एक नंबर के ठरकी complete

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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

007 wrote: 12 Oct 2017 16:04bahut hi mast update
kunal wrote: 12 Oct 2017 21:59Mast Hot updates
thanks you soooooooooooooooooo much
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

सुमन वो सब बाते जैसे उसका दिमाग़ पढ़ते हुए बोल रही थी....सुमन की बात सुनकर आश्चर्य के साथ डिंपल का मुँह खुलता चला गया...वो भी समझ चुकी थी की डिंपल ने ये बात ताड़ ली है की उसके दिल में राहुल के लिए क्या है...इसलिए अब छुपाने का कोई फायदा नही है..

डिंपल : "लेकिन तुम ये कैसे करोगी...वो भला तुम्हारी बात क्यो मानेगा...''

सुमन : "वो तुम मुझपर छोड़ दो...लेकिन उसके बाद तुम्हे वो करना पड़ेगा जो मैं चाहती हूँ ...''

डिंपल ने बिना सोचे समझे बोल दिया : "मंजूर है...''

उसके बाद सुमन ने डिंपल को कुछ समझाकर वापिस बाहर भेज दिया और तभी अंदर आने को कहा जब राहुल अंदर की तरफ आ जाए..और इस बीच उसने सभी लेडीज़ को वोड्का के डबल ग्लास सर्व करवा दिए...ताकि वो पीकर मस्त हो जाए...सुमन ने भी बाहर निकल कर अपने पति को साइड में लेजाकर अपनी योजना समझाई......वो भी अपनी बीबी के दिमाग़ की दाद दिए बिना नही रह सका...

अब खेल ऐसा होने वाला था की वहां बैठे ठर्कियों का भी भला होने वाला था और राहुल के प्यार में सुलग रही डिंपल का भी...सुमन ने तो आज सिर्फ़ सूत्रधार का काम करना था बस..

डिंपल जब सभी को वोड्का सर्व कर रही थी तो सुमन उठकर अंदर की तरफ चल दी...और पीछे मुड़कर उसने राहुल को इशारे से अंदर आने के लिए कहा...

राहुल तो पहले से ही काफ़ी उत्तेजित था....डिंपल के कपड़े देखकर उसका लंड बैठने का नाम ही नही ले रहा था...ऐसे में सुमन ने जिस अंदाज में उसे अंदर आने का इशारा किया था तो उससे रहा नही गया...वो उठकर जाने लगा तो शशांक ने उसे टोक दिया : "अरे भाई ....कहाँ चल दिए....अगली गेम शुरू होने वाली है...''

राहुल : "मेरे पेट में कुछ गड़बड़ सी लग रही है...मैं वॉशरूम होकर आता हूँ ...आप खेलिए...''

शशांक : "नही दोस्त...ऐसे नही चलेगा...या तो तुम्हारे आने तक का वेट करेंगे या फिर अपनी जगह सबा को खेलने के लिए बिठाकर जाओ...''

वैसे तो ऐसा ज़रूरी नही था की वो तीन पत्ती का खेल खेले ही...लेकिन सबा का नाम सुनकर वहां बैठे सभी के लंड में एकदम कड़कपन सा आ गया...कपूर साहब भी बोल पड़े : "हाँ भाई....ऐसे तो खेल बीच में ही रुक जाएगा...इससे अच्छा अपनी वाइफ को बोलो की आकर बैठ जाए...जब तुम वापिस आओ तो वहां से आगे तुम खेल लेना ...''

राहुल के साथ सबा अक्सर घर पर भी ये खेल खेला करती थी...इसलिए राहुल को खेल की चिंता नही थी...उसे बस ये डर था की कही इन सब मर्दो के बीच बैठने से वो मना ना कर दे...उसने सबा की तरफ देखा जो उनकी बाते बड़े गौर से सुन रही थी, उसने सर हिलाकर झट से हाँ कर दी ...राहुल को तो विश्वास ही नही हुआ की वो इतनी जल्दी मान जाएगी...

पिछले दो दिनों से इतने पैसे जीतने के बाद उसकी भी इस खेल में रूचि बड़ चुकी थी...और थोड़ा बहुत नशे का असर भी था जो उसे खुलकर खेल खेलने के लिए भी उकसा रहा था...इसलिए उसने खुद ही हाँ कर दी और उठकर उन मर्दों के बीच आकर बैठ गयी.

राहुल भागकर अंदर चल दिया...सुमन पहले से ही अंदर जा चुकी थी...लेडीज़ ने भी तंबोला की गेम खेलनी शुरू कर दी..और साथ में दारू भी चल रही थी...इसलिए सुमन की अनुपस्थिति का किसी को भी एहसास नही हो रहा था.

अंदर पहुँचते ही राहुल ने सुमन को बुरी तरह से दबोच लिया और उसके मुम्मो को जोर-२ से दबाने लगा...सुमन ने भी अपनी टॉप को ऊपर उठाकर अपने बूब्स उसके सामने परोस दिए और वो उन्हे अपने तेज दांतो से नोचने लगा..



सुमन : "अहह......मेरी जान.......क्या बात है.....इतने एक्साइटिड तो सुबह भी नही थे....लगता है डिंपल को देखकर तुम्हारा ये हाल है...''

डिंपल का नाम सुनते ही राहुल ने भी ठीक उसी तरह से चोंक कर उसे देखा जैसे डिंपल ने राहुल का नाम सुनकर उसे देखा था...

सुमन : ''घबराओ मत...ये सब चलता है....इनफेक्ट वो भी तुम्हारे लिए ही वो ड्रेस पहन कर अपने जलवे दिखा रही है...''

राहुल : "मेरे लिए....??''

सुमन : "हाँ ....तुम्हारे लिए.....यकीन नही होता तो पीछे मुड़कर देख लो...''

राहुल पीछे मुड़ा तो उसके चेहरे से पसीने निकलने लग गए ...पीछे डिंपल खड़ी थी...



राहुल के हाथ अभी तक सुमन के मुम्मो पर थे...राहुल की तो हालत पतली हो गयी...उसकी समझ में कुछ भी नही आ रहा था..

अचानक डिंपल उसकी तरफ चलती हुई आई और करीब आकर धीरे से फुसफुसाई : "ओह राहुल............ इधर आओ.....''

इतना कहकर उसने राहुल को अपनी बाहों में क़ैद करके इतनी बुरी तरह से दबोचा की उसकी साँसे एक पल के लिए बंद सी हो गयी....सुमन ने अपने कपड़े ठीक किए और बाहर की तरफ चल दी और बोली : "तुम लोग एंजाय करो...मैं बाहर देखती हूँ ....और हां ...जो भी करना है जल्दी -2 करना....एंजाय....''

इतना कहकर वो बाहर निकल गयी....राहुल समझ गया की ये दोनो की मिलीभगत है...लेकिन जो भी था उस मिलीभगत की वजह से उसके हाथों में आज की सबसे सेक्सी दिखने वाली औरत थी...जो उसकी बाहों में जल बिन मछली की तरह मचल रही थी....और राहुल को अच्छी तरह से पता था की उसकी इस तड़प को कैसे मिटाना है...



डिंपल की तड़प के सामने राहुल का उतावलापन 19 ही था...क्योंकि जैसे ही डिंपल ने राहुल को अपने करीब किया, वो उसके होंठों पर टूट पड़ी...और ऐसे टूटी जैसे जोंबिस अपने शिकार पर टूट पड़ते है...वो उसके होंठों से लेकर उसकी गर्दन तक को बुरी तरह से चूस रही थी....राहुल के हाथ अपने आप उसके मुम्मो पर जा टिके ..और उनके मुलायंपन को महसूस करके वो पहले से ज़्यादा उत्तेजित हो उठा...बिना ब्रा की ड्रेस में जहा-2 पर खाली जगह थी, वो उनमे से अपने हाथ अंदर डालकर उसके नर्म मुलायम जिस्म को स्पर्श करने लगा..डिंपल ने उसका उतावलापन देखा और खुद ही अपनी ड्रेस को कंधे से सरका कर नीचे कर दिया...और फिर जो मुम्मो की शेप राहुल ने देखी, उसे देखकर तो वो भी चकित रह गया...शादी के इतने सालो बाद भी उसकी छातियाँ किसी पर्वत की तरह तनकर खड़ी थी..



राहुल बेचारा अपनी जीभ लपलपाता रह गया और डिंपल ने उसके सिर को पकड़कर अपनी छाती पर दे मारा...और अपना मुम्मा खुद ही उसके मुँह के हवाले करके मस्ती में दबी सिसकारिया मारने लगी...

भले ही राहुल के प्रहार काफ़ी आक्रामक थे, पर डिंपल को तो सरदारजी के हमले की आदत थी...वो तो उसे निचोड़ ही डालते थे...पर राहुल का अंदाज भी काफ़ी निराला था...वो उसे काट भी रहा था और चुभला भी रहा था...

डिंपल जानती थी की अभी उसके पास टाइम कम है...उसने दरवाजा बंद किया और वापिस आकर राहुल के सामने बैठ गयी...राहुल के लंड को मुँह में लेने की तमन्ना उसे ना जाने कब से थी...उसने सबा से कई बार सुना था की उसके लंड को मुँह में लेकर वो घंटो तक खेलती रहती है...पूरी सोसायटी में सिर्फ़ सरदारनी को ही सबा ने ऐसे राज बता रखे थे जिन्हे सुनकर आज सरदारनी का ये हाल हो रहा था ... सबा बेचारी ने खुद ही अपने पति की ऐसी तारीफ कर करके डिंपल को उसके सपने देखने के लिए मजबूर कर दिया था...और तभी से डिंपल अपनी ही सहेली के पति के लिए ऐसी भावनाए रखने लगी थी..

और आज उसका सपना सच होने जा रहा था...उसने तुरंत उसकी पेंट को नीचे किया और राहुल के लंबे और मोटे लंड को बाहर निकाल लिया..

और सच में , जैसी सबा ने तारीफ की थी, ठीक वैसा ही था राहुल का लंड ...

एक दम चिकना...चॉकलेटी कलर का..और तन कर खड़ा हुआ...

उसने बिना एक पल भी गँवाए अपना मुँह आगे किया और उस छोटे सिपाही को अपने मुँह में भर लिया...और जोरों से चूसने लगी...
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

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राहुल भी अपने पंजो पर खड़ा हो गया, क्योंकि उसके चूसने की शक्ति ही इतनी ज़्यादा थी की उसे तो ऐसा लग रहा था की वो बरसों से प्यासी है..

कुछ देर तक चूसने के बाद उसने राहुल के लंड को बाहर निकाला और खड़ी हो गयी...वो एक-2 पल को पूरी तरह से इस्तेमाल करना चाहते थे...लेकिन अब जो डिंपल ने करने के लिए कहा, उसे सुनकर तो एक पल के लिए राहुल भी सोच में पड़ गया..

वो जल्दी से एक साइड टेबल पर झुकी और अपनी ड्रेस को पीछे से उपर उठा कर अपना पिछवाड़ा नंगा करके बोली : "राहुल...जल्दी आओ...प्लीज़....जल्दी अंदर डालो...''

वो बेचारा क्या बोलता...उसकी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था...डिंपल ऐसा सोच भी कैसे सकती है...बाहर सब बैठे हुए है...ये चूमा चाटी तो ठीक था, लेकिन उन सभी के बाहर रहते हुए वहां चुदाई करना उसे थोड़ा रिस्की सा लगा...उसकी खुद की बीबी बाहर थी...और तो और सरदारनी का पति भी बाहर था...और साथ में कॉलोनी के दूसरे लोग भी....ऐसे में डिंपल उससे चुदने के लिए बोल रही थी...वो मना तो करना चाहता था लेकिन तभी उसकी नज़र डिंपल की रस टपकाती हुई चूत पर गयी....उसमे से शहद की तरह छूट का रस बूँद - २ करके टपक रहा था , और एक बूँद अभी भी उसकी चूत पर ओस की बूँद जैसी लटकी हुई थी , ऐसी चिकनाई देखकर वो उसकी चूत में लंड डालने से खुद को रोक ही नही सका..



वो आगे बड़ा और उसने उसकी फेली हुई गांड को पकड़ा और ढप्प से अपना लंड एक ही बार में उसकी चूत में सरक दिया...

ये सरदारनियो का पिछवाड़ा कितना सेक्सी होता है...उसे देखकर वो पहले भी कई बार उसकी पीछे से मारने के बारे में सोच चुका था...वो भला क्या जानता था की उसकी मन की आस इस तरह से पूरी होगी..


और जैसे ही उसका कसरती लंड डिंपल की चूत के अंदर घुसा, वो पीछे की तरफ सिर करके हिनहीना उठी...और बाँये हाथ से उसने राहुल के सिर को पकड़कर अपने करीब किया और एक गहरी स्मूच दे डाली.



...दोनो एक गीली वाली किस्स में डूब गये...राहुल ने कुछ पल तक उसके होंठ चूमे और फिर उसने अपना पूरा ध्यान उसकी चुदाई में लगा दिया..

वो उसकी कमर को पकड़कर उसे बुरी तरह से चोद रहा था..

और ऐसा करते हुए उन दोनो ने अपने मुँह बड़ी मुश्किल से बंद करके अपनी चीखे दबा रखी थी...लेकिन इस क़्वीकी में उन दोनो को काफ़ी मज़ा आ रहा था...सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे अभी तक डिंपल को अंदर आए हुए...और इतनी देर में उसकी चूत में राहुल का लंड था...



लेकिन ज़्यादा देर तक रुककर वो किसी के मन में शक़ नही पैदा करना चाहते थे....इसलिए डिंपल ने खुद ही अपनी चूत के दाने को आगे की तरफ से रगड़ना शुरू कर दिया...दूसरे हाथ से वो अपने स्तन मसल रही थी...राहुल भी अपने घोड़े को पूरी गति से उसकी चूत के हाइवे पर दौड़ा रहा था....और अगले 2 मिनट के अंदर दोनो के मुँह से टूटी - फूटी सिसकारियाँ निकलने लगी....और आख़िर में एक जोरदार शॉट के साथ राहुल ने भरभराकर अपना सारा माल उसकी चूत में उडेल दिया....



राहुल के गर्म पानी को महसूस करके वो भी झड़ने लगी...और दोनो का मिला जुला रस उसकी चूत से बाहर की तरफ बहते हुए उसकी जांघों को गीला करने लगा..

डिंपल ने साइड मे रखा एक टावल उठाया और अपनी चूत को सॉफ किया...और राहुल की तरफ पलटकर बोली : "अब तुम बाहर जाओ... वरना किसी को शक हो जाएगा...आज के लिए इतना काफी है, लेकिन याद रखना , कल तुम्हे नहीं छोडूंगी ''

राहुल ने भी अपने लंड को सॉफ किया... सिर्फ़ 10 मिनट के अंदर उसने अपनी पड़ोसन को चोद डाला था...ऐसी जल्दबाज़ी वाली चुदाई तो उसने आज तक नही की थी... लेकिन इसका भी अपना अलग मज़ा मिला...एक अलग तरहा की एक्साइटमेंट का एहसास हुआ था उसे आज...

और इन दस मिनटों में बाहर क्या हुआ, ये भी देखते है ।

जब राहुल ने सबा को अपनी जगह पर बैठने को कहा था तो उसे अपने बीच बिठाकर सभी ठर्कियों की तो मौज ही हो गयी थी...कारण था उसकी ड्रेस.... आज सबा ने जो ड्रेस पहनी हुई थी , उसका गला काफ़ी खुला था...और बिना दुपट्टे वाला था.. इसलिए जब वो उन हरामियों के बीच बैठी तो उसके आधी से ज़्यादा नंगी छातियों की सफेदी देखकर पत्तो पर तो किसी की नज़र ही नही गयी.... सब उसके मुम्मो को अपनी-2 आँखो से चोदने में लगे थे...

उनमे से सिर्फ़ शशांक को छोड़कर किसी को भी ये अंदाज़ा नही था की राहुल अंदर क्या कर रहा है... सब अपने-2 मन में बस यही दुआ माँग रहे थे की जल्दी बाहर ना निकले... और इन सबसे अंजान, अपनी पहली गेम खेल रही सबा थोड़ा नर्वस सी होकर अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ पत्तो पर लगाकर बैठी थी... उसे तो ये भी पता नहीं था की आज की ये गेम उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने वाली है... और ना चाहते हुए भी वो उन सभी ठर्कियों की उस चाल में फँसने वाली थी जो काफ़ी पहले से शशांक ने उसके बारे में सोचकर रखी हुई थी.



पहली बाजी शुरू हुई और सबके सामने पत्ते आ गये...इस बार का वैरीएशन था मुफ़लिस...यानी सबसे छोटे पत्ते वाला जीतेगा..

सबकी देखा-देखी सबा ने भी 500 की 2 ब्लाइंड चल दी... घर पर राहुल के साथ तो वो फ्री में खेल लेती थी (वो अलग बात थी की जीतने वाला अपनी मर्ज़ी से चुदाई करता था) लेकिन आज करारे नोटों के साथ खेलते हुए सबा को एक अलग ही रोमांच का अनुभव हो रहा था...आज वो खुद पैसे जीतकर राहुल को दिखा देना चाहती थी की वो भी कुछ कर सकती है इस खेल में ...

सबसे पहले कपूर साहब ने अपने पत्ते उठाए...उन्होने कुछ देर तक पत्तो को घूरा और फिर 1 हज़ार की चाल चल दी..

गुप्ता जी ने भी पत्ते देखकर 1 हज़ार की चाल चल दी..सरदारजी ने हर बार की तरह एक और ब्लाइंड चली..और शशांक जो कब से अपने पत्ते उठा कर बैठा था, उसने भी एक चाल चल दी..

यानी सबा का नंबर आते-आते 3 चाल आ चुकी थी...उसने धड़कते दिल से अपने पत्ते उठाए...उसके पास 2,5 और 9 आया था...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे...उसे तो खुद के पत्ते छोटे ही लग रहे थे...क्योंकि एक बार घर पर भी ऐसी मुफ़लिस वाली गेम खेलते हुए राहुल ने बताया था की 10 के अंदर जो भी पत्ते आते है उनसे ये गेम खेली जा सकती है...लेकिन सबा को थोड़ा डाउट हो रहा था की जब सामने से 3 चालें आ जाए तो क्या तब भी गेम आगे खेलनी चाहिए या नही..

उसने कुछ देर सोचने के बाद चाल चल ही दी...ये सोचते हुए की जो होगा देखा जाएगा , अपनी पहली ही गेम में वो डरपोक नहीं कहलाना चाहती थी

सरदरजी ने भी अपने पत्ते उठा लिए और उन्हे देखकर बड़े ही जोश के साथ 1 के बदले 2 हज़ार की चाल चल दी..

अब आलम ये था की टेबल पर 5 लोग थे और सभी की चाल आ चुकी थी...ऐसा शायद पहली बार हो रहा था...

इसी बीच दूसरे टेबल पर सुमन ने सभी का ध्यान बाँट रखा था...उसने सभी के सामने वोड्का के बड़े-2 ग्लास फिर से भरकर रखवा दिए थे...और साथ ही तंबोला की गेम को भी काफ़ी रोचक मुकाम तक पहुँचा दिया था... इसलिए किसी को भी दूसरे टेबल पर देखने की जरुरत ही महसूस नही हो रही थी.. और ना ही डिंपल सरदारनी और राहुल की अनुपस्थिति का एहसास हो रहा था..जो इस वक़्त अंदर जबरदस्त चुदाई में व्यस्त थे..

सबा ने देखा की सभी की चाल आ चुकी है और वो सोच रही थी की ये अभी ही होना था...काश राहुल वहां होता...लेकिन अब उसे राहुल से ज़्यादा गेम की चिंता थी...

सबने सरदारजी के बाद, उनकी देखा देखी 2-2 हज़ार की चाल चल दी...सबा ने भी सोचा की अब इस गेम में पैर फँसा ही दिया है तो देखी जाएगी...क्योंकि कल के जीते हुए पैसो के बाद कुछ रिस्क तो लिया ही जा सकता था...उसने भी 2 हज़ार की चाल चल दी..

वो जानती थी की जीतना तो किसी एक को ही है...और वो अगर कॉन्फिडेंस से खेलती रही तो शायद वो भी जीत सकती है...

उसने जब 2 हज़ार फेंके तो कपूर साहब बोल पड़े : "आज तो सबा भाभी बड़े तैश मैं है...ये सबको झाड़ कर मानेगी...''

उसने जब 'झाड़ कर' बोला तो सबा की आँखे गोल होती चली गयी...झाड़ने का मतलब तो सेक्स में होता है...लेकिन जिस तरीके से उन्होने वो शब्द बोला था, ऐसा लग रहा था की वो नॉर्मल सी बात है...वो बोलकर हँसे भी नही...इन्फेक्ट कोई भी नही हंसा...इसलिए सबा ने भी कोई रिएक्शन नही दिया...वो समझ गयी की इस शब्द का मतलब ''पैसे झाड़ना'' है...वो सेक्स वाला झाड़ना नही...अपनी गंदी सोच पर वो खुद ही मुस्कुरा दी.

उसकी इस मुस्कुराहट को हर ठरकी तिरछी नज़रों से देख रहा था...उन सभी के बीच ,आँखो-2 में ही, बिना बोले ही, इस बात पर सहमति हो चुकी थी की इस गेम में वो सबा से हर तरह का मज़ा लेंगे...चाहे उसे बुरा ही लगे जाए...क्योंकि आज जैसा मौका वो हाथ से नही जाने देना चाहते थे.

कपूर साहब ने पैसे फेंककर गेम को आगे बढ़ाया ..

गुप्ता जी ने भी 2 हज़ार निकाले और नीचे फेंकते हुए बोले : "लो जी....मेरे कड़क खंबे जैसे कड़क नोट मेरी तरफ से...''
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इस बार सबा का माथा ठनका ....क्योंकि गुप्ता जी ने जिस अंदाज से खड़े खंबे की उपमा दी थी, वो लंड के सिवा कुछ और हो ही नही सकता था... और ना चाहते हुए भी उसकी नज़र गुप्ता जी के लंड की तरफ चली गयी जो उनकी पेंट में मे किसी खंबे जैसा ही खड़ा हुआ था..पराए मर्दों के बीच बैठी हुई सबा अचानक डर सी गयी... वो सोचने लगी की ये कहा फँस गयी वो... लेकिन फिर उसे अंदर ही अंदर एक अलग से रोमांच का अनुभव भी हुआ... ये वो अनुभव था जो वो स्कूल या कॉलेज टाइम में महसूस किया करती थी..

वो हमेशा से ही पढ़ने में अव्वल रही थी, इसलिए उसकी दोस्ती भी ऐसे लोगो से ही होती थी जो उसकी तरह पड़ने में तेज थे.. लेकिन वो जब भी दूसरे बदमाश टाइप के लड़को का ग्रुप देखती तो उसे अंदर ही अंदर ना जाने क्या हो जाता था की वो उनकी तरफ आकर्षित सी हो जाती थी... उन बदमाश लड़को के बोलने के स्टाइल, गाली गलोच के साथ बात करने का तरीका, हर बात में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक को बीच में लेकर आ जाना, ये सब उसे अंदर से रोमांचित सा कर देता था...लेकिन समाज के डर से, अपने दोस्तों में अच्छी इमेज को बनाए रखने की वजह से और अपने माँ-बाप का नाम ना खराब हो जाए, इस डर से वो उन सबसे दूर ही रहा करती थी...

इसलिए उसको प्यार भी अपने ग्रुप के सबसे शरीफ लड़के राहुल से हुआ और शादी भी उसने उससे ही की ... और धीरे-2 वो उन सब एहसासों को भूलती चली गयी... लेकिन आज जिस अंदाज से ये सोसायटी के मर्द उसके सामने बैठकर उसी अंदाज में बाते कर रहे थे, जो उसे ना जाने कब से पसंद थी तो उसका शरीर काँप सा उठा...और उसका अंग-2 कड़क सा हो उठा..और धीरे-2 उसके अंदर दबे हुए वो एहसास फिर से कुलबुलाने लगे..

शशांक का पूरा ध्यान सबा के उपर था...वो सामने से बोली जा रही हर बात पर सबा का रिएक्शन बड़ी बारीकी से नोट कर रहा था... और जब उसने देखा की वो बाते सुनकर सबा का सीना तेज गति से उठ-बैठ रहा है, वो बार -2 अपने होंठों पर जीभ फेर रही है...उसका शरीर काँप सा रहा है , तो उसे समझते देर नही लगी की वो सब सुनकर वो एक्ससाइटिड हो रही है...और ये उसने उसके निप्पल देखकर भी जाना, जो उसकी टी शर्ट पर बुरी तरह से उभरकर बाहर झाँक रहे थे..

शशांक समझ गया की अगर वो लोग ऐसी ही बाते करते रहे तो शायद काम बन सकता है....वो अपने तरीके से सोच रहा था, इस बात से अंजान की सबा पर ऐसी बातों का ये असर किसलिए हो रहा है, वो तो बस ये समझ रहा था की एक मर्द के साथ बँधे रहने के बाद,आज इतने मर्द जब सेक्सी बाते कर रहे है तो वो उत्तेजित हो रही है...इसलिए उसने आँखो ही आँखो में सभी को ऐसी ही बाते करते रहने के लिए जारी रहने को कहा...

अगला नंबर शशांक का था...उसने पत्ते फिर से देखे और बोला : "आज तो मेरे पत्तो की माँ चुद कर रहेगी...लेकिन मैं भी हार मानने वाला नहीं हूँ ...ये लो मेरे भी 2 हज़ार...आज सबा ही लेकर रहेगी हम सबकी....''

इतना कहते हुए शशांक ने पैसे बीच में फेंक दिए..

अपने पति के बॉस शशांक के मुँह से ऐसी गाली सुनकर एक पल के लिए तो सबा सकपका सी गयी...वो तो एकदम जेंटलमेन टाइप का बंदा था...आज से पहले तो उन्होने ऐसी कोई बात नही की थी जिसमे वो चीप भाषा का इस्तेमाल करे... लेकिन आज जिस तरीके से उसने ये बात इतनी आसानी से बोल दी, वो सबा ने एक्सपेक्ट नही किया था...किया तो उसके दोस्तों ने भी नही था..वो भी सबा के सामने शशांक को ऐसी गंदी भाषा का इस्तेमाल करते देखकर हैरान रह गये...लेकिन अंदर ही अंदर ये भी समझ गये की जब उनके ग्रुप के बॉस ने ऐसा कह दिया है तो उन्हे तो और भी आगे निकलना पड़ेगा इस मामले में ..और इसके साथ-2 सभी सबा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश भी कर रहे थे..

अब चाल चलने की बारी सबा की थी...उसने फिर से 2 हज़ार रुपय निकाले और नीचे फेंक दिए...और साथ ही बड़ी ही धीमी आवाज़ में बोली : "मैं कैसे मारूँगी शशांक जी...वो काम तो मर्दों का होता है...यहाँ तो मेरे पत्ते मारेंगे आप सभी को ...''

शशांक को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी...लेकिन उसकी तरफ से जवाब आता देखकर वो समझ गया की वो भी उनके रंग में रंगना चाहती है...शशांक के साथ-2 सभी उसकी बात सुनकर खुश हो गये...ये सोचकर की चलो इसी बहाने अब वो खुलकर उसके साथ बात तो कर सकते है...यानी अपने-2 दिल की बातें वो खुल कर उसे सुना सकते है..

अगला नंबर सरदारजी का था...वो पैसे फेंकते हुए बोले : "अरे भाभिजी...आप चाहो तो सब कर सकते हो...मारने के लिए मर्द होना ज़रूरी थोड़े ही होता है...हे हे...''

उसकी बात पर सब हंस दिए...और सबा भी....वो साफ़ -2 समझ रही थी की इन शब्दों का मतलब क्या है...और उनकी ये बातचीत किस दिशा में जा रही है....लेकिन ये सब समझने के बावजूद वो कुछ नही बोल रही थी...बल्कि एंजाय कर रही थी...और अब तो वो मन ही मन ये प्रार्थना भी कर रही थी की राहुल जल्दी ना आए...क्योंकि उसके आने के बाद तो कोई भी कुछ नही बोलेगा...और वो अभी ये नहीं चाहती थी की ये बातचीत बंद हो

सुमन भी बीच-2 में उनके टेबल पर देखकर वहां का जायजा ले रही थी...और अपने पति शशांक की आँखो में देखकर मंद-2 मुस्कुरा भी रही थी...

कपूर साहब को तो जैसे खजाने की चाबी मिल गयी थी...सभी को इतने खुले तरीके से बाते करता देखकर, और सबा को भी वैसी ही बातो में जवाब देते देखकर वो घोड़े की तरह हिनहीना उठे , और बोले : "आज तो सबा भाभी मूड में है...काश ये टेबल के बदले बेड होता तो इनके मूड का अच्छे से फायदा उठा लेते हम सभी.... हा हा...''

एक तरह से उसने सबा को सामूहिक रूप से चोदने की बात कह डाली थी....सभी के लंड ये सोचकर ही हिनहीना उठे की सबा उन सबसे चुदवायेगी ...और सबा भी ये सोचकर काँप सी गयी जैसे ये सब असली में होने जा रहा हो... एक बड़े से बेड पर वो बैठी है और उसके चारों तरफ ये सारे मर्द अपने हाथ में लंड लिए उसे ही घूर रहे है और अपने-2 लंड को मसल रहे है... ये सोचते हुए उसकी आँखे एकदम गुलाबी सी हो गयी.... उसकी चूत में अजीब सी खुजली होने लगी...जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघे रगड़कर शांत किया....

लेकिन इन सबके बीच जो रोमांच का एहसास वो अपने शरीर पर महसूस कर पा रही थी, ये उन सभी एहसासों से कही ज़्यादा था जो उसने आज तक अपनी जिंदगी में महसूस किये थे..

सरदारजी बोले : "यार, मेरा तो एकदम से मूड कर गया है ये सुनकर, काश ऐसा हो सकता , मई तो सबसे पहले कूद पड़ता बेड पर ... ''

शशांक बीच में बोला : "यार गुरपाल, तुझसे अपनी बीबी की तो ली नही जाती, और तू सबा की लेने में लगा है...''

शशांक की बात सुनकर सरदारजी बोले : "तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे डिंपल ने तुझे आकर बोला है की सरदारजी मेरी ले नही रहे है....मेरा छोटा सिपाही हमेशा तैयार है, चाहे तो अभी कन्फर्म करवा देता हू डिंपल से...''

ये सब मज़ाक में चल रहा था...
शशांक : "भाई, मुझे तो सुमन ने बताया था की कल रात को , घर जाने के बाद उसका बहुत मन था लेकिन तूने ही मना कर दी....''

गुरपाल ये सुनकर झेंप सा गया....बात तो सच थी...कल रात को जुए की पार्टी के बाद वो काफ़ी थक सा गया था...डिंपल के कहने के बाद भी उसका चुदाई का मन नही किया था....

गुरपाल : "साली , इस सरदारनी के पेट में कोई भी बात पचती नहीं है ''

बेचारा खिसियानी हंसी हँसता हुआ ये बोल रहा था

और दूसरी तरफ सबा का चेहरा लाल हो चूका था, क्योंकि उसने भी वाली चुदाई की बात सुमन को बता दी थी , और जब सुमन ये डिंपल की बात उनकी बताई होगी , बेचारी किसी से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी

लेकिन शशांक समझ चूका था की उसके दिमाग में क्या चल रहा है

अब इस खेल को दूसरे मुकाम टाइम आ चुका था



शशांक ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड को मसलते हुए कहा : "वैसे एक बात और भी है...जिसे सुनकर आप सभी को काफ़ी मज़ा आएगा...''
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