परदेसी complete

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Sexi Rebel
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Re: परदेसी

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20 साल बाद
1) बिट्टू

"वाह यार मज़ा आ गया. क्या बटर चिकन बनाया है लकी ने. पेट ठूंस गया पर नीयत नही भरी. ओये लकी !!बिल ले आ रे." एक लंबी सी डकार मारने के बाद बिट्टू ने कहा. "अफ़ीम मिलाते हो क्या बटर चिकेन में यार, रुकने का दिल ही नही करता. बस खाए जाओ" इस बार अपने पिछवाड़े से डकार मारते हुए बिट्टू बोला. लकी बिल ले कर आ गया था "ले यह 10 रुपये की टिप. ऐश करना. मेरी तरफ से" कहकर वो उठा और सिगरेट पीने को चल दिया.

"यार बिट्टू एक सिगरेट दे यार" हॅपी बिट्टू से बोला

"ले साले. मर जा फूँक फूँक के. कभी अपने पैसे की भी खरीद लिया कर. तुझे देखना लंग कॅन्सर होगा". हॅपी बिट्टू का सबसे पुराना दोस्त था. स्कूल से लेकर कॉलेज तक दोनो साथ रहे और बहुत ही गहरी दोस्ती हो गयी दोनो में. दोनो का एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता. दोनो के फादर्स भी साथ ही काम करते थे और मदर्स साथ में गॉसिप. दोनो की पसंद एक जैसी थी - सेम सुट्टा, सेम दारू, सेम कपड़े, यहाँ तक दोनो ने कई बार सेम लड़की भी बजाई थी.

"अब सिगरेट दे रहा है या लानत. नही पीनी मुझे. रख अपने पास. आज मेरी तरफ से एक घुसेड लियो अपने पीछे" हॅपी भी बोला और दोनो पागलों की तरह हँसने लग गये."कॉलेज जाना है क्या?"

"अबे पढ़ लिख के किस का भला हुआ है? साला निकलवा लेंगे एग्ज़ॅम से पहले पेपर, ले आएँगे अच्छे मार्क्स."

"अबे स्वीटी का पीरियड स्टार्ट होने वाला है 15 मिनिट में. एक पीरियड को तो चल ही लेते हैं"

"हां स्वीटी का पीरियड है तो चलना पड़ेगा ही. दिन भर उससे देखते नहीं तो यार अजीब सा लगता है". दोनो अपनी-अपनी बुलेट पे सवार हुए और चल दिए कॉलेज की तरफ.

स्वीटी जिसके बारे में यह ऐसे बात कर रहे थे इनकी अकाउंट्स टीचर थी. उमर 38 की थी, लेकिन कहीं से भी 21 से एक साल उपर की नही लगती थी. काले घने बाल जो उसने स्टाइल में कटवा रखे थे उसके कंधों तक आते थे. जब चलती थी तो हर कोई सास रोक कर बस उसे ही देखता रहता. रह रह के उसके बालों की एक लट उसके चेहरे पर आती तो ऐसा लगता मानो बदल से चाँद रूपी चेहरा ढँक रहा हो. जिस किसी की तरफ वो अपनी आँखें दौड़ाती, वो वहीं घायल हो जाता. उसकी हरी हरी बिल्ली जैसी आँखें उसकी खूबसूरती और बढ़ाती. वो खूबसूरत थी और इस बात को जानती थी. इसलिए हमेशा लो कट स्लीवलेशस ब्लाउस ब्लाउस ही पहनती साड़ी के साथ कॉलेज के लिए. स्टूडेंट्स क्या, टीचर्स भी पूरा वक़्त उसपे लाइन मारते थे. लेकिन वो किसी के हाथ ना आने वाली थी. उसको सबको तडपा के ही मज़ा आता था. बिट्टू और हॅपी भी उसके दीवानों की लाइन में थे. यह एकलौती क्लास थी जिसमें वो आगे बैठ ते थे.

"यह पीछे कौन सोया हुआ है" स्वीटी ने आते ही पूछा

"मेडम बलबीर है" किसी ने बोला

"उठाओ उसे. सोना है तो बाहर जा के सोए. क्लास में कोई सोने आता है भला"

"मेडम दफ़ा करो ना, सोने दो बेचारे को"

"शट अप आंड डू ऐज आइ आम सेयिंग. जस्ट वेक हिम अप"

"अर्रे मेडम थोड़ा हिन्दी में बोल दो. आइ अंडरस्टॅंड इंग्लीश लॅंग्वेज नोट"

"उठाओ उसको तुम"

"अर्रे मेडम मैं कह रहा हूँ ना सोने दो बेचारे को. कल रात उसके बाप ने दारू पी के खूब बवाल मचाया है घर में, यहाँ नही सोएगा तो और कहाँ सोएगा? कितनी निर्दयी हो आप" जब यह आखरी शब्द ख़तम हुए तो सारी क्लास "ऊऊऊऊ" करने लग गयी ज़ोर ज़ोर से

"चुप रहो सब. मैं कहती हूँ चुप रहो. बड़ी मस्ती सूझ रही है. चलो आज में टेस्ट लेती हूँ सबका"

"यह सही है. साला दारू बलबीर का बाप पी के आए और सज़ा हमें मिले. हम नही देते कोई टेस्ट वेस्ट" हॅपी भी पूरा मज़ाक के मूड में आ गया था

"मेडम क्यूँ खून गरम करती हो. सोने दो ना बेचारे को. क्यूँ हमारी लगा रही हो. अच्छा लगेगा जब हम सब टेस्ट में अंडा लाएँगे और फिर प्रिंसी से कंप्लेन करेंगे कि तुम्हें पढ़ाना नही आता. हमें तो दूसरी टीचर मिल जाएगी. आप इस भरी जवानी में कहा जाओगी" बिट्टू बोला तो फिर से क्लास किल्कारियाँ मार के हँसने लगी.

"शट अप एवेरिबडी. जस्ट शट अप"

"ओये शोर मत मचाओ रे. साला घर पे बाप नही सोने देता. यहाँ तुमने दिमाग़ खराब कर रखा है. साला आदमी को कहीं तो चैन से रहने दो" बलबीर ने भी नींद की हालत में बोला.

"लगता है तुम्हारा आज पढ़ने का मूड नही है. ऐसे ही मेरा दिमाग़ खराब कर रहे हो"

"मेडम दिमाग़ खराब ना करो. आओ कॅंटीन में चल कर एक मस्त चाय पीते हैं." बिट्टू ने मौके पे चौका मारने की कोशिश करी

"शट अप. आज की क्लास डिस्मिस्ड. मुझे पढ़ाने का कोई शौक नहीं है अगर तुम लोगों को पढ़ना ही नही है तो" कहते हुए स्वीटी बाहर चली गयी

"लो कर्लो बात. साला हम बियर छोड़ कर यहाँ स्वीटी-दर्शन को आए और क्लास ही नही हुई. चल ओये बिट्टू, चलते हैं"

"अब रुक यार. अब आ ही गये हैं तो थोड़ी सी पतंग उड़ा ही लेते हैं. हो सकता है किसी और के साथ पेच लग जायें" बिट्टू बोला और खड़ा हो गया, "अर्रे माला.. आज कहाँ बिजली गिराने का इरादा है.. क्या कयामत लग रही हो... अर्रे पपोज़ा, तेरे जैसा नही दूजा, मैं तेरा चक्कु, तू मेरी खरबूजा" वो हर एक लड़की पे कॉमेंट मारने लगा

"साले तू तो पिटेगा, मुझे भी पिटवाएगा. अपनी नही तो कम से कम मेरी इज़्ज़त का तो ख़याल रख यहाँ"

"तेरी बड़ी इज़्ज़त आ गयी साले. तूने तो अपनी इज़्ज़त उसी दिन खो दी थी जब दारू पी के गधे पे बैठ के कॉलेज आया था"

"यार याद ना दिला तू वो दिन. चल आजा.. आज बियर का प्रोग्राम रखते हैं. चलते हैं अब. बहुत हो गयी तेरी पतंगबाज़ी"

अब दोनो वापस अपनी अपनी बुलेट पे सवार हुए और चल दिए ठेके की तरफ.

"ओये पप्पी. 4 बोटले किंगफिशर और एक तंदूरी मुर्गा ले कर आइयो. और बीमार मुर्गा मत लाना.. थोड़ा हेल्ती वाला लईयो" पहुँच कर बिट्टू ने ऑर्डर दिया

"यार बिट्टू, तूने कभी सोचा है कि हम अपनी ज़िंदगी के साथ क्या करेंगे? कभी कभी तो डर लगता है यार"

"साले दारू से पहले दिमाग़ की माँ बहेन मार कर. इतना बड़ा बिज़्नेस कौन संभालेगा? हमारे लिए ही तो है"

"यार वो तो ठीक है, लेकिन हमें कुछ अपना भी करना चाहिए ना"

"करेंगे यार. एक दारू की दुकान खोलेंगे. दुनिया भर की दारू रखेंगे. किसी और को एंट्री नही देंगे. मस्त दिन में दारू पीएँगे, रात रंगीली करेंगे"

"बात तो तू भी सही कह रहा है... चल आजा, आज इसी बात पे पीते हैं"

अच्छी तरह से खा पी के, अब दोनो के घर जाने का टाइम हुआ.

"साला आज फिर घर में कोहराम मच जाएगा कि पी के आयें है" हॅपी बोला

"अबे सीधा जा के सो जाना. मैं तो कह देता हूँ कि पढ़ने जा रहा हूँ और रूम में जा के सो जाता हूँ"

"यार दिमाग़ बहुत घूम रहा है, लगता नही है कि गाड़ी चलाई जाएगी आज"

"अबे कुछ नही होगा. चल मेरे साथ. मैं हूँ ना. धीरे धीरे चलाना"

लेकिन ऐसा कभी हुआ है? दारू पी के तो उस्तादों का खून और गरम होता है, धीरे धीरे चलाने की बजाए गाड़ी 100 की स्पीड पे भागने लगी. हल्की हल्की बारिश भी शुरू हो गयी थी जिससे उनको और भी मज़ा आ रहा था.

तभी हॅपी की गाड़ी स्लिप हो गयी. तेज़ होने के कारण गाड़ी थोड़ी दूर तक स्लिप करी.

"हॅपी!!!" बिट्टू ज़ोर से चिल्लाया जैसे ही उसने देखा कि हॅपी के ठीक सामने से एक ट्रक आ रहा है. उसने अपनी गाड़ी साइड में फेंकी और हॅपी की तरफ भागने लगा उसको खीचने के लिए. वो जैसे जैसे हॅपी के पास जा रहा आता, उसको यकीन हो रहा था कि ट्रक उससे पहले पहुँच जाएगा. दिल उसका भागते भागते इतनी ज़ोर से धड़क रहा था मानो अभी छाती फाड़ के बाहर ही आ जाएगा. हॅपी निढाल पड़ा था और बिट्टू उसके पास पहुँचा ही था कि ट्रक ने आ कर ज़ोर से टक्कर मार दी.

अब बिट्टू हॅपी के आगे खड़ा था इसलिए हॅपी को तो कुछ हुआ नही, 2 पल के बाद बिट्टू को समझ में आया कि हुआ तो उसे भी कुछ नहीं. पीछे मूड के देखा तो उससे टकराने के बाद ट्रक की हालत ऐसी हो गयी थी जैसे वो किसी मज़बूत बिल्डिंग से टकरा गया हो. आगे का हिस्सा पूरा चिपक गया था और आगे का काँच भी टूट गया था. अंदर के दोनो ड्राइवर झटके के कारण बेहोश हो चुके थे और उनके माथे से खून बह रहा था. बिट्टू को कुछ समझ नही आया. उसने हॅपी को उठाया और उसको रोड के साइड पे रखा. सड़क बिल्कुल सुनसान थी. उसने हॅपी की बुलेट भी साइड में पार्क करी, फोन कर के अपने दोस्त सुखविंदर को बोला कि आ के बुलेट उठा ले और हॅपी को अपने पीछे बिठा के अपने घर ले गया
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Re: परदेसी

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2) दिया

"दिया एक पेग तो पी ले. इतना डरती क्यूँ है"

"बात डरने की नही है. मुझे नही पीनी, तो मैं नही पिउन्गी. तुको पीना है तो पीयो, मैने मना किया है क्या"

"हां हां मेडम.. आप क्यूँ पीने लगी.. आपकी तो शान के खिलाफ है ना पीना. इतने अमीर बाप की बेटी, नॉर्मल लोगों के साथ पीते देखी जाएगी तो शान घट जाएगी ना"

"शट अप प्रिया. तुम जानती हो ऐसा कुछ नही है. तुम्हें पीना है तो पीयो, नहीं तो चलते हैं यहाँ से. मुझे यह जगह अच्छी नही लग रही"

"अच्छी नही लग रही !!! मेडम यह शहेर का बेस्ट डिस्को है. यह जगह अच्छी नही लग रही तो कौन सी जगह अच्छी लगेगी? लड़के देखो कितने क्यूट क्यूट घूम रहे हैं आस पास." प्रिया ने अपनी ड्रिंक से एक घूट लेते हुए बोला

"लड़के लड़के लड़के.. तुझे और कुछ सूझता भी है इन चीज़ों के अलावा? कितने लड़के फसाएगी? 2 बॉय फ्रेंड्स तो तेरे पहले से ही हैं"

"अर्रे मुझे कौन सा सब से शादी करनी है. लड़के पैसों की तरह होते हैं मेडम. जितने ज़्यादा होते हैं, उतनी ही ऐश होती है"

"चल अब फिलॉसोफी झाड़नी बंद कर और जल्दी से ड्रिंक पी. मुझे लेट हो रहा है"

"लेट हो रहा है? हॉस्टिल जा के करना क्या है? सोना है क्या इतनी जल्दी? कितनी बोरिंग है तू. रुक जा थोड़ी और देर. कल वैसे भी छुट्टी है. एंजाय कर ना यार."

दिया और प्रिया की दोस्ती को एक साल हो गया था. दोनो का रूम हॉस्टिल में एक ही था. जब वो पहली बार मिले थे तो दिया को लगा था कि उनकी दोस्ती कभी नही हो सकती. प्रिया एकदम नकचाढ़ि, हाज़िर जवाब और बिंदास लड़की थी. वो अपना सारा समान यहाँ वहाँ फेंक के रखती थी. एक तरह से देखा जाए तो वो दिया के बिल्कुल उलट थी. दिया की आदत थी कि सबसे तहज़ीब से बात करती और अपनी सारी चीज़ें संभाल के रखती. प्रिया इस बात से उसकी बहुत खिल्ली उड़ाती और हर समय उसको बिंदास रहने की सलाह देती. दोनो की दोस्ती हुई थी जब दिया को बुखार चढ़ गया था और प्रिया ने उसकी बहुत अच्छी तरह से देखभाल करी थी. उस दिन के बाद से दोनो दो जिस्म और एक जान बन गये. हर जगह साथ आते-जाते. देखने मैं भी दोनो बहुत सुंदर थी. एक तरफ जहाँ प्रिया हर किसी से फ्लर्ट करती और हर 10-15 दिन में बॉय फ्रेंड बदल देती, वहीं दिया अभी तक 'मिस्टर. राइट' को ढूँढ रही थी. पिछले महीने उसे लगा था कि उसको उसका राजकुमार मिल गया है और वो राज के साथ बहुत घुल मिल गयी थी. लेकिन लड़कों की फ़ितरत से अंजान, वो जान भी ना पाई कि राज उससे सिर्फ़ सेक्स चाहता था. एक बार वो उससे मिल गया, तो वो गधे के सर पे सींग की तरह गायब हो गया. उस हादसे के बाद, यह पहली बार था जब दिया बाहर आई थी.

"क्या सोचने लग गयी दिया?"

"कुछ नहीं यार"

"देख वो सामने से कितने हॅंडसम लड़के आ रहे हैं, चल उनके साथ फ्लर्ट करते हैं. मज़ा आएगा"

"तू कर. मुझे नहीं करना"

"कैसी है यार तू. चल आ जा डॅन्स करते हैं थोड़ा. अब यह मत कहना कि तुझे नहीं करना वरना यह ड्रिंक का ग्लास उठा के तेरे सर पे मारूँगी. अक्कल भी ठिकाने आ जाएगी और दारू भी चख लेगी" प्रिया के बोलने के तरीके से सॉफ लग रहा था कि दारू उसपे असर दिखाना शुरू कर दी है. लेकिन दिया जानती थी कि वो अपने आप को संभाल सकती है क्यूंकी यह उसके लिए नयी बात नही हैं.

"चल चलते हैं" दिया ने प्रिया का हाथ पकड़ा और डॅन्स फ्लोर पर चल दी

डॅन्स फ्लोर एकदम खचाखच भरा था. इंसानो में एक अजीब से बात होती है के जो भीड़ लोकल बस/ट्रेन में उन्हे अजीब सी लगती है, उसी भीड़ में डॅन्सेफ्लॉर पे उन्हे इंटिमेसी लगती है. दोनो बहुत एग्ज़ाइटेड हो कर फ्लोर पे पहुँचे और नाचने लगे. दो खूबसूरत लड़कियों को अकेला नाचते देख, काफ़ी लड़के जल्द ही आस-पास इकट्ठे हो गये और उनके साथ डॅन्स करने लग गये. प्रिया बहुत एग्ज़ाइटेड हो रही थी और रह रह कर किसी किसी से चिपक के डॅन्स कर रही थी. थोड़ी देर बाद दिया थोड़ा थक गयी और जा के बैठ गयी और डॅन्सेफ्लॉर की तरफ देखने लग गयी. प्रिया का जलवा अब ज़ोरों पर था. वो अपनी छाती और नितंब हिला हिला के डॅन्स कर रही थी. कभी किसी से चिपकती तो कभी किसी से. तभी उसने देखा कि प्रिया के आगे और पीछे एक एक लड़का खड़ा हो गया है. आगे वाला लड़का उसे किस करने लगा और पीछे वाला उसके नितंबों पे हाथ फेरने लगा. प्रिया भी बड़े जोश के साथ आगे वाले को किस करने लगी और अपने कूल्हे हिला हिला कर पीछे वाले पे रगड़ने लगी. उसकी उत्तेजना छप्पर फाड़ रही थी.

धीरे धीरे आगे वाले लड़के ने उसका पैर उठाया और उसकी जांघों पे हाथ फेरने लगा. थोड़ी देर ऐसा चलता रहा और फिर पीछे वाले ने उसके कान में कुछ बुद्बुदाया और तीनो एक कोने में बने कमरे में चले गये. दिया को डर लगने लगा कि कुछ अनर्थ ना हो जाए और वो उनके पीछे पीछे हो ली. जब वो वहाँ पहुँची तो अंदर का नज़ारा देख के हैरान रह गयी. दरवाज़ा खुला हुआ था और अंदर काफ़ी लोग संभोग कर रहे थे. प्रिया सोफे पे बैठी हुई थी एक लड़के के साथ. लड़के का हाथ उसकी मिनी स्कर्ट के अंदर था और वो बेतहाशा उसके होठों को चूम रहा था. प्रिया भी आहें भर रही थी. तभी लड़के ने अपना हाथ उसके स्कर्ट में से निकाला. उसकी उंगलियाँ बिल्कुल गीली थी. वो उंगलियाँ उसने प्रिया के होठों पे रख दी और प्रिया उनको चाटने लगी. धीरे धीरे उससने प्रिया का टॉप उतार दिया. प्रिया के निपल्स एकदम टाइट खड़े थे. थोड़ी देर उन्हें निहार के, उस लड़के ने उन्हें चूसना चालू कर दिया. प्रिया के मूह से आहों के सिवा कुछ नहीं निकल रहा था. थोड़ी देर में प्रिया का स्कर्ट भी उतार दिया. अब प्रिया सोफे पे सिर्फ़ अपनी चड्डी में बैठी थी जो कुछ ही पलों में उतर गयी. प्रिया की चूत एकदम गीली थी और उसकी हरकतों से सॉफ लग रहा था के वो उत्तेजना के सातवे आसमान पर है. दिया को पता था कि एक अच्छा दोस्त होने के कारण उसको यह सब रोकना चाहिए, पर वो जानती थी कि प्रिया के लिए यह सब नॉर्मल है और वो उसी पे भड़केगी. इसलिए वो चुप चाप बाहर खड़ी नज़ारा देखती रही.

अब वो लड़का धीरे धीरे प्रिया के टाँगों के बीच घुस गया और उसको चाटने लगा. कभी हॉरिज़ॉंटेली तो कभी वर्टिकली वो अपनी जीभ टेक्सी सी घुमा रहा था और प्रिया के शरीर में अजीब हरकतें हो रही थी. धीरे धीरे उस लड़के ने अपना लंड बाहर निकाला और प्रिया को पूरी तरह से सोफे पे लिटा दिया. फिर उसने अपना लंड उसके होठों के पास रखा और प्रिया ने झट से उसका सुपाडा मूह में ले लिया. धीरे धीरे प्रिया ने उसका पूरा लंड अपने मूह में ले लिया और और वो उसको अंदर बाहर करने लगा. प्रिया एक हाथ से उसके लंड को पकड़े हुए थी और दूसरे से अपनी चूत से खेल रही थी. तभी अंदर बना एक और दरवाज़ा खुला और उसमें से एक लड़का लड़की बाहर निकले. प्रिया को पकड़ के उस लड़के ने झट से उस कमरे में एंट्री ले ली. तब दिया ने देखा कि जो दूसरा लड़का उनके साथ आया था, वो भी पीछे पीछे चल रहा था अपने मोबाइल के साथ. दिया समझ गयी कि वो वीडियो शूटिंग कर रहा है और यह समझते ही उसकी सिट्टी पीटी गुम हो गयी.

वो फटाफट से अंदर घुसी और उस कमरे में दाखिल हुई. प्रिया किसी रंडी की तरह उस लड़के का लंड चूस रही थी और दूसरा लड़का साइड में खड़ा वीडियो निकाल रहा था.

"क्या कर रहे हो तुम. बंद करो यह सब" दिया उस आदमी की तरफ बढ़ी और फोन झपटने की कोशिश करी. पर वो ज़्यादा फुर्तीला निकला और अपना हाथ पीछे कर लिया. दिया अपना बॅलेन्स नही रख पाई और फिसल के उसकी बाहों में चली गयी

"अर्रे वाह. आज तो एक टिकेट पे दो-दो मूवी बनेंगी. आ जा मेरी बुलबुल" कहते हुए उस लड़के ने उसको एक चुम्मि दे दी

"डोर हटो मेरे से. छोड़ो मुझे" दिया ने उसकी ग्रिप से निकलने की कोशिश करी पर निकल ना पाई. उसको एहसास हुआ जैसे उसकी बाह में एक निडिल घुस रही है पर वो उस आदमी की पक्कड़ में इतनी बुरी तरह उलझी हुई थी कि अपना सिर भी नही हिला पा रही थी. . धीरे धीरे उसको अपने अंदर कुछ इंजेक्ट होता महसूस हुआ और वो बेहोश हो गयी.

जब उसे होश आया तो उसने पाया कि वो अपनी कार के पीछे वाली सीट पर लेटी हुई है. उसके कपड़े नदारद थे. और टाँगों के बीच में बहुत दर्द हो रहा था. तभी उसे प्रिया के चीखने की आवाज़ सुनाई दी. वो किसी तरह से कार से बाहर निकली तो उसने देखा कि वोही दोनो लड़के एक साथ मिल के प्रिया को चोद रहे हैं. एक लड़का नीचे लेटा हुआ था और प्रिया उसके उपर थी. दूसरे ने प्रिया को झुका दिया था और उसकी गान्ड मार रहा था. दिया का माथा बहुत घूम रहा था और उसे कुछ ज़्यादा समझ में नही आ रहा था. वोही हाल शायद प्रिया का भी था. तभी एक लड़के की नज़र दिया पर पड़ी और वो प्रिया की गान्ड छोड़ कर दिया की तरफ बढ़ने लगा. वो उसके पास आया और अपने होठों से उसके होठों को दबा दिया. डर के मारे दिया काँपने लग गयी थी. उसको पता चल गया था कि उसका रेप हुआ है और अभी शायद और होगा. तभी उस लड़के ने दिया की एक टाँग उठानी चाही.

"छोड़ दो मुझे प्लीज़" कहते हुए दिया उसके सामने गिडगिडाने लगी

"अभी नही मेरी जान. थोड़ी देर और बस. फिर तुम्हें छोड़ देंगे" कहते हुए उस आदमी ने अपना लंड एक झटके के साथ दिया की चूत के अंदर घुसा दिया.

"अयाया" करके दिया ज़ोर से चिल्लाई और अपने दोनो हाथ उस आदमी की छाती पे मारे. जैसे ही दिया के हाथों ने उस आदमी से कॉंटॅक्ट किया, चिर्र्र की आवाज़ के साथ एक झटका लगा दोनो को और वो आदमी दूर जा गिरा. दिया का दिमाग़ एकदम क्लियर हो गया. उसको ऐसा लगा जैसे किसी ने उसको बिजली का झटका दे दिया हो. अपने साथी की हालत देख दूसरे आदमी ने प्रिया को अपने उपर से उतार फेका और दिया की तरफ बढ़ा

"क्या किया रे तूने उसके साथ?"

"देखो मेरे पास मत आना"

"बहुत दम है तेरे में? मैं भी तो देखूं ज़रा" कहते हुए उस आदमी ने दिया पे झपट्टा मारा. जैसे ही उस ने दिया को छुआ, उसको भी ज़ोर से एक बिजली का झटका लगा और वो भी दूर जा गिरा.

दिया की समझ में कुछ नही आ रहा था. उसने फटाफट कार में से अपने और प्रिया के कपड़े निकाले, खुद पहने और उसको पहनाए और कार लेकर वहाँ से चंपत हो गयी
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