जीवन एक संघर्ष है complete

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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »


"ओह , ये तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ , समीर । लेकिन मेरी दोस्त के मामले में तुम्हारे साथ ऐसा नहीं होगा ।
जहाँ तक मुझे मालूम है वो आजकल सिंगल ही है और अभी तो वो सेक्स के लिए उतावली भी है ।
तुम्हें भी बहुत मज़ा आएगा उसके साथ , सच में , मेरा यकीन मानो तुम ।”

ये सुनकर समीर हंस दिया । रिया के साथ अब उसका मूड भी थोड़ा ठीक हो गया था ।

“ वो बहुत अच्छी लड़की है और खूबसूरत भी । बल्कि मुझसे भी कहीं ज्यादा सुन्दर ।
मुझे उसको अपने से सुन्दर बताने में जलन हो रही है । लेकिन वो वास्तव में बहुत सुन्दर है तुम मेरा विश्वास करो । “

मूड थोड़ा ठीक होने से समीर को रिया का ये प्रस्ताव भा जाता है ।
जब लड़की की इतनी तारीफ ये कर रही है तो मौका हाथ से क्यों जाने दूँ ।
काम्या के साथ वैसे भी उसकी KLPD हो गयी थी।
अब अपनी अधूरी रह गयी उत्तेजना को शांत करने का ये सुनहरा मौका था ।

" ठीक है , मैं तैयार हूँ । "

“एक बात और है समीर , मेरी दोस्त फर्स्ट फ्लोर में एक अँधेरे कमरे में है ।
और वो अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहती । वो तुमसे कुछ भी नहीं बोलेगी और तुम भी उसे कुछ नहीं बोलोगे ।
अजनबियों की तरह सेक्स करोगे और बिना कुछ बोले ही कमरे से बाहर आ जाओगे ।
मंजूर है तुम्हें ? “

“ ये है तो कुछ अजीब सी बात लेकिन चलेगा । तुम चाहती हो कि मैं अभी जाऊं उसके पास या …..”
समीर ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी ताकि ये न लगे कि वो सेक्स के लिए उतावला हो रहा है ।

“तुम्हारी मर्ज़ी जब भी तुम जाना चाहो । मैं तुम्हें वो कमरा दिखा देती हूँ ।
मैं फिर से तुम्हें बता रही हूँ कि अगर तुम्हें कुछ बोलना पड़ ही जाये तो अपनी आवाज़ चेंज कर के धीमे से बोलना
और जितना हो सके कम से कम शब्द ही बोलना , ठीक है ? ”

“ ठीक है । "

रिया समीर को कमरे की तरफ ले जाती है ।
कमरे के पास पहुंचकर दोनों रुक गये ।

“ दरवाज़ा खोलने से पहले मुझसे वादा करो कि तुम मेरी प्यारी दोस्त को कोई भी कष्ट नहीं दोगे ।
मैं नहीं चाहती कि उसे कुछ भी परेशानी हो । “

समीर सहमति में सर हिला देता है और कमरे के अंदर जाकर दरवाज़ा बंद कर देता है ।

आँचल बेड पर दरवाज़े की तरफ पीठ करके बैठी थी अँधेरे और सुनसानी की वजह से वह अपने दिल की तेज धड़कनो को साफ़ महसूस कर पा रही थी । घबराहट से वो हांफ रही थी और उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी ।

तभी दरवाज़ा खुलने और बंद होने की आवाज़ कमरे में गूँज उठी और उसके पीछे से क़दमों की आहट नज़दीक आते गयी । आँचल नर्वस होकर अपने हाथ आपस में मलने लगी । उसकी घबराहट और बढ़ गयी । एक अनजाने डर से उसके शरीर में एक कंपकंपी सी दौड़ गयी । तभी उसने अपने कन्धों पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस किया । उसका शरीर बुरी तरह से काँप उठा ।
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by Rohit Kapoor »

सूरज मॉल की चकांचौध देखने में व्यस्त था तभी उसे संध्या माँ की याद आती है।काफी देर हो चुकी थी वो संध्या को ढूंढते हुए उसी काउंटर की तरफ जाता है जहाँ उसने संध्या को शॉपिंग करते हुए छोड़ा था। सूरज काउंटर की तरफ पहुचने ही वाला था की तभी उसे संध्या की आवाज़ सुनाई पड़ी ।
संध्या-"सूर्या बेटा में इधर हूँ" संध्या और मधु दोनों लेडीज काउंटर पर खड़ी थी,
जैसे ही मधु की नज़र सूर्या पर पड़ी तो एक दम चोंक गई, पैरो तले जमीन खिसक गई थी । मधु हैरान थी की जिस लड़के को आज डांट लगाईं वो संध्या का ही बेटा है। इधर सूर्या जैसे ही अपनी माँ के साथ उस बाथरूम बाली सुन्दर आंटी को देखता है तो उसकी गांड फट जाती है । घबराहट की बजह से पसीना उसके माथे पर बह रहा था । सूर्या सोचता है की शायद इस आंटी ने मेरी माँ से शिकायत कर दी है, अब माँ मेरे बारे में क्या सोचेगी, जिस बात का डर था वही हो गया ।
संध्या-" क्या हुआ बेटा तू इतना परेसान क्यूँ है, तेरे माथे पर यह पसीना कैसा है' संध्या सूर्या के माथे पर पसीना और चेहरे पर घबराहट देखती है तो घबरा जाती है ।
संध्या का सामान्य व्यवहार देखकर सूरज की घबराहट कुछ कम होती है लेकिन जैसे ही मधु की तरफ देखता है तो उसका हलक सुख जाता है शब्द नहीं निकल रहे थे, बड़ी हिम्मत के साथ सूरज बोलता है ।
सूरज-" म में ठीक हूँ माँ, आपको ढूढ़ रहा था, आप नहीं दिखी इसलिए घबरा गया था"
संध्या-" बहुत प्यारा है मेरा बेटा, अरे मधु तू कुछ बोल क्यूँ नहीं रही है, यही तो है मेरा बेटा सूर्या, अभी तो बेटा से मिलने की रट लागए थी तू" मधु को हिलाते हुए बोली
संध्या-" सूर्या बेटा ये मेरी सबसे प्यारी सहेली मधु है लन्दन से आई है, मेरी बहन की तरह ही है, तेरी मोसी है ये" संध्या मधु की ओर इशारा करती हुई बोली ।
सूरज-" नमस्ते मौसी जी" सूर्या मधु की ओर हाथ जोड़ कर मासूमियत से नमस्ते बोलता है । मधु समझ गई थी की सूर्या घबराया हुआ है मुझे देख कर, उसकी मासूमियत सी सूरत देख कर हलकी हँसी आ जाती है । इधर सूर्या का भी डर निकल गया था, मधु तो माँ की सहेली निकली, उसे लगा शायद बाथरूम बाली घटना की शिकायत करने आई है ।
मधु-" नमस्ते सूर्या बेटा" मधु इतना ही बोल पाई, जिस लड़के के हथियार को देखकर उसकी चूत गीली हो गई थी ईश्वर ने उसी लड़के को बेटा के रुप में भेजा था, ईश्वर की अदभुद विडम्बना के लिए कोष रही थी मधु, आखिर मधु सूर्या की मोसी थी, और मौसी तो माँ सामान होती है । भले ही सूर्या की सगी मौसी नहीं थी फिर भी खून के रिश्ते से गहरा रिश्ता मानती थी मधु।
संध्या-" चलो अब काफी देर हो गई है, घर चलते हैं बेटा, मधु भी आज हमारे साथ घर चलेगी" संध्या ने सूर्या को खुश होते हुए बताया ।इस खबर से सूर्या ज्यादा चिंतित हो गया था, कहीं मधु माँ को बाथरूम बाली घटना न बता दे । सूर्या मन बनाता है की घर चल कर मधु से पुनः अपनी गलती की माफ मांग लेगा, ताकि मधु संध्या को बाथरूम बाली बात न बताए ।
सूरज-' चलो माँ, काफी देर हो चुकी है" तीनो लोग मॉल से बहार निकल कर गाडी में बैठकर घर की ओर निकल गए ।
संध्या मधु को शांत देखकर उसे थोडा अटपटा लगता है वो मधु को झकझोरती हुई पूछती है । संध्या मधु के साथ पीछे ही बैठी थी और सूर्या गाडी चला रहा था ।
संध्या-" तुझे क्या हुआ मधु, चुप कैसी है"
मधु-" कुछ नहीं संध्या, में ठीक हूँ"
मधु मुस्कराती हुई बोलती है हालांकि वो सूर्या की बजह से चुप थी, सूर्या उसकी चूत देख चूका था और मधु सूर्या का लंड देख चुकी थी इसलिए अभी भी बाथरूम बाली घटना को याद करके परेसान थी । घर आ चूका था सूरज गाड़ी रोकता है । संध्या और मधु दोनों घर के अंदर प्रवेश करती हैं । दोनों सहेलियां सोफे पर बैठ जाती है । सूरज गाडी खड़ी करके अंदर आता है और ऊपर जाने लगता है तभी संध्या रोकती है ।
संध्या-" अरे बेटा तुम थोड़ी देर अपनी मधु मौसी से बात करो, में कपडे बदल कर आती हूँ" सूर्या तो चोंक जाता है ।
सूर्या-" ठीक है माँ" संध्या के जाते ही सूर्या मधु के पास सोफे पर बैठ जाता है ।और मधु से पुनः माफ़ी मांगता है ।
सूरज-" मौसी मुझे माफ़ कर दीजिए, में गलती से लेडीज टॉयलेट में घुस गया था, मुझे नहीं पता था, मुझे बहुत तेज पिसाब का रही थी, प्लीज़ आप माँ को नहीं बताना" सूर्या मासूमियत के साथ बोला ।

मधु-" तुम इतना घबरा क्यूँ रहे हो! चलो ठीक है में नहीं बताउंगी, अब खुश हो" मधु मुस्कराती हुई बोली, सूर्या के जान आई यह सुनकर, अब उसका डर निकल गया था ।
सूरज-" thankes आंटी, ओह्ह सॉरी मौसी, आप बहुत अच्छी हो, में तो बहुत डर ही गया था आज, मुझे लगा शायद आपने माँ से शिकायत कर दी होगी"
मधु-" संध्या को तो मैं बता चुकी हूँ बाथरूम बाली घटना लेकिन यह नहीं बताया था की तू ही था"
सूरज-" क्या आपने बता भी दिया माँ को, वैसे मौसी आप मेरा यकीन करो में गलती से लेडीज टॉयलेट में घुस गया था, पिसाब भी बड़ी जोरो पर लगी थी मुझे"
मधु-" अगर में नहीं चिल्लाती तो तू मेरे ऊपर ही मूत देता, चल कोई बात नहीं सूर्या, घबरा मत में किसी से नहीं कहूँगी, आखिर तू अब मेरा बेटा" संध्या रूम से निकली, और सोफे पर आकर बैठ गई,
संध्या-' क्या बात हो रही है तुम दोनों में"
मधु-" संध्या मुझे तो सूर्या बेटा बहुत अच्छा लगा" मधु सूर्या की तारीफ़ करती है, सूरज को अच्छा लगा ।
संध्या-" बेटा किसका है" संध्या घमंड के साथ हँसते हुए बोलती है ।
तीनो लोग आपस में काफी देर बात करते हैं। शाम हो चुकी थी ।
संध्या-" मधु बोल क्या खाएगी, अपनी पसंद बोल"
मधु-" आज चिकेन बना, तेरे हाथ का चिकेन कई सालो से नहीं खाया है"
संध्या-" बेटा सूर्या नोकर से कह दो मार्केट से चिकेन ले आएं"
सूर्या-" माँ में ही मार्केट से ले आता हूँ चिकेन"
मधु-" संध्या में भी सूर्या के साथ अपने घर तक चली जाती हूँ, मेरा कुछ जरुरी सामान है सो लेती आउंगी"
संध्या-" ठीक है मधु जल्दी आ जाना"
सूर्या और मधु दोनों गाडी से निकल जाते हैं, सूरज गाडी चला रहा था और मधु आगे बैठी थी ।


सुर्या गाड़ी चला रहा था मधु साथ वाली सीट पर बैठी थी । मधु सूर्या के साथ बाथरूम बाली घटना को लेकर उसके जिस्म में एक लहर सी थी, आखिर उत्साहित क्यूँ न हो वो, सूर्या का मोटा और लंबा हथियार उसके जहन में बसा हुआ था, मोटा हथियार पाने की लालसा और लालच उसके दिलो दिमाग में बस चूका था, 44 वर्षीय हवस की भूकी मधु को अपनी गर्मी शांत करने के लिए ऐसे ही लंडो की तलाश हमेसा से थी, इसलिए सूर्या पर डोरे डालने का पूरा मन बना चुकी थी वो, इधर सूर्या भी शैली और तनु की चुदाई करने के कारण उसका मन चुदाई करने के लिए अत्यधिक आकर्षित होता जा रहा था, सूर्या के ऊपर चूत का खुमार चढ़ चूका था आखिर जवान है तो सेक्स की इच्छा होना भी लाजमी है, अब तक अपनई हवस को जैसे तैसे अपने जिस्म में कैद करके समय बिताया हो लेकिन अब उसकी हवस आज़ाद हो चुकी थी,हर दिन हर पल चुदाई के बारे में सोचने के कारण उसका लंड चूत की बली मांगने लगा था । मधु को जब उसने बाथरूम में चूत को साफ़ करते हुए देखा तो उसका लंड चूत के प्रति और भड़क गया था, वो हस्तमैथुन मार कर लंड शांत करना चाहता था परंतु उसे समय न मिलने के कारण मन मसोस कर ही हथियार बैठालना पड़ा ।
मधुर और सूरज दोनों अपनी सोच में डूबे हुए थे तभी मधु का घर आ जाता है उसे पता ही नहीं चलता ।
मधु-" ओह्ह्ह सूर्या बेटा रुक जा, घर आ चूका है"' सूर्या तुरंत गाडी को रोकता है, मधु सूर्या को लेकर अपने घर की ले जाती है ।

मधु-" आओ बेटा, यही मेरा घर है" मधु चावी से घर का ताला खोलती है ।
सूर्या-" मौसी कोई रहता नहीं है यहाँ पर?"
मधु-" मेरे माँ और पिताजी तीर्थ यात्रा पर गए हैं, दस दिन बाद आएँगे वो"
सूर्या-" कोई बात नहीं मौसी जब तक आपके माता पिता न आ जाए तब तक आप हमारे साथ रहो"
मधु-" हाँ बेटा, में अकेली बोर हो जाती हूँ इस घर में" मधु दरवाजा खोल कर सूर्या को अंदर लेकर जाती है, घर बहुत आलिशान बना हुआ था, मधु और सूर्या दोनों सोफे पर बैठ जाते हैं,
मधु-" सूर्या बेटा 10 मिनट रुको में कपडे बदल लेती हूँ, और थोडा जरुरी सामन भी पैक कर लेती हूँ, जब तक तुम बैठो" इतना कह कर मधु कमरे में जाकर अपने कपडे उतारती है, आज मधु ने साड़ी पहनी थी, मधु साडी उतार कर ब्लॉउज और पेटीकोट उतार देती है । मधु का जिस्म गदराया हुआ था थोड़ी सी मोटी थी लेकिन ज्यादा नहीं थी ।मधु की चूचियाँ 38 साइज़ की और ब्राउन निप्पल उसके जिस्म को और ज्यादा आकर्षित करते थे ।मधु ब्रा उतारती है, उसकी चुचिया ब्रा में कैद होने के कारण हवा में आजाद होकर झूलती हैं, मधु का जिस्म एक दम दूधिया जैसा था । मधु जैसे ही अपनी पेंटी पर हाथ फिराती है तो उसके जिस्म में सिरहन सी दौड़ जाती है, उसकी पेंटी चूत रस से भीगी हुई थी।मधु पेंटी को उतार कर चूतरस को उसी पेंटी से पोंछती है। पेंटी से चूत के छेद को रगड़ने के कारण उसके जिस्म में एक खुमारी सी चढ़ने लगती है ।उसकी साँसे तेजी से चलने लगती है, उत्तेजित हो जाती है, सूर्या के लंड की कल्पना करते ही उसके सिसकी फूटने लगती है, मधु अपनी अलमारी खोल कर बायब्रेट वाला डीडलो (कृत्रिम रबड़ का बना लंड) निकालती है और अपनी चूत की फांको पर रगड़ने लगती है उत्तेजना और चूत की हवस के चक्कर में मधु यह भूल जाती है की सूरज कमरे के बहार सोफे पर बैठा है, डिडलो की आवाज़ ऐसी थी जैसे किसी तेज सायरन की आवाज़ हो, डिडलो और मधु की सिसकारी दोनों एकसाथ निकलने के कारण आवाज़ की तीब्रता और ज्यादा बढ़ गई थी।
मधु हवस की आग में झुलसने लगती है तड़पती हुई डिडलो को ज्यो ही चूत के अंदर प्रवेश करती है उसके मुख से आनंद और उत्तेजना की मिली जुली चीख से पूरा कमरा गूंजने लगता है, जैसे ही मधु के चीखने की आवाज़ सूरज के कानो में पड़ती है तो सूरज चोंकता हुआ मधु के कमरे की और दौड़ता हुआ कमरे के पास जाता है, कमरा अंदर से बंद था, सूरज बहार खड़ा होकर मधु को आवाज़ लगाता है ।
सूरज-" मौसी क्या हुआ, आप चीखी क्यूँ" सूरज दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोलता है। मधु की चूत में डिडलो बड़ी तेजी से अंदर बहार करके अपनी प्यास बुझाने में व्यस्त थी, बेड पर चित्त लेट कर टांगो को ऊपर करके अपनी चूत में बड़ी तेजी से डिडलो से को चूत की गोलाकार दीवारो से रगड़ते ही उसकी चूत से पानी रिसने लगता है । मधु एक हाँथ से चुचियो को मसलती है तो दूसरे हाँथ से चूत की गर्मी को शांत करने में यह भूल जाती है की दरवाजे पर सूर्या खड़ा उसे आवाज़ मार रहा था । इधर सूर्या जब कोई जवाब मधु की ओर से नहीं आता है तो तेज तेज दरवाजा बजाता हुआ मधु को आवाज़ लगाता है, इस बार मधु के कानो तक सूर्या की आवाज़ को पाकर तुरंत सतर्क हो जाती है और तुरंत डिडलो को चूत में फंसाकर ही सूरज को आवाज़ देती है ।
मधु-" एक मिनट सूर्या अभी आई" कांपती हुई आवाज़ में बोलती है, मधु तुरंत डिडलो को स्विच ऑफ़ करती है जिससे उसका बायब्रेट होना बंद हो जाता है लेकिन डिडलो चूत में ही फसा रखती है, क्यूंकि मधु अभी तक झड़ी नहीं थी, और मधु की ये रोज की बात थी जब तक उसकी चूत से पानी न निकल जाए तब तक डिडलो को चूत में डालकर पेंटी पहन लेती थी, कई बार तो वो डिडलो को चूत में डालकर मार्केट या घर में काम करती रहती थी।
मधु एक खुली मेक्सी पहनती है जिसमे बटन की जगह बेल्ट होती है । मधु दरवाजा खोलती है बहार सूर्या घबराया हुआ चेहरा लेकर खड़ा था, जब वो मधु को मेक्सी में देखता है तो उसका लंड झटके मारने लगता है, चूँकि उसकी मेक्सी उसकी जांघो तक ही थी अंदर ब्रा और पेंटी न होने के कारण हलकी सी चुचियो की आकृति दिखाई दे रही थी ।
मधु-" क्या हुआ बेटा, में कपडे पैक कर रही थी, इसलिए तुम्हारी आवाज़ नहीं सुन पाई"
मधु कमरे से बाहर आती हुई बोलती है ।
सूरज-" मोसी मैंने आपके चीखने की आवाज़ सुनी तो डर गया था मुझे लगा शायद आपको कोई परेसानी है, इसलिए में घबरा गया था" मधु सूरज की बात सुनकर घबरा जाती है की कहीं सूर्या को शक तो नहीं हो गया ।
मधु-" अरे वो चीखने की आवाज़ तो टी.वी. से आ रही थी, मैंने टी वी चला रखी थी" मधु झूठ बोलते हुए घबरा रही थी सूरज समझ जाता है की मौसी झूठ बोल रही है।
सूरज-" कोई नहीं मौसी, आप जल्दी से तैयार हो जाओ"
मधु-" बस अभी तैयार होती हूँ, अरे हाँ में तो भूल ही गई तू आज पहली बार घर आया है और मैंने तुझे चाय और कोफ़ी की भी नहीं पुंछी, बता क्या पियेगा" मधु सूर्या के सामने खड़े होकर बोलती है जिसके कारण सूरज की नज़र मधु की चुचिया हिलती हुई नज़र आती हैं, मेक्सी की पारदर्शिता के कारण चूचियाँ और काले निप्पल साफ़ साफ दिखाई दे रहे थे, निप्पल के खड़े होने के कारण ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ो की दो चोटियां हो, सूरज का मन करता है की
चाय और कोफ़ी की जगह मधु के मोटे मोटे दूध का रसपान कर लू, उसका लंड पेंट में अकडने लगता है ।
सूर्या-" मौसी कुछ भी पिला दो" सूर्या यह बात मधु के बूब्स की ओर देखते हुए बोलता है, मधु समझ जाती है की सूर्या की नज़र उसकी चूचियों की तरफ है, मधु को थोड़ी सरारत सूझी, और सूरज को उकसाने का बहाना भी मिल जाता है ।
मधु-" बेटा दूध पियोगे, दूध भी बहुत सारा है? मधु झुक कर पूछती है । सूर्या सोफे पर बैठा था जिसके कारण उसके बड़े बड़े बूब्स मेक्सी से आधे से ज्यादा सूरज के सामने प्रदर्सन करने लगते हैं । सुबह से ही सूरज का लंड पेंट में बगावत कर रहा था अब मधु की अधनंगी चुचियो की झलक पाकर उसका लंड संघर्ष करने के लिए अपनी पूरी अकड़ में आ चूका था ।
सूरज-" मौसी दूध तो मेरा सांसे मनपसंद है आप दूध ही पिला दो" मधु की नज़र चुचियो पर थी जिसके कारण मधु की चूत में खुजली मचने लगती है । डिडलो चूत में फसा होने के कारण उसे हल्का हल्का मजा का अहसास होता है । मधु अपनी झांघो को जब आपस में मिलाती तो डिडलो की रगड़ से उसकी को मजा मिलता । हलकी सी सिसकारी के साथ मधु की आँखे भी नशीली हो जाती थी
मधु-" अभी लेकर आती हूँ तेरे लिए दूध" कामुक अंदाज़ में बोलकर मधु सामने किचेन में जाती है और जाते ही सबसे पहले अपने डिडलो को चूत में अंदर सरकाती है, चूत रस निकलने के कारण डिडलो बहार की और सरक रहा था, जल्दबाजी में बेचारी पेंटी पहनना तो भूल ही गई थी ।मधु जब डिडलो को अंदर सरकाती है तो उसके मुह से सिसकारी फूटती है और चूतरस से उसकी उँगलियाँ भीग जाती हैं । मधु उन्ही हांथो से भगोने का दूध एक गिलास में डालकर सूरज को लेकर आती है । मधु की चूत का रस गिलास के इर्द गिर्द लग जाता है और उसी ग्लास को सूरज को देती है । जब सूरज उस ग्लास को पकड़ता है तो उसकी उँगलियों में सफ़ेद चूतरस लग जाता है। सूरज उस गाढ़े चिपचिपे पानी को देखते ही समझ जाता है की यह चूत से बहने बाला पानी है । सूरज मजा लेते हुए मधु से बोलता है ।
सूरज-" मोसी ये दूध की मालाई तो बहुत गाढ़ी है, मुझे तो यह मलाई बहुत पसंद है"
सूरज चूत रस को दिखाते हुए बोलता है जो उसकी उंगलियो पर लग गया था। मधु यह सुनकर अत्यधिक कामुक हो जाती है ।
सूरज-" मौसी मुझे तो यह मालाई चाटने में ज्यादा अच्छा लगता है" इतना कह कर सूरज उस चूतरस को उंगलियो से चाटने लगता है । मधु के सब्र का बाँध उसकी चूत से रस बनकार बहने लगता है ।
मधु-" तुझे मलाई बहुत पसंद है क्या"
सूरज-" हाँ मौसी मुझे तो बहुत मजा आता है, और ये वाली मलाई तो बहुत स्वादिष्ट है, और है क्या मौसी?"
मधु-" बेटा मलाई तो मेरे भगोने में है तुझे अंदर मुह डालकर चाटनी पड़ेगी"
सूरज-" मौसी में सारी मलाई जीव्ह से चाट लूंगा, आप अपना भगोना तो दिखाओ" यह सुनकर मधु की चूत में एक दम पानी की बाढ़ सी आ जाती है, चूत रस के तीब्रता के साथ पेंटी न पहने होने के कारण डिडलो उसकी चूत से निकल कर नीचे गिर जाता है और उसकी चूत से पानी बहने लगता है ।
जैसे ही सूरज लंडनुमा डिडलो देखता है तो हैरान रह जाता है ।
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सूरज लंडनुमा डिडलो को देखकर हैरान था, आज से पहले उसने कभी ऐसा मनुष्य के लींग के हु-ब-हु दिखने वाला लंड नहीं देखा था ।मधु की चूत से डिडलो के निकलते ही उसकी चूत से पानी का सैलाव निकलता है, मधु चर्म सुख स्खलन की प्राप्ति कर चुकी थी, उसकी साँसे बडी तेजी के साथ चल रहीं थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मधु कई कोषो दौड़ कर आई हो, मधु जैसे ही जमीन पर डिडलो को देखती है और चूत रस की पिचकारी जिससे आसपास की जमीन को गिला कर दिया था, चरम सुख के उपरान्त उसे ग्लानि होती है की मैंने ये क्या कर दिया, अपनी ही सहेली के बेटे को हवस का शिकार करने का प्रयास कर रही थी, संध्या को यदि ये भनक लग गई की मैंने अपनी हवस की आग बुझाने के लिए सूर्या का सहारा लिया तो वो मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी, मधु की इच्छा थी की वो सूरज से चुदे, लेकिन कच्चे रिश्ते की मर्यादा ने उसे झकझोर दिया,सूरज तो बेचारा मूरत बनकर कभी मधु के उत्तेजित चेहरे को देखता तो कभी चूत से निकले डिडलो को देखता जिसमे चूत की मलाई भरपूर मात्रा में बह रही थी ।
हवस में प्रत्येक व्यक्ति अँधा हो जाता है, हवस के समय रिश्ता नहीं चूत हावी होती है हस्तमैथुन या स्खलन के पस्चात हवस रफूचक्कर हो जाती है उस समय सिर्फ आत्मग्लानि और रिश्ते की मर्यादा का ख्याला आता है और बुद्धि कार्य करने लगती है यही मधु के साथ हुआ, मधु आनन् फानन में जमीन पर पड़े डिडलो को उठाकर अपने कमरे में भाग जाती है,सूरज हैरान होकर देखता रह जाता है, मधु के इस तरह जाने से उसकी आशा और उम्मीदों पर पानी फिर चूका था, मधु तो स्खलन का आनन्द ले चुकी थी लेकिन सूरज का लंड अभी भी पेंट में आज़ाद होने का बेसबरी से इंतज़ार कर रहा था । सूरज डर जाता है की कहीं मधु मौसी मेरी किसी बात या हरकत से नाराज़ तो नहीं है ।
1 5 मिनट के उपरान्त मधु कमरे से तैयार होकर निकलती है ।चेहरे पर ग्लानि और शर्म के भाव दिखाई दे रहे थे ।
सूर्या के पास आकर मधु बोलती है ।
मधु-" सूर्या चलो देर हो रही है" सूरज और मधु घर का ताला लगा कर गाडी से मार्केट निकल जाते हैं ।
सूरज उदास होकर गाडी चला रहा था क्योंकि उसके खड़े लंड पर धोका मिला था, मधु को भोगने की एक उम्मीद जो उसके मन में जागी थी उस पर पानी फिर चूका था ।
मधु भी बिना बोले ही शांत बैठी थी परंतु उसका दिमाग शांत नहीं था, सेकड़ो सवाल और उलझने उसके मन में चल रही थी ।
सूरज चुप्पी तोड़ते हुए बोलता है ।
सूरज-" मोसी आपको अचानक क्या हो गया, एक दम आप शांत हो गई,आप नाराज़ हो क्या मुझसे"
मधु-" नहीं सूर्या में नाराज नहीं हूँ तुझसे, तू तो मेरा बेटा है, गलती तो मुझसे हुई है की तेरे सामने आँखे नहीं मिला पा रही हूँ"
सूरज-" किस गलती की बात कर रही हो मौसी'
मधु-"में हवस के आगे मजबूर हो गई थी सूर्या, इसलिए मुझे कृत्रिम यंत्रो का सहारा लेना पड़ा, और तेरे सामने ही शर्मसार हो गई में" मधु अपनी प्यास बुझाने के लिए डिडलो का इस्तेमाल हर रौज करती है,आज भी वो डिडलो लेने ही आई थी अपने घर।
सूरज-" मोसी इसमें गलत ही क्या करती हो आप, अपनी जरुरतो को पूरा करने के लिए हर कोई किसी न किसी का सहारा तो लेता ही है" मधु सूर्या की बातों को बड़े ही गंभीरता से सुनती है,सूर्या की समझदारी की दाद देती है वो।
मधु-" बेटा मुझे माफ़ कर देना,में मजबूर थी इसलिए ये सब करना पड़ा"
सूरज-" मोसी क्या मौसा जी आपके साथ वो नहीं करते हैं" सूरज सेक्स के लिए बोलता है लेकिन स्पष्ट बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था ।
मधु-" उनके पास मेरे लिए कभी समय ही नहीं रहा, बिजनेस और पैसो की हवस कमाने के चक्कर में वो मेरी जरुरतो को ही भूल गए" मधु धीरे धीरे खुलती जा रही थी।
सूर्या-" मौसी जो सुख पति के जिस्म से मिल सकता है वो सुख इस नकली डंडे से नहीं मिलता है" सूरज को नहीं पता था की डंडे को डिडलो बोलते हैं ।
मधु-" उसे डंडा नहीं डिडलो बोलते हैं सूर्या, डिडलो पति का सुख तो नहीं दे पाता लेकिन कुछ देर के लिए तूफ़ान को शांत जरूर कर देता है" मधु हस्ते हुए बोलती है ।
सूर्या-" मौसी डिडलो बहुत छोटा और पतला भी तो है जबकि लंड ओह्ह्ह सॉरी मोसी, पेनिस तो इससे बड़ा और मोटा होता है" सूरज के मुह से लंड शब्द सुनकर मधु शर्मा जाती है लेकिन सूरज तुरंत अपनी गलती की माफ़ी मांग लेता है और लंड को पेनिस बोलकर बात संभाल लेता है ।
मधु-" ओह्ह्ह सूर्या तू किस टॉपिक पर बात कर रहा है मुझे तो शर्म आती है, तू मेरा बेटा जैसा ही है अब तुझे सच कैसे बोलू" मधु शर्मा रहि थी लेकिन चूत में चुंगारि भी भड़क चुकी थी ।
सूरज-" मौसी अब मुझसे क्या शर्माना, बोल भी दो" सूरज को बड़ा मजा आ रहा था, सूरज तो ठान लेता है की मौसी की चुदाई जरूर करूँगा ।
मधु-" सूरज सच तो यह है की डिडलो छोटा नहीं है अधिकतर आदमियों का पेनिस उतना ही होता है लेकिन तेरा पेनिस कुछ ज्यादा ही बड़ा है,मैंने मॉल के बाथरूम में देखा था" सूरज को यह सुनकर ख़ुशी मिलती है की मेरा पेनिस ही बड़ा है ।
तभी संध्या का फोन आता है, काफी देर हो चुकी थी सूरज जल्दी से चिकेन लेकर घर पहुचता है, तान्या भी घर आ चुकी थी ।
संध्या मधु को तान्या से परिचय करवाती है काफी देर बात करने के बाद संध्या खाना तैयार करने में जुट जाती है और में ऊपर अपने कमरे में जाकर फ्रेस होकर आराम करने लगता हूँ ।

सूरज कमरे में आकर फ्रेस होकर आज दिन भर की घटनाक्रम के बारे में सोचता है की रात भर सूर्या के लेपटोप में संध्या माँ की अस्लील योनिमैथुन करते हुए देखना और आज मॉल के बाथरूम में खूबसूरत महिला को पिसाब करते हुए खुद मूतना,
जिस महिला को आज देखा बही महिला संध्या माँ की सबसे करीबी सहेली निकलना ये कैसा संयोग था ।
मधु की तड़प और चूत में डिडलो से आग शांत करना ये सबकुछ एक ही दिन में बहुत बड़ी घटना घटी सूरज के साथ ।
सूरज लेटा हुआ था तभी संध्या माँ की आवाज़ आई ।
संध्या-" बेटा खाना खा ले, जल्दी से नीचे आओ" माँ ने दरवाजा खोल कर सूरज को नीचे आने के लिए कहा, सूरज जल्दी से नीचे गया और मधु आंटी के बगल में खाना खाने लगा ।मधु और सूरज ने एकदूसरे को देखा, मधु की आँखों में एक कसिस सी थी ।
मधु की नज़रे कभी मेरी और जाती तो कभी शर्म से झुका लेती। में भी कई बार खाना खाते समय मधु मौसी को निहारता।
पास में बैठी माँ और तान्या को कोई शक़ न हो इसलिए मैंने जल्दी से खाना खाया।
तान्या और संध्या माँ भी सामने बैठ कर खाना खा रही थी । मैंने जल्दी से खाना निपटाया और ऊपर टहलने चला गया ।
करीब एक घंटा टहलने के पश्चात में नीचे की और जा ही रहा था तभी मधु मौसी ऊपर आ गई ।
मधु-" सूर्या तू ऊपर है, में बहुत देर से तेरा इंतज़ार कर रही थी, मेरे मोबाइल की बैटरी डाऊन है अपना चार्जर दे देना" मधु मौसी मेक्सी पहनी हुई थी जिसमे उनका बदन बहुत सेक्सी लग रहा था ।उनके बूब्स का उभार बहुत मस्त लग रहा था ।
सूरज-" मौसी मेरा चार्जर आपके मोबाइल में लग जाएगा क्या, मेरे चार्जर की पिन बहुत मोटी है" मैंने हँसते हुए मजे लेते हुए बोला।
मधु-" अच्छा सूर्या! अब क्या करू, जब तक तेरे घर पर तब तक तेरे ही चार्जर से अपनी बैटरी चार्ज कर लूँगी, एक बार चार्जर घुसा के तो देख शायद घुस जाए"" मोसी भी कामुकता के साथ बोली, दोहरी अर्थ बाली भाषा को अच्छी तरह समझ रही थी ।
सूर्या-" मौसी चार्जर तो लगा दूंगा, ऐसा न हो कहीं आपकी बैटरी ही फट जाए, मेरे चार्जर के हाई वोल्टेज से"
मधु-" मेरी बैटरी में बहुत दम है, तेरे चार्जर का सारा करेंट पी लेगी मेरी बैटरी" मौसी आँख मारते हुए बोली ।
सूर्या-" फिर तो आपकी बैटरी का दम देखना ही पड़ेगा मौसी, बैसे भी मौसी आप जिस चार्जर से अपनी बैटरी चार्ज करती हो वो बहुत छोटा है" मेरा इशारा डिडलो की तरफ था जिससे मौसी अपनी प्यास बुझाती हैं ।
मधु-" ओह्ह क्या करू बेटा, उसी चार्जर के साहरे ही तो में जिन्दा हूँ, उस चार्जर को तो में हमेसा लगाए रखती हूँ" मौसी कामुक हो चुकी थी, उनकी सिसकियाँ सी निकल रही थी ।पूरी छत पर सिर्फ हमदोनो ही दिबाल के सहारे खड़े होकर बतला रहे थे ।
मधु ने जैसे ही कहा की चार्जर जो की डिडलो का संकेत था उसको हमेसा लगाए रखती हूँ, यह सुनकर सूरज का माथा ठनक गया, सूरज समझ गया की मौसी शायद अभी भी चूत में डिडलो घुसाए हुई हैं ।
सूरज-" मौसी क्या अभी भी वो छोटा सा चार्जर घुसा हुआ है? मधु एक दम चोंक गई यह सुनकर ।मैंने मेक्सी के ऊपर ही चूत की और इशारा करते हुए बोला ।
मधु-" अब तुझसे क्या छुपाना सूरज, में अभी भी उसी चार्जर से चार्ज हो रहीं हूँ" मौसी ने बड़ी कामुकता के साथ बोला, सूरज का लंड झटके मारने लगा ।तभी अचानक संध्या माँ की आवाज़ आई नीचे से ।
संध्या-" मधु नीचे आ जा, सोना नहीं है क्या?
मधु हड़बड़ा कर नीचे चली गई, थोड़ी देर बाद सूरज भी नीचे अपने रूम में चला गया।
कमरे में आकर सूरज लेट गया उसका मन बैचेन था, लंड महाराज सोने नहीं दे रहे थे, लंड बार बार झटके मार रहा था ।सूरज का मन मुठ मारने के लिए तड़प रहा था ।
मधु की तड़पती जवानी का रसपान करने के लिए लंड तड़प रहा था ।
तभी सूरज को घर में लगे कमरे का ख्याल आता है वह लेपटोप खोल कर इंटरनेट से कनेक्ट करके मधु को देखने लगता है ।
मधु संध्या माँ के कमरे में मधु को देखता है ।
मधु और संध्या दोनों आपस में बात कर रही थी। सूरज उनदोनो की बातें सुनने लगता है ।
मधु-" संध्या तुझे तेरे पति की बिलकुल कमी महसूस नहीं होती है, पति के बिना तूने इतने दीन कैसे बिताए"
संध्या-" अब क्या बताऊँ मधु, बिना आदमी के मैंने कैसे अपना जीवन बिताया है यह सिर्फ में ही जानती हूँ, 18 वर्ष हो गए मुझे अपने आदमी से बिछड़े लेकिन आज तक अपनी जरुरतो के लिए किसी अन्य पुरुष का सहारा नहीं लिया मैंने"
मधु-" आखिर ऐसा क्या हुआ था की तूने उन्हें छोड़ दिया" में यह सुनकर चोंक गया की सूर्या के पिता जी अभी भी जिन्दा है, आखिर माँ ने उन्हें क्यूँ छोड़ दिया यह जानने की उत्सुकता मेरे लिए भी बड़ गई ।
संध्या-" धोखेबाज़ इंसान था वो, इसलिए छोड़ दिया, में इस विषय पर कोई बात नहीं करना चाहती हूँ मधु"
मधु-" okk ठीक है संध्या में कोई बात नहीं करुँगी लेकिन एक बात और बता तेरे पति इस समय कहाँ है?"
संध्या-" अमेरिका में हैं, सूना है अब बहुत बड़े बिजनेस मैन हैं इस समय, मधु तू यह बात किसी को बताना मत,मैंने यह बात आजतक अपने बच्चों से भी छुपा कर रखी है" माँ की यह बात सुनकर मुझे तो तगड़ा झटका लगा, आखिर माँ ने क्यों छोड़ दिया?यह सवाल मेरे मन में अभी तक था ।
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shubhs
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Re: जीवन एक संघर्ष है

Post by shubhs »

राज है मित्र
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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