होता है जो वो हो जाने दो complete

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Rohit Kapoor
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Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

कुछ देर बाद जब की मम्मी बर्तन साफ कर के आई तब वह राहुल और सोनू को बोली।)

राहुल की माँ: जा बेटा आप जा कर सो जाओ सुबह जल्दी उठना भी तो है न।
( वह दोनों भी अपनी मां की आज्ञा मानते हुए अपने अपने कमरे में चले गए और जाते-जाते गुड नाइट भी बोलते गए। जवाब मे वह भी गुड नाइट बोली।
अलका के पति ने ये एक काम अच्छा किए थे जो यह मकान अलका के नाम कर गए थे। जिसमें पांच कमरे थे। जिससे इन लोगों के पास सिर छुपाने की जगह तो थी। इसलिए तीनों अपने अलग-अलग कमरे में सोते थे सोनू को भी अलग कमरे में सोने की आदत पड़ गई थी
तीनों अपने अलग-अलग कमरे में चले गए।
राहुल अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा ही था कि उसे याद आया कि अलार्म लगाना भूल गया है। अक्सर वह सुबह 5:00 बजे का अलार्म लगा देता था। जिससे सुबह मे नींद जल्दी खुले। डिम लाइट के उजाले में वह बगल में रखे टेबल की तरफ देखा तो वहां पर दारु नहीं था उसे याद आया कि अलार्म तो मम्मी ले गई है। वह बिस्तर से उठा और सीधे मम्मी के कमरे की तरफ चल दिया। दरवाजा बंद था लेकिन अंदर जल रही ट्यूबलाइट की हल्की रोशनी दरवाजे के नीचे से आ रही थी ईसका मतलब ये था की अभी वह जग रही थी वर्ना लाइट बंद हो चुकी होती। राहुल सोचा की दरवाजा अंदर से लोक होगा। इसलिए जैसे ही वह दरवाजा खटखटाने के लिए ना हाथ दरवाजे पर रखा ही था की दरवाजा अपने आप खुलने लगा। राहुल समझ गया कि मम्मी दरवाजा लॉक नहीं कि है। इसलिए वह दरवाजे को खोलते खुलते बोला।
राहुल; कल आप अलार्म लाई थी ना मम्मी।( इतना बोलते ही दरवाजा पूरा खुला और राहुल ने जो सामने का नजारा देखा उससे तो उसका होश ही उड़ गया। उसकी मम्मी दीवार की तरफ मुंह किए हुए खड़ी थी।और उसकी पीठ राहुल के सामने थी। और वह गाउन पहन रही थी। उसकी मां गाऊन को कमर तक पहन चुकी थी लेकिन इससे पहले की वो गाऊन को नीचे सरकाती राहुल की नजर सीधे उसकी कमर के नीचे वाले भाग पर पड़ी। बस एक झलक भर ही देख पाया था की राहुल की बात खत्म होते-होते गाउन सरक के सीधे पांव तक चली गई। और उसकी मम्मी उसकी तरफ मोड़ कर जवाब देते हुए बोली।

राहुल की माँ; हां बेटा वो रहा अलार्म सामने टेबल पर ही पड़ा जा कर ले लो। ( राहुल भी बिना कुछ बोले सामने टेबल पर पड़ा अलार्म उठा लिया और जाते-जाते अपनी मम्मी को थैंक यू बोलते हुए दरवाजा बंद कर के चला गया। उसकी मम्मी भी नॉर्मल तरीके से बिस्तर पर लेट गई। )

राहुल अपने कमरे में आते ही झट से दरवाजा बंद कर लिया। उसकी साँसे बहुत ही तेज चल रही थी। जो उसने देखा था उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। दरवाजा बंद करने के बाद वह तुरंत आ कर बिस्तर पर बैठ गया। उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था।
उसका ध्यान जब उसकी जाँघो के बीच गया तो… उसका दिमाग संन्न हो गया। उसकी जाँघो के बीच में तंबू बना हुआ था। उसको यकीन नहीं आ रहा था कि खुद की मां को नंगी देख कर उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया है। उसको आज अजीब सा लग रहा था उसका मन ना जाने क्यों मचल रहा था। ऐसा उसके साथ पहले कभी भी नहीं हुआ।
आज ही के दिन उसके साथ घटी दो घटनाएं उसका जीवन बदलने वाली थी।
राहुल अपने दिमाग से अभी अभी घटि उस घटना को निकाल देना चाह रहा था। लेकिन चाह कर भी वो उस पल को भूल नहीं पा रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी और बिल्कुल गोल गोल एकदम गोरी गांड तैर जा रही थी। राहुल के लिए उसकी मां की नंगी गांड को देख पाना बहुत बड़ी बात थी।
क्योंकि आज तक वो अपनी मां को इस हाल में ना देखा था और ना ही कभी देख पाया था। पल भर के लिए ही तो देख पाया था उसने अपनी मां की गांड को उसकी चिकनी मांसल जांगो को। और पलक झपकते ही गाऊन सीधे उस अनुपम और अतुल्य दृश्य को ढँकते हुए उसकी मम्मी के पैरों में जा गिरा।
बस इतना सा ही नजारा उसके दिलो-दिमाग पर पूरी तरह से छाया हुआ था। आज जो उसके साथ हो रहा था ऐसा कभी भी नहीं हुआ। सुबह सुबह क्लास में नीलू की सेक्सी अदाओं के दर्शन हुए और यहां कमरे में अपनी मम्मी की नंगी गांड को देखकर मचल उठा था उसका तनबदन।
एक तो नीलू की उफान मारती जवानी देख कर उसका कोमल मन सुलग ही रहा था कि उसकी मां की सुडोल और बड़ी बड़ी गोरी गांड ने आग में घी का काम कर दीया। उसकी सांसे तेज चल रही थी और साथ ही पजामे में तना हुआ उसका हथियार उसे और परेशान कर रहा था। उसका गला सूखने लगा था और वह बिस्तर पर लेट गया। बार बार अपना ध्यान वहाँ से हटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने सुबह क्लास में अपनी शर्ट की बटन खोलती हुई नीलु … उस की चुचीयाँ दबाता हुआ विनीत और अभी अभी कुछ देर पहले। उसकी मम्मी की बड़ी बड़ी गांड दीखाई दे रही थी। इसलिए वह अपना ध्यान चाह कर भी नहीं ह टा पा रहा था।
वह क्या उसकी जगह कोई भी उसकी हम उम्र का होता तो वह भी इतना गरम और कामुक नजारा देखकर
सन्न हो जाता। और राहुल तो देख भी पहली बार ही रहा था। इसलिए तो उसका और भी ज्यादा बुरा हाल था उसका टनटनाया हुआ लंड तनकर लोहे का रॉड हो चुका था बार बार उसे ऐसा लग रहा था कि उसे पेशाब लगी है। उसका हाथ बार बार उस के तने हुए लंड पर चला जा रहा था।
एक तो उसकी माँ की नंगी गांड उसकी आंखों के सामने तेर जा रही थी। और जब भी वो उसकी माँ की नंगी गांड के बारे में सोचते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबाता तो उसे एक अजीब सी सुख की अनुभूति होती । उसका मन उससे ज्यादा सुख पाने के लिए मचल उठता। लेकिन वह ये नहीं जानता था की इससे ज्यादा सुख क्या करने से हासिल हो सकता है।
किताबों की जानकारी उसे बहुत थी लेकिन सेक्स की एबीसीडी से अभी वह अज्ञान था ।
उसकी जगह दूसरा कोई लड़का होता तो मे लंड की गर्मी शांत करने के लिए अपने हाथों से ही मुठ मारकर
अपने लंड का पानी निकाल दिया होता। लेकिन राहुल को तो मुठ मारना भी नहीं आता था। उसने आज तक अपने लंड को सिर्फ पेशाब करने के लिए ही हाथों में पकड़ा था। इससे ज्यादा उसने अपने लंड के साथ कुछ किया नहीं था। और यह भी नहीं जानता था कि अपने आप को कैसे शांत किया जाता है।
यही सब सोचते सोचते जब उसके लंड की खुजली और ज्यादा बढ़ गई तो उसका हाथ अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया। अपने ही अंगुलियों का स्पर्श खुद के लंड पर पड़ते हैं वह पूरी तरह से गनगना गया। अंगुलियों का स्पर्श लंड के सुपाड़े पर पड़ते हैं। अजीब से सुख का अहसास उसके रोम रोम को पुलकित करने लगा लेकिन उसकी अंगूलीयाँ भी लंड से निकले चिपचिपे पदार्थ से गीली हो गई। लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि उसके के लंड से निकला ये चिपचिपा पदार्थ क्या है उसे तो यह लग रहा था कि ज्यादा तेज पेशाब लगने की वजह से उसकी 2 4 बूंदे अपने आप टपक रही हैँ। लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इतना चिपचिपा क्यों है। जैसे जैसे वो अपने लंड को अपनी मुट्ठी में कसता उस का रोमांच बढ़ता जाता।
ल** को मुट्ठी में दबाने से जो मजा मिल रहा था उससे उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी। उसे अगर इतना भी पता होता की लको मुट्ठी में भर कर आगे पीछे हिलाने से मजा दोगुना हो जाता है तो वह जरूर इस समय ऐसा ही करता। लेकिन उसे इस बारे में जरा भी ज्ञान नहीं था। मुठ मारने के बारे में दोस्तों से सुना जरूर था लेकिन कैसे मारा जाता है उसको नहीं मालूम था।
लंड को दबाने मात्र से ही उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो गया उसकी सांसे तेज चलने लगी थी । उसने जब अपनी हालत पर गौर किया तो घबरा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है उस तुंरत बिस्तर से उठ कर बैठ गया और टेबल पर पड़ा हुआ पानी का गिलास उठाया और एक झटके में पी गया। कुछ देर यूं ही बैठ कर अपने उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त होने दिया। जब नॉर्मल हुआ तो उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि वह अपनी मां के बारे में सोच कर कितना गंदा कर रहा था। उसका मन ग्लानी से भर गया। और मन ही मन में अपनी मां की माफी मांग कर बिस्तर पर लेट गया। उसके मन में ढेर सारे सवालों का भूचाल में मचा हुआ था। उन्ही सवालों के जवाब ढूंढते-ढूंढते व कब नींद की आगोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला।
सुबह जब नींद खुली तो उसने देखा कि उसका पजामा के आगे वाला भाग गीला हो चुका था। अक्सर पंद्रह-बीस दिनों में उसका पजामा आगे से गीला ही मिलता था लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा है गिला क्यों हो जाता है उसे तो ऐसा ही लगता था कि शायद उसकी पैसाब छूट जाती है।
बीते हुए कल की बात को भूल कर वो उठा और सीधे बाथरूम में घुस गया । कुछ ही देर में वह नहा कर तैयार हो चुका था। उसकी मम्मी नाश्ता तैयार कर चुकी थी।
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कुछ देर बाद जब की मम्मी बर्तन साफ कर के आई तब वह राहुल और सोनू को बोली।)

राहुल की माँ: जा बेटा आप जा कर सो जाओ सुबह जल्दी उठना भी तो है न।
( वह दोनों भी अपनी मां की आज्ञा मानते हुए अपने अपने कमरे में चले गए और जाते-जाते गुड नाइट भी बोलते गए। जवाब मे वह भी गुड नाइट बोली।
अलका के पति ने ये एक काम अच्छा किए थे जो यह मकान अलका के नाम कर गए थे। जिसमें पांच कमरे थे। जिससे इन लोगों के पास सिर छुपाने की जगह तो थी। इसलिए तीनों अपने अलग-अलग कमरे में सोते थे सोनू को भी अलग कमरे में सोने की आदत पड़ गई थी
तीनों अपने अलग-अलग कमरे में चले गए।
राहुल अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा ही था कि उसे याद आया कि अलार्म लगाना भूल गया है। अक्सर वह सुबह 5:00 बजे का अलार्म लगा देता था। जिससे सुबह मे नींद जल्दी खुले। डिम लाइट के उजाले में वह बगल में रखे टेबल की तरफ देखा तो वहां पर दारु नहीं था उसे याद आया कि अलार्म तो मम्मी ले गई है। वह बिस्तर से उठा और सीधे मम्मी के कमरे की तरफ चल दिया। दरवाजा बंद था लेकिन अंदर जल रही ट्यूबलाइट की हल्की रोशनी दरवाजे के नीचे से आ रही थी ईसका मतलब ये था की अभी वह जग रही थी वर्ना लाइट बंद हो चुकी होती। राहुल सोचा की दरवाजा अंदर से लोक होगा। इसलिए जैसे ही वह दरवाजा खटखटाने के लिए ना हाथ दरवाजे पर रखा ही था की दरवाजा अपने आप खुलने लगा। राहुल समझ गया कि मम्मी दरवाजा लॉक नहीं कि है। इसलिए वह दरवाजे को खोलते खुलते बोला।
राहुल; कल आप अलार्म लाई थी ना मम्मी।( इतना बोलते ही दरवाजा पूरा खुला और राहुल ने जो सामने का नजारा देखा उससे तो उसका होश ही उड़ गया। उसकी मम्मी दीवार की तरफ मुंह किए हुए खड़ी थी।और उसकी पीठ राहुल के सामने थी। और वह गाउन पहन रही थी। उसकी मां गाऊन को कमर तक पहन चुकी थी लेकिन इससे पहले की वो गाऊन को नीचे सरकाती राहुल की नजर सीधे उसकी कमर के नीचे वाले भाग पर पड़ी। बस एक झलक भर ही देख पाया था की राहुल की बात खत्म होते-होते गाउन सरक के सीधे पांव तक चली गई। और उसकी मम्मी उसकी तरफ मोड़ कर जवाब देते हुए बोली।

राहुल की माँ; हां बेटा वो रहा अलार्म सामने टेबल पर ही पड़ा जा कर ले लो। ( राहुल भी बिना कुछ बोले सामने टेबल पर पड़ा अलार्म उठा लिया और जाते-जाते अपनी मम्मी को थैंक यू बोलते हुए दरवाजा बंद कर के चला गया। उसकी मम्मी भी नॉर्मल तरीके से बिस्तर पर लेट गई। )

राहुल अपने कमरे में आते ही झट से दरवाजा बंद कर लिया। उसकी साँसे बहुत ही तेज चल रही थी। जो उसने देखा था उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। दरवाजा बंद करने के बाद वह तुरंत आ कर बिस्तर पर बैठ गया। उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था।
उसका ध्यान जब उसकी जाँघो के बीच गया तो… उसका दिमाग संन्न हो गया। उसकी जाँघो के बीच में तंबू बना हुआ था। उसको यकीन नहीं आ रहा था कि खुद की मां को नंगी देख कर उसका लंड टनटना कर खड़ा हो गया है। उसको आज अजीब सा लग रहा था उसका मन ना जाने क्यों मचल रहा था। ऐसा उसके साथ पहले कभी भी नहीं हुआ।
आज ही के दिन उसके साथ घटी दो घटनाएं उसका जीवन बदलने वाली थी।
राहुल अपने दिमाग से अभी अभी घटि उस घटना को निकाल देना चाह रहा था। लेकिन चाह कर भी वो उस पल को भूल नहीं पा रहा था। बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी और बिल्कुल गोल गोल एकदम गोरी गांड तैर जा रही थी। राहुल के लिए उसकी मां की नंगी गांड को देख पाना बहुत बड़ी बात थी।
क्योंकि आज तक वो अपनी मां को इस हाल में ना देखा था और ना ही कभी देख पाया था। पल भर के लिए ही तो देख पाया था उसने अपनी मां की गांड को उसकी चिकनी मांसल जांगो को। और पलक झपकते ही गाऊन सीधे उस अनुपम और अतुल्य दृश्य को ढँकते हुए उसकी मम्मी के पैरों में जा गिरा।
बस इतना सा ही नजारा उसके दिलो-दिमाग पर पूरी तरह से छाया हुआ था। आज जो उसके साथ हो रहा था ऐसा कभी भी नहीं हुआ। सुबह सुबह क्लास में नीलू की सेक्सी अदाओं के दर्शन हुए और यहां कमरे में अपनी मम्मी की नंगी गांड को देखकर मचल उठा था उसका तनबदन।
एक तो नीलू की उफान मारती जवानी देख कर उसका कोमल मन सुलग ही रहा था कि उसकी मां की सुडोल और बड़ी बड़ी गोरी गांड ने आग में घी का काम कर दीया। उसकी सांसे तेज चल रही थी और साथ ही पजामे में तना हुआ उसका हथियार उसे और परेशान कर रहा था। उसका गला सूखने लगा था और वह बिस्तर पर लेट गया। बार बार अपना ध्यान वहाँ से हटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने सुबह क्लास में अपनी शर्ट की बटन खोलती हुई नीलु … उस की चुचीयाँ दबाता हुआ विनीत और अभी अभी कुछ देर पहले। उसकी मम्मी की बड़ी बड़ी गांड दीखाई दे रही थी। इसलिए वह अपना ध्यान चाह कर भी नहीं ह टा पा रहा था।
वह क्या उसकी जगह कोई भी उसकी हम उम्र का होता तो वह भी इतना गरम और कामुक नजारा देखकर
सन्न हो जाता। और राहुल तो देख भी पहली बार ही रहा था। इसलिए तो उसका और भी ज्यादा बुरा हाल था उसका टनटनाया हुआ लंड तनकर लोहे का रॉड हो चुका था बार बार उसे ऐसा लग रहा था कि उसे पेशाब लगी है। उसका हाथ बार बार उस के तने हुए लंड पर चला जा रहा था।
एक तो उसकी माँ की नंगी गांड उसकी आंखों के सामने तेर जा रही थी। और जब भी वो उसकी माँ की नंगी गांड के बारे में सोचते हुए अपने लंड को पजामे के ऊपर से दबाता तो उसे एक अजीब सी सुख की अनुभूति होती । उसका मन उससे ज्यादा सुख पाने के लिए मचल उठता। लेकिन वह ये नहीं जानता था की इससे ज्यादा सुख क्या करने से हासिल हो सकता है।
किताबों की जानकारी उसे बहुत थी लेकिन सेक्स की एबीसीडी से अभी वह अज्ञान था ।
उसकी जगह दूसरा कोई लड़का होता तो मे लंड की गर्मी शांत करने के लिए अपने हाथों से ही मुठ मारकर
अपने लंड का पानी निकाल दिया होता। लेकिन राहुल को तो मुठ मारना भी नहीं आता था। उसने आज तक अपने लंड को सिर्फ पेशाब करने के लिए ही हाथों में पकड़ा था। इससे ज्यादा उसने अपने लंड के साथ कुछ किया नहीं था। और यह भी नहीं जानता था कि अपने आप को कैसे शांत किया जाता है।
यही सब सोचते सोचते जब उसके लंड की खुजली और ज्यादा बढ़ गई तो उसका हाथ अपने आप ही पजामे के अंदर चला गया। अपने ही अंगुलियों का स्पर्श खुद के लंड पर पड़ते हैं वह पूरी तरह से गनगना गया। अंगुलियों का स्पर्श लंड के सुपाड़े पर पड़ते हैं। अजीब से सुख का अहसास उसके रोम रोम को पुलकित करने लगा लेकिन उसकी अंगूलीयाँ भी लंड से निकले चिपचिपे पदार्थ से गीली हो गई। लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि उसके के लंड से निकला ये चिपचिपा पदार्थ क्या है उसे तो यह लग रहा था कि ज्यादा तेज पेशाब लगने की वजह से उसकी 2 4 बूंदे अपने आप टपक रही हैँ। लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इतना चिपचिपा क्यों है। जैसे जैसे वो अपने लंड को अपनी मुट्ठी में कसता उस का रोमांच बढ़ता जाता।
ल** को मुट्ठी में दबाने से जो मजा मिल रहा था उससे उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ जा रही थी। उसे अगर इतना भी पता होता की लको मुट्ठी में भर कर आगे पीछे हिलाने से मजा दोगुना हो जाता है तो वह जरूर इस समय ऐसा ही करता। लेकिन उसे इस बारे में जरा भी ज्ञान नहीं था। मुठ मारने के बारे में दोस्तों से सुना जरूर था लेकिन कैसे मारा जाता है उसको नहीं मालूम था।
लंड को दबाने मात्र से ही उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो गया उसकी सांसे तेज चलने लगी थी । उसने जब अपनी हालत पर गौर किया तो घबरा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है उस तुंरत बिस्तर से उठ कर बैठ गया और टेबल पर पड़ा हुआ पानी का गिलास उठाया और एक झटके में पी गया। कुछ देर यूं ही बैठ कर अपने उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त होने दिया। जब नॉर्मल हुआ तो उसे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि वह अपनी मां के बारे में सोच कर कितना गंदा कर रहा था। उसका मन ग्लानी से भर गया। और मन ही मन में अपनी मां की माफी मांग कर बिस्तर पर लेट गया। उसके मन में ढेर सारे सवालों का भूचाल में मचा हुआ था। उन्ही सवालों के जवाब ढूंढते-ढूंढते व कब नींद की आगोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला।
सुबह जब नींद खुली तो उसने देखा कि उसका पजामा के आगे वाला भाग गीला हो चुका था। अक्सर पंद्रह-बीस दिनों में उसका पजामा आगे से गीला ही मिलता था लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा है गिला क्यों हो जाता है उसे तो ऐसा ही लगता था कि शायद उसकी पैसाब छूट जाती है।
बीते हुए कल की बात को भूल कर वो उठा और सीधे बाथरूम में घुस गया । कुछ ही देर में वह नहा कर तैयार हो चुका था। उसकी मम्मी नाश्ता तैयार कर चुकी थी।
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अपनी मम्मी को रसोईघर में देखते ही उसे कल की बात याद आ गई और कल की बात याद करके उसे अपने आप पर गुस्सा भी आने लगा अपनी मम्मी से नजरें नहीं मिला पा रहा था। वह चुप-चाप नाश्ता किया और मम्मी को बाय बोल कर स्कूल की तरफ चल दिया।
आज भी राहुल को पीक करने के लिए विनीत पहले से ही चौराहे पर खड़ा था। आज भी विनीत बाइक ले आया था। कुछ ही देर में दोनोे स्कूल पहुंच गए ।
राहुल पिछली बातों को दिमाग से लगभग निकाल ही दिया था। पहले की तरह ही पढ़ाई में व्यस्त था। विनीत का मन ज्यादातर पढ़ाई में नहीं लगता था वह हमेशा इधर उधर कुछ ना कुछ करता रहता था।
चैप्टर के बाद चैप्टर चल रहा था। राहुल सारे चैप्टर को ध्यान से सुनता और उसे नोटबुक में कॉपी कर लेता।
कुछ ही देर में अपने समय अनुसार रिसेस की घंटी बजी और सारे विद्यार्थी क्लास से बाहर जाने लगे तो विनीत बोला ।
वीनीत: यार चल हम भी आज बाहर चलते हैं यहां बैठे-बैठे बोर हो जाते हैं।

राहुल: हां चल यार मैं भी कुछ दिनों से यहां बैठे बैठे बोर हो रहा हूं।

( विनीत राहुल दोनों क्लास के बाहर आ गए। स्कूल में छोटा सा गार्डन भी बना हुआ था जहां पर रीशेष मे विद्यार्थी बैठकर गपशप लड़ाया करते थे। राहुल और विनीत एक अच्छे से कौना देख कर बैठे ही थे कि। तुरंत वहां नीलू आकर बैठ गई। कल की सारी बातों को भूल चुका राहुल नीलू को देखते ही सकपका गया। कल की सारी बातें की आंखों के सामने तैरने लगी। विनीत कुछ बोल पाता उससे पहले ही नीलू बोली।)

नीलु: आज क्या बात है तुम दोनों क्लास की वजाय आज यहां पर बैठे हो।( इतना कहने के साथ ही वह राहुल के नजदीक बैठ गई नीलु के वहां बैठते ही राहुल की बेचैनी बढ़ने लगी उसे कल क्लास में हुआ सारा वाक्या याद आने लगा। बीते हुए नजारों को याद करके राहुल कसमसाने लगा मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या ना करें। तभी विनीत बोल पड़ा)

वीनीत: आज हम दोनों ने सोचा कि चलो क्यों ना आज तुम से ही मिल लिया जाए इसलिए क्लास छोड़कर बाहर आ गए।। वैसे आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो क्या बात है आज कीसपर कहर बरसाओगी। ( विनीत नीलू की शर्ट मैं उभार लिए हुए उसकी चुचीयो को घूरते हुए बोला।)

(
नीलू भी अपने सीने के उभार को थोड़ा आगे की तरफ बढ़ाते हुए बोली।)

नीलु: इतनी भी तारीफ मत करो इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं। ।

वीनीत: सच कह रहा हूं नीलु मुझ पर भरोसा नहीं तोे राहुल से पूछ लो। क्यों राहुल नीलू कैसी लगती है तुम्हें।
( वीनीत के इस सवाल पर राहुल एकदम से सकपका गया गया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें। उसको तो वैसे ही लड़कियों से नजरें मिलाने में भी डर लगता था। राहुल कुछ बोल पाता इससे पहले नीलू बोल पड़ी।)

नीलु: क्यों राहुल कैसी लगती हो मैं तुम्हें बोलो।
( नीलू की बात सुनते ही राहुल के तो पसीने छूट गए। नीलू की मीठी आवाज राहुल के बदन में झनझनाहट पैदा कर रही थी। राहुल क्या कहता कुछ समझ नहीं आ रहा था वह कभी नीलू की तरफ तो कभी जमीन की तरह दोखने लगता। राहुल को खामोश देखकर नीलू बोली।)
नीलु: देखा ना विनीत तुम्हारे दोस्त को ही मैं अच्छी नहीं लग रही हूं तभी तो कुछ बोल नहीं रहा है।

राहुल; ना ना नाना नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है( राहुल और कुछ बोलता इससे पहले ही विनीत के मोबाइल की घंटी बजी। राहुल और नीलू दोनों का ध्यान विनीत के ऊपर गया विनीत अपनी जेब से फोन निकाला स्क्रीन पर देखकर कॉल रिसीव किया।)

वीनीत; हां भाभी। अभी इसी वक्त। ज्यादा जरूरी था क्या अच्छा ठीक है मैं जल्द से जल्द आ रहा हूं मैंरा इंतजार करिए।( फोन कट करके उसे अपनी जेब में रखते हूए ।)
मुझे घर जाना होगा जरुरी काम है । ( इतना कहकर वह नीलू और राहुल को बाय करके निकल गया। राहुल और नीलू दोनों विनीत हो जाता हुआ देखते रहे। आज पहली बार नहीं था की विनीत की भाभी का फोन आया हो इससे पहले भी कई बार स्कूल में या बाहर इसी तरह से विनीत को उसकी भाभी का फोन आता था और वह तुरंत सारे काम छोड़ कर घर की तरफ चल देता था। विनीत अपनी बाइक लेकर घर चला गया था राहुल की हालत और खराब होने लगी क्योंकि अब अकेला था और नीलू उसके पास ही बैठी थी।)

नीलु: तुम बताए नहीं कि मैं कैसी लग रही हूं। ( एकदम मस्ताए अंदाज मे ) बोलो ना राहुल( इतना कहने के साथ ही नीलू अपने हाथ को राहुल की जाँघ पर रख दी। अपनी जाँघ पर नीलू के नरम हाथों का स्पर्श पड़ते ही राहुल का बदन गन गना गया । ओर वो कांपते हुए बोला।)

राहुल; मंमममममम मै कककककक क्या बोलु। ( उसके शब्द भी अटक अटक के गले में से नीकल रहे थे। नीलू की हथेली का स्पर्श पाते ही राहुल के लंड* में भी सनसनी पैदा होने लगी थी। और वह सिर उठाना शुरु कर दिया था पेंट में बढ़ते उभार पर नीलु की नजर पड़ते ही नीलू की बुर मे कुलबुलाहट होना शुरु हो गया
।। उसका जी तो कर रहा था कि अपनी हथेली को उसके पेंट में बढ़ रहे उभार पर रख कर दबोच ले। लेकिन यहां ऐसा करना ठीक नहीं था। नीलू फिर से सबकी नजर बचाकर अपनी हथेली को उसकी जाँघो पर सहलाते हुए बोली।)

नीलु: बोलो तो सही में कैसी लगती हूं।(नीलु राहुल की शर्म और उसकी घबराहट को भाँपतो हुए।) क्या यार तुम तो कितना डरते हो। अरे कुछ नहीं तो इतना तो कह सकते हो की अच्छी लगती हुं की खराब लगती हु।
( इतना कहने के साथ ही नीलू राहुल से और ज्यादा सट गई। एक लड़की के बदन से पहली बार उसका बदन सटा हुआ था । राहुल के पूरे बदन में सनसनाहट फेल रही थी। अजब से सुख का अहसास उसके पूरे बदन मे हो रहा था। राहुल जितना सरकता जाता नीलु उतना ही उसके करीब खसकती जाती। राहुल के माथे पर पसीने की बूंदे झलकने लगी। राहुल का हाल देखते हुए नीलू फिर बोली।)

नीलु; यार तुम तो सच में बहुत डरपोक हो। कुछ बोल ही नहीं रहे हो (उसकी हथेली अभी भी राहुल की जाँघो के ऊपर की तरफ ही थी। अब तो राहुल की पेंट मे एकदम से तना हुआ तंबु बन चुका था। जिसको देख देख कर नीलू की जाघोँ के बीच हलचल मची हुई थी।)
या तो कुछ बोलो या मैं यह समझूं की तुम्हें मैं अच्छी नहीं लगती।
( नीलू की बात सुनते ही राहुल एकाएक बोला।)

राहुल; नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मुझे तो तुम( अपना सिर नीचे झुकाते हुए) बहुत अच्छी लगती हो।

(
राहुल की बात सुनते हुए नीलू मन ही मन बहुत खूश हो रही थी। वह उससे और ज्यादा बातें कर पाती इससे पहले ही रिषेश पूरी होने की घंटी बज गई। घंटी बजते ही राहुल तुरंत उठ गया। नीलू तुरंत उसका हाथ पकड़ ली। राहुल का हाथ नीलू के हाथ में आते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी। राहुल अपनी नजरें नीलू की तरफ घूमाया तो उसकी नजर खुद बखुद नीचे हो गई वह नीलू से नजरें नहीं मिला पा रहा था। तभी नीलू बोली)

नीलु: विनीत तो बाइक लेकर घर चला गया। तुम कैसे जाओगे राहुल घर।
( नीलू के सवाल का जवाब देते हुए राहुल बोला)

राहुल ;पैदल ही चला जाऊंगा इसमें क्या हुआ।

नीलु: कोई बात नहीं राहुल हूं मैं तुम्हें छोड़ दूंगी। मैं अपनी गाड़ी लाई हूं।
( नीलू की बात सुनकर राहुल खुश होता हुआ बोला)

राहुल: थैंक यू।
नीलु; इसमे थैंक्यू केसा ( राहुल का हाँथ अभी भी नीलू के हाथ में था। राहुल कसमसा रहा था क्योंकि उसकी पेंट में अभी-भी तंबू बना हुआ था जिसे वह नीलू की नजरों से बचाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। लेकिन नीलू की नजर बार-बार तंबू पर ही जम जा रही थी । राहुल की जांघों के बीच नजर गड़ाते हुए) वैसे भी दोस्ती में थैंक्यू वैंक्यू कुछ नहीं होता। वैसे हम दोनों दोस्त तो है ना। की दोस्त नहीं है।
( नीलू सवालिया नजरों से राहुल की तरफ देखने लगे तो राहुल बोला।)
राहुल: हां है। ( इतना कहकर शर्मा गया। नीलू राहुल का जवाब सुनकर मुस्करा दी और उसका हाथ छोड़ दी।)
नीलु: छुट्टी में मिलना साथ में चलेंगे।
नीलू की बात सुनकर
राहुल खुश होता वह अपने क्लास की तरफ चला गया और नीलू भी अपनी क्लास में चले गई।)
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Rohit Kapoor
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Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: होता है जो वो हो जाने दो

Post by Rohit Kapoor »

राहुल क्लास में आज बहुत खुश नजर आ रहा था आज पहली बार उसने किसी लड़की से इतनी सारी बातें की थी उसे तो यकीन नहीं आ रहा था यह सब सच है या एक सपना। उसे तो अब बस छुट्टी की घंटी के बजने का इंतजार था। बार-बार की आंखों के सामने नीलू का चेहरा तेर जा रहा था। लेकिन उसे इस बात पर शर्मिंदगी भी हो रही थी कि। उसके पेंट में बने तंबू को देखकर नीलू क्या सोच रही होगी। क्योंकि वह तिरछी नजरों से नीलू को देख ले रहा था और उसकी नजरें भी उसकी पेंट मे बने तंबू पर ही थी। लेकिन कुछ भी हो आज जो हुआ उसको लेकर उसके मन में हलचल सी मची हुई थी
अब राहुल का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था । बड़ी बेसब्री से उसे छुट्टी का इंतजार था।
वहीं दूसरी तरफ नीलू का भी यही हाल था मन ही मन में राहुल उसे भाने लगा था। उसकी मासूमियत उसका भोलापन उसका भोला सा चेहरा यह सब नीलू को बहुत ही ज्यादा भा रहा था। खास करके नीलू को उसकी पेंट में बने उभार की तरफ ज्यादा ही दिलचस्पी थी। नीलू को उसकी पेंट का उभार कुछ ज्यादा ही पसंद आया था
नीलू के मन में उसके उभार को देखकर लड्डू फूट रहे
थे । क्योंकि वह बखूबी जानती थी कि वीनीत के पेंट में जितना उभार बनता है उससे कहीं ज्यादा उभार राहुल की पेंट में बन रहा था । नीलू के मन में इस बात को लेकर ज्यादा उत्सुकता थी कि अगर राहुल की पैंट का उभार इतना बड़ा है तो उसका लंड कितना बड़ा होगा।
यही सब सोच सोच कर उसकी बुर की अंदरुनी दीवारें पसीज कर पैंटी को गीला कर रही थी।
दोनों का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था दोनों को बस इंतजार था छुट्टी की घंटी बजने का।
अपने समय अनुसार घंटी बज गई। राहुल का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे नीलू से मीले । वो टहलते टहलते पार्किंग तक आ पहुंचा। वहां देखा तो नीलू नहीं थी। उसका मन उदास होने लगा। तभी सामने से उसे नीलू लगभग दौड़ते हुए उसके करीब आते हुए दिखाई दी । राहुल नीलू को देख कर बहुत खुश हुआ। हवा में लहरा रहे उसके रेशमी बाल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। सूरज की तीखी रोशनी में उसका चेहरा और भी ज्यादा दमक रहा था। लेकिन राहुल की नजर उसकी खूबसूरती का रसपान करते हुए उसके बदन के खास अंग पर अटक गई जब वह लगभग दौड़ते हुए आ रही थी तब दौड़ने की वजह से उस की चुचीयाँ ऊपर नीचे होकर ।

राहुल के बदन मैं हलचल पैदा कर रही थी। राहुल उसकी चुचियों की गोलाई को देखता ही रह गया। नीलू की चुचीयाँ राहुल को बहुत ज्यादा ही परेशान कर रही थी। राहुल और कुछ ज्यादा सोच पाता ईससे पहले नील ुउसके करीब पहुंच गई। और इस तरह से जल्दी जल्दी
दौड़ कर आने से वह हाँपने लगी। और हाँफते हाँफते बोली।।

नीलु; सॉरी राहुल मुझे आने में देर हो गया। तुम्हें इंतजार करना पड़ा इसके लिए मैं माफी मांगती हूं।(
हाँफने की वजह से नीलू की चुचीया ऊपर-नीचे होते हुए हील रही थी। जिस पर ना चाहते हुए भी राहुल की नजर बार बार चली जा रही थी।
अपनी नजरों को चुराते हुए राहुल बोला।

राहुल: इसमें माफी मांगने वाली क्या बात है इतना तो चलता ही है।
( राहुल की बात सुनकर वह पार्किंग की तरफ जाते हुए बोली।)

नीलु: अच्छा तुम रुको मैं गाड़ी लेकर आती हूं।
( राहुल हाँ मे सिर हिला कर वहीं खड़ा रहा कुछ ही देर मे नीलु अपनी स्कूटी लेकर राहुल के पास आकर खड़ी हुई और बोली।)

नीलु: बैठ जाओ राहुल।( इतना कहकर नीलू अपनी गांड को आगे की तरफ थोड़ा सा सरका ली ताकि राहुल ठीक से बैठ सके। राहुल भी एक हाथ में बेग लटकाकर स्कूटी पर नीलू के पीछे बैठ गया। नीलू स्कूटी को कम रफ्तार में भगाने लगी। पीछे की सीट थोड़ी ऊपर होने की वजह से नीलू जब-जब ब्रेक लेती तो राहुल सरककर नीलू की पीठ से सट जाता। और जैसे ही राहुल का बदन नीलू की पीठ से सटता राहुल का बदन पूरी तरह से गनं गना जाता। राहुल तुरंत पीछे की तरफ खिसक जाता । नीलू को इस में बहुत मजा आ रहा था। इसलिए वह बार-बार ब्रेक लगा रही थी। लेकिन बार-बार राहुल का इस तरह से नीलू के बदन से चिपक जाना उसके बदन को गनगना दे रहा था । जिससे राहुल का लंड फुल टाइट होकर खड़ा हो चुका था। राहुल को भी उसके बदन से सटने में बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में नीलु की गांड के ऊपरी हिस्से पर कुछ कड़क सी चीज चुभने का एहसास होने लगा जब उसको थोड़ा सा ईसका एहसास हुआ की यह तो राहुल का लंड है । बस इतना सोचते हैं उसकी जाघों के बीच झुरझुरी सी फेल गई । नीलू की बुर से मदनरस की एक दो बुँद चु गई जिससे उसकी पैंटी गीली हो गई। उसे यह सोचकर और ताज्जुब हुआ कि ऐसे ही वीनीत भी बेठता था। उसका भी इसी तरह से खड़ा होता था लेकिन आज तक विनीत का लंड उसकी पीठ पर कभी भी नहीं चुभा। नीलू इसी बात से हैरान थी कि वास्तव में राहुल का लंड ज्यादा ही बड़ा है तभी तो उसके पीठ पर चुभ रहा है। अब तो राहुल उसे और भी ज्यादा अच्छा लगने लगा था। रास्ते भर उसने राहुल के बारे में उसकी फैमिली के बारे में सब कुछ जान ली। राहुल भी उसके सवाल का जवाब देता गया। थोड़ी ही देर में वह चौराहा आ गया जहां पर राहुल को उतरना था।
राहुल: बस बस बस यहीं उतार दो।
( नीलू स्कूटी को रोकते हुए)

नीलु: यहाँ चलो मैं तुम को घर तक छोड़ दूं।
( राहुल स्कूटी से उतरते हुए)
राहुल; कोई बात नहीं मैं चला जाऊंगा तुम इतनी तकलीफ मत उठाओ।( राहुल की बात सुनकर नीलू मुस्कुरा दी और बोली।)
नीलु; कल तो संडे है कल कुछ काम तो नहीं है तुम्हें।

राहुल: नहीं कल मैं फ्री हूं।
नीलु; तो कल कहीं घूमने चलें मैं तुम्हें यहां से पिक कर लूंगी। चलोगे ना।
राहुल; तुम कहती हो तो जरुर चलूंगा।
नीलु; तो ठीक है कल 10:00 बजे मिलेंगे यहीं पर( इतना कहकर वह स्कूटी को आगे बढ़ा दी।
राहुल नीलू को जाते हुए देखता रह गया और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई तब तक वही सड़क पर खड़ा नीलुको देखता रहा।
आज राहुल बहुत खुश था चहल कदमी करते हुए अपने घर की तरफ जाने लगा। बार बार नीलु की पीठ से सट जाने की वजह से उसके लंड का तनाव अभी भी बरकरार था। पहली बार उसने किसी लड़की से इतनी बातें की थी और उसके बदन से सटा भी था।वौ सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उससे इतना लगाव रखने लगेगी। नीलु से हुई सारी बातें सोचते हुए वह कब घर पहुंच गया उसे पता ही नहीं चला । घर की एक चाबी राहुल के पास ही हुआ करती थी। राहुल अपनी जेब से चाभी निकालकर ताला खोला। ईसी समय राहुल अक्सर घर पहुँचा करता था । और इस समय घर पर न उसकी मम्मी होती ओर न ही उसका छोटा भाइ।
नीलू को याद करके राहुल के बदन में रह रह के सनसनी फैल जा रही थी । जब भी वह नीलू की उछलती हुई चुचियों के बारे में सोचता उसके लंड मे तनाव आना शुरु हो जाता था। राहुल को इस बात से बहुत ज्यादा शर्मिंदगी होती थी। वो अब तक यह नहीं समझ पाया था कि आखिरकार नीलू के बारे में सोचते ही ऐसा क्यों हो जाता है। खैर जो भी हो उसे भी लंड में आए तनाव से ज्यादा मजा मिल रहा था।
दोपहर का समय हो रहा था उसे भूख भी लगी थी तो वह हाथ पैर धोकर किचन में गया और वहां से खाना ले कर खाने लगा। खाना खा कर आराम करने की सोचकर वो अपने कमरे मे लेट गया । लेकीन उसकी आँखो से नींद कोसो दूर चली गई थी। उसे कल का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। वो यही सोच रहा था की कल की मुलाकात कैसी होगी क्या होगा कल। कैसे वौ उससे बात करेगा। यही सब सोचते हुए उसकी धड़कने बढ़ रही थी। बार बार सोने की सोचता लेकीन ऐसे मे उसे नींद कहाँ आने वाली थी। कंटाल के वह बिस्तर से उठा और घर के बाहर आ गया। वह सोचा कि जब तक नींद नहीं आ रही है क्यों ना बाहर टहल लिया जाए । इसलिए वह यहां-वहां घूम कर अपना समय व्यतीत करने लगा।
दूसरी तरफ अलका अपनी केबीन मे बैठकर कम्पयुटर ऑपरेट कर रही थी। शर्मा जी बार बार उसे झाँकने का उससे बात करने का बहाना ढुँढ़ रहा था। अलका के बारे मे सोच सोच कर शर्मा जी का भी लंड तन जा रहा था।
शर्मा जी से रहा नहीं गया तो वह अलका की केबिन की तरफ एक फाइल उठाए चल दिए।
अलका की कैबिन तक पहुंच कर शर्मा जी बिना दरवाजे पर नॉक किए सीधे केबिन में घुस गए काम की व्यस्तता के कारण अलका के सिर से साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था जिससे सीने पर से आंचल हटने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां ब्लाउज से आधी बाहर दिखने लगी थी। जिससे शर्मा जी की नजर केबीन का दरवाजा खोलते ही सीधे अलका की छातियों पर पड़ी। अलका की भारी छाती देखते ही शर्मा जी के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया । शर्मा जी को केबिन के अंदर देखते हैं अलका झट से नीचे गिरा हुआ पल्लू उठा कर अपने सर पर रखते हुए अपने अस्त व्यस्त कपड़ों को व्यवस्थित करने लगी यह देख कर शर्मा मुस्करा दिया उसकी मुस्कुराहट में वासना साफ झलक रही थी।
वैसे भी इसमें शर्मा का दोष नहीं था उसकी जगह कोई भी होता तो अलका की भारी छातियों को देखकर उसका हाल यही होता। अलका की भी शुरु से यही आदत थी की वह अपनी बड़ी बड़ी चुचियों के साइज से कम साइज की ब्लाउज पहना करती थी। जिससे अलका की आधी चुचियां ब्लाउज के बाहर दिखाई देती थी। चुचियों से ज्यादा असर ब्लाउज में कसे होने की वजह से चूचीयों के बीच में उभरती हुई वह रेखा कुछ ज्यादा ही लंड को तडपा जाती थी।
अलका अपनी साड़ियों को व्यवस्थित करते हुए शर्मा जी को लगभग बिगड़ते हुए बोली।

अलका: शर्मा जी क्या आप को इतना भी ज्ञान नहीं है कि किसी की केबिन में जाने से पहले दरवाजे पर नोक कर लिया जाए।
( शर्मा अपने चेहरे पर बनावटी हंसी लाते हुए)
शर्मा जी: अब क्या कहे मेडम यह कोई घर थोड़ी ना है। ये तो ऑफिस है और यहां कैसा परदा। और वैसे भी मैडम यहां ऑफिस में भला कोई गलत काम तो कर नहीं रहा है जो ये सब का इतना ध्यान रखेगा। गलत काम तो घर में होता है ना मैडम आप आप मेरे कहने का मतलब तो समझ रही है ना। ( शर्मा के कहने का मतलब कुछ और ही था जिसको अलका अच्छी तरह से जानती थी ।) वैसे कहीं आप तो कुछ……गलत…( शर्मा इसके आगे कुछ कह पाता उससे पहले ही आलका बोल पड़ी)


अलका: शट अप शर्मा जी । अपनी जबान को लगाम दो आप केवल काम से मतलब रखें। फिजूल की बातें सुनने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है।
( अलका का गुस्सा देखकर शर्मा जी थोड़ा घबरा से गए और बोले)

शर्मा जी ;अरे मैडम आप तो बेवजह नाराज हो रही हैं। मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था।

अलका ;किसलिए आए हैं आप यहां पर?

शर्मा जी; क्या है मैडम ये एक फाइल थी जिसे साहब के पास ले जाना है और आप इसे चेक कर लेती तो अच्छा होता(टेबल पर फाईल रखते हुए) साहब से बेवजह की डाट कौन सुने ( अपनी नजर को अलका की चुचीयो के बीच उभर रही रेखा पर गड़ाते हुए) इसलिए ये फाइल आप चेक कर लेती तो बेहतर होता। ( अलका शर्मा जी की नजर को भाँप गई थी वह जानती थी कि शर्मा जी उसकी चुचियों पर नजर गड़ाए हुए हैं इसलिए अपने हाथ से साड़ी को व्यवस्थित करते हुए)
अलका :ठीक है आप जाइए मैं फाइल चेक कर लूंगी।
(
अलका के कहने के बावजूद भी शर्मा अपनी नजर को उसकी चुचीयो पर गड़ाए हुए था। इस बात से अलका एकदम से नाराज होते गुस्से में बोली)


अलका; शर्मा जी।
( अलका थोड़ा जोर से बोली थी इसलिए शर्मा एकदम से हड़वड़ा गया। और हड़बड़ाते हुए बोला।)

शर्मा जी :अरे जा रहे हैं आप इतना नाराज क्यूं होती हो मैडम।( जाते जाते भी जैसे कि वह अलका की चुचीयो को नजरों से ही पी जाना चाहता हूं इस तरह से अपनी नजर गड़ा के गहरी सांस लेकर छोड़ते हुए केबिन से बाहर चला गया। अलका के लिए हर रोज का हो गया था इसलिए वह इसे हैंडल करना बखुगी जानती थी।)
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