लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

Post Reply
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

भैया – वैसे मुझे तो कोई प्राब्लम नही है.. अगर कामिनी रुकना चाहे तो भाभी के आने तक रुक सकती है.. लेकिन क्या वो अकेली घर संभाल पाएगी..?

मोहिनी भाभी – रामा तो है ना…यहाँ पर.. उसके साथ…!

भैया ने कामिनी भाभी की तरफ देखा – तुम क्या कहती हो कामिनी.. रुक सकती हो…!

वो तो चाहती भी यही थी, सो तपाक से बोली – अब दीदी चली जाएँगी तो मुझे तो रुकना ही होगा.. मेरा भी घर है, मे नही सोचूँगी तो और कॉन सोचेगा…

दीदी ने इस घर के लिए इतने साल न्युचचबर कर दिए.. अब वो अपने घर की खुशी में शामिल होने जा रही हैं.. तो मेरा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है.. कि उनके बाद घर की देखभाल करूँ…

भैया – ठीक है… ठीक है… बाबा… मेने तो बस पूछा ही था.. तुमने तो पूरा भाषण ही दे डाला…

वैसे अपने घर के प्रति तुम्हारी संवेदन शीलता देख कर अच्छा लगा.. है ना बाबूजी..

पिताजी बस मुस्काराकर रह गये… और कामिनी भाभी के सर पर हाथ रख कर बाहर चले गये…

भैया उस रात और रुके.. अगले दिन मुझे भी भाभी को छोड़ने जाना था.. तो
भाभी ने मनझले भैया से गाड़ी लेजाने के लिए पूछा…

भाभी – देवर्जी, आप कहो तो हम लोग आपकी गाड़ी ले जाएँ…?

भैया – चला के कॉन ले जाएगा.. भाभी ?

भाभी – लल्ला जी ने ड्राइविंग सीख ली है देवर्जी .. क्यों कामिनी, तुम्हें भरोसा तो है ना.. इनकी ड्राइविंग पर…!

कामिनी भाभी – भरोसा तो है दीदी.. पर मे क्या कहती हूँ, क्यों ना मे भी आपके साथ चलूं.. भले ही देवर्जी ड्राइव करेंगे.. लेकिन अगर कुछ प्राब्लम आई तो मे हेल्प तो कर सकती हूँ..

भैया – तो इसमें मेरी पर्मिशन की क्या ज़रूरत थी भाभी..

भाभी – आख़िर आपकी गाड़ी है.. पुच्छना ज़रूरी है देवर्जी..

भैया – ये कह कर आपने मुझे पराया कर दिया भाभी.., मे अगर ऐसा सोचता तो गाड़ी अपने साथ नही ले जाता..,

अपने घर के मान सम्मान के लिए ही तो इसे यहाँ छोड़ा है…! फिर इसपर मेरा हक़ कहाँ रह गया..?

भाभी – सॉरी देवर्जी मेरा मतलव आपका दिल दुखाना नही था… मेने तो बस इसलिए पूछा कि घर की एकता बनी रहे.. और आपस में कभी कोई ऐसी बात ना बने जिससे किसी को कोई उंगली उठाने की नौबत आए…!

अब जब ये तय हो गया कि मे और कामिनी भाभी दोनो ही भाभी को छोड़ने जा रहे हैं.. तो रामा दीदी भी बोलने लगी..

रामा – फिर मे अकेली यहाँ क्या करूँगी मे भी आप लोगों के साथ चलती हूँ..!

भाभी ने कहा – ये भी ठीक है, फिर ये फिक्स हुआ कि भैया के निकलते ही हम सब भी भाभी को छोड़ने उनके गाँव जाएँगे.. बाबूजी का ल्यूक रेडी कर के रख दिया जाएगा..

अगर शाम को आने में हमें देर होती है.. तो वो छोटी चाची के यहाँ खाना खा लेंगे..और ये बात चाची को भी बता दी गयी..

सुबह चाय नाश्ते के बाद ही भैया अपनी ऑफीस की गाड़ी से निकल गये.. उनके कुछ देर बाद ही हम चारों भी चल दिए भाभी के घर की तरफ…

11:30 को हम उनके घर पहुँच गये.. सारे रास्ते में ही ड्राइव कर के ले गया था, .. अब मुझे और ज़्यादा कॉन्फिडॅन्स आने लगा था…

निशा, मेरी जान ! मुझे देखते ही किसी ताज़े फूल की तरह खिल उठी… भाभी के घरवाले हम लोगों की आव-भगत में लग गये..
उनके गाँव में भाभी का सम्मान दुगना हो गया, उनको इतनी शानदार गाड़ी में आते देख कर.

किसी तरह मौका निकाल कर मे और निशा एकांत में मिले.., वो तड़प कर मेरे सीने से लग गयी…, मेरी छाती के बालों से खेलते हुए शिकायत भरे लहजे में बोली-

निर्मोही कहीं के, जब से मुझे छोड़कर गये हो, एक बार पलट कर भी नही देखा इधर को, कम से कम एक बार मिलने नही आ सकते थे…

मेने उसके गोल-गोल नितंबों को सहलाते हुए कहा – घर की ज़िम्मेदारियाँ और कॉलेज से कहाँ समय मिलता है, वैसे फोन तो करता ही हूँ ना मे..

वो मेरे होंठों को चूमकर बोली – फोन से कहीं इस बेकरार दिल की प्यास बुझती है भला.., अब ये दूरियाँ सही नही जाती हैं जानू !

मेने उसकी झील सी गहरी आँखों में झाँकते हुए कहा – निशा मेरी जान ! मे भी कहाँ तुमसे दूर रहना चाहता हूँ, लेकिन अपनी कुछ मजबूरियाँ हैं, जिन्हें हम नज़र अंदाज तो नही कर सकते ना…!

इतना कहकर मेने जैसे ही उसके गले पर चुंबन लिया, वो सिसक कर मेरे सीने से लिपट गयी…

उसकी कठोर कुँवारी चुचियाँ मेरे बदन से दब कर एक सुखद अहसास का अनुभव करा रही थी…

वो मेरे गले में बाहों का हार डाले हुए बोली – मे समझती हूँ जानू ! पर इस दिल का क्या करूँ, ये जानते हुए भी कि तुम नही आनेवाले, फिर भी हर समय तुम्हारे आने की आस लगाए रहता है…!

मेने उसकी चिन को हाथ लगाकर उसके चेहरे को ऊपर किया, और उसके होंठों को फिर एक बार चूम कर बोला – इस दिल से कहो, कुछ दिन और इंतेज़ार करे…

कुछ देर हम यूँही एक दूसरे की बाहों में खड़े बीते दिनो की याद ताज़ा करते रहे.. कुछ नये कसमे वादे, नये इरादे किए…

बातों-2 में कुछ एमोशनल मूव्मेंट भी आए..हम दोनो की आँखे नम हो गयी…,

ये समय और मौका हमें इससे ज़्यादा की इज़ाज़त नही दे सकता था…. सो शादी पर आने का वादा कर के हम अलग हुए ही थे, कि तभी रामा दीदी हमें ढूँढते हुए वहाँ आ पहुँची…

अच्छा ! तो तोता-मैना यहाँ चोंच भिड़ा रहे हैं, कब्से ढूंड रही हूँ, हमें यौं खड़े देख कर वो बोली…

निशा झेंप कर वहाँ से भाग गयी, फिर मेने उससे कहा - क्या हुआ दीदी, हमें क्यों ढूँढ रहीं थी ??

वो – अरे वहाँ आंटी तुम्हें खाने के लिए बुला रही हैं, और तुम यहाँ अपनी मैना के साथ गुटार गू कर रहे हो…ये कहकर वो खिल खिलाकर हंस पड़ी…

मे अपनी नज़र नीची कर उसके साथ बैठक की तरफ चल पड़ा, जहाँ वाकी लोग बैठे खाने पर मेरा इंतेज़ार कर रहे थे…

शाम ढलते ही हम ने वहाँ से विदा ली… भाभी के घर वाले रोकना चाहते थे.. लेकिन वहाँ घर सुना पड़ा था.. सो उन्हें भी इज़ाज़त देनी ही पड़ी…

रात 8 बजे तक हम अपने घर लौट आए…हम लोगों को तो कोई खास भूख नही थी, और बाबूजी के लिए चाची ने खाना बनाकर भेज दिया था… तो उन्हें खाना खिलाकर बस अब सोना ही था…

कामिनी भाभी ने कई बार इशारे कर के वो बात मुझे याद दिलाने की कोशिश की लेकिन मे अंत तक अंजान बनाने का नाटक करता रहा.. और अपने कमरे में सोने चला गया…!

मुझे आज नींद नही आ रही थी.., करवट बदलते -2 काफ़ी रात निकल गयी, रह-रह कर निशा मेरी आँखों के सामने आ जाती थी.. उसकी बातें मेरे कानों में गूज़्ने लगती…
रात कोई 11:30 को मेरे गेट पर आहट हुई… मेने उठ कर गेट खोला.. देखा तो सामने एक मिनी गाउन पहने कामिनी भाभी खड़ी थी…. जो इस समय रति का स्वरूप लग रही थी…!

जिसमें से उनके चुचक भी बाहर झाँकने का भरसक प्रयास कर रहे थे…
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

भाभी को इस रूप में देखकर मेरे अंडरवेर में उथल पुथल शुरू हो गयी..
अब प्लीज़ बातों में वक़्त जाया मत करो जानू, आज मुझे भरपूर प्यार करो मेरे राजा… ये कहकर वो मेरे बदन से किसी बेल की तरह लिपट गयी..

मेने चूतिया बनाने की आक्टिंग करते हुए कहा - लेकिन भाभी मुझे तो कुछ भी नही आता है… आप ही बताइए कि कैसे करते हैं प्यार.. मेने उन्हें ये जताना चाहा, जैसे मेने ये पहले कभी किसी के साथ किया ही नही है..

क्या ? आपने अभी तक किसी के साथ सेक्स किया ही नही है.. ? कोई गर्ल फ्रेंड भी नही बनाई अभी तक… वो मेरी बात सुन कर आश्चर्य से बोली..

मेने कहा – नही सच में मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है.. अब आपको ही बताना होगा ये सब..

उन्होने कहा – कोई बात नही देवेर जी मे आपको सब कुछ सिखा दूँगी.. हाए.. मेरा अनाड़ी देवेर.. ये कह कर उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस दिए.. जिससे उनकी 34” साइज़ की कठोर चुचिया मेरे सीने में दब गयी…

उन्होने अपना वो नाम मात्र का गाउन भी निकल कर फेंक दिया… नीचे वो बिना ब्रा के ही थी, बस एक माइक्रो पेंटी.. जिसमें से उनकी चूत के मोटे-मोटे होंठ भी बाहर को दिख रहे थे.

पीछे एक डोरी सी थी, जो उनकी गान्ड की दरार में घुसी पड़ी थी…अब इसको क्या कहते हैं, आप लोग खुद नामकरण कर लेना…हहहे..

भाभी को ऐसे रूप में देख कर मेरा लॉडा मेरे अंडर वेअर को फाडे दे रहा था.. उन्होने मेरी टीशर्ट निकाल कर फर्श पर फेंक दी…

वो मेरे चौड़े सीने पर हाथ से सहलाने लगी और उसे चूम लिया.. अपनी जीभ निकाल कर मेरे चुचकों पर फेरने लगी… मेरे शरीर में झंझनाहट सी शुरू हो गयी….

मेरे हाथ स्वतः ही उनके फुटबॉल जैसे चुतड़ों के उभारों पर पहुँच गये.. और मेने उन्हें अपने हाथों में लेकर मसल दिया….

वो मेरे सीने को चूमते चाटते हुए नीचे बैठने लगी.., अपने पंजों पर बैठ कर उन्होने मेरा शॉर्ट खींच दिया… नीचे में बिना अंडरवेर के था…

मेरे फुल्ली एराक्टेड लंड को देख कर जो अब 120 डिग्री पर हिल-हिल कर उनके इस जानमारू हुश्न को सलामी दे रहा था..

उसे देख कर वो मन्त्र मुग्ध हो गयी…और अपने हाथ में लेकर अपने गालों से रगड़ते हुए बोली….

आअहह… देवेर्जी … तुम कितने बड़े झूठे हो… आपका ये हथियार बता रहा है… कि इसने ना जाने कितनों की सील तोड़ी है..

मे – क्या भाभी आप भी… ! इसने आपको कैसे बता दिया ये सब…?

वो मेरे लंड को सहलाते हुए मेरी आँखों में देख कर बोली – देवेर जी आप मुझे अनाड़ी समझते हो..?

जिस तरह से ये मस्ती में अपना मुँह खोले झूम रहा है.. लगता है इसे सब पता है कि अब इसे क्या करना है…

फिर उन्होने मेरे सुपाडे को खोल कर अपनी जीभ से चाट लिया…

अहह…….भाभी….सीईईईई……मेरी सिसकी निकल गयी.. चूसो ईसीए…उउउम्म्म्मन्न.. वो उसे अपने होंठों में ले चुकी थी और अब लॉलीपोप की तरह चूस रही थी…

मे मस्ती से उनके सर को सहलाने लगा…थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होने मुझे पलंग पर धक्का दे दिया.. और अपनी नाम मात्र की पेंटी भी निकाल फेंकी…
अब वो किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे पूरे शरीर पर हाथ फेरती हुई मेरी छाती पर चढ़ बैठी…

उनके गोरे-2 मस्त भरे डुए आमों को देख कर मेरी उत्तेजना दुगनी हो गयी, और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में भरकर बहुत ज़ोर से मसल दिया….

आआहह……देवर्जी…आराम से मेरे राजा….उखाड़ोगे इन्हें…?

तो मेने उनके कंधों को पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया, और उनके आमों को चूसने लगा…वो अपनी रसीली चूत को मेरे पेट पर मसलने लगी…

फिर धीरे-2 नीचे को सरक्ति हुई अपनी सुरंग के मुंहने को मेरे शेर की तरफ ले गयी…एक-एक इंच का फासला तय करती उनकी रसीली मुनिया मेरे पप्पू की तरफ सरक रही थी….

मेरा पप्पू मन ही मन बड़बड़ा रहा था, बेन्चोद साली जल्दी से पास आ, इतना तरसा क्यों रही है…

शायद उसकी बात भाभी ने सुन ली ही, सो अपने पंजों को मॉड्कर मेरी जांघों पर रख लिया…इस तरह से उनकी रस से सराबोर हो चुकी चूत के होंठ अपने आप फैल गये,…

मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर पहले कसकर दबाया, शायद वो उसकी ताक़त आजमा रही थी…

फिर अपनी गर्म भाप जैसा पानी छोड़ती चूत को उसके ऊपर रख कर वो उसपर बैठती चली गयी…


आआहह……….सस्सिईईईईईईईईईईईईईई…..उउउफफफफफफफफफ्फ़….म्म्म्मा आ…..

मस्ती में उनकी आँखें बंद होती चली गयी…, मुँह अपने आप खुल गया.. मेरे तगड़े लंड को लेने में शुरुआत में उन्हें थोड़ी तकलीफ़ हुई…

लेकिन अपने होंठों को कस कर भींचते हुए धीरे-धीरे वो उसके ऊपर बैठ ही गयी…, और पूरा साडे आठ इंच का मेरा सोते जैसा लंड उनकी चूत में जड़ तक समा गया…

जब पूरा लंड जड़ तक उनकी रसीली चूत में समा गया… तो वो कुछ देर मेरे ऊपर बैठ कर लंबी लंबी साँसें लेने लगी…

उउउफ़फ्फ़… मेरे राजाजी…कितना तगड़ा और दमदार हथियार है तुम्हारा…, मेरी बुर को अंदर तक भर दिया है इसने…सस्सिईइ….आअहह….मज़ाअ…आ गायाअ….

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उन्होने अपनी गान्ड को ऊपर नीचे करना शुरू किया.. वो धीरे-2 चूत के मुँह को सुपाडे तक निकाल लेती.. और फिर से धीरे-2 ही पूरा अंदर कर लेती..

मुझे इस तरह से बहुत मज़ा आ रहा था, जब मेरा सुपाडा उनकी मुनिया के होंठों से रगड़ता…आअहह…, मस्ती में मेने उनके दोनो आमों को अपनी मुत्ठियों में भरकर ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा….

आअहह…. मेरे रजाआाअ…… हान्न्न.. ऐसे ही करो… बड़ा मज़ा आरहााआ…….हाीइ…हइईए……सीईईईईईई…..उफफफफ्फ़…मुऊुआाहह……

अब उनकी स्पीड कुछ बढ़ने लगी.. और वो तेज़ी से मेरे लंड पर कूदने लगी…
मेने भी नीचे से अपनी कमर उच्छालना शुरू कर दिया…

कभी वो मेरे होंठ चूसने लगती.. तो कभी मेरे सीने को सहलाती… और अजीब-अजीब सी आवाज़ें निकालते हुए.. मुझे चोद रही थी…

10 मिनिट बाद वो बड़ी बुरी तरह से झड़ने लगी.. उन्होने मेरे लंड और टट्टों को अपने चूत रस से गीला कर दिया, और मेरे ऊपर पसर गयी…
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2156
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Kamini »

mast update
हादसा viewtopic.php?p=164372#p164372

शैतान से समझौता viewtopic.php?t=11462

शापित राजकुमारी viewtopic.php?t=11461

संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by 007 »

बहुत ही बढ़िया अपडेट
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by jay »

super hot .............update bro
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply