वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास ) complete

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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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जब शाज़िया नीलोफर की उंगली चूस चूस कर थक गई. तो उस ने नीलोफर की उंगली को अपने मुँह से निकाला. और अपने भाई ज़ाहिद की तरह वो भी अपने होंठो पर ज़ुबान फेर कर मज़े से नीलोफर की तरफ देख कर मुस्कुरा दी.

“दिल भर गया है तो चलो अब तुम को इस टेस्टी लंड से असल ज़िंदगी में मिलवा दूं” नीलोफर ने शाजिया को उस के बाज़ू से पकड़ा और ड्रॉयिंग रूम की तरफ चल पड़ी. जिधर सोफे पर बैठा हुआ ज़ाहिद पॅंट में खड़े अपने लंड को हाथ से मसल्ते हुए उन दोनो के इंतिज़ार में था.

“लो जी आज एक गरम लंड और प्यासी चूत की पहली मुलाकात हो गई,अब जल्दी से आगे बढ़ कर एक दूसरे के जवान प्यासे जिस्मो की प्यास बुझा दो तुम दोनो,साजिदा मीट रिज़वान ,और रिज़वान प्लीज़ मीट साजिदा, मेरी प्यारी और बे इंतिहा गरम सहेली” ड्रॉयिंग रूम में एंटर होते हुए नीलोफर ज़ोर से बोली और उस ने मूड कर ड्राइंग रूम के दरवाज़े को बंद किया तो घर के एक कमरे में छुप कर बैठे हुए नीलोफर के भाई जमशेद ने बाहर से कुण्डी लगा दी. ता कि शाज़िया को ड्राइंग रूम से भाग जाने का मोका ना मिले.

सोफे पर बैठे हुए ज़ाहिद और नीलोफर के पहलू में खड़ी शाज़िया की नज़रें जब आपस में मिली. तो दोनो बहन भाई एक दूसरे को यूँ अपने सामने देख कर हेरत जदा रह गये.

दोनो बहन भाई को यूँ अचानक एक दूसरे के सामने आ कर इतना शॉक पहुँचा. जिस से एक तरफ शाज़िया की गरम फुद्दि में से बहता हुआ पानी रुक गया.तो दूसरी तरफ ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अकड़ने की जगह की तरह फॉरन बैठ गया.

नीलोफर ने आज शाज़िया और ज़ाहिद की हालत बिल्कुल ऐसे कर दी थी. जैसे आज से कुछ महीने पहले नीलोफर और उस के भाई जमशेद की ज़ाहिद के सामने बैठे हुए हो रही थी.

दोनो बहन भाई शर्मिंदगी और हेरत का बुत बने एक दूसरे को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहे थे. उन दोनो को यकीन नही हो रहा था. कि वो ज़िंदगी में कभी इस तरह भी आपस में मुलाकात करेंगे.

“नीलोफर ये क्या मज़ाक है,ये साजिदा नही बल्कि मेरी सग़ी बहन शाज़िया है” ज़ाहिद ने हेरान होते हुए नीलोफर से कहा.

“में जानती हूँ कि ये तुम्हारी बहन शाज़िया है ज़ाहिद, और इसी बहन की फुद्दि का पानी अभी अभी बारे शौक से चखा है तुम ने मेरे यार” नीलोफर ने मुस्कुराते हुए ज़ाहिद को जवाब दिया.

“क्या” नीलोफर के जवाब पर दोनो बहन भाई के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ निकले.

शाज़िया की हालत देख कर यूँ लग रहा था. जैसे उस के जिस्म से किसी ने खून का आखरी क़तरा भी निकाल लिया हो.जिस से वो एक ज़िंदा लाश बन गई हो.

शाज़िया को समझ नही आ रहा था कि ये सब किया है. और क्यों उस की सहेली ने जानते बूझते उन दोनो बहन भाई के साथ इतना घटिया ड्रामा किया है.

शाज़िया को नीलोफर पर बे इंतिहा गुस्सा आने लगा. उस का बस नही चल रहा था कि वो नीलोफर को क़ातल ही कर दे. जिस ने उन दोनो बहन भाई को धोके में रख कर ना सिर्फ़ उन को एक दूसरे के नंगे जिस्म के एक एक हिस्से से रूबरू कर वा दिया था. बल्कि उस ने आज उन दोनो सगे बहन भाई के लंड और फुद्दि का पानी भी एक दूसरे को चखवा दिया था.

बहरहाल अब जो भी हो शाज़िया अब मज़ीद उधर रुक कर अपने आप को मज़ीद तमाशा नही बनाना चाहती थी .इसीलिए उस ने इरादा किया कि वो जल्द अज जल्द उधर से निकल जाय.

ये सोच कर वो वापिस जाने के लिए ज्यों ही मूडी तो ड्रॉयिंग रूम के दरवाज़े को बाहर से बंद पाया.

“दरवाज़ा खोलो और मुझे जान दो” शाज़िया ने इंतिहाई गुस्से से नीलोफर को कहा.

नीलोफर ने शाज़िया के गुस्से को नज़र अंदाज़ करते हुए उस के पीछे आ कर शाज़िया को कंधे से पकड़ते हुए कहा “शाज़िया में जानती हूँ तुम दोनो बहन भाई इस वक्त मेरी की हुई इस हरकत पर बहुत गुस्से में हो,मगर रुक जाओ में सारी बात तफ़सील से बताती हूँ कि मैने ये सब क्यों किया”

शाज़िया: छोड़ो मुझे जाने दो,मुझे तुम को अपनी सहेली कहते हुए भी शर्म आ रही है नीलोफर.

“ शाज़िया प्लीज़ सिर्फ़ चन्द मिनिट्स रुक जाओ मैं तुम को आज सब कुछ खुल कर बता देती हूँ” नीलोफर ने शाज़िया को पकड़ कर अपने साथ ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठाते हुए कहा.
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mai to bahut pasand kar rhi hu,,,,,,,,,,but y sab purane parts h.....ab aage ki kab tak
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rajaarkey
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Re: वक्त ने बदले रिश्ते ( माँ बनी सास )

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शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. कि अपनी भाई की मौजूदगी में वो अंदर एक लम्हा भी रुके.मगर ड्राइंग रूम का दरवाज़ा बाहर से बंद होने की वजह से उस के पास अब ड्राइंग रूम में ही रुकने के अलावा कोई चारा नही था. इसीलिए वो मजबूरन नीलोफर के साथ सोफे पर बैठ गई और अपनी नज़रें नीचे फर्श पर गाढ दीं.

फिर नीलोफर ने शुरू से ले कर आख़िर तक शाज़िया को अपनी ज़िंदगी की सारी कहानी उसी तरह बयान कर दी. जिस तरह आज से कुछ महीने पहले उस ने शाज़िया के भाई एएसआइ ज़ाहिद को सुनाई थी.

जिस में नीलोफर ने अपने और अपने भाई जमशेद के जिन्सी ताल्लुक़ात का किस्सा भी खुलम खुले अल्फ़ाज़ में पूरी तफ़सील से शाज़िया को बता दिया.

साथ साथ नीलोफर ने शाज़िया को ये भी बता दिया.कि कैसे ज़ाहिद के पोलीस रेड के दौरान रंगे हाथों पकड़े जाने और फिर ज़ाहिद के हाथों ब्लॅकमेल होने के डर से ही नीलोफर ने उन दोनो बहन भाई शाज़िया और ज़ाहिद को भी एक दूसरे के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के लिए आमादा करने का सोचा.

शाज़िया अपनी दोस्त की सारी बातों को हेरत के साथ सुन तो रही थी.लेकिन साथ उसे शरम भी आ रही थी. कि उस का अपना सगा बड़ा भाई भी उसी कमरे में उस के साथ बैठा सारी ये सारी बातें सुन रहा है.

नीलोफर की सारी बाते सुनने के दौरान शाजिया को नीलोफर पर गुस्से बढ़ने के साथ साथ इस बात पर भी हैरत हो रही थी. कि क्यों उस के भाई ज़ाहिद ने उन दोनो बहन भाई के साथ की गई नीलोफर की इस जानिब पर शाज़िया की मुक़ाबले कम गुस्से का इज़हार किया था.

इधर ज़ाहिद का हाल ये था. कि पहले पहल तो उसे भी नीलोफर की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया था.मगर अब जब उस ने देखा कि उस की बहन शाज़िया सामने वाले सोफे पर बैठ कर मजबूरन अपनी सहेली की बातों को सुन रही है. तो उसे नीलोफर की उन दोनो बहन भाई के साथ की गई इस हरकत पर आने वाला गुस्सा अब प्यार में बदल गया.

वो अब दिल ही दिल में नीलोफर का शूकर गुज़ार होने लगा. के जिस ने अंजाने में उन दोनो बहन भाई के जिस्मो का एक दूसरे का ना सिर्फ़ नज़ारा करवा दिया था. बल्कि उन दोनो की आपस में मुलाकात करवा कर शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ कायम बहन भाई वाले रिश्ते की झिझक और शरम के पर्दे को उतार फैंका था.

फिर ज्यों ही नीलोफर की बात ख़तम हुई. तो ड्राइंग रूम का दरवाज़ा खुला और नीलोफर का भाई जमशेद अंदर मुस्कुराता हुआ अंदर दाखिल हुआ.

“इस से मिलो शाज़िया, ये है मेरा भाई जमशेद, जो मेरा भाई भी है और मेरा यार भी’ ये कहते हुए नीलोफर भी अपने भाई को देख कर मुस्करते हुए सोफे से उठ खड़ी हुई.

जमशेद चलता हुआ अपनी बहन नीलोफर के नज़दीक पहुँचा. और अपनी बहन को अपनी बाहों में क़ैद करते हुए. उस ने अपने होन्ट नीलोफर के होंठो पर रख कर बहन के गुलाबी होंठो का रस चूमने लगा.

साथ ही साथ जमशेद का एक हाथ नीलोफर के पेट से होता हुआ उस की छाती पर आया. और शाज़िया के देखते ही देखते जमशेद ने नीलोफर के एक मम्मे को अपने हाथ में ले कर किस्सिंग के दौरान मसलना शुरू कर दिया.

शाज़िया अपनी सहेली और उस के भाई की इस हरकत को आँखे पर फाड़ कर ऐसे देखे जा रही थी.जैसे नीलोफर और उस का भाई जमशेद कोई आम इंसान नही बल्कि किसी दूसरे ग्रह का प्राणी हो.

दोनो बहन भाई को यूँ एक दूसरे से लिपटा देख कर शाज़िया के जिस्म से पसीने छूटने लगे.

उसे यकीन नही हो रहा था. कि वो जो कुछ अपनी आँखों के सामने होता देख रही है. वो वाकई ही ये हक़ीकत में हो भी सकता है.

शाज़िया का अब उधर अपने भाई के सामने बैठ कर ये सब देखना ना मुमकिन हो गया.

इसीलिए वो तेज़ी से उठी और दौड़ते हुए नीलोफर के कमरे से अपना पर्स उठा कर घर से बाहर निकल गई.

नीलोफर ने इस बार शाज़िया को रोकने की कोशिस नही की और जान बूझ कर उसे जाने दिया.

ज्यों ही शाज़िया कमरे से बाहर निकली. ज़ाहिद ने उठ कर नीलोफर को जमशेद की बाहों से निकाला और उसे अपनी बाहों में भरते हुए नीलोफर को दीवाना वार चूमने लगा.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ ज़ाहिद पागल हो गये हो क्या” नीलोफर ने ज़ाहिद को जब उसे यूँ पागलो की तरह अपने चेहरे,गर्देन और होटो को चूमते देखा तो बोली.

नीलोफर तो ज़ाहिद की तरफ से गुस्से के इज़हार की तव्क्को कर रही थी.मगर उसे ज़ाहिद का ये अंदाज़ देख कर एक खुश गंवार हेरत हुई.

“हां में वाकई ही पागल हो गया हूँ निलो, यार तुम ने आज वो काम किया है जिस के लिए में उस वक्त से तरस रहा था, जब पहली बार तुम दोनो बहन भाई से मुलाकात हुई थी” ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मे को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए कहा.

“और वो काम क्या है कुछ हम को भी तो बताओ” नीलोफर सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनने की आक्टिंग करते हुए बोली.

“तुम दोनो बहन भाई की चुदाई देखने के बाद मेरे दिल में भी अपनी बहन शाज़िया के साथ जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने का ख्याल आ गया. मगर मुझे में ना तो जमशेद की तरह अपनी बहन के साथ किसी किस्म की हरकत करने का होसला था. ना ही मुझे ये समझ आ रही थी कि में शाज़िया से अपने दिल ही बात कैसे कहूँ,मगर तुम ने हम दोनो बहन भाई को एक दूसरे के नंगे जिस्मो का दीदार करवा कर मेरा आधा काम आसान कर दिया है,अब इस से अगला काम मेरा है. और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही जमशेद की तरह में भी अपनी बहन की फुद्दि का मज़ा लेने में कामयाब हो जाऊं गा” ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मो को हाथ से दबाते और मसलते हुए कहा.

साथ ही ज़ाहिद ने नीलोफर को सोफे पर बैठाया और नीलोफर के एक तरफ जमशेद जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद आ कर बैठ गया.

अब नीलोफर उन दोनो के दरमियाँ थी. और ज़ाहिद नीलोफर के मुँह में मुँह डालने के साथ साथ नीलोफर के जवान मम्मो के साथ भी खेलने में मसरूफ़ था.

जब कि दूसरी तरफ से नीलोफर का भाई जमाशेद अपनी बहन के कानो और गर्देन पर किस्सस करता हुए नीलोफर के दूसरे मम्मे को छेड़ रहा था.

ज़ाहिद नीलोफर के जुवैसी होंटो को काटता हुआ बोला “नीलोफर में तो पहले ही अपनी बहन के लिए पागल हो रहा था. मगर याकीन मानो आज जब से मुझे ये पता चल चुका है कि कपड़ों के बिना मेरी अपनी बहन शाज़िया का जिस्म इतना जबर्जस्त है तो अब मेरे लिए उस से एक पल भी दूर रहना मुमकिन नही.
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ज़ाहिद अभी इतनी ही बात कह पाया कि उस के टेबल पर रखे फोन की घेंटी बज उठी.

ज़ाहिद ने नीलोफर से अलहदा होते हुए अपना फोन चेक किया. तो स्क्रीन पर उस के पोलीस स्टेशन का नंबर शो हो रहा था.

ज़ाहिद ने फोन का जवाब दिया तो उस को खबर मिली कि उस के एरिया में एक क़तल हो गया है.

पोलीस स्टेशन का इंचार्ज होने की वजह से ज़ाहिद का मोका ए-वारदात पर जाना लाज़मी था. इसीलिए ज़ाहिद को ना चाहते हुए भी नीलोफर के घर से जाना पड़ गया.

ज़ाहिद के घर से जाने के बाद जमशेद नीलोफर को ले कर उस के कमरे में चला आया. और अपने और अपनी बहन के कपड़े उतार कर नीलोफर को उस के सुहाग के बेड पर ज़ोरदार तरीके से चोदने लगा.

शाज़िया बोझल कदमो के साथ अपने घर लोटी. वो आज पेश आनी वाले सुरते हाल से बहुत ही परेशान और रंजीदा थी.

शाज़िया की खुश किस्मती थी. कि उस की अम्मी उस वक्त अपने कमरे में बैठी फोन पर किसी से बातों में मसरूफ़ थी.

वरना उस की अम्मी रज़िया बीबी के लिए अपनी बेटी के चेहरे पर मजूद गुस्से,गम और परेशानी का असर पड़ना कोई मुश्किल काम ना होता.और उस के बाद फिर शाज़िया के लिए अपनी अम्मी के सवालों का जवाब देना या उन को टालना भी कोई आसान बात ना होती.

शाज़िया खामोशी से चलती हुई अपने कमरे में घुसी. और बिस्तर पर गिरते ही फूट फूट कर अपने साथ होने वाले वाकये पर ज़रो कतर रोने लगी.

आज का पेश आने वाला वाकीया उस के लिए ना काबले बर्दाश्त था. उस को समझ में नही आ रहा था. कि वो आज के बाद अपने सगे भाई का सामना कैसे करे गी.

जो उस का पूरा नंगा जिस्म ना सिर्फ़ देख चुका था. बल्कि वो अपनी चॅट के दौरान उस के बदन की तारीफ के पुल बाँधते हुए अंजाने में अपनी ही सग़ी बहन को अपनी महबूबा बनाने का इरादा ज़ाहिर कर चुका था.

जब कि शाज़िया को इस के साथ साथ अपने आप से भी घिन आने लगी थी. कि कैसे वो नीलोफर की बातों में आ कर अंजाने में अपने ही सगे बड़े भाई के लंड की दीवानी हो कर उस से चुदवाने पर तूल गई.और फिर उसे मिलने और प्यार करने नीलोफर के घर भी जा पहुँची थी.

दिन भर के सारे वाकीयत को सोच सोच कर शाज़िया पागल हुई जा रही थी.

सोचते सोचते उस का दिल चाहा कि वो कमरे में लगे पंखे के साथ लटक कर खुद खुशी कर ले.

मगर शाज़िया एक निहायत डरपोक लड़की थी.इसीलिए चाहते हुए भी अपने इस ख्याल को अमली जामा पहनाने की उस में हिम्मत नही हुई.

फिर कब वो रोते रोते सो गई ये उस को खुद भी पता ना चला.

रात के तकरीबन 8 बजे उस की अम्मी ने आ कर उसे उठाया. तो वो अम्मी से अपनी तबीयत का बहाना बना कर बिस्तर पर ही पड़ी रही.

रज़िया बीबी समझी कि उस की बेटी शायद स्कूल में मसरूफ़ियत की वजह से थक गई है. इसीलिए शाज़िया की अम्मी ने भी उसे ज़्यादा तंग ना किया और उस का खाना कमरे में ही रख कर खुद बाहर टीवी लाउन्ज में चली गईं.

शाज़िया के दिल की तरह उस की भूक भी आज जैसे उड़ चुकी थी. इसीलिए उस ने पास रखे खाने को नज़र उठा कर भी ना देखा और गुम सूम पड़ी कमरे की छत (रूफ) को घूरती रही.

फिर जब उस का ज़हन सोच सोच कर थक गया. तो वो दुबारा से नींद की वादी में डूब गई.

उस रात हस्बे मामूल ज़ाहिद अपनी ड्यूटी से लेट वापिस आया. तो उस वक्त तक उस की अम्मी और शाज़िया दोनो अपने कमरे में सो चुकी थी.

ज़ाहिद ने दिल ही दिल में सुख का सांस लिया.क्यों कि आज दिन में पेश आने वाले वाकिये के बाद अभी उस में भी अपनी बहन का सामना करने का होसला नही पैदा हुआ था.

फिर ज़ाहिद भी अपने कमरे में चला आया. और बिस्तर पर लेट कर अपनी बहन शाज़िया के बारे में सोचने लगा.

शाज़िया के बारे में सोचते सोचते ज़ाहिद के ज़हन में वो मंज़र याद आने लगा. जब उसने पिंडी से वापिसी पर पहली बार अपनी बहन को उस के कमरे में सोता देखा था. और अपनी बहन शाज़िया की मोटी भारी गान्ड को देख कर उस का दीवाना हो गया था.

फिर एक एक कर के वो सारे मंज़र ज़ाहिद के दिमाग़ में एक फिल्म की तरह चलने लगे.

जब उस ने पिछले चन्द दिनो में किसी ना किसी सेक्सी पोज़ में अपनी सग़ी बहन के गरम बदन का नज़ारा किया था.

इस के साथ साथ जब ज़ाहिद नीलोफर की दिखाई हुई शाज़िया की नंगी तस्वीरो और अपनी बहन की चूत के नमकीन पानी के जायके को ज़हन में लाया. तो अपनी बहन के नंगे वजूद को याद करते हुए ज़ाहिद तो जैसे पागल हो गया.

शाज़िया के मुतलक सोचते सोचते ज़ाहिद को यकीन हो गया कि.उस की अपनी सग़ी बहन ही वो औरत है. जिस औरत की तलाश में उस का लंड मारा मारा फिरता हुआ कई औरतों की फुद्दियो की सैर करता रहा है.

जिस औरत को वो आज तक बाहर की दुनिया में तलाश करता रहा.वो औरत तो उस की बहन के रूप में उस के अपने घर में छुपी हुई है.

और उस ने अपने दिल में ये फ़ैसला कर लिया कि अब कुछ भी हो. वो भी जमशेद की तरह अब अपनी सब शर्मो हया को एक तरफ रखते हुए.जल्द आज़ जल्द अपनी बहन को अपने बिस्तर की ज़ीनत बना कर उस की चूत का मज़ा ज़रूर ले गा.

क्यों कि बकॉल एक पंजाबी के शायर के,

“अन पग इशक दी भादी नई
जीने बहन बना के याडी नई”.

(उस शक्स का इश्क उस वक्त तक मुकम्मल नही होता. जब तक वो किसी लड़की को अपनी बहन कह कर ना चोद ले)

फिर शाजिया के बारे में ही सोचते और अपने लंड से खेलते खेलती ज़ाहिद भी आख़िर कार सो गया.

दूसरे दिन सुबह सवेरे ज़ाहिद तैयार हो कर पोलीस स्टेशन जाने के लिए अपने कमरे से निकला. तो उस ने अपनी बहन शाज़िया को किचन में अम्मी के साथ नाश्ते बनाते देखा.

शाज़िया से कल नीलोफर के घर की मुलाकात के बाद दोनो बहन भाई के अपने घर में ये पहला आमना सामना हुआ था.

अपनी बहन को किचन में अपनी अम्मी के साथ कायम करते देख कर ज़ाहिद के दिल के साथ साथ उस के लंड की धड़कन भी तेज हो गई.

जब कि ज़ाहिद ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ. तो अपने भाई ज़ाहिद को आता देख कर शाज़िया के भी पसीने छूटने लगे.

कल के वाकई के बाद उस में अभी भी अपने भाई से नज़रें मिलाने की हिम्मत ना हुई.

ज्यों ही ज़ाहिद शाज़िया और अपनी अम्मी के नज़दीक पहुँचा तो शाज़िया ने एक दम से अम्मी की तरफ ध्यान देते हुए कहा “अम्मी भाई आ गये हैं आप इन के साथ बैठ कर नाश्ता कर लो”.

ये कहते हुए अपनी नज़रें झुका कर शाज़िया किचन में रखे हुए टेबल पर चाइ और नाश्ता रखने लगी.

रज़िया बीबी: शाज़िया बेटी आओ तुम भी हमारे साथ बैठ कर नाश्ता कर लो ना.

“नही अम्मी में चाइ के साथ रस खा चुकी हूँ,आप नाश्ता करें में थोड़ी देर में आती हूँ” शाज़िया अपने भाई के सामने मज़ीद रुकना नही चाहती थी. इसीलिए वो बहाना बना कर अपने कमरे में चली गई.
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ज़ाहिद कुर्सी पर बैठ कर गान्ड मटकाती हुई अपनी बहन शाज़िया को किचन से बाहर जाता देख कर उस के भारी कुल्हों की पहाड़ियों में खो गया.

शाज़िया के जाने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के साथ मिल कर नाश्ता किया और फिर अपनी ड्यूटी पर चला गया.

कमरे में पहुँच कर शाज़िया ने अपनी बिखरी सांसो को संभाला और अपना फोन उठा कर अपने स्कूल के प्रिन्सिपल से फोन पर तीन दिन की छुट्टी की रिक्वेस्ट की. जिस को प्रिन्सिपल ने मंज़ूर कर लिया.

उस रोज़ वाले वाकिये की वजह से आज शाज़िया का अपने स्कूल जाने और अपनी सहेली नीलोफर से मिलने को दिल नही कर रहा था. इसीलिए उस ने स्कूल से तीन दिन की ऑफ ले कर घर रहना ही मुनासिब समझा.

उस दिन जब नीलोफर ने अपनी सुजकी वॅन में शाज़िया को ना देखा. तो वो समझ गई कि आज शाज़िया ने आज स्कूल से छुट्टी मारी है.

नीलोफर ने स्कूल पहुँच कर शाज़िया को फोन मिलाया. तो अपने कमरे में बैठी शाज़िया ने नीलोफर का नंबर देख कर नफ़रत से फोन पर थुका, मगर फोन का जवाब नही दिया.

फोन की बजती बेल की आवाज़ सुन कर नीलोफर को अंदाज़ा हो गया कि शाज़िया जान बूझ उस का फोन अटेंड नही कर रही. नीलोफर समझ गई कि शाज़िया अभी तक उस की हरकत पर उस से नाराज़ है.

“कोई बात नही मुझे शाज़िया को एक दो दिन का वक्त देना चाहिए,ता कि उसे आराम और सकून से इस सारे मामले पर गौर करने का वक्त मिल सके” नीलोफर ने अपने आप से कहते हुए फोन की लाइन काट दी.

अगले दो दिन शाज़िया ने अपने घर में और ज़्यादा तर अपने कमरे में ही रह कर गुज़ारे. और अपने और अपने भाई ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले सारे किससे के मुतलक सोचती और दिल ही दिल में कुढती और रंजीदा होती रही.

घर में रहने के दौरान उस ने पूरी कोशिस रही. कि उस का अपने भाई ज़ाहिद से आमना सामना नही हो पाए.

इसीलिए जब भी ज़ाहिद घर आता. तो शाज़िया अपने आप को अपने कमरे तक सीमित कर लेती.

जब कि इन दो दिनो में ज़ाहिद की ये कोशिस रही. कि वो किसी तरह मोका देख कर शाज़िया से एक दफ़ा बात तो कर के देखे.

मगर शोमी किस्मत कि जब भी वो नोकरी से घर आया उस ने अपनी अम्मी को घर में ही मौजूद पाया. जिस वजह से ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया से कोई बात करने का मोका ना मिला पाया.

इस दौरान उस ने नीलोफर से भी पूछा कि उस का रब्ता शाज़िया से हुआ ही कि नही. तो नीलोफर का जवाब भी नही में था.

ज़ाहिद ने अपने पोलीस स्टेशन और रात को अपने कमरे से खुद भी शाज़िया के दोनो नंबर्स पर कॉल करने की ट्राइ की. मगर उसे अपनी बहन शाज़िया के दोनो नंबर्स हमेशा बंद ही मिले.

पोलीस वालों की नोकरी भी अजीब होती है. कभी कभी किसी बेगुनाह आदमी को पोलीस इनकाउंटर में मार दो तो भी कुछ नही होता. और कभी सही काम करने पर भी सस्पेंड हो जाते हैं.

अपने बाकी जाती भाइयो (पोलीस कॉलीग्स) की मुक़ाबले ज़ाहिद इस मामले में खुशकिस्मत था.कि अपनी नोकरी के दौरान वो अभी तक किसी केस में सस्पेंड नही हुआ था.

उस की वजह ये थी कि वो अपने हर बड़े ऑफीसर से हमेशा बना कर रखता था.

मगर कहते हैं ना कि बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी. बिल्कुल इसी तरह शाज़िया वाले वाकये के तीसरे दिन जब ज़ाहिद दोपहर को अपने पोलीस स्टेशन गया. तो उस को पता चला कि एक केस की ग़लत इंक्वाइरी करने की वजह से एसपी साब ने उस को चार दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है.

ज़ाहिद ये सज़ा पा कर बहुत खुश हुआ. कि चलो इस बहाने उस को अपने घर में आराम करने और अपनी बहन के नज़दीक आने का टाइम और मोका तो मिल पाए गा.

वरना 24 घंटे और 7 दिन की पोलीस ड्यूटी के दौरान ज़ाहिद को अपने घर में रहने का टाइम कम ही मिल पाता था.

उस दिन दोपहर में खलफ़े मामूल ज़ाहिद दिन के तकरीबन 4 बजे अपने घर चला आया. उस वक्त ज़ाहिद ने अपनी पोलीस यूनिफॉर्म की बजाय शलवार कमीज़ पहनी हुई थी.

जब ज़ाहिद घर में दाखिल होने लगा. तो उस ने अपनी अम्मी को घर से बाहर निकलते देखा.

“बेटा आज जल्दी घर चले आए,ख़ैरियत तो है ना” रज़िया बीबी ने घर से बाहर आते हुए अपने बेटे ज़ाहिद को देखा तो पूछने लगी.

“हां अम्मी जी ख़ैरियत ही है,आप किधर जा रही हैं?” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के सवाल का जवाब देते हुए ,उन से सवाल पूछा.

“बेटा में इधर मोहल्ले में ही किसी के घर जा रही हूँ,तुम चलो में अभी थोड़ी देर में आई” कहते हुए रज़िया बीबी चली गई.

जब ज़ाहिद घर में एंटर हुआ. तो उस ने अपनी बहन शाज़िया को ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठे हुए पाया.


शाज़िया सोफे पर अपनी राइट टाँग को अपनी लेफ्ट टाँग पर रख कर इस अदा से बैठी हुई थी. कि ड्राइंग रूम में दाखिल होते ज़ाहिद को राइट साइड अपनी बहन की मोटी रान और उस की भारी और बड़ी गान्ड का भरपूर नज़ारा देखने को मिल गया.

शाज़िया ताज़ा ताज़ा नहा कर बाथरूम से निकली थी. जिस वजह से उस के सारे बाल अभी तक गीले थे.

शाज़िया का खिला खिला और धुला धुला चेहरा और गीला महकता जिस्म. जिस की मदहोश करने वाली महेक किसी भी मर्द के होश उड़ा कर रख दे.

दुपट्टे के बगैर उस की कमीज़ में कसे हुए शाज़िया के मोटे और भारी मम्मे दूर से सॉफ नज़र आ रहे थे.और फिर ऊपर से शाज़िया की गान्ड का “फेलाव” उफफफफफफ्फ़ क्या ही उम्दा जिस्म था शाज़िया का.

ताज़ा ताज़ा नहा कर निकलने से शाज़िया की कमीज़ उस के जिस्म से चिपक रही थी. और उस के गीले बाल उस वक्त शाज़िया के हुश्न में इज़ाफ़ा कर रहे थे.

ज़ाहिद दरवाज़े पर ही खड़ा हो कर अपनी बहन के जवान प्यासे जिस्म का जायज़ा लेने लगा था.

बहन के गरम और प्यासे बदन को देख देख कर उस का लंड उस की शलवार में तन कर खड़ा हो गया.

अम्मी की गैर मौजूदगी में ज़ाहिद के लिए आज एक बहुत ही अच्छा मोका था. कि वो अपनी बहन से अब अपने दिल की बात कह सके.

इसीलिए ज़ाहिद आहिस्ता से चलता हुआ आ कर अपनी बहन के साथ सोफे पर बैठ गया.

अपने भाई के यूँ पास बैठने से शाज़िया तो जैसे शर्म से अपने ही अंदर सिमट कर रह गई.

ज़ाहिद ज्यों ही सोफे पर बैठा तो शाज़िया एक दम से उठी और अपने कमरे में जाने लगी.

ज़ाहिद अपना शिकार हाथ से निकलता देख कर एक दम शाजिया के पीछे भागा. और शाज़िया को पीछे से पकड़ कर उसे ड्राइंग रूम की दीवार से लगा दिया.

ज़ाहिद: शाज़िया में तुम से कुछ कहना चाहता हूँ.

“छोड़ो भाई अब हमारे दरमियाँ कहने को कुछ बाकी नही रहा” शाज़िया ने ज़ाहिद को अपने आप से अल्हेदा करने की कोशिस की.

“हमारी कहानी तो अभी शुरू हुई है मेरी बहन” ज़ाहिद ने शाज़िया के दोनो कंधो को मज़बूती से अपने हाथों में जकड़ते हुए कहा.

“किया मतलब आप का” शाज़िया ने अपने भाई के इस जवाब पर हेरत से उस की आँखों में देखते हुए पूछा.

“मातब ये कि शाजिया इस से पहले हमारे दरमियाँ जो कुछ हुआ वो सब अंजाने में हुआ. नीलोफर ने बे शक गुस्से में आ कर मुझ से बदला लेने के लिए हम दोनो बहन भाई से ये सब ड्रामा रचाया. मगर सच पूछो तो इस सारे खेल में, अंजाने में तुम को मिले बिना ही,में अपना दिल तुम को दे बैठा था, मुझे पता है कि मेरी ये बात तुम को बुरी लगेगी.मगर ये हक़ीकत है कि जब से मुझे पता चला है कि मेरे सपनो की रानी कोई आम औरत नही. बल्कि मेरी अपनी सग़ी बहन है. तो यकीन मानो मेरा ये इश्क तुम से कम होने की बजाय पहले से भी बढ़ गया है. “आइ लव यू शाज़िया, नोट ऐज बहन ,बट ऐज आ मॅन लव्स आ विमन”.

अपनी बहन से पहली बार अपने दिल की बात कहते हुए अगले ही लम्हे ज़ाहिद के होन्ट सीधे शाज़िया के होंटो की तरफ बढ़ाए.

(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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