ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete

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chusu
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by chusu »

mast
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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

chusu wrote: 29 Sep 2017 18:05mast
rangila wrote: 29 Sep 2017 12:41 Very good bhai Wating for next
Ankit wrote: 29 Sep 2017 10:45superb update
railwayplatform wrote: 29 Sep 2017 21:42 10 OUT OF 10
LAGTA HAI AUROTON KO BAHUT ACHCHE SE SAMJTE HO.

AWAITING FOR NEXT...........PLEASE HURRY......
mastram wrote: 30 Sep 2017 12:38extremely hot
thank you friends
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

इस बात को और पक्का कर रही थी वीना की वो बात जब उसने मुझे अपने ब्लाउस के हुक्स नही खोलने दिए थी….शायद शरम के मारे…कि उसके मम्मों से दूध निकलता देख कर मे कैसे रिक्ट करूँगा…..शायद यही वजह थी कि, उसने मुझे अपना ब्लाउस नही खोलने दिया था….मे वापिस अपने रूम मे आ गया….ये सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया कि, उसकी चुचियों के निपल्स से अभी भी दूध बाहर आता है….खैर उस दिन कुछ ख़ास होने के संभावना नही थी….वो दिन भी गुजर गया….अगले दिन मे वीना के चोदने और उसके मम्मों को दबा -2 कर उनमे से दूध बाहर निकालने के लिए बहुत उतावला हो रहा था…..

उस दिन जब वीना अजय को स्कूल छोड़ कर वापिस आई तो, उसके चेहरे पर परेशानी सॉफ झलक रही थी…..जब वो छत पर आई तो मैने उसे इशारे से अपने पास आने को कहा…तो वो मेरे पास आ गयी…

..”वो आज अनु घर पर है…..” उसने थोड़ा सा उदास से लहजे मे कहा…..

मे: कोई बात नही इसमे परेशान होने वाली कॉन से बात है…….वैसे बात क्या है…

वीना: कुछ नही…..

मे: देखो अगर तुम मुझसे छुपाना चाहती हो तो छुपा लो….पर तुम्हे शायद नही पता कि, मे तुम्हे उदास नही देख सकता….प्लीज़ बताओ ना क्या बात है….

वीना: वो आज अजय के स्कूल गयी थी….

मे: तो ?

वीना: वहाँ बड़ी मेडम जी बोल रही थी कि, दो महीने से अजय की फीस जमा नही हुई है…अगर इस बार भी फीस जमा नही करवाई तो वो अजय को स्कूल से बाहर निकाल देंगे….

मे: तो तुमने उसकी फीस जमा क्यों नही करवाई….?

वीना: आप तो इनको जानते ही हो….वो मेरे हाथ मे पैसे रखते ही कितने है…. दो वक़्त की रोटी भी मुस्किल हो गयी थी….अगर आप पैसे ना देते तो दुकानदार ने उधार भी बंद कर देना था….मे बहुत मुस्किल से घर चला रही हूँ…

मे: तो इसमे कॉन सी बड़ी बात है…….मे तुम्हे पैसे देता हूँ….कितने पैसे चाहिए तुम्हे….

वीना: जी इस महीने के मिला कर 800 रुपये है उसकी फीस के….

मे: तुम रूको मे पैसे लेकर आता हूँ…..

वीना: नही रहने दीजिए…..जिसकी ये ज़िमेदारी है वो तो खुद कुछ करता नही है… हम क्यों आप पर बोझ बने…..

मे: अब तुम ज़यादा बातें ना बनाओ…..रूको मे अभी पैसे लेकर आता हूँ…..

मे अंदर गया और अपना पर्स खोल कर देखा तो उसमे उस समाए सिर्फ़ 1500 रुपये थे.. मैने पैसे निकाले और बाहर आकर वीना को दे दिए…..

वीना: देखिए ना आप भी क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे मे….कि कल और आज ये पैसे…..(वीना ने इन तीन वर्ड्स मे बहुत बड़ी बात कह दी थी….)

मे: देखो मे इतना गिरा हुआ इंसान नही हूँ…..मजबूरी और तंगी हर इंसान के ऊपर आती है….आज तुम लोगो पर है तो कल मेरे ऊपर भी आ सकती है….फिर तुम मेरी मदद कर देना…..(मैने मुस्कुराते हुए कहा….)

वीना: अच्छा मे फीस जमा करा कर आती हूँ……

उसके बाद वीना नीचे चली गयी…..और मे अपने रूम मे आ गया…तभी पापा का फोन आया….वो मुझे बुला रहे थे क्योंकि मामा जी की बेटी की शादी थी…इसलिए उन्होने ने मुझे कुछ दिन अपने पास रहने को भी कहा…..तो दोस्तो मैने एटीम से पैसे निकलवाए….जल्दबाज़ी मे पॅकिंग की….वीना को शाम को ही बता दिया था कि, शादी मे जा रहा हूँ…खैर मे अपने मम्मी पापा के पास पहुँच गया….मे वहाँ पर 7-8 दिन रुका था….जो थोड़ा बहुत काम विक्रांत मुझे मेल करता…मे उसे वहाँ से ही रात को पूरा करके मेल कर देता….

इन 7 दिनो मे मेरे पीछे वहाँ क्या हुआ…इसका मुझे अंदाज़ा नही था…मे नही जानता था कि, इन 7 दिनो मे वीना के परिवार के साथ क्या क्या हुआ….मे उस दिन सुबह 11 बजे घर पहुँचा…फ्रेश होने के बाद मैने चेंज किया…और बाहर आया तो मेरी नज़र अपनी छत पर बैठी वीना के ऊपर पड़ी…जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर अजीब सी उमंग जाग उठी…उसने मेरी तरफ देखा और फिर खड़ी होकर सीडीयों के डोर के पास जाकर खड़ी हो गयी…फिर इधर उधर देखते हुए मुझे अपने पास आने का इशारा किया…

मेने भी इधर उधर देखा और दीवार फाँद कर उसके पास जा पहुँचा….जैसे ही मे उसके पास पहुँचा तो वो एक दम से सूबकते हुए मुझसे लिपट गयी….”कहाँ चले गये थी आप….” उसने सुबक्ते हुए कहा….

.उसको ऐसे रोते देख कर मुझे बहुत हैरानी हो रही थी….कि आख़िर वो रो क्यों रही है…मैने उसके फेस को हाथो मे पकड़ा और उसकी आँखो और गालो से आँसू सॉफ करते हुए बोला…”क्या हुआ रो क्यों रही हो…”

वीना मेरी तरफ देख कर फिर से सूबकने लगी….

मे: पागल हो गयी हो क्या….ऐसे रो क्यों रही हो….मुझे बताओ तो सही….

वीना: मुझे माफ़ कर दीजिए….आप को देख कर मे अपने आप को रोक नही पे….

मे: पर बताओ तो सही हुआ क्या है…..?

वीना: बताती हूँ आप पहले नीचे चलिए….

मे: अच्छा चलो नीचे चल कर बात करते है……

मे उसके साथ नीचे आ गया…उसने मुझे बैठाया और पानी पिलाया…..उसके बाद वो मेरे सामने चारपाई पर बैठ गयी….”हां अब बोलो क्या बात है….” उसने मेरी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखा और फिर रुआंसी आवाज़ मे बोली…..

वीना: उस दिन जब आप चले गये थे…..अजय की फीस जमा करवाने के बाद जो पैसे बचे थे….वो मैने घर पर रखे हुए थी….पर पता नही कहाँ से इनको वो पैसे मिल गये…और उन्होने वो सारे पैसे शराब मे उड़ा दिए…..

मे: बस इतनी से बात…तुम क्यों परेशान हो रही हो…..मैने तुमसे हिसाब पूछा है क्या या फिर तुम से पैसे माँगे है….

वीना: नही वो बात नही है…..

मे: तो फिर क्या बात है….?

वीना : उसके बाद अगले दिन ही अजय बीमार पड़ गया….बहुत तेज बुखार हुआ था उसको. डॉक्टर ने कहा कि, इसे हॉस्पिटल मे अड्मिट करवा दो….डेंगू हुआ था…पर मेरे पास इतने पैसे भी नही थे कि, मे उसे हॉस्पिटल मे भरती करवा सकती….मे इतनी मजबूर थी कि, दिल कर रहा था कि, जहर खा कर मर जाउ….

मे: तो फिर क्या हुआ…..अजय कहाँ है…ठीक तो है ना वो…..

वीना: हां ठीक है….अभी हॉस्पिटल से छुट्टी नही मिली है….

मे: फिर तुम यहाँ क्या कर रही हो….तुम्हे तो उसके पास होना चाहिए था….

वीना: हां होना तो वही चाहिए था….पर मे भी कैसी मजबूर औरत हूँ….मे अपने बीमार बच्चे के पास होने की बजाय…..(ये कहते हुए उसने फिर से रोना शुरू कर दिया…..)

मे: देखो वीना पहने आप को सम्भालो…और मुझे खुल के बताओ कि प्राब्लम क्या है….
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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

वीना: उस दिन मेरी बेहन ने कहीं से कुछ पैसो का बंदोबस्त किया….और अजय को हॉस्पिटल मे अड्मिट करवाया….पर मेरी बहन और जीजा जी वो बेचारे भी खुद अपना घर मुस्किल से चलाते है….तीन बेटियाँ है और दो बेटे है….वो भला कहाँ तक मेरा साथ देते…इनको तो अपने बेटे की भी परवाह नही है….

मे: तो फिर क्या हुआ…..?

वीना: उस दिन मे अपनी बेहन के घर पर थी……उसके पड़ोस मे रहने वाली औरत ने दीदी को पैसे दिए थी…..वो जानती थी कि, मे पैसो के लिए कितनी मजबूर हूँ….और उसने इसी बात का फ़ायदा उठाया….तुषार वो औरत धंधा करती है…..

मे: क्या…..उसने तुम्हे कुछ उल्टा सीधा तो करने को नही कहा….

वीना: हां तुषार…..(वीना की आँखे एक बार फिर से झलक पड़ी…..)

मे: और तुमने….?

वीना: (ना मे सर हिलाते हुए) नही अभी कुछ नही किया…..उस दिन वो औरत मेरे साथ घर आ गयी……और उसने मुझसे कहा कि, अगर मे उसे एक रात के लिए अपना बैठक वाला रूम दे दूं तो वो मुझे 500 रुपये देगी…मे मजबूर थी क्या करती…..उस दिन अजय के पापा की नाइट ड्यूटी थी…..मेने हां कर दी….और वो अपने कस्टमर को लेकर रात को यहाँ आ गयी….

पहले तो अनु मुझसे बहुत नाराज़ हुई…..फिर पता नही क्यों उस रात के बाद, वो मुझसे नाराज़ नही हुई…और जब वो औरत आती है…वो अनु से बात करने की कॉसिश करती है…उस रात से वो अब तक 4 बार यहाँ रात को अपने अलग -2 कस्टमर्स के साथ रुक चुकी है…..अजय के इलाज मे इतना पैसा खरच हो गया….अब जब डॉक्टर ने कहा की, हम अब अजय को घर ले जा सकते है…तो बिल देने के पैसे भी नही है…..मैने जब उस औरत को कहा तो उसने मुझे भी ये काम करने को कहा…..

मे: तो फिर तुमने क्या जवाब दिया,…..?

वीना: अभी तक मैने कुछ नही कहा….उसने कहा था कि आज शाम तक बता देना…

मे: तुम उसे मना करो दो….कितने पैसे चाहाए तुम्हे……

वीना: 8000 चाहिए…..

मैने वीना को पैसे निकाल कर दिए…और कहा कि, वो उस औरत को बोल दे कि वो आज के बाद उनके घर ना आए……फिर मे वीना के साथ हॉस्पिटल गया….वहाँ पेमेंट करके अजय को छुट्टी दिलवाई और घर ले आया…वीना को कुछ पैसे और दिए….और कमलेश के खूब कान खींचे….कमलेश भले जैसा भी था….उसे भी अपने बेटे से प्यार तो था ही…..मेरे सामने उसने आगे से सुधरने का वचन दिया… वीना ने भी अपना वादा पूरा किया और उस औरत को सख्ती से अपने घर आने से मना कर दिया….

उस दिन कमलेश के कहने पर मेने उनके घर पर ही डिन्नर किया…उस दिन मैने अनु को पहली बार करीब से देखा था….उसका रंग वीना से कही ज़यादा गोरा और सॉफ था….32 साइज़ के कबूतर अभी से उड़ान भरने को उत्सुक थे….जो उसकी कमीज़ मे एक दम कसे हुए महसूस हो रहे थे…जब वो चलती तो उसकी दोनो चुचियाँ ऊपर नीचे होती…पतली सी लचकदार कमर….रसीले गुलाबी होंठ…गहरी बड़ी-2 आँखे….कुलमिला कर सेक्स बॉम्ब थी….

अनु समझदार लड़की थी…..पर उसका मन भी उसकी उम्र की लड़कियों की तरह चंचल और शरारती थी…इन 7 दिनो मे क्या -2 हुआ था…वो सब अच्छे से समझती थी….वो औरत रात को हर रोज नये मर्द के साथ उसके घर क्यों आती है…वो ये भी समझती थे…..रात को बंद कमरे मे हो रही चुदाई के बारे मे सोच कर और रूम से बाहर आ रही हल्की मस्ती भरी चुदाई से भरपूर आवाज़े सुन कर उसकी कच्छी भी तो गीली हो ही जाती हो गी…

उस दिन से कमलेश और वीना की नज़र मे मेरी इज़्ज़त और बढ़ गयी थी….पर एक दिक्कत जो सामने आ रही थी कि, अब कमलेश की ड्यूटी पर्मानेंट रात की हो गयी थी. और वो दिन को घर मे ही रहता था…..दिन को घर मे सोता था….और रात को फॅक्टरी जाता था....अनु भी अब कम ही अपनी मौसी के तरफ जाती थी…शायद वीना ने उसे उस औरत से दूर रहने के लिए कहा था….यही एक वजह थी….इधर कमलेश अभी भी दारू पीता था….पर पहले से कम कुछ पैसे तो बचा कर घर मे देने लगा था….पर वो ना काफ़ी थे…

अजय फिर से स्कूल मे जाने लगा था…..मेने वीना को कुछ और पैसे देकर अनु का भी स्कूल मे अड्मिशन करवा दिया था….क्योंकि मे सोचता था कि, अगर अनु दोपहर तक स्कूल मे रहगी तो शायद मुझे कभी कभार वीना को चोदने का मोका मिल जाया करेगा….पर वीना कमलेश के घर होने पर बहुत डरती थी…आग दोनो तरफ बराबर सुलग रही थी…..अनु अपने घर की माली हालत से अंज़ान नही थी….एक दिन जब अनु और अजय स्कूल गये हुए थे….तो वीना ऊपर छत पर आई….

वो मेरे पास आकर खड़ी हो गयी…..”यार उस दिन के बाद से मैने तुम्हे छू कर तक नही देखा….कुछ करो ना…मे तड़प रहा हूँ…..” मैने वीना की ओर देखते हुए कहा…..

वीना: (नज़रें झुका कर मुस्कुराते हुए) मे भी तो तड़प रही हूँ….पर क्या करू. ये कही बाहर भी तो नही जाते…शाम को 4 बजे उठ जाते है…फिर भी घर पर पड़े रहते है…..ऊपर से बच्चे भी स्कूल से आ जाते है….

मे: वो सब मे नही जानता…..कुछ तो जुगाड़ करो…..कोई तरकीब सोचो तुम मेरे लिए इतना भी नही कर सकती….

वीना: (कुछ देर सोचने के बाद) अच्छा क्या आप रात को आ सकते है…..

मे: हां पर अगर अनु को पता चल गया तो…..

वीना: (कुछ देर सोचने के बाद) वो तो है पर एक…..(वीना बोलते-2 चुप हो गयी)

मे: हां बोलो ना….

वीना: उस दिन जब औरत ने मुझसे कहा था कि, मे भी वो काम करूँ तो…उस दिन मे बहुत रोई थी….और मैने अंज़ाने मे वो बात अनु को बता दी थी कि, मे क्यों रो रही हूँ….

मे: तो फिर….उसने कुछ कहा था…..?

वीना: नही….पर जब मैने उसे पूछा कि मे क्या करूँ….तो उसने कहा था कि, आप को जो ठीक लगे…..

मे: तो फिर अब तुम कहना क्या चाहती हो…

वीना: वो घर के हालत को अच्छे से समझती है….मे उससे बात करूँगी…..कह दूँगी कि पैसो की बहुत तंगी है….उन दोनो की फीस इस महीने भी लेट हो गयी है…

मे: तुम्हे क्या लगता है….वो मान जाएगी….और अगर उसने ये बात कमलेश को कह दी तो….?

वीना: नही कहेगी….वो जानती है कि, उसके बाप ने आज तक उसे दिया ही क्या है….

मे: ठीक है बात करके देख लो…..

उसके बाद वीना नीचे चली गयी…मेरे लंड मे तो उसी पल हलचल होने शुरू हो गयी थी….जब मैने वीना को कहते हुआ सुना कि, अब मे उसके घर मे ही उसकी चूत मारूँगा….और अनु भी जानती होगी, कि मे उसकी माँ को दूसरे रूम मे चोद रहा हूँ….ये सोच-2 कर ही मेरा लंड एक दम अकड़ चुका था….वीना के जाने के बाद मे भी रूम मे आ गया….और बेड पर लेट कर सो गया….जब उठा तो शाम के 7 बज रहे थे…..सर्दियों की वजह से अंधेरा जल्दी हो गया था….
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