लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

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pongapandit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by pongapandit »

जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम...
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

खाना ख़ाके, थोड़ी देर हम सब आपस में बातें करते रहे,

भाभी, निशा को सुहाग रात की कुछ टिप्स देने उसके पास चली गयी…

कुछ देर मे बाबूजी और भैया के साथ बैठकर राजेश के केस से संम्बंधित बातें करते रहे,

वो दोनो अभी भी इस विषय पर चिंतित दिख रहे थे, लेकिन मेने उन्हें बिल्कुल असवास्त रहने के लिए कहा…

कुछ देर बाद बाबूजी और भैया उठ कर सोने चले गये तो मे भी अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, जहाँ दोनो बहनें मेरा इंतेज़ार कर रही थीं.
मेरा कमरा गॅलर्री में लास्ट था, अभी में गॅलर्री में ही था, कि मेरे कमरे से निकल कर भाभी आती हुई दिखाई दी,

मे वहीं ठिठक गया, जब वो मेरे पास आ गयी मेरा हाथ पकड़ कर दीवार की तरफ कर के वो मुझे समझने लगी…

देवेर जी… आज तुम पहली बार निशा के पास एक पति के रूप मे जा रहे हो…

और वो एक पत्नी की तरह तुम्हारे सामने होगी, तो आज तुम दोनो के बीच की सारी दीवारें ढह जानी चाहिए…, जिससे एक दूसरे के बीच की हिचक दूर हो जाए….

एक और बात, निशा अपने दिलो-दिमाग़ से परिपक्व लड़की है… लेकिन शारीरिक तौर पर नही…जो आज तुम्हे यूज़ करना है…

मेने भाभी को पकड़ कर दीवार से सटा दिया, उनकी कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींचा और आँखों में झाँकते हुए बोला….

हमारी सुहाग रात की साक्षी नही बनाना चाहोगी भाभी, उसे शारीरिक तौर पर परिपक्व बांबने में अपने लाड़ले की मदद नही करोगी..?

अपनी छोटी बेहन को गाइड भी करती जाना…!

भाभी ने मुस्कराते हुए प्यार से मेरे गाल पर चपत लगाई, और बोली – ये रात किसी और के साथ शेयर नही की जाती देवर्जी…!

और वैसे भी अब तुम अनाड़ी नही रहे, कइयों की सील चटखा चुके हो, तो अपनी पत्नी की नही कर पाओगे क्या..?

मेने झटके से भाभी को अपने शरीर से सटा लिया, अब उनकी गदाराई हुई चुचियाँ मेरे सीने से दब रही थी,

फिर भाभी के मस्त गदराए हुए कुल्हों को मसलकर और ज़ोर से अपनी तरफ दबाया, मेरा पप्पू उनकी मुनिया के दरवाजे को खट-खटा रहा था,

भाभी की आँखों में भी वासना के डोरे तैरने लगे, लेकिन अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करते हुए, मेरे सीने पर हाथ का दबाब देकर मुझे अपने से अलग किया……

फिर मुस्करा कर उन्होने मेरे होंठ चूम लिए और, मेरे पप्पू को दबाते हुए बोली – अब इसके आगे और कोई शैतानी नही…

आज इस पर सिर्फ़ इसकी असली मालकिन का हक़ है, अब अंदर जाओ एक पति के अधिकार के साथ, और निशा को वो तोहफा दो…जिसके लिए हर लड़की अपने जीवन में सपने संजोती है…!

ये कह कर भाभी ने मुझे धकेल कर रूम के अंदर कर दिया और बाहर से गेट बंद कर के खुद भैया के पास चली गयीं…

मेने पलट कर जैसे ही कमरे के अंदर कदम रखा, सामने के नज़ारे को देख कर मेरा मन मयूर होकर नाच उठा…….!
सामने फक्क सफेद चादर से ढका बेड जिसपर लाल गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों बिछि हुई थीं…!

कमरे के अंदर बिखरी हुई सुगंध, किसी को भी मदहोश कर्दे, लगता है भाभी ने ये सब करने में काफ़ी मेहनत की होगी…!

बेड के सिरहाने एक लाल सुर्ख जोड़े में, सर पर लंबा सा घूँघट लिए, सिकुड़ी सीमिटि सी निशा… अपने प्रियतम के इंतेज़ार में बैठी थी…

अभी - 2 कमरे से बाहर निकलने से पहले उसकी दीदी उसे आने वाले पलों के बारे में बहुत कुछ ज्ञान देकर गयी होंगी सुहाग रात के बारे में…

मे धीरे-2 चलते हुए बेड तक गया… और उसके साइड में जाकर खड़ा हो गया…

निशा मुझे अपने नज़दीक खड़ा पाकर और ज़्यादा अपने आप में सिमट गयी…, मे धीरे से उसके पास बैठ गया, और उसके कंधे पर हाथ रखा- उसके शरीर में एक कंपकपि सी दौड़ गयी…, जो मेने साफ महसूस की.

मेने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा - जान ! ये चाँद सा मुखड़ा घूँघट में क्यों छुपा रखा है…?

हम दोनो के बीच अब इस घूँघट का क्या काम…? हटाओ इसे….

उसने ना में अपनी गर्दन हिला दी…, मेने मुस्कराते हुए.. उसके घूँघट को अपने हाथों में लेकर उलट दिया…

वाउ ! हल्के से मेक-अप और गहनों से लदी, अपनी नज़रें पलंग पर गढ़ाए… वो शर्मो-हया की मूरत बनी बैठी थी…

नाक में नथुनि, माथे पर टीका, गले में मन्गल्सुत्र के साथ एक बड़ा सा हार,… कानों में बड़े-2 झुमके… हाथों में हतफुल.

मेहदी लगे हाथों की सभी उंगलियाँ अंगूठियों से भरी हुई, कुहनी तक लाल और हरी-हरी चूड़ीयाँ, जिनके आगे और पीछे एक –एक सोने के कंगन…!

वो इस समय साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप लग रही थी, मेरे मन ने कहा की क्यों ना इस छबि को हमेशा के लिए एक यादगार बना लिया जाए,

सो अपना स्मार्ट फोन निकाल कर उसका फोटो लेना चाहा, लेकिन वो तो अपनी नज़रें नीचे किए हुए थी…!



मेने अपने हाथ का सहारा उसकी तोड़ी पर लगाकर उसके चेहरे को ऊपर किया… फिर भी उसकी पलकें झुकी ही रही…

मेरी तरफ देखो निशु..! उसने फिरसे अपनी गर्दन ना में हिला दी…

मे – क्यों ? मुझसे नाराज़ हो..?

वो – लाज आती है…!

मे – मुझसे अब कैसी लाज ! अब हम पति-पत्नी हैं.. जान ! अब हम दोनो के बीच शर्मो-हया का ये परदा क्यों..? ज़रा मेरी तरफ देखो तो सही, मे तुम्हारी इस छबि को कमरे में क़ैद करना चाहता हूँ..

एक क्षण को उसने मेरी तरफ देखा, और उसी पल मेने उसकी उस छबि को अपने फोन में क़ैद कर लिया…

उसके लव थरथरा रहे थे… मेने उसके माथे के टीके को एक ओर कर के उसे चूम लिया… उसकी पलकें फिरसे बंद हो गयी…

उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर मेने कहा – मेरी तरफ देखो मेरी जान…

उसने जैसे-तैसे कर के अपनी पलकों को उठाया, मानो उनके ऊपर ना जाने कितना भर पड़ रहा हो,…

मे उसकी झील सी गहरी शरवती आँखों का तो हमेशा से ही दीवाना था… उनमें झाँकते हुए बोला – तुम सच में बहुत सुन्दर हो प्रिय…

उसकी पलकें शर्म से फिर एक बार झुक गयी… आज तो वो कुछ ज़्यादा ही लजा रही थी…
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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मेने उसके सर से सारी का पल्लू उतार कर एक तरफ रख दिया और उसके गोरे-गोरे हल्की लाली लिए हुए गालों को चूम लिया…

उसकी नथुनि मेरे और उसके होंठों के बीच दीवार बन रही थी… सो उसको निकाल कर मेने उसके होंठों की तरफ अपने होंठ बढ़ा दिए…

मेरी साँसों की गर्मी महसूस कर के उसके होंठ लरज उठे… मेने जैसे ही उसके रसीले लाल – 2 लिपीसटिक लगे होंठों को किस किया….

निशा ने अपने मेहदी लगे दोनो हाथों से अपने चेहरे को ढांप लिया…

वो अपने घुटने मोड बैठी हुई थी, तो मेने उसके घुटनों को सीधा कर के उसके गोरे – गोरे सपाट पेट को सहलाते हुए अपना हाथ उसके वक्षों तक लाया…

वो अभी भी अपने चेहरे को ढके हुए थी… मेने उसके दोनो संतरों के ऊपर हल्के से हाथ फिराया, फिर अपने दोनो हाथों से उसके हाथों को चेहरे से अलग किया..

उसने अपनी आँखों पर पलकों के पर्दे डाल कर फिरसे बंद करली….

मेने उसकी सारी की गाँठ खोल दी, और एक-एक कर के उसके शरीर से सारे गहने नोच डाले, अब वो ब्लाउज और पेटिकोट में थी,

मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा….

निशा अपनी सुध-बुध खोती जा रही थी… वो तो बस जैसे अपने प्रियतम के इशारों पर चलने वाली एक कठपुतली बन चुकी थी…

मेने उसके होंठ चूस्ते हुए अपने दोनो हाथ उसके संतरों के ऊपर रख दिए… और उन्हें ब्लाउज के ऊपर से ही मसल्ने लगा…

उसकी आँखों में लाल डोरे तैरने लगे…और अपनी मरमरी बाहें मेरे गले में डाल दी.

थोड़ा सा मसलने के बाद मेरी उंगलियों ने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए…

एकदुसरे के होंठ अभी भी एक दूसरे का रस चूसने में ही व्यस्त थे…

वो एक पिंक कलर की ब्रा में आ चुकी थी, जिसमें क़ैद उसकी 32” की गोलाइयाँ किसी टेनिस की बॉल के आकार की गोरी – 2 निहायत ही सुंदर लग रही थी..

मेने अपनी टीशर्ट निकाल फेंकी और उसे कमर से पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लिया…

वो मेरे सीने से चिपक गयी… जिससे उसके छोटे-2 सुडौल वक्ष मेरे सीने में दब गये…

मेने निशा की ब्रा निकाल कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया… और उसके बदन को सहलाते हुए उसकी गर्दन से चूमना स्टार्ट किया… और धीरे – 2 कर के उसके स्तनों तक आ पहुँचा…

वो किसी जल बिन मछलि की तरह बिस्तर पर पड़ी तड़पने लगी… गुलाब की पंखुड़ियों समेत उसने बेड शीट अपनी मुत्ठियों में कस ली थी..

मेने उसके निप्पलो को एक बार जीभ लगा कर चाटा,…. निशा के मुँह से एक मादक सिसकी फुट पड़ी…., और अपने पैरों की एडियों को आपस में रगड़ने लगी…

इष्ह……उफफफफ्फ़…. अब उसने मेरा सर अपने दोनो हाथों में ले लिया था…

जब मेने उसकी एक चुचि को अपने मुँह में भरकर चूसा.. और दूसरी को अपनी बड़ी सी हथेली से सहलाया…
तो वो अपनी एडियों को पलंग पर रगड़ते हुए सिसकने लगी….

आआहह………..मत..करूऊऊऊऊऊओ…..प्लेआस्ीईईईई………मुझीई….कुकचह….होताआ….हाईईइ…..

मेने उसकी तरफ मुँह उठा कर पूछा – क्या होता है मेरी जान…?

वो मेरी बात सुनकर बुरी तरह शरमा गयी, और बिना कोई जबाब दिए ही उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया और आँखें बंद कर के सिसकने लगी….

उसकी चुचियों को चूस्ते हुए… मे अपने दोनो हाथों से उसके बगलों को सहलाते हुए… नीचे को लाया… और उसके पेट और नाभि को चूमते हुए उसके पेटिकोट का नाडा खोल दिया…

अब वो मात्र एक छोटी सी पेंटी में थी… जो अब बहुत गीली हो गयी थी…

मेने एक बार फिर उसके होंठों और गर्दन को चूमा, और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी गीली पेंटी पर रख दिया…

अपनी मुनिया पर मेरा हाथ महसूस करते ही निशा ने अपनी दोनो जांघें जोड़ दी…, मेने अपना हाथ उसकी पेंटी से हटाकर उसकी जांघों पर ले आया और उन्हें सहलाने लगा…

अपना लोवर निकाल कर मेने एक तरफ फेंका, अब में भी मात्र अपनी फ्रेंची में ही था…

उसकी टाँगों के बीच आकर मे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गया…और मेने उसकी बगलों को अपने हाथों में भर कर उसे किसी गुड़िया की तरह उठाकर अपनी जांघों पर बिठा लिया…

वो अब अपने पैर मेरे दोनो ओर निकाल कर मेरी गोद में बैठी थी…उसकी छोटी सी कुँवारी मुनिया, कामरस से भीगी पेंटी में धकि, मेरे मुन्ने के ठीक ऊपर थी…

उसके कुल्हों को अपनी मुत्ठियों मे भरते हुए मे उसके होंठ चूसने लगा…

निशा अब बहुत गरम होने लगी थी… उसका बदन अब उसकी नही सुन रहा था.. और वो ऊपर से नीचे थिरकने लगा…



मेरे हाथ कभी उसकी पीठ सहलाते तो कभी उसके गोल-मटोल कुल्हों को मसल देते…

उसकी मुनिया, मेरे मुन्ने से मिलने के लिए तड़पने लगी… और वो दोनो कपड़े की एक पतली सी दीवार के पीछे से ही एकदुसरे से प्रेमलाप में लिप्त हो गये…

मेरे कड़क लंड की रगड़ से उसकी मुनिया… जल्दी ही खुश हो गयी… और उसका बदन अकड़ कर मेरे शरीर से चिपक गया…

मेने उसकी चुचियों को हल्के से मसल दिया, वो सिसक पड़ी ….और ऊओह….जानुउऊउउ…उूउउ....बोलते हुए पेंटी में ही झड़ने लगी,..

और मेरे कंधे पर सर टिका कर धीरे-धीरे हाँफने लगी…

मेने उसकी पीठ सहलाते हुए उसे आवाज़ दी… निशु…!

वो उसी खुमारी में बोली – हूंम्म्म…

मे – आर यू ओके…..

वो – हूंम्म…..

अब मेने उसे पलंग पर सीधा लिटा दिया, और उसकी कामरस से तर पेंटी को निकालकर एक तरफ को उछाल दिया …

अहह…. उसनकी छोटी सी मुनिया… एकदम चिकनी चमेली… जो रस से सराबोर होकर लेड की रोशनी में और ज़्यादा चमक उठी थी…,

मे अपने सामने खुली, दोनो पतले-पतले होंठों को बंद किए हुए उसकी मुनिया को कुछ पल देखता रहा…

उसके निचले सिरे पर कामरस की एक बूँद मोती जैसी चमक रही थी… जो मानो कह रही हो.. कि आओ मेरे प्रियवर…. ये तुम्हारे लिए तोहफा है… आकर अपना तोहफा कबूल करो.

मेने भी उसका स्वागत ठुकराया नही, और इससे पहले की वो उसकी मुनिया के बंद होंठों से जुदा होकर बेड की चादर में विलीन होता, मेने झुक कर हौले से उसे अपनी जीभ से चाट लिया….!

मेरी जीभ को अपनी रसीली मुनिया पर महसूस होते ही निशा एकदम से उछल पड़ी..

हाईए….ये.. क्ककयाआअ……किय्ाआ… आपनीई….उफफफफफ्फ़…सस्सिईईईईईईईईईईई……आअहह….

मेने उस मोती जैसी कमरस की बूँद को चाटने के बाद पूरी जीभ से एक बार उसकी मुनिया के बंद होंठों को नीचे से ऊपर तक चाट लिया……..

निशा ने बेड की चादर को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में कस लिया… और अपने होंठों को चबाने लगी…

वो शर्म की वजह से अपने अंदर की उत्तेजना को भी खुलकर व्यक्त नही कर पा रही थी…

उसका बदन बेड पर किसी जल बिन मछलि की तरह तड़प रहा था….
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Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

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मेने अब उसे और ज़्यादा तड़पाना उचित नही समझा… और अपना फ्रेंची उतार कर एक ओर उछाल दिया…

मेरा 8 इंची बब्बर शेर, पूरी तरह अपने शिकार को दबोचने के लिए तैयार था…

मेने अपने लॉड को थोड़ा मुट्ठी में लेकर मसला और उस पर थूक लगा कर

निशा की मुनिया के होंठों के ऊपर रख कर दो-तीन बार ऊपर नीचे फिराया … ताकि वो एक दूसरे को अच्छे से पहचान सकें…

उसके काम रस से मेरा मूसल भी चिकना हो गया…

फिर मेने अपने हाथों के अंगूठों की मदद से उसनकी मुनिया के बंद होंठों को खोला, उसका गुलाबी छेद बहुत ही छोटा सा था…शायद अभी तक उंगली भी नही गयी होगी उसमें…

ब-मुश्किल थोड़ी सी जगह बना कर मेने अपने लंड के मोटे से सुपाडे को उसके द्वार पर टीकाया….

उसके अहसास से ही निशा की साँसें तेज होने लगी,… और वो मुट्ठी भींचे आँख बंद कर के आने वाले तूफान के इंतेज़ार में लंबी-लंबी साँसें भरने लगी…

मेने अपने लंड को थोड़ा सा पुश किया जिससे उसका सुपाडा अच्छे से उसकी मुनिया के होंठों के बीच सेट हो गया…

मेरे सुपाडे के दबाब को अपनी मुनिया के ऊपर महसूस कर के वो सिहर गयी…उसके शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गये….

मेने झुक कर पहले उसके होंठों को चूमा और फिर उसकी चुचियों को प्यार से सहलाकर कहा – जान ! थोड़ा मॅनेज करना पड़ेगा…

वो बस हूंम्म्म… कर के अपनी सहमति दे पाई…

उसके बाजुओं पर हाथों का दबाब रखते हुए मेने एक धक्का अपनी कमर को दिया… , मेरा सुपाडा… उसकी मुनिया की पतली-पतली गुलाबी पंखुड़ियों को फैलाता हुआ… लगभग फिट गया…

वो केरेन लगी…, उसने अपने होंठों को कसकर, चीख को अपने मुँह में जप्त कर लिया…, लेकिन दर्द की रेखायें उसके चेहरे पर नज़र आने लगी…

उसके होंठों को चूमकर मेने उसके गालों को सहलाया और एक तगड़ा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…
निशा की कोरी करारी मुनिया, किसी ककड़ी की तरह चीरती चली गयी….

लाख कोशिश के बाद भी उसके मुँह से एक मरमान्तडक चीख उबल पड़ी…

माआआआआआआआ…………..मररर्र्र्र्र्र्ररर……….गाइिईईईईईईईईईईई…..रीईईईईईईईई….

मे वहीं ठहर गया, और उसके बालों को सहलाते हुए उसे पुच्कार्ते हुए बोला –

बस मेरी जान… तकलीफ़ की दीवार टूट चुकी है… बस थोड़ा सा और सहन करना होगा…

मेरा लंड उसकी झिल्ली तो तोड़ चुका था…वो आधे से अधिक उसकी सन्करि प्रेम गली में प्रवेश कर चुका था…

निशा से दर्द सहन नही हुआ, वो मिन्नतें करते हुए मुझे एक बार अपना लंड बाहर निकालने के लिए बोली….

मेने भी थोड़ा रुकना बेहतर समझा और धीरे से एक बार अपना मूसल बाहर निकाल लिया…, लंड बाहर आते ही निशा ने राहत की साँस ली…

जब मेरी नज़र उसपर गयी, तो सुपाडा खून से लाल हो चुका था…

खून की एक लकीर उसकी मुनिया से भी निकल रही थी…
मेने निशा को इस बारे में बताना सही नही समझा, और फिर से उसके होंठों को चूस्ते हुए, उसकी चुचियों को सहलाने लगा…

जब उसका कराहना थोड़ा कम हुआ तो मेने पूछा – मेरी जान ! अब आगे बढ़ें…

उसने हूंम्म…कर के पर्मिशन ग्रांट कर दी.. और मेने अपने शेर को फिरसे उसकी चिकनी चमेली के मुँह पर रख कर धक्का दे दिया…

मेरा 2.5” परिधि का सोट जैसा लंड अपनी पहली वाली मंज़िल को पीछे छोड़ते हुए कुछ और आगे तक अंदर चला गया… जो अब बस मंज़िल से थोड़ा ही दूर था…

निशा एक बार फिर तडपी…और अपने सर को इधर से उधर पटकने लगी…, उसकी आँखों की कोरों में आँसू की बूँदें झलकने लगी…

मेने उसके गाल सहलाते हुए पूछा – क्या हुआ जान ! सहन नही हो रहा…?

वो कराहते हुए बोली – हूंम्म….ये बहुत ज़्यादा मोटा है….आअहह… मेरी जान निकली जा रही है…आअहह….थोड़ा रूको…प्लेअसस्ससी…

मेने रुक कर उसे फिरसे चूमना शुरू कर दिया और उसके कड़क हो रहे निप्प्लो से खेलने लगा…साथ साथ में हल्के-हल्के अपने लंड को मूवमेंट भी देता रहा…

मेरे कुछ देर के प्रयास के बाद उसका दर्द कम हुआ… अब वो अपने मज़े की तरफ ध्यान देने लगी थी…

जिससे उसके रस गागर से थोड़ा – 2 रस रिसने लगा… और मेरे शेर को अंदर बाहर होने में आसानी होने लगी..

मेरा लंड अभी भी 2” दूर था अपनी मंज़िल से, जो उसके आने वेल सेन्सेशन के कारण आसानी से पा गया.. और वो अब पूरी तरह से अंदर फिट हो चुका था…

हल्की सी कराह के साथ निशा उसे अपनी अंतिम गहराई तक फील करने में कामयाब रही.., अब उसकी रसीली मुनिया और ज़्यादा रस बहाने लगी थी…,

क्योंकि मेरे शेर ने उसके रस के खजाने का मुँह पूरी तरह खोल दिया था…

मेने उसको चूमते हुए अपने धक्कों को गति प्रदान की और आधी लंबाई के शॉट लगाने शुरू कर दिए….

उतने से ही कुछ देर बाद ही उसका बदन एक बार ज़ोर से आकड़ा और उसने जिंदगी का पहला स्खलन लंड के ज़रिए प्राप्त कर लिया…

वो बुरी तरह से मेरे सीने से चिपक कर हाँफने लगी…

उसे सीने से चिपकाए मे थोड़ा ठहर गया…, कुछ देर बाद उसके बदन को सहलाते हुए.. मेने उसे फिर से धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया….

कुछ मिनटों में ही वो एक बार फिरसे उत्तेजना के भंवर में फँस गयी, और अब उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया…

अब मेने पूरी लंबाई के शॉट लगाने शुरू कर दिए…, रास्ता खुल चुका था, सो गीली चूत में लंड को सुपाडे तक बाहर लाता… और फिर एक साथ पूरा डाल देता… !

मे अपने घुटनों पर हो गया, और निशा के कुल्हों को अपनी जांघों पर रखा, और अपने धक्कों में तेज़ी लाना शुरू कर दिया…
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