नए पड़ोसी complete

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Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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मेरी फट के हाथ में आ गयी. मुझे और कुछ समझ नहीं आया तो मैंने भी बोल दिया की "ठीक है फिर मैं भी अंकल को बोल दूंगा."

आंटी ने मुझे अजीब नजरो से घूरते हुए कहा. "क्या बोल दोगे."

"आपके और ओम भैया के बारे में." मैंने दिल की धडकनों को काबू करते हुए कहा.

"क्या बकवास कर रहे हो. क्या कहा है ओम ने मेरे बारे में?" आंटी ने सकपकाते हुए कहा.

मुझे लगा शायद जान बच जाये. "मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा. मैंने सब अपनी आँखों से देखा है." मैंने जवाब दिया.

"क्या देखा है." आंटी की आवाज ठंडी पड गयी.

मैंने सोचा की अब आर या पार. मैंने ब्लफ मारते हुए कहा. "जब पहली बार ओम ने आपको उस कमरे में चोदा था तब से अभी तक आप लोगो के बीच जो भी हुआ सब देखा है. ओम दोपहर में दुकान बंद करके जो आपके साथ..."

"छि छि. ये कैसी गन्दी बातें करते हो. ये भाषा किसने सिखाई." आंटी ने मुझे रोकते हुए बोला.

"जी आप कर सकती है और मैं कह भी नही सकता." मैंने भी अब पीछे न हटने की कसम खा ली थी.
Rishu
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Re: नए पड़ोसी

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"अच्छा ठीक है. जाओ. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी और तुम भी नहीं कहना". आंटी ने मुझसे कहा.

पर यही तो मौका था. ये गया तो हमेशा के लिए मौका गया क्योंकि आगे से आंटी सतर्क हो जाएगी. इसीलिए मैंने बोला, "नहीं कहूँगा पर आपको मेरे साथ भी एक बार..."

"चुप रहो. एक तो मैं तुमको जाने दे रही हूँ. तुमको क्या लगता है की जब मैं उनको बताऊंगी की तुम मुझे नहाते देख रहे थे तो उसके बाद बी वो तुम्हारी बात पर विश्वास कर लेंगे. चुपचाप चले जाओ वरना सच में तुम्हारे पापा को फ़ोन कर दूँगी." आंटी ने गुस्से से कहा.

"कर दीजिये." मैंने आराम से कहा. "और सोचिये की अगर एक परसेंट भी अंकल ने मेरी बात पर विश्वास कर लिया तो आपका क्या होगा. इसीलिए कह रहा हूँ और वैसे भी आपको क्या फरक पड़ता है. जैसे ओम वैसे मैं."

"तुम अभी बच्चे हो." आंटी ने शायद मन में मेरी बात पर गौर किया था.

मैंने हिम्मत करके फिर से बोला, "बिना मौका दिए ये आप कैसे कह सकती है."

आंटी ने थोड़ी देर कुछ सोचा फिर मेरे पास आई और बोली, "ठीक है. चल आज मैं तुझे मौका देकर भी देख लेती हूँ."
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Re: नए पड़ोसी

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और मुझे लेकर बेडरूम में आ गयी. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की ये सच है या सपना. ये और बात है की मैं इस घडी का दिन रात सपना देखता था लेकिन मन के किसी कोने में मैं जानता था की ये होना संभव नहीं है. पर तभी आंटी ने मेरा लंड कर दबा दिया तो मैं हकीकत की दुनिया में आ गया. आंटी बोली "लगता तो बच्चे जैसा ही है."

मैंने कहा "अभी तो बाहर से देखा है."

फिर आंटी धीरे से अपना हाथ मेरे कपड़ो के अंदर डाल कर लण्ड को सहलाने लगी. मैंने कभी कुछ किया तो था नहीं बस देखा ही था ओम को करते हुए. मैंने ओम जैसा ही आंटी को किस करने की कोशिश की पर आंटी ने मुझे रोक दिया. फिर भी मैंने भी उनके शरीर को इधर उधर छूना शुरू कर दिया. उनके शरीर से साबुन की भीनी भीनी सुगंध आ रही थी और उनका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था. इन दोनों बातों का असर जल्द ही मेरे लंड पर दिखने लगा और लंड पूरा खड़ा हो गया. अब मैं वासना से मस्त होकर आंटी के मम्मे दबाने लगा.

आंटी ने हाथ बाहर निकाला और अपने ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसे उतर दिया और वापस मेरे लण्ड के साथ खेलने में मस्त हो गयी. मैंने उनके मम्मे को ब्रा से बाहर निकल कर नंगा कर दिया और उससे खेलने लगा. मेरा एक हाथ उनके मम्मे पर और दूसरा हाथ उनकी साड़ी के ऊपर से उनकी चूत रगड़ रहा था. अचानक आंटी रुकी और उन्होंने मेरे सारे कपडे उतार दिए. फिर उन्होंने अपनी साड़ी भी उतार दी. अब हम दोनों लगभग पूरे नंगे थे सिर्फ आंटी की ब्रा उनके कंधो पर लटक रही थी. उसको उतारने का शुभ काम मैंने किया और उनके एक मम्मे को मुँह में ले कर कस कर चूसने लगा. इतने में आंटी की सिसकारियाँ शुरू हो गई. आंटी भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी. फिर आंटी ने मेरा लंड ध्यान से देखा और बोली, "हम्म्म. इतना बच्चा भी नहीं रहा तू. तेरे अंकल से तो बड़ा ही है. अच्छा है.
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मैंने धीरे से पूछा. "क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ?"

तो वो बोली "अब पूछ मत जो मन करे वो कर."

मैंने धीरे से आंटी की चुत को छुआ. उनकी चूत गीली थी और झांटे तो उन्होंने अभी आधे घंटे पहले ही साफ़ की थी. मैंने ओम जैसा करता था वैसे ही अपनी जीभ उनकी चूत पर लगाई तो उन्हें तो जैसे करंट लग गया हो. उन्होंने एक जोर का झटका लिया और मैं उनकी चूत का स्वाद लेने लगा. उन्होंने कहा दाने को चाटो दाने को. मैं दाने को चाटने की जगह हल्का सा काट बैठा. वह कसमसा कर बोली "उफ्फ्फ. जान लोगे क्या" और तेज तेज सिसकारियाँ लेने लगी. मैं अपनी जीभ उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगा, उनकी सिसकारियाँ और तेज होती गई और 2 मिनट के बाद आंटी झड़ गई.

एक मिनट आंटी वैसे ही पड़ी रही फिर बोली, "ला. तेरा भी चूस देती हूँ." मैंने अपना लण्ड आंटी के मुँह के पास ले गया और आंटी उसे चूसने लगी. मुझे तो लगा की मैं तो जैसे जन्नत में पहुच गया.

आंटी कस कस कर मेरे लंड को चूस रही थी. मैं भी अब थोडा निश्चिन्त होकर उनके मम्मों को कस कस कर दबा रहा था. बीच बीच में उनके निप्पल भी नोच रहा था. जब मैं उनके निप्पल नोचता तब वो वो मेरे लंड पर अपने दांत गडा देती. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैं आंटी से बोला "मेरा निकलने वाला है"
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आंटी और जोर जोर से मेरा चूसने लगी और मैंने आंटी के मुँह में अपना पूरा पानी छोड़ दिया. आंटी ने मस्त होकर पूरा लण्ड साफ कर दिया और बोली अब थोड़ी देर तक तो ये किसी काम का नहीं है. मेरा लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था पर मैंने देखा था की ओम के झड़ने के बाद जब वो उसका लंड चूसती है तो वो फिर से खड़ा हो जाता है. मैंने उनसे कहा आप चूसती रहो. ये फिर से तैयार हो जायेगा.

वो हंसी और फिर से लंड मुह में लेकर चूसने लगी. कुछ देर में लंड फिर खड़ा हो गया. आंटी बोली वाकई बच्चा नहीं है तू. अब न मुझसे सबर हो रहा था न ही आंटी से. मैंने आंटी को नीचे लिटाया और खुद उनके ऊपर आ गया और उनकी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश की पर लंड बाहर ही फिसल गया. आंटी हंस पड़ी और बोली की अभी हरकतें बच्चो वाली ही है. आंटी ने एक तकिया उठा कर अपने चुतर के नीचे लगाई और फिर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर लगाया और बोली अब डालो. मैंने धीरे से अपने लंड को उनकी चूत में डाल दिया. उफ्फ्फ मुझे लगा की मेरा लंड एक आग की भट्टी में घुस गया है.

आंटी बोली अब अन्दर बाहर करो. जल्दीई हान्न्न आआईईईईऐऐअ ऐसे ही आआआअ.

मैंने धीरे धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए और आंटी ने भी चुतर उछालने शुरू कर दिए. मुझे अच्छा लगा की आंटी को भी अच्छा लग रहा है. मैं आंटी के ऊपर उनके मम्मों को चूस रहा था और लंड अन्दर बाहर कर रहा था. मैं अपनी जिंदगी की पहली चुदाई कर रहा था. मैं उत्तेजना से पागल ही हो गया था और जोर जोर से झटके लगाने लगा. अचानक मेरे लंड में दर्द सा उठा. पर मस्ती के आगे दर्द की किसी को क्या परवाह. मेरी गति तेज़ होती गई, फिर मैं और आंटी साथ में झड गए. मैं कुछ देर आंटी के ऊपर लेटा रहा. ढीला लंड आंटी की चूत में ही था और मैं आंटी को खूब चूम रहा था. साथ में उनके मम्मे दबा रहा था. फिर आंटी ने मुझे हटाया और उठा कर कपडे पहनने लगी. मैंने कहा मेरे लंड में कुछ दर्द सा हो रहा है शायद खून निकल रहा है...

आंटी ने लंड हाथ में लेकर देखा और मुस्कुरा कर बोली "तुम्हारा टोपा खुल गया. अब कुछ दिन इसकी ठीक से साफ़ सफाई करना वरना इन्फेक्शन हो जायेगा. कल आना तो एक दावा भी दूँगी. यहाँ लगा लेना. अब 4-५ दिन इससे ज्यादा छेड छाड़ मत करना. अब कपडे पहनो और जाओ." मैं जब कपडे पहन कर निकलने लगा तभी आंटी बोली "और सुनो जो हुआ उसका किसी से जिक्र मत करना. अपने किसी दोस्त से नहीं."

"ओम से?" मैंने पुछा.

"ओम से तो ख़ास तौर पर नहीं. समझे." आंटी ने कहा और मैं वापस घर चला आया.
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