अधूरी हसरतें

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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

शुभम जैसे ही अपनी नानी के चरण स्पर्श किया वैसे ही उसकी नानी अपने नाती के अच्छे और संस्कारी व्यवहार को देखकर एकदम से गदगद हो गई और झट से उसे उठाकर अपने गले लगा ली,,,,

जीते रहो बेटा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी वरना आजकल के छोकरे तो अपने बड़ों से ठीक से बात तक नहीं करते,,,,,( इतना कहते हुए वह अपने चश्मे को ठीक से व्यवस्थित करते हुए शुभम की तरफ ऊपर से नीचे देखकर बोली,,,)

सच में निर्मला शुभम को एकदम जवान हो गया है अब यह बिल्कुल भी बच्चा नहीं रहा,,,,,, और हां मैं इतनी देर से घंटी बजा रही थी तो तू क्या कर रहा था तुझे तो आकर झट़ से दरवाजा खोलना था,,,,।
( अपनी नानी के इस सवाल का वह जवाब नहीं दे पा रहा था वह अपनी मां की तरफ देखने लगा तो निर्मला ही बात को संभालते हुए बोली।)

अरे मम्मी इसके फाइनल एग्जाम आने वाले हैं ना तो उसी से विषय में तैयारी कर रहा था इसलिए उसे पता नहीं चला,,,,
( निर्मला बात को संभालते हुए बहाना बना दी थी जिस पर उसकी मम्मी को विश्वास भी हो गया था,,,, अब वह अपनी मां से सच्चाई तो बता नहीं सकती थी कि उनका नाती उनकी बेटी को जमकर चोद रहा था,,,, और उनकी बेटी को चुदवाने में इतना मजा आ रहा था कि वह जान बूझकर दरवाजा नहीं खोली,,,,)


चल अच्छा ठीक है,,,, मेरा बैग घर मे ले आ,,,
( शुभम की नानी आगे-आगे जाने लगी और निर्मला ने बेटे की तरफ विजयी मुस्कान बिखेरते हुए कमरे में जाने लगी,,, पीछे पीछे शुभम भी अपनी मां की गदराई गांड को मटकते हुए देखकर जाने लगा जिसको कुछ देर पहले ही जमकर रौंद रहा था।
घर में आते ही निर्मला की मम्मी कुर्सी पर बैठ कर पंखे की ठंडी हवा खाने लगी तब जाकर उन्हें थोड़ा सुकून मिला,,,,,, बातचीत का दौर शुरु हो चुका था निर्मला अपनी मम्मी से हंस-हंसकर बातें कर रही थी शुभम भी अपनी नानी को पाकर खुश था क्योंकि जब भी वह आती थी तो कुछ ना कुछ उसके लिए जरूर लाती थी। वैसे भी शुभम की नानी आज काफी महीनों बाद घर आई थी इसलिए तीनों कुछ ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रहे थे,,,,,, बातों ही बातों में पता चला कि शुभम की नानी आंख का इलाज करने आई हुई है। दरवाजे पर लगातार बज रही घंटी की आवाज को नजरअंदाज करते हुए कुछ देर पहले निर्मला अपने बेटे से चुदाई का अद्भुत आनंद लेते हुए सब कुछ भूल चुकी थी और दरवाजा खोलने की अफरा तफरी में अपनी मां को घर आया देखकर वह इस बात को बिल्कुल भी भूल चुकी थी कि,,,, सुभम उसके साथ पूरी तरह से खुल चुका था क्योंकि वह शुभम से सारी बातें करके उसे समझा ली थी और अब तो उसके लिए सारे रास्ते खुल चुके थे,,,, वह शुभम के साथ अब घर में चाहे जब किसी भी समय अशोक की गैरहाजिरी में चुदाई का सुख ले सकती थी और उसे इस बात की खुशी भी थी लेकिन जल्द ही उसका यह नशा काफूर हो गया क्योंकि उसकी मम्मी उसके घर पर आंखों का इलाज कराने आई थी,,,, जिसमें दस पंद्रह दिन लग सकते थे और इसीलिए जल्दी उसका प्रसन्नता से भरा हुआ चेहरा उदास हो गया। इस बात को शायद शुभम भी अच्छी तरह से समझ गया था कि उसकी आजादी पर कुछ दिन के लिए विराम लग चुका था इसलिए वह भी अपनी नानी के आने से अब खुश नजर नहीं आ रहा था। दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर आंखों ही आंखों में अपनी उदास पन का इजहार कर दिए,,,,, अब शुभम और निर्मला के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था आज पहली बार निर्मला को अपनी मां का इस तरह से घर पर आना बहुत ही बुरा लग रहा था। दोनों की आजादी छीन चुकी थी दोनों को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे कुछ देर पहले उनके बदन में पर लग गए होैं और अभी उड़ने का मजा लिया भी नहीं था कि उनके पर को किसी ने जबरदस्ती नोच लिया हो,,,,, शुभम की नानी हंस हंस कर बोले जा रही थी लेकिन अब उनकी बातों को दोनों के कान सुनने से इंकार कर रहे थे। तभी इस बात का एहसास दिलाते हुए शुभम की नानी बोली।

क्या बात है तुम दोनों मेरी बात का कोई जवाब नहीं दे रहे हो और ना ही खुश नजर आ रहे हो कहीं ऐसा तो नहीं तुम लोगों को मेरा आना अच्छा नहीं लगा।


अरे नहीं नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं आपको बता ही ना कि मेरे सर में थोड़ा सा दर्द है इसलिए और वैसे भी शुभम भी काफी परेशान है एग्जाम को लेकर के,,,, वैसे मम्मी घर पर सब कुछ ठीक है ना पापा कहते हैं भाभी कैसी हैं भैया और बच्चे,,,,,,,


अरे सब मजे में हैं वह लोग तो तुम लोगों के आने का इंतजार करते रहते हैं लेकिन तुम लोगों को इस शहरी जीवन से जरा भी फुर्सत मिले तब ना गांव का रुख करो,,,,,,,

नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है दरअसल उन्हें बिजनेस से और शुभम की पढ़ाई की वजह से बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था लेकिन इस बार गर्मियों की छुट्टी में हम लोग जरुर आएंगे गांव घूमने,,,,,,
( निर्मला का मन बिल्कुल उदास हो चुका था वह अपनी मां के सवालों का बिल्कुल भी जवाब देना नहीं चाहती थी लेकिन वह नहीं चाहती थी कि उसकी मां को जरा भी इस बात का एहसास हो कि उनके आने पर वह बिल्कुल भी खुश नहीं है। बेमन से वह अपनी मां के साथ बैठकर कुछ देर तक बातें करती रही,,,, तब वह अपनी मम्मी से बोली,,,,,,


मम्मी आप बाथरूम में जाकर थोड़ा सा फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए खाना लगा देती हूं उसके बाद खाना खाकर आप आराम कर लो,,,,,,

ठीक है बेटी,,,, वैसे भी मैं काफी थक गई हूं लेकिन तू मेरा बिस्तर अपने कमरे में लगाना क्योंकि मुझे चश्मा लगाने के बावजूद भी ठीक है फिर दिखाई नहीं देता है इसलिए मुझे तेरी जरूरत पड़ेगी,,,,, और तू सुभम मुझे जरा बाथरुम तक ले चल,,,,,, ( इतना कहते हुए वह कुर्सी पर से उठने लगी और शुभम भी उनका हाथ पकड़ कर बाथरूम की तरफ ले जाने लगा निर्मला वही कुर्सी पर बैठे-बैठे मन में बुदबुदाने लगी,,,, क्योंकि आप कमरा भी हाथ से जा चुका था। अपनी मां की आदत को अच्छी तरह से जानती थी उसकी मां को,,, जब भी वह पास में होती थी तो उसके पास ही सोने की आदत थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई,,,, बस पैर पटक कर रह गई,,,,, नहा धोकर फ्रेश होने के बाद निर्मला की मम्मी खाना खा कर सो गई भाई तो बड़े आराम से चैन की नींद सो रही थी लेकिन निर्मला की नींद तो हराम हो चुकी थी।
निर्मला के साथ साथ शुभम भी उदास बैठा था,,,,
दोनों कमरे के बाहर बैठे हुए थे और कमरे में निर्मला की मां आराम से सो रही थी आज निर्मला को पहली बार उसकी खुद की मां मुसीबत लग रही थी क्योंकि दोनों के मजे में भंग पड़ गया था और यह सब निर्मला की मां की वजह से हुआ था। सोफे पर बैठा हुआ था निर्मला उसके करीब जाकर बैठ गई और उसे दिलासा देते हुए बोली।

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मम्मी इस तरह से आ जाएगी हम दोनों के बीच अच्छा तालमेल बैठ रहा था तभी यह मम्मी का आना मुझे अच्छा नहीं लगा,,,,,

मम्मी मुझे भी आज पहली बार नानी का घर आना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है पता नहीं क्यों मन बेचैन सा हो रहा है।( शुभम उदास मन से बोला और निर्मला अपने बेटे की यह बात सुनकर मन ही मन इस बात से प्रसन्न होने लगी थी उसका बेटा उसका दीवाना हो चुका था इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है अपने बेटे के सर पर हाथ रखते हुए निर्मला बोली।)
कोई बात नहीं बेटा,,,, मैं जल्दी से जल्दी मम्मी को किसी आंख के अच्छे डॉक्टर को दिखाकर उनका इलाज कराकर इधर से रवाना कर दूंगी उसके बाद हम दोनों के लिए सब कुछ साफ हो जाएगा,,,,,,,( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली अपनी मां की यह बात सुनकर शुभम को थोड़ी बहुत राहत हुई।)

सच मम्मी,,,, क्या फिर से हम दोनों,,,,,,( शुभम इतना कहकर खामोश हो गया इससे आगे वह कुछ बोल नहीं पाया,,,,, लेकिन निर्मला अपने बेटे की यह बात का मतलब अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए अपने बेटे से बोली,,,,,)
क्या फिर से हम दोनों,,,,आं,,,, बोल क्या बोलना चाह रहा है,,,,,
( निर्मला चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लिए अपने बेटे से आगे की बात पूछने लगी लेकिन शुभम शर्मा रहा था और शरमाते हुए बोला।)

कुछ नहीं मम्मी मैं तो यूं ही पूछ रहा था,,,,,


यूं ही नहीं तो जरूर कुछ कहना चाहता है लेकिन कह नहीं पा रहा है । बता और मुझसे शर्माने की कोई जरूरत नहीं है,,,, देख अब तो हम दोनों के बीच वह शब्द ही हो गया जो एक पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिका के बीच होता है एक मर्द और औरत के बीच जो जिस्मानी संबंध होते हैं वह संबंध हम दोनों के बीच हो गया है इसलिए शर्माने की जरुरत नहीं है।
( निर्मला अपनी मीठी बात से शुभम को समझाने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम की शर्म अभी भी दूर नहीं हो पा रही थी यह बात अलग है कि बिस्तर पर नंगे होने के बाद वह सब कुछ भूल जाता था लेकिन बिस्तर से उतरते ही फिर से शर्म का लिबास तन पर ओढ़ लेता था। इसलिए फिर से शर्माते हुए बोला,,,,।)

सच में मम्मी नहीं कुछ और नहीं कहना चाहता था,,,,


नहीं तू बिल्कुल झूठ बोल रहा है।( निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा इस तरह से बताने वाला नहीं है उसके लिए उसे अपना जलवा दिखाना होगा इसलिए उसने अपने कंधे से साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी जिससे एक बार फिर से उस की जवानी की दुकान का शटर खुल चुका था। शुभम की नजर जैसे ही अपनी मां के बड़े-बड़े खरबुजो पर गई वैसे ही तुरंत सुभम की जवानी चिकोटी काटने लगी,,,,,
ब्लाउज मे कैद अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख कर उसका लंड हीचकोले खाने लगा,,,, निर्मला अपने बेटे की हालत को देखकर जान गई कि उसकी चूचियों का जादू उसके ऊपर चलने लगा है इसलिए फिर से बोली,,,,)

बोलना शुभम तू क्या कह रहा था,,,,

मम्मी मै यहीं कह रहा था कि क्या हम फिर से वही कर पाएंगे,,,,( अपनी मां की चुचियों की तरफ मंत्रमुग्ध से देखते हुए)

क्या वही कर पाएंगे थोड़ा खुल कर बोलना शर्मा क्यों रहा है इतना कहते हुए निर्मला अपनी दोनों हथेलियों को अपनी चूची पर रखकर हल्के से दबाने लगी,,,, यह देख कर पजामे के अंदर शुभम का लंड गदर मचाने लगा। और वह बोला।)

मम्मी वही जो अभी तक करते आ रहे हैं,,,,,

निर्मला अपने बेटे के मुंह से गंदी बातें सुनना चाहती थी जो कि सभी लड़के आपस में किया करते थे लेकिन शर्म के मारे वह अभी भी अपने मुंह से गंदे शब्द नहीं निकाल पा रहा था। इसलिए वह थोड़ा झुंझला रही थी और फिर से बोली,,,,।)



क्या यार शुभम तू अभी भी इतना शर्मा रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि बिस्तर में जो अपना दमखम दिखाता है वह तू ही है,,,, अच्छा एक बात बता तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं ना,,,,, तो एक काम कर मैं तुझे कैसी लगती हूं,,,,( अपने चेहरे पर हल्के से ऊंगलिया फेरते हुए,,,,),,,, अब तो बोल मैं तुझे कैसी लगती हूं,,,,,


तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो,,,,,,( शुभम फिर से शर्माते हुए बोला लेकिन शुभम की यह बात सुनकर निर्मला खुश हो गई,,,)

अच्छा यह बता सोच अगर मैं तेरी मम्मी ना होती और तेरे पड़ोस में रहती तो क्या तू आते जाते मुझे देखता,,,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनकर बस थोड़ा सा सोचने लगा अब से सोचता होगा देखकर निर्मला बोली,,,,,)

देख तू ज्यादा सोच मत तो कुछ पल के लिए एकदम से भूल जा कि मैं तेरी मम्मी हूं तू मेरा बेटा,,,,, बस इतना ख्याल रखती तू एक जवान लड़का है और मैं एक औरत हूं और लड़के खूबसूरत औरत को किस नजर से देखते हैं तुझे यही बताना है। अब बता क्या तू मुझे आते जाते घूरता रहता,,,,,

( शुभम को आज उसकी मां का अंदाज कुछ ज्यादा ही बोल्ड लग रहा था लेकिन शुभम को अपनी मां के इस अंदाज से बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था जिसकी वजह से उसका लंड पजामें मैं खड़ा हो गया था,,,,, वह समझ गया था कि उसकी मां पूरी तरह से खुल चुकी है और मजा लेने के लिए खुलना भी है बेहद जरूरी है। इसलिए वह बोला।)

हां मम्मी में जरूर तुम्हें आते जाते देखता रहता,,,

हां यह हुई ना कोई बात इस तरह से जवाब दिया कर तो हम दोनों को भी मजा आएगा। अच्छा यह बता क्या देखता क्या तू मेरे चूचिया देखता( दोनों हथेलियों को चूचियों पर रखकर घुमाते हुए) या मेरी मस्त गांड देखता,,,, या फिर मेरी गोरी गोरी कमर को देखता,,,,,

मम्मी मैं तुम्हारे पूरे बदन को देखता, तुम्हारी मदहोश कर देने वाली चु्चियां मटकती हुई गांड,,, गोरी गोरी चिकनी कमर सब कुछ तो है देखने लायक,,,,,

वाहहह,,, बेटा यह हुई ना कोई बात ऐसी जवाब दिया कर,,,,,
अच्छा हम अब अपनी बात पर आते हैं,,,,,

मम्मी कहीं नानी जग ना जाए,,,,,,


अरे इतनी जल्दी नहीं चलेंगी इतनी दूर की यात्रा करके आ रही है थक गई होंगी अभी तो चैन की नींद सोएंगी,,, हां लेकिन हम दोनों का जीना हराम कर दि हैं। इतना अच्छा मौका मिला था सब हाथ से जाता रहा,,,, अच्छा तू मुझसे पूछ रहा था ना कि अब कब कर पाएंगे तो जरा खुल कर बोल,,,

अरे मम्मी तुम तो एक ही बात पर अटकी हुई हो जानती तो हो तुम कि मैं क्या बोलना चाहता हूं।

हां तो यही बात अपने मुंह से बोल दे,,,,

अब मै तुम्हे कब चोद पाऊंगा,,,,,, ( शुभम नजरे नीचे झुका कर बोला,,,, ऊसकी यह बात सुनते ही निर्मला खुश हो गई,,,, और झट से उसे अपने सीने से लगा ली,,,, सीने से लगाते हुए बोली।)

यह हुई ना कोई बात,,,, अब तु पूरा मर्द बन चुका है। ( निर्मला और जोर से अपने सीने से लगा ली शुभम की तो हालत खराब होने लगी अपनी मा की नरम नरम चूची पर अपना चेहरा स्पर्श होते ही उसका लंड पूरी ताकत के साथ खड़ा हो गया।शुभम को बहोत अच्छा लग रहा था। शुभम उत्तेजना बस अपनी मां की चुचियों को पकड़ने ही जा रहा था कि तभी निर्मला उत्साहित होकर उसे अपने बदन से दूर करते हुए और उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में भरकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,

शुभम,,,, शुभम तू नहीं जानता कि मैं कितनी खुश हूं,,,,,,,, आई लव यू शुभम,,,,,,, आई लव यू,,,,,,,,,,( शुभम तो आश्चर्य से अपनी मां को देखता ही रह गया तो समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऐसा क्यों कह रही है।) मैं जानती हूं शुभम कि तू क्या सोच रहा है लेकिन तू शायद मैं नहीं जानता कि मैंने अब तक की जिंदगी किस तरह से दुखो में गुजारी है,,,,, तेरे पापा से तो मुझे अब कोई भी उम्मीद नहीं है एक तरह से उन्होंने मेरी जिंदगी को मेरी जवानी को बर्बाद कर दिया है जिस प्यार के लिए मैं तड़पती रही सिसकती रही इस चाहत के लिए मैं इतनी बरसों से तेरे पापा का इंतजार करती रही उनके मुंह से चंद लफ़्ज़ सुनने को तरसती रही,,,,,, लेकिन यह तड़प यह शीसक,,,, तेरे पापा के कानों तक और ना ही उनके दिल तक सुनाई दी,,,,, तुझे देखती हूं तो मेरी सारी उम्मीदें मेरे सारे सपने फिर से मुझे नई जिंदगी देने के लिए बाहें फैलाए नजर आती है,,,,, शुभम कुछ दिनों में मैं तेरे बारे में इतना सोचने लगी हूं कि ऐसा लग रहा है कि मुझे तुझसे प्यार हो गया है,,,,, तेरे में मुझे एक प्रेमी नजर आता है मैं तुझे अपना प्रेमी बनाना चाहती हूं,,,,,,( निर्मला इतना कहते-कहते बेहद गंभीर मुद्रा में नजर आने लगी शुभम तो अभी भी आश्चर्य में था।) शुभम मैं तुझे अपना बेटा नहीं बल्कि तुझे अपना प्रेमी अपना सब कुछ बनाना चाहती हूं तेरे लिए मैं अपने दिल के सारे दरवाजे खोल चुकीे हूं। तू मेरे साथ कभी भी कुछ भी कर सकता है मेरे दिल के साथ साथ मेरे बिस्तर पर भी तेरा ही हक है। शुभम,,,,,,,( शुभम की दोनों हथेलियों को अपनी हथेली में भरते हुए) मैं पूरी तरह से तेरी हो चुकी हूं मैं तेरी प्रेमिका बनने के लिए तैयार हूं। क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका बनाएगा क्या तुम मेरा प्रेमी बनेगा शुभम मेरी उम्मीद को ठुकरा मत देना,,,, मैं नहीं चाहती कि हम कि हम दोनों का यह नया रिश्ता वासना की बुनियाद पर टिका हो,,,,,,, मैं चाहती हूं कि अपना नया रिश्ता दिल से जुड़ा हो ना कि सिर्फ बिस्तर से,,,,, बोल शुभम तू खामोश क्यों है। क्या तुम मुझे प्यार नहीं करता,,,,( शुभम तो अपनी मां की बात सुनकर आश्चर्य से आंखें फाडे़ देखे जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी मां यह सब बातें क्यों कर रही है,,,,, अपनी मां के ईस तरह से दबाव देते हुए पूछे जाने पर उसके मुंह से मम्मी निकल गया,,,,।)

मम्मी,,,,,,

बेटा यह सब तू भूल जा कि मैं तेरी मम्मी हूं तु मेरा बेटा है यह तो हम दोनों दुनिया के लिए,,,, बस अब यह ध्यान रख मैं तेरी प्रेमिका हूं और तु मेरा प्रेमी,,,,, बोल शुभम क्या चाहता हे,,, क्या तु मुझे बस चोदने के लिए ही रिश्ता रखना चाहता है या मुझे प्यार भी करता है बोलना मुझे बनाएगा अपनी प्रेमिका,,,,,, ( शुभम धीरे धीरे अपनी मां की बातों को समझ रहा था वह जानता था कि उसके पापा उसकी मां को प्यार नहीं दे पाते और वह प्यार के लिए तरस रही है,,,,, और जिस तरह से उसकी मां नजदीक आते हुए उसका हाथ पकड़े हुए थी,,, शुभम की उत्तेजना बढ़ती जा रही है उससे रहा नहीं जा रहा था,,,, वैसे भी तो दिल से जुड़ा रिश्ता और वह भी औरत और मर्द का आखिरकार बिस्तर पर ही जाकर सिमट जाता है इसलिए शुभम को ऐसे रिश्ते से कोई भी एतराज नहीं था और वैसे भी कौन नहीं चाहता कि निर्मला जैसी गर्लफ्रेंड हो भले ही वह एक औरत ही क्यों ना हो लेकिन निर्मला एक ऐसी औरत थी जोकी खूबसूरती और,,, सेक्सी तुमने किसी भी अल्हड़ मस्त जवानी से भरपूर लड़कियों को भी,,,, पछाड़ दे,,,,,ईसलिए शुभम को भी कोई ऐतराज नहीं था,, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उत्तेजना उसके सर पर सवार हो चुकी थी एक बेहद खूबसूरत मदमस्त जवानी से भरपूर औरत को अपनी इतनी नजदीक पाकर वह एकदम से जोश में आ गया और अपना हाथ खड़ा कर वजह से अपनी मां के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर कर बोला,,,,,,,

आई लव यू,,,,,, आई लव यू निर्मला,,,,, आई लव यू मैं तुम्हें अपनी प्रेमिका बनाने के लिए तैयार है और आज से तुम मेरी प्रेमिका,,,,,,( और इतना कहने के साथ ही अपने होठ को अपनी मां के गुलाबी होठों से सटा दिया,,,, और पागलों की तरह अपनी मां के होंठ को चूसना शुरू कर दिया कुछ ही देर में निर्मला भी उसका साथ देते हुए पागलों की तरह उसे अपनी बाहों में भरकर जीभ से जीभ चाटने लगी,,, दोनो को बेहद मजा आ रहा था उनके प्यार की शुरुआत का यह पहला चुंबन था जिसका दोनों बड़े आनंदित होकर के आनंद ले रहे थे। शुभम तो पहले से ही उत्तेजित अवस्था में था और अपनी मां के होटो को चुमता हुआ पागल होने लगा,, उससे रहा नहीं गया तो वह धीरे धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाने लगा,,,, निर्मला भी मदहोश होने लगी थी लेकिन दोनों आगे बढ़ने के बारे में सोचते कि तभी कमरे से निर्मला की मां की आवाज आई,,,,

अरे बेटी सुन तो कहां गई,,,,,,
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Kamini
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Re: अधूरी हसरतें

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Mast update
SUNITASBS
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Re: अधूरी हसरतें

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Super update
😪
SUNITASBS
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Joined: 02 Oct 2015 19:31

Re: अधूरी हसरतें

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superb update
😪
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