अधूरी हसरतें

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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »



ऐसा क्या देख ली मम्मी,,,,,

अरे बताती हूं थोड़ा सब्र तो कर ले भागी नहीं जा रही,,,( इतना कहने के साथ ही वह थोड़ा आगे की तरफ झुकी जिसकी वजह से उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लु नीचे गिर गया या यू कह लो कि उसने जानबूझकर साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी,,,, जिसकी वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ाने लगे,,,, बड़ी बड़ी खूबसूरत चूचियां ब्लाउज के बटनों पर अपना सारा वजन डाल चुकी थी,, जिससे बटन टूटने की पूरी की पूरी सक्यता नजर आ. रही थी। चूचियां ऐसी लग रही थी कि मानो पेड़ पर कटहल लटक रहे हो,,,, शुभम की नजर जैसे ही अपनी मां के ब्लाउज के अंदर झांक रही चुचीयो पर पड़ी उसके मुंह में तो पानी आ गया। वह प्यासी अपनी मां की चुचियों को ही देखे जा रहा था जो कि निर्मला को भी साफ दिखाई दे रहा था और वह अपने बेटे को इस तरह से प्यासी नजरों से अपनी तरफ देखता हुआ पाकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। वाह जानबूझकर साड़ी के पल्लू को ठीक करने की जरुरत नहीं समझी और इसी तरह से अपनी चूचियों का प्रदर्शन अपने बेटे के सामने करती रही। और अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली,,,)

तेरे बदन पर मात्र अंडरवीयर ही था जोकि आगे से एकदम तंबू बना हुआ था जिसे साफ साफ पता चल रहा था कि तेरा लंड पूरी तरह से खड़ा है। ( लंड शब्द सुनते ही शुभम के बदन में हलचल सी मच गई,,, और साथ ही निर्मला की बुर में भी पानी का आवागमन शुरू हो गया। शुभम तो बड़े ध्यान से अपनी मां की चुचियों को देखते हुए उसकी बातों को सुन रहा था।)
मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था बेटा कि तेरा तंबू इतना भयानक भी हो सकता है तू ना जाने कसरत कर रहा था कि क्या कर रहा था यह तो मुझे समझ में नहीं आ रहा था।

क्यों मम्मी,,,?

अरे क्योंकि तेरी हालत कुछ अजीब सी थी तेरा पूरा बदन पसीने से लथपथ था तु बार बार अपने अंडरवियर में बने उस तंबु को ही देखे जा रहा था। मैं तो तेरे स्तंभों को देख कर ही अंदाजा लगा लेी कि तेरा लंड कितना बड़ा होगा,,,,( शुभम को अपनी मां की बातें बेहद मस्ती भरी लग रही थी और उसे याद आ गया कि वह किस दिन की बात कर रही थी,,, वह अपने दोस्तों की बातें सुनकर इस तरह से उत्तेजित हो चुका था क्योंकि वह लोग इसकी मां के बारे में गंदी बातें कर रहे थे यह उसी दिन की बात थी जिस बारे में निर्मला बता रही थी।)
मेरा अंदाजा सही बिल्कुल सही निकला जब तू अपने तंबू को ठीक तरह से देखने के लिए अपने अंडर वियर की नीचे की तरफ सरका कर देखा तो मेरी नजर तेरे लंबे मोटे ताजे और तगडे लंड पर पड़ गई,,,, सच बताऊं तो शुभम मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि इतना लंबा मोटा तेरा लंड है मैं तो देख कर एकदम चौक सी गई,,,, शायद तुझे भी बड़ा अजीब सा लगा था और तू जल्दी से अपने अंडर वियर को ऊपर चढ़ा लिया। सच यह नजारा 4:से 5 सेकंड का ही था लेकिन इतने भरसे ही मेरा मन एकदम से बदल गया मेरे बदन में पूरी तरह से हलचल होने लगी बार बार मेरी आंखो के सामने तेरा लंबा लंड नजर आने लगा और तेरे लंड के बारे में सोचते ही मेरी बुर हमेशा पानी पानी हो जाती थी।

बुर,,,, ( अपनी मां के मुंह से यह शब्द सुनते ही शुभम के मुंह से भी यह सब्द अचानक ही निकल पड़ा। )

हां मेरी बुर,,,,,,, जिस मे तू अपना लंड डालकर मुझे चोद रहा था।

ऊसे बुर कहते हैं मम्मी ( ऊंगली से शुभम अपनी मां की जांघों के बीच इशारा करते हुए बोला,,, शुभम का इशारा पाते ही उसकी नजर खुद ब खुद अपनी बुर के ऊपर चली गई जो कि वह साड़ी के ऊपर से ही नजर घुमा दी थी और मुस्कुराने लगी। )

हां बेटा इसे ही बुर कहते हैं जिसमें तू अपने लंड को तीन बार डाल कर चोद चुका है और मेरी प्यास को भी बुझाने में मेरी मदद किया है। और मैं यही कहना चाहती हूं कि तू आगे भी मेरी इसी तरह से प्यास बुझाता रहे,,,,, सच बोल बेटा मेरी प्यास हमेशा इसी तरह से बुझाता रहेगा ना,,,, ( इतना कहते हुए मां अपने बेटे का हाथ पकड़कर अपने हाथ में रख ली,,,)
बोल बेटा बोल तू मेरे साथ सब कुछ वैसा ही करेगा ना जो एक मर्द अपनी औरत के साथ करता है,,( शुभम को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मम्मी के सवाल का क्या जवाब दें उसके हांथो में तो ऊसकी मम्मी खुद ही अपने बदन की पूरी विरासत थमा रही थी उसके जिस्म की पूरी सियासत शुभम को अपने हाथों से ही सोंप रही थी,,,,भला एक जवान हो रहे लड़के के लिए इस तरह का एक मदमस्त और जवान औरत के आमंत्रण से भला इंकार कैसे हो सकता था। शुभम तो खुद अपनी मां के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था वह खुद अपनी मां को दिन रात चोदना चाहता था। ईसलिएे इंकार करने जैसा कुछ भी नहीं था वह झट से अपनी मां की ऊंगलियों को अपनी हथेली में कस कर दबाता हुआ बोला,,,,।

हां मम्मी मैं जरूर करूंगा तुम्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं रहेगी,,,,, ( अपने बेटे की यह बात सुनकर वह पूरी तरह से प्रसन्न हो गई और खुश होते हुए बोली।)

मुझे तुझसे ऐसी ही उम्मीद थी बेटा तू ही मेरा सहारा बनेगा तेरे पापा ने मुझे जो खुशियां ना दे पाए वह तु मुझे देगा,,, और सच कहूं तो कार के अंदर तूफानी बारिश में तेरे मोटे लंबे लंड से चुदने के बाद मैं तो तेरी दीवानी हो गई हूं,,, तुने जो इस तरह से चोद कर मेरा पानी निकाला है मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है ऐसा सुख मैंने आज तक कभी भी नहीं भोग पाई,,,, तेरे पापा से भी मुझे इस तरह का सुख कभी भी नहीं मिला क्योंकि तेरे पापा का लंड तेरे से आधा भी नहीं होगा,,,, (,,,अपनी मां के मुंह से अपनी तारीफ और अपनी मर्दाना ताकत की तारीफ को सुनकर वो खुश होने लगा,,,)
और एक बात और बेटा तू कभी भी किसी को भी इस रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं कहेगा,,,, मुझसे वादा कर मेरी कसम खा ( इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे के हाथ को अपने सिर पर रख कर उसे कसम खिलाने लगी)

मम्मी ने क्या तुम्हें पागल लगता हूं कि जो इन सब बातों को किसी और से कहूंगा मैं कभी भी उसका ज़िक्र तक नहीं करूंगा लेकिन अगर पापा को पता चल गया तो,,,,

नहीं पता चलेगा उस मूए को कभी भी नहीं पता चलेगा,,,,,

( इतना कहते हुए निर्मला शुभम के एकदम करीब आ गई थी। उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी शुभम का भी यही हाल था अपनी मां के बदन से सटकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी खास करके उसका लंड जोकि पजामे में पूरी तरह से टन टनाकर खड़ा हो चुका था,,, उसकी हालत खराब हो रही थी जिसे वह बार बार अपना हाथ लगाकर एडजस्ट कर रहा था लेकिन निर्मला से देखा नहीं गया और उसने तुरंत उसके पजामे के ऊपर से ही लंड पकड़ ली,,, जैसे ही निर्मला ने अपने बेटे के लंड को बचाने के ऊपर से पकड़ी वैसे ही शुभम के बदन में एक करंट सा दौड़ गया,,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखने लगा निर्मला की बुर से तो मलाई टपक रही थी,,,, वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,,, अपनी जवान बेटे को इतने करीब पाकर उससे रहा नहीं गया और वह झट से अपने गुलाबी होठों को उसके हाेठ पर रखकर चूसने लगी,,,, शुभम जी कहां पीछे हटने वाला था वह तुरंत अपनी मां की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा बिस्तर उन दोनों के घमासान युध्ध के लिए पूरी तरह से तैयार था। शुभम ने तुरंत अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल डाला,,,, निर्मला जैसे पहले से ही तैयारी कर के आई हो इस तरह से उसने आज ब्रा ही नहीं पहनी थी। इसलिए ब्लाउज के बटन खुलते ही उसके दोनों खरबूजे हवा में उड़ने लगे,,,,
निर्मला पूरी तरह से वासना में वशीभूत होकर अपने बेटे के लंड को पजामे के ऊपर से ही दबाए जा रहेी थी। वह अपने बेटे के होठो को चूमते हुए उसे बिस्तर पर लिटाने लगी,,,
दोनों एक बार संभोग सुख प्राप्त करने के लिए अपने आपको तैयार कर चुके थे निर्मला का ब्लाउज खुल चुका था और शुभम अपने पजामे को नीचे की तरफ सरका रहा था।
निर्मला एक बार फिर से अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेना चाहती थी,,,, इसलिए तो दोनों एक दूसरे के कपड़ों को जल्द से जल्द बदन पर से उतार फैंकना चाहते थे। शुभम अपनी मां के गुलाबी होठों से अपने होंठ को हटाकर अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को पीने ही जा रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजने लगी,,,,

दरवाजे पर बज रही घंटी की परवाह किए बिना ही शुभम अपना मुंह अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची ऊपर रखकर उसे जोर-जोर से पीने लगा,,,,, निर्मला भी एकदम कामोत्तेजित हो चुकी थी वह अपने बेटे को अपनी बाहों में कस कर दबोचते हुए अपने सीने में समा लेने के लिए पूरी कोशिश कर रही थी। शुभम की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसका लंड तन कर एकदम खड़ा हो चुका था जोकि ईस समय निर्मला अपनी हथेली में दबोच कर उसे जोर जोर से मुठिया रही थी। दोनों उत्तेजना में करो बोर हो चुके थे रह-रहकर दरवाजे पर घंटी बज रही थी लेकिन दोनों एक दूसरे में खोने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके थे। मैंने अपनी हथेली में अपने बेटे के लंड की गर्मी को महसूस करके पूरी तरह से गीली हुए जा रही थी दरवाजे पर बज रही घंटी की परवाह किए बिना ही वह अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी। उसे लगने लगा था कि शायद अशोक वापस घर पर आ चुका है लेकिन इस समय निर्मला के साथ साथ शुभम के सर पर भी वासना का चुदास पन पूरी तरह से छा चुका था। शुभम तो अपनी मां की चुचियों पर ही जैसे टूट पड़ा हो बार-बार कभी दांई चूची को मुंह मे भर कर चुसता तो कभी बांई.
दोनों में से निकल रहे रस को वह गटक जा रहा था,,,,, वह रह रह कर अपनी मां की निप्पल को दांतो से काट भी ले रहा था जिससे निर्मला की सिसकारी निकल जा रही थी और उसे मजा भी बहुत आ रहा था। उसकी गरम सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी।

सससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,, बेटा बस ऐसे ही चूस मेरी चूची को,,,,, बहुत मजा आ रहा है इस तरह से तो कभी तेरे बाप ने भी मेरी चूचियों के साथ मस्ती नहीं किया,,,, उसकी सारी कसर तू पूरी कर दे और जोर जोर से दबा दबा कर पी सारा रस निचोड़ डाल,,,,, आाााहहहहहह,,,, बेटा,,,,
( शुभम तो अपनी मां की कसम पिचकारी और उसकी बातें सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गया और जोर-जोर से अपनी मां की चुचियों को दबा दबा कर वह पीना शुरु कर दिया। लेकिन उसे दरवाजे पर पहुंच रही घंटी की आवाज सुनकर डर लगने लगा,, था कि उसके पापा को कहीं पता न चल जाए,,,,, इसलिए वह अपनी मां की चूची पर से अपना मुंह उठाकर उससे बोला,,,,)
,,,
मम्मी लगता है पापा घर आ गए हैं,,,, अगर ऊन्हे पता चल गया तो,,,,

तू चिंता मत कर उन्हें कुछ भी पता नहीं चलेगा बस तू लगे रे,,,,, ( इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे को बाहों में भर कर अपने ऊपर चढ़ा ली और झट से अपनी टांगो को फैला दी,,,,, पेंटी को तो वह पहले से ही निकाल चुकी थी इसलिए ज्यादा देर ना लगाते हुए,,, अपने बेटे के खड़े लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी,,,,, ओर बोली)

बस बेटा अपने पास समय बहुत कम है तु जल्दी से अपने खड़े लंड को मेरी बुर के अंदर उतार कर जोर जोर से चोद,,,,
( शुभम के लिए तो अपनी मां का यह इशारा ही काफी था उसे काफी तसल्ली मिली थी जब सब कुछ संभाल लेने की बात कही थी इसलिए उसे किसी बात की चिंता फिक्र नहीं थी वह तो अपनी मां की इजाजत पाते ही,,, अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा जैसे जैसे अपनी कमर को आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसके लंड का मोटा सुपाड़ा निर्मला की पनियाई बुर के अंदर सरकता जा रहा था,,,, जैसे-जैसे निर्मला अपनी बुर के अंदर अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को महसूस करती जा रही थी वैसे वैसे उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचती जा रही थी उसका गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा था।
आज चौथी बार वह अपनी बुर में किसी मर्द के लंड का एहसास कर रही थी जो कि अब तक अपने पति अशोक के पतले लंड से चुदकर वह संतुष्ट नहीं हो पाई थी। निर्मला तो इतने से ही पूरे पसीने से तरबतर हो चुकी थी। शुभम स्वतंत्र जैसे अपनी मां पर टूट ही पड़ा था वह बार-बार अपनी मां के दोनों खरबूजे को दबाता हुआ उसे मुंह में भरकर टुकड़ों में काट रहा था जिससे निर्मला को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी जब जब शुभम अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची पर दांत गड़ाकर उसे हल्के से काटता तब तब निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी के साथ साथ ऊई मां जैसे गर्म कर देने वाले शब्द निकल जा रहे थे। माहौल पूरी तरह से करवा चुका हूं शुभम का लंड उसकी मां की बुर की गहराई नापने का था वह धड़ाधड़ अंदर बाहर करते हुए अपनी कमर हिला रहा था।
दरवाजे पर बार-बार बेल बज रही थी जिसकी फिक्र आप दोनों को बिल्कुल नहीं थी क्योंकि दोनों एक अजीब सी दुनिया में विचरण कर रहे थे। जहां पर विचरण करने का आनंद बड़ा ही अद्भुत और उन्मादक होता है। हर धक्के के साथ निर्मला सातवें आसमान पर पहुंच जा रही थी जिस तरह का जबरदस्त प्रहार शुभम कर रहा था इस तरह के प्रहार के लिए वह एकदम तरस रही थी,,, अशोक ने ऐसे घमासान कर रहे जबरदस्त धक़्कों के साथ निर्मला की कभी भी चुदाई नहीं किया था। निर्मला हैरान थी अपने बेटे की ताकत को देखकर पूरा पलंग चरमरा रहा था। चर्र्र चर्र्र,,,,,, की
आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।शुभम का लंड पिस्टन की तरह निर्मला की बुर के अंदर बाहर हो रहा था। दोनो की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,,, निर्मला से तो उसकी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह बड़ी तेजी से और गहरी गहरी सांसे ले रही थी जिस वजह से शुभम का मुंह उसकी दोनों गदराई नरम नरम चुचियों के बीच ढक जा रही थी। जिससे शुभम को भी बहुत मजा आ रहा था।

ओहहहहह,,,,,, शुभम बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा चोद मुझे,,,,,,,ओहहहह शुभम क्या मस्त चोदता है रे तू, मुझे तो यकीन नहीं आ रहा है कि तू मेरा बेटा है बस ऐसे ही धक्के लगा जोर जोर से धक्के लगा,,,ऊम्ममममममम,,,,, ओहह,,,,


निर्मला पूरी तरह से पागल हो चुकी थी चुदाई का ऐसा अद्भुत एहसास उसने कभी भी महसूस नहीं की थी। बैल की घंटी के साथ साथ,,,, उसकी आवाज की लय के साथ शुभम की कमर भी हील रही थी। अपनी मां को इस तरह से मदमस्त होकर चुदवाते हुए देखकर शुभम एक दम मस्त हो गया और वह और भी तेज तेज धक्के लगाने लगा।
मदमस्त हो चुकी निर्मला ने अपने बेटे से चुदते हुए इस समय कुछ ऐसी हरकत कर दी की इस हरकत पर खुद निर्मला भी पूरी तरह से चौंक गई,,,,, ऐसी हरकत उसने आज तक अपने पति से चुदते हुए भी नहीं की थी,,,, आज वह अपने बेटे के जबरदस्त धक्कों का जवाब देते हुए नीचे से अपनी मदमस्त गदराई हुई गांड को ऊपर की तरफ उठा कर खुद धक्के लगाने लगी,,,, दोनों किसी से कम नहीं थे दोनों पलंग पर एक दूसरे को पछाड़ देना चाहते थे इस समय शुभम का कमरा कमरा ना हो कर दो कुश्ती बाजो का अखाड़ा हो चुका था दोनों किसी से कम नहीं थे,,,, एक खेली खाई मदमस्त परिपक्व गजराज हुई जवानी की मालकिन थी तो दूसरी तरफ नए-नए उन्मादों से भरा हुआ जवान लट्ठ,,,, जिसने जवानी का जोश कूट कूट कर भरा हुआ था और वह अपना जोश अपनी मां को पूरी तरह से दिखा रहा था। निर्मला की बड़ी बड़ी भारी भरकम गांड जब ऊपर की तरफ ऊछलती थी तो वह नजारा देख कर किसी की भी सांस अटक जाए,,,,
उन्मादक और अति उत्तेजक नजारा बड़ी किस्मत वालों को देखने और महसूस करने को मिलता है। इस समय वह किस्मत वाला दूसरा कोई नहीं खुद निर्मला का बेटा शुभम था। जो अपनी जवानी के रस से अपनी मां की बुर को भर देना चाहता था।
थोड़ी ही देर में दोनों की सांसे तीव्र गति से चलने लगी दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे किसी मैराथन दौड़ की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हो और एक दूसरे को पछाड़ देने की होड़ में लगे हुए हो,,,, थोड़ी ही देर में तेज झटकों के साथ ही शुभम का बदन अकड़ने लगा साथ ही निर्मला का बदन भी अकड़ना शुरू हो गया,,,, और अगले धक्के के साथ ही शुभम भलभलाकर अपना गरम लावा अपनी मां की बुर में छोड़ने लगा साथ ही निर्मला भी अपना मदन रस बहाने लगी,,,
दोनों एक दूसरे की बाहों में तेज-तेज हांफने लगे,,, थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया तो दरवाजे पर बज रही घंटी का ख्याल हुआ जल्दी-जल्दी दोनों बिस्तर पर से उठ कर अपने कपड़ों को ठीक कर दिए,,, शुभम को डर लग रहा था वह सोच रहा था कि दरवाजे पर उसके पापा होंगे इसलिए घबरा रहा था लेकिन निर्मला ने सारा बहाना तैयार कर ली थी,,,,, उसे मालूम था कि क्या कहना है। दोनों जल्दी जल्दी एक कमरे से बाहर आकर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे लेकिन बेल बजने की आवाज़ अब नहीं आ रही थी,,,,, अब तो निर्मला जी घबराने लगे तो समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा अगर अशोक होगा तो आज बहुत बिगड़ेगा,,,,,,,
यही सोचकर उस ने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने देख लिए एक वृद्ध औरत बैठी हुई थी जोकी दूसरी तरफ दीवार को देख रही थी।,,,,, निर्मला को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह औरत कौन है वह और नजदीक जाने लगी तो निर्मला के पैरों की चहल कदमी को भांपकर,,, जैसे ही वह औरत निर्मला की तरफ नजर घुमाई उसे देखते ही निर्मला के चेहरे पर मुस्कान फैल गई,,,,,,, ओर वह चंहकते हुए बोली,,,

मम्मी आप,,,,,,,

हां रे,,,, मैं,,,,, कब से दरवाजे पर घंटी बजा रही हूं लेकिन तू है कि जैसे घोड़े बेच कर सो रही है,,,,, (इतना कहने के साथ ही वह धीरे-धीरे उठने की कोशिश करके अपना हाथ निर्मला की तरफ बढ़ा दी ताकि वह सहारा देकर उठा सके,,,,, और निर्मला अभी तुरंत अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे सहारा देते हुए उठा दी,,,,,)

मुझे माफ करना मम्मी को क्या है कि मेरे सर में थोड़ा दर्द था इसलिए आंख लग गई तो पता ही नहीं चला,,,,,,( निर्मला बहाना बनाते हुए अपनी मां से बोली,,,,)

चल कोई बात नहीं अच्छा यह तो बता कि मेरा नन्हा मुन्ना शुभम कहां है,,,,,,


अरे मम्मी अब वह नन्ना मुन्ना नहीं रह गया है अब तो पूरा जवान लड़का हो गया है अभी बुलातेी हूं।

शुभम को शुभम जरा देख तो कौन आया है,,,,,
( शुभम वही घर के अंदर छुप कर बातें सुन रहा था और उन बातों को सुनकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसकी नानी घर पर आई है,,, वह जल्दी जल्दी घर के बाहर दरवाजे पर आया और खुश होते हुए अपने संस्कारी होने का प्रमाण पत्र देते हुए अपनी नानी के चरण स्पर्श कर लिया,,,,,)
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Re: अधूरी हसरतें

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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

Thanks for nice comments friends .
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