नए पड़ोसी complete
-
- Novice User
- Posts: 872
- Joined: 21 Mar 2016 02:07
Re: नए पड़ोसी
मेरी शकल पर गुस्सा साफ़ झलक रहा था. मयंक ने मुस्कुराते हुए कहा "अब यार ये गुस्सा वुस्सा छोड़ो. आकर बैठो. यार रश्मि ने मुझे मना किया था ओम के बारे में तुमसे कुछ भी कहने को. अब उसने मुझे इतनी बार चुदाई का मजा दिया है तो उसकी इतनी बात तो मुझे माननी ही थी."
मुझे और गुस्सा आ गया "हाँ हाँ उसकी बात माननी थी पर मेरे साथ तो तुम्हारी दुश्मनी है न तो मेरी क्यों सुनोगे. भूल गए की मैंने अगर तुम्हारा साथ न दिया होता तो तुम दीदी के साथ इतने मजे नहीं ले पाते पर तुमने तो रश्मि दीदी की चूत को मुफ्त का चन्दन समझ लिया है जो खुद तो घिसे जा रहे हो और अब इस ओम से भी दीदी को चुदवा डाला."
मयंक बोला "यार मैं अपनी गलती मानता हूँ की मैने तुम्हे पहले नहीं बताया की रश्मि ओम से चुदवाने वाली है पर मैंने ही रुची को बोला था की वो तुम्हे बता दे. सोचो अगर वो तुम्हे बाद में भी न बताती तो तुम्हे कैसे पता चलता." मैं कुछ नहीं बोला. जाकर कमरे में रखी कुर्सी पर बैठ गया.
"तुम चिंता मत करो मनीष भाई. हम तुम्हारी दीदी की चूत की पूरी कीमत चूका देंगे. कल तुम हमारे साथ चलना. बदले में नीलम भौजी की दिलवा देंगे तुमको." ओम ने बात को आगे बढ़ाया.
"वो तो तुमने पहले ही कहा था तो उसमे नया क्या है." मैंने कहा.
"अरे कहा तो हमने बहुतों से बहुत कुछ है लेकिन इस बार सच में करवाने का टाइम आ गया है. नीलम भौजी के अलावा कामिनी भौजी की भी दिलवा दूंगा. अब तो खुश हो जाओ यार" ओम ने मुझे और लालच देते हुए कहा.
"खुश तो मैं तब होऊंगा जब दीदी की चूत में मेरा लंड जायेगा. मुझे बस हर हाल में रश्मि दीदी को चोदना है" मैंने बोला.
"यार तुम समझ नहीं रहे रश्मि तुम्हे नहीं देगी" मयंक ने कहा.
तभी ओम ने मयंक की बात काट दी "चलो ठीक है. तुमसे वादा करता हूँ की मेरे अगले बर्थडे से पहले तुम्हारी रश्मि दीदी को तुमसे न चुदवाया तो मेरा नाम बदल देना."
"पर ओम" रुची ने कुछ कहना चाहा पर ओम ने उसे भी टोक दिया. "देखो अब हमने कह दिया तो बस कर के भी दिखा देंगे"
"पर तुम्हारा बर्थडे है कब." मैंने ओम से पुछा.
"बस 2 महीने बाद." ओम ने कहा.
मुझे और गुस्सा आ गया "हाँ हाँ उसकी बात माननी थी पर मेरे साथ तो तुम्हारी दुश्मनी है न तो मेरी क्यों सुनोगे. भूल गए की मैंने अगर तुम्हारा साथ न दिया होता तो तुम दीदी के साथ इतने मजे नहीं ले पाते पर तुमने तो रश्मि दीदी की चूत को मुफ्त का चन्दन समझ लिया है जो खुद तो घिसे जा रहे हो और अब इस ओम से भी दीदी को चुदवा डाला."
मयंक बोला "यार मैं अपनी गलती मानता हूँ की मैने तुम्हे पहले नहीं बताया की रश्मि ओम से चुदवाने वाली है पर मैंने ही रुची को बोला था की वो तुम्हे बता दे. सोचो अगर वो तुम्हे बाद में भी न बताती तो तुम्हे कैसे पता चलता." मैं कुछ नहीं बोला. जाकर कमरे में रखी कुर्सी पर बैठ गया.
"तुम चिंता मत करो मनीष भाई. हम तुम्हारी दीदी की चूत की पूरी कीमत चूका देंगे. कल तुम हमारे साथ चलना. बदले में नीलम भौजी की दिलवा देंगे तुमको." ओम ने बात को आगे बढ़ाया.
"वो तो तुमने पहले ही कहा था तो उसमे नया क्या है." मैंने कहा.
"अरे कहा तो हमने बहुतों से बहुत कुछ है लेकिन इस बार सच में करवाने का टाइम आ गया है. नीलम भौजी के अलावा कामिनी भौजी की भी दिलवा दूंगा. अब तो खुश हो जाओ यार" ओम ने मुझे और लालच देते हुए कहा.
"खुश तो मैं तब होऊंगा जब दीदी की चूत में मेरा लंड जायेगा. मुझे बस हर हाल में रश्मि दीदी को चोदना है" मैंने बोला.
"यार तुम समझ नहीं रहे रश्मि तुम्हे नहीं देगी" मयंक ने कहा.
तभी ओम ने मयंक की बात काट दी "चलो ठीक है. तुमसे वादा करता हूँ की मेरे अगले बर्थडे से पहले तुम्हारी रश्मि दीदी को तुमसे न चुदवाया तो मेरा नाम बदल देना."
"पर ओम" रुची ने कुछ कहना चाहा पर ओम ने उसे भी टोक दिया. "देखो अब हमने कह दिया तो बस कर के भी दिखा देंगे"
"पर तुम्हारा बर्थडे है कब." मैंने ओम से पुछा.
"बस 2 महीने बाद." ओम ने कहा.
-
- Novice User
- Posts: 872
- Joined: 21 Mar 2016 02:07
Re: नए पड़ोसी
"2 महीने! तो इतने दिन मैं क्या करूंगा." मैं बोला.
"इंतज़ार का फल बहुत मीठा होता है मनीष भाई और ये 2 महीने तो यूं निकल जायेंगे. तब तक कामिनी और नीलम से तुम्हारा जुगाड़ करवा देते है. पर हाँ मेरी भी एक शर्त है की आज के बाद तुम मेरा पूरा साथ देना और मैं जैसा कहूँ करते रहना..."
"क्या करना है मुझे." मैंने पुछा.
"सबसे पहले तो तुम एक काम करना की अपने बाथरूम का लॉक आज रात को ख़राब कर देना और कल जब रश्मि नहाने जाए तो मुझे बुला लेना." ओम ने कहा.
"उससे क्या होगा." मैंने पुछा.
"यार रश्मि तुमसे शरमाती है तो उसकी शर्म दूर करना बहुत जरूरी है. अब ज्यादा सवाल जवाब मत करो और जो मैं कह रहा हूँ वो करो..."
"ठीक है तो तुम ठीक १०.३० बजे घर आ जाना क्योंकि दीदी उसी समय नहाने जाती है और लॉक मैं आज रात को ख़राब कर दूंगा." मैंने कहा.
"तो ठीक है. १२ तो तुम्हारे यहाँ ही बज जायेगा फिर तुम मेरे साथ नीलम भौजी के यहाँ चलना तो तुम्हारा काम भी करवा देंगे. चलो आज हमारी दोस्ती भी पक्की हो गयी है. आओ गले मिल जाओ भाई." ओम ने कहा.
मैं उठ कर ओम के गले लगा और मयंक और रुची ने ताली बजाई. मैंने कहा "तो ठीक है मैं चलूँ. कल मिलते है."
"अरे अभी कहाँ जा रहे हो. आज रश्मि को तो बहुत मजा दिया है पर रुची का भी तो कुछ हक बनता है. आज रुची हम तीनो से एक साथ चुद्वायेगी क्यों मयंक". ओम बोला.
"नहीं नहीं मैं तीनो से एक साथ नहीं चुद्वाऊंगी. वैसे ही दो ही लोग मेरी हालत ख़राब कर देते है." रुची ने डरते हुए कहा.
मयंक ने रुची की बिस्तर पर खीचते हुए कहा "अरे अब तुम नखरे मत करो यार. कल मैं चला ही जाऊँगा. अपने भाई के फेयरवेल में कम से कम इतना तो तुमको करना ही पड़ेगा. आ जाओ मनीष."
"इंतज़ार का फल बहुत मीठा होता है मनीष भाई और ये 2 महीने तो यूं निकल जायेंगे. तब तक कामिनी और नीलम से तुम्हारा जुगाड़ करवा देते है. पर हाँ मेरी भी एक शर्त है की आज के बाद तुम मेरा पूरा साथ देना और मैं जैसा कहूँ करते रहना..."
"क्या करना है मुझे." मैंने पुछा.
"सबसे पहले तो तुम एक काम करना की अपने बाथरूम का लॉक आज रात को ख़राब कर देना और कल जब रश्मि नहाने जाए तो मुझे बुला लेना." ओम ने कहा.
"उससे क्या होगा." मैंने पुछा.
"यार रश्मि तुमसे शरमाती है तो उसकी शर्म दूर करना बहुत जरूरी है. अब ज्यादा सवाल जवाब मत करो और जो मैं कह रहा हूँ वो करो..."
"ठीक है तो तुम ठीक १०.३० बजे घर आ जाना क्योंकि दीदी उसी समय नहाने जाती है और लॉक मैं आज रात को ख़राब कर दूंगा." मैंने कहा.
"तो ठीक है. १२ तो तुम्हारे यहाँ ही बज जायेगा फिर तुम मेरे साथ नीलम भौजी के यहाँ चलना तो तुम्हारा काम भी करवा देंगे. चलो आज हमारी दोस्ती भी पक्की हो गयी है. आओ गले मिल जाओ भाई." ओम ने कहा.
मैं उठ कर ओम के गले लगा और मयंक और रुची ने ताली बजाई. मैंने कहा "तो ठीक है मैं चलूँ. कल मिलते है."
"अरे अभी कहाँ जा रहे हो. आज रश्मि को तो बहुत मजा दिया है पर रुची का भी तो कुछ हक बनता है. आज रुची हम तीनो से एक साथ चुद्वायेगी क्यों मयंक". ओम बोला.
"नहीं नहीं मैं तीनो से एक साथ नहीं चुद्वाऊंगी. वैसे ही दो ही लोग मेरी हालत ख़राब कर देते है." रुची ने डरते हुए कहा.
मयंक ने रुची की बिस्तर पर खीचते हुए कहा "अरे अब तुम नखरे मत करो यार. कल मैं चला ही जाऊँगा. अपने भाई के फेयरवेल में कम से कम इतना तो तुमको करना ही पड़ेगा. आ जाओ मनीष."
-
- Novice User
- Posts: 872
- Joined: 21 Mar 2016 02:07
Re: नए पड़ोसी
मैंने और ओम ने अब तक अपने कपडे उतार भी दिए थे. मैंने आज ओम का लंड काफी पास से देखा था. वो मेरे और मयंक दोनों के लंडो से बड़ा और मोटा था. अब तक मयंक ने रुची का टॉप उतर दिया था और ओम ने आगे बढ़ कर रुची की ब्रा फाड़ दी. रुची वैसे ही बिदक रही थी पर ओम की इस हरकत से एकदम भड़क गयी.
वो ओम को धक्का देते हुए चिल्लाई "ये क्या बदतमीजी है. कपडे क्यों फाड़ रहा है गांडू. अब हाथ भी नहीं लगाने दूँगी. दूर हट."
मयंक ने रुची को फिर से पकड़ लिया और ओम ने हँसते हुए रुची की स्कर्ट भी उतार दी और मुझसे बोला "अब आयेगा असली मजा. फाड़ से इसकी पैंटी मनीष."
मैं समझ गया की ये लोग रोल प्ले करने वाले है और मैंने आगे बढ़ कर रुची की पैंटी फाड़ कर उतार दी. वैसे तो रुची को मैं कितनी ही बार चोद चूका था पर आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजना हो रही थी क्योंकि एक तो रुची डरने का नाटक कर रही थी और दूसरा पहली बार मैं और दो लोगो के साथ मिल कर उसको चोदने वाला था. मेरे पैंटी फाड़ते ही रुची ने मुझे पैर से धक्का दिया पर ओम ने उसका पैर पकड़ कर चूम लिया. अब ओम ने रुची के दोनों पैर फैलाते हुए सीधे अपनी जबान से उसकी चूत पर हमला बोल दिया. मयंक भी अब रुची के ऊपर आ गया था और बारी बारी से अपनी बहन की चुचिया मसल रहा था. मैंने भी मौका देख कर अपना तना हुआ लंड रुची में मुह में घुसेड दिया. अब हम तीनो ही रुची को अलग अलग तरीके से मजा दे रहे थे.
वो ओम को धक्का देते हुए चिल्लाई "ये क्या बदतमीजी है. कपडे क्यों फाड़ रहा है गांडू. अब हाथ भी नहीं लगाने दूँगी. दूर हट."
मयंक ने रुची को फिर से पकड़ लिया और ओम ने हँसते हुए रुची की स्कर्ट भी उतार दी और मुझसे बोला "अब आयेगा असली मजा. फाड़ से इसकी पैंटी मनीष."
मैं समझ गया की ये लोग रोल प्ले करने वाले है और मैंने आगे बढ़ कर रुची की पैंटी फाड़ कर उतार दी. वैसे तो रुची को मैं कितनी ही बार चोद चूका था पर आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजना हो रही थी क्योंकि एक तो रुची डरने का नाटक कर रही थी और दूसरा पहली बार मैं और दो लोगो के साथ मिल कर उसको चोदने वाला था. मेरे पैंटी फाड़ते ही रुची ने मुझे पैर से धक्का दिया पर ओम ने उसका पैर पकड़ कर चूम लिया. अब ओम ने रुची के दोनों पैर फैलाते हुए सीधे अपनी जबान से उसकी चूत पर हमला बोल दिया. मयंक भी अब रुची के ऊपर आ गया था और बारी बारी से अपनी बहन की चुचिया मसल रहा था. मैंने भी मौका देख कर अपना तना हुआ लंड रुची में मुह में घुसेड दिया. अब हम तीनो ही रुची को अलग अलग तरीके से मजा दे रहे थे.
-
- Novice User
- Posts: 872
- Joined: 21 Mar 2016 02:07
Re: नए पड़ोसी
रुची थोड़ी ही देर में बहुत गरम हो गयी थी और उसकी चूत से पानी की धार बहने लगी तो ओम बोला "आ जाओ मनीष भाई देखो रांड कैसे पानी छोड़ रही है. चोदो साली को कुतिया बना के." ओम की बात सुनते ही मैंने अपना लंड रुची के मुह से निकाला और उसे कुतिया बना कर एक झटके में ही पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
अब ओम उसकी झूलती हुई चुचियो को चबाने लगा और रुची मस्ती में बोल उठी "उफ्फ्फ धीरे कर मादरचोद धीरे क्या काट खायेगा क्या. उफफ्फ्फ्फ़ इस्श्हह्ह्ह्ह" उसकी बात सुन कर ओम और तेज़ी से उसकी चुचिया झिंझोड़ने लगा पर अब रुची चिल्ला नहीं पाई क्योंकि मयंक ने अपनी बहन का मुह अपने मोटे लंड से भर दिया.
करीब १५ मिनट रुची को चोदने के बाद मैं जैसे ही हटा मयंक ने अपना लंड रुची के मुह से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया. मैं वापस रुची के मुह अपना लंड डाल कर हिलाने लगा और ओम से कहा "ओम भाई क्या कर रहे हो अभी इसका एक छेद खाली है." मेरी बात सुनते ही ओम बोला "अब ये बात तो मयंक बाबु को समझाओ. येही अपनी बहनिया का दर्द नहीं समझ रहे है. अरे भाई तुम नीचे लेट कर रुची की चूत चोदो तभी तो हम गांड में लंड डाल पाएंगे."
मयंक ने फ़ौरन पोजीशन बदली और बेड पर लेट कर रुची को अपने लंड पर बिठा लिया. ओम ने फ़ौरन रुची की गांड में अपना हलब्बी लंड डाल दिया. मैंने फिर से रुची का मुख चोदन शुरू कर दिया. करीब 2 घंटे हम तीनो पोजीशन बदल बदल कर रुची को चोदते रहे. कभी मेरा लंड रुची की गांड में, कभी मुह में और कभी चूत में घुसता रहा. रुची न जाने कितनी बार झड़ी होगी और हम तीनो भी काफी थक गए.
आखिर में हम तीनो ने रुची को फर्श पर बिठाया और एक साथ अपना माल उसके ऊपर छोड़ उसे नहला दिया. रुची हम तीनो के वीर्य से नहाई बहुत सेक्सी लग रही थी पर अब हम तीनो में दम नहीं बचा था की और सेक्स कर सके. हम तीनो बेड पर लेट गए और रुची अपने आपको साफ़ करने धीरे धीरे चलती हुई बाथरूम की तरफ चली गयी.
करीब आधे घंटे बाद हम थोडा नार्मल हुए तो हमने कपडे पहने. रुची और मयंक के मम्मी पापा के आने का टाइम भी हो गया था और मेरे मम्मी पापा तो काफी पहले ही घर आ चुके होंगे. मैंने ओम से कहा की कल सुबह मिलते है और घर वापस आ गया. काफी देर घर से बाहर रहने के कारण पापा थोडा नाराज थे और दीदी ने आग में घी डालते हुए कहा "पापा आजकल बस ये यूँही बिना बताये घंटो बाहर रहता है और पढाई में बिलकुल ध्यान नहीं देता."
दीदी की बात सुन कर पापा मुझे और डांटने लगे और दीदी की बात सुन कर मैं मन ही मन सोचने लगा की जब इसको मैं अपनी रांड बनाऊँगा तब मजा आयेगा.
अब ओम उसकी झूलती हुई चुचियो को चबाने लगा और रुची मस्ती में बोल उठी "उफ्फ्फ धीरे कर मादरचोद धीरे क्या काट खायेगा क्या. उफफ्फ्फ्फ़ इस्श्हह्ह्ह्ह" उसकी बात सुन कर ओम और तेज़ी से उसकी चुचिया झिंझोड़ने लगा पर अब रुची चिल्ला नहीं पाई क्योंकि मयंक ने अपनी बहन का मुह अपने मोटे लंड से भर दिया.
करीब १५ मिनट रुची को चोदने के बाद मैं जैसे ही हटा मयंक ने अपना लंड रुची के मुह से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया. मैं वापस रुची के मुह अपना लंड डाल कर हिलाने लगा और ओम से कहा "ओम भाई क्या कर रहे हो अभी इसका एक छेद खाली है." मेरी बात सुनते ही ओम बोला "अब ये बात तो मयंक बाबु को समझाओ. येही अपनी बहनिया का दर्द नहीं समझ रहे है. अरे भाई तुम नीचे लेट कर रुची की चूत चोदो तभी तो हम गांड में लंड डाल पाएंगे."
मयंक ने फ़ौरन पोजीशन बदली और बेड पर लेट कर रुची को अपने लंड पर बिठा लिया. ओम ने फ़ौरन रुची की गांड में अपना हलब्बी लंड डाल दिया. मैंने फिर से रुची का मुख चोदन शुरू कर दिया. करीब 2 घंटे हम तीनो पोजीशन बदल बदल कर रुची को चोदते रहे. कभी मेरा लंड रुची की गांड में, कभी मुह में और कभी चूत में घुसता रहा. रुची न जाने कितनी बार झड़ी होगी और हम तीनो भी काफी थक गए.
आखिर में हम तीनो ने रुची को फर्श पर बिठाया और एक साथ अपना माल उसके ऊपर छोड़ उसे नहला दिया. रुची हम तीनो के वीर्य से नहाई बहुत सेक्सी लग रही थी पर अब हम तीनो में दम नहीं बचा था की और सेक्स कर सके. हम तीनो बेड पर लेट गए और रुची अपने आपको साफ़ करने धीरे धीरे चलती हुई बाथरूम की तरफ चली गयी.
करीब आधे घंटे बाद हम थोडा नार्मल हुए तो हमने कपडे पहने. रुची और मयंक के मम्मी पापा के आने का टाइम भी हो गया था और मेरे मम्मी पापा तो काफी पहले ही घर आ चुके होंगे. मैंने ओम से कहा की कल सुबह मिलते है और घर वापस आ गया. काफी देर घर से बाहर रहने के कारण पापा थोडा नाराज थे और दीदी ने आग में घी डालते हुए कहा "पापा आजकल बस ये यूँही बिना बताये घंटो बाहर रहता है और पढाई में बिलकुल ध्यान नहीं देता."
दीदी की बात सुन कर पापा मुझे और डांटने लगे और दीदी की बात सुन कर मैं मन ही मन सोचने लगा की जब इसको मैं अपनी रांड बनाऊँगा तब मजा आयेगा.