अब हॉल में मात्र मोहिनी, रूचि, कामिनी, घायल भानु, संजू और निर्मला ही रह गये थे…,
अपने तमाम आदमियों का हश्र देख कर कामिनी तिलमिला उठी.., भानु ने मौका देख कर ज़मीन पर पड़ी अपने आदमी की बंदूक उठा ली..,
निशाना साध कर पास खड़ी निर्मला पर गोली चलाने ही वाला था कि अंधेरे से निकल कर बाहर आते हुए अंकुश की रिवोल्वर ने एक बार और ज़ोर्से खांसा और गोली उसका भेजा उड़ाते हुए पार हो गयी…!
पलक झपकते ही उसकी आत्मा ईश्वरपुरी की सैर को निकल पड़ी.., इस बार उसके साथ ऐसा कोई इत्तेफ़ाक़ नही हुआ.., और ना ही उसे एक बार फिर सुधरने का मौका मिल पाया…!
क्योंकि वो एक ऐसा बिच्छू था.., कि जिसे जितनी बार मौका मिला अपना ज़हरीला डंक मारे बिना नही माना…!
इधर जैसे ही संजू की नज़र अंकुश पर पड़ी.., वो बुरी तरह से चोन्क्ते हुए बोला – तुम और यहाँ…!
मेने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – हां दोस्त मे.., याद है मेने क्या कहा था.., कि अगली बार जब हम मिलें तो दोस्त बनकर…!
अब कामिनी के पास कोई चारा नही बचा था.., सो अपना पैंतरा बदलते हुए मोहिनी भाभी के पैरों में गिर पड़ी.., गिडगिडाते हुए बोली – मुझे माफ़ कर दो दीदी…!
आपने सही कहा था.., मेरा खून ही गंदा है.., दूसरी जिंदगी मिलने पर भी में नही सुधर पाई..,
अब में वादा करती हूँ आपसे, सब कुछ छोड़-छाड़ कर बस आपके चरणों में पड़ी रहूंगी…, फिर आप जैसा चाहें मेरे साथ सलूक करना…!
मेने ज़मीन पर पड़ी अपनी भाभी की सारी को उठाकर उनके बदन को देखते हुए कहा- ये तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी भाभी.., ये अब हमारे साथ किस हैसियत से रहेगी..?
मोहिनी – लल्ला पहले मेरे हाथ तो खोलो.., फिर सोचते हैं आगे क्या करना है इसका…!
कामिनी – देवर्जी…मेने तो पहले भी आपसे रिक्वेस्ट की थी सुलह कराने की लेकिन आपने नही मानी.., इसमें ग़लती मेरी ही थी, मे ही अपने आपको इस काबिल नही बना पाई…
लेकिन अब में प्रॉमिस करती हूँ, एक आदर्श बहू और पत्नी बन कर रहूंगी…!
मे – पत्नी..? किसकी…?
कामिनी – आपके मनझले भैया की…, और किसकी…?
भाभी कामिनी की बात पर मुस्कराते हुए निर्मला के पास जाकर प्यार से उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए बोली – फिर मेरी इस प्यारी सी छोटी बेहन का क्या होगा…?
कामिनी उनकी तरफ चोन्कते हुए बोली – क्या मतलब.., ये तो…मेरे……
भाभी – ये प्राची है.., मेरी देवरानी.., एसएसपी साब की पत्नी..., जिसकी उनके साथ शादी हुए भी 3 साल हो गये.., अब बाताओ तुम कहाँ और किस हैसियत से रहोगी…?
मेरी मानो तो अब तुम्हारे लिए एक ही ससुराल सही रहेगी.., वहीं वाकी का जीवन आराम से बिता सकोगी…!
कामिनी – कहाँ..? कॉन सी ससुराल…?
भाभी – जैल…
ये सुनते ही कामिनी सन्न्न…रह गयी.., उसने समझ लिया कि अब बचने का कोई रास्ता शेष नही है..,
फिर भी अपनी बातों का जाल बुनने की कोशिश करते हुए चुपके से उसने अपने बॅग से एक छोटा सा रिवॉल्वर निकाला..,
मोहिनी भाभी पर निशाना साधते हुए बोली – इतनी आसानी से काबू में आने वाली नही हूँ..जेठानी जीिइईई……आअहह…..संजूऊू…..!
धडाम से लहू लुहान कामिनी फर्श पर गिर पड़ी…!
किसी की कुछ समझ में नही आया.., लेकिन जब समझ में आया तो देखा कि संजू के हाथ में एक लंबा सा चाकू खून से सना था, और कामिनी अपना पेट पकड़े फर्श पर पड़ी, जल बिन मछलि की तरह तड़प रही थी…!
भाभी – तुमने ऐसा क्यों किया संजू.., मेरी जान बचाने के लिए तुमने अपनी ही मालकिन को मार डाला…!
प्राची – नही दीदी.., संजू ने अपनी बड़ी बेहन की जान बचाने के लिए एक बेगैरत मक्कार औरत को उसके जीवन से मुक्त किया है…!
फिर प्राची ने संजू के बारे में भाभी को सब कुछ बता दिया.., उन्होने स्नेह से आगे बढ़कर उसे अपना छोटा भाई कहकर गले से लगा लिया…!
लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
संजू भाभी से अलग होते हुए बोला – इसका मतलब निर्मला ओह्ह्ह.. सॉरी प्राची बेहन, तुमने फिर उस दिन अंकुश भाई को गोली क्यों मारनी चाही…!
मेने मुस्कराते हुए उसका कंधा थपथपाते हुए कहा – हम देखना चाहते थे कि तुम्हारे अंदर का इंसान अभी भी जिंदा है या बदले की भावना ने तुम्हें अँधा कर दिया है…!
संजू – लेकिन प्राची तो गोली चला चुकी थी.., वक़्त रहते मे इनका हाथ नही पकड़ता तो वो आपको गोली मार ही चुकी थी…!
प्राची – मेने तुम्हें उठाते हुए देख लिया था भाई.., मे जानती थी तुम मुझे ज़रूर रोक लोगे…!
संजू – इतना बड़ा रिस्क…???
मे- हमारा काम ही रिस्क लेने वाला है मेरे भाई…!
संजू चुप रह गया, तभी मोहिनी बोली – लेकिन प्राची तुम और लल्ला यहाँ पहुँचे कैसे…?
प्राची – आपको तो पता ही है दीदी, हमने प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी खोल ली थी..,
भैया को पहले से ही पता था कि भानु जिंदा है.., सो उसकी टोह में अपने आदमी इस शहर में उसे खोजने में कामयाब हो गये…!
उसी के कारण हमें पनप रहे इस गॅंग के बारे में पता चला.., फिर वो इस गॅंग की लीडर जो एक औरत थी उससे मिला…!
गॅंग की थाह लेते लेते मेने संजू भाई की सहनभूति लेने का ड्रामा रचा…
प्राची की बात सुनकर संजू ने घूरकर उसकी तरफ देखा…, प्राची संजू से बोली – सॉरी भाई.., हां अपने उपर अपने ही आदमियों से अटॅक करवाने का मेरा ड्रामा था..,
क्योंकि जब मुझे ये पता लगा कि तुम बस युसुफ का साथ देने के लिए इस धंधे में हो.., लेकिन दिल में इंसानियत अभी तक बाकी है…!
जब मेने ये बात अंकुश भैया को बताई तो ये प्लॉट इन्होने ही मुझे सुझाया.., आगे की सब कहानी तुम्हें पता ही हैं…!
इस तरह से मे गॅंग में शामिल हो गयी.., जब आपके किडनप की खबर भैया ने मुझे दी.., तब तक हम में से किसी को इस बारे में पता नही था..,
क्योंकि ये काम कामिनी ने अपने गॅंग के लोगों से ना कराकर भानु के द्वारा कराया था.., संजू भाई भानु से पहले से ही चिड़े बैठे थे…!
फिर जब कामिनी ने मीटिंग करके ये बताया कि आज वो रात की मीटिंग में शामिल नही रहेगी.., तब संजू ने युसुफ से मेडम को हमसे राज छुपाने की बात कही…!
अकेले होते ही मेने संजू को चढ़ाया.., और कामिनी का पीछा करने के लिए उकसाया.., मुझे अंदाज़ा तो हो गया था.., कि आज रात वो क्यों नही आने वाली..!
फिर जैसे ही संजू भाई पीछा करने को तैयार हुए मेने वॉशरूम का बहाना करके अंकुश भैया को सारी बातें बता दी…!
संजू – लेकिन अंकुश भाई इतनी आसानी से हम तक पहुँच कैसे गये…?
प्राची अपनी उंगली में पहनी हुई एक मामूली सी अंगूठी दिखाते हुए बोली – इसके ज़रिए…!
देखने से ये एक मामूली सी अंगूठी दिखती है लेकिन असल में ये एक मिनी ट्रांसमीटर है जो हम दोनो को एक दूसरे की लोकेशन बताता है…!
तो बस इसी के ज़रिए वक़्त रहते ये हम तक पहुँच गये…!
संजू को ये लोग किसी अजूबे से कम नही लग रहे थे.., लेकिन जो भी था.., इन लोगों को पाकर उसे ना जाने क्यों बड़ा सकुन सा मिला…!
मोहिनी भाभी उसे सोच में डूबा देख कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली – क्या हुआ मेरे भाई.., ये नया परिवार पसंद नही आया…?
दीदी…कहते हुए संजू सजदा से उनके पैरों में झुकता चला गया.., आधे से ही भाभी ने उसे उठाकर अपने गले से लगा लिया…!
आज संजू को बुराई का रास्ता छोड़ते ही एक नया परिवार मिल गया था.., जिसमें उसे वो सारी खुशियाँ मिल गयी.., जिन्हें वो कभी खो चुका था…!
किसी ने सच ही कहा है.., बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए, सच्चाई के सामने बौनी ही रहती है..,
हां कुछ समय ज़रूर लग सकता है सच्चाई की राह पर चलते हुए…………!
“समाप्त”
ये कहानी आप लोगों को कैसी लगी.., अपनी राय ज़रूर देना..,
धन्यवाद…
.मित्रो आगे की कहानी जानने के लिए इस कहानी का दूसरा पार्ट लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) पार्ट -2 ज़रूर पढ़े
मेने मुस्कराते हुए उसका कंधा थपथपाते हुए कहा – हम देखना चाहते थे कि तुम्हारे अंदर का इंसान अभी भी जिंदा है या बदले की भावना ने तुम्हें अँधा कर दिया है…!
संजू – लेकिन प्राची तो गोली चला चुकी थी.., वक़्त रहते मे इनका हाथ नही पकड़ता तो वो आपको गोली मार ही चुकी थी…!
प्राची – मेने तुम्हें उठाते हुए देख लिया था भाई.., मे जानती थी तुम मुझे ज़रूर रोक लोगे…!
संजू – इतना बड़ा रिस्क…???
मे- हमारा काम ही रिस्क लेने वाला है मेरे भाई…!
संजू चुप रह गया, तभी मोहिनी बोली – लेकिन प्राची तुम और लल्ला यहाँ पहुँचे कैसे…?
प्राची – आपको तो पता ही है दीदी, हमने प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी खोल ली थी..,
भैया को पहले से ही पता था कि भानु जिंदा है.., सो उसकी टोह में अपने आदमी इस शहर में उसे खोजने में कामयाब हो गये…!
उसी के कारण हमें पनप रहे इस गॅंग के बारे में पता चला.., फिर वो इस गॅंग की लीडर जो एक औरत थी उससे मिला…!
गॅंग की थाह लेते लेते मेने संजू भाई की सहनभूति लेने का ड्रामा रचा…
प्राची की बात सुनकर संजू ने घूरकर उसकी तरफ देखा…, प्राची संजू से बोली – सॉरी भाई.., हां अपने उपर अपने ही आदमियों से अटॅक करवाने का मेरा ड्रामा था..,
क्योंकि जब मुझे ये पता लगा कि तुम बस युसुफ का साथ देने के लिए इस धंधे में हो.., लेकिन दिल में इंसानियत अभी तक बाकी है…!
जब मेने ये बात अंकुश भैया को बताई तो ये प्लॉट इन्होने ही मुझे सुझाया.., आगे की सब कहानी तुम्हें पता ही हैं…!
इस तरह से मे गॅंग में शामिल हो गयी.., जब आपके किडनप की खबर भैया ने मुझे दी.., तब तक हम में से किसी को इस बारे में पता नही था..,
क्योंकि ये काम कामिनी ने अपने गॅंग के लोगों से ना कराकर भानु के द्वारा कराया था.., संजू भाई भानु से पहले से ही चिड़े बैठे थे…!
फिर जब कामिनी ने मीटिंग करके ये बताया कि आज वो रात की मीटिंग में शामिल नही रहेगी.., तब संजू ने युसुफ से मेडम को हमसे राज छुपाने की बात कही…!
अकेले होते ही मेने संजू को चढ़ाया.., और कामिनी का पीछा करने के लिए उकसाया.., मुझे अंदाज़ा तो हो गया था.., कि आज रात वो क्यों नही आने वाली..!
फिर जैसे ही संजू भाई पीछा करने को तैयार हुए मेने वॉशरूम का बहाना करके अंकुश भैया को सारी बातें बता दी…!
संजू – लेकिन अंकुश भाई इतनी आसानी से हम तक पहुँच कैसे गये…?
प्राची अपनी उंगली में पहनी हुई एक मामूली सी अंगूठी दिखाते हुए बोली – इसके ज़रिए…!
देखने से ये एक मामूली सी अंगूठी दिखती है लेकिन असल में ये एक मिनी ट्रांसमीटर है जो हम दोनो को एक दूसरे की लोकेशन बताता है…!
तो बस इसी के ज़रिए वक़्त रहते ये हम तक पहुँच गये…!
संजू को ये लोग किसी अजूबे से कम नही लग रहे थे.., लेकिन जो भी था.., इन लोगों को पाकर उसे ना जाने क्यों बड़ा सकुन सा मिला…!
मोहिनी भाभी उसे सोच में डूबा देख कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली – क्या हुआ मेरे भाई.., ये नया परिवार पसंद नही आया…?
दीदी…कहते हुए संजू सजदा से उनके पैरों में झुकता चला गया.., आधे से ही भाभी ने उसे उठाकर अपने गले से लगा लिया…!
आज संजू को बुराई का रास्ता छोड़ते ही एक नया परिवार मिल गया था.., जिसमें उसे वो सारी खुशियाँ मिल गयी.., जिन्हें वो कभी खो चुका था…!
किसी ने सच ही कहा है.., बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए, सच्चाई के सामने बौनी ही रहती है..,
हां कुछ समय ज़रूर लग सकता है सच्चाई की राह पर चलते हुए…………!
“समाप्त”
ये कहानी आप लोगों को कैसी लगी.., अपनी राय ज़रूर देना..,
धन्यवाद…
.मित्रो आगे की कहानी जानने के लिए इस कहानी का दूसरा पार्ट लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) पार्ट -2 ज़रूर पढ़े
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Bahut sundar kahani thi dost.
Really beautiful.
Thank you for sharing.
Really beautiful.
Thank you for sharing.
- Rathore
- Novice User
- Posts: 534
- Joined: 12 Feb 2018 01:27
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Bhoot hi shandar khani thi
Nice ending
Nice ending
#Rathore– #अंदाज कुछ #अलग हैं #मेरे_सोचने का...!
#सबको #मंजिल का #शौंक हैं और #मुझे #सही_रास्तों का...!!
:shock: :o :(
#सबको #मंजिल का #शौंक हैं और #मुझे #सही_रास्तों का...!!
:shock: :o :(
- Viraj raj
- Pro Member
- Posts: 2639
- Joined: 28 Jun 2017 08:56
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Super Nice Story...... Mitra
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
** Viraj Raj **
🗡🗡🗡🗡🗡