"कर ली कोशिशु !"
मोना चौधरी समझ चुकी थी कि कालिया इन सब बारों से भली भाति वाकिफ हे और बचाव के रास्ते भी जानता है। अगर बिना बताए उसने कालिया की गर्दन को झटका दिया होता तो उस स्थिति ने' कालिया खुद को किसी भी हाल में नहीं बचा सकता था I
"पकड़ तो इसे I " कालिया ने अपने दोनों आदमियों को आदेश दिया I
वे दोनों आगे बढे I . .
मोना चौधरी ने महसूस किया कि वह वास्तव में इनके काबू मे आ सकती है I आखिर कब तक वह तीनों का मुकाबला करेगी I और फिर उनकी रिचाल्बरे' भी कुछ दूरी पर पडी थीं । I दो उससे निबटने में व्यस्त हो सकते थे । तीसरा गोली भरा रिवाॅल्बर उठाकर¸ उस पर तान सकता था । और फिर कालिया ~ ' तो वैसे भी उसे टक्कर का आदमी लग रहा था I मार धाड़, एक्शन में एक्सपर्ट था I
यह सोचने का समय नहीं था I मोना चौधरी ने बिजली की सी गति से कालिया को गर्दन से बाह हटाई और फुर्ती के साथ उसकी कमर को दोनों हाथों से पकडा और तीव्र झटके के . साथ आगे बढ रहे दोनों आदमियों पर उठाकरु उछाल दि’या` I
मोना चौधरी ते कालिया को इस तरह उठा लिया था जैसे वह खिलौना हो I '
कालिया अपने दोनों आदमियों को साथ लिए नीचे जा गिरा I
मोना चौधरी के लिए इतना वक्त काफी था I वह भागी । रफ्तार के साथ वापस दौडी I इस ओर सडक की तरफ जहा कारें खडी थीं I मोना चौधरी ने फिर पीछे नहीं देखा I
जानती थी कि ऐसा मौका उसे फिर नहीं मिलेगा । सास रोके वह वह दौडी जा रही थी ।
मोना चौधरी सडक पर पहुची ।
सबसे आगे कालिया की हरे रग की कार खडी थी I चाबी इम्बीशन में लगी थी I मोना चौधरी ने दरवाजा खोला । एक ही बार चाबी घुमाने पर कार स्टार्ट हो गई । गियर डालकर मोना चौधरी एक्सीलेटर पर पाव दबाते हुए स्टेयरिंग' भी मोढ़ती चली गई ।
ठीक उसी समय कालिया और उसके दोनों आदमी सड़क पर पहुचे I
परंतु अब वे मोना चौधरी को नहीं पक्रड़ सकते थे । उसे कार लेकर भागते देखकर कालिया के चेहरे पर झुझलाहट के भाव मोना चौधरी को स्पष्ट दिखाई दिए I मोना चौधरी मुस्कराई I
"बाय बाय । " मोना चौधरी ने ऊचे स्वर में कहा ओर अगले ही पल कार सीधी होकर रफ्तार के साथ सडक पर सीधी दोड़त्ती चली गई I
मोना चौधरी के चेहरे पर राहत के भाव आ गए थे I उसने. गहरी सास ली । डैशबोर्ड के ऊपरी हिस्से पर कालिया का पैकेट माचिस पडा था उसमे' से उसने सिगरेट सुलगाकर कश लिया I जो भी हो इसमें शक नहीँ रहा था कि कालिया वास्तव में मजेदार आदमी था I
परंतु वह था कौन मोना चौधरी की समझ में यह बात नहीं आ रही थी I उससे क्या चाहता है वह नहीं जान सकी थी I
तभी बेक मिरर में उसकी निगाह पडी तो आखें सिंकुड़ गई I
उसकी अपनी ही कार पीछे आ रही थी I जाहिर था कि उस कार में कालिया और उसके दोनो' आदमी. मौजूद थे ।
यानी कि अभी भी उन्होंने पीछा नहीँ छोडा था I मोना चौधरी के दात मिच गए I
आखो में सख्ती के भाव आ गए I मोना चौधरी जानती थी किं अगले चौराहे को पार करते ही सडकों और गलियों का तगडा जाल था ।
इन सडकों और गलियों के जाल में प्रवेश करके वह पीछे आ रहे कालिया को आसानी से धोखा दे सकती थी I
परंतु चौराहे पर, पहुचते ही उसके दात भिच गए I लाल बत्ती थी I दो कारें पहले ही इस प्रकार खडी थी कि वह लाल बत्ती भी पार नहीं कर सकती थी । बैक मिरर पर निगाह
मारी I पीछे आ रही कार की गति अब कम होनी शुरू हो गई थी ।
यानी कि अगले चंद पलो में फिर कालिया से टकराव I
मोना चौधरी ने कार रोकी l दरवाजा खोला बाहर निकली और सढ़क पार खडे वाहनों के बीच में से गुजरती रफ्तार के साथ वह सामने नजर आ रहे अपार्टमेंट' की तरफ भागती चली गई I अपार्टमेट के गेट से भीतर प्रवेश करते हुए उसने गर्दन घुमाकर¸ पीछे देखा I
कालिया साए की तरह उसके पीछे था I
"उल्लू का पट्ठा I" दात भीचकर मोना चौधरी बढ़बडा … उठी. I
अपार्टमेंट के दरबाजे को पार करते ही बाई तरफ छोटा सा रिसेप्शन था I जिस पर बीस बाईस बरस की उम्र का युवक मौजूद था । मोना चौधरी क्रो इस तरह भागकर भीतर आते देखकर वह हैरान-सा हुआ I उसकी हैरानी मोना चौधरी के… लिए मुसीबत खडी कर सकती थी इसलिए वह क्षणभर के लिए रिसेप्शन पर ठिठकी I उस युवक के कुछ कहने से पहले हीँ मोना चौधरी जल्दी से कह उठी ।
"सुनो l मेरे पीछे कुछ बदमाश लगे हैं I अगर वे भीतर. आए तो कह देना मैं यहा नहीं आई I कुछ देर क्रे लिए मै
भीतर कहीँ छिप जाती हूं I ओके I"
युवक ने एक निगाह में उसके तबाही हुस्न का नजारा कर लिया ।
" ठीक है I" युवक ने फौरन कहा-पहली मजिल पर कोने वाला कमरा मेरा है I उस दरवाजे पर नीले रंग का पेंट है । तुम उसमेँ चली जाओ मेरी डूयूटी खत्म होने वाली है। मैँ वहीँ आजाऊगा ।"
मोना चौधरी ने सिर हिलाया और सामने दिखाई दे रही सीढियों की तरफ भागती चली गई I
और देखते ही देखते सीढियों से चढकर निगाहों से ओझल हो गई । युवक ने गहरी सासं ली और सिगरेट सुलगाकर कश लिया I
मोना चौधरी के जिस्म. का तबाही नजारा उसकी आखों के सामने घूम रहा था I
अभी उसने दो कश ही लिए होगे कि कालिया और उसके दोनों आदमियों ने भीतर प्रवेश किया I उनकी हालत देखकर ही वह समझ गया कि वहीँ लोग उसके पीछे पडे होगे I
वे रिसेप्शन पर ठिठके I कालिया बोला I
"अभी अभी यहा एक युवती आई है I स्कर्ट और शर्ट पहने I ”
"स्कर्ट और शर्ट पहने ?" युवक ने आश्चर्य जाहिर किया I
"हा I पतली I लबी I खूबसूरत ऐसी कि देखने वाला … देखता ही रह जाए I "
. . युवक लापरवाहीँ से मुस्कराया I
"साहब I आपको गलतफहमी हुई है I यहा ऐसी कोई भी युवती नहीं आई।"
कालिया का चेहरा कठोर हो गया I क्रोध तो आना ही था उसके इस सवाल पर क्योकि कुछ पल पूर्व उसने खुद मोना चौधरी को यहा आते देखा था I
"नहीं आई ? " कालिया ने सख्त स्वर में कहा I
"नहीं I ” युवक ने पूर्ववत स्वर में कहा I
कालिया के दात भिच गए I
"बेटे I तुम ज्यादा ही हवा में उड़ने की चेष्टा कर रहे हो I " कालिया ने एक एक शब्द चबाकर कढ़वे स्वर में कहा-"लेकिन कोई बात नहीं' हम उसे खुद तलाश कर लेंगे वह भीतर ही है । वस एक बात बता दो।"
"क्या ?'”
"वह तुम्हें ऐसा क्या दिखा गई जो तुम आधे मिनट में ही उसकी खातिर झूठ बोलने पर आमादा हो गए? "
आ बैल मुझे मार- मोना चौधरी सीरीज complete
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज
"उसने ? उसने तो मुझे कुछ भी नहीं दिखाया । " युवक सकपकाया ।।
"उसने नहीं दिखाया तो तुमने ही झाककर कुछ देख लिया होगा । " कालिया का लहजा तीखा था I
"न नहीं I म मैने कुछ नहीं देखा I " युवक कुछ बौखला-सा उठा था ।
कालिया ने अपने आदमियो के चेहरे पर सख्त निगाह मारी ।
"इसके रिसेप्शन पर नजर मारो कहीँ वह इसकी टागों के पास पकड़े ना बैठी हो!“
"पकडे बैठी हो ?" युवक का मुंह खुल गया…"क्या पकड़े बैठी हो?"
"टागें !"
युवक ने चैन की लबी सास ली ।
दोनों आदमी रिसेप्शन के पीछे गए I अच्छी तरह देखा I मोना चौधरी यहा थी ही नहीं तो मिलती कैसे I दोनों बाहर आ गए । उन्होने कालिया को देखकर नकारात्मक अदाज में सिर हिलाया I
"मैंने तो पहले ही कहा था कि यहा कोई भी नहीं आया । " युवक शीघ्रता से बोला I
"आया नहीं I” कालिया काउटर पर कोहनिया रखकर उसकी आखों में झांकता हुआ बोला…"आई है I स्कर्ट और छोटी सी शर्ट पहने वह खूबसूरत शै I इंतजार करो और देखो . हम उसे इसी अपार्टमेटै में से हासिल करते हैं I तब तुमसे पूछेगे कि यह कहा से पैदा हो गई? " युवक ने कालिया को धूरा I
"तुम लोग भीतर नहीं जा सकते । '" युवक को एकाएक जैसे अपनी ड्यूटी का आभास हुआ I
"क्यों ?" कालिया ने होंठ और आखें सिकोडे I कोई भी गैर आदमी अनजान आदमी भीतर नहीं' जा सकता' I' ऐसे लोगों को रोकना मेरी ड्यूटी है I जो भी भीतर जाएगा, रजिस्टर पर एंट्री करके , वह किससे मिलने जा रहा हे I और शक होने पर भीतर बालों से पुछा' जा सकता हे कि-- इस नाम का आदमी मिलना चाहता है I उसे भीतर आने दें या नहीं ?"
"तो फिर वह केसे भीतर चली गई ?"
”‘ कौन? "
" बही जो जाते समय तुम्हें कुछ दिखा गई थी ।" कालिया कड़बे स्वर में बोला I
“ मुझे किसी ने कुछ नही- दिखाया और… न ही कोई युवती भीतर गई हे I ”
कालिया ने अपने दानों आदमियों को देखा ।
"तुममें से एक भीतर चलेगा मेरे साथ और दूसरा इसके पास रहेगा I "
"मेरे पास ?" युवक ने सख्त स्वर में कहा-"क्यो मेरे पास क्यों ? तुम लोग यहा से बाहर चलो I"
कालिया ने अपने एक आदमी को आख से इशारा किया I उसने इशारा समझा और जेब में हाथ डालकर काउटर के पास घूमता हुआ रिसेप्शन के पीछे युवक के पास पहुच गया । युवक ने हड़बढ़ाकर उसे देखा I
"ऐ I यहा क्यो' आए हो ? निकलो बाहर I" युवक हडबडाकर तेज स्वर में कह गया ।
उसने रिवाल्वर निकालकर युवक की कमर सें लगा दी ।
"य...य...यह क्या हे ? ” युवक के जिस्म में जैसे करट सा लगा ।
"रिवाल्वर I” उसने बेहद शात ठहरे, स्थिर लहजे में कहा I
"रि रिवाॅ ल व र ।" युवक के गले में बड़े बड़े काटे खडे हो गए ।
"हा l ये दोनों इस छोकरी की तलाश में भीतर जा रहे हैं I जब तक भीतर से बाहर छोकरी को लेकर नहीं आ जाते, तब तक मैं तुम्हारे पास रहूगा I कोई पूछे तो कह देना मैं तुम्हारे बडे मामा का लडका हू I इसी दौरान दो तीन बार चाय वगैरह मुझे पिलाते रहना II ताकि लोगों को किसी तरह का शक ना हो I " कहने के साथ उसने, कालिया आँसु उसके साथी को देखा और कहा ---" आप लोग जाईऐ । हम दोनों एक दूसरे का ध्यान रखेंगे ।"
कालिया अपने साथी के साथ सीढियों की तरफ बढ़ गया I
रिसेप्शनिस्ट युवक सहमा सा कमर में लगी रिवाल्वर को देखने की चेष्टा करने लगा I
. . "वह भीतर गई थी ?" कालिया के आदमी ने पूछा ।
"क कौन ?"
"वही स्कर्ट और शर्ट वाली I " वह मुस्कराया।
" नहीं I " उसने जल्दी से घबराकर कहा I
जबाब में कालिया का आदमी मुस्कराकर रह गया I युवक सूखे होठो पर जीभ फेरे जा रहा था।
"मेरे लिए चाय भगवाओ किसी को भेजकर I’"
"ह.... हा I "
मोना चौधरी जल्दी से सीढिया तय करके पहली मजिल पर पहुची I रिसेप्शनिस्ट युवक ने उसे. अपने कमरे के बारे में बताया था I परंतु न तो उसने ठीक तरह से उसके कमरे की दिशा सुनी थी और न हीँ उसके कमरे में जाने का उसका कोई इरादा था लेकिन वह अच्छी तरह समझ रही थी कि क्यों उस युवक ने अपने कमरे का पता बताया और क्यो' यह कहा कि उसकी ड्यूटी समाप्त होने वाली है वह कमरे में पहुच रहा है ।
मोना चौधरी को ऐसी कोई जगह चाहिए थी जहा वह. . फौरन ही छिप सके क्योकि वह इस बात से भली भाति वाकिफ थी कि कालिया और उसके आदमी आधे मिनट में भीतर होगे' I वो. तीनो बराबर उसके पीछे थे और अच्छी तरह ~ देखा था कि वह इसी अपार्टमेंट में प्रवेश कर रही है I
दौडते हुए मीना चौधरी ने चद कमरों ,को पार किया I इतफाक की ही बात थी कि इस वक्त गैलरी में कोई भी नहीं था वरना भरे पूरे अपार्टमेट में कोई तो आता जाता दिखाई दे ही जाता I
मोना चौधरी पहली मजिंल पार कर गई ।
सव कमरों के दरवाजे बद थे I सीढिया चढकर वह दूसरी मजित्त पर पहूंची तो पहले कमरे का ही दरवाजा उसे थोडा सा खुला मिला ।
मोना चौधरी की आखों में तीव्र चमक लहरा उठी । बिना रुके तीर को सी गति से उसने दरवाजा पूरा खोला और भीतर प्रवेश करके सिटकनी चढाकर उखड चुकी गहरी गहरी सासों को सयत्त करने लगी I
अब उसे तसल्ली थी I
मन में चैन था कि कमसे कम कालिया से तो पीछा छुटा I फालतू का बेकार का जो चक्कर, शुरू हुआ था और आगे बढ़कर मुसीबत का पहाड़ बन सकता था उससे छुटकारा मिला I
परतु मोना चौधरी इस बात को भी बखूबी जानती थी कि कालिया इतनी आसानी से पीछा नहीं छोडने वाला I उसने अपनी आखो से उसे इस अपस्टमेट में प्रवेश करते देखा था I
कालिया को उसकी जरूरत थी किसी सिलसिले में । इसलिए वे जैसे भी हो उसे ढूँढने के लिए, पाने के लिए वह इस पूरे अपार्टमेंट' को छान मारेगा ।
अगर कालिया उसे बता देता कि किस मामले में उसे उसकी जरूरत है तो शायद मामला जम जाता I अगर कालिया की Iबात मृनासिब होती, हद में होती । परतु' वह कालिया की मंशा जान चुकी 'थी कि कालिया पहले' उस पर काबू पाना चाहता था ‘ और फिर आगे कोई बात करना चाहता था, जोकि मीना चौधरी को किसी भी कीमत पर मजूर नहीं था I किसी के दबाव में मोना चौधरी न तो कभी आई थी और न ही अपने होशो हवास में वह ऐसा होने देना चाहती थी' । एक हाथ ले एक हाथ दे I दुनिया की इसी ठोकरों ने मोना चौधरी को यह बात कब की समझा दी थी ।
बहरहाल अगर कालिया से टकराना नहीं' था और उससे बिना किसी शोर शराबे के छुटकारा पाना था तो चार पाच घटे छिपे रहना जरूरी था ताकि कालिया थक हारकर यह सोचे कि वह उसकी निगाहों में धूल झोककर इस अपार्टमेटे से खिसक चुकी ।
मोना चौधरी गहरी गहरी सासे लेकर कुछ सभली ही' थी कि आबाज कानों में पड़ते ही वह तेजी से पलटी और सामने खडे. ओल्डमैन को देखने लगी, जो करीब पचपन-सत्तावन की उम्र का रहा होगा। सिर के बाल लगभग सफेद ही हो चुके थे।
"दात आधे-अधूरे तो बचे ही हुए थे I चेहरे पर झुर्रियाँ आकर जम चुकी थीं I वह बनियान.. और लुगी पहने था । स्पष्ट नजर आ रहा था कि उसकी हड्डियां खड़कनी शुरू हो गई थीं I
"कौन हो तुम ? " वह आखे फाडे कह रहा था ।
मोना चौधरी ने पलके' 'झपकाई' और दात फाड़कर मुस्कराई ।
"हेलो हैंडसम' l" बूढे की आखें और फटीं । व्रह इस तरह पीछे हटा जैसे किसी ने धक्का दे दिया हो I
"क्या कहा तूने ? हैलो हैंडसम' I बाप की उम्र के आदमी. को ऐसा कहकर बुलाती हो I शर्म तो तुम लोगों ने वेच खाईं हे । मैं पूछता हू तुम अदर केसे आ गई तुम? ?"
" दरवाजा खुला था । मैं I ”
"खुला था तो अब भी खोलो और बाहर निकल जाओ I " बूढे का स्वर तेज हो गया… " तुम जैसी जवान जहान लडकी, इस तरह किसी के फ्लैट में घुस आए यह तो... यह तो... I बस निकल जाओ यहा से । "
मोना चौधरी अदा से मुस्कराई I दोनों बाहें उठाकर अगड़ाईं ली ।
बूढे की हालत बुरी दिशा की तरफ मुड़नै लगी ।
"उसने नहीं दिखाया तो तुमने ही झाककर कुछ देख लिया होगा । " कालिया का लहजा तीखा था I
"न नहीं I म मैने कुछ नहीं देखा I " युवक कुछ बौखला-सा उठा था ।
कालिया ने अपने आदमियो के चेहरे पर सख्त निगाह मारी ।
"इसके रिसेप्शन पर नजर मारो कहीँ वह इसकी टागों के पास पकड़े ना बैठी हो!“
"पकडे बैठी हो ?" युवक का मुंह खुल गया…"क्या पकड़े बैठी हो?"
"टागें !"
युवक ने चैन की लबी सास ली ।
दोनों आदमी रिसेप्शन के पीछे गए I अच्छी तरह देखा I मोना चौधरी यहा थी ही नहीं तो मिलती कैसे I दोनों बाहर आ गए । उन्होने कालिया को देखकर नकारात्मक अदाज में सिर हिलाया I
"मैंने तो पहले ही कहा था कि यहा कोई भी नहीं आया । " युवक शीघ्रता से बोला I
"आया नहीं I” कालिया काउटर पर कोहनिया रखकर उसकी आखों में झांकता हुआ बोला…"आई है I स्कर्ट और छोटी सी शर्ट पहने वह खूबसूरत शै I इंतजार करो और देखो . हम उसे इसी अपार्टमेटै में से हासिल करते हैं I तब तुमसे पूछेगे कि यह कहा से पैदा हो गई? " युवक ने कालिया को धूरा I
"तुम लोग भीतर नहीं जा सकते । '" युवक को एकाएक जैसे अपनी ड्यूटी का आभास हुआ I
"क्यों ?" कालिया ने होंठ और आखें सिकोडे I कोई भी गैर आदमी अनजान आदमी भीतर नहीं' जा सकता' I' ऐसे लोगों को रोकना मेरी ड्यूटी है I जो भी भीतर जाएगा, रजिस्टर पर एंट्री करके , वह किससे मिलने जा रहा हे I और शक होने पर भीतर बालों से पुछा' जा सकता हे कि-- इस नाम का आदमी मिलना चाहता है I उसे भीतर आने दें या नहीं ?"
"तो फिर वह केसे भीतर चली गई ?"
”‘ कौन? "
" बही जो जाते समय तुम्हें कुछ दिखा गई थी ।" कालिया कड़बे स्वर में बोला I
“ मुझे किसी ने कुछ नही- दिखाया और… न ही कोई युवती भीतर गई हे I ”
कालिया ने अपने दानों आदमियों को देखा ।
"तुममें से एक भीतर चलेगा मेरे साथ और दूसरा इसके पास रहेगा I "
"मेरे पास ?" युवक ने सख्त स्वर में कहा-"क्यो मेरे पास क्यों ? तुम लोग यहा से बाहर चलो I"
कालिया ने अपने एक आदमी को आख से इशारा किया I उसने इशारा समझा और जेब में हाथ डालकर काउटर के पास घूमता हुआ रिसेप्शन के पीछे युवक के पास पहुच गया । युवक ने हड़बढ़ाकर उसे देखा I
"ऐ I यहा क्यो' आए हो ? निकलो बाहर I" युवक हडबडाकर तेज स्वर में कह गया ।
उसने रिवाल्वर निकालकर युवक की कमर सें लगा दी ।
"य...य...यह क्या हे ? ” युवक के जिस्म में जैसे करट सा लगा ।
"रिवाल्वर I” उसने बेहद शात ठहरे, स्थिर लहजे में कहा I
"रि रिवाॅ ल व र ।" युवक के गले में बड़े बड़े काटे खडे हो गए ।
"हा l ये दोनों इस छोकरी की तलाश में भीतर जा रहे हैं I जब तक भीतर से बाहर छोकरी को लेकर नहीं आ जाते, तब तक मैं तुम्हारे पास रहूगा I कोई पूछे तो कह देना मैं तुम्हारे बडे मामा का लडका हू I इसी दौरान दो तीन बार चाय वगैरह मुझे पिलाते रहना II ताकि लोगों को किसी तरह का शक ना हो I " कहने के साथ उसने, कालिया आँसु उसके साथी को देखा और कहा ---" आप लोग जाईऐ । हम दोनों एक दूसरे का ध्यान रखेंगे ।"
कालिया अपने साथी के साथ सीढियों की तरफ बढ़ गया I
रिसेप्शनिस्ट युवक सहमा सा कमर में लगी रिवाल्वर को देखने की चेष्टा करने लगा I
. . "वह भीतर गई थी ?" कालिया के आदमी ने पूछा ।
"क कौन ?"
"वही स्कर्ट और शर्ट वाली I " वह मुस्कराया।
" नहीं I " उसने जल्दी से घबराकर कहा I
जबाब में कालिया का आदमी मुस्कराकर रह गया I युवक सूखे होठो पर जीभ फेरे जा रहा था।
"मेरे लिए चाय भगवाओ किसी को भेजकर I’"
"ह.... हा I "
मोना चौधरी जल्दी से सीढिया तय करके पहली मजिल पर पहुची I रिसेप्शनिस्ट युवक ने उसे. अपने कमरे के बारे में बताया था I परंतु न तो उसने ठीक तरह से उसके कमरे की दिशा सुनी थी और न हीँ उसके कमरे में जाने का उसका कोई इरादा था लेकिन वह अच्छी तरह समझ रही थी कि क्यों उस युवक ने अपने कमरे का पता बताया और क्यो' यह कहा कि उसकी ड्यूटी समाप्त होने वाली है वह कमरे में पहुच रहा है ।
मोना चौधरी को ऐसी कोई जगह चाहिए थी जहा वह. . फौरन ही छिप सके क्योकि वह इस बात से भली भाति वाकिफ थी कि कालिया और उसके आदमी आधे मिनट में भीतर होगे' I वो. तीनो बराबर उसके पीछे थे और अच्छी तरह ~ देखा था कि वह इसी अपार्टमेंट में प्रवेश कर रही है I
दौडते हुए मीना चौधरी ने चद कमरों ,को पार किया I इतफाक की ही बात थी कि इस वक्त गैलरी में कोई भी नहीं था वरना भरे पूरे अपार्टमेट में कोई तो आता जाता दिखाई दे ही जाता I
मोना चौधरी पहली मजिंल पार कर गई ।
सव कमरों के दरवाजे बद थे I सीढिया चढकर वह दूसरी मजित्त पर पहूंची तो पहले कमरे का ही दरवाजा उसे थोडा सा खुला मिला ।
मोना चौधरी की आखों में तीव्र चमक लहरा उठी । बिना रुके तीर को सी गति से उसने दरवाजा पूरा खोला और भीतर प्रवेश करके सिटकनी चढाकर उखड चुकी गहरी गहरी सासों को सयत्त करने लगी I
अब उसे तसल्ली थी I
मन में चैन था कि कमसे कम कालिया से तो पीछा छुटा I फालतू का बेकार का जो चक्कर, शुरू हुआ था और आगे बढ़कर मुसीबत का पहाड़ बन सकता था उससे छुटकारा मिला I
परतु मोना चौधरी इस बात को भी बखूबी जानती थी कि कालिया इतनी आसानी से पीछा नहीं छोडने वाला I उसने अपनी आखो से उसे इस अपस्टमेट में प्रवेश करते देखा था I
कालिया को उसकी जरूरत थी किसी सिलसिले में । इसलिए वे जैसे भी हो उसे ढूँढने के लिए, पाने के लिए वह इस पूरे अपार्टमेंट' को छान मारेगा ।
अगर कालिया उसे बता देता कि किस मामले में उसे उसकी जरूरत है तो शायद मामला जम जाता I अगर कालिया की Iबात मृनासिब होती, हद में होती । परतु' वह कालिया की मंशा जान चुकी 'थी कि कालिया पहले' उस पर काबू पाना चाहता था ‘ और फिर आगे कोई बात करना चाहता था, जोकि मीना चौधरी को किसी भी कीमत पर मजूर नहीं था I किसी के दबाव में मोना चौधरी न तो कभी आई थी और न ही अपने होशो हवास में वह ऐसा होने देना चाहती थी' । एक हाथ ले एक हाथ दे I दुनिया की इसी ठोकरों ने मोना चौधरी को यह बात कब की समझा दी थी ।
बहरहाल अगर कालिया से टकराना नहीं' था और उससे बिना किसी शोर शराबे के छुटकारा पाना था तो चार पाच घटे छिपे रहना जरूरी था ताकि कालिया थक हारकर यह सोचे कि वह उसकी निगाहों में धूल झोककर इस अपार्टमेटे से खिसक चुकी ।
मोना चौधरी गहरी गहरी सासे लेकर कुछ सभली ही' थी कि आबाज कानों में पड़ते ही वह तेजी से पलटी और सामने खडे. ओल्डमैन को देखने लगी, जो करीब पचपन-सत्तावन की उम्र का रहा होगा। सिर के बाल लगभग सफेद ही हो चुके थे।
"दात आधे-अधूरे तो बचे ही हुए थे I चेहरे पर झुर्रियाँ आकर जम चुकी थीं I वह बनियान.. और लुगी पहने था । स्पष्ट नजर आ रहा था कि उसकी हड्डियां खड़कनी शुरू हो गई थीं I
"कौन हो तुम ? " वह आखे फाडे कह रहा था ।
मोना चौधरी ने पलके' 'झपकाई' और दात फाड़कर मुस्कराई ।
"हेलो हैंडसम' l" बूढे की आखें और फटीं । व्रह इस तरह पीछे हटा जैसे किसी ने धक्का दे दिया हो I
"क्या कहा तूने ? हैलो हैंडसम' I बाप की उम्र के आदमी. को ऐसा कहकर बुलाती हो I शर्म तो तुम लोगों ने वेच खाईं हे । मैं पूछता हू तुम अदर केसे आ गई तुम? ?"
" दरवाजा खुला था । मैं I ”
"खुला था तो अब भी खोलो और बाहर निकल जाओ I " बूढे का स्वर तेज हो गया… " तुम जैसी जवान जहान लडकी, इस तरह किसी के फ्लैट में घुस आए यह तो... यह तो... I बस निकल जाओ यहा से । "
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज
"निकलो बाहर I " वह जैसे हाफने लगा ।
"प्लीड हैडसम मेन I स्लो धीरे बोलिए I मैं इतनी बुरी तो नहीं जो.....। "
" तुम जचान खूबसूरत लडकियां बहुत बुरी होती हो । व्याह करके किसी के घर में जाती हो I सारे घर का भटठा बिठा देती हो I मेरी बहू भी तुम जैसी ही लगती है परतु तुम ज्यादा खूब्रसूस्त हो I दो महीने पहले ही अपने इकलौते ज़चान लडके की शादी के ढेरों अरमानो' के साथ I अब हालत क्या है कि घर का आधा काम मुझे करना. पडता हैं I उल्लू का पट्ठा वह मेरा बेटा पूरा ही उसमें घुस गया I ऐसे मे बहू को क्या कहूँ । वह तो नाचेगी ही । कल तो... I भगवान कल का सा दिन मुझे फिर से न दिखाए ।"
'मुस्कराहट चेहरे पर ओढे मोना चौधरी आगे बढी I
"तुम अभी तक यहीं हो I बाहर नहीं गईं I निकलो I "
"कल दिन में क्या हुआ था ?” उसकी बात पर ध्यान न देकर मोना चौधरी सोफे पर बैठती हुई बोली I . .
"कल I " बूढा गहरी सास लेकर जल्दी से बोला…"दोपहर एक बजे का वक्त था I मैँ खाना खाने का इत्तजार' कर रहा था I बहू को आवाज दी तो कहने लगी कमर मे दर्द है । मलवा रही हू I "
"मलवा रही हू ? क्या ?” मोना चौधरी दिलचस्पी से बूढे क्रो देखने लगीं I
"कमर I कहने लगी सब कुछ तैयार है I सिर्फ सब्जी फ्राई करने को रह गया है I आप कर दें । मैं बाकी का खाना तैयार कर देती हू I मैंने देखा मेरा बेटा उसकी कमर मल रहा था । मैने तो यही' देखा, अब भगवान ही जाने मेरे वहां पहुचने से पहले क्या मल रहा था । खैर, मैं सब्जी फ्राई करने लग गया I हल्दी कही नहीं मिली । पाच मिनट बाद ही उनके बेडरूम में पहुचा हल्दी पूछने के लिए I दरवाजा खुला था I मैँ भीत्तर प्रवेश कर गया I छीःछी देखा तो दोनों ....I "
"क्या दोनों ?" मोना चौधरी ने कठिनता से हसी को रोका I
"व वही I "
"क्या वहीँ ?”
" समझी नहीं I" बूढा झल्लाया I
" तो यह कौन स्री नई बात है I दोनो मिया बीबी हैं जो भी ...!"
"मेरा मतलब यह नहीं था I मेरा मतलब कि दरवाजा तों बद कर लेते । इतना भी ध्यान नही' कि बूढा आदमी घर पर है I उसके दिल की हालत क्या होगी । जरा भी शर्म नहीं रहती I अब कल से मेरी जो हालत हो रही है वो तो मैं हौ जानता हूं , ना ठडो' में रहा और ना गर्म में । "
मोना. चौधरी ने मुस्करा सिर हिलाया I ~~ . "घर मेरा I माल मेरा खाना I कमाता तो कुछ भी नहीं है वह I हर समय कहता रहता हे नौकरी दूढ़ रहा हूं I मेरा मी . दिमाग खराब था जो मैंन उसकी शादी कर दी । अब तुम ही बताओ I बेडरूम में चौबीस घटे घुसकर नौकरी ढूंढी जाती है I कार मेरी चलाता रहता हे और पेट्रोल के पैसे भी मैं ही दू और. तो और वेड पर इस्तेमाल होने वाली चीजों के पैसे मी मुझसे ही लेता है I पचास बार सोच चुका हू कि दोनों को लातें मारकर यहा से चलता का दू I "
"आप बेठिए तो सही । " मोना चौधरी बोली । बूढे के दिमाग को फिर झटका लगा वह बोला I
"तुन अभी तक यहीँ हो I गई नहीं I जाओ खिसको यहा से I मैँ किसी भी जवान लडकी क्रो अपने कमरे में नहीं देखना चाहता । एक बहू बनकर आई तो मेरी हालत बिगाढ़कर रख , दी हे I "
" "मैं चली जाती हू I आप दो मिनट तो वैठिए I "
" क्यों ?"
"शायद मैं" आपकी परेशानी दूर कर वू I "
"तुम मेरी परेशानी दूर का दोगी ? " बूढा जल्दी से बोला ।
. "हा हैंडसम' I आप बेठिए तो सही ।"
"ब....बैठ जाता हू। परंतु तुम मुझे हैंडसम मत कहा करो I~ जवानी के दिन याद आ जाते हैँ । "
"तो आप क्या समझते हैं कि आप बूढे हैँ ?" मोना चौधरी ने हैरानी से आखें फाडों ।
बूढा नहीँ तो क्या मैं जवान हू ?'"
"बेठिए तो सही I जाने से पहले में यह साबित करके जाऊंगी कि आप अपने बेटे से भी ज्यादा जवान हैं । "
"तुम साबित कर दोगी ? "
"हा I आप बैठिए!"
बूढा जल्दी से मोना चौधरी .के सामने पडे लबे सोफे पर बैठा I मीना चौधरी उठी बूढे के करीब जा बैठी ।
उसका बदन खुद से सटते ही बूढा सकपकाया I
"थोडा I थोडा पीछे हटो । में... मैँ I"
"पीछे हटी तो यह कैसे साबित करूगी कि आप अपने बेटे से भी ज्यादा जवान हैँ ?"
बूढे ने सूखे होठों पर जीभ फेरी।
"अच्छा यह बताइए, मेरा शरीर आपको गर्म महसूस हो रहा है ?” .
"ह हा I " बूढे का स्वर शुष्क होने लगा था । "
"बस ऐसे ही बैठे रहिए I कुछ ही देर में मेरे शरीर की गर्मी आप में पहुच जाएगी I ”
.. . "यह कैंसे हो सकता हे ?"
"देखिए सोचिए I यह मेरे शरीर की ही गर्मी का कमाल हे आपके शरीर में उथल पुथल हो रही हे । "
"उथल पुथल? "
"हा उथल पुथल ।"बूढा सकपकाया । वह समझ नहीं पाया कि क्या करे और क्या न करे I
मोना चौधरी ने अपना ध्यान बाहर की तरफ लगाया बाहर से अभी तक कोई आहट नहीं आई थी I परतु मोना चौधरी जानती थी कि कालिया और उसके दोनों साथी आसानी से टलने वाले नहीं । वे या तो बाहर ही उसका इतजार कर रहे होगे और'
अगर हौसलेमंद हुए तो अपार्टमेंट के भीतर प्रवेश करके किसी तरह उसे तलाश करने की चेष्टा कर रहे होगे I
मतलब कि कम से कम मोना चौधरी का तीन चार घटे वहीं अटके रहना जरुरी था I
"अब ठीक है ना ? " मोना चौधरी ने जान लेने वाले अवाज में बूढे को देखा I
"म मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा I " बूढे ने थूक निगलकर कहा I
' "अभी समझाती हूं। "
मोना चौधरी को कालिया सै भी ज्यादा खतरा इस समय बूढे की बहू और बेटे से था कि अगर वे आ गए तो उसके लिए कठिनाई पेदा हो सकती है ।
"तुम्हारे बेटा…बहू कब तक लौटेगे' ?"
बूढा एकाएक भडक उठा ।
"वह I वह तो अपनी ससुराल गया हे-आज ही गया हे । जाने से पहले कह जाते हैँ एक रात वहा रहकर वापस लोट आएगे लेकिन कभी भी दो दिन से पहले नहीं लौटता I उसका बस चले तो पूरे दस दिन लगाकर आए I उसकी साली हे ना बस वह भी....!"
"क्या वह भी ?"
"वही I “ बूढे ने गरदन के साथ-साथ आखें भी हिलाई I
"छोडो I मैं तो उनके बारे में इसलिए पूछ रही थी कि कहीँ वे अभी न आ जाए।"
"फिक्र मत करो I आ भी जाए तो दोनों को लात मारकर बाहर निकाल दूगा ।"
~ "कहा पर लात मारोगे ? " मोना' चौधरी ने आखें सिकोर्डी।
"वहीँ l यह मेरा घर है I मैँ... ।"
मोना चौधरी ने अपना हाथ उसकी टाग पर रख दिया I
"प्लीड हैडसम मेन I स्लो धीरे बोलिए I मैं इतनी बुरी तो नहीं जो.....। "
" तुम जचान खूबसूरत लडकियां बहुत बुरी होती हो । व्याह करके किसी के घर में जाती हो I सारे घर का भटठा बिठा देती हो I मेरी बहू भी तुम जैसी ही लगती है परतु तुम ज्यादा खूब्रसूस्त हो I दो महीने पहले ही अपने इकलौते ज़चान लडके की शादी के ढेरों अरमानो' के साथ I अब हालत क्या है कि घर का आधा काम मुझे करना. पडता हैं I उल्लू का पट्ठा वह मेरा बेटा पूरा ही उसमें घुस गया I ऐसे मे बहू को क्या कहूँ । वह तो नाचेगी ही । कल तो... I भगवान कल का सा दिन मुझे फिर से न दिखाए ।"
'मुस्कराहट चेहरे पर ओढे मोना चौधरी आगे बढी I
"तुम अभी तक यहीं हो I बाहर नहीं गईं I निकलो I "
"कल दिन में क्या हुआ था ?” उसकी बात पर ध्यान न देकर मोना चौधरी सोफे पर बैठती हुई बोली I . .
"कल I " बूढा गहरी सास लेकर जल्दी से बोला…"दोपहर एक बजे का वक्त था I मैँ खाना खाने का इत्तजार' कर रहा था I बहू को आवाज दी तो कहने लगी कमर मे दर्द है । मलवा रही हू I "
"मलवा रही हू ? क्या ?” मोना चौधरी दिलचस्पी से बूढे क्रो देखने लगीं I
"कमर I कहने लगी सब कुछ तैयार है I सिर्फ सब्जी फ्राई करने को रह गया है I आप कर दें । मैं बाकी का खाना तैयार कर देती हू I मैंने देखा मेरा बेटा उसकी कमर मल रहा था । मैने तो यही' देखा, अब भगवान ही जाने मेरे वहां पहुचने से पहले क्या मल रहा था । खैर, मैं सब्जी फ्राई करने लग गया I हल्दी कही नहीं मिली । पाच मिनट बाद ही उनके बेडरूम में पहुचा हल्दी पूछने के लिए I दरवाजा खुला था I मैँ भीत्तर प्रवेश कर गया I छीःछी देखा तो दोनों ....I "
"क्या दोनों ?" मोना चौधरी ने कठिनता से हसी को रोका I
"व वही I "
"क्या वहीँ ?”
" समझी नहीं I" बूढा झल्लाया I
" तो यह कौन स्री नई बात है I दोनो मिया बीबी हैं जो भी ...!"
"मेरा मतलब यह नहीं था I मेरा मतलब कि दरवाजा तों बद कर लेते । इतना भी ध्यान नही' कि बूढा आदमी घर पर है I उसके दिल की हालत क्या होगी । जरा भी शर्म नहीं रहती I अब कल से मेरी जो हालत हो रही है वो तो मैं हौ जानता हूं , ना ठडो' में रहा और ना गर्म में । "
मोना. चौधरी ने मुस्करा सिर हिलाया I ~~ . "घर मेरा I माल मेरा खाना I कमाता तो कुछ भी नहीं है वह I हर समय कहता रहता हे नौकरी दूढ़ रहा हूं I मेरा मी . दिमाग खराब था जो मैंन उसकी शादी कर दी । अब तुम ही बताओ I बेडरूम में चौबीस घटे घुसकर नौकरी ढूंढी जाती है I कार मेरी चलाता रहता हे और पेट्रोल के पैसे भी मैं ही दू और. तो और वेड पर इस्तेमाल होने वाली चीजों के पैसे मी मुझसे ही लेता है I पचास बार सोच चुका हू कि दोनों को लातें मारकर यहा से चलता का दू I "
"आप बेठिए तो सही । " मोना चौधरी बोली । बूढे के दिमाग को फिर झटका लगा वह बोला I
"तुन अभी तक यहीँ हो I गई नहीं I जाओ खिसको यहा से I मैँ किसी भी जवान लडकी क्रो अपने कमरे में नहीं देखना चाहता । एक बहू बनकर आई तो मेरी हालत बिगाढ़कर रख , दी हे I "
" "मैं चली जाती हू I आप दो मिनट तो वैठिए I "
" क्यों ?"
"शायद मैं" आपकी परेशानी दूर कर वू I "
"तुम मेरी परेशानी दूर का दोगी ? " बूढा जल्दी से बोला ।
. "हा हैंडसम' I आप बेठिए तो सही ।"
"ब....बैठ जाता हू। परंतु तुम मुझे हैंडसम मत कहा करो I~ जवानी के दिन याद आ जाते हैँ । "
"तो आप क्या समझते हैं कि आप बूढे हैँ ?" मोना चौधरी ने हैरानी से आखें फाडों ।
बूढा नहीँ तो क्या मैं जवान हू ?'"
"बेठिए तो सही I जाने से पहले में यह साबित करके जाऊंगी कि आप अपने बेटे से भी ज्यादा जवान हैं । "
"तुम साबित कर दोगी ? "
"हा I आप बैठिए!"
बूढा जल्दी से मोना चौधरी .के सामने पडे लबे सोफे पर बैठा I मीना चौधरी उठी बूढे के करीब जा बैठी ।
उसका बदन खुद से सटते ही बूढा सकपकाया I
"थोडा I थोडा पीछे हटो । में... मैँ I"
"पीछे हटी तो यह कैसे साबित करूगी कि आप अपने बेटे से भी ज्यादा जवान हैँ ?"
बूढे ने सूखे होठों पर जीभ फेरी।
"अच्छा यह बताइए, मेरा शरीर आपको गर्म महसूस हो रहा है ?” .
"ह हा I " बूढे का स्वर शुष्क होने लगा था । "
"बस ऐसे ही बैठे रहिए I कुछ ही देर में मेरे शरीर की गर्मी आप में पहुच जाएगी I ”
.. . "यह कैंसे हो सकता हे ?"
"देखिए सोचिए I यह मेरे शरीर की ही गर्मी का कमाल हे आपके शरीर में उथल पुथल हो रही हे । "
"उथल पुथल? "
"हा उथल पुथल ।"बूढा सकपकाया । वह समझ नहीं पाया कि क्या करे और क्या न करे I
मोना चौधरी ने अपना ध्यान बाहर की तरफ लगाया बाहर से अभी तक कोई आहट नहीं आई थी I परतु मोना चौधरी जानती थी कि कालिया और उसके दोनों साथी आसानी से टलने वाले नहीं । वे या तो बाहर ही उसका इतजार कर रहे होगे और'
अगर हौसलेमंद हुए तो अपार्टमेंट के भीतर प्रवेश करके किसी तरह उसे तलाश करने की चेष्टा कर रहे होगे I
मतलब कि कम से कम मोना चौधरी का तीन चार घटे वहीं अटके रहना जरुरी था I
"अब ठीक है ना ? " मोना चौधरी ने जान लेने वाले अवाज में बूढे को देखा I
"म मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा I " बूढे ने थूक निगलकर कहा I
' "अभी समझाती हूं। "
मोना चौधरी को कालिया सै भी ज्यादा खतरा इस समय बूढे की बहू और बेटे से था कि अगर वे आ गए तो उसके लिए कठिनाई पेदा हो सकती है ।
"तुम्हारे बेटा…बहू कब तक लौटेगे' ?"
बूढा एकाएक भडक उठा ।
"वह I वह तो अपनी ससुराल गया हे-आज ही गया हे । जाने से पहले कह जाते हैँ एक रात वहा रहकर वापस लोट आएगे लेकिन कभी भी दो दिन से पहले नहीं लौटता I उसका बस चले तो पूरे दस दिन लगाकर आए I उसकी साली हे ना बस वह भी....!"
"क्या वह भी ?"
"वही I “ बूढे ने गरदन के साथ-साथ आखें भी हिलाई I
"छोडो I मैं तो उनके बारे में इसलिए पूछ रही थी कि कहीँ वे अभी न आ जाए।"
"फिक्र मत करो I आ भी जाए तो दोनों को लात मारकर बाहर निकाल दूगा ।"
~ "कहा पर लात मारोगे ? " मोना' चौधरी ने आखें सिकोर्डी।
"वहीँ l यह मेरा घर है I मैँ... ।"
मोना चौधरी ने अपना हाथ उसकी टाग पर रख दिया I
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज
बूढे का शरीर जोर से कापा I होठ बद हो गए । मोना चौधरी का हाथ सरका I
~ "य यह क्या कर रही हो ?" वह कुछ घबरा-सा उठा था ।
"कुछ नहीं I ” मोना' चौधरी ने उसी जैसे स्टाइल में गर्दन और आखें हिलाई ।
"क कुछ नहीँ ? ”
"नहीं I " मोना चौधरी ने पुन उसी अदाज में जवाब दिया ।
उसने वेहद मायूसी भरे अदाज में सिर हिलाया I
"य यह तुम. ठीक नहीं कर रही हो ?" बूढे के गले से सूखा सा स्वर निकला--" मेरी बीबी की आत्मा ऊपर से यह सब देख रही होगी तो वह क्या सोचेगी ?"
" यही कि अगर मै' जिदा होतो तो बताती I ‘”
"फिर तो शुक्र है कि वह जिदा नहीं हे । "
मोना चौधरी समझ गई कि अब बुढा थोडा रेस के लिए तैयार होना शुरू हो गया है । "
" तुम्हारी स्कर्ट बहुत छोटी है । "
" मेरी शर्ट भी-बहुत छोटी हे । "
" शर्ट? "
"हा I जो ऊपर पहन रखी है । "
"क्या वह ?"
"छोटी है ना ?"
"कौन कहता है छोटी है ? इतनी ही होनी चाहिए। न छोटी न बडी I ”
"मैं शर्ट की बात का रही हू !"
"मैं भी तो शर्ट की बात का रहा हूं।" बूढे ने गहरी लबी' सास ली I वह बार बार चोर निगाहों से मोना चौधरी को देख रहा था । मोना चौधरी को एहसास था इस बात का ।
"अब तो कुछ देर यहा रह सकती हू ?" मोना चौधरी मन ही मन मुस्कराई I
"हा हा I क्यों नहीं I यह तो तुम्हारा अपना घर है I "
" सनकी बूढा I" मोना चौधरी बढ़बडाई-अगर ज़रा सी भी कोशिश करे तो बूढा वास्तव में अपना धर भी उसके नाम लिख देगा…"गर्मी बहुत हे मैं ज़रा नहा लू | बाथरूम किस तरफ है I "
"उधर I ” बूढा जल्दी से उठकर बोला---" आओ मैं तुम्हें दिखाता हूं I "
मोना चौधरी उठ खडी हुई I
बूढे ने मोना चौधरी को बाथरूम दिखाया I
मोना चौधरी ने मुस्कराकर उसका शुक्रिया अदा किया I
"तुम नहा लो I मैँ यहीँ खडा हूं । बद दरवाजे के बाहर । "
"यहा खडे हो I क्यों ?"
"तुम्हे किसी चीज की जरूरत पढ़ सकती है I "
"मुझे जरूरत पड सकती है ?"
"हा और मैं नहीं चाहता कि यहा तुम्हें किसी चीज की कमी महसूस हो ।"
"जनाब आप फिक्र मत कीजिए।" मोना चौधरी ने -मुस्कराकर बूढे का गाल थपथपाया-"आप ड्राइंगरूम मे
बैठिए मुझे किसी चीज की जरूस्त नहीं पडेगी I मैं नहाकर आती हू। "
बूढे ने गहरी सांस ली ।
"मैं तो तुम्हारे भले के लिए कह रहा था !"
"मैं बखूबी जानती हूं कि मेरा भला कहा है ।" मोना चौधरी हसी I
“तुम कितनी खूबसूरत हो I जब हसती ही तो बहुत कुछ हो जाता. हे I "
मोना चौधरी पुन-हंसी ।।
" तो मै जाऊ?"'
मोना चौधरी ने बाथरूम में प्रवेश करके दरवाजा बद कर लिया I . .
मोना चौधरी नहा धोकर बाथरूम से निकली तो ताजा खिली कली से भी ज्यादा खूबसूस्त लग रही थी I बदन पर स्कर्ट और शर्ट पुन: आ गई थी ।
गजब ढा रही थी वह I
बूढ़ा घोडा बाथरूम के बाहर ही सोफे की गद्दी पर बैठा उसके बाथरूम से आने के इंतजार मे खडा था I
मोना चौधरी के बाहर निकलते ही वह खडा हो गया I
"वाह I कितनी खूबसूरत लग रही हो I” उसकी खोपडी पुन उलटने लगी I
"सच में ?" मोना चौधरी के चेहरे पर मुस्कराहट उभरी I
"हा I "
"तो फिर चलें ?"
"मैं तो नहाने जा रहा हू I " बूढे ने जल्दी से कहा… "अभी गया और अभी आया I " कहने के साथ ही वह बाथरूम में प्रवेश कर गया I
मोना चौधरी आगे बढी और कुर्सी पर बैठते हुए उसने सिगरेट सुलगा ली I आखों में सोच के भाव आ गए। और सोचो का केद्र कालिया ही था । वह समझ नहीं पा रही थी कि -कालिया कौन है और क्यों उसके पीछे पडा है I उसे पकडना चाहता हे…जान से नहीं मारना चाहता I
उसकी यह नीयत तो जाहिर ही चुकी… थी। क्योकि उसके भागने पर उसने फौरन अपने आदमियों को आदेश दिया था, उसे शूट न किया जाए। पकडा जाए । अगर वह उसे बता देता कि वह उससे क्या चाहता है तो शायद मामला किसी सिरे लगता I
मोना चौधरी ने घडी पर निगाह मारी I शाम के पाच बजने जा रहे थे ।
उसे यहा आए डेढ घंटा हो चुका था । जाहिर था कि कालिया अभी भी अपने आदमियों के साथ बाहर ही कहीं उसके इतजारु' में होगा । परंतु' उसने कालिया की आखो में अटूट दृढता की झलक भी देखी थी और वह दृढता कालिया को मजबूर भी कर सकती थी कि जैसे भी हो-उसकी तलाश में वह अपार्टमेंट का एक एक फ्लैट छान मारे
I
अगर ऐसा. था तो वह अभी भी इस फ्लैट के दरवाजे पर आ सकता था ।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और बूढा बाथरुम से बाहर निक्ला I उसके वदन पर पुन लुगी और बनियान आ चुकी थी। उसे देखते ही मोना चौधरी फे होठो पर मुस्कान रेग' गई । उसकी उम्र अवश्य ज्यादा थी । परंतु यह बात भी स्पष्ट थी कि घोडा कमी भी बुढा नही'होता। I
बूढा पास आया I वह थोडा शरमा-सा रहा था I
"क्या हाल है ?" मोना चौधरी ने आखें बचाई ।
"ब....बढिया I" उसने जल्दी से कहा---"तुम ?"
"छोडो बाकी बातें। तुमने तो अभी तक चाय मी नहीं पिलाई !"
" चाय....?.ओह.....अभी लो !"
वह तुंरत किचन की तरफ बढ गयाI
~ "य यह क्या कर रही हो ?" वह कुछ घबरा-सा उठा था ।
"कुछ नहीं I ” मोना' चौधरी ने उसी जैसे स्टाइल में गर्दन और आखें हिलाई ।
"क कुछ नहीँ ? ”
"नहीं I " मोना चौधरी ने पुन उसी अदाज में जवाब दिया ।
उसने वेहद मायूसी भरे अदाज में सिर हिलाया I
"य यह तुम. ठीक नहीं कर रही हो ?" बूढे के गले से सूखा सा स्वर निकला--" मेरी बीबी की आत्मा ऊपर से यह सब देख रही होगी तो वह क्या सोचेगी ?"
" यही कि अगर मै' जिदा होतो तो बताती I ‘”
"फिर तो शुक्र है कि वह जिदा नहीं हे । "
मोना चौधरी समझ गई कि अब बुढा थोडा रेस के लिए तैयार होना शुरू हो गया है । "
" तुम्हारी स्कर्ट बहुत छोटी है । "
" मेरी शर्ट भी-बहुत छोटी हे । "
" शर्ट? "
"हा I जो ऊपर पहन रखी है । "
"क्या वह ?"
"छोटी है ना ?"
"कौन कहता है छोटी है ? इतनी ही होनी चाहिए। न छोटी न बडी I ”
"मैं शर्ट की बात का रही हू !"
"मैं भी तो शर्ट की बात का रहा हूं।" बूढे ने गहरी लबी' सास ली I वह बार बार चोर निगाहों से मोना चौधरी को देख रहा था । मोना चौधरी को एहसास था इस बात का ।
"अब तो कुछ देर यहा रह सकती हू ?" मोना चौधरी मन ही मन मुस्कराई I
"हा हा I क्यों नहीं I यह तो तुम्हारा अपना घर है I "
" सनकी बूढा I" मोना चौधरी बढ़बडाई-अगर ज़रा सी भी कोशिश करे तो बूढा वास्तव में अपना धर भी उसके नाम लिख देगा…"गर्मी बहुत हे मैं ज़रा नहा लू | बाथरूम किस तरफ है I "
"उधर I ” बूढा जल्दी से उठकर बोला---" आओ मैं तुम्हें दिखाता हूं I "
मोना चौधरी उठ खडी हुई I
बूढे ने मोना चौधरी को बाथरूम दिखाया I
मोना चौधरी ने मुस्कराकर उसका शुक्रिया अदा किया I
"तुम नहा लो I मैँ यहीँ खडा हूं । बद दरवाजे के बाहर । "
"यहा खडे हो I क्यों ?"
"तुम्हे किसी चीज की जरूरत पढ़ सकती है I "
"मुझे जरूरत पड सकती है ?"
"हा और मैं नहीं चाहता कि यहा तुम्हें किसी चीज की कमी महसूस हो ।"
"जनाब आप फिक्र मत कीजिए।" मोना चौधरी ने -मुस्कराकर बूढे का गाल थपथपाया-"आप ड्राइंगरूम मे
बैठिए मुझे किसी चीज की जरूस्त नहीं पडेगी I मैं नहाकर आती हू। "
बूढे ने गहरी सांस ली ।
"मैं तो तुम्हारे भले के लिए कह रहा था !"
"मैं बखूबी जानती हूं कि मेरा भला कहा है ।" मोना चौधरी हसी I
“तुम कितनी खूबसूरत हो I जब हसती ही तो बहुत कुछ हो जाता. हे I "
मोना चौधरी पुन-हंसी ।।
" तो मै जाऊ?"'
मोना चौधरी ने बाथरूम में प्रवेश करके दरवाजा बद कर लिया I . .
मोना चौधरी नहा धोकर बाथरूम से निकली तो ताजा खिली कली से भी ज्यादा खूबसूस्त लग रही थी I बदन पर स्कर्ट और शर्ट पुन: आ गई थी ।
गजब ढा रही थी वह I
बूढ़ा घोडा बाथरूम के बाहर ही सोफे की गद्दी पर बैठा उसके बाथरूम से आने के इंतजार मे खडा था I
मोना चौधरी के बाहर निकलते ही वह खडा हो गया I
"वाह I कितनी खूबसूरत लग रही हो I” उसकी खोपडी पुन उलटने लगी I
"सच में ?" मोना चौधरी के चेहरे पर मुस्कराहट उभरी I
"हा I "
"तो फिर चलें ?"
"मैं तो नहाने जा रहा हू I " बूढे ने जल्दी से कहा… "अभी गया और अभी आया I " कहने के साथ ही वह बाथरूम में प्रवेश कर गया I
मोना चौधरी आगे बढी और कुर्सी पर बैठते हुए उसने सिगरेट सुलगा ली I आखों में सोच के भाव आ गए। और सोचो का केद्र कालिया ही था । वह समझ नहीं पा रही थी कि -कालिया कौन है और क्यों उसके पीछे पडा है I उसे पकडना चाहता हे…जान से नहीं मारना चाहता I
उसकी यह नीयत तो जाहिर ही चुकी… थी। क्योकि उसके भागने पर उसने फौरन अपने आदमियों को आदेश दिया था, उसे शूट न किया जाए। पकडा जाए । अगर वह उसे बता देता कि वह उससे क्या चाहता है तो शायद मामला किसी सिरे लगता I
मोना चौधरी ने घडी पर निगाह मारी I शाम के पाच बजने जा रहे थे ।
उसे यहा आए डेढ घंटा हो चुका था । जाहिर था कि कालिया अभी भी अपने आदमियों के साथ बाहर ही कहीं उसके इतजारु' में होगा । परंतु' उसने कालिया की आखो में अटूट दृढता की झलक भी देखी थी और वह दृढता कालिया को मजबूर भी कर सकती थी कि जैसे भी हो-उसकी तलाश में वह अपार्टमेंट का एक एक फ्लैट छान मारे
I
अगर ऐसा. था तो वह अभी भी इस फ्लैट के दरवाजे पर आ सकता था ।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और बूढा बाथरुम से बाहर निक्ला I उसके वदन पर पुन लुगी और बनियान आ चुकी थी। उसे देखते ही मोना चौधरी फे होठो पर मुस्कान रेग' गई । उसकी उम्र अवश्य ज्यादा थी । परंतु यह बात भी स्पष्ट थी कि घोडा कमी भी बुढा नही'होता। I
बूढा पास आया I वह थोडा शरमा-सा रहा था I
"क्या हाल है ?" मोना चौधरी ने आखें बचाई ।
"ब....बढिया I" उसने जल्दी से कहा---"तुम ?"
"छोडो बाकी बातें। तुमने तो अभी तक चाय मी नहीं पिलाई !"
" चाय....?.ओह.....अभी लो !"
वह तुंरत किचन की तरफ बढ गयाI
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Re: खतरनाक हसीना -मोना चौधरी सीरीज
पाच मिनट में वो चाय ले आया I एक उसे दी और एक खुद ली और सामने बैठ गया ।
"साथ में कुछ चलेगा ?"
"नहीं।" मोना चौधरी ने घूट भरा। .
"एक बात कहू ?"
"बोलो बोलो । "
"तुम मुझसे शादी कर लो।"
" शादी ?" मोना चौधरी ने आखै फाडी ।
"हा मैने देख लिया है कि तुम मेरी वीवी वन सकती हो I " बूढा जल्दी से बोला-"और मुझसे शादी करके तुम्हें बहुत फायदे होगे , मैं तुम्हें खाना बनाकर खिलाऊगा हर तरह से तुम्हारी सेवा करूंगा , यह फ्लैट तुम्हारे नाम कर दूंगा मेरा सारा रुपया तुम्हारा । तुम्हारी जिदगी वना दूंगा ।"
मोना चौधरी के होंठो पर मुस्कान फैल गई ।
"यह आफर' किसी और को मत दे देना l वर्ना वह तुमसे शादी करके तुम्हारा सव कुछ अपने नाम करवाकर तुम्हें ऐसी लात मारेगी कि दोबारा यहा आने का रास्ता भी भूल जाओगे। "
"ल लेकिन मैं तो तुम्हें' कह रहा हूं । तुम तो अच्छे खानदान की हो । हर किसी को मैं क्यों कहने लगा ?"
मोना चौधरी समझ गई कि यह बूढा गया काम से । अब तो इसकी हालत यह हो गई है कि जो भी जवान लडकी इसके करीब आई उसी को यह आँफर दे देगा और जल्दी ही बुरा फसेगा I
"तो तुमने बताया नहीं कि मेरे साथ शादी के लिए तुम.....!"
तभी कॉलबेल बज उठी l
मोना चौधरी की आखें सिकुड गई ।
"अभी तो किसी को भी नहीं आना था । " वह बोला…"फिर ये वेल किसने मारी ?"
मोना चौधरी जल्दी से बोली I
"शायद मेरा मगेतर हो ?"
"मगेतर' ?" बूढे के डबल होश गुम हो गए।
"हां । मेरे मां बाप ने जबरदस्ती उससे मेरी शादी तय कर दी, जबकि मैं उससे शादी नहीं' करना चाहती । वह मुझे अच्छा नहीं लगता । और अब तुम मुझे बहुत अच्छे लगने लगे हो ।"
" मै !"
"हा I " मोना चौधरी ने लम्बी सास ली ।
“ ओह । '" बूढा बेचैन सा हो उठा । चाय का प्याला उसने एक तरफ दिया !
"तुम एक काम करो I सब ठीक हो जाएगा । "
"कहो ! एक तो क्या, मैं ग्यारह काम भी कर दूगा' इस मामले में I " .
"तुम जाओ, दरवाजा खोलो I जैसे भी हो उसे खिसका दो । लेकिन उसे शक न हो । " मोना चौधरी ने स्वर में बेचैनी से भरे भाव उजागर क्रिए…" इसके बाद दो चार दिन में अच्छा सा मुहूर्त देखता हम शादी कर लेगे । "
"पक्का ?" बूढा उछल पडा I
"तो मै क्या झुठ वोल रही हूं !" मोना चौधरी ने मुह फुलाया ।
" नहीं.नही' ! तुम झूठ कैसे बोल सकती हो ? मैं अभी देखता हूं कौन है वह l "
वैल दौबारा बजी I
बुढे ने दरवाजे के करीब पहुचकर जजीरी' फसाईं' और सिटकनी हटाकर दरवाजा खोला । जजीरी लगने के कारण दरवाजा सिर्फ तीन इच' हीं खुला ।
मोना चौधरी चाय के प्याले के साथ आराम से बैठी रही । वह जानती थी कि जो भी हो. . बूढा किसी को-भी भीतर नहीं जाने देगा । बाहर अपने एक आदमी के साथ कालिया हीं था ।
"कहिए ? " बूढे ने वेहद शात स्वर में कहा ।
"हम पुलिस वाले हैं । कुछ चोरों का पीछा कर रहे थे और वे इसी अपार्टमेट में आ घुसे हैं । " कालिया समझाने वाले भाव में कह रहा था---" चोर किसी को नुकसान न पहुचा र्दे, इसलिए हम हर फ्लैट की तलाशी ले रहे हैं । "
"यह तो वहुत अच्छी बात है, लेकिन यहां कोई नहीं आया I सुबह से मैं घर पर हूं और दरवाजा वद था । "
" गुड ! फिर भी हम एक निगाह भीतर डालना चाहते हैं I मेरे ख्याल में आपको एतराज तो नहीं होगा । "
"बिल्कुल नहीं होगा। परंतु आपने पुलिस की बर्दी नहीं पहन रखी !"
"कभी कभी हमे' बिना वर्दी के भी काम करना पडता है !"
" यह बात तो है । खैर, कोई बात नहीं I आपके पास पुलिस कार्ड तो होगा ?"
"पुलिस कार्ड? "
"आई कार्ड I उसे तो आप सादे कपडों में' भी रख सकते हैं । .. "
"इस समय तो वह भी नहीं' है I " कालिया के होठो से निकला ।
"कोई बात नहीं, ले आओ । मैं घर पर ही हूं। या फिर पुलिस की वर्दी पहनकर आना I अगर यह दोनों काम न हो सकें तो साथ में पाच सात वर्दीधारी पुलिस वाले ले जाना I तव तलाशी ले लेना । "
"मतलब कि इस तरह आपको तलाशी देने में एतराज है I" कालिया आवाज़ को सख्त बनाकर बोला ।
" सख्त एतराज है I " बूढे ने भी अपना स्वर कठोर कर लिया ।
"पद्रह' दिन पहले इसी अपार्टमेट' में तुम जैसे शरीफ लगने वाले खुद को खुफिया पुलिस के आदमी बताकर घूस आए थे I और एक फ्लैट को पूरी तरह लूट-पाटकर चले गए I घर मे' मोजूद औरतों के कानों की बाली नहीं उतरी तो बाली सहित कान ही काटका ले गए I अब समझे मेरे एतराज का कारण ! " भुनभुनाकर कहते हुए उस बूढे ने भड़ाक से दरवाजा बद कर लिया ।
उसके बाद फिर बेल नहीं बजी ।
मोना चौधरी जव फ्लैट से निकली तो शाम के आठ बज रहे थे । चारों तरफ अघेरा' छा चुका' था । निकलने से पहले बूढे से पचास बार वायदा किया था कि शादी के मुहूर्त के दिन के बारे में वह कल ही खबर करेगी I तव कहीं जाकर बूढ़े ने उसे जाने की इजाजत दी थी I
मोना चौधरी सावधान थी I अपार्टमेंट के भीतरी हिस्से में उसका टकराव किसी से नहीं' हुआ I कालिया और उसके दोनों आदमियों से भी नहीं I रिसेप्शनिस्ट युवक से भी नहीं । मोना चौधरी ने किसी तरह से अपार्टपेट से निकलने वाला चोर दरवाजा तलाश किया ।
कालिया और उसके आदमी बाहर भी उसकी तलाश में खडे हो सकते थे ।
मोना चौधरी अपार्टमेंट की दीवार के साथ घूमकर सामने की तरफ आई I वह देखना चाहती थी कि कालिया अपने आदमियों के साथ चला गया है या वही है ? जैसी कि उसे आशा थी, वे लोग वहीं थे I कालिया के दोनों आदमी अपार्टमेटै के प्रवेश गेट से कुछ हटकर अलग टहल रहे थे ।
निगाहों ने चद पलो की कोशिश की तो कालिया को भी दूढ निकाला I वह अपार्टमेंट' के मेन गेट के ठीक सामने सडक पार फुटपाथ पर पेड के नीचे अधेरे मे खडा था I इन लोगों के रंगढंग देखकर स्पष्ट महसूस हो रहा था कि कालिया को पूरा बिश्वास था कि वह अमार्टमेट मे ही कहीँ भीतर है I
मोना चौधरी कुछ पल तो वहीं खडी उन तीनों पर निगाहे दौड़ाती रही ।
सडक पर ढेरों बाहन आ जा रहे थे I मोना चौधरी सडक पार करके फुटपाथ पर पहुची' और बेहद सावधानी भरे कदम उठाती हुई फुटपाथ पर ही कालिया की तरफ बढने लगी I उसकी आखों में सख्ती के भाव छाए हुए ये I कलिया सारा दिन उसके पीछे लगा रहा, उसे दौड़ाता रहा I अब वह जाते जाते कालिया को समझा देना चाहती थी कि उसे पकडना आसान नही हे ।
आधे मिनट में ही मोना चौधरी ठीक कालिया के पीछे जा पहुची ।
कालिया पेड के तने से टेक लगाए अपार्टमेंट के मुख्य गेट पर निगाहे टिकाए खडा था I
सडक पर आ जा रहे वाहनों के शोर के कारण अगर मोना चौधरी के कदमों की आहट भी हुई होंगी तो उसे सुनाई नहीं दी I
" हेलो I" एकाएक मोना चौधरी ने फुसफुसाए स्वर में कहा I
कालिया के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा I वह फिरकनी की भाति धूमा I
मोना चौधरी को मात्र एक फुट के फासले पर पाकर क्षण भर के लिए वह हैरान सा रह क्या I
" तुम ?"
"चलना है सारा खर्चा मेरा I " मोना चौधरी ने शोख स्वर मे कहा ।
कालिया को जैसे होश आया ।
"खर्चा तो अब में भी कर दूगा । " कालिया ने कढ़वे स्वर में कहा-"लेकिन अब तुम मेरे साथ नहीं चलोगी I "
" क्यों ? इरादा बदल दिया हैं क्या?" मोना चौधुरी हसी ।
"इरांदा तो वहीं है. परंतु तुम्हें मैं अपने दम पर लेकर जाऊंगा । तुम मर्जी से नहीं चलोगी मेरे साथ । "
"यह तो फिर दिक्कत वाली बात हो गई । "
"कोई दिक्कत नहीं है I " कालिया ने दात भींचकर जेब की तरफ हाथ बढाया I
मोना चौधरी की आखों में क्रोध की लहरे चमकीं । इससे पहले कि वह रिवाॅल्बर निकालने के लिए जेब मे हाथ डाल पाता, मोना चौधरी का लौह घूसा कालिया के गाल पऱ पडा ।
कालिया का पूरा शरीर झनझना उठा I
दात किटकिटाकर कालिया ने अपना घुटना मोना चौधरी के पेट में मारा I
मोना चौधरी कराह के साथ दोहरी हुई और फिर उसी पल सीधी हुई ।
उसके बाद बिजली की सी गति से उछलकर उसने कालिया के बाल दोनो हाथों से पकडे और सिर पेढ़ से टकरा दिया I
कालिया के होंठो से चीख निकली I मोना चौधरी ने उसी पल उसके गाल पर धूसा जमाया I
कालिया लड़खड़ाका नीचे गिरा I इससे पहले कि कालिया उठता या लोगों का ध्यान इस तरफ' आकर्षित होता-मोना चौधरी खिसक गई I
खटका वहुत हल्का था । परतु मोना चौधरी की आख' खुल गई। बेड पर पड़े-हीँ-पडे वह अपनी आखें हर तरफ पुमाने लगी I वह जानती थी कि उसे इस मामले में धोखा नहीं हो सकता I कोईं` आबाज, कोई खटका अवश्य हुआ है ।
मोना चौधरी की आखे हर तरफ घूमने लगीं । आज थकावट कुछ ज्यादा ही हो गई थी I कालिया को लेकर उसका मस्तिष्क कुछ ज्यादा ही उलझ गया था, इसलिए वह कमरे का नाइट वल्ब भी नहीं आँन कर सकी थी । इसी कारण कमरे मे घुप्प अंधेरा था ।
मोना चौधरी आखे घुमाती रही । परंतु दोबारा कोई खटका नहीं हुआ । लेकिन मोना चौधरी को इस खामोशी से तसल्ली नहीं हो सकती थी । खटका हुआ था और हर हाल में हुआ था । मोना चौधरी के दाए हाथ ने हल्की-सी करवट ली और तकिए के नीचे पडे रिवाल्वर को टटोलने लगी I
इससे~पहले कि उसके हाथ की उगलिया रिवॉल्वर को छु पाती I
एकाएक तेज झमाके के साथ सारा कमरा रोशन हो उठा I
मोना चौधरी की खुली आखे हर तरफ घूमती चली गई I पूरी गिनती तो उसने नहीं की, परंतु वे करीब छ: थे I पाच भी हो सकते थे और सात भी ।
परंतु इन सव में वो वही दिन वाले कालिया के साथी थे I
वे सब भीतर केसे पहुँच गए थे, मोना चौधरी समझ नहीं पाई । कमरे के खतरनाक हालात को पहचानते ही मोना चौधरी उठ बैठी । उन सबके हाथो में रिवाॅल्बर थी I
" ’हैलो I कैसी हो ?" कालिया के साथी ने शात स्वर में पूछा I
मोना चौधरी कुछ नहीं बोली I
"तूमने अपने फ्लैट में ताले वहुत कमजोर लगा रखै हैं I " कालिया का दूसरा साथी बोला I
मोना चौधरी कुछ नहीं' बोली I
उसकी निगाहे घूमी I
कालिया कहीं भी नजर नहीं आया I
"चलो उठो । " कालिया का साथी सख्त स्वर मे वोला I
मोना चौधरी के दात भिच गए।
"कोई शरारत मत करना । तुम्हे शूट करने ,के हमे आर्डर हो चुके हैं । "
"साथ में कुछ चलेगा ?"
"नहीं।" मोना चौधरी ने घूट भरा। .
"एक बात कहू ?"
"बोलो बोलो । "
"तुम मुझसे शादी कर लो।"
" शादी ?" मोना चौधरी ने आखै फाडी ।
"हा मैने देख लिया है कि तुम मेरी वीवी वन सकती हो I " बूढा जल्दी से बोला-"और मुझसे शादी करके तुम्हें बहुत फायदे होगे , मैं तुम्हें खाना बनाकर खिलाऊगा हर तरह से तुम्हारी सेवा करूंगा , यह फ्लैट तुम्हारे नाम कर दूंगा मेरा सारा रुपया तुम्हारा । तुम्हारी जिदगी वना दूंगा ।"
मोना चौधरी के होंठो पर मुस्कान फैल गई ।
"यह आफर' किसी और को मत दे देना l वर्ना वह तुमसे शादी करके तुम्हारा सव कुछ अपने नाम करवाकर तुम्हें ऐसी लात मारेगी कि दोबारा यहा आने का रास्ता भी भूल जाओगे। "
"ल लेकिन मैं तो तुम्हें' कह रहा हूं । तुम तो अच्छे खानदान की हो । हर किसी को मैं क्यों कहने लगा ?"
मोना चौधरी समझ गई कि यह बूढा गया काम से । अब तो इसकी हालत यह हो गई है कि जो भी जवान लडकी इसके करीब आई उसी को यह आँफर दे देगा और जल्दी ही बुरा फसेगा I
"तो तुमने बताया नहीं कि मेरे साथ शादी के लिए तुम.....!"
तभी कॉलबेल बज उठी l
मोना चौधरी की आखें सिकुड गई ।
"अभी तो किसी को भी नहीं आना था । " वह बोला…"फिर ये वेल किसने मारी ?"
मोना चौधरी जल्दी से बोली I
"शायद मेरा मगेतर हो ?"
"मगेतर' ?" बूढे के डबल होश गुम हो गए।
"हां । मेरे मां बाप ने जबरदस्ती उससे मेरी शादी तय कर दी, जबकि मैं उससे शादी नहीं' करना चाहती । वह मुझे अच्छा नहीं लगता । और अब तुम मुझे बहुत अच्छे लगने लगे हो ।"
" मै !"
"हा I " मोना चौधरी ने लम्बी सास ली ।
“ ओह । '" बूढा बेचैन सा हो उठा । चाय का प्याला उसने एक तरफ दिया !
"तुम एक काम करो I सब ठीक हो जाएगा । "
"कहो ! एक तो क्या, मैं ग्यारह काम भी कर दूगा' इस मामले में I " .
"तुम जाओ, दरवाजा खोलो I जैसे भी हो उसे खिसका दो । लेकिन उसे शक न हो । " मोना चौधरी ने स्वर में बेचैनी से भरे भाव उजागर क्रिए…" इसके बाद दो चार दिन में अच्छा सा मुहूर्त देखता हम शादी कर लेगे । "
"पक्का ?" बूढा उछल पडा I
"तो मै क्या झुठ वोल रही हूं !" मोना चौधरी ने मुह फुलाया ।
" नहीं.नही' ! तुम झूठ कैसे बोल सकती हो ? मैं अभी देखता हूं कौन है वह l "
वैल दौबारा बजी I
बुढे ने दरवाजे के करीब पहुचकर जजीरी' फसाईं' और सिटकनी हटाकर दरवाजा खोला । जजीरी लगने के कारण दरवाजा सिर्फ तीन इच' हीं खुला ।
मोना चौधरी चाय के प्याले के साथ आराम से बैठी रही । वह जानती थी कि जो भी हो. . बूढा किसी को-भी भीतर नहीं जाने देगा । बाहर अपने एक आदमी के साथ कालिया हीं था ।
"कहिए ? " बूढे ने वेहद शात स्वर में कहा ।
"हम पुलिस वाले हैं । कुछ चोरों का पीछा कर रहे थे और वे इसी अपार्टमेट में आ घुसे हैं । " कालिया समझाने वाले भाव में कह रहा था---" चोर किसी को नुकसान न पहुचा र्दे, इसलिए हम हर फ्लैट की तलाशी ले रहे हैं । "
"यह तो वहुत अच्छी बात है, लेकिन यहां कोई नहीं आया I सुबह से मैं घर पर हूं और दरवाजा वद था । "
" गुड ! फिर भी हम एक निगाह भीतर डालना चाहते हैं I मेरे ख्याल में आपको एतराज तो नहीं होगा । "
"बिल्कुल नहीं होगा। परंतु आपने पुलिस की बर्दी नहीं पहन रखी !"
"कभी कभी हमे' बिना वर्दी के भी काम करना पडता है !"
" यह बात तो है । खैर, कोई बात नहीं I आपके पास पुलिस कार्ड तो होगा ?"
"पुलिस कार्ड? "
"आई कार्ड I उसे तो आप सादे कपडों में' भी रख सकते हैं । .. "
"इस समय तो वह भी नहीं' है I " कालिया के होठो से निकला ।
"कोई बात नहीं, ले आओ । मैं घर पर ही हूं। या फिर पुलिस की वर्दी पहनकर आना I अगर यह दोनों काम न हो सकें तो साथ में पाच सात वर्दीधारी पुलिस वाले ले जाना I तव तलाशी ले लेना । "
"मतलब कि इस तरह आपको तलाशी देने में एतराज है I" कालिया आवाज़ को सख्त बनाकर बोला ।
" सख्त एतराज है I " बूढे ने भी अपना स्वर कठोर कर लिया ।
"पद्रह' दिन पहले इसी अपार्टमेट' में तुम जैसे शरीफ लगने वाले खुद को खुफिया पुलिस के आदमी बताकर घूस आए थे I और एक फ्लैट को पूरी तरह लूट-पाटकर चले गए I घर मे' मोजूद औरतों के कानों की बाली नहीं उतरी तो बाली सहित कान ही काटका ले गए I अब समझे मेरे एतराज का कारण ! " भुनभुनाकर कहते हुए उस बूढे ने भड़ाक से दरवाजा बद कर लिया ।
उसके बाद फिर बेल नहीं बजी ।
मोना चौधरी जव फ्लैट से निकली तो शाम के आठ बज रहे थे । चारों तरफ अघेरा' छा चुका' था । निकलने से पहले बूढे से पचास बार वायदा किया था कि शादी के मुहूर्त के दिन के बारे में वह कल ही खबर करेगी I तव कहीं जाकर बूढ़े ने उसे जाने की इजाजत दी थी I
मोना चौधरी सावधान थी I अपार्टमेंट के भीतरी हिस्से में उसका टकराव किसी से नहीं' हुआ I कालिया और उसके दोनों आदमियों से भी नहीं I रिसेप्शनिस्ट युवक से भी नहीं । मोना चौधरी ने किसी तरह से अपार्टपेट से निकलने वाला चोर दरवाजा तलाश किया ।
कालिया और उसके आदमी बाहर भी उसकी तलाश में खडे हो सकते थे ।
मोना चौधरी अपार्टमेंट की दीवार के साथ घूमकर सामने की तरफ आई I वह देखना चाहती थी कि कालिया अपने आदमियों के साथ चला गया है या वही है ? जैसी कि उसे आशा थी, वे लोग वहीं थे I कालिया के दोनों आदमी अपार्टमेटै के प्रवेश गेट से कुछ हटकर अलग टहल रहे थे ।
निगाहों ने चद पलो की कोशिश की तो कालिया को भी दूढ निकाला I वह अपार्टमेंट' के मेन गेट के ठीक सामने सडक पार फुटपाथ पर पेड के नीचे अधेरे मे खडा था I इन लोगों के रंगढंग देखकर स्पष्ट महसूस हो रहा था कि कालिया को पूरा बिश्वास था कि वह अमार्टमेट मे ही कहीँ भीतर है I
मोना चौधरी कुछ पल तो वहीं खडी उन तीनों पर निगाहे दौड़ाती रही ।
सडक पर ढेरों बाहन आ जा रहे थे I मोना चौधरी सडक पार करके फुटपाथ पर पहुची' और बेहद सावधानी भरे कदम उठाती हुई फुटपाथ पर ही कालिया की तरफ बढने लगी I उसकी आखों में सख्ती के भाव छाए हुए ये I कलिया सारा दिन उसके पीछे लगा रहा, उसे दौड़ाता रहा I अब वह जाते जाते कालिया को समझा देना चाहती थी कि उसे पकडना आसान नही हे ।
आधे मिनट में ही मोना चौधरी ठीक कालिया के पीछे जा पहुची ।
कालिया पेड के तने से टेक लगाए अपार्टमेंट के मुख्य गेट पर निगाहे टिकाए खडा था I
सडक पर आ जा रहे वाहनों के शोर के कारण अगर मोना चौधरी के कदमों की आहट भी हुई होंगी तो उसे सुनाई नहीं दी I
" हेलो I" एकाएक मोना चौधरी ने फुसफुसाए स्वर में कहा I
कालिया के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा I वह फिरकनी की भाति धूमा I
मोना चौधरी को मात्र एक फुट के फासले पर पाकर क्षण भर के लिए वह हैरान सा रह क्या I
" तुम ?"
"चलना है सारा खर्चा मेरा I " मोना चौधरी ने शोख स्वर मे कहा ।
कालिया को जैसे होश आया ।
"खर्चा तो अब में भी कर दूगा । " कालिया ने कढ़वे स्वर में कहा-"लेकिन अब तुम मेरे साथ नहीं चलोगी I "
" क्यों ? इरादा बदल दिया हैं क्या?" मोना चौधुरी हसी ।
"इरांदा तो वहीं है. परंतु तुम्हें मैं अपने दम पर लेकर जाऊंगा । तुम मर्जी से नहीं चलोगी मेरे साथ । "
"यह तो फिर दिक्कत वाली बात हो गई । "
"कोई दिक्कत नहीं है I " कालिया ने दात भींचकर जेब की तरफ हाथ बढाया I
मोना चौधरी की आखों में क्रोध की लहरे चमकीं । इससे पहले कि वह रिवाॅल्बर निकालने के लिए जेब मे हाथ डाल पाता, मोना चौधरी का लौह घूसा कालिया के गाल पऱ पडा ।
कालिया का पूरा शरीर झनझना उठा I
दात किटकिटाकर कालिया ने अपना घुटना मोना चौधरी के पेट में मारा I
मोना चौधरी कराह के साथ दोहरी हुई और फिर उसी पल सीधी हुई ।
उसके बाद बिजली की सी गति से उछलकर उसने कालिया के बाल दोनो हाथों से पकडे और सिर पेढ़ से टकरा दिया I
कालिया के होंठो से चीख निकली I मोना चौधरी ने उसी पल उसके गाल पर धूसा जमाया I
कालिया लड़खड़ाका नीचे गिरा I इससे पहले कि कालिया उठता या लोगों का ध्यान इस तरफ' आकर्षित होता-मोना चौधरी खिसक गई I
खटका वहुत हल्का था । परतु मोना चौधरी की आख' खुल गई। बेड पर पड़े-हीँ-पडे वह अपनी आखें हर तरफ पुमाने लगी I वह जानती थी कि उसे इस मामले में धोखा नहीं हो सकता I कोईं` आबाज, कोई खटका अवश्य हुआ है ।
मोना चौधरी की आखे हर तरफ घूमने लगीं । आज थकावट कुछ ज्यादा ही हो गई थी I कालिया को लेकर उसका मस्तिष्क कुछ ज्यादा ही उलझ गया था, इसलिए वह कमरे का नाइट वल्ब भी नहीं आँन कर सकी थी । इसी कारण कमरे मे घुप्प अंधेरा था ।
मोना चौधरी आखे घुमाती रही । परंतु दोबारा कोई खटका नहीं हुआ । लेकिन मोना चौधरी को इस खामोशी से तसल्ली नहीं हो सकती थी । खटका हुआ था और हर हाल में हुआ था । मोना चौधरी के दाए हाथ ने हल्की-सी करवट ली और तकिए के नीचे पडे रिवाल्वर को टटोलने लगी I
इससे~पहले कि उसके हाथ की उगलिया रिवॉल्वर को छु पाती I
एकाएक तेज झमाके के साथ सारा कमरा रोशन हो उठा I
मोना चौधरी की खुली आखे हर तरफ घूमती चली गई I पूरी गिनती तो उसने नहीं की, परंतु वे करीब छ: थे I पाच भी हो सकते थे और सात भी ।
परंतु इन सव में वो वही दिन वाले कालिया के साथी थे I
वे सब भीतर केसे पहुँच गए थे, मोना चौधरी समझ नहीं पाई । कमरे के खतरनाक हालात को पहचानते ही मोना चौधरी उठ बैठी । उन सबके हाथो में रिवाॅल्बर थी I
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मोना चौधरी कुछ नहीं बोली I
"तूमने अपने फ्लैट में ताले वहुत कमजोर लगा रखै हैं I " कालिया का दूसरा साथी बोला I
मोना चौधरी कुछ नहीं' बोली I
उसकी निगाहे घूमी I
कालिया कहीं भी नजर नहीं आया I
"चलो उठो । " कालिया का साथी सख्त स्वर मे वोला I
मोना चौधरी के दात भिच गए।
"कोई शरारत मत करना । तुम्हे शूट करने ,के हमे आर्डर हो चुके हैं । "
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