जीवन एक संघर्ष है complete

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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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दोनों बच्चों को स्कूल भेजकर खुद भी तैयार होने के लिए अपने कमरे में चली गई आज बहुत दिन बाद उसे ऑफिस जाने का मौका मिला था वरना विनीत के डर से वह कुछ दिनों से ऑफिस नहीं जा पाई थी और घर में ही बैठे बैठे बोर भी हो रही थी और विनीत की वजह से डरी सहमी भी रहती थी। लेकिन जब राहुल ने बताया कि वीनीत का दिमाग ऊसने ठिकाने लगा दिया है तब उसका मन प्रसन्न हुआ विनीत से छुटकारा पाने की बातों से उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे कि उसे एक नई जिंदगी मिली हो। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना ना था वह मन में गीत गुनगुनाते हुए आईने के सामने खड़ी होकर तैयार होने लगी।
अलका पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी संभोग के असीम सुख की प्राप्त कर करके एक अाह्लादक एहसास की वजह से उसकी खूबसूरती और उसके बदन का उठाव और कटाव दिन ब दिन ऊभरकर ओर भी ज्यादा उभरकर खूबसूरत हो गया था।
अलका अपनी छातियों का उभार और अपने भरे हुए बदन को आईने में देखकर अपनी खूबसूरती पर खुद ही शरमा गई और गर्वित होने लगी। दिन ब दिन बढ़ती उसकी खूबसूरती का राज वो अच्छी तरह से जानती थी। वह जानती थी कि उसके बेटे के साथ जबरदस्त संतुष्टि भारी चुदाई की वजह से ही उसकी खूबसूरती दिन ब दिन निखरती जा रही थी। जेसे ही उसकी नजर उसकी खुद की बड़ी बड़ी चुचियों पर गई तो अपनी चुचियों के उभार को देख कर और उसकी खूबसूरती से वह खुद ही चौंधिया गई और वह अपने दोनों हाथों को अपनी दोनों गोलाइयों पर रखे बिना ना रह सकी। एक बार अपनी दोनो चुचियों को अपनी हथेली में भरकर ब्लाउज के ऊपर से ही दबा कर वह आईने में अपने रूप को देखने लगी और खुद ही शरमा कर मुस्कुरा दी।
उसकी नजर दीवार पर टंगे घड़ी पर गई तो झट से बिस्तर पर से अपना पर्श उठाई और कमरे से बाहर आ गई। वह घर से निकल कर जल्दी-जल्दी सड़क पर जाने लगी। अलका इस उम्र में भी क़यामत से कम नहीं लगती थी आज भी वह अपनी खूबसूरती के जलवे बिखेर रही थी।
उसके बदन की बनावट और कटाव देखकर अच्छे अच्छों का पानी निकल जाता था। अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों को भी वह बराबर का टक्कर देती थी। इसका ताजा उदाहरण राहुल ने दोनों औरतों को अपनी मां अलका के लिए ठुकरा कर दे दिया था।
अलका जल्दी-जल्दी मस्ती के साथ सड़क पर अपनी गांड मटकाते हुए चली जा रही थी। उसकी भरावदार गांड की थिरकन किसी को भी मदहोश कर देने में सक्षम थी। सड़क पर आते-जाते ऐसा कोई भी मर्द नहीं होगा जिसकी नजर अलका के मदभरे रस टपकाते बदन पर ना पड़े। आगे से आ रहे राहगीर की नजर सबसे पहले उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर ही जाती थी और पीछे से आ रहे राहगीर की नजर उस की भरावदार बड़ी-बड़ी मटकती गांड. पर।
अलका अपनी मस्ती में कदम बढ़ाते हुए और अपनी गांड मटका के ऑफिस की तरफ चली जा रही थी आज बहुत दिनों बाद खुली सड़क पर इस तरह से चलने पर उसे राहत महसूस हो रही थी। ऑफिस जाते समय रास्ते में ही उसे याद आया कि राहुल का जन्मदिन आने वाला था और उसने उसे पूरी तरह से खुश करने का वादा किया था। अपने किए हुए वादे का मतलब वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह उस वादे को याद करके शरमाते हुए मन ही मन में मुस्कुरा दी। थोड़ी ही देर में वह अपने ऑफिस पहुंच गई आज खुशी-खुशी में ऑफिस का काम करके अपने मन को हल्का महसूस कर रही थी।

धीरे-धीरे घड़ी की सुई अपनी धुरी पर घूमती रही और शाम का वक्त हो गया। सपने निश्चित समय पर ऑफिस छूट चुकी थी और अलंकार ऑफिस से निकल कर अपने घर की तरफ जा रही थी। सुबह तक सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन ऑफिस से छूटने के बाद उसके मन में फिर से विनीत नाम का भूत घूमने लगा उसे फिर भी नहीं कर नाम से ही चिंता होने लगी। अलका को विनीत के द्वारा दी गई धमकी बार-बार याद आने लगी। अलका मन ही मन में घबराने लगीं उसके मन में ढेर सारे सवाल ऊठने लगे। विनीत के बारे में सोचते हुए वह सड़क पर चली जा रहे थे उसे अब डर लगने लगा था क्योंकि बाजार नजदीक थी और वहीं पर अक्सर उससे मुलाकात हो जाती थी। उसके मन में यह शंका बनी हुई थी कि अगर कहीं विनीत नहीं माना और फिर से उसे धमकाने लगा और उसके साथ मनमानी करने के लिए ब्लैकमेल करने लगा तो वह क्या करेगी, लेकिन राहुल नहीं तो उसे कहा था कि विनीत का दिमाग उसनें ठिकाने लगा दिया है अब वह उसे कभी भी परेशान नहीं करेगा और उसी के कहने पर तो मैं आज ऑफिस आई थी। यही सब खयाल रह-रहकर अलका के मन में उठ रहे थे और वह परेशान भी हो रही थी यही सब सोचते सोचते बाजार आ गया उसकी दिल की धड़कनें बढ़ रही थी और वह जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए बाजार से निकल जाना चाहती थी।
वह मन ही मन भगवान से दुआ कर रही थी कि वीनीत उसे रास्ते में ना मिले और वह बिना किसी मुसीबत के अपने घर चली जाए , धीरे धीरे करके वह बाजार के अंतिम छोर पर पहुंच गई जहां पर बाजार खत्म होता था उसकी चिंता कुछ कम होने लगी मुझे लगने लगा कि वहां पर ही मैं अभी नींद से उसका सामना नहीं होगा लेकिन उसका सोचना ही था कि सामने से उसे वीनीत मोटरसाइकिल पर आता दिखाई दिया उस पर नजर पड़ते ही अलका के दिल की धड़कने डर के मारे तेज हो गई। उसकी चाल कुछ धीमी हो गई ऐसा लग रहा था कि उसके पैर आगे बढ़ने से इंकार कर रहे हो धीरे धीरे विनीत करीब आ रहा था। अलका डर के मारे उसकी तरफ से अपनी नजरें फेर भी ले रही थी लेकिन रह रहकर उसकी नजरें बार बार वीनीत की तरफ चली जा रही थी। तभी कुछ करीब आया तो विनीत की नजर भी अलका के ऊपर पड़ गई उसकी नजर एक पल के लिए अलका के कामुक भरावदा़र बदन पर ही टिकी रह गई। अलका को और उसके बदन की खूबसूरती को देखकर विनीत के मन में लड्डू फूटने लगे और उसके मुंह में पानी आ गया। उसकी टांगों के बीच के हथियार में हरकत होने लगी। लेकिन तभी उसे राहुल के द्वारा दी गई शिकस्त के बारे में याद आ गया । उसे याद आ गया कि राहुल ने उसे कितना बेबस कर दिया था कि वह उसकी आंखों के सामने उसकी भाभी और उसकी होने वाली बीवी के साथ शारीरिक संबंध बना लिया और वह कुछ भी नहीं कर पाया। वह अच्छी तरह से समझ गया था कि राहुल से उलझना ठीक नहीं है।
अलका सड़क के बाएं तरफ से जा रही थी और विनीत सड़क के बाएं तरफ से आ रहा था दोनों बिल्कुल करीब आमने सामने आने ही वाले थे कि दोनों की नजरें आपस में टकराई , अलका विनीत के नजर से नजर मिलते ही सहमं गई उसकी डर के मारे पसीने छूट गए एक डर की लहर उसके पूरे बदन में ऊपर से नीचे तक फैल गई। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। ना चाहते हुए भी घबराहट की वजह से उसके पांव ज्यो के त्यों वही ठिठक गए दोनों बिल्कुल करीब आ गए थे विनीत भी अलका की आंखों में झांकते हुए करते हुए बिल्कुल उसके करीब पहुंच गया था फर्क सिर्फ इतना था कि वह सड़क के ऊस ओर था और अलका इस और।
अलका को लगने लगा कि राहुल की बातों का विनीत के ऊपर कोई असर नहीं हुआ है। उसकी घबराहट बढ़ती जा रही थी उसे यकीन हो गया कि वह करीब आ करके फिर से उसे धमकाएगा और अपने साथ सोने के लिए मजबूर करेगा वह सड़क पर बुत बने खड़ी होकर विनीत की तरफ ही देखे जा रही थी और विनीत भी उसी ही को घूर रहा था। विनीत एकदम आमने-सामने आ गया था लेकिन कभी विनीत अपनी नजर सामने की तरफ फेर लिया औअपनी मोटरसाइकिल एक्सीलेटर को बढ़ाकर तेजी से आगे निकल गया।
अलका तो वहीं खड़ी खड़ी आश्चर्य से फटी आंखों से विनीत को सड़क पर दूर जाते देखती रह गई उसे यह सब एक चमत्कार सा लगने लगा। वह सड़क पर खड़ी होकर विनीत को तब तक देखती रही जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गया । पूरा खेल उल्टा पड़ गया था कुछ देर पहले अलका की दिल की धड़कन जो की बहुत ही तेज चल रही थी वह अब सामान्य होने लगी। विनीत को बिना कोई हरकत किए जाते देख कर उसकी जान में जान आ गई थी वह राहत सी महसूस कर रही थी।
अलका को उसके सर से बहुत भारी बोझ हल्का होता नजर आ रहा था। उसे राहुल की कही हुई एक-एक शब्द पर यकीन होने लगा था वह अपने बेटे पर एकदम गर्वित हुए जा रही थी। राहुल पर उसे और ज्यादा प्यार होने लगा था सड़क पर खड़े खड़े ही उसने मन में निर्धारित कर ली की वह अपने बेटे को उसके जन्मदिन पर पूरी तरह से खुश कर देगी वह जो चाहेगा उसे सब कुछ देगी।
कुछ ही देर पहले उसके चेहरे पर परेशानी के भाव नजर आ रहे थे लेकिन इस समय उसके चेहरे पर प्रसन्नता साफ झलक रही थी। वह खुशी-खुशी अपने पैर अपने घर की तरफ बढ़ा दी।

घर पर पहुंचकर वह आराम से कुर्सी पर बैठ कर राहत की सांस ली। उसे आज अपने घर में अच्छा महसूस हो रहा था। सब कुछ नया-नया सा बदला बदला सा लग रहा था। अगर राहुल घर पर मौजूद होता तो वह उसे कसके अपने सीने से लगा लेती उसे ढेर सारा प्यार करती आखिरकार उसने काम ही ऐसा कुछ कर दिया
था। विनीत जैसी मुसीबत से छुटकारा दिला कर राहुल ने अलका को बहुत बड़ी मुसीबत से छुटकारा दिलाया था । अलका को इंतजार था राहुल के घर पर आने का क्योंकि उसे मालूम था वह इधर उधर घूम कर अपना टाइम पास करते रहता है इसलिए उसने झट से हाथ बहुत होकर तरोताजा हुई और रसोई में जाकर राहुल के मनपसंद का भोजन बनाने में जुट गई।
जब तक राहुल आया तब तक खाना बन चुका था। सोनू कब से घर पर आकर अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। अलका कुर्सी पर बैठ कर राहुल का इंतजार कर रही थी कि तभी राहुल घर में प्रवेश किया उसे देखते ही अलका कुर्सी पर से उठी और तुरंत आगे बढ़कर राहुल को अपने सीने से लगा ली , और लगी उसे चुमने चाटने लगी अपनी मां के इस व्यवहार को राहुल कुछ पल तक समझ ही नहीं पाया कि आखिरकार यह हो क्या रहा है। तभी अपने बेटे को बेतहाशा चूमते हुए अलका बोली।

बेटा तूने मुझे आज बहुत खुश कर दिया है तू नहीं जानता कि तूने मेरे सर से कितनी बड़ी मुसीबत को दूर किया है। मांग बेटा मांग तुझे जो मांगना है मुझ से मांग ले में तेरी सारी इच्छाओं को पूरी करूंगी। ईसलिए बेझिझक मांग ले।
( अपनी मां की बात सुनकर राहुल को समझते देर नहीं लगी की ईतना ढेर सारा प्यार वीनीत से छुटकारा दिलाने की खुशी में है। ।।।।

अलका फिर से राहुल के गाल पर चुम्बनो का बौछार करते हुए बोली।

बोल बेटा तुझे क्या चाहिए तु जोे मांगेगा मैं तुझे वो दूंगी। ( राहुल अपनी मां की बात सुनकर बहुत खुश हुआ अपनी मां को खुश देखकर राहुल को बेहद खुशी हो रही थी। इसलिए राहुल खुश होता हुआ बोला।)

मम्मी तुम खुश रहती है तू कितनी अच्छी लगती हो। और रही बात कुछ मांगने की तो कल मेरा जन्मदिन है बस कल के दिन अपना यह वादा याद रखना।
( अपनी बेटी की बातें सुनकर अलका मुस्कुरा दी और एक बार फिर से उसे कस के अपने सीने से लगा ली . अलका की इस हरकत पर राहुल के बदन में उत्तेजना फेलने लगी। इसलिए वह बोला।)

मम्मी मुझे जो चाहिए वह में कल अपने जन्मदिन पर मांग लूंगा लेकिन तुम्हारी इस हरकत से मेरा लंड खड़ा होने लगा है।
( अपने बेटे की बात सुनकर अलका मुस्कुरा दी उसे भी इस का आभास हो चुका था। अपनी टांगों के बीच वह अपने बेटे के लंड की चुभन को महसूस कर चुकी थी इसलिए वह भी चुदवासी हो चुकी थी। अपने बेटे की लंड खड़े होने वाली बात को सुनकर वह बोली।)

तो देर किस बात की है बेटा डाल दे अपना लंड मेरी बुर में मेरी बुर भी तो तेरा लंड लेने के लिए पानी पानी हो गई है।
( अलका की बात को सुनते ही राहुल का लंड ठुनकी लेने लगा। लेकीन वह एक खेद जताते हुए बोला।)

लेकिन मम्मी सोनू .,,,,,

सोनू अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा है।( अलका राहुल की बात को बीच में ही काटते हुए बोली। अलका को भी बहुत ज्यादा ऊतावल मची हुई थी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए। राहुल भी अपनी मां की जल्दबाजी को देखकर एकदम से जोश में आ गया। अलका के बदन में उत्तेजना और प्रसन्नता के भाव बराबर नजर आ रहे थे और इसी के चलते वह खुद ही वहीं पर ही कुर्सी पकड़कर झुक गई और अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी यह राहुल के लिए इशारा था। वह ं अपनी गांड ऊचका कर अपनी नजरें घुमा कर राहुल की तरफ देखने लगी और उसे आंखों से इशारा करके अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठाने का इशारा की,,,,, राहुल भी उत्तेजना से भर चुका था इसलिए वह भी एक पल की भी देरी किए बिना सीधे अपनी मां की साड़ी को पकड़कर एक झटके में ही कमर तक उठा दिया और पेंटी को नीचे जांघो तक सरका कर अपनी भी पेंट को खोलकर नीचे घुटनो तक सरका दिया।
राहुल और अलका दोनों कामोतेजना के बहाव में बह़ते जा रहे थे। इस समय दोनों को इस बात का भी बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि वह लोग ड्राइंग रूम में ही अपनी उत्तेजना को शांत करने में लगे हुए थे जहां पर किसी भी समय सोनु आ सकता था। लेकिन अलका आज बहुत खुश थी इसलिए वह राहुल को भी खुश करना चाहती थी इसलिए किसी भी चीज की फिक्र उन दोनों को बिल्कुल भी नहीं थी। राहुल तो कुछ ही देर में अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर पूरी तरह से छा गया। राहुल अपनी मां की गरम सिसकारियों के साथ जोर जोर से धक्के लगाता हुआ चोदे जा रहा था। कुछ मिनटों की घमासान चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों अपनी कामोत्तेजना को बड़े सफाई के साथ मिटा चुके थे।
भोजन करते समय राहुल ने अपनी मां को कल के प्रोग्राम के बारे में बताया। कल के दिन अलका को छुट्टी रखनी थी। राहुल अपनी मां और सोनू के साथ घुमने ओर खरीदी करने का प्रोग्राम बना लिया था। कल वह अपनी मां का ब्रांडेड ब्रा ओर पेंटी के साथ साथ ट्रांशपेरेंट गाऊन भी दीलाना चाहता था., जिसके बारे मे ऊसने अपनी मां को कुछ भी नही बताया था। जो की ऊसकीमां के लिए सरप्राईज था।
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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शाम के 4 बज रहे थे, में और मेरी तीनो दीदी इमरजेंसी वार्ड के बाहर बैठ कर माँ के होश आने जा इंतज़ार कर रहे थे तभी मेरे फोन पर संध्या का फोन आया । दूर जाकर मैंने फोन उठाया,तान्या दीदी समझ गई थी, वो मेरे साथ ही थी ।
संध्या-"हेलो सूर्या बेटा कहाँ है?
सूरज-"क्या हुआ बोलो माँ, में कंपनी में हूँ"
संध्या-"तू कल से घर नहीं आया इसलिए पूछा"
सूरज-"माँ कंपनी के काम से बाहर एक मीटिंग में गया था"
संध्या-"अच्छा बेटा, आज तो आएगा घर पर"
सूरज-"माँ कंपनी का एक सेमीनार दिल्ली में है इसलिए आज रात में मुझे जाना पड़ेगा,चार पांच दिन में आ जाऊँगा" सूरज झूठ बोल देता है ताकि वो अपनी रेखा माँ का ख्याल रख सके ।
संध्या-" ओह्ह बेटा कितनी मेहनत करता है तू,चल कोई बात नहीं,अपना ध्यान रखना" फोन काट देता है सुरज,
तान्या-"सूरज तू चिंता न कर,तू बस माँ का ख्याल रख"
सूरज-"दीदी आप घर चली जाओ अब,माँ इंतज़ार कर रही होगी"
तान्या-"में यही रुक जाती हूँ सूरज,माँ को कोई भी बहाना बना दूंगी"
सूरज-"नहीं दीदी,में अकेला ही काफी हूँ,आप जाओ" सूरज तान्या को भेज देता है । पूनम और तनु के पास आता है । पुनम और तनु सुबह से भूकी थी,इसलिए दोनों को घर भेज देता है । सूरज अकेला बाहर बैठा माँ के होश आने का इंतज़ार कर रहा था । इधर रेखा को होश आता है तो अपने आपको हॉस्पिटल के बेड पर पाती है । डॉक्टर रेखा के पास आती है ।
रेखा-"डॉक्टर मुझे क्या हुआ है"
डॉक्टर-"आप बेहोश क्यूँ हो गई थी?"
रेखा-" मेरे पेट में दर्द हुआ था,और नीचे भी" रेखा संकुचित होकर बोलती है।
डॉक्टर-"आप सही से बताओ ताकि में आपका इलाज कर सकूँ"
रेखा-" में नीचे अपनी योनि को साफ़ कर रही थी, योनि साफ़ करते समय में थोड़ी उत्तेजित हो गई थी,तभी मेरे पेट में और योनि में बहुत तेज दर्द हुआ,उसके बाद मुझे पता नहीं चला,शायद में बेहोस हो गई थी"डॉक्टर बड़े ध्यान से सुनती है ।
डॉक्टर-" मतलब तुम्हारा ओर्गास्म हो नहीं पाया"
रेखा-"ओर्गास्म का मतलब"
डॉक्टर-" आप झड़ नहीं पाई"
रेखा-"हाँ जी"रेखा शरमाती हुई बोली ।
डॉक्टर-"आपने आखरी बार सेक्स कब किया था" रेखा इस सवाल से शर्मा जाती है।
रेखा-"22 साल से" डॉक्टर यह सुनकर हैरान रह जाती है।
डॉक्टर-"ओह्ह्ह 22 साल तक आपने सेक्स ही नहीं किया"
रेखा-"मेरे पति को मरे 22 साल हो चुके हैं"
डॉक्टर-"ओह्ह्ह सॉरी, हस्तमैथुन किया आपने कभी इन 22 सालो में"
रेखा-"हस्तमैथुन क्या,समझी नहीं" रेखा समझ नहीं पाती है ।
डॉक्टर-" मतलब कभी ऊँगली से अपने आपको शांत किया है?" रेखा को शर्म आ रही थी, लेकिन डॉक्टर के सामने मजबूरन बता देती है ।
रेखा-" हाँ किया है,पति के जाने के बाद"
डॉक्टर-"कितने साल से ऊँगली नहीं की"
रेखा-"21 साल हो चुके होंगे" डाक्टर हैरानी से रेखा को देखती है ।
डॉक्टर-" 21 साल तक आपने ऊँगली नहीं की,इसलिए आपको दर्द हुआ, योनि से निकलने बाला पानी आपकी नसों में जम चूका है,इसका निकलना बहुत आबश्यक है" रेखा डॉक्टर की बात बड़े ध्यान से सुनती है ।
रेखा-" क्या में ठीक नहीं हूँ अभी"
डॉक्टर-"नहीं! आपके फिर से दर्द हो सकता है और आप बेहोस भी हो सकती हैं, आपकी नसों में जमा पानी निकलना बहुत जरुरी है,ये पानी या तो सेक्स करने से निकल सकता है या आप ऊँगली करो" डॉक्टर की यह बात सुनकर रेखा हैरान रह जाती है,
रेखा-"में स सेक्स तो कर नहीं सकती,मेरे पति नहीं है, ऊँगली से कोसिस कर सकती हूँ"
डॉक्टर-" ठीक है । लेकिन ऊँगली करने से पहले आपको में एक जैल क्रीम दूंगी,पहले उससे अपनी योनी के आसपास मसाज करना इससे आपकी नसे जल्दी खुल जाएगी,उसके बाद आप ऊँगली करके अपना पानी निकालना,आप मेक्सी को ऊपर कीजिए में आपको मसाज करने की प्रक्रिया समझाती हूँ" रेखा को बहुत शर्म आ रही थी, लेकिन मजबूर थी,मेक्सी को ऊपर उठा देती है, डाक्टर नीलम रेखा की बड़ी बड़ी झांटे देख कर गुस्सा करती है ।
डॉक्टर-"ये क्या है, आपने तो पूरा जंगल बना दिया है, अपनी योनि को साफ़ रखा करो, पहले अपने बाल साफ़ करबायो उसके बाद में मसाज करने की प्रक्रिया समझाती हूँ" डॉक्टर एक नर्स को बुलाकर रेखा के बाल साफ़ करने के लिए बोलती है ।
नर्स-' हमारे पास बाल साफ़ करने का रेजर नहीं है"
डॉक्टर-"इनके साथ कौन आया है उन्ही से रेजर मंगबा लीजिए"
रेखा-" मेरी बेटी बाहर होगी,उससे बोल दीजिए" रेखा को डर था की कहीं नर्स सूरज से रेजर न मंगवा ले इसलिए बेटी से मनवाने का सम्बोधन किया ।
डॉक्टर-" इनके साथ जो हैं उन्हें मेरी कैबिन में भेज दो"
नर्स सूरज के पास आती है।
बाहर सूरज अकेला बैठा हुआ था ।

नर्स-" आपको डॉक्टर बुला रही हैं" सूरज डाक्टर के पास जाता है ।
सूरज-"क्या हुआ डॉक्टर साहब मेरी माँ अब कैसी है,उन्हें होश आ गया क्या"
डॉक्टर-" आपकी माँ बिलकुल ठीक हैं,उन्हें होश आ चुका है"
सूरज-"डॉक्टर मेरी माँ को हुआ क्या है,वो बेहोश क्यूँ हो गई" डॉक्टर सोचती है की इनको कैसे बताऊँ, काफी देर सोचने के बाद डॉक्टर बोलती है।
डॉक्टर-"आपकी माँ को गुप्त परेसानी है,हालाँकि मुझे बताना तो नहीं चाहिए चूँकि आप उनके बेटे हैं लेकिन फिर भी में आपको बता रही हूँ, 21 वर्ष से शारीरिक सम्बन्ध न बनाने के कारण उनकी नसों में पानी जाम हो गया है,पानी निकलना बहुत आवश्यक है, बरना उनकी जान भी जा सकती है" सूरज को यह सुनकर बड़ा अचम्भा होता है और शर्म भी आती है, लेकिन उनकी जान को खतरा है यह सुनकर डर भी जाता है ।
सूरज-"डॉक्टर साहब अब इसका इलाज क्या है? सूरज घबराता हुआ बोला।
डॉक्टर-" वैसे तो शारीरिक सम्बन्ध के द्वारा पानी निकलता तो बेहतर था लेकिन उनके पति तो है नहीं है,इसलिए उन्हें हस्तमैथुन करना होगा,और हस्तमैथुन से पहले तीन चार दिनों तक उन्हें योनी की मसाज करनी होगी,में आपको जैल क्रीम देती हूँ,और कुछ खाने की दवाइयाँ भी" सूरज बड़ी हैरानी से यह सब सुन रहा था,उसने कभी सोचा भी नहीं था की अपनी माँ के बारे में ऐसा सुनेगा, सूरज को बड़ी शर्म आ रही थी,और बार बार माँ का चेहरा उसके सामने आ जाता था ।
सूरज-" डॉक्टर आप यह सारी बातें माँ को समझा दीजिए प्लीज़"
डॉक्टर-"मैंने उन्हें समझा दिया है,आप बाहर से एक रेजर और ब्लेड लाकर दे दीजिए,उनकी योनी पर बाल बहुत बड़े हैं, में नर्स से कह कर मसाज का तरीका समझा दूंगी ताकी वो घर आराम से मसाज कर सके" सूरज एक और झटका लगता है यह सुनकर, तभी उसके जहन में रेखा का नग्न तस्वीर आ जाती है जब उसने सुबह बॉथरूम में देखा था,वास्तव में माँ की योनी पर बहुत बड़े बाल हैं। सूरज तुरंत बाहर जाकर एक रेजर और ब्लेड के आता है । सूरज डॉक्टर की केबिन में जाता है तो डॉक्टर उसे दिखाई नहीं देती है, सूरज उसी इमरजेंसी बार्ड में जाता है जहाँ माँ भर्ती थी, सूरज दरबाजा खोल कर देखता है, रेखा अपने बेड पर लेटी थी, सूरज को बड़ा सुकून मिलता है,चूँकि सूरज नहीं चाहता था की माँ उसे देखे की उसका बेटा उसके योनि साफ़ करने के लिए रेजर लेकर आया है, और खुद शर्मिंदगी महसूस करे । सूरज जैसे ही दरबाजा खोलता है तभी नर्स सूरज को देख कर बोलती है ।
नर्स-" आप कहाँ थे इतनी देर से,डॉक्टर ने रेजर और ब्लेड लाने के लिए आपसे बोला था,आप अभी तक लाए नहीं" नर्स तेज आवाज़ में डांटती हुई बोली,सूरज घबरा जाता है की कहीं माँ सुन न ले,लेकिन रेखा तो सिर्फ आँखें बंद किए हुई कुछ सोच रही थी,जैसे ही नर्स सूरज को डांटती है रेखा आँखे खोल कर सूरज की तरफ देखती है और सूरज रेखा को देखता है,दोनों की आँखे एक दूसरे से टकराती है, सूरज शर्म की बजह से नज़रे घुमा लेता है और मन ही मन नर्स को गालियां देता है,इधर रेखा का शर्म की बजह से बुरा हाल था, रेखा बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी की उसका बेटा योनी के बाल साफ़ करने के लिए रेजर लेकर आया है ।
सूरज-"यह लीजिए रेजर और ब्लेड"सूरज जल्दी से निकलना चाहता था बार्ड से, सूरज रेजर देकर तुरंत बाहर निकल जाता है । और बाहर कुर्सी पर बैठ कर जोर से सांस लेता है । जीवन में पहली बार ग्लानी महसूस कर रहा था, न चाहते हुए भी माँ का चेहरा उसकी आँखों में घूम रहा था ।
इधर नर्स रेखा के पास आती है, रेखा की मेक्सी को उठाकर कमर से ऊपर कर देती है, रेखा की बालो से भरी चूत नर्स के सामने थी। भारी भरकम जांघे और बाहर निकली हुई गुदाज उसके जिस्म को आकर्षक और कामुक बना रही थी ।
नर्स-' आप दोनों टांगो को फैला कर फोल्ड करो" रेखा तुरंत नर्स के कहे अनुसार टाँगे फैला कर फोल्ड करती है । नर्स एक प्लास्टिक की शीट लेकर आती है और रेखा की गांड को उठाकर शीट बिछा देती है ताकि जिस बेड पर लेटी है वो गंदा न हो, रेखा अपनी सोच में डूबी हुई थी, उसने कभी सोचा भी नहीं था की अनजान डॉक्टर और नर्स के सामने उसे अपनी योनी का प्रदर्शन करना पड़ेगा,और ऊँगली करने पर मजबूर होना पड़ेगा, एक तरफ उसे अपनी योनिमैथुन की चिंता थी तो दूसरी तरफ सूरज की,क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में,कैसे नज़रे मिला पाउंगी में,इसी सोच में डूबी थी तभी नर्स एक शेम्पू लेकर आती है और रेखा की चूत पर लगा कर पानी का स्प्रे मारती है,और ब्रूस से पूरी योनी के बालो पर फिराती है,ब्रूस और पानी के स्पर्श से रेखा मचल जाती है,उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं,ब्रूस की नोक जब योनी की क्लिट पर रगड़ते हैं तो एक सुरसरी सी उठती,रेखा अपनी गांड को थोडा उचका देती,उसके जिस्म में गुदगुदी सी होने लगती है,योनी पर झाग का ढेर बन जाता है,नर्स रेजर लेकर योनी की खाल पकड़ कर आराम से बाल साफ़ करने लगती है, नर्स की उंग्लिया योनी के हर कोमल भाग पर जाती है जिससे रेखा को मजा आने लगता है, नर्स योनी के बाल साफ़ करके स्प्रे मारकर कपडे से साफ़ करती है, रेखा की योनी डबल रोटी की तरह फूली हुई उभर कर सामने आती है। रेखा खुद की योनी देख कर शर्मा जाती है ।
नर्स-" अब देखो अपनी योनी, कितनी चमक मार रही है,इसी तरह साफ़ रखा करो" नर्स योनी पर हाँथ स्पर्श करती हुई बोली। रेखा सिहर जाती है । और हाँ में सर हिला देती है ।
नर्स जैल क्रीम लेकर आती है।
नर्स-" इस जैल को योनि के मुख्य भाग को छोड़ कर बाकी सब जगह लगा कर ऊँगली से रगड़ना है,ताकि आपकी नसे ढीली हो जाए,नसे ढीली होने के बाद अपनी योनी के के अंदर इस तेल से चिकना करके ऊँगली करनी है,आप समझ गई न" नर्स जैल क्रीम और एक तेल की सीसी दिखाती हुई बोली।
रेखा-"हाँ समझ गई" नर्स जैल क्रीम रेखा की योनी पर लगा कर उँगलियाँ फिराने लगती है, जैल बहुत ठंडा लग रहा था जिससे रेखा को बड़ा मीठा मीठा आनंद मिल रहा था और नर्स की उंगलिया भी मजा दे रही थी । नर्स को भी उंगलियो से मालिस करने में मजा आने लगता है,
नर्स-" मेडम में आपको एक सलाह दे रही हूँ, आप किसी के साथ सेक्स कर लो, जल्दी ठीक हो जाओगी" रेखा सुन कर चोंक जाती है ।
रेखा-"नहीं में सेक्स नहीं कर सकती हूँ"
नर्स-"मेडम एक बार में ही गर्मी निकल जाएगी,आपका जिस्म बहुत सुन्दर है,कोई भी एक बार नंगा देख ले तो बिना सेक्स किए रह नहीं पाएगा" रेखा अपनी तारीफ़ सुन कर खुश होती है।
रेखा-" मेरी उम्र 46 साल की है,अब इस उम्र में भला कोई सेक्स करता है"
नर्स-"मेडम आप 30-32 साल की लगती हो,और आपका बदन बहुत कामुक है,आज भी कोई लड़का आपको देख ले तो दीवाना हो जाएगा"
रेखा-"नहीं जी! में विधवा हूँ,में सेक्स के बारे में सोच भी नहीं सकती, ऊँगली से ही काम चला लुंगी"रेखा साफ़ साफ़ मना कर देती है । नर्स मसाज करके बोलती है ।
नर्स-"दिन में तीन बार आपको ऐसे ही मालिस करनी है, अब आप घर जा सकती हो। नर्स सारी दवाइयाँ समझाती है। रेखा वार्ड से बाहर निकलती है सूरज बाहर ही बैठा था, सूरज जैसे ही रेखा की देखता है तो कुर्सी से खड़ा हो जाता है,रेखा भी बहुत शर्मा रही थी।
सूरज-"घर चलें माँ" सूरज रेखा को देखते हुए बोलता है ।
रेखा-"हाँ चलो" सूरज और रेखा बाहर आकर अपनी गाडी में बैठ जाते हैं। सूरज गाडी चलाता है और रेखा बगल बाली सीट पर बैठी थी ।दोनों लोग खामोश थे ।

सूरज और रेखा खामोशी से बैठे अपनी अपनी सोच में डूबे हुए थे, सूरज अपनी माँ की इस विचित्र बिमारी को लेकर बड़ा असमन्जस में था और सोच रहा था की इसका उपचार कैसे हो, डॉक्टर के कहे अनुसार शारीरिक सम्बन्ध के द्वारा माँ का उपचार सम्भब है,और जल्दी ठीक हो सकती हैं,ऐसी स्तिथि में यदि पिता होते तो शायद माँ जल्द ठीक हो जाती,
मुझे पिताजी से बात कर लेनी चाहिए, इधर रेखा इस बात से दुखी थी की उसकी परेसानी और उसका उपचार सूरज को पता चल चूका है, और आज नर्स ने सूरज से रेजर और ब्लेड भी मंगवाया, क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में, तभी सूरज खामोशी तोड़ता है ।
सूरज-"माँ अब आपकी तबियत कैसी है?" रेखा अपनी सोच से बाहर निकलती है और सूरज की ओर देखते हुए बोली ।
रेखा-"मुझे क्या हुआ,में तो ठीक हूँ" रेखा हडबाड़ाती हुई बोली,
सूरज-"माँ आप बेहोश हो गई थी, में बहुत डर गया था"
रेखा-" पता नहीं में कैसे बेहोश हो गई,लेकिन अब में ठीक हूँ बेटा" रेखा हँसते हुए बोली ।
सूरज-" डॉक्टर के कहे अनुसार सभी दवाई समय से लेना माँ" सूरज खुल कर नहीं बोल पाता है इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से अपनी बात कहता है,जिसे रेखा भलीं भांत समझ रही थी।
रेखा-" हाँ में दवाई समय से खाती रहूंगी" रेखा सर झुका कर अपनी बात कहती है ।
सूरज-" माँ सब ठीक हो जाएगा,आप परेसान मत होना,में सब ठीक कर दूंगा" सूरज की यह बात सुनकर रेखा असमंजस में पड़ जाती है,और प्रश्नवाचक की तरह सूरज की ओर देखने लगती है।
रेखा-" मतलब समझी नहीं में सूरज"
सूरज-"कुछ नहीं माँ" सूरज बात को टाल ते हुए बोला।
रेखा-" सूरज कोई बात हो तो बोल,डॉक्टर ने क्या कहा तुझसे, मुझे कोई गंभीर बिमारी है क्या"रेखा परेसान मुद्रा में बोली ।
सूरज-"न नही माँ,आपको कोई बीमारी नहीं है,आप ठीक हो"सूरज एक सांस बोलता है,लेकिन सूरज की हकलाहट रेखा को पुनः सोचने पर मजबूर कर रही थी,उसे डर था की कहीं डॉक्टर ने मेरी हस्तमैथुन और शारीरिक सम्भोग को लेकर कोई बात तो नहीं बता दी है सूरज को।
रेखा-" डॉक्टर ने तुझे क्या बताया मेरे बारे में,क्या परेसानी है मुझे" रेखा जानबूझ कर यह सवाल पूछती है,वो जानना चाहती थी की डॉक्टर ने उसे क्या बताया है,अब भला सूरज क्या बोलता अपनी माँ को, सूरज को बहुत शर्म आ रही थी।
सूरज-" डॉक्टर ने कहा की आप जल्दी ठीक हो जाओगी,बस आप अपना ध्यान रखना,दवाई समय से लेते रहना"सूरज की बात सुनकर रेखा को यकीन हो जाता है की शायद डॉक्टर ने मेरी बिमारी के बारे में सूरज को कुछ नहीं बताया है।
रेखा-"सूरज तुझसे एक बात करनी थी मुझे"
सूरज-"हाँ माँ बोलो"
रेखा-"पूनम की शादी के लिए कोई लड़का देख ले,उसकी उम्र हो गई है"
सूरज-"हाँ माँ, में कोई अच्छा सा लडका देखूंगा"
रेखा-" तू जिस कंपनी में काम करता है उसी में देख ले" सूरज सोचता है की माँ को अचानक दीदी की शादी की इतनी फ़िक्र क्यूँ पड़ गई,कहीं माँ ने आज सुबह मेरी और दीदी की चुदाई तो नहीं देख ली।
सूरज-" माँ अचानक शादी की इतनी फ़िक्र क्यूँ हो गई आपको,कोई बात है क्या" रेखा अब कैसे बताती की तेरी बहन ऊँगली से अपनी हवस शांत करती है ।
रेखा-"बात कुछ नहीं है बेटा, हर माँ को फ़िक्र होती है अपनी बेटी की, मुझे भी है"
सूरज-"ठीक है माँ,में लड़का देखूंगा जल्द"
रेखा-"अगर दो लड़के मिल जाए तो मे तनु की भी जल्द शादी कर दूंगी"
सूरज-"ठीक है माँ,में जल्दी ही लड़का देख लूंगा" सूरज बेचारा मायूस हो जाता है।
रेखा-"तेरे पिता होते तो अब तक शादी कर दी होती" माँ मायूस होते हुए बोली।
सूरज-"माँ आपको पापा की याद आती है"
रेखा-" आती भी है तो उससे क्या फर्क पड़ता है सूरज,जो इंसान है ही नहीं उसके बारे में क्या सोचना"रेखा उदास होती हुई बोली।
सूरज-" सॉरी माँ मैंने आपका दिल दुखाया" बात करते करते घर आ जाता है, पूनम और तनु दोनों खुश होकर रेखा को गले लगा लेती है ।
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Rohit Kapoor
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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रेखा के ठीक हो जाने से पूनम और तनु बहुत खुश थी,रात के समय पूनम सूरज के कमरे में आती है ।
सूरज-"अरे दीदी आप,अभी तक सोई नहीं" पूनम सूरज के पास आकर बैठ जाती है ।
पूनम-"सूरज डॉक्टर ने क्या बताया,माँ बेहोश क्यूँ हो गई थी" पुनम आते ही सूरज से सवालो की झड़ी लगा देती है। सूरज पूनम को सारी बात बता देता है,की माँ की नसों में पानी जम गया है,जिसे शारीरिक सम्भोग या हस्तमैथुन के जरिए निकाला जा सकता है, पूनम यह बात सुनकर चोंक जाती है।
पूनम-"सूरज क्यूँ न पापा को बुला लिया जाए,इस समय माँ को पापा की सख्त आवश्यकता है" पूनम की बात सूरज को सही लगती है।
सूरज-" दीदी में पापा से बात करू फोन से" सूराज जैसे ही यह बोलता है,तनु कमरे में आ जाती है। तनु सूरज की बात सुन लेती है ।
तनु-"सूरज किससे बात करने की कह रहा है तू"
सूरज-"अरे दीदी आप"
तनु-"माँ को क्या हुआ था यही पूछने आई में,पर तू कौनसे पापा की बात कर रहा है"
पूनम-'तनु हमारे पापा जिन्दा है अभी तक" तनु जैसे ही ये बात सुनती है तो सुन्न रह जाती है ।
तनु-"सूरज क्या ये सही बात है,कहाँ है वो,और हमसे मिलने क्यूँ नहीं आए अब तक?" सूरज तनु को पूरी सच्चाई बता देता है,सूर्या से लेकर संध्या माँ और अमेरिका में पापा से मिलना,तनु यह सब सुनकर हैरान रह जाती है और सूरज को गले लगा कर रोने लगती है,पूनम प्यार से चुप करबाती है।
तनु-"सूरज मुझे पापा से बात करनी है" सूरज वीडियो कोल करता है ।

बीपी सिंह-"हेलो बेटा कैसे हो"
सूरज-"पापा में ठीक हूँ,आप कैसे हो"
पापा-"में ठीक हूँ बेटा, रेखा कैसी है,और पूनम और तनु कैसी हैं"
सूरज-"सब ठीक है पापा, पूनम और तनु दीदी आपसे बात करना चाहती हैं" सूरज पूनम और तनु को अपने पास बुला कर मोबाइल के कैमरे के पास आता है, पूनम और तनु रोने लगती है अपने पिता को देख कर,पापा भी रोने लगते हैं,कई वर्षो बाद आज अपने पिता को देखा था।
पूनम-"पापा घर आ जाओ"
पापा-"बस बेटा जल्दी ही आऊंगा,मुझे सब की बहुत याद आ रही है, तुम्हारी माँ कैसी है"
तनु-"पापा माँ ठीक नहीं है,आज माँ बेहोस हो गई थी" बीपी सिंह यह सुनकर डर जाता है।
पापा-"क्या हुआ उसे"
सूरज-"कुछ नहीं हुआ है पापा, माँ ठीक है"
पापा-"बेटा अपनी माँ से मेरी बात करवा दे, रेखा को एक बार देखना चाहता हूँ"
सूरज-"पापा मैंने माँ को अभी तक बताया नहीं है आपके बारें में"
पापा-" तू अपनी माँ से बात कर,फिर मेरी बात करबा देना"
सूरज-"ठीक है पापा, में माँ से बात करूँगा" सूरज फोन काट देता है, पूनम और तनु भी चाहती थी की अब माँ को सब बता देना चाहिए,इसलिए हम तीनो लोग माँ के कमरे में गए, माँ अपने कमरे में बैठी टीवी देख रही थी, हम तीनो लोग कमरे में गए।
रेखा-" अरे बेटा तुम सोए नहीं अभी तक"रेखा तीनो को एक साथ देख कर बोली ।
सूरज-"आपसे बात करनी थी मुझे" रेखा हैरत से सूरज को देखती है ।
रेखा-"हाँ बेटा बोल क्या बात है"
सूरज-"पापा जिन्दा है" रेखा यह बात सुनकर स्तब्ध रह जाती है ।
रेखा-"तू पागल तो नहीं हो गया है" रेखा गुस्से से बोली ।
पूनम-"माँ सूरज सही कह रहा है पापा जिन्दा है"
सूरज-" में पापा से मिल चूका हूँ" सूरज सुरु से लेकर एन्ड तक पूरी कहानी सुनाता है,जिसे सुनकर रेखा रोने लगती है ।
सूरज अपने मोबाइल से पापा को वीडियो कॉल कर देता है, और रेखा को फोन देता है, अपने पति को देख कर रेखा रोने लगती है,बीपी सिंह भी रोने लगता है ।
बीपी सिंह-"रेखा मुझे माफ़ कर देना मुझे,तुझे बिना बताए मैंने संध्या से शादी की,मेरी मजबूरियां थी"
रेखा-" आप घर आ जाइए, में आपसे नाराज़ नहीं हूँ"रेखा रोते हुए इतना ही बोल पाई, काफी देर तक दोनों लोग गिला शिकवा करते हैं। आज पूरा परिवार खुश था, रेखा सारी सच्चाई जानकार सूरज को गले लगा लेती है ।
रेखा-" तू बाकई में हीरो है सूरज,मुझे नाज़ है तुझ पर" रात काफी हो चुकी थी,इसलिए आज सब लोग रेखा के साथ ही बेड पर सो जाते हैं ।
सुबह 6 बजे रेखा की आँख खुलती है,आज रेखा बहुत खुश थी, रेखा सबको जगाती है,पूनम और तनु उठकर फ्रेस होने चले जाते हैं लेकिन सूरज अभी भी सोया हुआ था। रेखा सूरज के पास बैठ कर प्यार से उसके सर पर हाँथ फिराती है। रेखा को आज बड़ा प्यार आ रहा था सूरज पर,चूँकि आज जो खुशियाँ उसे मिली थी बह सब सूरज के कारण ही थी । रेखा झुक कर सूरज के माथे पर किस्स करती है । तभी रेखा का मोबाइल बजता है,रेखा फोन उठाकर देखती है तो खुश हो जाती है चूँकि फोन बीपी सिंह का था,रेखा फोन उठा कर बात करने लगती है। फोन की घंटी बजने के कारण सूरज जग चूका था लेकिन आलस्य के कारण लेटा रहा।
बीपी सिंह-"हेलो रेखा कैसी हो"
रेखा-"में ठीक हूँ,आप कैसे हो"
बीपी सिंह-" में भी ठीक हूँ रेखा,आज तेरी बहुत याद आ रही है,मन कर रहा है अब तेरे पास आ जाऊं"
रेखा-"रोका किसने है आपको,आ जाओ"
बीपी सिंह-" बस कुछ दिन की परेसानी है,में अकेला ही दो कंपनी संभाल रहा हूँ,जल्दी ही सूरज को को सारी जिम्मेदारी दे दूंगा,उसके बाद में हमेसा तुम्हारे साथ रहूँगा"
रेखा-" आपको कितना समय लग जाएगा आने में"
बीपी सिंह-" बस 10-15 दिन लग सकते हैं,रेखा कल तुम बेहोस क्यूँ हो गई थी,डॉक्टर ने कि बताया तुम्हे,अगर कोई परेसानी हो तो अमेरिका आ जाओ,यहाँ अच्छे डॉक्टर को दिखा दूंगा"
रेखा-"मेरी परेसानी डॉक्टर से ठीक नहीं होगी"
बीपी सिंह-"मतलब ? क्या बताया डॉक्टर ने" रेखा सारी बात बता देती है,जिसे सुनकर बीपी सिंह भी हैरान रह जाता है,इधर सूरज भी माँ की बातें सुन लेता है।
बीपी सिंह-" ओह्ह्ह यह तो बहुत बड़ी परेसानी है,तुम वैसा ही करो जैसा डॉक्टर ने बोला है"
रेखा-"हाँ वही करुँगी" इस प्रकार काफी देर बात करने के बाद रेखा फोन काट देती है ।
फोन काटने के बाद सूरज उठकर फ्रेस होने चला जाता है, रेखा कमरे का दरबाजा बंद करके मेक्सी उतार देती है,और जैल क्रीम निकाल कर अपनी योनी की मालिस करती है, मालिस करते समय कई बार रेखा की ऊँगली योनी और क्लिट से टकरा जाती है । रेखा उत्तेजित हो जाती थी,लेकिन योनी से पानी नहीं निकलता था।
इस प्रकार तीन दिन निकल जाते हैं, रेखा पुरे दिन बीपी सिंह से बात करती,और समय निकाल कर अपनी योनी की मालिस करती,रेखा को अब योनी सहलाने में मजा आने लगा था । इधर सूरज संध्या के पास चला जाता है,संध्या और तान्या की दो दिन तक धमाकेदार चुदाई करता है । सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, रेखा भी आजकल बहुत खुश रहने लगी थी, रेखा अब चुदाई के बारे में सोचने लगी थी, कई बार रेखा फोन पर बीपी सिंह को बोल भी चुकी थी,की यदि आप होते तो मेरी बिमारी का ईलाज अच्छे से हो जाता, बीपी सिंह भी रेखा की इच्छा को भली भाँती से समझ जाता था और हस कर बात टाल देता था क्योंकि बीपी सिंह को शुगर और हार्ट की प्रॉब्लम थी जिसके कारण वो सेक्स नहीं कर सकता था,यह बात बीपी सिंह ने रेखा को नहीं बताई थी । बीपी सिंह अपनी इस परेसानी को लेकर चिंतित था उधर रेखा शारीरिक सम्भोग के सपने देखने लगी थी ।

एक दिन सुबह के समय हम सब बैठ कर खाना खा रहे थे । रेखा के चेहरे पर मुस्कराहट थी,तनु और पूनम अपनी माँ को खुश देख कर बहुत ख़ुशी महसूस करती हैं । माँ की मुस्कराहट उन्हें चेहरे पर निखार बन कर चार चाँद लगा रही थी ।
तनु-"माँ क्या बात है आजकल आप बहुत खुश हो"
पूनम-" पापा आने वाले हैं न इसलिए"यह सुनकर रेखा शर्मा जाती है । और साथ में मुझे भी बहुत शर्म आती है ।
रेखा-"चुप रहो तुम दोनों,कुछ भी बोलती रहती हो"
सूरज-"माँ पापा सच में आ रहे हैं"
रेखा-"कह तो रहे हैं,10 दिन बाद आने के लिए,यदी नहीं आए तो मुझे जाना पड़ेगा अमेरिका"यह सुनकर पूनम और तनु खुश हो जाती हैं।
तनु-"ओह्ह्ह माँ आप अमेरिका जाओगी,यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है" तनु हँसते हुए बोली।
पूनम-"माँ आप अमेरिका किसके साथ जाओगी"
रेखा-"सूरज के साथ,अगर तेरे पापा नहीं आए तो जाउंगी"
तनु-"माँ फिर तो आप अपने लिए अच्छी अच्छी ड्रेस खरीद लो, अब आप सफ़ेद साड़ियां मत पहना करो"
पूनम-"हाँ माँ तनु ठीक कह रही है"
रेखा-"सोच तो में भी रही हूँ आज कपडे खरीद लू और एक बार डॉक्टर से भी मिल आऊँ,डॉक्टर ने आज आने के लिए भी बोला था"
पूनम-" माँ आप सूरज के साथ चली जाओ"
सूरज-"हाँ माँ आप तैयार हो जाओ" रेखा अपने कमरे में जाकर तैयार होकर आ जाती है ।
सूरज गाडी निकालता है,रेखा बगल बाली सीट पर बैठ जाती है, सूरज गाडी दौड़ा देता है ।
सूरज-"माँ अब आपकी तबियत कैसी है?"
रेखा-"ठीक है,पहले से आराम है"
सूरज-" माँ आपने यह अच्छा फैसला लिया है पापा के पास जाने का"सूरज की इस बात पर रेखा सोचने लगती है, कहीं सूरज को पता तो नहीं चल गया की में क्यूँ जाना चाहती हूँ अमेरिका ।
रेखा-" अच्छा!""हसते हुए बोली।
सूरज-"माँ आप खुश रहती हो तो अच्छा लगता है"
रेखा-"यह ख़ुशी तेरे कारण ही मिली है,गाँव में तो जिंदगी नर्क सी लगती थी,आज ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में हूँ"
सूरज-" माँ वो बुरा वक़्त था,लेकिन अब हमेसा खुशियाँ ही आएगी"
रेखा-"सूरज मेरी एक इच्छा है,पूरी करेगा?" रेखा सिरिअस होकर बोली,सूरज भी उत्सुकता के साथ बोला ।
सूरज-"हाँ माँ बोलो,में आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा" रेखा सोचती हुई बोली ।
रेखा-"मुझे एक बार गाँव देखना है,ले चलेगा मुझे गाँव" सूरज यह सुनकर चोंकते हुए अपनी माँ को देखता है ।
सूरज-"कब चलना है गाँव?"
रेखा-"कभी भी जब तेरे पास समय हो"
सूरज-"आज चलें?" रेखा चोंक जाती है।
रेखा-"अभी"
सूरज-"नहीं रात में 10 बजे निकलते हैं,सुबह 6 बजे पहुँच जाएंगे"
रेखा-"ठीक है,आज रात में ही निकलते हैं"
सूरज-" पूनम और तनु दीदी को भी लेकर चलें?"
रेखा-"नहीं सिर्फ हम दोंनो,पूनम और तनु को ले जाना ठीक नहीं है,चौधरी का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ होगा"
सूरज-"ठीक है माँ,हम दोनो ही चलते हैं" सूरज गाडी रोकता है मॉल के सामने, दोनों लोग मॉल में एक कपडे की दुकान पर जाते हैं। रेखा चार पांच साड़ियां और बाजू कट बाले ब्लाउज खरीदती है और साथ में पेटीकोट भी ।
सूरज-"माँ ये क्या आपने तो सिर्फ साड़ियां ही खरीदी हैं,अमेरिका बाले आपको देखकर हसेंगे,अच्छी सी ड्रेस ले लो" रेखा यह सुनकर सोच में पड़ जाती है ।
रेखा-"मैंने तो आज तक सिर्फ साड़ियां ही पहनी है,क्या अमेरिका में साडी नही पहनते हैं? फिर क्या खरीदू सूरज,तू ही बता" सूरज रेखा को ड्रेस बाली शॉप पर लेकर जाता है । और तीन चार तरह की फेसनेवल ड्रेस रेखा को दिलबाता है,और ओवरकोट जैसी,ब्लेजर भी खरीदता है, रेखा तो ड्रेस देख कर दंग रह जाती है की वो उन्हें पहनेगी कैसे,
रेखा-"सूरज यह ड्रेस तो बिलकुल मेक्सी जैसी हैं,इन्हें कैसे पहनूगी"
सूरज-'माँ अमेरिका में तो इससे भी ज्यादा फेसनेवल कपडे पहनती हैं,ये तो फिर भी ठीक हैं" रेखा को बड़ा अजीब सा लग रहा था,ऐसी मोर्डन ड्रेस देख कर,लेकिन सूरज की बात मान लेती है,क्योंकि वो खुद चाहती थी अपने पति के सामने एक मोर्डन पत्नी बन कर रहें,चुकीं अमेरिका के माहोल और संस्कृति में यदि वो साडी पहनेगी तो शायद वहां के लोग मजाक न बनाए।
रेखा ड्रेस खरीद लेती है,सूरज रेखा के दो नायटी भी खरीद कर देता है,जो काफी हॉट थी, रेखा काफी शर्म महसूस कर रही थी । काफी कपडे खरीदनेके बाद रेखा ब्रा और पेंटी भी खरीदना चाहती थी लेकिन सूरज के कारण खरीद नहीं पा रही थी,लेकिन सूरज को पता थी की माँ ब्रा पेंटी जरूर खरीदेंगी इसलिए सूरज थोड़ी देर के लिए बाहर जाने का बहाना मार कर मॉल की दूसरी जगह जा कर खड़ा हो जाता है, जहाँ से सूरज माँ को देख सकता था लेकिन रेखा सूरज को नहीं देख सकती थी, रेखा ब्रा पेंटी की शॉप पर जाकर दो पेंटी और ब्रा लेती है, ब्रा पेंटी को बेग में रख कर शॉप के बाहर खड़ी सूरज का इंतज़ार करने लगती है। सूरज तुरंत रेखा के पास पहुँच जाता है ।
रेखा-"कहाँ था सूरज, अब चलें" कहीं न कहीं रेखा को समझ आ जाती है की सूरज ब्रा पेंटी की बजह से चला गया था,ताकि में निसंकोच खरीद सकूँ। सूरज की समझदारी देख कर रेखा मन ही मन खुश थी ।
सूरज-"हाँ माँ चलो" सूरज और रेखा जैसे ही आगे बढे, एक सेल्स गर्ल भागती हुई रेखा के पास आई,और रेखा को आवाज़ दी।
सेल्स गर्ल-" हेलो मेडम सुनिए" रेखा और सूरज रुक जाते हैं,रेखा घबरा जाती है चुकीं यह बही सेल्स गर्ल थी जिससे उसने अभी ब्रा पेंटी ली। सेल्स गर्ल पास आकर बोली ।
सेल्स गर्ल-" मेडम आपने ब्रा और पेंटी का पेमेंट नहीं किया" सेल्स गर्ल जैसे ही बोलती है,रेखा शर्म से पानी पानी हो जाती है,सूरज भी शर्मा जाता है,
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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रेखा-"सॉरी में भूल गई"रेखा शर्म के कारण अपनी गलती क़बूल करते हुए आराम से बोली। सेल्स गर्ल रेखा और सूरज को साथ ले जाती है पेमेंट काउंटर पर ।सूरज जेब से क्रेडिट कार्ड निकालता है, पेमेंट काउंटर पर सेल्स गर्ल ब्रा और पेंटी का मूल्य बोलती है।
सेल्स गर्ल-"दो ब्रा 36 साइज़ की और दो पेंटी 40D साइज़ की,एक हज़ार रुपये हुए सर"सूरज अपनी माँ का साइज़ सुन कर शर्म से पानी पानी हो जाता है,लेकिन रेखा अपनी ब्रा का साइज़ सुनकर चोंक जाती है चूँकि उसने 38 साइज़ की ब्रा मांगी थी, रेखा विवस होकर बिना शर्म किए मजबूरन सेल्स गर्ल को बीच में रोकती हुई बोली।
रेखा-" सुनिए मैंने 38 साइज़ माँगा था,आप 36 साइज़ बोल रही हैं" रेखा हिम्मत करके सूरज की मौजूदगी में बोलती है,और खुद शर्मिंदगी महसूस करने लगती है,इधर सूरज जब अपनी माँ की ब्रा का साइज़ सुनता है तो खुद मन में माँ के बूब्स याद आ जाते हैं जब उसने अपनी माँ को बाथरूम में बेहोसी की हालात में नग्न देखा था,सूरज को झटका लगता है,और अपनी सोच को धिक्कारता है ।
सेल्स गर्ल-"सॉरी मेंडम शायद मैंने भूल से 36 साइज़ की ब्रा दे दी,में एक बार कन्फर्म कर लेती हूँ,आप ब्रा दिखाइए" सूरज की की मौजूदगी में रेखा भी शर्म महसूस करते हुए ब्रा निकाल कर सेल्स गर्ल को देती है, सेल्स गर्ल ब्रा का पैकेट खोल कर निकालती है, सूरज एक आँख से ब्रा देखने लगता है, एक पिंक ब्रा और एक सफ़ेद ब्रा थी,जो साधारण औरते पहनती है,उन पर फूल पत्तियों की डिजाइन बनी हुई थी । सेल्स गर्ल ब्रा का साइज़ देखती है जिस पर 36 साइज़ ही लिखा था।
सेल्स गर्ल-" आपने सही बोला मेडम,दोनों ब्रा 36 की हैं,सॉरी मेडम में अभी 38 साइज़ की ब्रा लेकर आती हूँ" सेल्स गर्ल दोनों ब्रा ले जाती है,10 मिनट बाद ब्रा के तीन चार डिब्बा उठा कर रखती हुई बोली । ऐसा लग रहा था जैसे ब्रा की पूरी दूकान ही उठा लाई हो, रेखा ये देख कर हैरान थी,38 साइज़ की दो ब्रा लाने के बजाए तीन चार डिब्बा लाने की क्या आवश्यकता थी । सूरज और रेखा को एक के बाद एक झटका लग रहा था ।
सेल्स-" सॉरी मेडम, आपने जिस डिजाइन की ब्रा मांगी थी,उसमे 38 साइज़ की ब्रा ख़त्म हो गई हैं, में आपको 38 साइज़ में लेटेस्ट और न्यू ब्रांड की ब्रा दिखा देती हूँ" सेल्स गर्ल एक डिब्बा खोलती है जिसमे न्यू शार्ट ब्रा थी,जिनके कप बहुत छोटे थे, रेखा ऐसी ब्रा देख कर दंग रह जाती है,इस प्रकार की ब्रा उसने आज तक नहीं पहनी, सेल्स गर्ल दूसरी ब्रा दिखाती है जिसके कप जालीदार कपडे के थे ।
रेखा शर्म के कारण कुछ भी बोल नहीं पा रही थी।
सेल्स गर्ल-"मेडम ये जाली बाली ब्रा ले लीजिए,ये बहुत आरामदायक होती हैं, इनकी लास्टिक बहुत मजबूत होती है" सूरज ब्रा देख कर कल्पना करने लगता है, लेकिन तभी सूरज को याद आता है की ये मेरी माँ है । रेखा बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी इसलिए जल्दी से बोलती है ।
रेखा-" आप कोई भी दे दो,जल्दी करो प्लीज़" सेल्स गर्ल दो ब्रा पैक कर देती है, रेखा और सूरज को शान्ति मिलती है लेकिन तभी सेल्स गर्ल एक डिब्बा खोलती हुई बोली, जिसमे लेटेस्ट पेंटी थी,एक पेंटी दिखाती हुई बोली।
सेल्स गर्ल-" मेडम इन दोनों ब्रा के साथ यह पेंटी भी हैं" रेखा पेंटी देखती है,तो हैरान रह जाती है,पेंटी पूरी लास्टिक की थी,सिर्फ चूत बाले स्थान पर हलकी जाली लगी हुई थी,हॉट पेंटी को देख कर सूरज का मन विवस होकर कल्पना करने लगता है,और उसका लंड में सुरसुराहट सी होने लगती है। सूरज के मन और लंड में संघर्ष होने लगता है ।
सूरज दूसरी तरफ मुह कर लेता है,रेखा समझ जाती है सूरज शर्मिंदगी महसूस कर रहा था ।
रेखा-"आप दे दीजिए" सेल्स गर्ल ब्रा और पेंटी पैक करके दे देती है। पेमेंट गर्ल क्रेडिट कार्ड से पैसे काट कर क्रेडिट कॉर्ड सूरज को दे देती है । रेखा और सूरज तुरंत मॉल से निकल आते हैं, ऐसा लग रहा था जैसे कोई चुड़ैल उनके पीछे लग गई हो ।
रेखा सूरज की तरफ देखती है,सूरज के चेहरे पर शर्म के भाव थे, सूरज रेखा की तरफ देखता तो रेखा भी शर्म से नज़रे झुका लेती है। मॉल के बाहर निकलते ही सूरज को एक जनरल स्टोर की शॉप दिखाई देती है।
सूरज-"माँ और कुछ खरीदना है क्या" सूरज खामोशी तोड़ते हुए बोला।
रेखा-"हाँ सूरज,थोडा मेकअप का सामन खरीदना है" सूरज उस जनरल शॉप पर ले जाता है और मेकअप का सारा सामन खरीद लेता है। रेखा ने कई सालो बाद आज मेकअप का सामन ख़रीदा था,चूँकि वो अब तक एक विधवा के रूप में जीती आई थी,आज वो पुनः अपने आपको एक सुहागन मेहसुस कर रही थी । सूरज शॉप से बाहर निकलता है तो सामने एक ज्वेलरी की शॉप दिखाई देती है । सूरज रेखा को उस शॉप में लेकर जाता है,रेखा हैरत से सूरज को देखती है ।
ज्वेलरी की शॉप पर आकर सूरज सोने का एक हार,अंगूठी,और चूड़ियाँ आर्डर करता है, रेखा तो हैरान थी ।
रेखा-"सूरज ये क्या कर रहा है तू,ये तो बहुत महंगे होंगे" सूरज हसते हुए अपनी माँ को देखता है ।
सूरज-" माँ आप अब पैसो की क्यूँ चिंता करती हो, अब आप अरबो रुपए की मालकिन हो, पापा ने मेरे बैंक खाते में करोडो रुपए डाले है, अब हम गरीब नहीं रहे माँ, अब आप दुनियां के सभी शौक पुरे कर सकती हो" रेखा यह सुनकर खुश होती है।
सूरज रेखा के लिए गहने खरीद लेता है,यदि रेखा यदि उन गहने को पहने तो रानी लगे। सूरज और रेखा सारा सामान गाडी में रखते हैं।
रेखा-"बेटा अब डॉक्टर के यहाँ चले या और भी कुछ बाकी रह गया है"रेखा हसते हुए बोली, लेकिन सूरज कुछ सोच रहा था। सामने उसे ब्यूटी पार्लर दिखाई देता है, सूरज रेखा को लेकर ब्यूटी पार्लर जाता है।
रेखा-"बेटा ये कौनसी दूकान है,यहाँ से क्या खरीदना है?" रेखा को नहीं पता था,ब्यूटी पार्लर में क्या होता है ।
सूरज-"माँ एक बार चलो तो अंदर, वो जैसा कहें वैसा करवाते रहना" सूरज अंदर जाकर ब्यूटीशियन से बोल देता है,की फेसियल,आई ब्रो, और हेयर कटिंग करो।
ब्यूटीशियन रेखा की फेसियल करती है और आई ब्रो बनाती है,रेखा मासूम बच्ची की तरह बैठी यह सब करबाती रहती है, फेसियल और आई ब्रो करने के उपरान्त ब्यूटीशियन रेखा के बाल सेट करती है।
ब्यूटीशियन-"मेडम शीशे में देखिए,अपने आपको"रेखा जैसे ही शीशे में अपने आपको देखती है तो हैरान रह जाती है, रेखा नई लड़कियों को भी मात दे रही थी,ऐसा लग रहा था जैसे किसी कॉलेज की प्रोफ़ेसर हो।
रेखा-" थेंक्स" इतना कह कर रेखा जैसे ही बाहर आती है,सूरज अपनी माँ को देखता रहता है, उसे यकीन नहीं हो रहा था की ये माँ है मेरी, ऐसा लग रहा था जैसे पूनम की बड़ी बहन हो। रेखा खुद सूरज को देख कर शर्मा जाती है ।
सूरज-"woww माँ आप तो बहुत सुन्दर लग रही हो" रेखा शरमा जाती है ।
रेखा-"सूरज ये सब किसलिए किया"
सूरज-"माँ अब आप शादी शुदा हो,अब आप पर वो कपडे और गहने बहुत अच्छे लगेंगे,देखना पापा के तो होश उड़ जाएंगे" सूरज की इस बात पर रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"बस कर बेटा" रेखा मुस्कराती हुई नज़रे झुका लेती है शर्म से।
सूरज-" माँ आप शरमाते हुए और भी सुन्दर लगती हो" रेखा नज़रे उठाकर सूरज की और देखती है।
रेखा-"आज मुझे जितनी शर्म आई है उतनी तो कभी नहीं आई"रेखा शरमाते हुए बोली। सूरज समझ जाता है माँ का इशारा ब्रा और पेंटी बाली घटना से था ।
सूरज-" कोई बात नहीं माँ,ऐसा हो जाता है कभी कभी,सभी सेल्स गर्ल होती ही ऐसी हैं" सूरज नज़रे झुका कर बोला।
रेखा-"तेरे सामने इस तरह उन कपड़ो को नहीं दिखाना चाहिए था" रेखा ब्रा और पेंटी को कपडा कह कर संबोधित करती है ।
सूरज-"जो होता है अच्छे के लिए ही होता है माँ"
रेखा-"मतलब समझी नहीं में" रेखा सूरज की बात का मतलब नहीं समझ पा रही थी।
सूरज-" व् व् वो माँ अगर सेल्स गर्ल आपको बुलाती नहीं तो 38 की जगह 36 पहनना पड़ता आपको" सूरज हिम्मत करके बोलता है,रेखा सूरज की इस बात को सुनकर शर्म से पानी पानी हो जाती है। और इस टॉपिक को ख़त्म करने के लिए बोलती है।
रेखा-"सूरज अब जल्दी चल डॉक्टर के पास भी जाना है" सूरज और रेखा गाडी में बैठ कर हॉस्पिटल पहुँच जाते हैं। रेखा डॉक्टर की केबिन में जाती है, सूरज बाहर खड़ा रहता है ।
डाक्टर-"आपने मालिस की तीनो समय?"
रेखा-"हाँ"
डॉक्टर-" अपने कपडे ऊपर करके अपनी योनी दिखाओ" रेखा अपना पेटीकोट ऊपर करके पेंटी उतार देती है,डॉक्टर ऊँगली से योनि देखने लगती है।
डाक्टर-" पहले से आपकी योनी ठीक लग रही है,आज और मालिस कर लो,कल से हस्तमैथुन करना तेल लगा कर" डॉक्टर रेखा की योनी में छोटी ऊँगली डालकर देखती है,तो उसे हलकी नमी दिखाई देती है ।
रेखा-"डॉक्टर में सेक्स करना चाहती हूँ,मेरे पति 10 दिन बाद आ रहें हैं"
डॉक्टर-"यह तो बहुत अच्छी बात है,लेकिन 10 दिन बाद आ रहें हैं तब तक आप,ऊँगली से करो,में आपको दवाई देती हूँ,सुबह शाम टेबलेट खाती रहना,और आज रात में मसाज जरूर कर लेना" रेखा कपडे ठीक करके बाहर जाने लगती है।
डॉक्टर-" मेडम पांच मिनट रुकिए,में नर्स से दवाई भेजती हूँ आपकी बाली"
रेखा-"ठीक है डॉक्टर,में बाहर बैठी हूँ" रेखा बाहर आकर सूरज के पास आती है, रेखा को बहुत तेज पिसाब लगी थी,इसलिए रेखा इधर उधर टॉयलेट देख रही थी । तभी उसे दूर टॉयलेट दिखाई देता है।
रेखा-"सूरज तू बैठ में अभी आई" जैसे ही रेखा जाती है,तभी नर्स सूरज के पास आकर टेबलेट देती है।
नर्स-"ये लीजिए रेखा जी की दवाई, मसाज करने से 20 मिनट पहले खिलानी है,इसे खा कर थोडा सा नशा हो जाएगा,मसाज करने के उपरान्त नींद आ जाएगी" सूरज तो भौचक्का रह गया यह सुनकर। नर्स चली जाती है, सूरज सोचता है की अब में माँ को कैसे बताऊंगा यह बात, तभी रेखा आ जाती है।
सूरज-'माँ बो नर्स ये टेबलेट दे गई हैं"
रेखा-"अच्छा ला दे मुझे, लेकिन यह खानी कब है मुझे?" रेखा के इस प्र्शन से सूरज घबरा जाता है, सूरज किसे बताता अपनी माँ को की खाने के बीस मिनट बाद मसाज करनी है ।
सूरज-'माँ आप जाकर डॉक्टर से पूछ लो, मे यहीं बैठा हूँ"
रेखा-"हाँ में पूछ कर आती हूँ,तू रुक" रेखा डॉक्टर की केबिन में जाती है,
रेखा-" डॉक्टर यह टेबलेट कब खानी है" रेखा के इतना बोलते ही नर्स बोल पड़ती है,।
नर्स-"अरे अभी बताया तो था उस लड़के को,योनी की मसाज करने से 20 मिनट पहले खानी है,इसको खाने के बाद थोडा सेक्स का नशा चढ़ेगा आपको,मसाज या ऊँगली के बाद नींद आ जाएगी" जैसे ही रेखा यह सुनती है की तो उसे झटका लगता है की नर्स ने सूरज को बता दिया दवाई कैसे खानी है। रेखा एक बार फिर शर्मसार हो जाती है खुद की नज़रों में, रेखा समझ जाती है की सूरज ने खुद शर्म के कारण मुझे नहीं बताया इसलिए उसने डॉक्टर से पूछने के लिए मुझे भेजा । रेखा बाहर निकल कर आती है, आज दिन भर की घटना चक्र को सोच कर उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, सूरज से नज़रे नहीं मिला पा रही थी । सूरज भी समझ जाता है। दोनों लोग घर आ जाते हैं।
पूनम और तनु रेखा की खूबसूरती देख कर हैरान रह जाती है। सूरज अपने कमरे में जाकर आज की सभी घटना केबारे में सोचता है। सोचते सोचते सूरज का लंड खड़ा हो जाता है,मसाज की बात सुन कर, सूरज ध्यान हटाने का प्रयत्न करता है और सो जाता है। शाम को 8 बजे नींद खुलती है । पूनम उसे जगाने आई थी।
पूनम-"सूरज उठ जा, आज तुझे माँ के साथ गाँव जाना है, माँ पूछ रही है, गांव जाएगा?" सूरज को याद आता है की आज रात में गाँव जाने का उसने वादा किया था ।
सूरज-"हाँ दीदी जाना है गाँव, माँ से कह दो,10 बजे" सूरज फ्रेस होकर नीचे जाता है।
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Re: जीवन एक संघर्ष है

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दो अपडेट एक में गुड job
@V@
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