जीवन एक संघर्ष है complete

Post Reply
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »


सुबह की चहल- पहल और माँ की मधुर आवाज़ मेरे कानो पर दस्तक दे रही थी ।
में नींद के आगोस से निकलने का प्रयास करता हुआ उठा ।
माँ-" बेटा उठो कंपनी जाना है तुम्हे, जल्दी से तैयार हो जाओ में नास्ता लगाती हूँ"
सूरज-" हाँ माँ अभी तैयार होता हूँ"
माँ के जाते ही में जल्दी से फ्रेस होकर नीचे पहुँचा । तान्या दीदी कंपनी जा चुकी थी ।
मैं डायनिंग टेवल पर बैठ कर नास्ता करने लगा । तभी मेरे दिमाग में आया की शंकर डॉन की रिहाई के लिए माँ से बात करू, और इस रंजिस को सुलझाऊँ ताकि भविष्य में कोई खतरा न हो ।
सूरज-" माँ एक बात पूछनी थी आपसे?"
संध्या माँ-"हाँ बोलो बेटा"
सूरज-" माँ में शंकर डॉन की रिहाई चाहता हूँ" जैसे ही माँ ने यह् सूना एकदम चोंक गई, माँ को लगा की शायद मुझे सबकुछ याद आ गया है ।
संध्या-" क्या तेरी यादास्त वापिस आ गई है, तुझे कैसे पता की शंकर के लिए मैंने जेल भिजबाया है?" माँ हैरान और परेसान थी ।उसे डर था की कहीं मेरी यादास्त वापिस न आ जाए और में फिर से उस नर्क की जिंदगी को गले न लगा लू ।
सूरज-" नहीं माँ मुझे कुछ याद नहीं है लेकिन मुझे पता चल गया है की शंकर डॉन मेरी बजह से जेल में है, माँ गलती मेरी थी उस गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूँ, में नहीं चाहता की मेरी बजह से आपको कोई तखलीफ हो आप पर या दीदी पर कोई फिर से हमला करे, में उनसे अपनी गलती की माफ़ी मांग लूंगा माँ, शिवानी के साथ जो हुआ गलत हुआ है, मेरी नासमझी रही होगी शायद, में पापी था और उस पाप की सजा मुझे मिल चुकी है, अब आप भी उसे माफ़ कर दो" माँ मेरी बात को हैरानी से सुनती हुई बोली ।
संध्या-" बेटा तू कितना समझदार हो गया है, में केस को वापिस तो ले लुंगी लेकिन मुझे डर है कहीं शंकर फिर से तुझे हानि न पहुचा दे, में तुझे खोना नहीं चाहती हूँ बेटा"
सूरज-" माँ मुझे कुछ नहीं होगा भरोसा रखो, इस सूर्या से अगर कोई टकराएगा तो खुद जल कर भस्म हो जाएगा,आप आज ही उसे रिहा करवा दीजिए में उससे बात करूँगा माँ"
संध्या-" बेटा तू कहता है तो ठीक है, में अपने वकील से कह कर उसे अभी रिहा करबा देती हूँ"
माँ ने तुरंत फोन निकाल कर वकील से शंकर की रिहाई के लिए बात की, मुझे बहुत सुकून मिला लेकिन डर भी था की कहीं जैल से छूटने के बाद कोई गलत हरकत न करे ।
संध्या माँ-" बेटा अभी एक घंटे में शंकर की जमानत हो जाएगी, तू थोडा सतर्क रहना, अब जल्दी से कंपनी जा, देर हो रही है" मैंने माँ को गले से लगा कर किस्स किया और गाडी लेकर कंपनी आ गया।
कंपनी जाकर मैंने सबसे पहले सभी लोगों से परिचय किया । कंपनी के सभी लोग मुझसे बहुत प्रभावित हुए, कंपनी में काम करने बालो की सभी समस्या सुनी, उन्हें भरोसा दिलाया की कंपनी उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करेगी ।
कंपनी की मेनेजर गीता भी मेरे कार्य से व्यवहार से बहुत प्रशन्न थी ।तान्या कंपनी में आकर पूरा दिन ऑफिस में बैठकर कंपनी के बिल और जरुरी फाइल पूरी करती रहती थी, सूरज के कंपनी आने से उसे थोड़ी राहत तो मिली थी परंतु कंपनी का सभी कारोबार उसे ही संभालना पड़ता था ।
गीता मेनेजर तान्या के ऑफिस में पहुँची ।
गीता मेनेजर-" मेम आपके भाई सूर्या जी तो बहुत अच्छे इंसान हैं, कंपनी के सभी वर्कर उनकी प्रसंसा कर रहें हैं, आज उन्होंने ने सबकी निजी समस्या सुनी तो सब लोग उनसे खुश हो गए"
तान्या-" आप ज्यादा उसके करीब मत जाना, वो दिखने में जितना अच्छा है उतना ही अंदर से शैतान है,उसकी तारीफ़ मेरे से नहीं करना आज के बाद" तान्या गुस्से से समझाते हुए बोली ।
गीता तान्या से माफ़ी मांगते हुए अपने केबिन में चली गई ।गीता समझ जाती है की तान्या मेडम सूर्या से बहुत नफरत करती है,
इधर सूरज अपने ओफ़ीस में बैठा कंपनी के हिसाब किताब को पढ़ रहा था तभी उसका फोन बजा, सूर्या ने फोन देखा तो पूनम दीदी का फोन था, सूर्या ने तुरंत फोन को उठाया।
सूरज-" हेलो दीदी"
पूनम-" सूरज कहाँ है" घबराई हुई थी
सूरज-" दीदी कंपनी में हूँ अपनी, क्या बात है दीदी"
पूनम-" तनु को तेज बुखार है घर आजा थोड़ी देर के लिए, तुझे बुला रही है" मैंने जैसे ही सुना तुरंत कंपनी से गाडी लेकर फ़ार्म हाउस निकल गया । गाडी को बड़ी तेजी से दौड़ता हुआ में लगभग 10 मिनट में फ़ार्म हाउस पंहुचा । में भागता हूँ तनु दीदी के कमरे में पंहुचा तो देखा मेरी माँ रेखा दीदी के सर पर ठन्डे पानी की पट्टिया रख रही थी और पूनम दीदी तनु के पास बैठी थी जैसे ही मुझे देखा माँ और पूनम दीदी के चेहरे पर ख़ुशी के भाव थे, मैंने तनु दीदी को देखा तो वो सो रही थी ।
रेखा-" आ गया बेटा"
सूरज-" हाँ माँ कैसी है दीदी की तबियत"
माँ-" बेटा अब तो आराम है पूनम ने बुखार की दवाई खिला दी थी तबसे आराम है"
में तनु के पास बैठ कर उसके माथे पर हाँथ से बुखार को देखने लगा, इस समय बुखार नार्मल था । मेरे हाथ रखते ही तनु की आँख खुली तो मुझे देख कर खुश हो गई ।
तनु-" सूरज तुम कब आए?"
सूरज-" दीदी अभी आया हूँ, आप चलो मेरे साथ दवाई दिलवा कर लाता हूँ"
तनु-" अब ठीक हूँ सूरज"
रेखा-" चली जा बेटा दवाई ले आ"
पूनम-" में खाना बनाती हूँ सूरज" पूनम दीदी चली गई । माँ अभी भी तनु के पास बैठकर उसके सर को सहला रही थी ।
तनु-" माँ अब रहने दो में बिलकुल ठीक हूँ, काफी देर लेटने के कारण में बोर हो गई हूँ, बहार गार्डेन में टहल कर आती हूँ" फ़ार्म हाउस में ही सुन्दर बगीचा था जो कई एकड़ में फैला था, फलदार वृक्ष और कई प्रकार के छाया बाले पेड़ भी थे ।
रेखा-" ठीक है बेटा आप थोडा टहल लो" में और तनु दीदी बहार बगीचे की तरफ निकल आए ।
सूरज-" दीदी आपको बुखार आ गया, आपने बताया नहीं मुझे, कबसे आ गया"
तनु-" परसो के दिन झरने के ठन्डे पानी से नहाए थे, तबसे ही हल्का हल्का बुखार था"
सूरज-" ओह्ह्ह दीदी मेरी बजह से आपको यह तखलीफ साहनी पड़ी" बगीचे में घूमते घूमते काफी आगे तक निकल आए, जहां अंगूर और अनार के पेड़ थे ।
तनु-" कोई बात नहीं सूरज, उस दिन मजा भी तो बहुत आया था नहा कर" दीदी हँसते हुए बोली
सूरज-" दीदी नहा कर मजा आया था या उस दिन जो किया था उससे मजा आया था" दीदी शर्मा गई, मैंने दीदी का हाँथ पकड़ कर अपनी बाहों में भींचते हुए कहा,
तनु-" सूरज पता नहीं तूने ऐसा क्या जादू किया है मेरे ऊपर हर वक़्त तेरे ही ख्यालो में रहती हूँ, तू मेरा भाई, एक ही माँ की कोख से जन्मे है हम दोनों, फिर भी मैंने उस खून के रिश्ते को भुला कर तेरे साथ सम्भोग किया, रिश्ता कहता है की ये गलत है लेकिन मेरा जिस्म कहता है ये सही है, इसी उधेड़बुन में दो दिन निकल गए"
सूरज-" दीदी हमने जो किया पता नहीं सही था या गलत लेकिन में इतना जानता हूँ की आपको बहुत ख़ुशी मिली उस काम को कर के और मुझे भी, फिर बो काम गलत नहीं हो सकता" मैंने तनु दीदी के लिप्स को चूसने लगा, दीदी ने भी मुझे कस कर गले से लगा लिया, पकड़ इतनी मजबूत थी दीदी की ऐसा लग रहा था की कब की प्यासी हैं दीदी, होंठ चूसने के बाद दीदी ने मेरे पुरे चेहरे को किस्स किया, मैंने भी दीदी के चेहरे को अपनी जीव्ह से चाटने लगा, दीदी की साँसे तेज हो गई,दीदी टीशर्ट पहनी थी नीचे लेगी पहनी हुई थी, मैंने टीशर्ट के ऊपर से दीदी के बूब्स को सहलाने लगा, निप्पल को मरोड़ने लगा, दीदी मेरे होंठ को चूसने लगी,
दीदी की टीशर्ट को उतार दिया, दीदी ब्रा नहीं पहनी थी, और उनके बूब्स के निप्पल को चूसने लगा, एक हाथ से लेगी के ऊपर से ही दीदी की चूत को सहलाने लगा, दीदी की चूत पानी छोड़ रही थी, मैंने दीदी की लेगी को उतार दिया,
तनु-" ओह्ह्ह सूरज जल्दी जल्दी कर लो, ज्यादा समय नहीं है हमारे पास, पूनम दीदी इंतज़ार कर रही होंगी"
मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे, और दोनों नंगे ही मखमली घास पर लेट गए, दीदी मेरे लंड को चूसने लगी, और में दीदी की चूत में जीव्ह डालकर चूत का सारा पानी चाटने लगा, मैने तेजी से अपनी जीव्ह चूत के अंदर बहार करने लगा दीदी की साँसे तेजी से चलने लगी, एक दम उनका जिस्म अकड़ा और उनकी चूत से पानी का फब्बारा छूट गया, दीदी झड़ चुकी थी ऐसा लगा जाने कबसे प्यासी थी । दीदी की चूत से सफ़ेद और गाड़ा पानी वड़ा स्वादिष्ट था, मैंने जीव्ह से सारा पानी चाट लिया,
तनु-" ओह्ह्ह सूरज रुक मुझे बहुत तेज पिसाव लगी है, अभी पिसाव करके आती हूँ"

सूरज-" दीदी आपकी चूत का पानी बहुत स्वादिष्ट है, तो पिसाव भी स्वादिष्ट होगी, मेरे मुह पर बैठ कर मूतो दीदी, आपकी पिसाव पीना है मुझे" दीदी की चूत को चाटते हुए बोला
तनु-" छी छी पिसाव नहीं पीते है सूरज, मुझे शर्म आ रही है में यह नहीं कर पाउंगी"
सूरज-" प्लीज़ दीदी मूतो मेरे मुह" मैंने दीदी को अपने मुह पर बैठा लिया उनकी चूत मेरे मुह पर थी, तभी दीदी की चूत एक दम खुली और एक सिटी की आवाज़ के साथ मुत की धार मेरे मुह में गिरने लगी, पिसाव की धार इतनी तेज थी की मेरे पूरा मुह पिसाव से भर गया,और कुछ पिसाव मेरे चेहरे पर गिरने लगी, दीदी की नमकीन पिसाव को में गटकने लगा, थोड़ी देर बाद पिसाव करने के बाद मैंने दीदी को घोड़ी बना कर अपना लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया, एक बार चुदाई करने की बजह से इस बार लंड उनकी चूत को चीरता हुआ आसानी से पूरा घुस गया।
तनु-" ओह्ह्ह्ह मेरे भाई आराम से दर्द होता है,तेरी दीदी की चूत बहुत कोमल है आराम से लंड घुसा"
सूरज-" दीदी आपकी चूत में भट्टी लगी है क्या, बहुत गर्म है अंदर" मैंने धक्के मारते हुए कहा
तनु-" ये आग तूने ही लगाई है सूरज, आग मेरी चूत में ही नहीं पूरे जिस्म में लगी है, अब तू ही इसे बुझा मेरे भाई" दीदी गांड से धक्के मारते हुए बोली, में उनकी मखमली गांड को मसलने लगा और तेजी से चूत में लंड अंदर बहार कर रहा था ।
तनु-" आह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ मेरे भाई चोदो मुझे"
सूरज-" आह्ह्ह्ह दीदी मेरा पानी छूटने वाला है"
तनु-" सूरज अपना पानी मेरे मुह में छोड़ना बरना तेरे बच्चे की माँ बन जाउंगी में" दीदी झड़ते हुए बोली मेरा भी पानी निकलने बाल था दीदी ने चूत से लंड निकाल कर अपने मुह में डाल कर चूसने लगी तभी एक तेज पुचकारी दीदी के मुह में छूट गई और में उनके मुह में झड़ गया ।
वीर्य से उनका पूरा मुह भर चूका था दीदी सारा पानी गटक गई ।में दीदी के ऊपर गिर गया, सारा शारीर थक चूका था । 10 मिनट सांस सामान्य होने के बाद मैंने और दीदी ने जल्दी से कपडे पहने, और घर की ओर चल पड़े ।
तनु-" सूरज मजा आ गया, शारीर बहुत हल्का सा हो गया,
सूरज-" दीदी सच में आप बहुत प्यारी हो, मन करता है आपको बाहों में चिपका कर रखू" दीदी ने मुझे गले लगा लिया ।
तनु-" भाई आज रात यही रुक जाओ, साथ में सोएंगे"
सूरज-" दीदी आज नहीं, मुझे बहुत काम है ऑफिस का, कल आकर रुकुंगा"
तनु-" ठीक है मेरे भाई" हम दोनों घर आ गए, पूनम दीदी हमारा ही इंतज़ार कर रही थी ।
पूनम-" आ गए तुम दोनों, चलो जल्दी से खाना खा लो" में और तनु दीदी बाथरूम में फ्रेस होकर खाना खाया ।
थोड़ी देर माँ और पूनम दीदी से बात करके अपने नए घर यानी की संध्या माँ के घर लौट आया ।
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »


घर पहुँचते-पहुचते रात के 9 बज चुके थे। जैसे ही में घर पंहुचा माँ ने दरवाजा खोला, माँ के चेहरे पर इंतज़ार व् चिंता के भाव थे ।
संध्या-" बेटा इतनी देर कहाँ लगा दी, कहाँ गए थे तुम, कंपनी से तो जल्दी निकल आए थे आज, मैंने फोन से पता किया था"
सूरज-" ओह्ह माँ आप परेसान मत हुआ करो, में एक जरुरी काम से कॉलेज चला गया था"
संध्या-" बेटा फोन तो कर दिया कर, मुझे बहुत चिंता हो रही थी, शंकर डॉन भी आज जेल से रिहा हो गया है,इसलिए और ज्यादा डर लग रहा था ।
सूरज-" अच्छा हुआ माँ शंकर को आपने छुड़वा दिया, चलो माँ आप आराम कर लो"
संध्या-" बेटा खाना तो खा ले"
सूरज-"माँ आज बहार ही खाना खा लिया"
संध्या-" ठीक है बेटा जाओ तुम भी सो जाओ अब, थक गया होगा मेरा बेटा" माँ मुझे चूमते हुए बोली ।
अपने रूम में आकर मैंने कपडे उतारे और बेड पर लेट गया, रोजाना 12 बजे सोने की आदत थी मेरी इसलिए समय पास करने के लिए मैंने सूर्या का लेपटोप चालू कर लिया, wifi से इंटरनेट कनेक्ट करके सूर्या की फेसबुक चलाने लगा । थोड़ी देर सूर्या के मेसेज पढ़ने के बाद लेपटोप के सभी सॉफ्टवेयर को क्लीक करके देखने लगा, एक हिडन कैमरा के नाम से एप्स देखा मैंने उस पर क्लिक किया तो मैंने देखा उसमे बहुत सी पिक्चर दिखने लगी, मैंने गौर से देखा तो चोंक गया ये कैमरा इसी घर के सभी कमरो में लगा हुआ था जो wifi से से कनेक्ट होता है । माँ के कमरे में मैंने माँ को चलते फिरते देखा तो खुद हैरान था की सूर्या अपने ही घर की निगरानी करता था ।
मैंने हिडन कैमरा रिकॉर्डिंग पर क्लिक किया तो उसमे 6 महीने पहले की प्रत्येक दिन की वीडियो थी जिस पर दिनाक और समय अंकित था ।
मैंने एक वीडियो पर क्लिक किया तो उस विडियो में माँ को देखा जो रूम में लेट कर मोबाइल पर टाइम पास कर रही थी ।
दूसरे दिन की वीडियो में माँ को एक नाइटी पहने हुए देखा जो उनकी झांघो तक थी, यह सब देख कर मुझे बहुत शर्म आ रही थी और सोच रहा था की सूर्या ने ये कैमरा किस मक़सद से लगाएं होंगे । मैंने वीडियो को थोडा सा आगे बढ़ाया और जैसे ही वीडियो को देखा तो मेरी साँसे थम गई, पैरो तले जमीन खिसक सी गई, जिस माँ को मैंने हमेसा भारतीय संस्कृति में ढले हुए देखा वो सब ये वीडियो देखकर धूमिल हो गई ।
वीडियो में मैंने संध्या माँ को बेड पर नंगी चूत में ऊँगली करते हुए देखा, जिसमे मैंने एक औरत को हवस की आग में तड़पते देखा, वीडियो इतनी साफ़ थी की माँ का हर अंग विल्कुल साफ़ दिखाई दे रहा था उनकी आवाज़ जिसमे वो तड़प साफ़ सुनाई दे रही थी । मैने उस वीडियो को तुरंत बंद कर दिया, एक पुत्र होने के नाते मेरी मर्यादा ने मुझे यह सब देखने से रोक लिया हालांकि में जानता हूँ की संध्या मेरी सगी माँ नहीं है लेकिन सगी माँ से कम भी नहीं है । सूर्या के इस घिनोने कृत्य की में बार बार निंदा कर रहा था अपने मन में ।अपनी ही सगी माँ को इस हालात में देखना गलत है ।
मेरी नींद उड़ चुकी थी वीडियो देखने के बाद जिस माँ को हमेसा एक सम्मान और प्यार की नज़रो से देखा आज उसी के गुप्त अंगो को देख कर मुझे घ्रणित पाप सा लगा ।
संध्या माँ की उम्र लगभग 45 वर्ष की होगी, इस उम्र में अपने आपको बड़े अच्छे से मेनटेन किया था । उन्हें देख कर हर व्यक्ति उन्हें 35 वर्ष से ज्यादा नहीं बताएगा । जब से इस घर में आया मैंने संध्या माँ के पति को नहीं देखा न ही उनकी कोई तस्वीर देखी। जिसका पति न हो उस औरत की हालात क्या होती है ये में अच्छे से जानता हूँ। संध्या माँ से किसी दिन पूछूँगा सूर्या के पिता के बारे में । में बिस्तर पर लेट गया, लेकिन मेरा ध्यान बार बार संध्या माँ पर था। समझ नहीं आ रहा था की ये गलत है या सही है । सूर्या अपनी माँ को इस हालात में देखता होगा इसका मतलब उसकी नियत ख़राब थी अपनी ही माँ को हवस की नज़रो से देखता होगा कितना गलत इंसान था वो, तभी मेरे दिमाग में तनु को लेकर विचार आया की में भी तो गलत हूँ। मैंने तो अपनी ही बहन के साथ सम्भोग किया है ।तो सूर्या गलत कैसे वो तो सिर्फ देखता होगा लेकिन मैंने तो अपनी ही बहन के साथ सेक्स किया । ये सिर्फ परिस्तिथि पर निर्भर करता है मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ यदि शैली के साथ सेक्स करते हुए तनु न देखती तो उसके साथ सम्भोग नहीं करता में , हो सकता है सूर्या भी मजबूर हुआ होगा । संध्या माँ भी बेचारी क्या करे आखिर औरत की भी शारीरिक भूंक होती है । बहुत सी औरते तो अपने जिस्म की भूंक शांत करने के लिए बहार के मर्दों से चुदवा कर अपनी हवस को शांत करती है मुझे तो संध्या माँ पर गर्व होना चाहिए, गैर पराए मर्द से न चुदवा कर खुद ही अपनी भूंक को शांत कर लेती हैं ।पराए मर्दों से सेक्स करने का खतरा बना रहता है । ये सब बातें सोचकर मेरी लोअर में तम्बू बन गया था ।इस बात से में बहुत हैरान था की जान से प्यार करने बाली माँ के बारे में सोचकर मेरा लंड पानी छोड़ रहा था । में सोने का प्रयास करने लगा । मुझे कब नींद आ गईं पता नहीं चला । सुबह माँ के उठाने पर में जागा।



सुबह माँ के उठाने पर में उठा, रात भर जागने के कारण मेरी नींद पूरी नहीं हो पाई थी, मेरी आँखे हलकी लाल थी, माँ ने मेरी लाल आँखों को देखा तो घबरा सी गई ।
संध्या-" अरे बेटा तेरी आँखे लाल क्यूँ हैं, क्या रात भर सोया नहीं था तू" अब में माँ को कैसे बताता की आपके कमीने बेटा सूर्या को करतूत रात भर लेपटोप पर देखता रहा हूँ,इसलिए रात भर ढंग से सो नहीं पाया ।
सूरज-" माँ वो रात में अचनाक पेट में दर्द उठा इसलिए सो नहीं पाया था इसीलिए आँखे लाल हैं"माँ परेसान हो गई यह सुनकर
संध्या-" ओह्ह बेटा पेट में दर्द था तो रात में बताया क्यूँ नहीं,रात में ही डॉक्टर को बुला लेती में,कमसे कम मुझे तो बता देता बेटा"
सूरज-" माफ़ करना माँ,अब में ठीक हूँ,में जल्दी से फ्रेस होकर कंपनी निकलता हूँ माँ"
संध्या-" कहीं नहीं जाएगा तू आज, रात भर परेसान रहा है,आज घर पर ही आराम कर,कल चले जाना बेटा" माँ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा"
सूरज-" माँ में ठीक हूँ बिलकुल"
संध्या-"मैंने बोल दिया न,आज आराम कर ले बेटा, तू आराम कर में तेरे लिए नास्ता यहीं लेकर आती हूँ" माँ नीचे चली गई, में बिस्तर पर आलस्य की बजह से फिर से लेट गया,नींद कब आ गई पता नहीं चला, जब आँख खुली तो देखा माँ मेरे पास ही बिस्तर पर लेती थी,मैंने घडी की ओर देखा तो 11 बज रहे थे, माँ अभी भी आँखे बंद किए सो रही थी, रात की घटना मेरे दिमाग में फिर से जाग्रत हुई,माँ का वह रूप बार बार मेरे दिलो दिमाग पर छाप बना चूका था। माँ को हवस की आग में तड़पना, उनकी सिसकारी और चीख बार बार मेरे दिलो दिमाग पर दस्तक दे रही थी ।
मैंने अपना ध्यान हटाते हुए माँ के मासूम चेहरे को देखा, माँ की मासूमियत किसी बच्चे की तरह थी,कितना प्यार करती है मुझे,हर छोटी छोटी बात का ध्यान रखती है मेरा, में माँ के चेहरे को निहार रहा था तभी माँ ने करवट बदली, उनकी आँखे खुली।
माँ ने मुझे जागा हुआ देखा तो एक दम उठकर बैठ गई ।
संध्या-" अरे बेटा तुम जाग गए, तुझे सोया देखकर मुझे भी नींद आ गई,में तेरे पास ही सो गई, चल अब जल्दी से फ्रेस हो जा, में नास्ता कर ले बेटा"
सूरज-" माँ बस अभी फ्रेस होकर नीचे आता हूँ" माँ नीचे चली गई ।
में फ्रेस होकर निचे पंहुचा और नास्ता किया।
सूरज-" माँ हमारे पास इतना पैसा है।
सेकड़ो नोकरानी रख सकते है फिर आप खाना क्यूँ बनाती हो, खाना बनाने के लिए एक नोकरानी रख लो माँ आपको आराम रहेगा"
संध्या-" बेटा तान्या को मेरे हाथ का खाना पसंद है इसीलिए खाना में ही बनाती हूँ, इतने बड़े घर में हम तीन लोग ही तो है, नोकरानी की जरुरत ही नहीं है, तीन चार नोकर है वो घर की साफ सफाई कर देते है" संध्या झूठ बोलते हुए बोली असल बात तो सूर्या की अय्यासी थी, तीन चार नोकरानी के साथ जबरदस्ती सेक्स कर चूका था इसलिए संध्या नोकरानी नहीं रखती थी, ये बात सूरज को नहीं पता थी।
सूरज-" कोई बात नहीं माँ"
संध्या-" बेटा मुझे मार्केट जाना है तुम चलोगे मेरे साथ"
सूरज-" ठीक है माँ में भी चलूँगा, वैसे भी अकेला रहा था बोर हो जाऊँगा"
संध्या-" में तैयार होकर आती हूँ, बस 10 मिनट इंतज़ार करो"
सूरज-" okk माँ" संध्या तैयार होने चली गई, संध्या किसी पार्टी में जाती तो साडी ही पहनती थी लेकिन मार्केट जाने के लिए वो जीन्स और ऊपर कुर्ता पहन लिया करती थी ।आज भी संध्या ने जीन्स और ऊपर कुर्ता पहना हुआ था, जैसे ही संध्या कमरे से बहार निकलती है सूरज अपनी माँ को देखकर दंग रह गया था,उसने पांच महीनो में पहली बार माँ को जीन्स पहने हुए देखा था।घर में मेक्सी या सलवार कुरता ही पहने देखा था, मंदिर जाते समय साडी में देखा है,
हालांकि सूर्या कंपनी की मालकिन थी, करोडो अरबो रुपए की मालकिन के लिए जीन्स पहनना कोई बड़ी बात नही थी ।
बड़े घर की महिलाएं जीन्स पहनती थी ।
सूरज संध्या के इस रूप को देख कर खो जाता है, संध्या जीन्स के ऊपर लॉन्ग कुर्ता पहने हुए थी आँखों पर बड़ा काला चश्मा लगाए हुए देख कर कोई नहीं कह सकता था की 45 वर्ष की उम्र की महिला है, संध्या की उम्र 32 साल की लग रही थी । बिलकुल बिद्या बालन की तरह उसका रूप था ।
बेटे के ऐसे घूरने की बजह से संध्या शर्मा जाती है ।
संध्या-" बेटा चले मार्केट" सूर्या की ओर चुटकी बजाते हुए उसका ध्यान भटकाती है और हँसने लगती है ।
सूरज-" हा हाँ माँ चलो" दोनों लोग बहार गाडी में बैठ जाते है । सूरज गाडी चलाता है संध्या बगल बाली सीट पर बैठ जाती है ।
सूरज नज़र छुपाते हुए कभी संध्या को देखता तो कभी सामने,
सूरज-" माँ किधर चलना है, कौनसी मार्केट ?"
संध्या-"डेल्टा मोल में चलो वहीँ शॉपिंग करुँगी" सूरज डेल्टा मॉल की तरफ गाडी दौड़ता है, 10 मिनट में दोनों मॉल पहुँच जाते हैं ।
सूरज गाड़ी को पार्किंग में लगा कर संध्या और सूरज मॉल के अंदर चले जाते हैं ।
संध्या एक मेकअप की शॉप पर जाकर बहुत सारा सामन खरीदती है, सूरज बहार मॉल में आते जाते लोगों को देख रहा था,
संध्या मेकअप का सामन खरीदने के बाद सूरज के पास आती है।
संध्या-" बेटा तुम यहीं 10 मिनट रुको मुझे अपने लिए कुछ कपडे खरीदने हैं"
सूरज-" ठीक है माँ, में यही आपका इंतज़ार कर रहा हूँ" संध्या एक कपडे के काउण्टर पर जाकर अपने लिए दो तीन मेक्सी और ब्रा पेंटी खरीदती है ।उसके बाद जीन्स और कुर्ता खरीदने चली जाती है । इधर सूरज को पिसाव लगती है तो वह बाथरूम ढूंढता है तभी उसे टॉयलेट दिखाई दिया सूरज को बड़ी तेज पिसाव लग रही थी सूरज टॉयलेट में घुसते ही पेंट की जीप खोल कर अपना लंड निकालता है और बाथरूम का दरवाजा खोलता है तो एक दम चोंक जाता है अंदर एक खूबसूरत महिला जिसकी उम्र लगभग 40 की होगी वह पिसाव करके अपनी चूत को पानी से धो रही थी जैसे ही बाथरूम का दरवाजा सूरज ने खोला तो उसकी नज़र सीधे उस खूबसूरत महिला की चूत पर गई।और उस महिला की नज़र सीधे सूरज के लंड पर जाती है, सूरज पिसाव करने ही वाला था एक दम रुक जाता है लेकिन सूरज की पिसाव आखरी मोड़ पर आ चुकी थी सूरज वहीँ बहार पिसाव करने लगता है ।इधर
महिला ने जल्दी से पेंटी पहन कर बहार आई और सूरज पर चिल्लाई ।सूरज बहार पिसाव करके लंड की टपकती बून्द को हिला कर निकाल रहा था । महिला सूरज के लंड को पुनः देखती हुई फिर से गुस्से से बोली
महिला-" ऐ लड़के तुझे शर्म नहीं आती है महिला के टॉयलेट में क्या कर रहा है तू" सूरज गलती से महिला टॉयलेट में घुस आया था ।
सूरज-" ओह्ह्ह माफ़ कीजिए आंटी, में गलती से आ गया" पेंट में लंड डालकर बोला
महिला-" ये आजकल के लड़के जानबूझ कर गलतियां करते है, में सब जानती हूँ, बहार निकल जाओ बर्ना में अभी सिक्योररिटी को बुला कर शिकायत कर दूंगी" महिला ने चिल्ला कर गुस्से से बोला, सूरज तो भयभीत हो गया ।
सूरज-" मेरा यकीन कीजिए आंटी जी में गलती से आ गया था और बहुत तेज पिसाव लगी इसी लिए अपने आपको रोक नहीं पाया" इतना बोलकर सूरज बाथरूम से निकल कर सीधे संध्या के पास चला जाता है । संध्या की सारी शॉपिंग हो चुकी थी ।
संध्या-" बेटा शॉपिंग तो हो गई, तेरे लिए एक जोड़ी पेंट शर्ट भी ले ली है, तुझे और कुछ लेना है तो बोल"
सूरज-" माँ मुझे कुछ नहीं लेना है अब चलो घर चलते हैं" सूरज उस महिला के डर से निकलना चाह रहा था ।
संध्या-" बेटा 10 मिनट रुक तान्या के लिए एक अच्छी सी ड्रेस ले लू" संध्या इतना बोलकर ड्रेस लेने दूसरे काउंटर पर जाती है जहां वह बाथरूम बाली महिला थी ।वो महिला जैसे ही संध्या को देखती है एक दम आवाज़ लगाती है ।
महिला-" संध्या तुम यहाँ" संध्या जैसे ही उस महिला को देखती है तो ख़ुशी से गले लगा लेती है ।
संध्या-" अरे मधु तू" महिला का नाम मधु था जो बाथरूम में थी । मधु संध्या की सहेली थी दोनों ने साथ साथ एक ही स्कूल में पढ़ाई की और मौज मस्ती की ।
मधु-" संध्या तू तो बिलकुल बैसी ही है बिलकुल नहीं बदली,
संध्या-" तू भी तो बैसी ही है, तू लन्दन से कब आई" मधु शादी के बाद लन्दन चली गई थी, आज दोनों सहेलियां 22 साल बाद मिली थी ।
मधु-" मुझे 15 दिन हो गए यहाँ आए, ये बता यहाँ मॉल में किसके साथ आई है"
संध्या-" में अपने बेटे के साथ आई हूँ और तू किसके साथ आई है?"
मधु-" में अकेली आई हूँ, बेटा तो बहुत बड़ा हो गया होगा तेरा, कहाँ है वो मुझे तो मिलवा उससे"
संध्या-" मिलवा दूंगी थोड़ी शान्ति तो कर, अभी यहीं आ रहा होगा सूर्या, और बता मधुबाला,कैसी है तू" संध्या हँसते हुए बोलती है, आज बहुत खुश भी थी क्यूंकि बचपन की सहेली जो मिली थी ।
मधु-" वो सब छोड़ तुझे अभी की एक घटना सुनाती हूँ, इस मॉल में लड़के बड़े हरामी है, अभी में बॉथरूम में पिसाव कर रही थी तभी एक बत्तमीज लड़का अपना हथियार निकाल कर मेरे सामने ही पिसाव करने लगा, में तो घबरा गई की कहीं मेरा बलात्कार न कर दे वो" मधु को क्या पता है जिस लड़के का हथियार देखा वह उसकी सहेली संध्या का ही बेटा है ।
संध्या-" क्या उसने भी बहीं पिसाव कर ली तेरे सामने?"
मधु-" हाँ और क्या, बड़ा बत्तमीज था,अपना हथियार निकाल कर मेरे सामने ही मूत रहा था, में तो डर ही गई"
संध्या-" तू लड़को के हथियार से कबसे डरने लगी, भूल गई कॉलेज के समय तू नए नए लड़को को फंसा कर उनके हथियार से खेलती थी" संध्या ने पुरानी यादों को याद दिलाते हुए कहा ।
मधु-" तू भी तो कम नहीं थी मेरी हर चुदाई को छुप कर देखती थी, और खुद उंगलियो से शांत करती थी अपनी चूत की आग को" संध्या-" हाँ खुद ही ऊँगली से शांत कर लेती थी लेकिन तेरी तरह किसी लड़के के हथियार से नहीं खेलती थी"
मधु-" हाँ ये बात तो ठीक है तेरी, यार संध्या उस लड़के का हथियार बाकई बहुत मोटा और लंबा था, उसका हथियार देख कर तो आज मेरी चूत भी गीली हो रही है" संध्या ये सुनकर हैरान थी ।
संध्या-" शर्म कर और अपनी उम्र तो देख ले तेरे बेटे की उम्र का ही होगा वो, वैसे एक बात बता तेरे बच्चे कितने हैं और कितनी उम्र के हैं?"
मधु-" मेरी सिर्फ एक बेटी है 23 वर्ष की, और तेरे कितने बच्चे हैं संध्या"
संध्या-" मेरे दो बच्चे हैं बड़ी बेटी 24 साल की है और बेटा 22 साल का है"
मधु-"बहुत बढ़िया है यार, चल अब जल्दी से शॉपिंग कर ले फिर तेरे बेटे से मिलवा मुझे, में भी तो देखूं मेरा बच्चा कैसा है" दोनों सहेलियां शॉपिंग करके बहार आती हैं।
संध्या-" तू आज मेरे घर चलेगी, बहुत सारी बातें करनी है तुझसे"
मधु-" ठीक है मेरी जान आज तेरे साथ ही चलूंगी, बैसे भी में 15 दिनों से अकेली बोर हो रही थी, बेटी लन्दन में ही है, में अकेली ही आई हूँ इंडिया"
संध्या-" फिर तो तू मेरे घर ही रहेगी"
मधु-" ठीक है यार, अब चल जल्दी से औने बेटे को बुला कहाँ है वो"
अब आगे देखते हैं क्या होता है...

User avatar
shubhs
Novice User
Posts: 1541
Joined: 19 Feb 2016 06:23

Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by shubhs »

मस्त अपडेट ।
इतना बड़ा ही अपडेट हमेसा दो
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

shubhs wrote: 19 Jul 2017 20:14 मस्त अपडेट ।
इतना बड़ा ही अपडेट हमेसा दो
rangila wrote: 19 Jul 2017 22:38 Superb Rohit bhai
THANKS DOSTO
Post Reply