होता है जो वो हो जाने दो complete

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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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राहुल को हड़बडा़ता हुआ देखकर नीलू मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए अपनी नजर को फीर से फेर ली।
मीनू की नजर हटते ही राहुल ने चैन की सांस ली। और वापस नीलू की मस्तायी गांड को निहारने लगा।
लेकिन तब तक नीलू निपट चुकी थी। नीलू वैसे ही गांड को ऊचकाए हुए ऊपर नीचे करके अपनी गांड को झटके देने लगी। ताकि उसकी बुर पर लगी पेशाब की बूंदे नीचे टपक जाए। लेकिन नीलु का यूँ अपनी गांड को उचकाए हुए ऊपर नीचे कर के झटके देना राहुल के लंड के ऊपर बहुत बुरी तरह से कहर बरसा रहा था। जैसे-जैसे नीलू की गांड ऊपर नीचे हुई थी वैसे वैसे ही राहुल का लंड ऊपर नीचे होकर ठुनकी मार रहा था।
गांड को झार कर नीलू खड़ी हुई और अपनी सलवार को पैंटी सहित ऊपर सरकाने लगी। और जैसे ही सलवार की डोरी में गांठ मारना शुरू की राहुल अपनी नजर को फेर लिया। अब वह नीलू की तरफ अपनी पीठ करके खड़ा हो गया ताकी नीलू यह न समझे कि वह उसे पेशाब करते हुए देख रहा था। लेकिन राहुल बहुत नादान था वह जान कर भी अनजान बन रहा था क्योंकि वह भी जानता था कि नीलू ने उसे उसकी तरफ देखते हुए पकड़ ली थी। नीलू तो पहले से जानती थी कि जब वह पेशाब करेगी तो राहुल उसे जरूर नीहारेगा।
नीलू कपड़ों के व्यवस्थित करके राहुल के करीब आ गई और उससे अपना पर्स मांगते हुए बोली।

नीलु: चलो राहुल हो गया।
( नीलू का काम हो चुका था नीलू जान गई थी की उसका प्लान सफल हो चुका है । नीलु ने राहुल को पूरी तरह से अपना दीवाना बना चुकी थी। राहुल ने नीलु को पर्श थमा दीया। नीलू राहुल से पर्स लेकर अपने कंधे पर डालते हुए बोली।)
नीलु: और हां एक बात ओर।राहुल इस बारे में विनीत को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए ठीक है ना।
राहुल: ठीक है मैं उसे कुछ भी नहीं बताऊंगा।
( इतना कह कर राहुल नीलू के पीछे पीछे चलने लगा
और नीलू भी बहुत प्रसन्न होकर राहुल के आगे आगे अपनी गांड मटकाते हुए चलने लगी।)

रात के 10:00 बज रहे थे ।राहुल अपने कमरे में लेटा हुआ था। राहुल की तो नींद ही उड़ चुकी थी उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी। उसकी आंखों के सामने दिनभर जो कुछ भी हुआ वह उसकी आंखों के सामने एक पिक्चर की तरह चल रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने नीलू ही नीलू नजर आ रही थी।
नीलू का ख्याल आते ही राहुल के लंड में कड़कपन आना शुरु हो गया। बार-बार नीलू का राहुल के बदन से सट जाना उसका हंस हंस के बात करना। ड्रेश के अंदर हीचकोले खा रही उसकी गोल-गोल चूचियां। आइसक्रीम कौन को जीभ से चाटना और आइसक्रीम को चाटते चाटते एक दूसरे को किस करना। यह सारी बातें राहुल सोच-सोचकर मस्त हुआ जा रहा था।
उसका लड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि उसके पजामे का आगे का भाग उभर के एकदम से तंबू बना हुआ था। राहुल ना चाहते हुए भी अपने हाथ को अपने लंड पर जाने से रोक नहीं सका। राहुल नीलू को याद करके धीरे धीरे पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था। राहुल ने आज तक अपने लंड को इस तरह से मसला भी नहीं था क्योंकि आज तक उसे इस चीज़ की ज़रूरत ही कभी नहीं पड़ी थी। लेकिन राहुल भी उस उम्र के दौर से गुजर रहा था जहां पर जवानी अपना पूरा जोर लगाती है इस उम्र में इंसान का दिल की सुनता है ना दिमाग की। इस उम्र में अक्सर इंसान जवानी के जोश के आगे लाचार बेबस नजर आते हैं।
और यही हाल राहुल का भी हो रहा था नीलू की जवानी ने. उसके मदमस्त बदन के उतार चढ़ाव ने राहुल के दिलो-दिमाग पर एक जाल सा बुन दीया था।
राहुल के मन-मस्तिष्क पर नीलू ने पूरी तरह से कब्जा जमा चुकी थी।
. बार बार राहुल नीलू के बारे में सोच सोच कर अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उंगलियों से मसल रहा था
आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था और वैसे भी नींद आती भी कैसे आज जो कुछ भी राहुल के साथ हुआ था उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलने में अहम भूमिका निभाने वाला था।
राहुल को सबसे ज्यादा नीलु की जो बात परेशान कर रही थी वो थी नीलू का राहुल से बेझिझक पेशाब लगने वाली बात करना। नीलू के मुंह से पेशाब लगने वाली बात सुनकर ही राहुल का पूरा बदन गनगना गया था।
राहुल ने आज तक किसी भी लड़की के मुंह से लड़कों से यह कहते नहीं सुना था कि उसे जोर से पेशाब लगी है या पेशाब की जिक्र भी करते नहीं सुना था इसलिए राहुल के कानों से पेशाब वाली बात सुनकर राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया था।
उसे तो अपनी आंखों पर अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने अपनी जागती आंखों से नीलू को अपने सामने पेशाब करते हुए देखा है। उसे तो यह सब एक सपना ही लग रहा था। वह सोच भी नहीं सकता था कि कोई लड़की इस तरह से उसके सामने अपनी सलवार कि डोरी खोलकर अपनी सलवार को उसके सामने ही अपने घुटनों तक सरकाएगी और पेशाब करने बैठ जाएगी।उफफफफ गजब की गोल-मोल और गोरी गांड थी नीलू की और वह जिस तरह से अपनी गांड को उभार के पेशाब कर रही थी उससे तो राहुल के लंड का अकड़ पन इतना ज्यादा बढ़ गया था कि ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाए।
पेशाब करने वाले दृश्य के बारे में सोच कर ही राहुल का लंड एकदम अकड़ चुका था। राहुल का हाथ कब उसके पजामे में चला गया उसे खुद पता नहीं चला। राहुल की उंगलियां खुद ब खुद उसके टनटनाए हुए लंड के इर्द-गिर्द कश्ती चली गई अब राहुल का लंड उसकी मुट्ठी में आ चुका था और उसने अपनी मुटठी को लंड पर कस लिया था। और धीरे-धीरे मुट्ठी को ल़ंड पर कस के ऊपर नीचे करते हुए मुठियाने लगा। राहुल नहीं जानता था कि वह क्या कर रहा है। उसे इसका ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि वह जो कर रहा था उसे ही मुठ मारना कहते हैं अनजाने में ही नीलू को याद करते हुए राहुल मुठ मारने लगा था।

वही दूसरे कमरे में अलका आदम कद आईने के सामने खड़ी होकर अपनी साड़ी को खोलने लगी। साड़ी के पल्लू को जैसे ही अलका ने अपने कंधे से नीचे गिराई वैसे ही ब्लाउज मे केद दोनों बड़ी बड़ी चूचियां झलकने लगी। अलका ने एक बार अपनी नजर को नीचे झुका कर चुचियों के बीच की गहराई को देखने लगी चुचियों के बीच की गहराई को देख कर खुद ही मुस्कुरा दी और अपनी नजर के सामने दिख रही है अपनी प्रतिबिम्ब को आईने में निहारने लगी। आईने में अपनी खूबसूरती को देखकर वह मन ही मन गीत गुनगुनाते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर ब्लाउज की डोरी को अपनी नाजुक उँगलियों से खोलने लगी। ब्लाउज की डोरी को खुलते ही अलका एक-एक करके ब्लाउज को अपनी बाहों से निकाल कर अलग कर दी। अलका के बदन से ब्लाउज अलग होते ही उसकी गुलाबी रंग की ब्रा दिखई देने लगी। अलका पहले से ही अपने चूचियों के साईज के हिसाब से छोटी ही ब्रा पहनतीे थी। इसीलिए उसकी आधे से ज्यादा चुचिया ब्रा के बाहर हीे झलकती रहतेी थी। अपनी बड़ी बड़ी चूचीयो पर अलका को हमेशा से नाज रहता था। और नाज हो भी क्यों ना ईतनी बड़ी बड़ी चुचिया होने के बावजूद भी उसमें लटक पन जरा सा भी नहीं आया था। उसकी चूचियां हमेशा तनी हुई ही रहती थी।
अलका ने एक बार अपने दोनों हथेलियों मे अपनी दोनो चुचियों की गोलाइयों को भरी। और हल्के से दोनों हथेलियों को ऊपर नीचे करके अपनी चुचियों को भी हिलाई। और फिर से अपने हाथो को पीछे ले जाकर ब्रा की हुक को खोलने लगी और अगले ही पल ब्रा के हुक को खोलने के बाद एक एक कर के ब्रा की स्ट्रिप को अपने हाथों में से बाहर निकाल दि। ब्रा के निकलते ही दोनों चुचीया जेसे हवा में उछल रही हो इस तरह से ऊपर नीचे हुई। अपनी चुचियों के उछाल से खुश होकर अलका अपनी कमर से बंधी साड़ी को खोलने लगी।
साड़ी को खोलकर वह उसे बिस्तर पर फेंक दी अब उसके बदन पर सिर्फ पेटीकोट ही रह गई थी।
गीत गुनगुनाते हुए अलका अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी। डोरी की गांठ खुलते ही अलका ने अपने हाथ से पेटीकोट को नीचे छोड़ दी पेटीकोट अलका के हाथ से छूटते ही सरक कर उसके कदमों में जा गिरी। अलका की गदराई और खूबसूरत बदन पर सिर्फ पैंटी ही रह गई थी बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर गुलाबी रंग की पेंटी खूब फब रही थी। अलका की गांड इतनी ज्यादा बड़ी बड़ी और गदराई हुई थी की उसकी गांड की फांकों के बीच उसकी पैंटी धसी हुई थी जिसे अलका ने अपनी एक हाथ पीछे ले जाकर पैंटी को पकड़कर गांड की गलियारे से खींचकर बाहर निकाली अलका अपने बदन को देख कर मन ही मन बहुत खूश हो रही थी।
अलका ने अपने दोनों हाथों की उंगलियों को पेंटी की दोनों छोर पर टीकाई और अपनी नाजुक उंगलियों से पैंटी के छोर को पकड़ कर नीचे सरकाने लगी । अलका आईने में अपनी पैंटी को नीचे सरकाते हुए खुद ही देख रही थी जैसे जैसे पेंटी नीचे सरकती जाती वैसे वैसे अलका की खुद की धड़कनें तेज होती जा रही थी।
अगले ही पल अलका अपनी बुर को पेंटी के परदे से अनावृत करते हुए घुटने तक सरका कर पैंटी को वैसे ही छोड़ दी और पेंटी अपने आप शरक के अलका के कदमों में जा गिरी। अलका एकदम नंगी हो चुकी थी उसके बदन पर नाम मात्र का भी कपड़ा नहीं रह गया था। अलका आईने में अपने बदन को निहारते हुए जब अपनी नजर को जाँघो के बीच ले के गई तो उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आया। गुस्से का कारण भी साफ था । आज तक उसने अपनी बुर पर इतने ढेर सारे बाल कभी भी इकट्ठा होने नही दी थी। अपने पति से दूर रहकर भी वह हमेशा अपने बदन की साफ-सफाई मैं हमेशा स ज्यादा ध्यान देती थी।इसलिए आज अपनी बुर पर बालों के गुच्छे को देखकर खुद पर गुस्सा करने लगी। गुस्सा करते हुए ही वह अपनी हथेली को जाँघों के बीच रख दी। गरम बुर पर गर्म हथेली का स्पर्श पड़ते ही अलका को अपने बदन में सुरसुराहट का अनुभव होने लगा। अलका अपनी हथेली को अपनी बुर से सटाए हुए ही ऊपर की तरफ सरकाने लगी लेकिन इसी बीच अपनी हथेली की बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचों बीच की लकीर पर रखकर रगड़ते हुए ऊपर की तरफ सरकाई। बीच वाली उंगली की रगड़ बुर की लकीर पर इतनी तेज थी की उंगली की रगड़ बुर की लकीर में धंसते हुए ऊपर की तरफ आई। अलका की इस हरकत पर उसका बदन एक दम से झनझना गया।
बुर मे से हल्का सा पानी की बूंद बुर की उपरी सतह पर झलकने लगी। अलका के मुंह से हल्की सी सिसकारी फूट पड़ी। अलका आज वर्षों के बाद अपने बदन से इस तरह की छेड़छाड़ की थी। अलका इससे अधिक और ज्यादा बढ़ती इसे पहले ही अपने आप को संभाल ली।
वह अपने आप से ही बोली। यह मैं क्या कर रही हो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए गलत है और इतना कहकर नंगे बदन है अपने बिस्तर तक गई बिस्तर तक चलने से उसकी गांड में हो रही थीरकन इतनी गजब की थी कि अगर कोई भी उसकी गांड पर हो रही थीरकन को देख ले तो खड़े-खड़े उसका लंड पानी छोड़ दे।
अलका बिस्तर पर पड़ी अपनीे गाऊन को उठाई और उसे अपने गले में डाल कर पहनते हुए मन ही मन में बोली कि अगली बार बाजार जाऊंगी तो वीट क्रीम लाकर अपने बाल की सफाई जरूर करुँगी।
बाजार जाने के नाम से उसे एकाएक याद आया कि आज वह बाजार गई थी। और बाजार में उसे एक लड़का मिला था। जिसने सामान से भरे थैले को उठाने में उसकी मदद की थी।
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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अलका गाउन पहन चुकी थी। वह बिस्तर पर बैठ गई और बाजार वाली बात को याद करने लगी।
उसे याद आने लगा कि वह बाजार से आज ढेर सारा सामान खरीदी कर ली थी जिससे कि उसका थैला भर चुका था और वजन भी ज्यादा था जिसको उठा पाना उसके बस की बात नहीं थी। वैसे भी आज उसने घर की जरूरत होगा कुछ ज्यादा ही सामान खरीद ली थी घर से निकली थी तब वह नहीं जानती थी कि यह सब समान उसे खरीदना है। लेकिन बाजार में पहुंचकर धीरे-धीरे ढेर सारा सामान खरीद ली। वह इतना ढेर सारा सामान खरीद तो ली लेकिन वो नहीं जानती थी कि वजन इतना बढ़ जाएगा कि उससे उठाया नहीं जाएगा।
वह बाजार में हुई बात को याद करते-करते बिस्तर पर लेट गई उसे वो याद आने लगा कि किस तरह से सामान से भरी थैले को उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो उठ नहीं पा रहा था। उसे बहुत टेंशन भी होने लगी थी की थी थैला अगर उठेगा नहीं तो घर तक जाएगा कैसे। वह बिस्तर पर लेटे लेटे यही सोच रही थी कि वह उस समय कितनी परेशान हो गई थी। तभी वह लड़का दौड़ते-दौड़ते पास में आया और कैसे मेरे बिना कुछ बोले ही खुद ही थेला उठा लिया। और कितनी अच्छी बातें करता था वो।
लड़का: लाइये आंटी जी में उठा लेता हूं। ( इतना कहकर वह मेरे थेलै को उठाने लगा। और मैं उसे रोकते हुए बोली)

मै: अरे अरे रहने दो बेटा मैं उठा लूंगी। ( और वह मेरे कहने से पहले ही अपने मजबूत बाजूओ के सहारे उस वजनदार पहले को उठा लिया और बोला )

लड़का: आंटी जी मैं जानता हूं कि आप ईस थैले को नहीं उठा सकीे हैं तभी तो मैं आया हूं आपकी मदद करने। ( इतना कहने के साथ ही वह थैले को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया। मैं उससे फिर से पूछी।)

मै: तुम्हें कैसे मालूम बेटा कि मैं ये थैला नहीं उठा पाऊंगी

लड़का ; आंटी जी मैं बहुत देर से वहां बैठ कर( सामने रेस्टोरेंट की तरफ इशारा करते हुए) आपको ईस थैले को उठाते हुए देख रहा हूं लेकिन ये थैला आप से उठ ही नहीं रहा है इसलिए तो मैं वहां से इधर आया कि आपकी थोड़ी बहुत मदद कर सकु।( अलका उस लड़की की बात सुनकर मन ही मन में मुस्कुराने लगी। )
अलका; तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।

लड़का; आंटी जी इस मे शुक्रिया किस बात का। यह तो मेरा फर्ज है। वैसे आंटीजी ये थैला ले कहां जाना है। आप बताइए मैं वहां तक पहुंचा दुँ। ( अलका इस लड़के की मदद करने की भावना से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई
और इस लड़के की मासूमियत अलका को भा गई। अलका उस लड़के के मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए बोली।)

अलका;अब कैसे कहूं बेटा तुम्हें तकलीफ देते हुए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो।

लड़का: अब इसमें तकलीफ कैसी आंटी जी अब बस जल्दी से बताइए कहां ले जाना है?

अलका; ( पर्स को अपने हाथ में दबाते हुए) बस बेटा वहाँ थोड़ा आगे तक। ( हाथ से इशारा करके दिखाते हुए) वहां तक पहुंचा दो मै वहाँ से ऑटो करके घर चली जाऊंगी।
( अलका का इशारा पाते ही वह लड़का बिना कुछ बोले उस दिशा की ओर चलने लगा और उसके पीछे पीछे अलका चलने लगी। अलका मन ही मन में सोचने लगी कि यह लड़का कितना नेक दिल इंसान है। इसकी उम्र ही कितनी है मेरे राहुल जितनी हीं तो है। लेकिन इतनी कम उम्र में भी इसकी समझदारी इसका व्यवहार इसे इसकी उम्र से भी बड़ा कर देता है। अलका के मन में यह सब ख्याल आ ही रहा था कि तब तक उस लड़के ने अपने कंधे पर से थैला ऊतार के नीचे रख दिया और बोला)

लड़का: लो आंटी जी अब आ गया( इतना कहने के साथ ही वहां से एक ऑटो गुजर रहा था उसे हाथ दीखाकर रुकवा दिया। और उस ऑटो मे सामान से भरा थैला रखते हुए बोला।)

लड़का; यह लो आंटी जी आपका सामान में रख दिया अब आप को जहां जाना है आप आराम से बैठ कर चले जाइए।
( अलका को उस लड़के पर ढेर सारा प्यार उभर आया और अलका ने उस लड़के के माथे पर हाथ फेरते हुए उसका शुक्रिया अदा की और ऑटो में बैठकर अपने घर की तरफ तरफ चल दी।)
अलका बिस्तर पर लेटे लेटे उसी लड़के के बारे में सोच रीे थी लेकिन तभी उसे याद आया कि उस लड़के ने इतनी मदद की लेकिन उसने एक बार भी उस लड़के से उसका नाम नहीं पूछी। खेर कोई बात नहीं अगली बार मिलेगा तो जरुर उसका नाम पूछूंगी। अलका अपने मन में ही कह कर करवट बदल ली और पास में पड़े टेबल पर रखे लैंप की स्विच ऑफ करके बत्ती बुझाई और सो गई।
अलका जिस लड़के से इतना ज्यादा प्रभावित हुई थी वह उस लड़के के बारे में कुछ नहीं जानती थी। वह जिसे सीधा साधा और भोला भाला लड़का समझ रही थी । वह विनीत था उसके ही लड़के का दोस्त उसका हम उम्र। जो बड़ी उम्र की औरतों का शौकीन था। जो ज्यादातर बड़ी उम्र की औरतों की तरफ ही आकर्षित होता था।
अलका यह समझ रही थी कि वह लड़का उस की मदद करने के इरादे से ही उसके पास आया था और उसका थैला उठाकर उसकी मदद किया था। लेकिन अलका इस बात से बिल्कुल भी बेखबर थी कि वह बस की मदद करने के हेतु से नहीं बल्कि उसके खूबसूरत बदन और उसके भरे हुए बदन के उभार और कटाव के आकर्षण को देखकर उसके पास आया था। वह लड़का सामने के रेस्टोरेंट में बैठ कर काफी देर से अलका के हिल चाल पर नजर रखे हुए था। वह लड़का भाई रेस्टोरेंट में बैठे बैठे अलका के भरे हुए बदन को ऊपर से नीचे तक उसकी बड़ी बड़ी चुचियों की गोलाई को अपनी आंखों से ही नाप रहा था। अलका की बड़ी बड़ी गांड और उसका घेराव ही उस लड़के के आकर्षण का केंद्र बिंदु था। अलका की हर एक हलन चलन पर उस लड़के ने अपनी नजर गड़ाए हुए था। अलका जब भी थोड़ा सा भी चलती तो उसकी गांड में उठने वाली थीरकन उस लड़के के लंड में मरोड़ पैदा कर दे रही थी।
अलका जब-जब थैला उठाने के लिए नीचे झुकती तो सामने से उसकी बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में से झाँकती हुई नजर आ जा रही थी। जिसे देख कर उस लड़के की आह निकल जा रही थी। उस लड़के से अलका के बदन का उतार चढ़ाव बर्दाश नहीं हो रहा था और वह ये भी समझ गया था कि उस औरत से वह थैला ऊठ नहीं रहा है। इसलिए मैं सोचा कि वह जाकर उस खेलें को उठाने में उसकी मदद करें और काफी नजदीक से उसके खूबसूरत बदन का दर्शन भी हो जाए इसलिए वह उस रेस्टोरेंट से उठ कर अलका की मदद करने के लिए आया था।
विनीत के दिलो-दिमाग पर अलका की खूबसूरती और उसके बदन का भराव एकदम से छा चुका था। विनीत ने मन ही मन मे अलका के खूबसूरत बदन को भोगने का ठान लिया था। इसलिए विनीत ने अपना पहला दाँव चल चुका था और काफी हद तक कामयाब भी हो चुका था।

वहीं दूसरी तरफ राहुल अपने पजामे को गीला कर लीया था। उसके लंड ने इतनी तेज पिचकारी मारी थी कि उसे देख कर एक बार तो राहुल डर ही गया था यह क्या हो रहा है लेकिन लंड से पिचकारी निकलते समय मिलने वाले सुख का अहसास ने उसे आनंद के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर दिया। राहुल लंड को हिलाते हिलाते इतना मस्त हो गया था की पिचकारी निकलते समय उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी।
आज राहुल अनजाने में ही मुठ मारना सिख गया था।
आज उसे चरम सुख का अनुभव हो रहा था। बिस्तर पर पड़ी टॉवल से राहुल ने अपनी लंड को साफ किया।
नीलू के बदन का आकर्षण पुरुष की दीवानगी ने राहुल को इस कदर मजबूर कर दिया था कि जो उसने आज तक नहीं किया था उसके बारे में सोचा भी नही था कभी उसी काम को अंजाम दे कर सुख का अनुभव कर रहा था।
राहुल आज नया अनुभव पाकर प्रसन्न हो गया था।
राहुल ने भी लेंप की स्विच को दबाकर ऑफ किया और आंखों को मुँद कर सपनों की दुनिया में चला गया।

दूसरे दिन स्कूल में राहुल नीलू से आंखें नहीं मिला पा रहा था उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन छुप छुप के नीलू को नजर भर के देख ले रहा था नीलू भी विनीत से नजरें बचाकर राहुल को देखकर मुस्कुरा दे रहीे थी।
नीलू बार बार राहुल को इशारे से रिसेस के समय ऊपर की क्लास में मिलने को समझा रही थी। लेकिन राहुल नीलु के इशारे को समझ नहीं पा रहा था।
आज राहुल विनीत से भी बातें करने में भी हीचकीचा रहा था। आंखों ही आंखों से इशारा करते हुए कब रीशेष की घंटी बज गई पता ही नहीं चला। रिषेश की घंटी बजते ही सभी विद्यार्थी क्लास के बाहर चले गए विनीत भी राहुल का हाथ पकडे हुए क्लास के बाहर आ गया। नीलू छिप छिप कर उन दोनों को देख रही थी नीलू राहुल को ऊपर की क्लास में ले जाना चाहती थी क्योंकि ऊपर की क्लास ज्यादातर खाली ही रहते थी।
लेकिन वो जानती थी कि विनीत के होते हुए व राहुल के साथ ऊपर नहीं जा सकती। और विनीत था की राहुल के साथ ही चिपका रहता था। राहुल विनीत बातें करते हुए एक पेड़ की छाया के नीचे बैठ गए। नीलू वो दोनो को देख ही रही थी वह समझ गई कि आज का प्लान सक्सेस नहीं हो पाएगा। इसलिए थक हारकर वह भी उन दोनों के पास पहुंच गई।
नीलू को देखते ही विनीत बोला।

वीनीत; हाय जान तुम तो दीन ब दीन फुल की तरह खीेलती जा रही हो।( इतना कहने के साथ ही विनीत ने सबकी नजरें बचाकर अपने हाथ से नीलू की गदराई गांड को दबा कर अपना हाथ पीछे खींच लिया । युँ एकाएक अपनी गांड पर राहुल के हाथ का स्पर्श पाकर नीलू चौक ते हुए बोली।)

नीलु: क्या करते हो विनीत कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा।।
( नीलू की बात सुनते ही विनीत ने नीलू का हाथ पकड़ कर अपने नजदीक बैठाते हुए बोला)

वीनीत: अरे जान कोई नहीं देखेगा और देख भी लीया तो क्या हुआ मैं तुमसे प्यार करता हुँ। ( विनीत की बात सुनकर नीरलु मुस्कुरा दी लेकिन वही बैठे राहुल को यह सब बातें अच्छी नहीं लग रही थी पता नहीं क्यों उसे विनीत से ईर्ष्या होने लगी थी। राहुल बखूबी जानता था कि नीलू और विनीत का काफी समय से चक्कर चल रहा है लेकिन कल नीलू से मिलने के बाद से राहुल नीलू का अपना समझने लगा था इसलिए विनीत पर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से विनीत ने अपने हाथों से नीलू की नरम नरम गांड को दबाया था उसे देखते ही राहुल के लंड में झनझनाहट होने लगी थी
लेकिन राहुल विनीत को कुछ कह भी नहीं सकता था। तभी विनीत ने नीलू से कहा)

वीनीत: क्या जान आजकल तो तुम्हारी गांड बहुत ज्यादा गदराई जा रही है कहीं किसी और का तो नहीं ले रही हो? ( विनीत की बात सुनते हैं नीलू एकदम से सकपका गई लेकिन अपने आप को संभालते हुए बोली।)

नीलु; पागल हो गए हो क्या कैसी बातें कर रहे हो वो भी अपने दोस्त के सामने। वो क्या समझेगा।

वीनीत; ( राहुल की तरफ देख कर उसको आंख मारते हुए) कुछ समझ भी जाएगा तो क्या हुआ मेरी जान यह मेरा जिगरी दोस्त है किसी से कुछ भी नहीं कहेगा।( राहुल के कंधे पर हाथ रखकर अपने तरफ खींचते हुए)
क्यों राहुल सच कहा ना।
( राहुल क्या कहता वह तो मन ही मन जलभुन रहा था लेकिन फिर भी हंसते हुए हाँ मे सिर हीला दीया। तभी विनीत ने नीलू से कल के बारे में पूछा तो नीलू फिर से सक पका गई। क्या जवाब दे कुछ समझ में नहीं आ रहा था राहुल भी नीलु की तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था। वह भी यही सोच रहा था कि नीलू क्या जवाब देती है लेकिन कुछ देर तक नीलु खामोश रही। उसकी खामोशी को देखकर विनीत फिर से उसे वही सवाल दोहराया। इस बार नीलू हड़बड़ाते हुए जवाब दी)

नीलु: वो वो ककककल मै .....हाँ। कल मैं मम्मी पापा के साथ रिश्तेदार के वहां गए थी। और रात को देर से लौटे थे।( इतना बोलने के साथ ही अपने नजरों को इधर-उधर घुमाने लगी। नीलू के जवाब से संतुष्ट होकर विनीत बोला।)

वीनीत; कल मुझे भी बहुत काम था इसलिए मैं तुमसे मिल नहीं सका।( विनीत अपनी बात पूरी किया ही था कि उसके मोबाइल की रिंग बज उठी। वह अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर उसके स्क्रीन पर देखा तो उसकी भाभी का ही नंबर था। विनीत ने फोन पिक किया और बातें करने लगा। उसके फोन पर बात करने से पता चल रहा था कि उसकी भाभी को कोई जरूरी काम था उसे जाना पड़ रहा था। विनीत फोन को कट करके मोबाइल को जेब में रखते हुए बोला।)

वीनीत: यार मुझे जाना होगा घर पर जरुरी काम है।
( नीलू और राहुल को उसकी भाभी का यूं बार बार घर पर बुला लेना कुछ समझ में नहीं आ रहा था इसलिए नीलू विनीत से बोली)

नीलु; क्या यार जब देखो तब तुम्हारी भाभी बीच क्लास मे तो कभी रीशेष मे बुला लेती है .कभी भी बुला लेती है। आखिर ये सब चक्कर क्या है। ( राहुल भी विनीत की तरफ सवालिया नजरों से देख रहा था। नीलू के सवाल पर विनीत ने पहले नीलू की तरफ फिर राहुल की तरफ देखते हुए जवाब दिया।)

वीनीत; देखो यार तुम लोगों को तो पता ही है कि बचपन में ही मेरे सर से मां बाप का साया उठ चुका था भाई ने ही मेरी देखभाल की है। भाई की शादी के बाद भाभी ने भी मुझे अपने बेटे के जैसा ही प्यार दिया है मेरी हर जरूरतों का ध्यान रखतीे हैं। इसलिए तो मैं अपनी भाभी को अपनी मां की तरह मानता हूं। और इसलिए मैं उनकी हर आज्ञा मानता हूं। ( इतना कहकर विनीत खड़ा हो गया और जाते हुए बोला:-) अच्छा नीलू और राहुल अब कल मिलेंगे।।
( राहुल और नीलू विनीत को जाते हुए देखते रहे। विनीत के जाने के बाद राहुल और नीलू दोनों वहीं बैठे रहे . नीलू को पूरा मौका मिल गया था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था क्यों क्या कह कर राहुल को ऊपर मंजिले की तरफ ले जाएं।। रिसेस का समय पूरा होने में सिर्फ 15 मिनट ही रह गए थे। नीलु की बेचैनी बढ़ती जा रही थी इसी कशमकश में उसकी बुर फुदकने लगी थी। राहुल नीलू से शर्मा रहा था इस वजह से वह भी नीलू से कुछ कह नहीं पा रहा था। तभी नीलू मन में कुछ सोच कर राहुल से बोली।)

नीलु: राहुल चलो कहीं एकांत में चलते हैं यहां काफी शोर शराबा है।( नीलू की मीठी मधुर आवाज सुनते ही राहुल प्रसन्न हो गया वह नीलू की तरफ देखते हुए बोला।)

राहुल: लेकिन जायेंगे कहां सब जगह तो शोर शराबा है।

नीलु: तुम चलो तो मैं जानती हूं ऐसी जगह( इतना कहने के साथ है वह चलने लगी पीछे मुड़कर देखी तो राहुल भी उसके पीछे पीछे आने लगा। राहुल को पीछे आता देख वह मुस्कुरा दी। मीनू राहुल को स्कूल के उपरी मंजिल ए पर ले जा रही थी जहां पर कोई भी क्लास अटेंड नहीं होती थी। ऊपरी मंजिले की सारी क्लास खाली ही रहती थी।
मीनू सीढ़ियां चढ़ रही थी रह-रहकर पीछे मुड़कर राहुल की तरफ भी देख ले रही थी। राहुल की नजर नी्लू पर ही टिकी थी खासकर के नीलू की गदराई गांड पर। जोकि सीढ़ीयाँ चढ़ने पर कुछ ज्यादा ही मटक रही थी।
जिसे देखकर राहुल के लंड में जान आना शुरु हो गया था। नीलू भी कुछ कम नहीं थी वह जानबूझकर अपनी बड़ी-बड़ी गदराई गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी । राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि नीलू उसे ऊपर की तरफ क्यों ले जा रही है। नीलू के आकर्षण ने उसे इतना ज्यादा मोह लीया था कि नीलू जहां कहती व जाने को तैयार था। इसलिए तो वह नीलू से बिना कुछ सवाल किए उसके पीछे पीछे खिंचा चला जा रहा था। राहुल को इस समय कुछ नहीं सुझ रहा था उसे तो बस नीलू की बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड ही दिखाई दे रही थी जो की सीढ़ियां चढ़ने पर और भी ज्यादा मटक रही थी। राहुल के पेंट में तंबू बनना शुरू हो गया था। नीलु सीढ़ियां चढ़ चुकी थी और वह कोने वाली क्लास में जाने के लिए आगे बढ़ रही थी। यहां की सारी क्लास हमेशा खाली ही रहती थी। नीलू सबसे लास्ट की क्लास में ले जा रही थी। यह वही क्लास थी जिसमें नीलू ने बहुत बार विनीत से चुदवा चुकी थी। बहुत बार अपनी जवानी की प्यास विनीत के लंड से बुझाई थी। और आज उसकी इच्छा थी की राहुल के विशालकाय लंड को अपनी आंखों से एकदम नंगा देखना चाहती थी।
राहुल के जाघों के बीच बने तंबू को देखकर ही इतना तो जान ही गई थी नीलू की राहुल एक दमदार और तगड़े लंड का मालिक है।
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

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अब तक मीनू राहुल के लंड की मन ही मन में ढेर सारी आकृतियां बना चुकी थी की जब राहुल का लंड ढिला होता होगा तो कैसा लगता होगा। जब उसमे तनाव अाना शुरु होता होगा तो कैसा लगता होगा और जब एकदम से टन टना के खड़ा होता होगा तब केसा लगता होगा । यही सब सोच सोच कर उसने ना जाने कितनी बार अपनी बुर को गीली कर चुकी थी और अपनी बुर की गर्मी को शांत करने के लिए उंगली बैंगन और ककड़ी केले का सहारा भी ले चुकी थी। लेकिन राहुल को लेकर के उसकी कामाग्नि ज्यों के त्यों बनी हुई थी। इसलिए तो आज स्कूल के ऊपरी मंजिले पर उसको लेकर के आई थी। उसके मन में यही था कि वह उसके लंड को नंगा देख कर थोड़ा बहुत सुकून पा लेगी और ज्यादा मौका मिला तो अपनी बुर मे लंड डलवाकर उसके लंड का उद्घाटन भी करवा देगी।
नीलू राहुल को क्लास में ले आई। यहां पर सिर्फ एक टेबल और कुर्सी ही थी। नीलू कुर्सी पर बैठते हुए राहुल को टेबल पर बैठने का इशारा की। राहुल भी टेबल पर बैठ गया दोनों आमने सामने बैठे थे। नीलू बड़े असमंजस में थी कि वह कैसे शुरू करें क्या कहे। राहुल को तो वैसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था । खाली क्लास में यूं अकेले बैठना वो भी नीलु के साथ उसे बहुत शर्म आ रही थी। नीलू ही बातों का दौर शुरू करते हुए कही।

नीलु: क्या बात है राहुल तुम बहुत परेशान लग रहे हो
कोई परेशानी है क्या?
( नीलू की बात सुनकर वह क्या कहे उसे कुछ सुझा ही नहीं इसलिए हड़बड़ी में जवाब देते हुए बोला।)

राहुल: ककककककुछ नही ।। बस थोड़ा मैथ्स में परेशानी हो रही है। ( राहुल हड़बड़ाहट में कुछ का कुछ बोल गया और नीलू उसकी बात सुनकर बोली)
नीलु; बस इतनी सी बात मेरी मम्मी मुझे खुद ट्यूशन देती है। एक काम करना तुम भी मेरे घर पढ़ने आ जाया करो। मम्मी हम दोनों को साथ में पढ़ा देगी तुम्हें जिस में परेशानी हो रही वह सवाल भी हल कर देगी।

तो राहुल तुम आओगे ना मेरे घर पढ़ने।( नीलू अपनी बात कहने के साथ ही राहुल की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी राहुल कहता भी तो क्या कहते उसने हड़बड़ाहट में जवाब दे दिया था लेकिन वह पढ़ने में काफी तेज था मैथ्स के सवाल तो वो युं हल कर लेता था
लेकीन नीलु के सामने वो यह नही बोल पाया की उसे कीसी भी सबजेक्ट मे परेशानी नही है। वह नीलू को ना नहीं बोलना चाहता था। अब नीलू को इंकार कर देना राहुल के बस में बिल्कुल भी नहीं था। इसलिए वह नीलू को हां कह दिया। लेकिन फिर बोला।

राहुल: लेकिन मैं तुम्हारा घर तो देखा नहीं हूं तो आऊंगा कैसे?
नीलु; स्कूल को छुट़ते ही तुम मेरे साथ मेरे घर चलना मैं तुम्हें अपना घर भी दिखा दूंगी ताकि तुम आराम से मेरे घर आ सको।

राहुल: ठीक है।( राहुल तो खुद ही हमेशा निलूं के साथ ही रहना चाहता था। पर यहां तो खुद नीलू उसे अपने साथ रहने का मौका दे रही थी तो भला क्यूं राहुल ऐसे मौके को गँवा देता। नीलू मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि घर पर कोई भी नहीं होगा और ऐसे मैं राहुल के साथ अपने मन की कर लेगी। इस बात को सोच कर ही उसकी बुर से नमकीन पानी की बूंद टपक पड़ी। नीलू का पूरा बदन एक अजब से रोमांच से गनगना गया। नीलू राहुल के लंड को देखना चाहती थी लेकिन कैसे शुरुआत करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इसी कशमकश में रीशेष पूरी होने की घंटी बज गई। नीलु जिस उद्देश्य से ईधर क्लास में आई थी वह मतलब उसका पूरा नहीं होता देख एकदम से कसमसा गई। इतने में राहुल की टेबल से उठते हुए बोला चलो चलते हैं घंटी बज गई है।
राहुल को उठ कर जाता देख नीलु से रहा नहीं गया वह भी झट से कुर्सी से उठी और आगे बढ़कर राहुल को अपनी बाहों में भरली। यू एकाएक नीलू की हरकत से वह कुछ समझ नहीं पाया वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही नीलू अपने होठ राहुल के होटो से सटा दी।..
राहुल का बदन अजीब से रोमांच में एकदम से गनगना गया। नीलू अपने गुलाबी होंठों में राहुल के होंठों को भरकर चूसना शुरू कर दी। राहुल के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ना शुरू हो गई। नीलू होटो को चूसते हुए धीरे-धीरे चलकर राहुल को दीवार से सटा दी।
जैसे ही राहुल की पीठ दीवार से सटी राहुल एकदम से उत्तेजित हो गया और वह भी नीलू के होठों को चूसना शुरू कर दिया। नीलू के कामुक्ता का पारा उसके सिर चढ़ गया था। उसकी सांसे भारी चलने लगी थी।
राहुल को इसमें मजा तो आ रहा था लेकिन उसे इतना ज्ञात था कि रिसेस पूरी होने की घंटी बज चुकी थी और उसे जल्द से जल्द क्लास में पहुंचना था। तभी नीलू का एक हाथ राहुल के पेंट में बने तंबू पर पड़ा राहुल के तो होश ही उड़ गए जब उसने पेंट मे बने तंबू को अपनी हथेली में दबोच लिया। पूरे बदन में रक्त का प्रवाह तिर्व गति से होने लगा। नीलू पेंट के ऊपर से ही राहुल के लंड को अपनी हथेली में कस कस के दबा रही थी। जिससे राहुल को बहुत मजा भी आ रहा था।
नीलू पैंट के ऊपर से ही लंड को दबा दबा कर मस्त हुए जा रही थी। लंड का उभार उसकी हथेली में समा नहीं रहा था। बस यही अनुभव उसकी पैंटी को गीली करने के लिए काफी था। नीलू बस यही सोच सोच कर ही मस्तीया जा रही थी कि वाकई में ईसका लंड कितना विशालकाय और कितना मस्त मोटा तगड़ा होगा। जब इसका मोटा लंड मेरी बुर में घुसेगा तो मेरी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को फैलाता हुआ बुर की जड़ तक रगड़ता हुआ जाएगा।।। उउउउफफफफ कितना मजा आएगा। नीलू मन में ऐसा सोचते सोचते राहुल के पेंट की चैन को खोलने के लिए अपने ऊंगलियों से उसकी चेन पकड़ के नीचे सरकाई ही थी की राहुल ने अपना हाथ बढ़ा कर नीलू के हाथ को पकड़ते ह अपने होठों को नीलू के होठों से अलग करता हुआ बोला बोला।

राहुल: ननननननन नीलु....... रिशशशशश ....रिशेष.... की घंटी बज चुकी है तो हमें जाना चाहिए।( राहुल हकलाते हुए बोला )
राहुल के इस व्यवहार पर नीलू को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वह अपने गुस्से को अंदर ही अंदर दबा ले गई।
नीलू को राहुल के नादानियत पर हंसी भी आ रही थी क्योंकि उसकी जगह कोई भी लड़का होता ऐसा मौका हाथ से जाने नहीं देता लेकिन राहुल था कि उसे क्लास में जाने की जल्दी पड़ी थी। नीलू अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए बोली।।

नीलु; ठीक है लेकिन छुट्टी के बाद जरूर मिलना।( तंबू की तरफ अपनी निगाह डालकर मुस्कुराते हुए बोली)
बहुत जल्दी खड़ा हो जाता है तुम्हारा।( इतना कहने के साथ वह अपने होंठ को दांतों से दबाते हुए हंसकर क्लास के बाहर जाने लगी राहुल कुछ बोल नहीं पाया और वह भी क्लास के बाहर निकल गया।)

छुट्टी के बाद राहुल उसी जगह खड़ा होकर नीलू का इंतजार कर रहा था नीलू भी जल्दी आ गई और अपनी स्कूटी पार्किंग से बाहर निकाल कर सड़क पर लाते हैं स्टार्ट कर दी और राहुल को पीछे बैठने का इसारा की
राहुल के पीछे बैठते हैं नीलू एक्सीलेटर दबा दी और स्कूटी सड़क पर अपनी रफ्तार पकड़ते हुए ति्र्व गति से जाने लगी। नीलू का दिमाग बहुत तेजी से दौड़ रहा था वह जानती थी कि इस समय घर पर कोई नहीं होगा ना पापा और ना मम्मी। वौ मन ही मन सोच रही थी कि घर जाकर जी भरके राहुल की तगड़े लंड से खेलेगी उसे अपनी बुर में डलवाकर जी भर के चुदवायेंगी। आज अपनी जवानी की प्यास को राहुल के कुंवारे और जवान लंड से बुझाएगी।
यह सब सोच सोच कर ही नीलु ने अपनी पेंटी को पूरी तरह से गीली कर ली थी। वह जल्द से जल्द अपने घर पर पहुंचना चाहती थी। नीलू और राहुल दोनों खामोश थे कोई कुछ नहीं बोला रहा था। दोनों के मन में ढेर सारी बातें चल रही थी। नीलू तो अपना प्रोग्राम फिट कर चुकी थी उसे पता था कि घर पहुंच कर क्या करना है ।
लेकीन राहुल तो क्लास में हुई हरकत के बारे मे अभी भी सोच-सोचकर गनगना जा रहा था। उसे तो अब तक सब कुछ सपना ही लग रहा था। थोड़ी ही देर में नीलु की स्कूटी एक गेट के सामने रुकी । गेट के सामने स्कूटी के रूकते ही राहुल समझ गया की नीलू का घर यहीं है और स्कूटी पर से उतर गया राहुल के उतरने के बाद नीलू ने स्कूटी को बंद की और स्कूटी को स्टैंड पर लगाकर आगे बढ़कर गेट को खोली।
गेट के खुलने के बाद नीलू स्कूटी को धक्के लगाते हुए गेट के अंदर ले आई और राहुल को भी अंदर आने को कही । बाहर से ही नीलू का घर देखकर राहुल का मन प्रसन्न हो गया था। नीलू का घर एक अच्छी सोसाइटी में था 2 मंजीले के घर के बाहरी दीवारों पर कीमती पत्थर लगे हुए थे। राहुल इतने से ही समझ गया था कि नीलू के मम्मी पापा पैसे वाले हैं तभी तो नीलू इतनी सुख-सुविधा में रहती है।
नीलू स्कूटी स्टैंड पर लगाते हुए राहुल को ही देखे जा रही थी वह मन ही मन बहुत ही खुश थी क्योंकि वह जानती थी कि राहुल के घर में आते ही वह अपनी मनसा पूरी कर लेगी ईतने दिनों से जो उसकी बुर में खुजली मची हुई है आज इसी बुर में राहुल के मोटे लंड को डलवा कर अपनी खुजली मिटाएगी। नीलू स्कूटी को खड़ी करके मुख्य द्वार के पास जाकर खड़ी हो गई और अपने पर्स से दरवाजे की चाबी निकालने लगी। राहुल नीलू के ठीक पीछे ही खड़ा था। ना चाहते हुए भी बार बार राहुल की नजर नीलू की गदराई गांड पर चली जा रही थी और उसे भी उसकी गांड को देखे बिना चैन नही मिल रहा था। नीलू को पर्स में चाबी मिल नहीं रही थी उसे परेशान होता हुआ देखकर राहुल बोला।

राहुल: क्या हुआ नीलू क्या ढूंढ रही हो?

नीलु; ( पर्स में मुँह डाले हुए ही बोली) अरे यार कि मैं चाबी रखी थी मिल नहीं रही है।
( चाबी की बात सुनकर राहुल को कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि इस समय उसकी मम्मी घर में है तो चाबी की जरूरत ही क्या है इसलिए उसने नीलू से बोला)

राहुल: चाबी! चाबी किस लिए ?तुम्हारी मम्मी तो घर मे ही है ना तो डोर बेल बजाओ।
( राहुल की बात सुनते ही नीलू एकदम से सकपका गई उसे समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दे क्योंकि वह जानती थी कि घर में मम्मी नहीं है और वह उसे यह कहकर लाई थी कि मम्मी से मिलाना है। लेकिन नीलू बहुत ही खेली खाई हुई लड़की थी जिसे बहाना बनाना खूब आता था उसने झट से पर्स में से चाबी निकाली और दरवाजे के की होल में चाबी डालते हुए राहुल की तरफ देखे बिना ही बोली।

नीलु; अरे यार इस समय ज्यादातर मेरी मम्मी आराम ही करती रहती है अगर में डोर बेल बजाऊंगी तो मम्मी को अपने कमरे से यहां तक चल कर आना पड़ेगा और मम्मी नाराज भी होगी इसीलिए तो एक चाबी मेरे पास भी रहती है ताकि मैं कभी भी आ जा सकूं। ( इतना कहने के साथ ही दरवाजे का लॉक खुल गया)
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दरवाजे का लोक खुलते ही नीलू ने दरवाजे का हैंडल पकड़कर दरवाजें को अंदर की तरफ ठेला। दरवाजे को छेलते ही दरवाजा खुलता चला गया और नीलू कमरे में दाखिल हुई उसके मन में ढेर सारे अरमान पनप चुके थे कमरे के अंदर घुसते ही राहुल को भी अंदर आने को कहीं राहुल भी कमरे के अंदर आ गया। राहुल के कमरे में प्रवेश करते हैं नीलू ने धीरे से दरवाजे को लॉक कर दिया।
जैसे ही निलूं दरवाजे को लॉक करके वापस मुड़ी उसकी नजर सीधे डाइनिंग टेबल के पास पड़ी चेयर पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए चेयर पर उसकी मम्मी बैठी हुई थी। नीलू को तो यकीन ही नहीं हुआ उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सपना देख रही है या हकीकत। वैसे जो उसने चाभी वाली बात कही थी वह ठीक ही कही थी लेकिन वह जानती थी कि इस समय घर में न मम्मी होंगी ना पापा। वह तो अपने मन में चुदाई के सपने बुनकर राहुल को घर लाई थी लेकिन यहां तो सब काम उल्टा हो गया। नीलू की मम्मी उन दोनों को ही देख रही थी नीलू क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था अब यह भी नहीं कह सकती थी कि मम्मी तुम इस समय यहां क्या कर रही हो। क्योंकि वो राहुल को यही कहकर घर लाई थी कि वह उसे मम्मी से मिलाएगी।
नीलू का पूरा प्लान चौपट हो चुका था। अब वह मम्मी से क्या कहें कैसे राहुल को मम्मी से मिलवाए यही सब उसके दीमाग मे चल रहा था। नीलू भी कम नहीं थी बहाना तो उसके जुबान पर होता था ऐसे मौके पर उसका दिमाग कुछ ज्यादा ही चलता था। नीलू तपाक से बोली।

ममममम मम्मी यययय ये राहुल है । ( राहुल ने नीलू की मम्मी को नमस्ते किया। लेकिन राहुल की मम्मी ने कुछ जवाब नहीं दिया। राहुल को कुछ अजीब सा लगा। नीलू समझ चुकी थी कि क्या मामला है। नीलू जानती थी कि मम्मी को किसी पार्टी में जाना पार्टी एंजॉय करना और ड्रिंक लेना यह सब पसंद था.. अौर वह समझ गई थी कि मम्मी ज्यादा ड्रिंक करके आ गई है। और नहा कर ही यहां पर बैठी है। लेकिन अभी भी होश में नहीं है।
राहुल तो पहले ही नीलू की मम्मी को देखते ही सन्न रह गया था। क्योंकि नीलू की मम्मी चेयर पर एकदम बिंदास हो कर बैठी हुई थी। उसके कपड़े भी अस्त- व्यस्त थे। जांघ पर जाँघ चढ़ा कर बैठी हुई थी वह भी उसकी आधी जाँघे दिखाई दे रही थी। नंगी जाँघों को देखकर ही राहुल के लंड में सनसनाहट पैदा होने लगी
थी। उसके लंड में उस वक्त और ज्यादा अकड़न पैदा हो गई जब उसकी नजर नीलू की मम्मी की छातियों पर पड़ी। नीलू की मम्मी ने ब्लाउज नहीं पहनी थी। उसकी चूचियां बिल्कुल नंगी थी बस ऊपर से साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था। फिर भी आधी चूची नजर ही आ रही थी।
राहुल यह बात बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था कि उसके होने की मौजूदगी में भी नीलू की मम्मी अपने नंगे बदन को ढँकने की जरा भी कोशिश नहीं कर रही थी।
लेकिन नीलू जानती थी कि उसकी मम्मी शराब के नशे में धुत थी। राहुल को यह बात मालूम नहीं पड़ गया है इसलिए उसने अपनी मम्मी को कंधों से पकड़कर हीलाते हुए बोली।।।

मम्मी ये राहुल है मेरा क्लासमेट ये आपसे मिलने आया है ( इस बार नीलू की मम्मी जवाब नहीं बस मुस्कुरा दे राहुल ने भी नीलु की मम्मी को नमस्ते किया। नीलु की नजर राहुल की जाँघों के बीच जाते ही वहां बने तंबू को देखकर एकदम से सन्न रह गई। वह समझ गई कि उसकी मम्मी के अस्त व्यस्त कपड़ों को देख कर ही राहुल का लंड खड़ा हो गया है । और वह तुरंत अपनी मम्मी के कपड़ों को व्यवस्थित करते हुए बोली।

राहुल आज मम्मी की तबीयत ठीक नहीं लग रही है।( अपनी मम्मी की साड़ी को व्यवस्थित कर के राहुल की तरफ बढ़ते हुए।) तुम्हें तकलीफ देने के लिए माफी चाहती हूं किसी और दिन में तुम्हें मम्मी से मिलवा दूंगी।


कोई बात नहीं नीलूं मैं समझ सकता हूं आंटी थोड़ा अपसेट लग रही है मैं किसी और दिन आ जाऊंगा घर तो तुम्हारा देख ही चूका हूं इसलिए कभी भी मुझे जरूरत पड़ेगी तो मैं आ जाऊंगा। ( राहुल दरवाजे की तरफ जाने लगा तो नीलु भी उस की तरफ बढ़ते हुए बोली।)


चलो तुम्हें गेट तक छोड़ देती हूं।

( नीलू राहुल को छोड़ने के लिए गेट तक आई ।)

राहुल चला गया नीलू उसे जाते हुए देखते रह गई मन में ढेर सारे अरमान थे तभी तो अपनी बुर और पेंटी दोनों को की गीली कर ली थी । आज उसे अपनी मम्मी पर बहुत गुस्सा आ रहा था वैसे कभी भी इस समय घर पर नहीं होती थी लेकिन जब आज राहुल को लेकर आई तो ना जाने कैसे घर पर आ गई। नीलु यही साहब सोचते हुए कमरे में आई और गुस्से में अपनी मां को देखते हुए अपने कमरे में चली गई उसे कुछ सूझ नहीं रहा था उसके बदन में आग लगी हुई थी खास करके उसकी टांगों के बीच में। बार-बार उसे राहुल याद आ रहा था वही सोच रही थी कि अगर आज मम्मी घर पर नहीं होती तो मैं अपनी बुर मे राहुल के मोटे लंड को डलवाकर अपनी बुर की आग बुझा लेती।
नीलू यह सब सोचते सोचते सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। इस तरह से बुर को मसलने की वजह से उसके बदन मे जेसे चीटियां रेंग रही हो उससे बर्दाश्त कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था।
उसकी पैंटी इतनी ज्यादा गीली हो चुकी थी कि सलवार के ऊपर से भी उसकी उँगलीया भीग जा रही थी।
तभी वह झट से बिस्तर से उठी और अपने कमरे का दरवाजा खोल कर किचन की तरफ बढ़ गई किचन में जाते ही उसने फ्रीज का दरवाजा खोला और अंदर से एक मजबूत मोटा और ताजा बैगन निकाली। बेगन का साइज थोड़ा ज्यादा ही था उसे लेकर नीलू अपने कमरे में आ गई कमरे का दरवाजा बंद करते ही वह अपने कपड़े उतारने लगी अगले ही पल वह एकदम नंगी बिस्तर के पास खड़ी थी और अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबा रही थी। कुछ ही देर में इस तरह से चूची दबाने से चुची का रंग एकदम गुलाबी हो गया। उत्तेजना की वजह से चूची के साइज में भी बढ़ोतरी हो गई नीलू के मुँह से सिसकारीयो की आवाज़ निकलने लगी। नीलू एक हाथ से अपनी मस्त चूचियों को दबाते हुए मसल रही थी और दूसरे हाथ मे लिए हुए बैगन को अपनी बुर पर रगड़ रही थी। बैगन का मोटा वाला भाग बुर से स्पर्श होते हैं नीलू एकदम से मचल उठी उसकी काम भावनाएं प्रबल हो उठी। मीनू के मुंह से गर्म सिसकारियां बड़ी तेजी से फूट रही थी। बैंगन को नीलू अपने हाथों में इस तरह से पकडे हुई थी कि मानो वो बेगान न होकर राहुल का लंड हो। नीलू पूरी तरह से उत्तेजना के शिखर पर विराजमान हो चुकी थी। वह धम्म से बिस्तर पर बैठी और बैठते ही लेट गई।
नीलू अपनी टांगों को फैला ली । चिकनी और सुडोल जाँघे बल्ब के उजाले में चमक रही थी। जांघों को फैलाते ही नीलु की गुलाबी बुर की गुलाबी पंखुड़ियां हल्के से अलग हो गई। गुलाबी पंखुड़ियों के अलग होते हैं उनमें से नमकीन पानी का झरना जैसे फूट पड़ा हो इस तरह से नमकीन पानी टपकने लगा। हर पल नीलू की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। उसकी गरम सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था।
मारे उत्तेजना के नीलू के गोरे गोरे गाल भी लाल टमाटर की तरह हो गए। नीलू पूरे बिस्तर पर इधर से उधर तड़प तड़प के मारे उत्तेजना के उछल-कूद मचा रही थी।
नीलू जोर-जोर से बैगन के आगे वाले भाग को अपनी बुर की फाँको के बीच रगड़ रही थी और जोर-जोर से साँसे ले रही थी। नीलू इतनी ज्यादा मस्त हो चुकी थी कि उसके मुंह से अनायस ही राहुल का नाम निकल जा रहा था।



ओहहहहहहह राहुल....उउम्म्मम्म्म्............ डाल दो अपने मोटे गरम लंड को मेरी बुर मे ।। आआहहहहहहहह.........ओओहहहहहहहहह..........राहुल .....मेरी जान अब और मत तड़पाओ डाल दो पूरा लंड मेरी बुर में।। ( इतना कहने के साथ ही नीलू ने बैगन के आगे वाले भाग को अपने बुर की गुलाबी छेंद पर टिकाई और अपने हाथ से अपनी बुर * के अंदर ठेल दी। बुर पहले से ही गिली होने की वजह से चिपचिपी हो गई थी। इसलिए बेगन के आगे वाला भाग गप्प करके बुर में समा गया। बैगन एकाद ईन्च ही बुर मे घुसा था की नीलू का पूरा बदन अजीब से सुख के एहसास से गनगना गया। क्योंकि उसके ख्यालों में सिर्फ राहुल ही राहुल बसा हुआ था इसलिए तो उसके हाथ में जो बैगन था वह भी नीलू को राहुल का लंड ही लग रहा था इसलिए तो वह और भी ज्यादा मस्त हुए जा रही थी।
नीलू एक हाथ से अपनी चूची को मसलते हुए और दूसरे हाथ से बेगन को अपनी बुर में ईन्च बाय उतार रही थी।
थोड़ी देर में आधे से भी ज्यादा बेगन नीलू की बुर में अंदर तक धँसा हुआ था। नीलू पसीना-पसीना हो गई थी वह उत्तेजना की चरम सीमा पर थी। नीलू जल्दी-जल्दी बैगन को अपनी बुर में अंदर-बाहर कर रही थी। और गर्म सिसकारियां भरते हुए अनाप-शनाप बोले जा रहे थी।


आआआहहहहहह..आआहहहहहहहहह.....ऊऊममममममममम ............ राहुल........ और जोर से और जोर से राहुल......चोदो मुझे ......चोदो......... ( नीलू अपनी बुर में बैगन को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अनाप-शनाप बोले जा रहे थी वह इतनी मस्त हो चुकी थी की उसे कुछ भी नहीं सुझ रहा था उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। वह अपनी चरम सीमा की बिल्कुल करीब थी। उसकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी और बैंगन एक लंड की तरह उसकी बुर के अंदर बाहर ठोकरें लगाता जा रहा था। थोड़ी ही देर मे उसके मुंह से चीख नीकली और उसकी बुर ने भलभला के नमकीन पानी की बोछार कर दी। नीलू की हथेली उसके अपने ही बूर के पानी से भीग चुकी थी। कुछ ही देर में नीलु की वासना शांत हो गई।उसके बदन की गरमी पानी बनके उसकी बुर से निकल चुकी थी। नीलू का बदन शांत हो गया था। वह बिस्तर पर नंगी लेटी हुई
थी और धीरे धीरे नींद की आगोश मे चली गई।

दूसरी तरफ रात होते ही राहुल अपने बिस्तर पर पड़ा था आज उसके जेहन में नीलू की मम्मी का ही ख्याल आ रहा था। नीलू की मम्मी भी इतनी बिंदास्त होगी इस बारे में राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था।
बार-बार राहुल की आंखों के आगे नीलु की मम्मी की नंगी जाँघे और साड़ी के पल्लू से बाहर झाँकता हुआ उसका वक्षस्थल नाच जा रहा था। नीलू की मम्मी का भी बदन राहुल की मम्मी की तरह ही भरा हुआ था कद काठी भी लगभग एक जैसी ही थी।
उसकी गुदाज जाँघे राहुल की टांगों के बीच हलचल मचाए हुए था। ना चाहते हुए भी फिर से उसका हाथ उसके पैजामे में चला गया। और एक बार फिर से अपने भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया और फिर से अपने पजामे को गीला कर लिया। मुठ मारने की कला में भी वह नीपूण होता जा रहा था। राहुल को भी अब इसमें मजा आने लगा था। अभी यह लगभग रोज का हो चुका था राहुल सोते समय रोज उन बातों को याद करता जिस से उस की उत्तेजना बढ़ने लगती और वह उत्तेजना के चलते मुठ मारता और अपनी भावनाओं को शांत करता। कुछ दीन तक यूं ही चलता रहा।
नीलू रोज-रोज राहुल के समीप रहने का मौका ढूंढती रहती और थोड़ा बहुत मौका मिलने पर वह राहुल के बदन से छेड़छाड़ भी कर लेती। और कभी अपने बदन की झलक भी दिखा देती जिसे राहुल की दीवानगी परवान चढ़ने लगी थी। राहुल भी ज्यादा से ज्यादा वक्त नीलू के साथ बिताने का बहाना ढूंढता रहता था। लेकिन विनीत की वजह से राहुल ज्यादा समय नीलू के साथ बीता नहीं पा रहा था। और विनीत को इस बारे में कुछ बता भी नहीं सकता था।
राहुल का मन इन सब बातों में उलझे होने के बावजूद भी वह अपनी पढ़ाई पर बराबर ध्यान केंद्रित कर रहा था अपनी हरकतों को अपनी पढ़ाई पर हावी होने नहीं दिया था। इसलिए उसका क्लास का हर काम पूरा होता था। विनीत हमेशा राहुल की नोटबुक घर ले जाता और कॉपी करता क्योंकि उसका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था ऐसे ही 1 दिन वह राहुल से इंग्लिश की नोट बुक ले गया और लगभग दो-तीन दिन तक स्कूल आया ही नहीं। राहुल बहुत परेशान हो रहा था वह इस बात से परेशान नहीं था कि विनीत स्कूल नहीं आ रहा है उसे तो खुशी थे क्योंकि इन 3 दिनों में वह नीलू के बहुत करीब रहता था नीलू ने भी इन 3 दिनों में राहुल के साथ ज्यादा छूट छाट लेने लगी थी। यहां तक कि जब भी उसे मौका मिलता रिसेस में या कहीं भी जब किसी की भी नजर उन पर नहीं होती तो वह राहुल को किस करने लगती। और किस करते करते उसके पेंट के उभार को
हथेली में भरकर दबाती और मसलती। राहुल को भी इस में बहुत मजा आता । इसलिए तो उन दोनों को विनीत की गैरमौजूदगी फल नहीं रही थी बल्कि दोनों विनीत की गैर मौजूदगी का पूरा फायदा उठा रहे थे। 3 दिन से तो राहुल को विनीत का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आया लेकिन उसे इंग्लिश में कुछ प्रोजेक्ट पूरे करने थे और वह नोटबुक विनीत ले गया था बिना नोटबुक के राहुल प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाता इसलीए उसे वीनीत से ना चाहते हुए भी मिलना जरुरी था। अब क्या करें विनीत के बगैर तो चल जा रहा था लेकिन जो उसने उस की नोट बुक लेकर गया है उसके बिना कैसे चलेगा इसलिए उसे विनीत के घर जाना जरुरी हो गया था।
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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

स्कूल से छूटने के बाद राहुल घर जाने के बजाए विनीत के घर की तरफ चल दिया वैसे स्कूल से ज्यादा दूर नहीं था उसका घर लेकिन फिर भी 20 25 मिनट पैदल चलने में लगी जाते थे। राहुल चाहता तो ऑटो पकड़ कर जा सकता था लेकिन वैसे भी घर पर कोई काम नहीं था और घर पर इस समय मम्मी भी नहीं होती थी। इसलिए वह विनीत के घर पर पैदल ही जाने के सोचा था कि कुछ समय में भी बीत जाएगा।
राहुल विनीत के घर पर पहले भी जा चुका था। उसका घर भी सोसायटी में था वह लोग भी पैसे से सुखी और संपन्न थे।
थोड़ी देर बाद विनीत का घर आ गया वह उसके घर के आगे गेट के पास खड़ा हो गया। कुछ देर तक वहीं खड़ा हो कर घर की तरफ देखता रहा वहां बाइक खड़ी थी। बाइक को देख कर समझ गया की विनीत घर पर ही है। उसने खुद ही गेट खोला और गेट के अंदर दाखिल हो गया। दोपहर का समय था इसलिए इक्का-दुक्का को छोड़ कर कोई भी नजर नहीं आ रहा था। ...
राहुल ने डोर बेल पर अपनी उंगली रखकर दबाया
डोर बेल पर उंगली रखते ही वह समझ गया की स्विच खराब है। दरवाजा खटखटाने के लिए जैसे ही वह दरवाजे पर हाथ रखा दरवाजा खुद-ब-खुद खुलता चला गया । इस तरह से दरवाजा अपने आप खुल जाने से राहुल को बड़ा आश्चर्य हुआ। बस सोच में पड़ गया कि इस तरह से दरवाजा क्यों खुला पड़ा है।
राहुल दरवाजा खोलते हुए कमरे में आ गया और दरवाजे को वापस बंद करते हुए विनीत को आवाज लगाया लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। एक दो बार ओर आवाज लगाने से भी कोई भी जवाब नहीं मिला इस बार उसे चिंता होने लगी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। क्या इस समय घर में कोई है नहीं और है तो मेरी आवाज सुनने के बाद भी जवाब क्यों नहीं दे रहा है। राहुल को बड़ी चिंता होने लगी वह सोचने लगा की कहीं कुछ गलत तो नहीं हो गया है। उसके मन में ढेर सारे सवाल भी चल रहे थे और डर भी रहा था। वह डरते डरते धीमे कदमों के साथ विनीत के कमरे की ओर बढ़ा वह ईस घर में पहले भी आ चुका है इसलिए उसे पता था कि विनीत का कमरा कहां है। वह जेसे ही विनीत के कमरे के पास पहुंचा तो कमरे का दरवाजा खुला देख कर उसके चेहरे पर चिंता के बादल उमड़ने लगे। क्योंकि कमरे का दरवाजा तो खुला था लेकिन कमरे में कोई नहीं था। उसके मन में पूरी तरह से डर बैठ गया उसे लगने लगा कि कुछ गलत जरूर हुआ है। इसलिए वापस आने लगा वह अब इस घर से निकल जाना चाहता था। यहां अब एक पल भी ठहरना उसे ठीक नहीं लग रहा था।
राहुल जल्दी-जल्दी मुख्य दरवाजे के पास आ गया और जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाया था कि उसे किसी औरत की खिलखिलाकर हँसने की आवाज आई और वो रुक गया। राहुल सोचने लगा कि यह हसने की आवाज कहां से आने लगी अभी तक तो कोई भी आवाज नहीं आ रही थी। रह-रहकर औरत के हंसने की आवाज राहुल के कानों में पड़ रही थी । वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हंसने की आवाज किस दिशा से आ रही है। राहुल वहीं खड़े होकर आ रही आवाज की दिशा तय करने लगा। थोड़ी ही देर में समझ गया की ये आवाज तो सीढ़ियों के ऊपर से आ रही है। राहुल के समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऊपर जाकर देखें कि नहीं देखे कौन होगा उपर । एक पल तो वह वापस लौट जाने के लिए मुड़ा लेकिन फिर उसे नोटबुक का ख्याल आ गया नोट बुक ले जाना भी बहुत जरूरी था और सोचा कि हो सकता है उसे नोटबुक ही मिल जाए कोई ओर भी होगा तो उससे वौ मांग लेगा।
यही सोचकर वह सीढ़ियां चढ़ने लगा सीढ़ियां चढ़ते समय भी उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था। क्योंकि वह नहीं जानता था कि जिसके हंसने की आवाज आ रही है वह कौन है हो सकता है उसकी भाभी ही हो विनीत के भाई के साथ। और कहीं वो लोग मुझ पर नाराज हो गए तो। यही सब सवाल उसे परेशान कीए जा रहा था। फीर मन में सोचा कि कोई भी होगा कह देगा की इंग्लिश की नोट बुक लेने आया हूं बहुत जरूरी था इसलिए। वह मन नहीं है यह सब सोचते हुए
सीढ़ियां चढ़ गया और हंसने की आवाज की तरफ बढ़ने लगा सामने की गैलरी के बगल में ही कमरा था राहुल को यह समझते देर नहीं लगी की हंसने की आवाज उसी कमरे से आ रही थी। वह कमरे की तरफ बढ़ा और दरवाजे के पास आकर रुक गया उसे अब कमरे के अंदर से आ रही हंस कर खिलखिलाने की आवाज और धीरे-धीरे फुसफुसाने की आवाज साफ सुनाई देने लगी । लेकिन वह लोग किस बात पर हंस रहे थे वह सुनाई नहीं दे पा रहा था। तभी वो धीरे से फुसफुसाने की आवाज सुनकर मन मे हीं बोला यह तो विनीत की आवाज है। इसका मतलब विनीत घर मे ही है। घर में होने के बावजूद भी यह मेरी आवाज क्यों नहीं सुना। और अपना कमरा छोड़कर इस कमरे में क्या कर रहा है। इस समय ढेर सारे सवाल उसके मन में चल रहे थे। यही सब सोचते हुए वह कमरे का दरवाजा खट खटाने जा ही रहा था कि वह कुछ सोचने लगा उसकी नजर खिड़की पर पड़ी। और वह दरवाजे को खटखटा या नहीं बल्कि उत्सुकतावश वह खिड़की की तरफ बढ़ा एक बार खिड़की से झांक लेना चाहता था कि आखिरकार कमरे में ऐसा क्या हो रहा है कि हंसने और धीरे-धीरे फुसफुसाने की ही आवाज आ रही है।
राहुल खिड़की के पास ही खड़ा था खिड़की का दरवाजा खुला हुआ था लेकिन खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था । खिड़की पर परदा लगा होने की वजह से कमरे के अंदर का कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और राहुल कमरे के अंदर देखना चाह रहा था इसलिए उसने थोड़ी हिम्मत बांध कर खिड़की के पर्दे को हल्का सा हटाया राहुल ने पर्दे को सिर्फ इतना ही हटाया था कि वह कमरे के अंदर का दृश्य देख सके । पर्दे को हल्का सा हटते ही राहुल अपनी नजर को पर्दे के सहारे कमरे के अंदर दौड़ाना शुरू किया जल्द ही उसे अंदर का दृश्य देखना आरंभ हो गया। राहुल की नजरों ने कमरे के अंदर के दृश्य को ज्यों पकड़ा उसे देखकर राहुल के बदन के साथ-साथ उसका दिमाग भी सन्न रह गया। अंदर कमरे में विनीत था जिसे तो वो पहचानता था। लेकिन वह इस महिला को नहीं पहचान पा रहा था जिसकी गर्दन को विनीत जो मैं जा रहा था विनीत उस महिला के बाहों में कसा हुआ था वह महिला विनीत को पागलों की तरह अपने सीने से लगा कर के वह भी विनीत के गाल पर वोट पर और उसकी गर्दन पर चुंबनों की बौछार किए जा रही थी । उस महिला का बदन एकदम गोरा भरा हुआ और एकदम कसा हुआ था उसकी कद-काठी भी अच्छी खासी थी। उसकी उम्र लगभग 30 से 35 साल की होगी। कमरे के अंदर का दृश्य बहुत ज्यादा ही कामुक था क्योंकि अंदर का गरम दृश्य देखते ही राहुल का लंड टनटना के खड़ा हो गया था। विनीत के दोनों हाथ उस महिला के बड़ी बड़ी गांड पर थे जिसे विनीत अपनी हथेलियों में दबा रहा था। वह महिला भी सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट मे ही थी। इसलिए उसका बदन और ज्यादा सेक्सी लग रहा था। राहुल बड़े सोच में पड़ गया था एक तो अंदर का गर्म दृश्य उसके बदन में भी कामाग्नि भड़का रहा था ।

कमरे के अंदर का नजारा देख कर राहुल का बदन भी गरम होने लगा था। विनीत उस महिला की गांड को अपने दोनों हाथों से कस कस के मसल रहा था और वह महिला विनीत के गर्दन पर गालों पर चुंबनों की बौछार करते हुए सिसकारी भर रही थी। राहुल की नजर बार बार उस महिला की बड़ी-बड़ी गांड पर ही जा रही थी जिसे विनीत अपनी हथेली से मसल मसल कर गर्म कर रहा था। उस महिला का बदन पेटीकोट ब्लाउज में होने से और भी ज्यादा कामुक लग रहा था।
तभी विनीत ने अपने हाथों से उस महिला की पेटीकोट को ऊपर की तरफ चढ़ाना शुरु कर दिया। और अगले ही पल उस महिला की पेटीकोट उसकी कमर तक चढ़ चुकी थी। पेटिकोट को कमर तक चढ़ते ही जो नजारा सामने आया उसे देखते ही राहुल के लंड से पानी की बूंद टपक पड़ी। उस महिला की गोरी गोरी गांड एकदम नंगी हो गई सिर्फ एक काले रंग की पैंटी उसकी गांड पर टिकी हुई थी जो कि उसकी गांड को ढँक पाने में असमर्थ थे। राहुल की हालत बहुत खराब होते जा रही थीे उससे यह सब दृश्य देख पाना बर्दाश्त के बाहर था।
उसकी पेंट में तुरंत तंबू बन चुका था। विनीत अपनी हथेलियों में भर भर के उस महिला की गांड को दबा रहा था मसल रहा था। अपनी उंगलियों को पेंटी के अंदर डालकर गांड को मसलने का मजा ले रहा था।
राहुल ये फैसला नहीं ले पा रहा था कि वह वहां पर रुके या चला जाए। एक मन तो कर रहा था कि चला जाए लेकिन दूसरा मन उसकी जवानी को बुलावा दे रहा था औरतों के बदन का आकर्षण उसे वहीं रुकने को कह रहा था। और इस उम्र में मन चंचल होता है पानी की तरह जहां पर बहाव होता है मन ही बता चला जाता है ईस उम्र की दहलीज पर जवानी के बहाव को रोक पाना किसी के बस में नहीं होता है। राहुल को उस महिला का कामुक बदन एकदम जड़वंत बना चुका था। वह वहां से चाह कर भी हील नहीं पा रहा था। । और उसके मन में यह जिज्ञासा भी थी की आखिर यह महिला है कौन जो विनीत के साथ इस अवस्था में है। राहुल यह सब सोच ही रहा था कि तब तक उस महिला ने खुद अपनी पेंटी को अपने हाथों से नीचे सरकाते हुए अपनी टांगो से बाहर निकाल दी। यह नजारा देखते ही राहुल के लंड में सनसनाहट दौड़ने लगी उसका खून उबाल मारने लगा
खुद पर काबू कर पाना अब उसके लिए बड़ा मुश्किल होता जा रहा था। उसका हाथ खुद बा खुद पेंट में बने तंबू पर चला गया।वह अपने तंबू को मसल ही रहा था कि तभी विनीत ने उस महिला के ब्लाउज के बटन खोलना शुरू किया और अगले ही पल उसके ब्लाउज को उतार कर बिस्तर पर फेंक दिया। यह देखकर राहुल का लंड ठुनकी मारने लगा। उस महिला ने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहना था इसलिए उसकी पीठ एकदम नंगी हो गई उसकी गोरी गोरी चिकनी पीठ देख कर किसी का भी ईमान डोल जाए। तभी विनीत उस महिला की चुचियों के बीच अपना मुंह डाल दिया। लेकिन विनीत को यहां से उस महिला की चूची नहीं देख रही थी क्योंकि उस महिला की पीठ खिड़की की तरफ से पर इतना जरुर पता चल रहा था कि विनीत उस महिला की चुचियों के बीच में ही अपना मुँह डालकर मजा लूटा रहा था। इससे पहले विनीत ने सिर्फ औरतों को नंगी देखने का सुख ही प्राप्त किया था। वह अपनी मां और नीलू को एकदम नंगी तो नहीं लेकिन जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द उत्सुक रहता है वह अंग तो वह देख ही चूका था। लेकिन आज वह पहली बार किसी महिला के अंगो से खेलते हुए देख रहा था और इस खेल को देखने में उसे परम आनंद का अनुभव भी हो रहा था। यहां से सिर्फ वह उस महिला की पीठ का ही भाग देख पा रहा था जिस पर विनीत अपनी हथेलियां फिरा रहा था। तभी उस महिला ने अपने बदन पर से आखरी वस्त्र भी त्याग दी उसने खुद अपनी पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे सरका दी और पैरों के सहारे से अपनी टाँगो से निकाल कर एक तरफ सरका दी । उस महिला की सारी कामुक हरकतें किसी भी कुंवारे लड़के का पानी निकालने के लिए काफी था।
उस महिला की हरकतों से लग रहा था कि वह महिला इस खेल में काफी माहिर थी। अब वह महिला पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी उसके बदन पर कपड़े का लेशमात्र भी नहीं था एकदम नंगी और एकदम गोरी भरा हुआ बदन चिकनी पीठ चिकनी जाँघे । बड़ी-बड़ी तरबूज की तरह गोलाई लिए हुए उसकी मद मस्त गांड और गांड के दोनों फाँको को अलग करती हुई और गजब की गहराई लिए हुए वह कामुक लकीर। इस लकीर की अंधियारी गली में दुनिया का हर मर्द भटकने के लिए मचलता रहता है। विनीत अपने दोनों हाथों से उस महिला की गांड की फांकों को अपनी हथेलियों में भर के इधर-उधर मसलते हुए खींच रहा था। जिसे देख कर राहुल के दिल की धड़कने तेज हुई जा रही थी।
उस महिला ने विनीत के भी कपड़े उतारना शुरू कर दिए और अगले ही पल विनीत बिल्कुल नंगा खड़ा था
और महिला से लिपट चिपट रहा था। तभी उस महिला ने बोली


ओहहहहह वीनीत आहहहहहहहह तुम्हारा लंड तो पूरी तरह से तैयार हो चुका है। ( उस महिला के हाथ की हरकत से राहुल इतना तो समझ रहा था कि उसने विनीत के लंड को पकड़ा हुआ है। और उस महिला के मुंह से इतनी सी बात सुनकर राहुल की उत्सुकता वीनीत के लंड को देखने के लिए बढ़ने लगी। राहुल उत्सुकतावश विनीत के को देखना चाह रहा था लेकिन उसका बदन महिला के बदन की वजह से ढका हुआ था
इसलिए राहुल भी देख नहीं पा रहा था। विनीत बार-बार उस महिला की बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए मचल रहा था जिसे देखकर राहुल के माथे से पसीना टपकने लगा। महिला के हाथ की हरकतें तेज होती देख राहुल समझ गया था कि वह महिला वीनीत के लंड को पकड़ कर जोर-जोर से आगे पीछे कर रही है। उस महिला का खुलापन देखकर राहुल दंग रह गया। इस महिला के बारे में जानने की राहुल की उत्सुकता और ज्यादा बढ़ गई। वह जानना चाहता था कि आखिर यह महिला है कौन ये वीनीत की क्या लगती है और वीनीत के साथ इस तरह से क्यों है? यह सब सारे सवालं उसे
परेशान किए हुए थे। तभी उस महिला की कामुक बातें
राहुल के लंड में रक्त संचार को तीव्र गति से बढ़ाने लगी




ओहहहहहहह मेरे राज्जा आज तो तेरे लंड को अपनी बुर मे जी भर कर लूंगी मेरी प्यास बुझा मेरे राजा मसल दे मुझे नीचोड़ डाल।।। अपनी बाहों में कस ले मुझे।आहहहहहहहह....आहहहहहहहहह

विनीत उस महिला की बातें सुनकर एकदम गरम होने लगा था वह अपने हाथ से पेंट में मैंने तंबू को मसल रहा था। अंदर कमरे में आग लगी हुई थी और बाहर कमरे की तपिश से राहुल जल रहा था। तभी विनीत के मुंह से राहुल ने जो सुना उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ राहुल एकदम दंग रह गया उसे एक पल तो समझ में ही नहीं आया कि ये वीनीत ही है या कोई और! वह बोल रहा था।


ओह भाभी मेरी जान मेरा लंड तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए। तुम्हारे कहने पर ही तो मैं 2 दिन से स्कूल नहीं गया।( अपनी ऊंगली को उस महिला की गांड की फांकों के बीच में रगड़ते हुए) पिछले 2 दिन से तुम्हारी दिन रात जमकर चुदाई कर रहा हूं। फिर भी मेरा मन तुमसे भरता ही नहीं है बस दिल करता है कि पूरा लंड तुम्हारी बुर में डाल कर पड़ा रहुँ।


ओह वीनीत मेरे राजा मैं भी तो 2 दिन से लगातार तुझसे चुदवा रही हुँ फिर भी मेरी बुर की प्यास बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। मेरा भी दिल यहीं करता है की तोरे लंड पर अपनी बुर रखके बैठी रहुँ।

राहुल यह सब सुनकर एकदम दंग रह गया उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि जो वह सुन रहा है वाकई में वह सच है। इस वक्त उसे खुद के कानों पर भी भरोसा नहीं हो रहा था। जिस महिला को लेकर वो अब तक शंके में था उसकी हकीकत जानकर उसे यकीन नहीं हो रहा था।उसे यह जानकर बड़ी हैरानी हो रही थी कि क्या वाकई में ये महिला वीनीत की सगी भाभी है ? नहीं ऐसा नहीं हो सकता विनीत तो अपनी भाभी को अपनी मां से भी बढ़कर मानता था और उसकी भाभी भी विनीत को अपने बच्चे की तरह मानती थी। नहीं ऐसा नहीं हो सकता यह महिला कोई और होगी जिसे वह भाभी कह रहा है। यह उसकी शगी भाभी नहीं हो सकती।
राहुल अब तक इस महिला के बारे में ख्यालों में ही तर्क वितर्क लगा रहा था वैसे भी राहुल अब तक वीनीत की भाभी से रूबरू नहीं हुआ था। उसने वीनीत की भाभी को देखा नहीं था । इसलिए वह लेकिन नहीं कर पा रहा था कि वाकई में यह वीनीत की भाभी है या कोई और।
राहुल अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं आ पाया था तब तक वह महिला जिसे विनीत भाभी कह रहा था। वह महिला पलंग पर टांगे फैलाकर लेट गई। राहुल की नजर जैसे ही उस महिला की जाँघो के बीच गई राहुल के बदन में सनसनी दौड़ गई। आज पहली बार राहुल की आंखों ने औरतं की खुली बुर को देखा था।
उस महिला की जांघों के बीच की बनावट को देखकर राहुल दंग रह गया था। उसे खुद कि आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। हल्के हल्के बाल ओर उस रेशमी बालों के बीच हलके गुलाबी रंग की लकीर जोकि हल्की सी खुली हुई थी। जिसे देखते ही राहुल का लंड एकदम से टन्ना गया। आज उसने जो देखा था उसकी गहराई आज तक किसी ने नहीं नाप पाया। इस गहराई में न जाने कितने लोग डुब चुके हैं कितने डूब रहे हैं और ना जाने कितने डुबते रहेंगे। राहुल का लंड जिसे देखकर एकदम से टन्ना गया था उसकी सही उपयोगिता के बारे में राहुल को बिल्कुल भी पता नहीं था। उसको यह नहीं मालूम था कि जिसे देख कर वह इतना मस्त हुए जा रहा है उसका उपयोग कैसे करते है?
राहुल उस महिला को देखकर उसकी खूबसूरती को देखकर दंग रह गया था उसकी बड़ी बड़ी चूचियां एक दम नंगी तनी हुई थी। उसका चेहरा एकदम खूबसूरत था। अपने हाथ से ही अपने बुर कों रगड़ रही थी। तब तक राहुल की नजर विनीत और उसके लंड पर पड़ी जिसे वह अपने हाथ में लेकर हिला रहा था। विनीत का लंड भी फुल टाइट हो चुका था विनीत के लंड को देख कर
राहुल के मन मे अजीब सी जिज्ञासा होने लगी। विनीत को अपनी मुट्ठी में अपने लंड को भर कर हीलाते हुए देख कर राहुल से भी रहा नहीं गया और उसने अपनी पेंट की चेन खोल कर अपने मुसल जेसे लंड को बाहर निकाल कर अपनी मुट्ठी में भर लिया।
कमरे के अंदर का दृश्य बहुत ज्यादा गर्म था उससे भी ज्यादा गर्म होने जा रहा था।

अभी भी राहुल के मन में उस महिला को लेकर शंकाओ ने घेर रखा था । लेकिन विनीत के मुंह से जो उसने सुना उसे सुनने के बाद सब कुछ साफ हो चुका था। विनीत अपने टनटनाए हुए लंड को मुठीआते हुए बोला


ओह भाभी देख रही हो मेरे लंड को यह आप की ही सेवा करने के लिए बना है। तभी तो आप जब बुलाती है तब हाजिर हो जाता हूं। आपके फोन पर मैं जहां भी रहता हूं तुरंत आपके पास भागा भागा चला आता हूं
( विनीत लगातार अपने लंड को मुठीयाए जा रहा था और वह महिला ललचाई आंखों से विनीत के टनटनाए हुए लंड को घूरे जा रही थी। ) क्यों न क्लास में रहुँ। कई बार तो रिसेस में दोस्तों के साथ बैठा रहता हूं तभी आपका फोन आ जाता है और मुझे दोस्तों से झूठ बोल कर आप के पास आना पड़ता है।।
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