बहू की चूत ससुर का लौडा complete

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chusu
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

Post by chusu »

bhai alag naam se ye story already koi post kar raha hai
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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

Post by Rohit Kapoor »

chusu wrote: 09 Jun 2017 19:31 bhai alag naam se ye story already koi post kar raha hai
plz name bataye
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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

Post by Rohit Kapoor »

हम दोनों हँसने लगे। फिर मैं उसको अलग किया और अपने कपड़े खोलते हुए बोला: तुम भी उतार दो वरना घर जाने में देर हो जाएगी।

वह चुपचाप कुर्ता निकाल दी और ब्रा में उसके कसे हुए उभार देख कर मैं मस्ती में आने लगा। अब तक मैं चड्डी में आ चुका था और मेरा फूला हुआ लौड़ा चड्डी में समा ही नहीं रहा था और साइड से बाहर झाँक रहा था। अपनी सलवार खोलते हुए उसकी नज़र जैसे मेरी चड्डी से जा चिपकी थी और मैं भी पैंटी से उसकी फूलि हुई बुर और उसकी फाँकें देखकर जैसे मंत्रमुग्ध हो गया था।

वह बड़े ही शालीनता से बिस्तर पर पीठ के
बल लेट गयी। मैं भी उसके ऊपर आकर उसके माथे को चूमा । फिर उसकी आँखें, नाक, कान , गाल और आख़िर में उसके होंठ चूमने लगा। थोड़ी देर तो वह चुपचाप होंठ चूसवाती रही। पर जल्दी ही वह गरम होकर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ चूसने लगा। अब मैं उसकी चूची दबाने लगा।वह भी मस्त होकर मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगी।

मैंने उसको उठाया और उसकी ब्रा के स्ट्रैप को खोलकर उसकी ब्रा को उतार दिया: गोरे बहुत बड़े नरम से उसके चूचे मेरे सामने थे जिसपर बहुत बड़े काले रंग का निपल पूरा तना हुआ था। मैंने चूचियाँ दबायीं और अपने चड्डी में फँसे लौड़े को उसकी पैंटी पर रगड़ने लगा। वह भी गरम होकर अपनी कमर हिलाकर रगड़ाई का मज़ा लेने लगी।

अब मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा और वह हाय हाय करने लगी। मैं नीचे को खिसक कर उसके गोरे थोड़े मोटे पेट को चूमते हुए उसकी नाभि को चाटते हुए उसकी जाँघों के बीच आया और उसकी पैंटी को नीचे करके उतार दिया । उसने कमर उठाकर मेरी मदद की पैंटी में उतारने में। अब उसकी थोड़े से बालों वाली बुर पूरी फूली हुई मेरे सामने थी। उसकी फाँकें खुली हुई थी और उसकी भारी जाँघों के बीच वह बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने उसकी जाँघों को पकड़कर ऊपर उठाया और घुटनो से मोड़कर उसकी छाती पर रख दिया। अब उसकी बुर और उसकी भूरि गाँड़ मेरे सामने थी।

मैंने अपने होंठ उसकी बुर पर रखे और वह हाऽऽऽय्य कर उठी । अब मेरी जीभ उसकी बुर को चोद रही थी और वह अपनी कमर उछाल रही थी। बिलकुल गीली होकर उसकी बुर ने अपनी प्यास दिखाई और मैं अपनी चड्डी उतारकर अपने लौड़े को उसके मुँह के पास लाया और वह बड़े प्यार से उसे चूसने लगी। अब मै भी बहुत गरम हो चुका था । मैंने अपने लौड़े को उसकी बुर में सेट किया और उसकी बुर में पूरा लौड़ा एक झटके में ही पेल दिया। वह आऽऽऽह करके अपनी मस्ती का इजहार करते हुए मेरे चूतरों पर अपनी टाँगे कैंची की तरह रख कर मुझसे चिपक गयी। और किसी रँडी की तरह अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी।

उसकी बुर से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी। उसकी बुर मेरी बीवी की बुर से ज़्यादा टाइट थी। वह भी बहुत मज़े ले ले कर चुदवा रही थी। मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए पूछा: क्यों जान मज़ा आ रहा है?

वो: आऽऽह मत पूछिए कितना अच्छा लग रहा है। बहुत प्यासी हूँ मैं। हाऽऽऽऽऽय्यय और चोओओओओओओओदो ।

मैं: ह्म्म्म्म्म्म मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है जान। हाय क्या टाइट बुर है तुम्हारी। आऽऽहहह क्या मस्त चूचे हैं। यह कहकर मैं चूचियाँ चूसने लगा।

वह: आऽऽहहहह मैं गईइइइइइइइइइइ उइइइइइइइइइ कहकर जल्दी जल्दी कमर उछालने लगी।

मैं भी अब जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा और उसकी बुर में अपना वीर्य डालने लगा। वह भी हाय्यय कहकर झड़ गई और हाँफने लगी।

अब हम दोनों अग़ल बग़ल लेट गए। वो बोली: आपको एक बात बोलूँगी कि आज जो मज़ा आपने दिया वो मुझे आजतक कभी नहीं मिला। सच में आप पूरे मर्द हो।

मैं: हमने कोई प्रटेक्शन नहीं उपयोग किया कहीं तुम माँ ना बन जाओ।

वह: हा हा वो फ़िकर तो है ही नहीं क्योंकि मैं दूसरे बच्चे के जन्म के बाद ही अपना ऑपरेशन करवा ली थी।

मैं: चलो ये ठीक है फिर कोई ख़तरा नहीं है।अच्छा ये तो बताओ कि तुम्हारी डिलिव्री नोर्मल थी या सिजेरीयन थी।

वह: दोनों सिजेरीयन थीं।

मैं : तभी तुम्हारी बुर अभी भी मस्त है। सरिता की तो ढीली हो चली है क्योंकि उसकी बुर से ही बच्चे निकले थे।

यह कहते हुए मैंने दिर से उसकी बुर पर हाथ फेरा और बोला: जान सच में तुम इस उम्र में भी मस्त माल हो। फिर मैंने उसको करवट लिटाया और उसके मोटे चूतरों को दबाने लगा और उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाला और बोला: जान अब तो इसमें भी डालने का मन कर रहा है। लगता है कि तुम यहाँ भी चुदवाती हो।

अब तक मेरी दो ऊँगलियाँ आराम से घुस गयीं थीं। वह बोली: आऽऽह हाँ वो पहले तो हमेशा गाँड़ भी मारते थे। पर अब पिछले तीन महीने से ये भी प्यासी है।

मैं ख़ुश होकर बोला: आऽऽह क्या मस्त गाँड़ है अभी डालता हूँ मेरी जान अपना लौड़ा ।

फिर मैंने क्रीम लेकर उसकी गाँड़ और अपने लौड़े पर लगाया और उसकी गाँड़ के पीछे आकार उसके चूतरोंको दबाते हुए फैलाया और उसकी गाँड़ की सुराख़ में अपना लौड़ा धीरे से दबाने लगा। मूसल उसकी टाइट गाँड़ में धँसता ही चला गया । अब मैंने उसकी गाँड़ की ठुकाई चालू की। वह भी अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर दबा दबा के चुदवाने लगी। सामने हाथ लाकर मैं उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था।

हम दोनों मज़े से भरकर चुदाई के आनंद में डूबे जा रहे थे। फिर मैंने ज़ोरों की चुदाई चालू की और वह भी हाऽऽऽय्य चिल्लाने लगी। अब मैंने उसकी बुर की clit को मसलना शुरू किया और वह उओइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और मैंने भी अपना गरम माल उसकी गाँड़ में छोड़ दिया।

अब हम दोनों शांत हो चुके थे। फिर हम तैयार हुए और फ़्लैट से बाहर आए और उसकी कार के पास उसको अपनी कार से उतारकर मैं दुकान में वापस आ गया।

रात को जब पायल बाथरूम गयी ,मैंने उसको SMS किया : कैसी हो?
वो: ठीक हूँ, थैंक्स , बहुत मज़ा आया। दोनों शांत हैं।

मैं: दोनों कौन? मैंने तो सिर्फ़ तुमको शांत किया है।

वो: मेरा मतलब है दोनों छेद।

मैं:हा हा ।गुड नाइट।

वो: आज बीवी को करेंगे क्या?

मैं : नहीं। ताक़त ही नहीं है।

वो: अगर वो माँगेगी तो?

मैं: आह फिर तो करना ही पड़ेगा।

वो: बहुत लकी है वो जिसको आपके जैसा मर्द मिला है। चलो गुड नाइट।

मैं: गुड नाइट, कल मिलोगी?

वो: पूरी कोशिश करूँगी। बाई ।

फिर मैं भी सो गया। पायल भी आइ और सो गयी।
मैंने शशी को अपने से चिपटा कर कहा: आगे भी सुनना है क्या?

शशी: हाँ बुलबुल की तो अभी बात ही नहीं हुई।

मैं: हाँ बुलबुल की भी कहानी आगे बताता हूँ, पर कुछ मज़ा तो दे अभी। ये कहते हुए मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसको चूसने का इशारा किया। वह बड़े प्यार से मेरे लौड़े के सुपाडे को चूसने लगी और बोली: अच्छा मैं धीरे धीरे आपका चूसती हूँ आप आगे क्या हुआ बताते जाओ।

मैंने मुस्कुराकर उसकी बात मान ली और बताने लगा: ————
अगले दिन सुबह साधना का गुड मोर्निंग आया हुआ था और वह कई स्माइली भी भेजी थी। मैंने भी उसका जवाब दिया।फिर मैं दुकान चला गया। वहाँ भी उसके SMS आते रहे। जल्दी ही हम सेक्स की बातें करने लगे और दोपहर होते तक वह और मैं बहुत गरम हो गए। अब मैंने उसको लिखा कि चलो आओ ना फ़्लैट में चुदाई के लिए। वह लिखी:: मैं तो अभी आ जाऊँ पर क्या आपको फ़ुर्सत है?

मैं : हाँ आज मेरे बेटे की छुट्टी है तो वो अभी आएगा , तुम बोलो तो हम एक घंटे में मिलते हैं।

वो: ठीक है मैं आती हूँ।

फिर हम दोनों उस दिन भी फ़्लैट में मिले और इस बार तो वह पहले से भी ज़्यादा फ़्री थी। उसने खुलकर मेरा साथ दिया और हमने कई आसनों में चुदाई का मज़ा लिया। अब वह चुदाई में मेरा वैसे ही साथ दे रही थी जैसी मेरी बीवी देती थी।

हमारा ये सिलसिला क़रीब एक महीने तक चला। फिर शायद हम दोनों ही थोड़े एक दूसरे से बोर होने लगे। फिर हमारी मुलाक़ात कम होने लगी , कभी हफ़्ते में एक बार और आख़री में तो एक महीने में एक बार। मुझे भी तबतक एक दूसरी फुलझड़ी मिल चुकी थी। वह २०/२१ साल की एक कॉलेज की लड़की थी और मैंने उसको अपनी दुकान से ही पटाया था और पैसे की ज़रूरत को पूरा करने के लिए वह मुझे मज़ा दे रही थी। उसे कपड़े और cosmetics वग़ैरह ख़रीदने का बहुत शौक़ था और उसका यह शौक़ पूरा करने के लिए वह चुदाई के लिए तैयार थी। मैं भी उसकी यह ज़रूरत पूरी कर रहा था और वह मेरी टाइट बुर की ज़रूरत पूरी कर रही थी। इस आपाधापी में साधना को जैसे भूल ही गया था।

क़रीब एक महीने के बाद वो लड़की मुझे बताई कि उसका महीना नहीं हुआ। मैं थोड़ा परेशान हो गया और उसको उसको अपने एक दोस्त डॉक्टर के पास भेजा। वहाँ पता चला कि वो गर्भ से है। मैंने डॉक्टर को कहकर उसका गर्भपात करा दिया। अब मैंने उस लड़की से भी किनारा कर लिया और क़िस्मत से अगले महीने ही वह लड़की भी अपनी पढ़ाई पूरी करके दूसरे शहर चली गयी । और मैं फिर से अकेला हो गया था। सरिता तो थी पर उसे मैं घर की मुर्ग़ी ही समझता था और उसकी बुर अब ढीली भी हो चुकी थी। इस बीच साधना से एक दो बार मिला उसकी चुदाई की और उसको उस लड़की के गर्भवती और फिर गर्भपात के बारे में भी बताया। इस तरह दिन कट रहे थे।

तभी एक दिन मैं दुकान में आइ हुई एक कमसिंन लड़की की स्कर्ट से झाँकती गदराइहुई जाँघों को देख रहा था और अपना लौड़ा मसल रहा था। जब वह एक नीचे के शेल्फ़ में एक कपड़ा देखने के लिए झुकी तो उसकी गुलाबी पैंटी में फँसी हुई उसकी बुर अचानक मेरी आँखों के सामने थी। क्या मस्त माल है मैंने सोचा कि तभी साधना का फ़ोन आया। मैंने फ़ोन उठाया और हेलो बोला।

साधना: हाय कैसे हो आप?

मैं: मस्त हूँ, तुम सुनाओ क्या हाल है?

साधना की थोड़ी गम्भीर सी आवाज़ आयी, बोली: मिलना है आपसे कब फ़्री हो?

मैं: क्या हुआ आज बहुत दिन बाद खुजली हुई क्या? बहुत दिन बाद मिलने को कह रही हो।

वो: मुझे आपसे कुछ ख़ास बात करनी है। हम कॉफ़ी हाउस में भी मिल सकते हैं।

मैं: नहीं वहाँ नहीं। फ़्लैट ही में मिलते हैं।

फिर हम तय समय पर फ़्लैट में मिले। आज वह सलवार कुर्ते में थी। थोड़ी उदास दिख रही थी।

मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और चूमते हुए बोला: क्या बात है कुछ परेशान लग रही हो?

वो: हाँ थोड़ा परेशान हूँ। आप बैठो ना बताती हूँ।
फिर हम सोफ़े पर बैठे और उसने कहना शुरू किया। वो बोली: आपको मैंने बताया था ना की मेरा एक बेटा है और बहु भी है। दरसल कल बहु ने बताया कि मेरे बेटे के स्पर्म में कुछ समस्या है और वह कभी बाप नहीं बन सकता।
लेकिन यह बात वह मेरे बेटे को नहीं बताना चाहती ताकि वह दुखी ना होए।

मैं: अरे इलाज कराओ ना उसका।

वो: डॉक्टर ने कहा है कि ये लाइलाज है। कल बहु रो रही थी और बोली: माँ बताइए ना क्या करूँ? उनको बताती हूँ तो वो दुखी होंगे। मैं उनको बोल दूँगी कि कमी मुझमें है। तब मैं बोली: इतना त्याग मत करो। कुछ और रास्ता खोजते हैं। तब मेरे मन में ये ख़याल आया कि उसको मेरे पति से ही बच्चा करवा दूँ। पर फिर सोचा कि आजकल तो इनका खड़ा ही नहीं होता तो क्या मर्दानगी बची होगी जो कि एक बच्चा ही पैदा कर सकें?

मैं: ओह फिर क्या सोचा?

वो: फिर आपका ख़याल आया। आपने अभी एक लड़की को एक महीने की चुदाई में गर्भवती कर दिया था तो क्यों नहीं आप मेरी बहु को भी माँ बना सकते?

मैं तो जैसे आसमान से गिरा और बोला: क्या कह रही हो? क्या तुम अपनी बहु को मुझसे चुदवाओगी ?

वो : हाँ यही तो आपसे कहने आयी हूँ।

मैं: और तुम्हारी बहु मान जाएगी? मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा २३ साल की मस्त जवानी का सोचके। मैं उसको मसल दिया।

वो: हाँ वह तैयार है तभी तो आयी हूँ। देखो आपका तो सुनकर ही खड़ा हो गया । यह कहकर उसने मेरे खड़े लौड़े को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया।

मैं: नाम क्या है बहु का? कोई फ़ोटो है?

वो: बुलबुल नाम है और ये उसकी फ़ोटो देखो मेरे मोबाइल में।

मैंने उसकी फ़ोटो देखा और मस्ती से बोला: यार मस्त माल है बुलबुल। बहुत मज़ा आएगा उसे चोदने में। मैंने फ़ोटो के ऊपर ही उसकी उठी और तनी हुई चूचियों को सहलाया और बोला: आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। जब वह माँ बनेगी तो इसका दूध पिलाना होगा।

वो: पक्का पिलवाऊँगी। बस उसको माँ बना दो।

मैं: अरे ज़रूर से बना दूँगा। पर अभी तुम ही चुदवा लो उसकी जगह। यह कहकर मैंने उसकी चूचियाँ दबा दीं।

वो हँसते हुए बोली: मैंने कभी मना किया है क्या? फिर वो भी मेरे लौड़े को पैंट से बाहर निकाली और सुपाडे को नंगा किया और थोड़ा सहलाने के बाद मुँह में ले ली। मैंने मज़े से आँखें बन्द कर ली और उसके मुँह को चोदने लगा। और बोला: कब लाओगी बुलबुल को?

वो: कल ही लाऊँगी। फिर मैंने उसकी ज़बरदस्त चुदाई की और वह अगले दिन बुलबुल के साथ आने का कहकर चली गयी।
राज अपनी बात आगे बढ़ाया:—-
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Rohit Kapoor
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Re: बहू की चूत ससुर का लौडा

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उस दिन साधना के जाने के बाद मैं रात को साधना को SMS किया: कैसी हो? क्या कर रही हो?

वह लिखी: ठीक हूँ अभी खाना खाया है। आप क्या कर रहे हो?

मैं:: अरे अपना लौड़ा दबा रहा हूँ बुलबुल की बुर के बारे में सोच कर।

वो : कल दिलवा तो रही हूँ।

मैं: तुम्हारा हबी क्या कर रहा है?

वो: यहाँ नहीं है , एक हफ़्ते के टूर पर हैं दोनों बाप बेटा।

मैं: ओह तो फिर मैं वहीं आ जाता हूँ और अभी चोद देता हूँ तुम दोनों को।

वो: नहीं हमारे साथ नौकर भी है। और हमारी सास भी रहती है। कल ही मिलेंगे।

मैं: अरे तो फ़ोन पर बात तो कर सकते हैं। बुलबुल और तुम्हारे साथ।

वो: नहीं मेरी सास कभी भी आ जाती है। वो ८२ साल की है पर बहुत तेज़ है। फिर आपकी वाइफ़ भी तो होगी वहाँ ना?

मैं: अरे मैं छत पर जाकर बात कर सकता हूँ।

वो: नहीं हम बात नहीं कर पाएँगे। मैं उसको लेकर कल आ तो रही हूँ।

मैं : चलो अब क्या हो सकता है, कल का इंतज़ार करते हैं। बाय । और फ़ोन काट दिया।
दुसरे दिन साधना बुलबुल को अपने साथ लेकर आई मै घर के अन्दर था और साधना ने दरवाजे के बाहर आकर डोरवेल बजायी और मै आकर दरवाजा खोला अब वो दोनों अंदर आयीं। बुलबुल ने मुझे नमस्ते की और साधना को मैंने अपने से लिपटा लिया। साधना मुझे बता चुकी थी कि बुलबुल हमारे रिश्ते के बारे में जानती है। अब मैं सोफ़े पर बैठा और वो भी सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयीं।

साधना: तो ये बुलबुल है मेरी बहू। और आपके बारे में मैं इसे बता ही चुकी हूँ। बुलबुल अपना सिर झुकाए बैठी थी।
उसके गाल शर्म से लाल हो रहे लगे।

मैं: अरे बेटी, इतना क्यों शर्मा रही हो। तुम तो पाँच साल से शादीशुदा हो इन सब बातों को समझती हो। है कि नहीं? कोई कुँवारी बच्ची तो हो नहीं? सही कहा ना मैंने?

उसने हाँ में सिर हिलाकर मेरी बात से सहमती व्यक्त की। अब वो सहज होने लगी थी। मैंने साधना को देखा और कहा: आज तो इस रूप में तुम भी ग़ज़ब ढा रही हो।

साधना: अरे ये सब इस लड़की का किया धरा है। मुझे अपने जैसे कपड़े पहना कर लाई है। भला अब मेरी उम्र क्या इस तरह के कपड़े पहनने की है? सब तरफ़ माँस बाहर आ रहा है। वो अपने पेट को देखकर बोली।
मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं
आज मुझे वो भी दो दो ।

साधना: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप बुलबुल के साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।

मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ बुलबुल बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और बुलबुल को उसपर बैठने का इशारा किया।

बुलबुल झिझक रही थी तो उसकी सास उसे खड़ा की और मेरे पास लाकर मेरी गोद में बैठा दिया। बुलबुल तो मेरे खड़े हो रहे लौड़े पर बैठकर थोड़ा सा चिंहुकी और अपने चूतरों को हिलाकर बैठ गयी। और इधर मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।

अब मैंने साधना के पेट को सहलाना शुरू किया और उसकी टॉप को उठा कर उसके नंगे पेट को चूमने लगा। उसकी नाभि भी जीभ से कुरेदने लगा। फिर मैंने हाथ बढ़ाकर बुलबुल की बाँह सहलाते हुए उसकी चूचि पकड़ ली। आऽऽह क्या सख़्त अनार सी चूचि थी। साथ ही मैंने अपना एक पंजा सीधा साधना की बुर के ऊपर उसकी पैंट के ऊपर से रख दिया और उसको मूठ्ठी में लेकर दबाने लगा। एक साथ सास और बहू की आऽऽऽह निकली। दोनों मेरे इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थीं।

अब मैं बारी बारी से बुलबुल की चूचि दबा रहा था और साधना की बुर भी मसल रहा था। साधना: आऽऽऽह छोड़िए ना। आज नहीं, आज सिर्फ़ बुलबुल से मज़े लो। आऽऽहहहह मुझे जाने दो।

मैं: क्यों मज़ा ख़राब कर रही हो? देखो तुम्हारी बहु कितने मज़े से चूचियाँ दबवा रही है , तुम भी अपनी पैंट खोल दो अभी के अभी। ये कहते मैंने उसकी पैंट की ज़िपर नीचे कर दी और अंदर हाथ डाल दिया। मेरे हाथ उसकी बिलकुल गीली हो चुकी पैंटी पर थे और मैं बोला: देखो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है। चलो अब खोलो इसे और पहले मैं तुमको चोदूंग़ा और जब बुलबुल की शर्म निकल जाएगी तब उसे भी चोद दूँगा।

अब मैंने बुलबुल का टॉप खोला और वह हाथ उठाकर मुझे टॉप उतारने में मेरी मदद की। अब मैं ब्रा के ऊपर से उसकी बड़े अनारों के चूम रहा था। मैं: आऽऽहब क्या माल है तेरी बहु, आऽऽज बहुत मज़ा आएगा इसे चोदने में।

उधर साधना बोली: तो चोदो ना उसे पर मुझे जाने दो। मुझे बड़ा अजीब लगेगा इसके सामने चुदवाने में।

बुलबुल: माँ आप ये कैसी भाषा बोल रही हो?
मैं: अरे बेटा, चुदाई को तो चुदाई ही बोलेंगे ना? अब करवाएगी या मज़ा लेगी , इसका कुछ और मतलब भी हो सकता है, पर चुदाई का कुछ और मतलब सम्भव ही नहीं है । अब मेरी दो उँगलियाँ पैंटी के साइड से उसकी बुर में घुस गयीं। साधना हाय्य्यय कहकर उछल गयी। फिर मैंने उँगलियाँ निकाली और बुलबुल को दिखाकर बोला: देखो तुम्हारी सासु माँ की बुर कितनी चुदासि हो रही है। ये कहते हुए मैंने वो दोनों उँगलियाँ चाट लीं। बुलबुल की आँखें अब मेरे द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से और मेरी बातों से लाल होने लगी थी और वह चूतड़ हिलाकर मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी।

अब मैंने साधना का पैंट का बेल्ट खोला और वह मेरे हाथ को हटाकर बोली: आप प्लीज़ मुझे जाने दो ना।
मैं: बुलबुल फ़ैसला करेगी कि तुम जाओगी या नहीं। बोलो बुलबुल क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारी सासु माँ प्यासी रहे?

बुलबुल: नहीं मैं ऐसा क्यों चाहूँगी? माँ आप रुक जाओ ना।
साधना: तू भी इनकी तरफ़ हो गई? अभी तो चुदीं नहीं है तब ये हाल है, चुदाई के बाद तो मेरा साइड छोड़ ही देगी। अब हम तीनों हँसने लगे। अब साधना ने भी विरोध छोड़ दिया और अपनी पैंट उतार दी। काली पैंटी में उसका गोरा भरा हुआ बदन बहुत कामुक दिख रहा था। मैंने उसकी मोटी जाँघें सहलायीं और फिर पैंटी नीचे कर दिया। उसने पैंटी भी उतार दी। उसकी मोटी फूली हुई बुर मेरी और बुलबुल की आँखों के सामने थी।

बुलबुल भी इसे पहली बार देख रही थी। उसको आँखें वहीं चिपक गयीं थीं। अब मैंने साधना को अपने पास खिंचा और उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूसने और चाटने लगा। जल्दी ही उसकी आऽऽऽहहहह निकल गयी और वह मेरा सिर अपनी बुर पर दबाके अपनी कमर हिलाने लगी।
मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि

एक हाथ से अभी भी मैं बुलबुल की चूचि दबा रहा था। अब मैंने अपना मुँह उठाया और फिर मैंने बुलबुल की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उसकी नंगी चूचियाँ देखकर मैं जैसे अपने होश खो बैठा और उसकी चूचियाँ चूसने लगा ।अब मेरा हाथ साधना के बुर में ऊँगली कर रहा था और दूसरा हाथ उसकी एक चूचि दबा रहा था और मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि थी।
अब वो दोनों आऽऽऽहहह कर रही थीं और अब बुलबुल खूल्लम ख़ूल्ला मेरे लौड़े पर अपनी बुर पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी और उसकी कमर हिले जा रही थी। अब मैं बोला: चलो बिस्तर पर चलते हैं। वो दोनों मुस्करायीं और साधना बोली: चलो आपने मुझे इतना गरम कर दिया है कि अब बिना चुदवाने मुझे चैन नहीं आने वाला।

हम बेडरूम में पहुँचे और वहाँ साधना मेरे कपड़े उतारने लगी और मैंने उसका टॉप उतार दिया। फिर उसके ब्रा को खोलकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ नंगी हो गयी। उसने भी मुझे नंगा किया और मेरी चड्डी उतारकर मेरे लौड़े को पकड़कर बुलबुल को दिखाकर बोली: ये है इनका मस्त लौड़ा जो तुमको माँ बनाएगा। देखो इनके बालस कितने बड़े हैं और मस्त मर्दाना स्पर्म से भरे हुए हैं जो तुमको जल्दी ही क्या पता आज ही माँ बना देंगे।

बुलबुल मेरे लौड़े को और बॉल्ज़ को देखती रही।तब तक साधना नीचे बैठ गयी और मेरा लौड़ा चूसने लगी।और फिर वह बुलबुल को दिखाकर मेरे बालस चूसने लगी। अब मैं भी गरम हो गया था और मैंने बुलबुल की पैंट उतारी और उसकी पैंटी को देखकर मस्त हो गया जो की सामने से पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह बहुत गरम है और बड़े मज़े से चुदवाएगी । उसकी पैंटी नीचे करके मैंने उसकी बुर को देखा और बिना झाँट के बुर को देखकर मेरे लौड़े ने साधना के मुँह में झटका मारा।

वह अब बहुत गरम थी और मैंने साधना को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे पागलों की तरह चोदने लगा। वह भी कमर उठकर मज़ा देने लगी। मैंने देखा कि बुलबुल भी बग़ल में आकर लेट गयी और अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी और हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी। कमरा फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँज रहा था और वह ध्यान से मेरे धक्कों को देख रही थी मानो वो भी कोई नया अजूबा देख रही हो।

मैं बोला: क्या बात है बुलबुल , क्या देख रही हो? तुम्हारा पति भी तो ऐसे ही चोदता होगा ना तुमको रोज़ ?

बुलबुल: मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और बड़े आराम से करते हैं। आपके जैसे जंगली की तरह नहीं करते।

तभी साधना हाय्य्य्य्य्य्य्य्य और ज़ोर से चोओओओओओदो चिल्लायी और बुलबुल हैरानी से अपनी सास को देखने लगी। वह अब ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उछालकर हाय्य्यय आऽऽह करके झड़ने लगी। अब उसके झड़ने के बाद मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और अब बुलबुल के ऊपर आ गया। मेरा लौड़ा अभी भी पूरा खड़ा था और साधना की बुर के रस से गीला होकर चमक रहा था।
अपने लौड़े को बुलबुल की आँखों के सामने लाकर उसको झुलाते हुए मैं बोला: बुलबुल बेटा मर्दाना चुदायी ऐसी होटी है। क्या तुम्हारा पति भी ऐसे ही धमासान चुदाई करता है? देखो तुम्हारी सासु माँ क्या मस्ती से चुदायी। अभी मैं तुमको ऐसे ही चोदूँगा। तुम कभी नहीं भूलोगी और मेरे पास बार बार आओगी चुदवाने जैसे तुम्हारी सास आती है।

बुलबुल: अंकल आपको पता है कि मैं आपके पास सिर्फ़ इस लिए आयी हूँ कि मुझे माँ बनना है । वैसे आपको बता दूँ कि मेरे पति भी मुझे बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट करते है और उनका भी आपके जैसे ही बहुत बड़ा है। बस पता नहीं स्पर्म कैसे कम हो गए । इसीलिए आपके पास आयी हूँ। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। पर हाँ वो ऐसे ज़ोर ज़ोर से नहीं करते जैसे आप किए थे अभी माँ को!
मैं: अरे उसी जबदरस्त चुदाई में ही तो मज़ा है बेटा। अभी देखना कैसे तुमको मस्त करता हूँ। बेटी लड़की एक से ज़्यादा मर्द से भी तो प्यार कर सकती है। जैसे तुम्हारी सास अब मुझे भी प्यार करने लगी है। वैसे ही तुम भी बहुत जल्दी मुझे भी प्यार करने लगोगी। मैं भी तो अपनी बीवी से भी प्यार करता हूँ।

बुलबुल: आपकी सोच मेरे से अलग है।

मैं: अब तुम दोनों सुनो मेरी सोच तो यह है कि जब तुम्हारे पति का लौड़ा बहुत मस्त है तो साधना को बाहर आकर मुझसे चुदवाने की क्या ज़रूरत है वो तो अपने बेटे से भी चुदवा सकती है ना।

बुलबुल: क्या बकवास कर रहे हैं आप? भला ऐसा भी कहीं होता है? वो माँ बेटा हैं।
मैं: क्यों साधना, तुम्हारे बेटे का लौड़ा मस्त है और अगर बुलबुल को कोई ऐतराज़ ना हो तो क्या तुम अपने बेटे से चुदवा नहीं सकती?

साधना: छी कैसी बातें कर रहे है आप? छोड़िए ये सब बकवास और बुलबुल को चोदिए अब।

बुलबुल: एक बात पूँछुँ अंकल? आपकी बेटी को भी आप चोदना चाहोगे क्या?

मैं: सच बताऊँ, अगर पायल नहीं होती तो सच में मैं अपनी बेटी को चोद देता। बस उसके डर से नहीं चोदा। वरना जब वह जवान हो रही थी तो कई बार मन में आया कि मेरी जवान बेटी किसी दूसरे से क्यों चुदवाए वो भी मेरे जैसे चुदक्कड के होते हुए।
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