"भड़ाक' से विजय ने उसके सिर में बूट की ठोकर मारी- चीख के साथ विकास ने उसकी टांगे पकडने के लिए दोनों हाथ फैलाए----विजय उछलकर उसके पीछे पहुचा-----------------दोनों टांगें पकडी और फिर फ़र्श पर किसी फिरकनी की सी तेजी के साथ घूम गया----------उसके हाथों में लटका विकास का उल्टा जिस्म भी घूम रहा था ।
देर सारे चक्करों के बाद विजय ने उसे छोड़ दिया ।
बिकास हाॅल की एक दीवार से जा टकराया---------फ़र्श पर गिरा--------सम्भलकर खडा हुआ ही था कि हवा में लहरा रहे बिजय की फ्लाइंग किक उसके चेहरे पर पडी।
गर्ज यह कि इस बार हावी होने बाद विजय ने उसे सम्भलेने का हल्का सा भी मौका नहीं दिया…पानी लेने के लिए जाता हुआ, मोन्टो ठिठककर इन दृश्यों को देखने लगा था ॥॥॥॥॥
अत्त में विजय की एक 'कर्राट' के बाद विकास बेहोश होकर फर्श पर गिर पड़ा ।
सावधानीपूर्वक उसने विकास की बेहोशी को चैक किया।
आश्वस्त होने के बाद उसने मोन्टो की तरफ़ र्देखा-सांस बुरी तरह फूली हुई थी-फिर भी उसने अजीब से ढंग से पटापट-पटापट मोन्टो को आंखें मारनी शुरू कर दी----जाने मोन्टो' को क्या हुआ कि रिवॉल्वर सीधा करके उसने एक साथ दो फायर विजय पर झोंक दिए !
विजय ने दोनों ही गोलियों को संग आर्ट से धोखा दिया और बोला---" क्या बात हुई गान्डीव प्यारे---कम-से-कम तुम्हें तो हमारा साथ देना चाहिए-भले ही जिसे तुलाराशि ने मारा था, , वह तुम नहीं थे…मगर हमने तो यही समझा था न कि तुम मर गए--------------हमने तुम्हारी ही मौत का बदला लेने के लिए तुलाराशि का राम नाम सत्य करा दी और उल्टे तुम ही हमें।"
घृणा से फर्श पर थूक दिया मोन्टो ने-जैसे उसे यह बात पसन्द न आई हो…गुस्से में भुननुनाते हुए उसने अपने रिवॉल्वर मे बची शेष तीन गोलियाँ भी विजय पर चला दी !
किन्तु मजाल है कि एक भी गोली विजय को छं जाए-----समी गोलियाँ हाॅल की दीबारों में जा धंसी-अंत में मोन्टो ने खुद विजय पर जम्प लगा ही ।
विजय ने उसे किसी छोटे से बच्चे की तरह हवा में ही लपका और घुमाकर एक दीवार पर दे मारा ।!।!
ची-ची की आबाजं के साथ वह फर्श पर निरा ।
मोन्टो बेहोश हो चुका था-लंगड़ाता हुआ विजय गेलरी की, तरफ बढ़ गया ।
"मैं कहता हू मान जाओं जुलिया----------------------रोक तो इस अनर्थ को-----अब भी समय है-इस खूनी खेल में तुम्हारा अपना वेटा
भी मौत के घाट उतर सकता है !"
मोटी-मोटी जंजीरों में कैद जैकी अर्द्धविक्षिप्तों की-सी अवस्था में चीखे चला जा रहा था ।
वैसी ही मोटी जंजीरों में कैद जूलिया कह उठी…"वह सिर्फ मेरा बेटा ही नहीं है ।"
"जूलिया !"
"मेरा हैरी अमेरिकी सीक्रेट सर्विस कां नम्बर वन एजेन्ट भी है------मै उसी सीक्रेट सर्विस की चीफ हूं-----मेरा काम दुनिया से अमेरिकी दुश्मनों को खत्म करना है और चीफ की हैसियत से मैं हैरी को हमेशा यही आदेश देती रही हुं-----विजय और विकास अमेरिका के सबसे वड़े दुश्मन है-------यदि हैरी उन्हें आपस में भिड़ाकर खत्म कर सकता है तो मैं क्यों न करने दूं ?"
"ल...लेकिंन वह यहां किसी और मकसद से आया है ।"
"में जानती हूं !" गम्भीर स्वर में कहती हुई जूलिया की दृष्टि जैकी के कटे हुए बाएं हाथ पर जम गई-----हाथ हथेली के अन्तिम सिरे से थोडा ऊपर से कटा हुआ था-----वहां से , जहां रिस्टवॉच बाधीं जाती है, बोली------* वह आपकै इस कटे हुए हाथ का बदला लेने भारत आया है ।"
"जबकि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए।"
" क्यों? "
"माना कि यह हाथ विकास ने काटा है-मगर हाथ धर्मयुद्ध के बीच कटा है जूलिया-वह धर्मयुद्ध भी विकास के साथ खुद मैंने ही शुरू किया था-इसमें विकास का कोई दोष नहीं है--------मेरा चक्रव्युह तोड़कर वह जैकी विजेता-वन गया--------धर्मयुद्ध की समाप्ति के साघृ ही वह अध्याय भी बन्द होना चाहिए ।"
"आपकी इस विचारधारा की ये दिली तौर पर हमेशा समर्थक रही हू ------------सचमुच आपका हाथ कटने मैं विकास का कोई दोष नहीं -बह घृर्मयुद्ध था------आपके द्वारा शुरु किया गया धर्मयुद्ध------वह अध्याय सचमुच विकास की जीत के साथ बन्द हो जाना चाहिए, लेकिन... ।"
"ल---- -लेकिन----!"
"आपके बेटे को कौन समझाए?" .
"तुम जुलिया , यदि तुम उसे समझाना चाहो तो हैरी ये खूनी खेल बन्द कर देगा !"
“आपकी तरह, आप ही के सामने उसकी मां और आपकी पत्नी होने की हैसियत से मैंने भी उसे समझाने की भरपूर कोशिश की----------------उसी का तो यह परिणाम है कि आपकी तरह मैं भी यहाँ मोटी-मोटी जंजीरों में बधी उसकी कैद में पड़ी हू-----आपसे उसने खूब पूछा कि आपका ये हाथ किसने काटा आपने नहीं बताया-----------उसने मुझसे भी पूछा--------मैंने भी नहीं बताया-----------------क्योंकि हम जानते, थे कि हैरी का खून गर्म है--------------यह मालूम होते ही कि यह हाथ विकास ने काटा हैं वह पागल हो जाएगा---धर्मयुद्ध के महत्व को न समझकर वह विकास से बदला लेने के लिए निकल पडेगा---------आपकी तरह मैं भी नहीं चाहती थी कि ऐसा हो-----------इसीलिए मैंने भी उसे कभी न बताया, किन्तु माइक से उसे सच्चाई पता लग गई ----सच्चाई पता लगने . पर वहीं हुआ, जिसका हमें डर था---------------चीखता-चिंघाड़ता और गुस्से में पागल हुआ हैरी धर आया------------विकास से इस कटे हाथ का बदला लेने की कसम खाई उसने-आपके साथ मैंने भी उसे समझाया---------------धर्मयुद्ध का महत्व बताना चाहा, लेकिन वह नहीं माना-हमने उसका विरोध किया…यह धमकी दी कि यदि उसने ऐसा किया तो हम विकास के साथ मिल का उसके सामने खड़े होंगे----उसने-हम ही को कैद कर लिया !"
" लेकिन-तुम इस मामले में हमेशा दुहरे व्यक्तित्व का प्रयोग करती रहीं हो जूलिया !"
"मैं समग्री नहीं ।"
"तुमने हैरी की मां और मेरी पली के रूप में निसंदेह, उसका _ विरोध किया है, परन्तु सीक्रेट सर्विस की चीफ के नाते तुमने उसे भारत आकऱ विकास से टकराने के लिए भडकाया है-------तुमने खुद ही बताया कि माइक से सच्चाई पता लगने पर वह घर से पहले सीक्रेट सर्विस के आँफिस मेँ तुमसे मिला--------विकास से बदला लेने के लिए भारत में मदद चाही तुमने न सिर्फ उसे इजाजत और मदद दी, बल्कि बह ककहकर उसे उकसाया भी कि उसे हर हालत में अपने पिता के कटे हुए हाथ का बदला लेना चाहिए ।"
"नकाब पहनकर अमैंरिकी सीक्रेट सर्विस के चीफ की कुर्सी पर हैरी से यही कहना मेरा फर्ज था ।" जुलिया कहती ही चली गई-----------------" उस वक्त मैं न तो आपकी बीबी होती हू और न हैरी की मा-------उस वक्त मैं सिर्फ सीकेट सर्विस की चीफ होती हू और अमेरिका के दुश्मनों को खत्म करना ही मेरा मकसद होता है------अब पुरी तरह धमकते ज्वालामुखी के समान हैरी वहां पहुंचा तो सीक्रेट सर्विस के चीफ को लगा कि उसका यह नम्बर वन एजेन्ट सचमुच देश के विजय और विकास जैसे दुश्मनों को खत्म कर सकता है---------सीक्रेट सर्विस के चीफ़ ने यह भी महसूस किया कि हैरी को भारत जाने की इजाजत और भारत में स्थित अमेरिकी जासूसों की मदद देनी राष्ट्रहित में है---- वह सब कुछ किया गया ।"
"म...मगर जूलिया---तुम्हारा यह दुहरा व्यक्तित्व मेरी समझ में नहीं आया?"
फीकी मुस्कान के साथ जूलिया कह उठी---------'आपकी समझ में नहीं आया----------------आप-जो खुद कलियुग के द्रोणाचार्य हैं------जिस तरह मन से न चाहते हुए अपने मुल्क की बेहतरी के लिए विकास को मार डालने के लिए चक्रव्यूह का निर्माण करना पडा था, उसी तरह चीफ़ की कुर्सो पर बैठकर मुझे भी मुल्क के लिए ऐसे बहुत्-से काम करने पडते हैं, जिन्हें दिल गवारा नहीं करता !"
“ जुलिया !"
" यह भी एक वैसा ही काम है !'
" उफ्फ! " जैकी झुंझला उठा---------फिर पागलों की तरह चीख पड़ा-----"कुछ देर के तुम अपने इस दुहरे व्यक्तित्व को त्याग क्यों नहीं देती-------कितना अजीब-सा लगता है हैरी नहीं जानता कि यहां आने की इजाजत और मदद देने वाली तुम हो-----उसे यह आदेश देने-बाली भी तुम हो कि विजय और विकास को खत्म कर दो-----फिर उसकी मा और मेरी बीवी के रूप में तुमने उसकी इन्तकाम से भरी इस मुहिम का विरोध भी डटकर किया है ।"
"दिल से वही किया है जैकी !"
"तभी तो मेरे साथ-साथ उस कम्बख्त ने तुम्हें भी मोटी जंजीरों में कैद करके रखा है।"
दूध ना बख्शूंगी/ complete
- 007
- Platinum Member
- Posts: 5355
- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
- 007
- Platinum Member
- Posts: 5355
- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma
“जो चेहरे पर नकाब पहनकर किया है, बह मेरा कर्त्तव्य है !"
"किन्तु इस खेल में हमारा हैरी भी खत्म हो सकता है जूलिया ?"
"भले ही जूलिया का सब कुछ लुट जाए-बेटे की लाश पर रो…रोकर भले ही जूलिया पागल हो जाए, मगर सीक्रेट सर्विस का चीफ अपने एक एजेण्ट की मौत के डर से दुश्मन को
नेस्तनाबूद कर देने का आदेश बापस नहीं ले सकता ।"
"एक बार जूलिया----सिर्फ एक बार तुम अपने कर्तव्य से गद्दारी कर दो ।" जैकी अजीब-से स्वर में कह उठा…........भले ही हैरी मेरे और तुम्हारे कहने से न माना हो, लेकिन, यदि उसे
एक बार सीक्रेट सर्विस के चीफ़ का यह सब कुछ न करने और अमेरिका बापस चले जाने का आदेश मिल जाएगा तो वह उस आदेश को ठुकरा नहीं सकता ।"
जूलिया का जहरीला स्वर----" मुझें कर्तव्यं से गद्दारी करने की सलाह दे रहे हैं?"
. "एक बार जुलिया-सिर्फ एक बार ।"
“हरगिज नही दृढ़ स्वर । कैदखाने में सन्नाटा छा गया----जंजीरे तक खामोश थी !"
धमकते चेहरे बाला जैकी उत्तेजित-सा जूलिया को देखता रह गया, जबकि जूलिया भी निरन्तर उसी की आंखों में झांक रही हैं थी---------जैकी ने कसमसाकर पहलू बदला-जंजीरे खड़खड़ा उठी---फिर वह किसी जुनूनी पागल समान खुद ही बडबड़ा उठा…"ये..............ये तेरे दिए हुए वचन का अपमान हो रहा है जैकी------तुमने विकास से वादा किया था कि वह जैकी-विजेता है…धर्मयुद्ध मे जीत गया था वह---------यदि विजय या विकास में से किसी को कुछ हो गया तो यह मेरी शिकस्त होगी-मेरी शिकस्त !"
जूलिया उसे स्थिर-सी निगाहों से देखती रही ।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हैरी आर्मस्ट्रांग !
विकास के मेकअप में उसने एक बहुत लम्बे-चौड़े और चमकदार हाॅल मे प्रबेश किया----------उसके साथ ही रेहाना भी थी--------
उसे देखते ही हाल की दीवारों से सटे हरी वर्दी पहने सशस्त्र लोगों ने उसे सैल्यूट दिया और सावधान की मुद्रा में खडे हो गए । अपने चेहरे से विकास का फेसमास्क उतारता हुआ वह हाल के एक तरफ़ पडी लम्बी-चौडी मेज की तरफ बढा-----इस वक्त खूबसूरत हैरी कीं नीली आंखों में गजब की चमक थी---------- --------फेसमास्क को किसी बेकार बस्तु के समान मेज पर डालता हुआ बोला----" तुम फ्रेश हो लो रेहाना-----कपड़े पहनकर तीस मिनट के अन्दर आओ----------तुम्हारे लोटने पर मैँ तुम्हें इसे हाल में एक ऐसा खेल दिखाऊँगा, जिसे देखकर तुम भी चौंक पड्रोगी ।"
" ऐसा क्या है?"
उसकी बात पर कोई ध्यान न देते हुए हैरी ने किसी को पुकारा-"हाॅफटन! "
" यस सर!" एक तन्दुरुस्त और गोरा-चिट्टा अमेरिकी एक कदम आगे आया ।
"रेहाना को हमारे कमरे में छोड़ आओ ।" कहने के बाद हैरी वहां स्का नहीं बल्कि लम्बे-लम्बे कदमों के साथ हाल पार कर गया-एक गैलरी में से गुजरता हुआ वह अंत में एक कमरे में पहुंचा ।
अलमारी में रखा एक शक्तिशाली ट्रांसमीटर ऑन किया-----किसी से सम्बन्थ स्थापित होने पर बोला-"हैलो… . हैलो…लाॅकहीड !"
दूसरी तरफ से आवाज उभरी…“लाॅकहीड हियर सर, ओबर ।"
"क्या रिपोर्ट है?”
"विजय और विकास का टकराव हो गया है सर! "
"हो गया है-इतनी जल्दी?"
"यस सर !"
"क्या परिणाम निकला?"
"विजय के बाएं पैर में गोली लगी है सर--"बस इससे आगे विकास उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सका-उसके बाद की सभी गोलियों से विजय खुद को संग आर्ट की मदद से बचा गया-------उनमें जमकर मल्लयुद्ध हुआ---अंत में विकास बेहोश हो गया !"
"क्या विजय अंकल विकास पर भारी पड़े थे ?"
"यस सर-----उसके बाद मोन्टो ने भी कोशिश की थी, परन्तु विजय ने उसे भी बुरी तरह जख्मी और बेहोश कर दिया तथा उस इमारत से अपने साथियों को-----निकलकर ले गया ।"
"हम विस्तार पुर्वक पूरी रिपोर्ट सुनना चाहते हैं ।"
दूसरी, तरफ से बोलने वाले लॉकहीड नामक व्यक्ति ने उसके द्वारा विकास के मेकअप में पुलिस हेडक्वार्टर से रेहाना क्रो निकाल लाने की प्रतिक्रियास्वरूप समी घटनाएं विस्तार पुर्वंक बता दी ।
अंत में बोला------"विकास और मोन्टो को बेहोश अवस्था में उसी इमारत में छोडकर विजय अपने साथियो के साथ फिर गुलफाम के होटल पहुच गया है…इस वक्त वह-वही है !"
" विकास और मोन्टो को अभी तक होश आया या नहीं?"
" नो सर!"
" कोई बात नहीँ-होश में आते ही वह फिर वहीं प्रक्रिया जारी कर देगा---------------हालात ऐसे बनाए गए हैं लॉकहीड कि विजय … विकास को नहीं मार सकता, जबकि बिकास विजय के प्राणों का प्यासा है, इसीलिए विजय विकास को सिर्फ बेहोश करके छोड़ गया, यहीँ मौका यदि विकास को मिल जाता तो विकास उसे कभी जिन्दा न छोड़ता- जो रिपोर्ड तुमने दी है, उससे जाहिर है कि विजय अभी तक खुद को रघुनाथ का हत्यारा समझ रहा है, जबकि विकास उसे मार डालने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है----------मुठमेड़ में बह सिर्फ इसलिए बच गया, क्योंकि विकास पर भारी पडा-----मगर वह बिकास पर हमेशा भारी-नहीं पड़ेगा लाॅकहिड----------विकास उससे कम नहीं है-----मौके की बात है----एक बार विकास को मौका लगा नहीं, यानी विकास विजय पर भारी पड़ा नहीं कि लाश बिछ जाएगी-----भले ही हजार मुठभेड हों--------------विजय भारी पडता रहे, किंतु जव तक खुद विजय के दिमाग में यह गलतफहमी घुसी रहेगी कि उसने रघुनाथ को मार दिया है, तब तक यह दुश्मनी कायम रहेगी यह गलतफ़हमी विजय को अपनी, आखिरी सांस तक रहेगी --------विकास को भी हकीकत तब पता लगेगी, जबकि वह विजय को मार चुका होगा ।"
लॉकहीड की आवाज़-"यस सर!"
"तुम उन पर बराबर नजर रखो-----विकास और मोन्टो के होश मे आते ही तुम्हें कोई ऐसा शगूफा छोड़ना है जिससे विकास को यह पता लग जाए कि अपने साथियों कै साथ विजय गुलफाम के होटेल में हे…मैं जल्दी ही उनका टकराव दुबारा कराना चाहता हूं।”
"हो जाएगा सर !"
"ओ के, मुझें तुम्हारे मुंह से इस सूचना का बडी बेताबी से इंतजार है लॉकहीड कि विकास ने विजय को गोलियों से भून दिया है ।" कहने के बाद हैरी ने सम्बन्थ-विच्छेद कर दिया ।
कैदखाने में गहरी खामोशी का साम्राज्य था !!!
कभी-कभी जंजीरों की खड़खड़ाहट उसे भंग कर देती-एक कोने में जैकी पड़ा था, दूसरे में जूलिया-मोटी जंजीरों में कैद!
बे चल-फिर सकते थे ----किन्तु सिर्फ अपने-अपने दायरे में । अचानक वे दोनों हल्के से चौके…नजरे मिली---.फिर कैदखाने के एकमात्र रोशनदान पर स्थिर हो गई…छत से सिर्फ दो फुट नीचे एक छोटा-सा रोशनदान था-मोटी सलाखों से युक्त-----उसी रोशनदान के पार से अभी-अभी किसी कै कराहने की आवाज उभरी थी ।
जैकी और जूलिया के कान खड़े ही गए । तभी उस तरफ से पुन: किसी मानव के कराहने का स्वर उभरा----"इस बार आवाज पहले से कुछ ज्यादा स्पष्ट थी-----कुछ कहने के लिए अभी जैकी ने खोला ही था कि… !
"किन्तु इस खेल में हमारा हैरी भी खत्म हो सकता है जूलिया ?"
"भले ही जूलिया का सब कुछ लुट जाए-बेटे की लाश पर रो…रोकर भले ही जूलिया पागल हो जाए, मगर सीक्रेट सर्विस का चीफ अपने एक एजेण्ट की मौत के डर से दुश्मन को
नेस्तनाबूद कर देने का आदेश बापस नहीं ले सकता ।"
"एक बार जूलिया----सिर्फ एक बार तुम अपने कर्तव्य से गद्दारी कर दो ।" जैकी अजीब-से स्वर में कह उठा…........भले ही हैरी मेरे और तुम्हारे कहने से न माना हो, लेकिन, यदि उसे
एक बार सीक्रेट सर्विस के चीफ़ का यह सब कुछ न करने और अमेरिका बापस चले जाने का आदेश मिल जाएगा तो वह उस आदेश को ठुकरा नहीं सकता ।"
जूलिया का जहरीला स्वर----" मुझें कर्तव्यं से गद्दारी करने की सलाह दे रहे हैं?"
. "एक बार जुलिया-सिर्फ एक बार ।"
“हरगिज नही दृढ़ स्वर । कैदखाने में सन्नाटा छा गया----जंजीरे तक खामोश थी !"
धमकते चेहरे बाला जैकी उत्तेजित-सा जूलिया को देखता रह गया, जबकि जूलिया भी निरन्तर उसी की आंखों में झांक रही हैं थी---------जैकी ने कसमसाकर पहलू बदला-जंजीरे खड़खड़ा उठी---फिर वह किसी जुनूनी पागल समान खुद ही बडबड़ा उठा…"ये..............ये तेरे दिए हुए वचन का अपमान हो रहा है जैकी------तुमने विकास से वादा किया था कि वह जैकी-विजेता है…धर्मयुद्ध मे जीत गया था वह---------यदि विजय या विकास में से किसी को कुछ हो गया तो यह मेरी शिकस्त होगी-मेरी शिकस्त !"
जूलिया उसे स्थिर-सी निगाहों से देखती रही ।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हैरी आर्मस्ट्रांग !
विकास के मेकअप में उसने एक बहुत लम्बे-चौड़े और चमकदार हाॅल मे प्रबेश किया----------उसके साथ ही रेहाना भी थी--------
उसे देखते ही हाल की दीवारों से सटे हरी वर्दी पहने सशस्त्र लोगों ने उसे सैल्यूट दिया और सावधान की मुद्रा में खडे हो गए । अपने चेहरे से विकास का फेसमास्क उतारता हुआ वह हाल के एक तरफ़ पडी लम्बी-चौडी मेज की तरफ बढा-----इस वक्त खूबसूरत हैरी कीं नीली आंखों में गजब की चमक थी---------- --------फेसमास्क को किसी बेकार बस्तु के समान मेज पर डालता हुआ बोला----" तुम फ्रेश हो लो रेहाना-----कपड़े पहनकर तीस मिनट के अन्दर आओ----------तुम्हारे लोटने पर मैँ तुम्हें इसे हाल में एक ऐसा खेल दिखाऊँगा, जिसे देखकर तुम भी चौंक पड्रोगी ।"
" ऐसा क्या है?"
उसकी बात पर कोई ध्यान न देते हुए हैरी ने किसी को पुकारा-"हाॅफटन! "
" यस सर!" एक तन्दुरुस्त और गोरा-चिट्टा अमेरिकी एक कदम आगे आया ।
"रेहाना को हमारे कमरे में छोड़ आओ ।" कहने के बाद हैरी वहां स्का नहीं बल्कि लम्बे-लम्बे कदमों के साथ हाल पार कर गया-एक गैलरी में से गुजरता हुआ वह अंत में एक कमरे में पहुंचा ।
अलमारी में रखा एक शक्तिशाली ट्रांसमीटर ऑन किया-----किसी से सम्बन्थ स्थापित होने पर बोला-"हैलो… . हैलो…लाॅकहीड !"
दूसरी तरफ से आवाज उभरी…“लाॅकहीड हियर सर, ओबर ।"
"क्या रिपोर्ट है?”
"विजय और विकास का टकराव हो गया है सर! "
"हो गया है-इतनी जल्दी?"
"यस सर !"
"क्या परिणाम निकला?"
"विजय के बाएं पैर में गोली लगी है सर--"बस इससे आगे विकास उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सका-उसके बाद की सभी गोलियों से विजय खुद को संग आर्ट की मदद से बचा गया-------उनमें जमकर मल्लयुद्ध हुआ---अंत में विकास बेहोश हो गया !"
"क्या विजय अंकल विकास पर भारी पड़े थे ?"
"यस सर-----उसके बाद मोन्टो ने भी कोशिश की थी, परन्तु विजय ने उसे भी बुरी तरह जख्मी और बेहोश कर दिया तथा उस इमारत से अपने साथियों को-----निकलकर ले गया ।"
"हम विस्तार पुर्वक पूरी रिपोर्ट सुनना चाहते हैं ।"
दूसरी, तरफ से बोलने वाले लॉकहीड नामक व्यक्ति ने उसके द्वारा विकास के मेकअप में पुलिस हेडक्वार्टर से रेहाना क्रो निकाल लाने की प्रतिक्रियास्वरूप समी घटनाएं विस्तार पुर्वंक बता दी ।
अंत में बोला------"विकास और मोन्टो को बेहोश अवस्था में उसी इमारत में छोडकर विजय अपने साथियो के साथ फिर गुलफाम के होटल पहुच गया है…इस वक्त वह-वही है !"
" विकास और मोन्टो को अभी तक होश आया या नहीं?"
" नो सर!"
" कोई बात नहीँ-होश में आते ही वह फिर वहीं प्रक्रिया जारी कर देगा---------------हालात ऐसे बनाए गए हैं लॉकहीड कि विजय … विकास को नहीं मार सकता, जबकि बिकास विजय के प्राणों का प्यासा है, इसीलिए विजय विकास को सिर्फ बेहोश करके छोड़ गया, यहीँ मौका यदि विकास को मिल जाता तो विकास उसे कभी जिन्दा न छोड़ता- जो रिपोर्ड तुमने दी है, उससे जाहिर है कि विजय अभी तक खुद को रघुनाथ का हत्यारा समझ रहा है, जबकि विकास उसे मार डालने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है----------मुठमेड़ में बह सिर्फ इसलिए बच गया, क्योंकि विकास पर भारी पडा-----मगर वह बिकास पर हमेशा भारी-नहीं पड़ेगा लाॅकहिड----------विकास उससे कम नहीं है-----मौके की बात है----एक बार विकास को मौका लगा नहीं, यानी विकास विजय पर भारी पड़ा नहीं कि लाश बिछ जाएगी-----भले ही हजार मुठभेड हों--------------विजय भारी पडता रहे, किंतु जव तक खुद विजय के दिमाग में यह गलतफहमी घुसी रहेगी कि उसने रघुनाथ को मार दिया है, तब तक यह दुश्मनी कायम रहेगी यह गलतफ़हमी विजय को अपनी, आखिरी सांस तक रहेगी --------विकास को भी हकीकत तब पता लगेगी, जबकि वह विजय को मार चुका होगा ।"
लॉकहीड की आवाज़-"यस सर!"
"तुम उन पर बराबर नजर रखो-----विकास और मोन्टो के होश मे आते ही तुम्हें कोई ऐसा शगूफा छोड़ना है जिससे विकास को यह पता लग जाए कि अपने साथियों कै साथ विजय गुलफाम के होटेल में हे…मैं जल्दी ही उनका टकराव दुबारा कराना चाहता हूं।”
"हो जाएगा सर !"
"ओ के, मुझें तुम्हारे मुंह से इस सूचना का बडी बेताबी से इंतजार है लॉकहीड कि विकास ने विजय को गोलियों से भून दिया है ।" कहने के बाद हैरी ने सम्बन्थ-विच्छेद कर दिया ।
कैदखाने में गहरी खामोशी का साम्राज्य था !!!
कभी-कभी जंजीरों की खड़खड़ाहट उसे भंग कर देती-एक कोने में जैकी पड़ा था, दूसरे में जूलिया-मोटी जंजीरों में कैद!
बे चल-फिर सकते थे ----किन्तु सिर्फ अपने-अपने दायरे में । अचानक वे दोनों हल्के से चौके…नजरे मिली---.फिर कैदखाने के एकमात्र रोशनदान पर स्थिर हो गई…छत से सिर्फ दो फुट नीचे एक छोटा-सा रोशनदान था-मोटी सलाखों से युक्त-----उसी रोशनदान के पार से अभी-अभी किसी कै कराहने की आवाज उभरी थी ।
जैकी और जूलिया के कान खड़े ही गए । तभी उस तरफ से पुन: किसी मानव के कराहने का स्वर उभरा----"इस बार आवाज पहले से कुछ ज्यादा स्पष्ट थी-----कुछ कहने के लिए अभी जैकी ने खोला ही था कि… !
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
- 007
- Platinum Member
- Posts: 5355
- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma
वहुत-से बूटों की आवाज तहखाने के इस्पाती दरवाजे कै पार आकर स्क गई--------जूलिया के साथ ही जैकी ने भी पलटकर उधर देखा---------ऐसी आवाज़ उभरी जैसे कोई किसी भारी ताले में चाबी डालकर उसे खोल रहा हो।
अगले ही पल हल्की-सी गड़गड़ाहट के साथ इस्पात की मोटी चादर वाला दरवाजा खुल गया…अपने कई साथियों के साथ हैरी ने अन्दर कदम रखा !
जंजीरें खनखनाई…जैकी औऱ जूलिया खडे हो गए ।
हैरी के शेष साथी दरवाजे या उसके, आसपास ही ठिठक गए, जबकि स्वयं हैरी चहलकदमी--सी करता हुआ पहले जैकी
के समीप पहुचा पूरी श्रद्घा के साथ झुककर उसने चरण स्पर्श किए----ऐसा ही जूलिया के समीप पहुँचकर किया----वे चरण छुऐ, जिनमें मोटी-मोटी जंजीरें पड्री थी ।
आखिर जैकी ने कह ही दिया…"जिन पैरों को छूते समय किसी के मन से श्रद्घा हो, उन पैरों में वही जंजीरें नहीं पहनाया करते ।"
हैरी ने गम्भीर स्वर में पूछा-“क्या आपने कभी मेरे मन में अपने लिए श्रद्धा का अभाव देखा है डैडी?"
जैकी चुप रह गया, जबकि जूलिया बोली-----------"ल.....लेकिन बेटे अपने माती-पिता को यूं कैद करके पैरों को जंजीरों में है जकड़कर पूरी श्रद्घा के साथ भी उसे छूने से क्या लाभ !'
"'वहीँ, किसी भी श्रद्धेय के चरण स्पर्श करने में है---मन को शांति मिलत्ती है।”
"श्नद्धेय के आदेशों का भी तो पालन करना चाहिए !"
"जरुर ।"
"तो फिर हम-तुम्हें एक वार फिर आदेश देते हैं हैरी!" जैकी बोला…“इस खूनी खेल से अपना हाथ खीच-ले-----अभी कुछ नहीं बिगड़ा है-अमेरिका बापस चल ।"
"श्नद्धेय बच्चों को उनके कर्तव्य से हट जाने के उपदेश नहीं देते और यदि दें तो बच्चों को कभी ऐसे किसी आदेश का पालन नहीं करना चाहिए ।"
" तुम इस सवको अपना कर्तव्य, कहते हो?" है ।"
" बेशक-उससे बदला लेना मेरा -जन्मसिद्ध कर्तव्य है… जिसने मेरे पिता का हाथ...।"
" बह धर्मयुद्ध था !'
" सुन चुका हू डैडी…हजार बार आपके और मम्मी के मुंह से यही बात सुन चुका हुँ ।
एकाएक उत्तेजित-सा होकर ऊंची आवाज में हैरी कहता ही चला गया…"मैं नहीं जानता कि धर्मयुद्ध क्या होता है------------वह आपने लडा…आप हार गए…उसके बारे में विकास जाने या आप----'मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि उस ने मेरे पिता का हाथ काटा है…खून की कीमत खून है. डैडी-जान की कीमत जान और हाथ की कीमत हाथ ।"
"हैरी !"
"आप दोनों में से कभी कोई मेरी इस मान्यता का नहीं रहा…मैंने कितना पूछा था, किन्तु आपने कभी नहीं बताया कि यह हाथ उस ने काटा था…माइक अंक्ल ने बताया-------------मैंने तभी फैसला कर लिया था कि भारत 'में जाकर इसका बदला लूंगा…भला हो उसका जिसने न सिर्फ मुझे यहां भेजा, बल्कि यहाँ काम करने के लिए यह इमारत दी++-------------भारत में स्थित अमेरिकी जासूसों को यह आदेश दिया कि वे मेरे आदेशों पर काम क्ररें--------आपने तो तब भी मेरा विरोध किया----धमकी दी कि यदि मैं भारत आया तो आप मेरा विरोध करेंगे-उसी मजबूरी के कारण मुझे आप दोनों को यहीं----,इस रूप में रखना पड़ा ।"
जैकी औंर-जूलिया खामोश रहे ।
"आज ही या ज्यादा-से-ज्यादा दो-चार दिन बाद आपको इस कैदखाने से मुक्ती मिल जाएगी-फिर आप कहीं भी जाकर कुछ भी कर सकते है------मेरे और मेरे मुल्क के बचे…खुचे दुश्मनों की मदद भी----नम्बर पाइव---!"
“यस सर !" एक व्यक्ति आगे बढा।
" इन लोगों को हाॅल में लाओ।"
"जो हुक्म सर !'
"पूरी सावधानी के साथ-ये जासूसों के देवता हैं-यदि हम हल्के से भी चूक गए तो फिर ये हमारी पकड से बहुत दुर निकल लेगे और इनका हमसे दुरं निकल जाने का मतलब दुश्मन खेमे में उनके मददगार और: दोस्त बनकर पहुच जाना----उस स्थिति-मे हमारी एक नहीं-चलेगी नम्बर फाइव----हमारा सारा प्लान चौपट हो जाएगा ।"
" आप फिक्र न करें सरा !"
हैरी बाहर निकलने के लिए मुडा ही था कि उसे जैकी ने पुकारा-"हैंरी !"
"जी ।" वह मुड़ा ।
"बराबर बाले कैदखाने में तुमनै किसे कैद कर रखा है?”
" ओह-----फिक्र न कीजिए-कुछ ही देर बाद हाल में सब कुछ पता लग जाएगा ।" कहने के बाद लम्बा लड़का एक मिनट लिए भी वहां नहीं रुका, बाहर निकल गया ।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हाल में जैकी और जूलिया दो थम्बो के सहारे बंधे हुए थे----- हेरी लम्बी-चौडी मेज के पीछे रिवॉल्विंग चेयर पर बैठा था------दीवारों के सहारे हरी वर्दी वाले सशस्त्र लोग मुस्तेदी के साथ खड़े थे-मेज के समीप ही एक अन्य कुर्सी डाल दी गई थी, जिसे पर रेहाना बैठी थी ।
जाने क्या बात थी कि थम्ब के साथ बंधा जैकी निरंतर रेहाना को ही घूरे जा रहा था, वह बोला कुछ नहीं था------मगर हां, उसे निरंतर अपने को घूरता देखकर रेहाना पर अजीब-सी घबराहट जरूर सवार हो गई ही ।
एकाएक हाल में जंजीरो की खनखनाहट गूंजी ।
सभी की नजंरें उस तरफ़ उठ गई।
दाई तरफ से हाल में एक कैदी प्रविष्ट हुंआ-उसके हाथ पैर जंजीरों में बंधे थे----हैरी के सशस्त्र साथियों के घेरे में था वह--------------कैदी को देखते ही कुर्सी पर बैठी रेहाना उछलकर खडी होगई------जैकी और जूलिया भी चौंक पडे…"अरे-यह तो रघुनाथ है?”
हैरी मन्द-मन्द मुस्कराता रहा।
रेहाना ने चकित स्वर में पूछा ----" ह..............हेरी--रधुनाथ यहाँ--जिन्दा?"
"तुम्हारा चौंकना स्वाभाविक है रेहाना क्योंकि तुम्हारी आंखों के सामने रघुनाथ को विजय ने गोली मार दी थी , लेकिन--------नही-------ऐसा नही था…इसीलिएं तो कहते हैं कि कभी-कभी
आँखों देखी बात भी झुठ होती है !"
" म------मगर---. ।"
"धैर्य रखो------कुछ देर बाद मै सब कुछ बता दूँगा और आपके लिए भी रघुनाथ अंकल का जीवित होना हैरत की ही बात है मम्मी-डैडी, क्योंकि रेहाना की तरह ही आप लोग भी
यही समझते थे कि मेरी प्लानिंग के अनुसार रघुनाथ भी विजय अंकल की गोलीसे मर गया है।"
जैकी-जुलिया चुछ ना बोले एकटक सुपंर रघुनाथ को देख रहे थे वे------जंजीरों मे कैद बह हरेक को घूस्ता हुआ बढा चला, आ रहा था…गहरी खामोशी छाई रही, जबकि सुपर रघुनाथ को दो थम्बो के बीच में बांध दिया गया-----दाईं भुजा में पडी जंजीर का दूसरा सिरा-दाईं तरफ वाले थम्ब में बंधा था और बाई तरफ वाला बाई तरफ के थम्ब में ।
हैरी के सशस्त्र साथी उसके आस-पास से हट गए ।
हैरी कुर्सी से उठा-----उसे घूमती छोड़कर रघुनाथ की तरफ़ बढा-----समीप पहुंचकर उसने रघुनाथ की आखो में झांककर कहा---------"आप विकास के पिता हैं-कुछ भी सही, विकास कभी मेरा दोस्त था और जो कभी दोस्त बनते हैं, वे हेमेशा दोस्त ही रहते हैं-हम दोस्त` हैं…रहेगे-----------सिद्धान्त की बात अलग हे…जिस तरह. आप विकास के लिए आदरणीय हैं, उसी तरह मेरे लिए भी हैं ।" कहने के साथ ही वह नीली आंखों वाला लड़का पूरी श्रद्घा के साथ रघुनाथ के चरणों से झुक गया !
न जाने क्यों इस वक्त जैकी ने कनखियों से रेहाना की तरफ़ देखा ।
अगले ही पल हल्की-सी गड़गड़ाहट के साथ इस्पात की मोटी चादर वाला दरवाजा खुल गया…अपने कई साथियों के साथ हैरी ने अन्दर कदम रखा !
जंजीरें खनखनाई…जैकी औऱ जूलिया खडे हो गए ।
हैरी के शेष साथी दरवाजे या उसके, आसपास ही ठिठक गए, जबकि स्वयं हैरी चहलकदमी--सी करता हुआ पहले जैकी
के समीप पहुचा पूरी श्रद्घा के साथ झुककर उसने चरण स्पर्श किए----ऐसा ही जूलिया के समीप पहुँचकर किया----वे चरण छुऐ, जिनमें मोटी-मोटी जंजीरें पड्री थी ।
आखिर जैकी ने कह ही दिया…"जिन पैरों को छूते समय किसी के मन से श्रद्घा हो, उन पैरों में वही जंजीरें नहीं पहनाया करते ।"
हैरी ने गम्भीर स्वर में पूछा-“क्या आपने कभी मेरे मन में अपने लिए श्रद्धा का अभाव देखा है डैडी?"
जैकी चुप रह गया, जबकि जूलिया बोली-----------"ल.....लेकिन बेटे अपने माती-पिता को यूं कैद करके पैरों को जंजीरों में है जकड़कर पूरी श्रद्घा के साथ भी उसे छूने से क्या लाभ !'
"'वहीँ, किसी भी श्रद्धेय के चरण स्पर्श करने में है---मन को शांति मिलत्ती है।”
"श्नद्धेय के आदेशों का भी तो पालन करना चाहिए !"
"जरुर ।"
"तो फिर हम-तुम्हें एक वार फिर आदेश देते हैं हैरी!" जैकी बोला…“इस खूनी खेल से अपना हाथ खीच-ले-----अभी कुछ नहीं बिगड़ा है-अमेरिका बापस चल ।"
"श्नद्धेय बच्चों को उनके कर्तव्य से हट जाने के उपदेश नहीं देते और यदि दें तो बच्चों को कभी ऐसे किसी आदेश का पालन नहीं करना चाहिए ।"
" तुम इस सवको अपना कर्तव्य, कहते हो?" है ।"
" बेशक-उससे बदला लेना मेरा -जन्मसिद्ध कर्तव्य है… जिसने मेरे पिता का हाथ...।"
" बह धर्मयुद्ध था !'
" सुन चुका हू डैडी…हजार बार आपके और मम्मी के मुंह से यही बात सुन चुका हुँ ।
एकाएक उत्तेजित-सा होकर ऊंची आवाज में हैरी कहता ही चला गया…"मैं नहीं जानता कि धर्मयुद्ध क्या होता है------------वह आपने लडा…आप हार गए…उसके बारे में विकास जाने या आप----'मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि उस ने मेरे पिता का हाथ काटा है…खून की कीमत खून है. डैडी-जान की कीमत जान और हाथ की कीमत हाथ ।"
"हैरी !"
"आप दोनों में से कभी कोई मेरी इस मान्यता का नहीं रहा…मैंने कितना पूछा था, किन्तु आपने कभी नहीं बताया कि यह हाथ उस ने काटा था…माइक अंक्ल ने बताया-------------मैंने तभी फैसला कर लिया था कि भारत 'में जाकर इसका बदला लूंगा…भला हो उसका जिसने न सिर्फ मुझे यहां भेजा, बल्कि यहाँ काम करने के लिए यह इमारत दी++-------------भारत में स्थित अमेरिकी जासूसों को यह आदेश दिया कि वे मेरे आदेशों पर काम क्ररें--------आपने तो तब भी मेरा विरोध किया----धमकी दी कि यदि मैं भारत आया तो आप मेरा विरोध करेंगे-उसी मजबूरी के कारण मुझे आप दोनों को यहीं----,इस रूप में रखना पड़ा ।"
जैकी औंर-जूलिया खामोश रहे ।
"आज ही या ज्यादा-से-ज्यादा दो-चार दिन बाद आपको इस कैदखाने से मुक्ती मिल जाएगी-फिर आप कहीं भी जाकर कुछ भी कर सकते है------मेरे और मेरे मुल्क के बचे…खुचे दुश्मनों की मदद भी----नम्बर पाइव---!"
“यस सर !" एक व्यक्ति आगे बढा।
" इन लोगों को हाॅल में लाओ।"
"जो हुक्म सर !'
"पूरी सावधानी के साथ-ये जासूसों के देवता हैं-यदि हम हल्के से भी चूक गए तो फिर ये हमारी पकड से बहुत दुर निकल लेगे और इनका हमसे दुरं निकल जाने का मतलब दुश्मन खेमे में उनके मददगार और: दोस्त बनकर पहुच जाना----उस स्थिति-मे हमारी एक नहीं-चलेगी नम्बर फाइव----हमारा सारा प्लान चौपट हो जाएगा ।"
" आप फिक्र न करें सरा !"
हैरी बाहर निकलने के लिए मुडा ही था कि उसे जैकी ने पुकारा-"हैंरी !"
"जी ।" वह मुड़ा ।
"बराबर बाले कैदखाने में तुमनै किसे कैद कर रखा है?”
" ओह-----फिक्र न कीजिए-कुछ ही देर बाद हाल में सब कुछ पता लग जाएगा ।" कहने के बाद लम्बा लड़का एक मिनट लिए भी वहां नहीं रुका, बाहर निकल गया ।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हाल में जैकी और जूलिया दो थम्बो के सहारे बंधे हुए थे----- हेरी लम्बी-चौडी मेज के पीछे रिवॉल्विंग चेयर पर बैठा था------दीवारों के सहारे हरी वर्दी वाले सशस्त्र लोग मुस्तेदी के साथ खड़े थे-मेज के समीप ही एक अन्य कुर्सी डाल दी गई थी, जिसे पर रेहाना बैठी थी ।
जाने क्या बात थी कि थम्ब के साथ बंधा जैकी निरंतर रेहाना को ही घूरे जा रहा था, वह बोला कुछ नहीं था------मगर हां, उसे निरंतर अपने को घूरता देखकर रेहाना पर अजीब-सी घबराहट जरूर सवार हो गई ही ।
एकाएक हाल में जंजीरो की खनखनाहट गूंजी ।
सभी की नजंरें उस तरफ़ उठ गई।
दाई तरफ से हाल में एक कैदी प्रविष्ट हुंआ-उसके हाथ पैर जंजीरों में बंधे थे----हैरी के सशस्त्र साथियों के घेरे में था वह--------------कैदी को देखते ही कुर्सी पर बैठी रेहाना उछलकर खडी होगई------जैकी और जूलिया भी चौंक पडे…"अरे-यह तो रघुनाथ है?”
हैरी मन्द-मन्द मुस्कराता रहा।
रेहाना ने चकित स्वर में पूछा ----" ह..............हेरी--रधुनाथ यहाँ--जिन्दा?"
"तुम्हारा चौंकना स्वाभाविक है रेहाना क्योंकि तुम्हारी आंखों के सामने रघुनाथ को विजय ने गोली मार दी थी , लेकिन--------नही-------ऐसा नही था…इसीलिएं तो कहते हैं कि कभी-कभी
आँखों देखी बात भी झुठ होती है !"
" म------मगर---. ।"
"धैर्य रखो------कुछ देर बाद मै सब कुछ बता दूँगा और आपके लिए भी रघुनाथ अंकल का जीवित होना हैरत की ही बात है मम्मी-डैडी, क्योंकि रेहाना की तरह ही आप लोग भी
यही समझते थे कि मेरी प्लानिंग के अनुसार रघुनाथ भी विजय अंकल की गोलीसे मर गया है।"
जैकी-जुलिया चुछ ना बोले एकटक सुपंर रघुनाथ को देख रहे थे वे------जंजीरों मे कैद बह हरेक को घूस्ता हुआ बढा चला, आ रहा था…गहरी खामोशी छाई रही, जबकि सुपर रघुनाथ को दो थम्बो के बीच में बांध दिया गया-----दाईं भुजा में पडी जंजीर का दूसरा सिरा-दाईं तरफ वाले थम्ब में बंधा था और बाई तरफ वाला बाई तरफ के थम्ब में ।
हैरी के सशस्त्र साथी उसके आस-पास से हट गए ।
हैरी कुर्सी से उठा-----उसे घूमती छोड़कर रघुनाथ की तरफ़ बढा-----समीप पहुंचकर उसने रघुनाथ की आखो में झांककर कहा---------"आप विकास के पिता हैं-कुछ भी सही, विकास कभी मेरा दोस्त था और जो कभी दोस्त बनते हैं, वे हेमेशा दोस्त ही रहते हैं-हम दोस्त` हैं…रहेगे-----------सिद्धान्त की बात अलग हे…जिस तरह. आप विकास के लिए आदरणीय हैं, उसी तरह मेरे लिए भी हैं ।" कहने के साथ ही वह नीली आंखों वाला लड़का पूरी श्रद्घा के साथ रघुनाथ के चरणों से झुक गया !
न जाने क्यों इस वक्त जैकी ने कनखियों से रेहाना की तरफ़ देखा ।
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
- 007
- Platinum Member
- Posts: 5355
- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma
सीधा खड़ा होता हुआ हैरी बोला-"लेकिन उस तरफ----जरा उस तरफ देखिए रघुनाथ अंकल… ।” हैरी ने जैकी के कटे हाथ की तरफ उंगली उठा दी-“उस कटे हुए हाथ को देखिए-------वे मेरे पिता हैं-----बह हाथ विकास ने काटा है-----आपके बेटे ने !"
गहरी खामोशी !
हैरी¸ने चहलकदमी-सी की, फिर ठिठककर बोला-------" अब आपका बायां हाथ कटेगा-------ठीक उसी जगह से, जहां से विकास ने मेरे पिता का काटा है ।"
" नहीं हैरी-नहीं ।” जैकी चीख पडा ।
“आप भूल गए डैडी ।" हैरी का कठोर स्वऱ--------“कुछ ही देर पहले मैंने कहा था कि हाथ के बदले हाथ------खून के बदले खून और जान के बदले जान लेना हैरी का सिद्धान्त है ।"
"म.......मगर-बिकास ने तेरे डैडी को इस तरह लाचार नहीं …कर दिया था…यूं जंजीरों में जंकडकर उंसने यह हाथ 'नूही काटा था-----------उसने टक्कर ली थी मुझसे-------------उस जांबाज ने मुझे-जीता था !"
"रघुनाथ अंकल को भी बचाव का पुरा मौका मिलेगा ।"
जूलिया कह उठी…"तुम पागल हो गए हो हैरी!"
"नही-----मै पागल-नहीं हुआ हू-------पूरे होश में हू में-यदि पागल हो गया होता तो उस चौराहे पर विजय की गोली से नकली रघुनाथ नहीं, वल्कि असली रघुनाथ मारा जाता------------मगर -मेरा प्रतिशोध इनके 'प्राण' लेने से नही बल्कि इनका हाथ काटकर छोड़ देने से पूरा होंगा !"
" फिर-वहां उस नकली ,रघुनाथ के मरवाने कीं क्या ज़रूरत थी?”
“विजय और विकास को हपेशा के लिए-दुशूमन बनाने के लिए !
" त...... ..तुम विजय और विकास को दुश्मन बनाओगे, हा हा हे---अचानक ही खिल्ली उडाने के अन्दाज में कहने के बाद ज़जीरों मेँ ज़कड़ा जैकी ठहाका लगा उठा--जव वह एक बार हंसा तो फिर हंसता ही चला गया…न सिर्फ हैरी बल्कि सभी चौंके हुए अन्दाज में उसकी तरफ देखने लगे थे-वह इस तरह ठहाके लगा-लगाकर हँस रहा था, मानो पागल हो गयो हो ।
हैरी ने पूछा-----"क्या बात है डैडी-आप इस तरह क्यों हंस रहे हैं?"
"य........यह सुनकर कि तुम विजय और बिकास मे दुश्मनी कराओगे ?"
"इसमे हंसने की क्या बात है-वे एक-दूसरे के दुश्मन बन चूके है !
इस बार जैकी ने पहले से'भी कहीं जोरदार ठहाका लगाया, बोला…"भले ही तुम विकास को मूर्ख बना दो हैरी-भले ही विकास तुम्हारी-चाल मेँ फंसकर विजय की लाश बिछाने निकल पडे, मगर विजय तुम्हारे दिमाग से बहुत बाहर की चीज है ।"
"इस बार विजय अंकल भी फंस गए है डैडी…उन्हे पूरा विश्वास है कि चौराहे पर उनकी गोली से सुपर रघुनाथ ही मरा ।"
"तुम्हारा वहम हे बेटे और हम दावे के साथ कह सकते है कि कुछ देर में विजय यहां पहुंचने वाला है ।"
"ये-आप-क्या कह-रहे-हैं ?"
चमकदार आंखों वाले जैकी ने कहा-"सच यहीं है बेटे!"
जूलिया सहित सभी चकित निगाहों से जैकी की तरफ देखने लगे--जैकी के होंठों पर बहुत ही गहरी जहरीली मुस्कान थी-- हैरी ने पूछा…“ऐसा आप किस आधार पर कह रहे हैं?"
" यह तुम्हें नही बताऊंगा ।"
" "डैडी!”
"किसी भी कीमत -पर नहीं बेटे?"
हैरी एकदम बेचैन-सा नजर आने लगा…चेहरे पर उलझन के भाव उभरे-बह ज्यादा ही तेजी से चहलकदमी करने लगा-----न केवल वंही सारी दुनिया जैकी के दिमाग का लोहा मानती थी-------वहं जानता था कि यदि उसके डैडी कह रहे हैं ' तो निश्चित रूप से उसके पीछे कोई आघार है, लेकिन क्या-----------ऐसा डैडी ने क्या महसूस किया कि वे एकदम इतने आश्वस्त नजर आ रहे हैं !!
उसकी ऐसी अवस्था देखकर जैकी और जोर-जोर से ठहाके लगाकर हंस पडा…हैरी समझ चुका का था कि उनसे कोई भी सवाल करना बेकार है-- वे जवाब नही देगे ।
एकाएक ही हैरी के दिमाग में विचार उटा----------कही ऐसा तो नहीं कि डैडी सिर्फ उसे उलझाना चाह रहे हों----यह महसूस करने के बाद कि अब वह रघुनाथ के हाथ काटे बगैर नही रहेगा--बे उसे मुख्य मकसद से भटका देना चाहते हों?"
"'जरूर ऐस ही है !"
इस विचार के दिमाग में आते ही वह चीखा---------“नम्बर ट्वन्टी!"
"यस सर !"
"खुखरी !"
नम्बर टूवन्टी ने अपनी बैल्ट में धंसी हुई खुखरी निकालकर हैरी की तरफ उछाल दी--------वेहद चमकदार खुखरी हाल के चकाचौंध कर देने वाले प्रकाश में झन्नाती हुई-सी हवा में लहराई------`हेरी ने लपकी और जैकी की तरफ़ घूमकर बोला---"मैं आपकी चाल में नहीं र्फसा हू डैडी!"
"क्या मतलब?”
"आप मेरा दिमाग हाथ काटने की तरफ़ से भटकाना चाहते थे न?"
"वहम है तुम्हारा ।"
"वहम' ही सही-आपकी बात ठीक ही सही डैडी---यदि आपके कथनानुसार यह मान भी लिया जाए कि विजय अंकल यहां पहुंचने बाले है तो उनके पहुंचने से ही पहले ही मैं अपना प्रतिशोध पूरा करनै वाला हूं--यहां उन्हें सुपर रघुनाथ का हाथ कटा हुआ ही मिलेगा ।" कहने के बाद उसने खुखरी वाला हाथ ऊपर उठाया ही था कि----।
“न......नहीँ हैरी-नहीं!" रेहाना चीख पडी ।
हैरी ने चौंककर उसकी तरफ देखा-जैकी के अलावा सभी के चेहरों पर चौंकने के भाव थे, जबकि चीखती हुई रेहाना ने अपने चेहरे से एक फेसमास्क नोच लिया ।
हैरी के कंठ से चीख-सी निकल गई--रैना मां...!""
" रैना !" जंजीरों में जकड़ा रघुनाथ उछल पडा ।
" न.. नहीं मेरे बेटे?" चीखती हुई रैना उसकी तरफ बढी--ऐसा अनर्थ न करो…यदि एक बेटा पागल है तो तुम भी पागल मत बनो-बन्द कर दो ये खूनी खेल हाथ काटकर आखिर तुम्हें क्या मिलेगा--------जैकी भइया का हाथ तो नहीं लौट आएगा !"
गहरी खामोशी !
हैरी¸ने चहलकदमी-सी की, फिर ठिठककर बोला-------" अब आपका बायां हाथ कटेगा-------ठीक उसी जगह से, जहां से विकास ने मेरे पिता का काटा है ।"
" नहीं हैरी-नहीं ।” जैकी चीख पडा ।
“आप भूल गए डैडी ।" हैरी का कठोर स्वऱ--------“कुछ ही देर पहले मैंने कहा था कि हाथ के बदले हाथ------खून के बदले खून और जान के बदले जान लेना हैरी का सिद्धान्त है ।"
"म.......मगर-बिकास ने तेरे डैडी को इस तरह लाचार नहीं …कर दिया था…यूं जंजीरों में जंकडकर उंसने यह हाथ 'नूही काटा था-----------उसने टक्कर ली थी मुझसे-------------उस जांबाज ने मुझे-जीता था !"
"रघुनाथ अंकल को भी बचाव का पुरा मौका मिलेगा ।"
जूलिया कह उठी…"तुम पागल हो गए हो हैरी!"
"नही-----मै पागल-नहीं हुआ हू-------पूरे होश में हू में-यदि पागल हो गया होता तो उस चौराहे पर विजय की गोली से नकली रघुनाथ नहीं, वल्कि असली रघुनाथ मारा जाता------------मगर -मेरा प्रतिशोध इनके 'प्राण' लेने से नही बल्कि इनका हाथ काटकर छोड़ देने से पूरा होंगा !"
" फिर-वहां उस नकली ,रघुनाथ के मरवाने कीं क्या ज़रूरत थी?”
“विजय और विकास को हपेशा के लिए-दुशूमन बनाने के लिए !
" त...... ..तुम विजय और विकास को दुश्मन बनाओगे, हा हा हे---अचानक ही खिल्ली उडाने के अन्दाज में कहने के बाद ज़जीरों मेँ ज़कड़ा जैकी ठहाका लगा उठा--जव वह एक बार हंसा तो फिर हंसता ही चला गया…न सिर्फ हैरी बल्कि सभी चौंके हुए अन्दाज में उसकी तरफ देखने लगे थे-वह इस तरह ठहाके लगा-लगाकर हँस रहा था, मानो पागल हो गयो हो ।
हैरी ने पूछा-----"क्या बात है डैडी-आप इस तरह क्यों हंस रहे हैं?"
"य........यह सुनकर कि तुम विजय और बिकास मे दुश्मनी कराओगे ?"
"इसमे हंसने की क्या बात है-वे एक-दूसरे के दुश्मन बन चूके है !
इस बार जैकी ने पहले से'भी कहीं जोरदार ठहाका लगाया, बोला…"भले ही तुम विकास को मूर्ख बना दो हैरी-भले ही विकास तुम्हारी-चाल मेँ फंसकर विजय की लाश बिछाने निकल पडे, मगर विजय तुम्हारे दिमाग से बहुत बाहर की चीज है ।"
"इस बार विजय अंकल भी फंस गए है डैडी…उन्हे पूरा विश्वास है कि चौराहे पर उनकी गोली से सुपर रघुनाथ ही मरा ।"
"तुम्हारा वहम हे बेटे और हम दावे के साथ कह सकते है कि कुछ देर में विजय यहां पहुंचने वाला है ।"
"ये-आप-क्या कह-रहे-हैं ?"
चमकदार आंखों वाले जैकी ने कहा-"सच यहीं है बेटे!"
जूलिया सहित सभी चकित निगाहों से जैकी की तरफ देखने लगे--जैकी के होंठों पर बहुत ही गहरी जहरीली मुस्कान थी-- हैरी ने पूछा…“ऐसा आप किस आधार पर कह रहे हैं?"
" यह तुम्हें नही बताऊंगा ।"
" "डैडी!”
"किसी भी कीमत -पर नहीं बेटे?"
हैरी एकदम बेचैन-सा नजर आने लगा…चेहरे पर उलझन के भाव उभरे-बह ज्यादा ही तेजी से चहलकदमी करने लगा-----न केवल वंही सारी दुनिया जैकी के दिमाग का लोहा मानती थी-------वहं जानता था कि यदि उसके डैडी कह रहे हैं ' तो निश्चित रूप से उसके पीछे कोई आघार है, लेकिन क्या-----------ऐसा डैडी ने क्या महसूस किया कि वे एकदम इतने आश्वस्त नजर आ रहे हैं !!
उसकी ऐसी अवस्था देखकर जैकी और जोर-जोर से ठहाके लगाकर हंस पडा…हैरी समझ चुका का था कि उनसे कोई भी सवाल करना बेकार है-- वे जवाब नही देगे ।
एकाएक ही हैरी के दिमाग में विचार उटा----------कही ऐसा तो नहीं कि डैडी सिर्फ उसे उलझाना चाह रहे हों----यह महसूस करने के बाद कि अब वह रघुनाथ के हाथ काटे बगैर नही रहेगा--बे उसे मुख्य मकसद से भटका देना चाहते हों?"
"'जरूर ऐस ही है !"
इस विचार के दिमाग में आते ही वह चीखा---------“नम्बर ट्वन्टी!"
"यस सर !"
"खुखरी !"
नम्बर टूवन्टी ने अपनी बैल्ट में धंसी हुई खुखरी निकालकर हैरी की तरफ उछाल दी--------वेहद चमकदार खुखरी हाल के चकाचौंध कर देने वाले प्रकाश में झन्नाती हुई-सी हवा में लहराई------`हेरी ने लपकी और जैकी की तरफ़ घूमकर बोला---"मैं आपकी चाल में नहीं र्फसा हू डैडी!"
"क्या मतलब?”
"आप मेरा दिमाग हाथ काटने की तरफ़ से भटकाना चाहते थे न?"
"वहम है तुम्हारा ।"
"वहम' ही सही-आपकी बात ठीक ही सही डैडी---यदि आपके कथनानुसार यह मान भी लिया जाए कि विजय अंकल यहां पहुंचने बाले है तो उनके पहुंचने से ही पहले ही मैं अपना प्रतिशोध पूरा करनै वाला हूं--यहां उन्हें सुपर रघुनाथ का हाथ कटा हुआ ही मिलेगा ।" कहने के बाद उसने खुखरी वाला हाथ ऊपर उठाया ही था कि----।
“न......नहीँ हैरी-नहीं!" रेहाना चीख पडी ।
हैरी ने चौंककर उसकी तरफ देखा-जैकी के अलावा सभी के चेहरों पर चौंकने के भाव थे, जबकि चीखती हुई रेहाना ने अपने चेहरे से एक फेसमास्क नोच लिया ।
हैरी के कंठ से चीख-सी निकल गई--रैना मां...!""
" रैना !" जंजीरों में जकड़ा रघुनाथ उछल पडा ।
" न.. नहीं मेरे बेटे?" चीखती हुई रैना उसकी तरफ बढी--ऐसा अनर्थ न करो…यदि एक बेटा पागल है तो तुम भी पागल मत बनो-बन्द कर दो ये खूनी खेल हाथ काटकर आखिर तुम्हें क्या मिलेगा--------जैकी भइया का हाथ तो नहीं लौट आएगा !"
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
- 007
- Platinum Member
- Posts: 5355
- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma
हैरी की नीली आंखों में आंसू भर आए-बोला------उस वक्त तुम कहाँ थी रैना मां----उस वक्त कहां थी तुम ----------- तुम्हारे गर्भ से जन्मा मेरे डैडी का हाथ काट रंहा था? "
" प्रतिशोध में जलकर इंसान पागल हो जाता है हैरी ।"
" मुझे अपने पागल होने की-परबाह नहीं हे-मैं बदला लेने निकला हू…हर हालत में बदला लेकर, ही लोटूगा-चुपचाप खडी रहो--बैसे आप चूक गईं------मै अभी हाथ काटने नहीँ जा रहा था । भला इस तरह हाथ कैसे काट सकता हुं--------रधुनाथ अंकल को संघर्ष का मौका भी तो देना है-------मेने खुखरी इनकी जंजीरें काटने के लिए हवा में उठाई थी-------------शायदं आपने सोचा कि--------!"
"ये गलत है हैरी-हिंसा से हिंसा ही भडक्रती हैं---+--तुम........!"
उसकी बात पूरी होने से पहुले ही हैरी चीखा…"इन्हें पकड लो !"
तुरन्त चार व्यक्तियों ने रैना को जकड़ लिया-रैना चोखी चिल्लाई , परन्तु व्यर्थ---हैरी के चेहरे पर जो कठोरता विराजमान थी, उसमें लेशेमात्र भी अन्तर-नहीं आया-तभी बाई तरफ़ से हाल में खुशी के कारण बदहवास-सा एक व्यक्ति दाखिल होत हुआ चीखा-----"स...सर...सर....…!"
"क्या बात है?” हैरी ने घूमकर पूछा ।
उसने अपनी फूली सांस नियन्त्रण में रखकर जल्दी से कहा---------"व.. विजय मर गया है सर।"
सभी धक्क से रह गए।
"क्या बकते हो?" हैरी अजीब से स्वर में चीख पड़ा।
"म.. .मैँ सही कह रहा हूं सर…ट्रांसमीटर पर अभी-अमी खबर आइं है।"
" खबर किसने भेजी?"
"ल...लॉकहीड ने सर !"
“क्या कहाँ उसने?"
"आपके आदेशानुसार विकास के होश में आते ही बड्री तरकीब से उसके दिमाग में यह बात डाल दी गई कि विजय अपने साथियों के साथ गुलफाम के होटल में है----मोन्टो को साथ लेकर सीधा गुलफाम होटल पहुचा…इस बार उसने विजयी को कोई मौका नहीं दिया-जाते ही उसके पीछे से सारा रिबाॅल्बर उस पर खाली कर दिया--------विजय को पूरी छह गोलियां लर्गी-तड़पने का मौका भी नहीं मिला उसे और ठण्डा पढ़ गया ।"
"फिर क्या हुआ !"
यह दृश्य देखकर विजय के साथी-------गुलफाम और उसके साथी पागल हो उठे…उन सभी ने मिलकर विकास और, मोन्टो को अधमरा कर डाला है लेकिन सर......!"
"लेकिन क्या?”
" लाॅकहीड ने यह खबर भी दी है कि रेहाना भी वहीँ है और वे सब जानते हैं कि चौराहे पर विजय की गोली से मरने वाला सुपर रघुनाथ नकली था ।"
"यह वे कैसे जानते हैं?"
“यह तो नहीं पता, क्रिन्तु लॉंकहीड का कहना है कि अचानक ही विजय की मृत्यु के बाद जब उसके दोस्त-----गुलफाम और गुलफाम के दोस्त स्वय रोते-बिलखते उसे मार रहे थे,
वे चीखे-चीखकर विकास को बता रहे थे कि विजय ने चौराहे पर रघुनाथ को नहीं मारा था---------रघुनाथ के मेकअप में वह कोई और था…वे आपका नाम भी जानते हैँ…लॉंकंहीड ने उसी वक्त उन्हें यह कहते भी सुना कि-हैरी को धोखे में रखने के लिए ही विजय अभी तक खुद को रघुनाथ का हत्यारा प्रर्थार्शत कर रहा था…विकास को मारते समय उसे वे यह भी बता रहे थे कि हैरी के अड्डे तक पहुचने के लिए विजय ने एक जबरदस्त चाल भी चल रखी थी ।"
रैना की तरफ देखकर हैरी कह उठा… "हां-चाल तो चल रखी थी !"
जोश मे भरा रिपोर्ट देने वाला व्यक्ति शात खडा रहा।
" अब विकास की क्या हालत है ?"
" बूरी तरह घायल होने के बाद वहं बेहोश हो गया है ।"
"ओह !" कहने के बाद उसने एक पल सोचा फिर बोला-----"तुम ट्रांसमीटर के पास जाओ----जैसे ही कोई नई रिपोर्ट मिले तुरन्त हमें खबर करना ।"
" जो आज्ञा ।" कहकर वह चला गया ।
हाल में सन्नाटा छा गया था-गहरा सन्नाटा !
बहुत से चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थी…बहुत-से चेहरों पर खुशी नाच रही थी-------हैरी का चेहरा बिल्कुल सपाट था, 'जेसे इस खबर से न तो उसे कोई विशेष खुशी ही हुई हो और न से विशेष दुख--------उसने बारी-बारी से जैकी-जूलिया--रघूनाथ और रैना के चेहरे देखे--------हाल में चहलकदमी-करता हुआ बोला------
--------" अब सारी घटनाएं शीशे की तरह साफ़ हैँ…विजय अंकल चौराहे पर रघुनाथ को गोली मारने से पहले ही यह भांप गए थे कि वह सुपर रघुनाथ नहीं है--------वे उसी समय यह भी समझ गए कि मुजरिम क्या चाहता है…,इसीलिए उन्होंने गोली सुपर रघुनाथ के पैर में न मारकर सीधी सीने में भारी-वहाँ से भागे और उसके बाद जितनी भी हरकतें की, उनसे यह जाहिर किया कि के स्वयं को सचमुच ही रघुनाथ का हत्यारा समझते हैं------
----------उस वक्त वे मेरा नाम नहीं जानते थे…मगर यह समझ गए थे कि उन घटनाओं के पीछे जो भी कोई है , वह उन्हें रघुनाथ का हत्यारा दर्शा कर बिकास से टकराना चाहता है-----
---------उस वक्त मुजरिम पर यह जाहिर-करना ही उनकी सबसे बडी चाल थी कि वे मुजरिम की चाल में फंस गए है-------
--------- निसंदेह वे अपनी इस चाल में कामयाब रहे, यानी मुझे कभी शक न हुआ कि वे हकीकत जानते है और स्वयं सुपर रघुनाथ का हत्यारा दर्शाने का नाटक कर रहे हैं----------जिस समय विकास उनके साथियों को पकड-पकडकर कैद कर रहा था, उस वक्त वे अन्दर--ही अन्दर उस तक पहुचने की कोशिश कर रहे थे, जिसके इशारे पर यह सब कुछ हो रहा था….......
-------रेहाना एक रात पुलिस लॉकअप में रही------इसी रात विजय अंकल ने उसे वहां से गुप्त तरीके से उठवाकर गुलफाम के होटल में टार्चर किया होगा-------मैं समझ सकता हू कि उनके सामने रेहाना अपना मुंह बन्द न रख सकी--------अत उन पर सब कुछ खुल गया…मेरा नाम--------मेरा मकसद--किन्तु रेहाना को इस अड्डे का पता नहीं मालूम था----- उसने यह जरूर बता दिया होगा कि मैंने उसे पुलिस की गिरफ्त से निकालने का वचन
दिया है----उसी रात वे रैना मां से मिले-----------इन्हें सारी हरकत बताने के बाद, रेहाना बनाकर टार्चर चेयर पर डाल दिया गया-----------क्यों रैना मां , बोलो ------ क्या यही सब कुछ नही हुआ था ?"
रैना ने चेहरा झुका लिया !
" प्रतिशोध में जलकर इंसान पागल हो जाता है हैरी ।"
" मुझे अपने पागल होने की-परबाह नहीं हे-मैं बदला लेने निकला हू…हर हालत में बदला लेकर, ही लोटूगा-चुपचाप खडी रहो--बैसे आप चूक गईं------मै अभी हाथ काटने नहीँ जा रहा था । भला इस तरह हाथ कैसे काट सकता हुं--------रधुनाथ अंकल को संघर्ष का मौका भी तो देना है-------मेने खुखरी इनकी जंजीरें काटने के लिए हवा में उठाई थी-------------शायदं आपने सोचा कि--------!"
"ये गलत है हैरी-हिंसा से हिंसा ही भडक्रती हैं---+--तुम........!"
उसकी बात पूरी होने से पहुले ही हैरी चीखा…"इन्हें पकड लो !"
तुरन्त चार व्यक्तियों ने रैना को जकड़ लिया-रैना चोखी चिल्लाई , परन्तु व्यर्थ---हैरी के चेहरे पर जो कठोरता विराजमान थी, उसमें लेशेमात्र भी अन्तर-नहीं आया-तभी बाई तरफ़ से हाल में खुशी के कारण बदहवास-सा एक व्यक्ति दाखिल होत हुआ चीखा-----"स...सर...सर....…!"
"क्या बात है?” हैरी ने घूमकर पूछा ।
उसने अपनी फूली सांस नियन्त्रण में रखकर जल्दी से कहा---------"व.. विजय मर गया है सर।"
सभी धक्क से रह गए।
"क्या बकते हो?" हैरी अजीब से स्वर में चीख पड़ा।
"म.. .मैँ सही कह रहा हूं सर…ट्रांसमीटर पर अभी-अमी खबर आइं है।"
" खबर किसने भेजी?"
"ल...लॉकहीड ने सर !"
“क्या कहाँ उसने?"
"आपके आदेशानुसार विकास के होश में आते ही बड्री तरकीब से उसके दिमाग में यह बात डाल दी गई कि विजय अपने साथियों के साथ गुलफाम के होटल में है----मोन्टो को साथ लेकर सीधा गुलफाम होटल पहुचा…इस बार उसने विजयी को कोई मौका नहीं दिया-जाते ही उसके पीछे से सारा रिबाॅल्बर उस पर खाली कर दिया--------विजय को पूरी छह गोलियां लर्गी-तड़पने का मौका भी नहीं मिला उसे और ठण्डा पढ़ गया ।"
"फिर क्या हुआ !"
यह दृश्य देखकर विजय के साथी-------गुलफाम और उसके साथी पागल हो उठे…उन सभी ने मिलकर विकास और, मोन्टो को अधमरा कर डाला है लेकिन सर......!"
"लेकिन क्या?”
" लाॅकहीड ने यह खबर भी दी है कि रेहाना भी वहीँ है और वे सब जानते हैं कि चौराहे पर विजय की गोली से मरने वाला सुपर रघुनाथ नकली था ।"
"यह वे कैसे जानते हैं?"
“यह तो नहीं पता, क्रिन्तु लॉंकहीड का कहना है कि अचानक ही विजय की मृत्यु के बाद जब उसके दोस्त-----गुलफाम और गुलफाम के दोस्त स्वय रोते-बिलखते उसे मार रहे थे,
वे चीखे-चीखकर विकास को बता रहे थे कि विजय ने चौराहे पर रघुनाथ को नहीं मारा था---------रघुनाथ के मेकअप में वह कोई और था…वे आपका नाम भी जानते हैँ…लॉंकंहीड ने उसी वक्त उन्हें यह कहते भी सुना कि-हैरी को धोखे में रखने के लिए ही विजय अभी तक खुद को रघुनाथ का हत्यारा प्रर्थार्शत कर रहा था…विकास को मारते समय उसे वे यह भी बता रहे थे कि हैरी के अड्डे तक पहुचने के लिए विजय ने एक जबरदस्त चाल भी चल रखी थी ।"
रैना की तरफ देखकर हैरी कह उठा… "हां-चाल तो चल रखी थी !"
जोश मे भरा रिपोर्ट देने वाला व्यक्ति शात खडा रहा।
" अब विकास की क्या हालत है ?"
" बूरी तरह घायल होने के बाद वहं बेहोश हो गया है ।"
"ओह !" कहने के बाद उसने एक पल सोचा फिर बोला-----"तुम ट्रांसमीटर के पास जाओ----जैसे ही कोई नई रिपोर्ट मिले तुरन्त हमें खबर करना ।"
" जो आज्ञा ।" कहकर वह चला गया ।
हाल में सन्नाटा छा गया था-गहरा सन्नाटा !
बहुत से चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थी…बहुत-से चेहरों पर खुशी नाच रही थी-------हैरी का चेहरा बिल्कुल सपाट था, 'जेसे इस खबर से न तो उसे कोई विशेष खुशी ही हुई हो और न से विशेष दुख--------उसने बारी-बारी से जैकी-जूलिया--रघूनाथ और रैना के चेहरे देखे--------हाल में चहलकदमी-करता हुआ बोला------
--------" अब सारी घटनाएं शीशे की तरह साफ़ हैँ…विजय अंकल चौराहे पर रघुनाथ को गोली मारने से पहले ही यह भांप गए थे कि वह सुपर रघुनाथ नहीं है--------वे उसी समय यह भी समझ गए कि मुजरिम क्या चाहता है…,इसीलिए उन्होंने गोली सुपर रघुनाथ के पैर में न मारकर सीधी सीने में भारी-वहाँ से भागे और उसके बाद जितनी भी हरकतें की, उनसे यह जाहिर किया कि के स्वयं को सचमुच ही रघुनाथ का हत्यारा समझते हैं------
----------उस वक्त वे मेरा नाम नहीं जानते थे…मगर यह समझ गए थे कि उन घटनाओं के पीछे जो भी कोई है , वह उन्हें रघुनाथ का हत्यारा दर्शा कर बिकास से टकराना चाहता है-----
---------उस वक्त मुजरिम पर यह जाहिर-करना ही उनकी सबसे बडी चाल थी कि वे मुजरिम की चाल में फंस गए है-------
--------- निसंदेह वे अपनी इस चाल में कामयाब रहे, यानी मुझे कभी शक न हुआ कि वे हकीकत जानते है और स्वयं सुपर रघुनाथ का हत्यारा दर्शाने का नाटक कर रहे हैं----------जिस समय विकास उनके साथियों को पकड-पकडकर कैद कर रहा था, उस वक्त वे अन्दर--ही अन्दर उस तक पहुचने की कोशिश कर रहे थे, जिसके इशारे पर यह सब कुछ हो रहा था….......
-------रेहाना एक रात पुलिस लॉकअप में रही------इसी रात विजय अंकल ने उसे वहां से गुप्त तरीके से उठवाकर गुलफाम के होटल में टार्चर किया होगा-------मैं समझ सकता हू कि उनके सामने रेहाना अपना मुंह बन्द न रख सकी--------अत उन पर सब कुछ खुल गया…मेरा नाम--------मेरा मकसद--किन्तु रेहाना को इस अड्डे का पता नहीं मालूम था----- उसने यह जरूर बता दिया होगा कि मैंने उसे पुलिस की गिरफ्त से निकालने का वचन
दिया है----उसी रात वे रैना मां से मिले-----------इन्हें सारी हरकत बताने के बाद, रेहाना बनाकर टार्चर चेयर पर डाल दिया गया-----------क्यों रैना मां , बोलो ------ क्या यही सब कुछ नही हुआ था ?"
रैना ने चेहरा झुका लिया !
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>