोटे से सुराख पर अपने अपना लोहै की रोड की तरहा सख़्त लंड की टॉप लगा कर उसे शाज़िया की पानी छोड़ती फुद्दि के ऊपर नीचे रगड़ा.



तो ज़ाहिद के लंड की टोपी उस की बहन के चूत के पानी से पूरी तर हो गई.

“ओह भाईईईईईई” शाज़िया अपने भाई की मोटी टोपी अपनी गरम फुद्दि पर रगड़ते हुए पा कर सिसक उठी.

शाज़िया को अब अपने भाई के लंड की गर्माहट बेचैन कर रही थी.

इतने दिनो से अपने भाई के जिस मोटे और बड़े लंड के सपने वो देख रखी थी.

आज उस के भाई का वो हो ही सख़्त और जवान लंड बड़े मज़े से उस की गरम फुद्दि के होंठो के ऊपर नीचे हो रहा था.

अपने भाई के लंड की तपिश को अपनी फुद्दि के लिप्स पर महसूस करते ही शाज़िया भी अपनी गान्ड को हिला हिला कर अपनी चूत उस के लंड की टोपी से रगड़ने लगी.

जिस की वजह से शाज़िया की गुदाज और भारी छातियाँ उस के जवान सीने पर आगे पीछे हिलने लगीं.

शाज़िया की छाती पर उस के हिलती हुई बाहरी छातियों का ये नज़ारा ज़ाहिद के लिए बहुत ही दिल कश था.

फिर ज़ाहिद अपनी बहन की चूत पर अपने लंड इसी तरह रगड़ते हुए थोड़ा से झुका और शाज़िया की कमर में अपने हाथ डालते हुए ज़ाहिद ने एक हल्का सी धक्का मारा.

तो ज़ाहिद के लंड की मोटी टोपी उस की बहन के पानी से तर,गरम और जनम जनम से प्यासी चूत के मोटे लिप्स को खोलती हुई शाज़िया की फुद्दि में दाखिल हो गई.

“अहह भाईईईईईईईई” अपने भाई के मोटी टोपी को अपनी चूत में एंटर होते हुए महसूस कर के मज़े और थोड़ी तकलीफ़ की वजह से शाज़िया के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई.

ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी बहन की फुद्दि में और आगे बढ़ाने के लिए थोड़ा सा ज़ोर लगाया.मगर उस के लंड की टोपी शाज़िया की चूत के तंग सुराख में फँस कर रह गई.



असल में दो साल से तलाक़ याफ़्ता होने की वजह से शाज़िया की चूत को अभी तक किसी मर्द का लंड तो नसीब नही हुआ था.

इसीलिए दो साल में लंड से महरूमी की वजह से शाज़िया की फुद्दि तो सिकुड कर फिर से किसी कंवारी कली की शकल इख्तियार कर चुकी थी.

इसी लिए ज्यों ही ज़ाहिद के लंड का फूला हुआ मोटा टोपा उस की बहन की तंग फुद्दि में दाखिल हुआ.तो ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की तंगी और गरमाइश को महसूस करते हुआ चिल्ला उठा ““उफफफफफफफफफफफफ्फ़ शाजिया मेरी जान क्या मज़ा आ रहा है,तुम्हारी चूत तो बहुत ही टाइट है,लगता है तुम्हारे सबका शोहर ने तुम्हारी चूत को जैसे कभी चोदा ही नहीं, तभी तो आज तक मेरी बहन की चूत इतनी तंग है”

ज़ाहिद ने आज तक कितनी ही औरतों की चुतो में अपना लंड डाला था. मगर जितनी गरम और तंग उसे अपनी बहन शाज़िया की फुद्दि लगी थी. इस तरह की फुद्दि उसे आज तक नसीब नही हुई थी.

इस बात के बावजूद कि शाज़िया की चूत ज़ाहिद की सकिंग और फिर अपना ही पानी छोड़ छोड़ कर बे इंतहा स्लिपरी हो चुकी थी.मगर फिर भी ज़ाहिद को अपनी बहन की चूत में अपना लंड डालते वक्त यूँ महसूस हो रहा था. कि जैसे आज वो अपना लंड पहली बार किसी कंवारी फुद्दि में डाल रहा हो.

अपनी ही बहन की फुद्दि में अपना लंड डाल कर जो मज़ा ज़ाहिद को उस वक्त मिला था. उस मज़े और स्वाद का ज़ाहिद ने आज तक तवस्सुर भी नही किया था.

जब कि दूसरी तरफ शाज़िया को भी जब अपने भाई का सख़्त,मोटा और बड़ा लंड अपनी तंग फुद्दि में दाखिल होता हुआ महसूस हुआ.तो शाज़िया को यूँ लगा कि जैसे आज उस की दूसरी सुहाग रात में उस की फुद्दि फिर से कुँवारी चूत का रूप धर चुकी है.और अब उस का भाई ज़ाहिद उस की कुँवारी चूत की सील तोड़ रहा है.

शाज़िया को तो इस लम्हे का पिछले दो साल से शिद्दत से इंतिज़ार था. आज शाज़िया के दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी. क्यों कि उस के भाई का जवान,सख़्त और तना हुआ लंड किसी शेष नाग की तरह अपने फन को उठाए उस की चूत के बिल में गुस्से से जा रहा था.

अपने भाई के लंड को अपनी चूत के आगोश में आते हुए पा कर ज़ाहिद की तरह शाज़िया को भी ऐसा मज़ा मिला. ये मज़ा उस ने अपनी असली कंवारी चूत की सील तुड़वाते हुए भी अपने असली शोहर से हासिल नही किया था.



इसीलिए फूलों की पत्तियॉं से सजी अपनी सुहाग की सेज पर लेटी हुई शाज़िया ने अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेते ही शाज़िया के मुँह से ज़ोर से चीख निकल गई ““उउउइईईईई..मर गेिईई..”आआआः..भाईईईईईईई निकाल लो.. में नही ले पाउन्गी आप का इतना मोटा लंड”

बेशक शाज़िया को अपने भाई का लंड अपनी चूत में ले कर मज़ा तो बहुत आ रहा था.

लेकिन ज़ाहिद का लंड ही इतना बड़ा और मोटा था. कि उस की सख्ती को अपनी पानी पानी होती चूत की दीवारो के ज़रिए महसूस कर के शाज़िया को यूँ लग रहा था.कि जैसे उस की चूत अंदर से फॅट कर फैल रही है.

इसीलिए अपने सगे भाई के लंड का स्वाद पहली दफ़ा पाने के बावजूद शाज़िया का जिस्म और चूत अकड़ से गये तो वो अपने भाई को थोड़ी देर रुकने का कहने लगी थी.

मगर दूसरी तरफ ज़ाहिद तो औरतों के मामले में एक मंझा हुआ खिलाड़ी था. और वो हर किस्म की औरतों को चोद चोद कर अब ये बात अच्छी तरह जान चुका था. कि औरतों को किस तरह हॅंडेल किया जाता है.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by rajaarkey »

इसी लिए ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात को नज़र अंदाज़ करते हुए अपना मुँह आगे बढ़ाया. और अपनी बहन शाज़िया के एक निपल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू किया.

ज़ाहिद ने अपनी बहन के कहने पर अमल करते हुए ज्यों ही शाज़िया की चूत में जाते हुए अपने लंड को थोड़ी देर के लिए रोका. तो शाज़िया की फुद्दि को कुछ सकून मिला और उस ने अपना जिस्म और चूत ढीली छोड़ दी.

उधर ज्यों ही ज़ाहिद ने समझा कि उस की बहन थोड़ी पुर सकून हो चुकी है. तो उस ने मोका देखते ही अपने लंड को शाज़िया की फुद्दि से पूरा बाहर खींचा. और फिर अपनी कमर को सख़्त करते हुए पूरी ताक़त से एक और धक्का लगाया.

जिस से ज़ाहिद का लंड तेज़ी के साथ उस की बहन की चूत के बंद दरवाज़ों को खोलता हुआ जड़ तक पूरे का पूरा शाज़िया की फुद्दि के अंदर तक घुसता चला गया….

“हाईईईईईईईईई भाईईईईईईईईईईई आप ने तो मेरी शादी शुदा चूत को फिर से फाड़ र्र्र्र्ररर दिया है आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज” अपने भाई के भरपूर धक्के के साथ भाई के सख़्त लंड को अपनी फुद्दि में जाते हुए महसूस कर के शाज़िया ज़ोर से चिल्ला उठी.

उसे अपने भाई के बहुत ही मोटे और तगडे लंड को अपनी फुद्दि में पा कर वाकई ही ऐसे लगा. जैसे आज उस के भाई ने जिंदगी में दूसरी बार उस की चूत की सील को तोड़ कर अपनी ही बहन की नथ उतार दी हो.

“जान मुझे पता है कि काफ़ी टाइम से कोई लंड ना लेने की वजह से तुम्हारी फुद्दि काफ़ी तंग हो चुकी है,मगर अब वालिमा जायज़ करने के लिए थोड़ी बहुत तकलीफ़ तो उठानी ही पड़े गी,इसीलिए थोड़ा बर्दाश्त करो,अभी कुछ देर में सब ठीक हो जाएगा ” ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने लंड को थोड़ी देर के लिए फिर रोक लिया. ताकि शाज़िया की चूत उस के मोटे और बड़े लंड को अपने अंदर लेने के बाद,ज़ाहिद के बड़े लंड को अपने अंदर आसानी से अड्जस्ट कर ले.



अपने लंड को अपनी बहन की चूत में पेलते ही ज़ाहिद ने जल्दी से अपने मुँह को आगे बढ़ा कर शाज़िया के मुँह पर रखा.

अब उपर से अपनी बहन की छाती से छाती मिलाते हुए ज़ाहिद अपनी बहन की गरम ज़ुबान से अपनी नुकीली ज़ुबान लड़ा रहा था.



जब कि नीचे से ज़ाहिद के ज़ोर दार झटके की वजह से शाज़िया की चूत अपने आप खुलती चली गई.और उस के भाई का लंड अपने आप ही अपना रास्ता बनाता हुआ शाज़िया की तरसती हुई फुद्दि में अपनी जगह बना रहा था.

शाज़िया तो अपने भाई के इस ज़ोर दार झटके की वजह से पूरी आवाज़ में चीखना भी चाहती थी. मगर अपना मुँह अपने भाई के मुँह में दबे होने की वजह से वो ऐसा नही कर पाई.

ज़ाहिद थोड़ी देर ऐसे ही अपनी बहन शाज़िया की छाती पर पड़ा पड़ा अपनी बहन के होंठो का रस पीता रहा.और फिर कुछ देर बाद अपने जिस्म को शाज़िया के जिस्म से थोड़ा ऊपर उठा कर ज़ाहिद ने शाज़िया के मोटे निपल को अपने मुँह में भरते हुए अपनी बहन से कहा “ हाईईईईईईई आज तो मेरे मेरे लंड की तो किस्मत ही खुल गई है मेरी जान.”

“क्यों वो कैसे भाईईईईईईई” अपने भाई के जवान जिस्म के बोझ तले दबी दबी हुई शाज़िया ने अपने भाई से पुछा.

“ क्यों कि ज़िंदगी में आज पहली बार मेरा लंड किसी औरत की चूत में पूरा घुसा है,और खुशी की बात ये है कि वो औरत कोई और नही बल्कि मेरी अपनी सग़ी बहन है” ज़ाहिद ने मस्ती में आते हुए अपनी बहन के निपल पर अपने दाँत गढ़ा दिए.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़,हाईईईईईईईईईईईई क्या आप सच कह रहे हैं भाई” अपने भाई के दाँतों के काटने और उस के लंड की गरमआइश और सख्ती को अपनी फुद्दि में महसूस करते हुए शाज़िया चिल्लाई.”क्या? वाकई ही आप का पूरा लंड मेरी फुद्दि के अंदर चला गया है भाईईईईईई.”

“हां मेरी बहन तुम्हारी चूत मेरा बड़ा और मोटा लंड पूरा का पूरा अपने अंदर निगल चुकी है, 'क़सम से शाज़िया, क्या गरम तंदूर की तरह दहकती हुई फुद्दि है तुम्हारी! तुम्हारी फुद्दि ने मेरे लंड को ऐसे अपने लिप्स में जकड़ा हुआ है जैसे पहली दफ़ा लंड इस में गया हो,हाईईईईईईईईई “ ज़ाहिद ने अपनी बहन की तपती फुद्दि में अपने लंड को प्यार से घुमाते हुए कहा.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

Post by Kamini »

superb updates super story
Post Reply