नए पड़ोसी complete

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Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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रात भर आंटी मेरे सपने में आती रही. अगले दिन १० बजे सुबह मैं नहा धोकर मयंक के घर पहुच गया पर अब मेरा मकसद रुची से दोस्ती से ज्यादा आंटी के हुस्न का दीदार करने का था. सन्डे था तो ओम की दुकान बंद थी. सन्डे को वो दुकान देर से खोलता था और जल्दी बंद करता था. मैंने घंटी बजाई तो मयंक ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर अपने कमरे में ले गया पर मुझे आंटी या रुची नहीं दिखी. मयंक बोला की यार आ रहे थे तो रश्मि को साथ लेते आते. तुम तो रुची से बातें करोगे और मैं बोर हो जाऊँगा.

मैं समझ गया की ये सीधे सीधे एक हाथ ले और एक हाथ दे बोल रहा है पर फिलहाल मेरा ध्यान रुची से ज्यादा आंटी पर था. मैंने बोला दीदी सन्डे को देर तक सोती है. अभी तक तो उसने ब्रेकफास्ट भी नहीं किया है तो कैसे बुला लाऊं. मैंने बहाना मारा और पूछ ही लिया यार आंटी नहीं दिखाई दे रहीं. मयंक बोला मम्मी पापा सुबह सुबह गाँव गए है. रात तक वापस आएंगे. तभी तो बोल रहा हूँ की जाकर रश्मि को भी ले आओ.

आंटी घर में नहीं है ये सुन कर मेरा मूड थोडा ख़राब तो हुआ पर ये साला मयंक मेरी बहन के पीछे ही पड़ा हुआ है ये सोच कर मूड ज्यादा ख़राब हो रहा था. पर साला मयंक भी घाघ था. बोला अच्छा तुम रुको मैं रुची से कहता हूँ और वो वही से चिल्ला कर रुची से बोला की सुनो रुची, देखो मनीष आया है. तुम रश्मि को भी फ़ोन करके बुला लो तो हम सब मिल कर टाइम पास करेंगे.

बगल वाला रूम ही रुची का था. उसने भी वही से आवाज लगाई की ठीक है भैया. अभी फोन करती हूँ. इसके बाद मयंक ने जो बोला तो मेरा जलता हुआ दिल फिर से खुश हो गया. वो रुची से बोला की फोन करके तुम भी मेरे कमरे में ही आ जाओ. आज तो मनीष ख़ास तुमसे ही मिलने आया है. रुची बोली ठीक है भैया मैं बस नहा कर १० मिनट में आई.
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

Post by Rishu »

मैं बेसब्री से १० मिनट ख़तम होने का इंतज़ार करने लगा पर मेरे इंतज़ार से पहले मयंक का इंतज़ार ख़तम हो गया और रश्मि कमरे में दाखिल हो गयी. वो शायद छत से ही आ गयी थी क्योंकि किसी ने घंटी तो बजाई नहीं. मैंने गौर से देखा की दीदी ने सुबह वाले कपडे बदल कर स्कर्ट टॉप पेहन लिया है और हलकी ली लिपिस्टिक के साथ हल्का मेकअप भी किया था. वैसे तो दीदी कहीं पार्टी वार्टी में जाने के लिए ही ऐसा मेकअप करती थी पर यहाँ आने के लिए भी मेकअप. बहुत आग लगी है मेरे दिल से आवाज आई. उसको देखते ही मयंक खड़ा हो गया और बोला यहाँ बैठो रश्मि. दीदी मयंक की चेयर पर बैठ गयी. मयंक साथ की टेबल पर ही बैठ गया. मैंने देखा की ऐसे बैठने से मयंक को दीदी के टॉप के गले के अन्दर जरूर दिखाई दे रहा होगा. अगर दीदी ने ब्रा नहीं शायद चुचिया भी दिख जाएँगी. मैं ध्यान से देखने लगा की दीदी ने ब्रा पहना है या नहीं. दीदी ने ब्रा पहना हुआ था पर इन ख्यालों ने मेरे लंड में हल्का तनाव ला दिया.

तभी दीदी ने पुछा मुझे बुला कर रुची कहाँ चली गयी.

आ जाएगी. कभी हमसे भी बात कर लिया करो. मयंक ने मुस्कुराते हुए कहा.

मेरे सामने मयंक दीदी से ऐसे बोलेगा दीदी को ये उम्मीद नहीं थी. वो अचानक थोडा घबरा गयी. मुझे भी अजीब लगा की साला मेरे सामने ही मेरी बहन पर फुल लाइन मार रहा है. मयंक भी दीदी की दुविधा समझ गया. मुझसे बोला अरे मनीष देखो तो जाकर रुची कहा है. उसको बता दो की रश्मि आ गयी है.

हम दोनों को पता था की रुची नहा रही है. अब मयंक तो मुझे ऑफर दे रहा था की जाकर बाथरूम में झाकूँ जहाँ उसकी बहन नंगी नहा रही होगी और तब तक वो रश्मि के साथ कुछ बात कर सके. मुझे क्या ऐतराज हो सकता था. मैं जल्दी जल्दी बाहर निकला और बाथरूम की तरफ बढ़ा. बाथरूम की खिड़की के पास कुर्सी रख कर जब मैंने अन्दर देखा तो klpd हो चुकी थी यानि की रुची नहा चुकी थी और गुलाबी स्कर्ट और ब्लैक ब्रा में शीशे के सामने खड़े होकर अपने बाल पोछ रही थी. रुची की चुंचिया दीदी से छोटी पर थोड़े बड़े अमरुद के साइज़ की थी. मैंने सोचा की भागते भूत की लंगोटी ही सही. पूरा न सही रुची को अधनंगा तो देख ही लिया है. मैं धीरे से बाथरूम के दरवाजे पर आया और दरवाजा नॉक करके बोला की रुची रश्मि आ गयी है.

रुची बोली ५ मिनट में आई. और मैं दबे कदमो वापस मयंक के कमरे की तरफ वापस आ गया और दरवाजे के पास खड़े होकर अन्दर की बाते सुनने लगा...
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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"पर तुमने उसके सामने ऐसे क्यों बोला." दीदी ने थोडा गुस्से से कहा. शायद वो मेरे सामने मयंक ने उनसे जो फ़्लर्ट किया उससे नाराज थी.

"अब प्यार किया तो डरना क्या." मयंक ने जवाब दिया.

साला एक मैं ही स्लो मोशन में चल रहा हूँ. उधर ओम भी बाज़ी मार गया और अब ये मयंक भी सीधे सीधे दीदी से प्यार मोहब्बत की बात कर रहा है. लगता है इसने दीदी को पहले ही पटा लिया है और मेरे सामने नाटक कर रहा था.

"अभी मैंने तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं किया है." दीदी ने थोडा नरम लहजे में बोला.

तो साले ने दीदी को प्रोपोसे भी कर रखा है पर दीदी ने जवाब नहीं दिया. पर दीदी की बॉडी लैंग्वेज से जब मुझे पता चल रहा है तो साले मयंक को तो पक्का पता होगा की दीदी का जवाब क्या है.

"रिजेक्ट भी तो नहीं किया है." मयंक ने जवाब दिया, "और मनीष से क्या शरमाना. वो तो खुद रुची से दोस्ती करना चाहता है. और मैं उसकी दोस्ती रुची से करवा इसीलिए रहा हूँ ताकि हमें उसकी तरफ से कोई चिंता न रहे."

"देखो मैं तुम्हारी जैसे मॉडर्न नहीं हूँ और फिर से मनीष के सामने मुझसे ऐसे बात मत करना. वरना प्रपोजल रिजेक्ट भी हो सकता है." दीदी ने अपनी असहजता बताई.

"तो ठीक है मैं अभी मनीष और रुची को दुसरे कमरे में भेज दूंगा. फिर हम दोनों यहाँ बैठ कर आराम से बात करेंगे." मयंक ने कहा.

"पागल हो क्या. मनीष क्या सोचेगा की दीदी मयंक से क्या बात कर रही होगी." दीदी ने ऐतराज किया.

"वही जो वो रुची से करेगा" मयंक ने जवाब दिया.

"मैंने कहा न की मैं तुम्हारे जैसे मॉडर्न नहीं हूँ. हम सब एक साथ ही बैठेंगे." दीदी ने बोला.

तभी बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैं कमरे के अन्दर आ गया और बोला की रुची अभी 2 मिनट में आ रही है. मेरे बोलते बोलते रुची कमरे में आ भी गयी. हम सब साथ बैठ गए और बातें करने लगे. दीदी ने मयंक को अल्टीमेटम दे दिया था तो उसने दुबारा ऐसे वैसी हरकत नहीं की. कुल मिला कर हम सब पूरे दिन फालतू की बातें करते रहे मगर एक अच्छी चीज ये हुई की मेरी रुची से बातचीत हो गयी और आगे से मैं उसके साथ कभी भी डायरेक्ट बात करने की हालत में आ गया था.
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Re: नए पड़ोसी

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पर मैं रुची की तरफ उस तेज़ी से नहीं बढ़ पा रहा था जैसे की मयंक ने दीदी के साथ दिखाई थी यानी मैंने अभी उसको प्रोपोस नहीं किया था मामला मेरी तरफ से दोस्ती पर ही अटका था. एक दो बार मैंने कोशिश की भी की बात इधर उधर घुमा कर प्यार मोहब्बत तक ले जाऊं पर रुची भी अपने भाई की तरह चालाक लौंडिया थी. वो उल्टा मुझे ही घुमा देती और जब बात प्यार मोहब्बत तक नहीं पहुच पा रही थी तो चुदाई तो बहुत दूर की बात थी.
इधर मैंने मयंक और दीदी पर भी कड़ी निगरानी रखी थी जिससे वो दीदी के साथ कुछ कर न पाए और मैं अपनी इस कोशिश में कामयाब भी हुआ था. हम लोगों की गर्मी की छुट्टियाँ भी शुरू हो गयी थी और मयंक रुची के साथ कुछ दिनों के लिए अपनी नानी के यहाँ चला गया. अब मुझे दीदी की निगरानी से कुछ फुर्सत मिली तो मैं सोचा वापस ओम और आंटी पर लगा जाए. शायद वही कुछ मिल जाए और दो दिन बाद ही मैंने देखा की ओम की दुकान दोपहर में बंद है. मैं समझ गया की आंटी अकेले घर पर ओम के साथ मजे ले रही होगी. मैंने हिम्मत की और उनकी छत पर कूद गया. मैंने तय कर लिया था की आज जब ओम आंटी पर चढ़ेगा तो मैं भी कमरे में घुस जाऊँगा फिर जो होगा देखा जायेगा. पर असलियत में जो हुआ वो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.
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Rohit Kapoor
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Re: नए पड़ोसी

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मित्र देर आए दुरुस्त आए

कमाल का अपडेट दिया है थॅंक्स
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