लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete

Post Reply
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

कुछ देर उंगली से गान्ड चोदने के बाद मेने अपने सुपाडे थूक लगा कर गीला किया और उसके टाइट गान्ड के सुराख पर रख कर अंदर ठेल दिया..

वो कराह कर अपनी टाँगें सिकोड़ने लगी… मेरा पूरा सुपाडा उसकी गान्ड में घुस चुका था…

फिर मेने अपनी टाँगों को उसकी जांघों के आगे से अड़ा दिया और कंधों पर दोनो हाथों को जमा कर एक करारा सा धक्का दे मारा…

अरईईईईईईई…………..मैय्ाआआआआआआअ……….माआआआअरर्र्र्र्ररर……..डलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआाआअ……….रीईईईई……



वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने की भरसक कोशिश कर रही थी… लेकिन मेरी टाँगें उसे हिलने तक नही दे रही थी.. ऊपर से दोनो हाथों ने उसका अगला धड़ दबोच रखा था…

मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में था… एक बार लंड की साइड में अपना थूक और डाल कर उसे थोड़ा सा बाहर खींचा…

और एक लंबी साँस खींचकर एक जबरजस्त झटका मारा… मोटे बबूल के डंडे जैसा मेरा सख़्त लंड, भाभी की कोमल गान्ड को चीरता हुआ जड़ तक फिट हो गया….

अपना एक हाथ में पहले ही उसके मुँह पर फिट कर चुका था… उसने चीखना चाहा… लेकिन चीख ना सकी… उसकी आँखों से आँसू झरने लगे…

मेने यहीं हद नही की और उसकी चुचियों को मसलते हुए.. धक्के देना शुरू कर दिया… बहुत देर तक वो कराहती रही… दर्द से तड़पति रही.. अपनी गान्ड को हिला डुला कर मेरे सोटे को गान्ड से निकालने का प्रयास करती रही…

लेकिन मेरी टाँगों की केँची ने उन्हें हिलने तक नही दिया…फिर मेने अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले जाकर सहलाने लगा..

उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मेने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी…

मे पूरी लंबाई के स्ट्रोक के साथ उनकी गान्ड फाड़ने में लगा हुआ था…
वाइग्रा के असर से मेरा लंड गान्ड में जाकर और ज़्यादा फूल गया, उनकी टाइट गान्ड के होल की दीवारें छिल सी गयी, मेरे लंड में भी दर्द सा होने लगा था…

लेकिन उसकी परवाह ना करते हुए मे लगा रहा गान्ड चोदने में, टाइट गान्ड की रॅगडन और उसके अंदर की गर्मी से मेरा लंड भी जल्दी ही पिघलने लगा और में झड गया…

मेरे पैर हटते ही वो धप्प से बिस्तेर पर औंधे मुँह गिर पड़ी.. उसके गिरते ही मेरा लंड ऑटोमॅटिकली बाहर आ गया…

मेने देखा तो उसपर कुछ खून के धब्बे से लगे हुए थे.. जो उसकी गान्ड की अन्द्रुनि दीवार के फटने से लग गये थे…

कामिनी भाभी की गान्ड का छेद लाल सुर्ख हो गया था, लंड बाहर आने के बाद भी कुछ देर तक वो एक सर्कल के शेप में खुला ही रहा…

उन्हें यौंही पड़ा छोड़कर मेने चुप चाप अपने कपड़े उठाए… और उनके रूम से खिसक लिया…,

दरवाजे को भिड़ा कर बाहर निकल आया.. वो यौंही बेसूध पड़ी रह गयी…

बाहर आकर मेने बाथ रूम में जाकर अपने लंड को साफ किया.. और बिना कपड़े पहने ही दीदी के रूम में घुस गया…

टाइट गान्ड की ज़बरदस्ती की रगड़ और कॅप्सुल के असर से मेरे लंड में भी थोड़ा सा दर्द जैसा था… लेकिन उसकी अच्छी-ख़ासी कशरत होने से वो अभी भी ढीला नही हुया था..

दीदी एक चादर ओढ़े मेरा इंतेज़ार कर रही थी… गेट बंद कर के मेने उसकी चादर हटाई…………..वाउ ! उसके बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा तक नही था..

मे उनके साथ लेट गया.., और उसके नंगे तपते बदन को अपनी कामुक हरकतों से और ज़्यादा पिघलने लगा…

जब वो लंड लेने के लिए उताबली दिखने लगी, तो मेने बड़े प्यार से अपना डंडे जैसा लंड जो अभी भी दवा के असर में था, उसकी रसीली चूत में धीरे-2 डालने लगा.

लंड फूल कर इतना कड़क हो चुका था, की दीदी की गीली चूत आधे में ही फडफडाने लगी…

उसके मुँह से कराह निकलने लगी.. मे आधे लंड से ही उसकी तमन्ना पूर्ति करता रहा और जितनी निर्दयता से मेने भाभी की गान्ड फाडी थी… उसके ठीक उलट मे दीदी के साथ बड़े इतमीनान के साथ चुदाई करने लगा…

अब मेरी कोशिश रहती थी… कि मे अपनी दीदी को आधे लंड से ही संतुष्ट करूँ.. जिससे उसके कुंवारेपन पर ज़्यादा फ़र्क ना पड़े… ये भाभी का ही सुझाव था हम दोनो के लिए…

कभी-कभी तो बिना अंदर डाले ही हम दोनो संतुष्ट हो जाते थे…

आज भी बड़े सॉफ्ट तरीके से चोद्कर मे दीदी को संतुष्ट करना चाहता था, लेकिन दवा का असर, ऐसा ना करने पर मजबूर कर रहा था…, और ना चाहते हुए भी जब वो मेरा सहयोग करने लगी तो मेने उन्हें थोड़ा ज़ोर से रगड़ दिया…,

वो तो इस तरह का वाइल्ड सेक्स पाकर मस्त हो गयी, देर रात तक हम दोनो एक दूसरे में गूँथे रहे, और फिर मे उसके बगल में ही सो गया……!

दूसरे दिन सुबह मेरे कॉलेज जाने तक भी कामिनी भाभी अपने कमरे से बाहर नही आई.. तो मे एक नज़र उनको देखने चला गया… वो अभी भी सो रही थी.. लेकिन अब उनके बदन पर व्यवस्थित कपड़े थे…

फिर मेने सोचा की कॉलेज से लौट कर ही बात करता हूँ… और मे वहाँ से अपने कॉलेज चला गया…

दोपहर को कॉलेज से वापस आने के बाद देखा, तो कामिनी भाभी अभी भी अपने कमरे में ही थी.. मे सीधा उनके पास चला गया…

वो मुझे देख कर सुबकने लगी… और शिकायत करते हुए बोली…

मेरे साथ आपने ऐसा क्यों किया देवर्जी…? आपने कोन्से जन्म की दुश्मनी निकाली मेरे साथ ?

मेने कहा – सॉरी भाभी ! मे आपकी सुन्दर सी मदमस्त गान्ड देख कर अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाया.. और वो सब मुझसे हो गया जो में कभी नही करना चाहता था… प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए…

अब मे आज आपसे एक वादा करता हूँ… कि आज के बाद मे आपको कभी हाथ भी नही लगाउन्गा..

वो हड़बड़ाते हुए… कुछ बोलना चाहती थी, कि मेने हाथ का इशारा कर के उन्हें रोक दिया और बोला –

आपको कुछ कहने की ज़रूरत नही है.. अब मेरे लिए यही सज़ा है.. कि मे आज के बाद अपनी प्यारी और परी जैसी सुन्दर भाभी के पास भी ना फटकू.. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना…

उसके बाद मेने उनके जबाब का भी इंतेज़ार नही किया और उनके पास से उठ कर चला आया…

रामा दीदी छिप्कर हमारी बातें सुन रही थी… मुझे बाहर आते देख वो किचेन में चली गयी…

और मुझे इशारे से अपने पास बुलाकर हँसते हुए बोली – वाह भाई… क्या सबक सिखाया है तूने उनको… मज़ा आ गया…,

साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी, इस बात पर हम दोनो ही ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे….
User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »

दो दिन बाद ही भाभी ने भैया को फोन कर के बुला लिया और एक रात रुक कर वो उनके साथ शहर चली गयी…

जाते हुए उनके चेहरे के भाव मेरे प्रति कुछ अच्छे नही थे, मुझे लगा जैसे एक गुस्से की आग उनके अंदर दबी हुई हो, जिसे मे समझ नही पा रहा था…

खैर अब जो होना था, सो हो गया, पर अब मे और दीदी… दोनो ही घर में अकेले रह गये थे, जो अब मस्ती से मनमाने तरीके से रह सकते थे…….!

अब दीदी ने घर में ब्रा और पेंटी पहनना बंद ही कर दिया था, वो बस एक वन पीस गाउन ही डाल लेती थी, जिससे उसके नाज़ुक अंग मेरी उत्तेजना बढ़ाते रहते थे..

जानबूझ कर वो उन्हें मेरे सामने और ज़्यादा उभार कर निकलती, तो मे उसे भी निकाल देता, और अपने खड़े लंड पर बिठाकर सारे घर में घूमता…

वो भी चलते फिरते अपनी गान्ड मेरे लौडे से रगड़ कर मुझे छेड़ देती, और हम दोनो ही गरम हो जाते.. लेकिन इन सबके बबजूद फिज़िकल सेक्स को अवाय्ड करने की कोशिश करते थे…

जब पानी सर से गुजरने लगता, तभी चुदाई करते…!

एक दिन दीदी रसोई में काम कर रही थी, वो थोड़ा आगे को झुक कर बर्तन धोने में लगी थी, टाइट फिट मिनी गाउन में उसके गोल-गोल चूतड़ बाहर को निकले हुए थे…

पेंटी ना होने की वजह से उसकी गान्ड की दरार भी साफ-साफ दिखाई दे रही थी…

मे उसी समय कॉलेज से लौटा था, कमरे में कपड़े चेंज कर के मे सीधा रसोई में ही चला गया,

गेट से ही मेरी नज़र जैसे ही उस नज़ारे पर पड़ी…मेरा लॉडा बिना अंडरवेर के शॉर्ट में फड़फड़ाने लगा…
मे दबे पाँव उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया, वो अपनी धुन में मस्त काम करने में व्यस्त थी…

मे अपना लॉडा उसकी गान्ड में फिट कर के उससे सॅट कर जैसे ही खड़ा हुआ, वो एक साथ चोंक पड़ी, फिर अपनी गान्ड का दबाब मेरे लौडे पर डालते हुए बोली…

मान जा ना भाई, क्यों परेशान करता है, मुझे काम करने दे ना…

मेने उसकी बगलों से हाथ आगे लेजाकर उसके अनारों को सहला कर कहा – लाओ मे भी मदद कर देता हूँ…

वो – मुझे पता है, तू कैसी मदद करेगा… छोड़ मुझे…आअहह… नही भाई… ज़ोर से नहियिइ….

जब मेने फिर भी उसे नही छोड़ा… तो वो काम छोड़कर मेरी तरफ पलट गयी, और मेरा लंड पकड़ कर उमेठ दिया…

आआईयईईई…..डीडीिई…क्या करती हो… तोडोगी क्या…?

वो शरारत से मुस्कराते हुए बोली – अच्छा ! तब से तू मेरी चुचियों को मरोड़ रहा था तब कुछ नही था, अपनी बारी आई तो लगा चिल्लाने…

फिर उसने मेरे होंठों को चूम लिया, और बोली - अब जा बाहर मुझे काम निपटाने दे, वरना मे आराम नही कर पाउन्गि…!

मेने वहाँ से जाने का नाटक किया, जब वो मुड़कर फिरसे काम पर लग गयी, तो मेने झटके से उसका गाउन कमर तक ऊपर उठा दिया, और नीचे बैठ कर उसकी गान्ड की दरार में मुँह डालकर चाट लिया…

आआहह…..कुत्ते… नही मानेगा तू…सस्सिईइ…छोड़ .. आई…

वो एक तरफ मना करती जा रही थी, और दूसरी तरफ उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी, जिससे में और आसानी से अपनी जीभ को उसकी चूत तक ले जेया सकूँ…

थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी, उसने अपना गाउन निकाल कर एक तरफ फेंक दिया… और मेरी तरफ पलट कर एक टाँग मेरे कंधे पर रख दी…

मे उसकी चूत को अच्छे से चाटने लगा.. वो अपनी आँखें बंद कर के मेरे बालों को सहलाने लगी…

कुछ देर बाद उसने मेरा सर पकड़कर, मुँह अपनी चूत के द्वार पर दबा दिया…

और आआईयईईई….मे..गाइिईई….करते हुए वो मेरे मुँह में झड़ने लगी…

कुछ देर तक वो मेरे मुँह को यौंही दबाए एक टाँग पर खड़ी रही…फिर जब उसका स्खलन बंद हो गया, और जैसे ही अपनी आँखें खोल कर सामने देखा…

झटके से उसने मुझे अपने से अलग किया, और अपने गाउन की तरफ लपकी… मेने बैठे-बैठे ही पीछे मुड़कर देखा….

सामने गेट पर अपने मुँह पर हाथ रखे हुए छोटी चाची खड़ी थी…

दीदी अपना गाउन पहनकर गर्दन झुकाए किसी अपराधी की तरह खड़ी हो गयी…

चाची अपने हा पर हाथ रखे हुए ही बोली – हाए लल्ला ! रामा बेटी ! तुम दोनो इतने बेशर्म भी हो सकते हो मुझे पता ही नही था…,

सगे भाई-बेहन होकर ऐसा काम करते तुम दोनो को लज्जा नही आती…?

दीदी की तो हवा ही खराब हो चुकी थी, वो सूखे पत्ते की तरह खड़ी-खड़ी काँप रही थी…

मे मंद-मंद मुस्कराते हुए चाची की तरफ बढ़ा, और जाकर उनकी एक चुचि को मसल्ते हुए कहा –

हम ऐसा क्या कर रहे थे चाची, जिसमें हमें लज्जा आनी चाहिए थी…?

मेरे चुचि मसल्ते हुए ऐसा कहने से दीदी की और ज़्यादा हालत खराब होने लगी.. वो फटी-फटी आँखों से मेरी तरफ देख रही थी…
चाची ने अपने चेहरे पर बिना कोई भाव लाए कहा – यही सब में जो अभी तुम दोनो कर रहे थे, वो तुम्हारे सामने नंगी खड़ी थी, और तुम उसकी वो ..वो..वो..चाट रहे थे.. और क्या..

मेने चाची की दोनो चुचियाँ एक साथ मसल दी, और कहा – वो क्या चाची…?

चाची मेरे लंड को दबाकर मुस्कराते हुए बोली – हाए लल्ला ! तुम वाकई में बहुत बेशर्म होते जा रहे हो…

मे – तो आप भी हो जाओ ना हमारे साथ बेशर्म, ये कहकर मेने उनकी साड़ी पेटिकोट समेत कमर तक उठा दी…

छ्होटे-2 बालों से घिरी, मोटे-मोटे होंठों वाली चूत को देखकर रामा दीदी बुरी तरह चोंक पड़ी…वो समझ ही नही पा रही थी, कि आख़िर ये हो क्या रहा है…

अब चाची ने भी मेरा शॉर्ट नीचे खींच कर मेरा लंड सहलाने लगी…! मे उनकी माल पुआ जैसी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर मसल्ने लगा…

रामा जो कुछ देर पहले खड़ी डर के मारे थर-थर काँप रही थी, ये नज़ारा देख कर उत्तेजित होने लगी…

मेने इशारे से उसको भी अपने पास बुला लिया, अब हम तीनों ही एक दूसरे में गुत्थम-गुत्था होते जा रहे थे…

कुछ ही पलों में हमारे बदन से कपड़े अलग हो गये… मेने रामा दीदी को स्लॅब के किनारे पर बिठा दिया, और चाची को झुका कर उसकी चूत के सामने खड़ा कर लिया…

फिर पीछे से मेने चाची की चूत में अपना लॉडा डाल दिया…. वो आआहह…सस्सिईईई….जैसी आवाज़ के साथ आँखें बंद कर के मेरे लॉड को अपनी चूत में निगल गयी…

दीदी ने चाची का मुँह अपनी चूत पर दबा दिया, और वो उसे चाटते हुए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…


User avatar
Ankit
Expert Member
Posts: 3339
Joined: 06 Apr 2016 09:59

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by Ankit »


हम तीनों ही मज़े की खोज में निकल पड़े, और 15 मिनिट की मस्त चुदाई के बाद क़हचही ऊंट (कॅमल) की तरह गर्दन आकड़ा कर झड़ने लगी….

उनके कामरस के प्रेशर से मेरा मूसल अपने आप चूत के बाहर आ गया… मेने रामा दीदी को अपनी गोद में लेकर स्लॅब के नीचे फर्श पर लेट गया…

वो अपनी अधझड़ी बुर लेकर मेरे डंडे के ऊपर बैठती चली गयी… मेने उसके अनारों को मसल्ते हुए नीचे से कमर चलाना शुरू कर दिया…

चाची हमारी चुदाई देख कर मस्त हो गयी.. और अपनी चुचियों को खुद ही मसलने लगी…

कुछ देर के बाद वो भी झड गयी…, तो मेने उसे अपने ऊपर से हटाया, खुद खड़ा होकर अपने लंड में दो हाथ के सट्टी लगाए, और अपनी गढ़ी-गढ़ी मलाई उन दोनो के चेहरे पर उडेल दी.

वो दोनो किसी भूखी कुटियाओं की तरह एक दूसरे के चेहरे से मेरी मलाई चाटने लगी…

मेने चाची की मस्त मोटी गान्ड मसल्ते हुए कहा – क्यों चाची…भतीजे- भतीजी के साथ चुदने में मज़ा आया कि नही…

चाची – हाए लल्ला… तुम तो सच में बहुत बड़े वाले चोदु हो गये हो… मुझे भी अपनी तरह बेशर्म बना ही दिया…

पर सच कहूँ… आज एक अजीब ही तरह का मज़ा आया… क्यों रामा… तुम्हें आया या नही…?

दीदी ने बोलने की जगह चाची के होंठों पर किस कर लिया…

आज घर में एक नया अध्याय ओपन हो गया था, जो चाची और रामा दीदी के लिए सुखद अनुभव देने वाला साबित हुआ था……

ऐसी ही मौज मस्ती के बीच समय का पता ही नही चला और राजेश की शादी का दिन भी आ गया.. बड़े भैया दो दिन पहले ही घर आ गये थे…

अगले दिन बाबूजी समेत हम सभी लोग उसकी शादी अटेंड करने चल दिए….!

भैया को जीजा होने के नाते कुछ मंडप वग़ैरह की रस्में निभानी थी…, इस वजह से हमें सुबह जल्दी ही निकलना पड़ा… गाड़ी से आधे घंटे में 10 बजे तक उनके यहाँ पहुँच गये..

फाल्गुन का शुरुआती महीना था… हल्की-2 सुबह में ठंडी रहती है…, भैया तो जाते ही कुछ ख़ान-पान की मेहमान नवाज़ी के फ़ौरन बाद अपनी रस्मों में बिज़ी हो गये…

पिताजी अपने समधी और वाकी के बुजुर्गों के पास बैठ कर राज़ी खुशी में व्यस्त हो गये,

राजेश के कुछ साथ के कुलीग भी आए थे.. तो मे उनके साथ छत पर कुर्सी डालकर बैठ गया और उनके साथ गप्पें लगाने लगा…

तभी वहाँ कुछ शादी शुदा औरतें आई जो शायद निशा की भावियाँ लगती थी…

उनके हाथ हल्दी से पुते हुए थे, आते ही वो उन लोगों को हल्दी लगाने लगी…इतने में मे सतर्क हो गया…

और इससे पहले कि उनमें से कोई मेरे पास आकर मुझे हल्दी लगाती, मे वहाँ से उठ कर एक तरफ भाग गया…

अभी मे सीडीयों के पास वाली बौंड्री से सट कर खड़ा हुआ ही था की तभी मेरी जान का दीदार हुआ… आँखों -2 में हमने एक दूसरे को ग्रीट किया….

मे धीरे-2 उसकी तरफ सरक ही रहा था… कि वो मुस्कुराती हुई.. नीचे भाग गयी… मे अभी भी उसे भागते हुए देख रहा था की ना जाने कहाँ से एक लड़की..
मेरे पीछे से आ गयी और उसने मेरी पीठ पर जोरदार थप्पड़ जड़ दिए..

जो असल में हल्दी लगे हाथों के थे… मेने जैसे ही उसकी तरफ पलट कर देखा…वो वही हल्दी लगे हाथ मेरे चेहरे पर भी रगड़ने लगी..

चूँकि वो लंबाई में निशा से भी कम थी… और मे ठहरा सवा 6 फूटा… तो उसको अपने हाथ काफ़ी ऊपर करने पड़े जिसकी वजह से उसके बड़े-बड़े कलमी आम मेरे पेट से रगड़ने लगे…

वो हँसते हुए मेरे गालों पर हल्दी मल रही थी.. मेने उसके हाथ पकड़ लिए और मॉड्कर उसके ही हाथ उसके गालों से रगड़ दिए जिससे रही सही हल्दी उसके गालों पर भी मल गयी…

वो झूठ-मूठ की नाराज़गी भरे लहजे में बोली – क्या जीजा जी… ये तो चीटिंग है.. आपने हमारी ही हल्दी हमें ही लगा दी…

बाजू में खड़ी औरतें बोली – क्यों ननद रानी… अब आया ना मज़ा.. ये जीजा आसानी से तुम्हारे हाथ आने वाले नही हैं…

वो नकली गुस्सा दिखाते हुए.. पैर पटकती हुई वहाँ से नीचे चली गयी…

वो जैसे ही वहाँ से गयी, उन औरतों ने मुझे चारों ओर से घेर लिया, और मेरे साथ खुल्लम खुल्ला मज़ाक करते हुए मेरे कपड़ों पर हल्दी लगाने के बहाने अपने नाज़ुक अंगों को मेरे शरीर के साथ रगड़ने लगी…

मेने जैसे तैसे कर के अपने आप को उनके चंगुल से आज़ाद किया, इस कोशिश में एक दो की रगड़ाई भी करनी पड़ी, और वहाँ से भाग के नीचे आ गया.
नीचे आकर मे निशा को ढूँढ रहा था… जो मुझे एक झलक दिखा कर एक तरफ को भाग गयी…

मे भी उसके पीछे -2 उसके पास पहुँच गया… वो एक ऐसी जगह खड़ी थी जहाँ लोगों का आना-जाना कम था…

मेने उसे बाहों में भर कर चूम लिया और शिकायत करते हुए कहा – तुमने मेरा स्वागत इस तरह से कराया है..? मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी…

वो मुस्कराते हुए बोली – ससुराल में आए हो… सालियों से तो ऐसी ही आशा करनी चाहिए आपको… इसमें ग़लत क्या है…

में उसकी बात का जबाब उसके होंठों को चूमकर देना चाहता था कि उसने मुझे धक्का देकर अपने से दूर कर दिया, मे जैसे ही एक कदम पीछे हुआ….

एक भारी बाल्टी गाढ़ा-गाढ़ा रंग, मेरे गर्दन से नीचे तक मुझे रंगता चला गया… निशा मेरे सामने खड़ी खिल-खिला रही थी…

मे जैसे ही उस रंग डालने वाली की तरफ पलटा… वही लड़की जो कुछ देर पहले मुझे हल्दी लगा गयी थी, मेरे चेहरे पर टूट पड़ी… मेरा पूरा चेहरा उसने गाढ़े-2 रंग से पोत दिया…

मेने भी अब उसे मज़ा चखाने का सोच लिया, एक हाथ से उसकी मोटी- गुदगुदी गान्ड को कसा, और दूसरे हाथ को उसके सर के पीछे से पकड़कर कर अपने से सटा लिया.

वो मेरी पकड़ से आज़ाद होने का भरसक प्रयास कर रही थी, लेकिन उसे क्या पता था कि ये फेविकोल का मजबूत जोड़ है, आसानी से टूटने वाला नही है..

और फिर मेने अपने चेहरे का पूरा रंग उसके गालों से रगड़ -2 कर पोंच्छ दिया…

उसके दोनो आम मेरे सीने से दबे हुए थे… दूर खड़ी निशा खिल-खिलाए जा रही थी… उस लड़की की साँसें भारी होने लगी.. और उसकी आँखों में वासना के कीड़े तैरने लगे…

उसने उचक कर मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे होंठों पर किस कर दिया और दूर छिटक कर लंबी- 2 साँसें लेने लगी…
chusu
Novice User
Posts: 683
Joined: 20 Jun 2015 16:11

Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)

Post by chusu »

wah....
Post Reply