Bhai kahan gayab ho
Waiting fir update
Bada se update ja intzar hai
नए पड़ोसी complete
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Re: नए पड़ोसी
ओम के बाथरूम के अन्दर जाते ही मैं भी बाथरूम के दरवाजे पर कान लगा कर खड़ा हो गया. अन्दर दीदी और ओम कुछ बातें कर रहे थे पर मुझे समझ में नहीं आ रही थी पर दीदी बीच बीच में हंस रही थी इसका मतलब उनका कल का गुस्सा ठंडा हो गया था. थोड़ी देर में शावर की आवाजे आने लगी और दीदी की उफ्फ आह अऔच की भी मतलब ओम रश्मि दीदी को शावर के नीचे चोद रहा था. मैंने थोड़ी ताक झाँक की कोशिश की लेकिन कोई सफलता नहीं मिली तो मैंने सोचा की कोई बात नहीं जब ओम निकलेगा तब पूछूंगा की आज दीदी ने इतने आराम से कैसे चुदवा लिया.
मैं ये भी सोच रहा था की 3-4 दिनों से रुची को नहीं चोदा और उसकी मम्मी को भी नहीं. एक दो दिन में इनमे से किसी एक को फिर से चोदना ही पड़ेगा. मैं ये सोच ही रहा था की अचानक बाथरूम का दरवाजा खुला और ओम दीदी को गोद में लेकर बाहर आ गया. दीदी और ओम पूरे नंगे थे और ओम का लंड दीदी की चूत में पैवस्त था. दीदी मुझे देख कर थोडा हडबडा गयी लेकिन ओम ने उनको कुछ कहने का मौका ही नही दिया और बेड में लिटा कर जोर जोर से चोदने लगा.
मैं फटी हुई आँखों से दीदी की मस्त चुदाई देखने लगा. दीदी की उफ्फ आह आउच फिर से शुरू हो गयी थी और ओम अचानक मेरी तरफ देख के बोला "अरे ऐसे क्या देख रहा है आँखे फाड़ फाड़ के?"
मैं अचानक इस सवाल से घबरा गया और अचानक ही बोल पड़ा "नहीं वो बिस्तर गीला हो रहा है."
"ये लो रश्मी, इसकी जवान कुवारी बहन इसकी आँखों के सामने चुद रही है और इसको बिस्तर गीला होने की पड़ी है. अरे घूर तो तू अपनी बहन को ऐसे रहा है जैसे खुद भी चोदना चाहता है." ओम ने मेरा मजाक सा उड़ाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर दीदी के मादक चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और ओम ने एक जोर का शॉट और लगाते हुए अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया.
मैं ये भी सोच रहा था की 3-4 दिनों से रुची को नहीं चोदा और उसकी मम्मी को भी नहीं. एक दो दिन में इनमे से किसी एक को फिर से चोदना ही पड़ेगा. मैं ये सोच ही रहा था की अचानक बाथरूम का दरवाजा खुला और ओम दीदी को गोद में लेकर बाहर आ गया. दीदी और ओम पूरे नंगे थे और ओम का लंड दीदी की चूत में पैवस्त था. दीदी मुझे देख कर थोडा हडबडा गयी लेकिन ओम ने उनको कुछ कहने का मौका ही नही दिया और बेड में लिटा कर जोर जोर से चोदने लगा.
मैं फटी हुई आँखों से दीदी की मस्त चुदाई देखने लगा. दीदी की उफ्फ आह आउच फिर से शुरू हो गयी थी और ओम अचानक मेरी तरफ देख के बोला "अरे ऐसे क्या देख रहा है आँखे फाड़ फाड़ के?"
मैं अचानक इस सवाल से घबरा गया और अचानक ही बोल पड़ा "नहीं वो बिस्तर गीला हो रहा है."
"ये लो रश्मी, इसकी जवान कुवारी बहन इसकी आँखों के सामने चुद रही है और इसको बिस्तर गीला होने की पड़ी है. अरे घूर तो तू अपनी बहन को ऐसे रहा है जैसे खुद भी चोदना चाहता है." ओम ने मेरा मजाक सा उड़ाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर दीदी के मादक चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और ओम ने एक जोर का शॉट और लगाते हुए अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया.
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Re: नए पड़ोसी
मुझे ओम की बात कुछ अच्छी नहीं लगी और मैं वापस नीचे आ गया लेकिन मेरी आँखों के सामने अभी भी दीदी का नंगा जिस्म ही घूम रहा था. करीब आधे घंटे बाद ओम भी वापस नीचे आया.
मैंने पुछा "रश्मि दीदी कहाँ है."
ओम ने जवाब दिया "अरे भाई नहाने गयी थी तो नहा कर ही आयेगी लेकिन तुम नीचे क्यों चले आये."
"तुम मेरा मजाक क्यों उड़ा रहे थे दीदी के सामने." मैंने नाराज़गी से बोला.
"अरे मेरे भोले मनीष बाबू मजाक की पॉवर तुम नहीं जानते. अब याद करो की जब मयंक ने रश्मि से कहा की तुमसे चुदवा ले वो कैसे भड़क गयी थी लेकिन आज जब मैंने वही बात बोली तो कैसे मुस्कुरा रही थी. तुम खामखाँ नीचे आ गए वरना मैं तुम्हारे और रश्मि के बारे में और गन्दी गन्दी बातें करता तो वो तुमसे थोडा और खुल जाती." ओम ने कहा.
"उससे क्या होगा यार? अब जैसे भी करो मुझे दीदी को जल्दी से चोदना है." मैंने रश्मि दीदी के नंगे चिकने बदन को याद करते हुए कहा.
"यार तुम समझते नहीं हो. हर औरत के अन्दर एक रंडी होती है अब हमको तुम्हारी बहन के अन्दर की रंडी को बाहर लाना है ताकि वो तुमसे चुदवा ले लेकिन अब तुम जल्दी मचा रहे हो तो गाडी टॉप गियर पर डालनी ही पड़ेगी." ओम ने कुछ सोचते हुए कहा. "अच्छा सुनो अभी तो मैं चलता हूँ पर कल तुम सुबह सुबह ही घर से गायब हो जाना."
मैंने पुछा "रश्मि दीदी कहाँ है."
ओम ने जवाब दिया "अरे भाई नहाने गयी थी तो नहा कर ही आयेगी लेकिन तुम नीचे क्यों चले आये."
"तुम मेरा मजाक क्यों उड़ा रहे थे दीदी के सामने." मैंने नाराज़गी से बोला.
"अरे मेरे भोले मनीष बाबू मजाक की पॉवर तुम नहीं जानते. अब याद करो की जब मयंक ने रश्मि से कहा की तुमसे चुदवा ले वो कैसे भड़क गयी थी लेकिन आज जब मैंने वही बात बोली तो कैसे मुस्कुरा रही थी. तुम खामखाँ नीचे आ गए वरना मैं तुम्हारे और रश्मि के बारे में और गन्दी गन्दी बातें करता तो वो तुमसे थोडा और खुल जाती." ओम ने कहा.
"उससे क्या होगा यार? अब जैसे भी करो मुझे दीदी को जल्दी से चोदना है." मैंने रश्मि दीदी के नंगे चिकने बदन को याद करते हुए कहा.
"यार तुम समझते नहीं हो. हर औरत के अन्दर एक रंडी होती है अब हमको तुम्हारी बहन के अन्दर की रंडी को बाहर लाना है ताकि वो तुमसे चुदवा ले लेकिन अब तुम जल्दी मचा रहे हो तो गाडी टॉप गियर पर डालनी ही पड़ेगी." ओम ने कुछ सोचते हुए कहा. "अच्छा सुनो अभी तो मैं चलता हूँ पर कल तुम सुबह सुबह ही घर से गायब हो जाना."
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Re: नए पड़ोसी
"पर क्यों और नीलम आंटी के घर नहीं चलना." मैंने पुछा.
"अरे नीलम की लौंडिया आ गयी है आज सुबह सुबह दिल्ली से. कुछ दिन रहेगी जब तक तुम रुची से काम चलाओ और जब तुम कल घर में नहीं रहोगे तब रश्मि के अन्दर का रंडापा जल्दी बाहर आयेगा. समझे." ओम बोला.
"अच्छा चारू दीदी आई है. ओम भाई वो भी तो टंच माल है. शादी के 4 साल बाद भी वैसे ही दिखती है. उनके साथ कुछ नहीं हो सकता." मैंने ओम से कहा.
"यार तुम बहुत डिमांड करते हो. अब सोच लो की मेहनत कहा करे तुम्हारी रश्मि दीदी पे की चारू दीदी पे." ओम ने हँसते हुए पुछा.
मैंने कहा "इसमें तो कोई चॉइस ही नहीं है. सगी बहन से बढ़कर कोई नहीं."
"तो बस कल जैसे ही तुम्हारे मम्मी पापा जाये तुम भी गायब हो लेना 2 घंटे के लिए." ओम ने जाते जाते कहा.
मैंने दरवाजा बंद किया और सोचा की कल सुबह आंटी के पास जाना चाहिए. काफी दिन हो गए थे उन्हें चोदे और जब से लाला को उनकी चुदाई करते देखा था तो मेरा मन भी मचल रहा था. मैं येही सोच रहा था की तब तक दीदी नहा कर नीचे आ गयी और मुझसे बोली "जा तू भी नहा ले तो मैं नाश्ता लगा दूं." मैंने भी टॉवल उठाया और ऊपर वाले बाथरूम में नहाने चला गया. वहां दीदी की ब्रा पैंटी पड़ी थी. दीदी की चुदाई देख कर मैं गरम तो हो गया था तो मैंने सोचा नीलम आंटी न सही दीदी की ब्रा पैंटी ही सही और मैंने दीदी की पैंटी में मुठ मारी और नहा कर वापस आ गया.
"अरे नीलम की लौंडिया आ गयी है आज सुबह सुबह दिल्ली से. कुछ दिन रहेगी जब तक तुम रुची से काम चलाओ और जब तुम कल घर में नहीं रहोगे तब रश्मि के अन्दर का रंडापा जल्दी बाहर आयेगा. समझे." ओम बोला.
"अच्छा चारू दीदी आई है. ओम भाई वो भी तो टंच माल है. शादी के 4 साल बाद भी वैसे ही दिखती है. उनके साथ कुछ नहीं हो सकता." मैंने ओम से कहा.
"यार तुम बहुत डिमांड करते हो. अब सोच लो की मेहनत कहा करे तुम्हारी रश्मि दीदी पे की चारू दीदी पे." ओम ने हँसते हुए पुछा.
मैंने कहा "इसमें तो कोई चॉइस ही नहीं है. सगी बहन से बढ़कर कोई नहीं."
"तो बस कल जैसे ही तुम्हारे मम्मी पापा जाये तुम भी गायब हो लेना 2 घंटे के लिए." ओम ने जाते जाते कहा.
मैंने दरवाजा बंद किया और सोचा की कल सुबह आंटी के पास जाना चाहिए. काफी दिन हो गए थे उन्हें चोदे और जब से लाला को उनकी चुदाई करते देखा था तो मेरा मन भी मचल रहा था. मैं येही सोच रहा था की तब तक दीदी नहा कर नीचे आ गयी और मुझसे बोली "जा तू भी नहा ले तो मैं नाश्ता लगा दूं." मैंने भी टॉवल उठाया और ऊपर वाले बाथरूम में नहाने चला गया. वहां दीदी की ब्रा पैंटी पड़ी थी. दीदी की चुदाई देख कर मैं गरम तो हो गया था तो मैंने सोचा नीलम आंटी न सही दीदी की ब्रा पैंटी ही सही और मैंने दीदी की पैंटी में मुठ मारी और नहा कर वापस आ गया.
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Re: नए पड़ोसी
अगले दिन मैं जल्दी ही नहा कर तैयार हो गया था और मम्मी पापा के घर से निकलते ही रश्मि दीदी को बोल कर की एक दोस्त के यहाँ जा रहा हूँ घर से निकल गया. सोचा तो मैंने था की आंटी को चोदुंगा पर फिर मैंने सोचा की हो सकता है की अंकल अभी ऑफिस के लिए न निकले हो तो पहले चल कर एक बार चारू के दर्शन कर लिए जाए. आंटी कहा भागी जा रही थी. लौट कर चोद लूँगा और मैं नीलम अरोरा के घर पहुच गया. बेल बजाई तो नीलम आंटी ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर घबरा गयी और बोली "अरे ओम ने तुम्हे बताया नहीं की चारू आई हुई है."
"नहीं तो. कब आई चारू." मैंने अनजान बनते हुए कहा.
तब तक चारू ने अन्दर से पुछा "कौन है मम्मा." और देखने के लिए खुद भी बाहर आ गयी. "अरे मनीष तू. कैसा है? और रश्मि कैसी है?"
"जी दोनों एकदम बढ़िया. आप तो ठीक है न?" मैंने पुछा.
"देखने पर ठीक नहीं लग रही क्या." चारू ने हँसते हुए पुछा.
शादी के बाद चारू का बदन थोडा गदरा गया था पर एक दम सही जगहों पर. मांस केवल कुल्हो और छातियों पर चढ़ा था. चारू के गदराये बदन को थोडा बारीकी से देख के मैंने कहा "देख कर तो आप एकदम मस्त लग रही हो."
"कैसे आया था?" चारू ने पुछा.
मुझसे पहले ही कामिनी ने जवाब दिया. "वो जब से चेतन गया है ये कभी कभी यूं ही पूछने आ जाता है की कोई काम या जरूरत तो नहीं है. नहीं मनीष बेटा फिलहाल कोई काम नहीं है, जब होगा मैं फ़ोन कर दूँगी."
"ठीक है आंटी" बोल कर मैं वापस आने लगा.
"अरे मम्मा का इतना ध्यान रखता है. गुड. चल अन्दर आ. चाय पिलाती हूँ तुझे." चारू मुझे रोकते हुए बोली.
"अपने दूध की चाय पिलाओ तो आऊं." मैं चारू की चुचियां घूरते हुए बडबडाया.
"अरे मुह में क्या बोल रहा है आ न." चारू ने फिर से कहा.
"नहीं दीदी. कुछ जरूरी काम है. बाद में आऊंगा." मैंने कहा और निकलने लगा.
"ठीक है. रश्मि को लेकर आना." चारू पीछे से बोली.
"नहीं तो. कब आई चारू." मैंने अनजान बनते हुए कहा.
तब तक चारू ने अन्दर से पुछा "कौन है मम्मा." और देखने के लिए खुद भी बाहर आ गयी. "अरे मनीष तू. कैसा है? और रश्मि कैसी है?"
"जी दोनों एकदम बढ़िया. आप तो ठीक है न?" मैंने पुछा.
"देखने पर ठीक नहीं लग रही क्या." चारू ने हँसते हुए पुछा.
शादी के बाद चारू का बदन थोडा गदरा गया था पर एक दम सही जगहों पर. मांस केवल कुल्हो और छातियों पर चढ़ा था. चारू के गदराये बदन को थोडा बारीकी से देख के मैंने कहा "देख कर तो आप एकदम मस्त लग रही हो."
"कैसे आया था?" चारू ने पुछा.
मुझसे पहले ही कामिनी ने जवाब दिया. "वो जब से चेतन गया है ये कभी कभी यूं ही पूछने आ जाता है की कोई काम या जरूरत तो नहीं है. नहीं मनीष बेटा फिलहाल कोई काम नहीं है, जब होगा मैं फ़ोन कर दूँगी."
"ठीक है आंटी" बोल कर मैं वापस आने लगा.
"अरे मम्मा का इतना ध्यान रखता है. गुड. चल अन्दर आ. चाय पिलाती हूँ तुझे." चारू मुझे रोकते हुए बोली.
"अपने दूध की चाय पिलाओ तो आऊं." मैं चारू की चुचियां घूरते हुए बडबडाया.
"अरे मुह में क्या बोल रहा है आ न." चारू ने फिर से कहा.
"नहीं दीदी. कुछ जरूरी काम है. बाद में आऊंगा." मैंने कहा और निकलने लगा.
"ठीक है. रश्मि को लेकर आना." चारू पीछे से बोली.