एक नंबर के ठरकी complete

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007
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by 007 »

superb.............
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

007 wrote: 21 Oct 2017 16:08superb.............
xyz wrote: 21 Oct 2017 16:35 Jabardast hot story
thanks you sooooooooooooooo much
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

गुरपाल के लंड को मम्मों के बीच दबाकर उसने उसे मुँह में भी ले लिया....हालाँकि ऐसा करने के लिए गुरपाल ने नही कहा था पर उसके चॉकलेटी लंड को देखकर सबा के मुँह में पानी आ चुका था इसलिए उसका खुद पर कंट्रोल नही रहा और उसने लंड को मुँह में ले ही लिया....और जब लिया तो उसके बाद उसे छोड़ने का नाम ही नही लिया...वो अपने दोनो हाथों से उसकी गोटियों को मसलती हुई पूरी लगन से गुरपाल का लंड चूसने लगी...



गुरपाल के हाथ भी उसके मुम्मो पर आ टिके और वो उन्हे नींबू की तरह मसलने लगा...

जल्द ही गुरपाल की सिसकारियाँ गूँज उठी...कमरे में मोजूद हर शख्स उससे जल रहा था...औरतें ये सोचकर की काश वो क्यों नहीं है सबा की जगह और मर्द ये सोचकर की काश वो होते गुरपाल के बदले वहां पर...

लेकिन हर किसी का नंबर आना था, इसलिए सभी तसल्ली के साथ उनका ये शो देखते रहे..

और जल्द ही वो वक़्त आ गया जिसके लिए इतनी मेहनत की जा रही थी...गुरपाल के लंड ने भरभराते हुए अपना माल निकालना शुरू कर दिया...जो सीधा सबा के चेहरे पर गया...सबा ने उसके हिनहिनाते घोड़े को मुँह में लेकर बाकी का बचा हुआ वीर्य सीधा अपनी हलक में उतार लिया...ऐसा पंजाबी खाना वो वेस्ट नही करना चाहती थी...



उसके लंड को पूरा खाली करने के बाद वो उसे चमकाकर वहां से उठ गयी....कमरे में मोजूद सभी लोगो ने उसके लिए तालियाँ बजाई...और उन्हे सुनकर वो ऐसे खुश हो रही थी मानो वर्ड कप जीतकर आई हो...उसने अपना ब्लाउस उठाया और उसे बिना पहने ही टॉपलेस होकर वो अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी...सारे ठरकी अभी भी उसके गोरे मुम्मे देखकर अपना-2 लंड मसल रहे थे...ये एहसास सबा को अंदर तक उत्तेजित कर रहा था..

अगला नंबर केपर साहब का था...

वो चाहते तो सबा के साथ कुछ करना थे पर वो अभी लॅंड चूस्कर उठी थी,इसलिए दोबारा उसे परेशान नही करना चाहते थे....वो कमरे में मोजूद हर औरत को देख रहे थे....बिल्कुल वैसे ही जैसे कोठे पर जाकर चुदाई से पहले रंडियों को देखा जाता है...अभी कुछ देर पहले जिस अंदाज में सुमन भाभी ने उनके लंड को छूकर उसमे हवा भरी थी, उसे ही दिमाग़ में रखकर उन्होने सुमन की तरफ इशारा कर दिया..

वो तो पहले से ही तैयार थी की कब उसका नंबर आए और कब वो सबके सामने कुछ नया पेश करे...

कपूर : "मैं चाहता हूँ ...की .... की ...''

वो थोड़ा झिझक रहे थे...शायद जो करवाना चाहते थे उसकी वजह से या फिर कमरे में मोजूद अपनी बीबी की वजह से...

सुमन : "अब बोलिए भी कपूर साहब....आप अगर ऐसा करेंगे तो गेम आगे कैसे बढ़ेगी ....आप बेझिझक कहिए क्या करवाना है मुझसे...आई प्रोमिस आपको निराश नहीं करूँगी...''

उसने ये बात उनके इतने करीब आकर कही थी की उसके मोटे मुम्मो की महक उनके नथुनों में भरी जा रही थी...

उन्होने एक ही झटके में बोल डाला : "मैं चाहता हूँ की आपके नंगे बदन को मैं उपर से नीचे तक चूमूं...''

कहना तो वो ''चाटना'' चाहता था,पर अपनी बीबी के डर से ''चूमू'' ही निकल सका उसके मुँह से...

सभी ये सुनकर हैरान रह गये की कैसे कपूर साहब एकदम से इस गेम को दूसरे सिरे तक पहुँचा रहे है...एक तरफ तो उनकी बीबी थी जिसने स्मूच करने से मना कर दिया था,और दूसरी तरफ उनके ये पति जो अपनी सारी हदें पार करने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे...

पर सुमन ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी लोग सकते में आ गये..वो बोली : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर मेरी भी एक शर्त है,आपको भी मेरी तरह न्यूड होना पड़ेगा....''

अब बॉल कपूर साहब के कोर्ट में थी...नीरू के दिमाग़ से ये बात अभी उतर नही पाई थी की उसका पति कैसे नंगी सुमन को चूमेगा,उपर से सुमन ने ये कहकर तो हद ही कर दी थी...अब वो देखना चाहती थी की क्या उसके पति भी वैसा करने की हिम्मत रखते है जैसा सुमन करने को तैयार थी...

अब खेल काफ़ी रोमांचक हो चुका था...

लेकिन एक बात पक्की थी,मज़ा सभी को मिल रहा था.



सुमन बीच मैदान में खड़ी होकर कपूर साहब के आने का इंतजार कर रही थी...वो बेचारे अभी तक सकुचा रहे थे...सुमन ने शशांक की तरफ़ देखा तो शशांक ने उसे अपना काम करने को कहा...यानी अपने कपड़े उतारने को..

सुमन ने अपनी साड़ी खोलनी शुरू कर दी...नीचे उसने डिसाइनर ब्लाउज़ पहना हुआ था...और बहुत ही हल्के कपड़े का पेटीकोट ...जिसके अंदर उसकी टांगे सॉफ चमक रही थी...उसकी मोटी जाँघो को देखकर सभी के मुँह में पानी आ रहा था...

सुमन ने अपना पेटीकोट भी खोलकर नीचे गिरा दिया...ब्लाउज खोला तो एक पतली सी ब्रा ही रह गयी ...जिसे पकड़ कर उसने नीचे खिसका दिया...उसके गोरे-2 चाँद जैसे कटोरे सबके सामने उजागर हो गये...



उसने कपूर साहब की तरफ देखा...यानी वो उन्हे लालच दे रही थी की जल्दी अपने भी कपड़े उतारो ताकि वो भी अपने ये बचे हुए कपड़े उतार कर शर्त को पूरा कर सके...

कपूर साहब की तो हालत खराब हो चुकी थी....

अब उन्हे एहसास हो रहा था की भरी महफ़िल में एक औरत को नंगा करना कितना आसान है और खुद कपड़े उतारना कितना मुश्किल...

लेकिन सुमन का नंगा बदन उन्हे हिम्मत प्रदान कर रहा था..उसके अर्धनग्न बदन को देखकर उन्हे ऐसा लग रहा था की मानों उनकी धड़कन ही रुक जाएगी...ऐसा सेक्सी नज़ारा उन्होने आज तक नही देखा था जहाँ ऐसी सेक्स से भरी औरत धीरे-2 अपने कपड़े उतार रही है जो उनकी सोसायटी की सेक्स सिंबल कहलाती है...

उसकी चिकनी जाँघो और गोरे मुम्मो को देखकर उनके मुँह में पानी आ गया...क्योंकि उसे ही चूमने और चूसने वाले थे वो कुछ ही देर में ...लेकिन उसके लिए उन्हे अपने कपड़े भी तो उतारने पड़ेंगे...उन्होने अपनी पत्नी नीरू की तरफ देखा की कही वो गुस्सा करके तो नही बैठी है...पर वो ये देखकर हैरान रह गये की उसका सारा ध्यान तो सुमन के आधे नंगे बदन की तरफ था...

वो उसके उभारों और कच्छी में फंसी चूत को देखकर ऐसे गहरी साँसे ले रही थी जैसे वो कोई मर्द हो...

यानी कमरे में मोजूद दूसरे मर्दों की तरह वो सुमन के नंगे होते बदन को देखकर उत्तेजित हो रही थी...

ये बात शशांक ने भी नोट कर ली...

वो समझ गया की नीरू को कैसे लाइन पर लाना है...

जब कपूर साहब ने देखा की उनकी बीबी तो खुद इस खेल का मज़ा ले रही है तो उन्होने झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

उन्होने आनन-फानन में अपनी पेंट उतार दी...अपनी शर्ट भी खोल दी...और सुमन के करीब आकर खड़े हो गये...

उत्तेजना की वजह से उनके लंड का इतना बुरा हाल था की उसका सुपाड़ा उनके अंडरवीयर से बाहर झाँक रहा था...

सुमन ने जब उनके लंड के टोपे को बाहर निकलकर चमकते देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया...और वो झट से उनके कदमो में बैठ गयी और एक ही झटके में उसने उनके अंडरवीयर को पकड़ कर नीचे खिसका दिया...



उनका फुंफकारता हुआ लंड एक ही झटके में सबके सामने प्रकट हो गया...सभी की चुतो में नमी फैल गयी और ना चाहते हुए भी सब औरतों के मुँह से एक सिसकारी निकल गयी...कपूर साहब के लंड को देखकर सभी ने एक बार फिर से तालियाँ बजाई...अपने लॅंड की ऐसी आवभगत होती देखकर कपूर को भी थोड़ा होसला मिला और वो मुस्कुराते हुए अपने लंड को पकड़कर मसलने लगे...

कपूर साहब अब पूरी तरह से नंगे होकर बीच बाजार खड़े थे..



उनके कसरती बदन को देखकर सभी औरतों के मुंह से आह सी निकल गयी

उन्होने सुमन को भी इशारा करके अपने बचे हुए कपड़े उतारने को कहा...

सुमन ने अपनी ब्रा खोल दी और उसे नीचे फेंक कर अपने मोटे मुम्मे हिलाती हुई उठ खड़ी हुई




कपूर साहब से सब्र नही हुआ और उन्होने सुमन की ब्रैस्ट पकड़ कर उन्हे चूम लिया...

सुमन ने भी उनके सिर के पीछे हाथ रखकर उन्हे छोटे बच्चे की तरह अपनी छाती से चिपका लिया और अपना सिर उपर करके अपना दूध उसके मुँह में अर्पित कर दिया.
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Re: एक नंबर के ठरकी

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कपूर साहब ने अपना काम शुरू कर दिया...अपनी गीली जीभ निकाल कर वो किसी कुत्ते की तरह सुमन के शरीर को चाटने लगे...उसे चूमने लगे...अपने दोनो हाथों में उसके मुम्मो को भी दबा रहे थे...अपने हाथ नीचे लेजाकर उन्होने सुमन की कच्छी भी फाड़ डाली जैसे आज के बाद उसका इस्तेमाल ही नही होगा...कच्छी फटते ही सुमन भी उपर से नीचे तक पूरी नंगी हो गयी....

आज कपूर साहब और दूर बैठे गुप्ता जी ने पहली बार सुमन भाभी को नंगा देखा था...राहुल और सरदारजी तो कल रात उसका रसपान भी कर चुके थे

जैसा कटीला बदन उनका सूट या साड़ी में दिखता था, नंगा होने के बाद उससे कही ज़्यादा आकर्षक लग रहा था वही बदन...



कपूर तो अपना लंड उनके पूरे बदन पर ऐसे रगड़ रहा था जैसे लंड की खुजली दूर करने का यही एकमात्र तरीका है...

सुमन के हाथ भी कपूर के पूरे बदन और ख़ासकर उसके लंड पर फिसल रहे थे....उसके लंड को पकड़ कर उसकी प्यास और भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी...और जब उसके होंठों से लार टपक कर बाहर गिरने लगी तो वो नीचे झुकी और अपने लार टपकाते मुँह के अंदर उसने कपूर साहब का पंजाबी लंड ले लिया और उसे अपनी थूक से तर बतर करने के बाद जोरों से चूसने लगी...



ऐसा उत्तेजना से भरा दृशय देखकर कमरे में मोजूद हर शख्स अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ...अपनी गीली चूत और खड़े हुए लंड के साथ बैठना उन लोगो के लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था.

ऐसा उत्तेजना से भरा दृशय देखकर कमरे में मोजूद हर शख्स अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ...अपनी गीली चूत और खड़े हुए लंड के साथ बैठना उन लोगो के लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था.

राहुल के बिल्कुल करीब डिंपल सरदारनी खड़ी थी...राहुल ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे अपने आगे खड़ा कर लिया...वो भी बिना कुछ बोले उसके खड़े लंड के आगे आकर खड़ी हो गयी और अपनी गद्देदार गांद को उसने राहुल के लंड पर जोरों से दबा दिया...

दोनो ने कपड़े पहने हुए थे वरना राहुल का खड़ा हुआ लंड एक ही बार में उसकी चूत के अंदर जा घुसता...उनके करीब खड़े सरदारजी ने अपनी बीबी को ऐसा करते देखा और मुस्कुरा दिए...वो समझ गये की आज वो सबसे पहले राहुल का ही लंड लेगी अपनी चूत में ..

नीरू भी अपनी सीट से उठकर उनका खेल देख रही थी...अपने पति के इस लंबे और मोटे लंड को उसने अपने बेडरूम के अंधेरे कमरे में ना जाने कितनी बार चूसा था...ना जाने कितनी बार उसे अपनी चूत में डलवाया था...और आज वही लंड उसकी फ्रेंड ऐसे चूस रही थी मानो वो उसी का पति हो....

अपने पति को इस तरह किसी दूसरी औरत से शेयर करना थोड़ा अजीब था मगर ऐसे माहौल में , जहाँ कोई भी अपने पति या बीबी को शेयर करने में कंजूसी नही कर रहा था, उसकी वजह से वो भी कुछ नही बोली...

सबा जो काफ़ी देर से टॉपलेस होकर बैठी थी, अपने बूब्स को अपनी ही उंगलियो से मसलने लगी...ऐसा करते हुए उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ भी निकल रही थी...उसके बिल्कुल करीब बैठे गुप्ता जी कभी उसे देखते और कभी सामने लंड चूस रही सुमन को...उनके लंड का प्रेशर दोनो हुस्न परियों को देखकर बढ़ता जा रहा था.

कपूर साहब के लंड ने जल्द ही जवाब दे दिया और उनकी गन से धड़ाधड़ गोलियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे सुमन ने अपने मुँह में लेकर पी लिया...



सभी ने दोनों के लिए जोरदार तालियाँ बजाई...

कपूर साहब ने अपनी बीबी की तरफ देखा...दोनो ने आँखो ही आँखो में कुछ बात की और फिर मुस्कुरा दिए...अब सब कुछ नॉर्मल था...

उन दोनो की हँसी को शशांक ने भी नोट किया...वो समझ तो गया था की नीरू अब लाइन पर आ गयी है..लेकिन उसको नंगा करना अब भी इतना आसान नही था...पर उसके लिए अब शशांक के पास एक फुलप्रूफ आइडिया था..

अब अगला नंबर गुप्ता जी का था..क्योंकि कपूर साहब से थोड़े बड़े पत्ते उनके आए थे...इक्का बादशाह और 6 नंबर..

गुप्ता जी के मन में तो अजीब सी खलबली मची हुई थी...कुछ देर पहले उनकी बीबी काजल ने जिस अंदाज में स्मूच की थी उसके बाद उनका वो डर तो दूर हो चुका था की वो क्या सोचेगी...पर सुमन और सबा की तरह क्या वो सब कुछ कर पाएगी जो यहाँ बैठा हर इंसान सोच रहा है...ये उनकी समझ में नही आ रहा था...

आज तक वो अपने दोस्तो के साथ बैठकर सिर्फ़ सबा के हुस्न और उसे चोदने की बातें किया करते थे...लेकिन ये माहौल ऐसा बन चुका था की हर किसी की बीबी ने खेल में शामिल होकर उसे एक नया आयाम दे दिया था... पर गुप्ता का लंड अभी भी सबा का ही नाम लिए जा रहा था

गुप्ता जी की नज़रों में सबा के मोटे मुम्मे चमक रहे थे....थोड़ी देर पहले सुमन और कपूर को देखकर जिस अंदाज में वो अपनी ब्रेस्ट दबा रही थी,उसने तो गुप्ता को और भी ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था...इसलिए उनके निशाने पर सिर्फ़ और सिर्फ़ सबा ही थी...

सभी लोग गुप्ता जी को देख रहे थे की कब वो अपनी इच्छा बताए ताकि गेम आगे बढ़ सके...

गुप्ता जी ने धीरे से कहा : "मैं चाहता हूँ की स.....सबा अपने सारे कपड़े उतारकर सभी के सामने मास्टरबेट करे और बाद में मेरे लंड को तब तक चूसे जब तक उसमे से माल नही निकल जाता....और उसे बिना नीचे गिराए पीना भी होगा...''

सभी की कसक भरी सिसकी निकल गयी ये सुनकर....

ऐसा तो वो लोग तब सोचा करते थे जब सबा के बारे में बाते करते हुए वो दारू पिया करते थे...

उन्ही बातों में से एक ये भी थी की उसे नंगा करके अपने लंड का पानी उसकी हलक में उतारना है...और उसको मास्टरबेट करते देखने की बात शायद इसलिए कही थी ताकि वो उसके नंगे बदन को अच्छी तरह से देखना चाहते थे

और वो भी बीच चौराहे पर...

अब ये बीच चौराहा तो नही था पर उससे कम भी नही था...

सोसायटी की 5 फैमिली के बीच नंगा होकर किसी दूसरे मर्द का लंड चूसना..और वो भी एक नयी ब्याही हुई औरत के लिए थोड़ा मुश्किल ज़रूर है...पर सबा के लिए तो ये मज़ा देने वाला खेल था...वो तो कब से अपनी गीली चूत लिए कुलबुला रही थी की दोबारा उसका नंबर कब आएगा....

राहुल ने सबा को देखा और पूछा : "सबा...क्या तुम ये करना चाहती हो....''

उसे भला क्या प्राब्लम होनी थी...वो तपाक से बोली : "बिल्कुल......हद से ज़्यादा ....''

और इतना कहते हुए वो अपने नंगे मुम्मे हिलाती हुई उठ खड़ी हुई और गुप्ता जी के सामने आकर खड़ी हो गयी...



अब सभी को उसके कपड़े उतारने का इंतजार था...आज वो लोग पहली बार उस गोरी हिरनी को पूरा नंगा जो देखने वाले थे..


सबा बढ़ी मादकता से चलती हुई गुप्ता जी के पास आई और उनका हाथ पकड़कर उन्हे बीच मैदान तक ले गयी... गुप्ता तो किसी रोबोट की तरह चलता हुआ सबा के साथ आकर खड़ा हो गया...उनका लंड भी खड़ा था नीचे पर वो अभी के लिए किसी को दिखाई नही दे रहा था..बस उसका एहसास हो रहा था.

सबा के मोटे और गोरे मुम्मों को इतने करीब से देखकर गुप्ता से सब्र नही हो रहा था...उसका मन तो कर रहा था की उन्हे पकड़कर जोरों से मसल दे..निचोड़ डाले उन मुम्मो को... काट कर लाल कर दे... तब तक उन्हे चूसे जब तक वो लाल सुर्ख ना हो जाए..गुप्ता जी ने ये बात भी नोट की कि अपने मुम्मो पर गुप्ता की नज़रें पाकर वो भी कसमसा रही है और परिणामस्वरूप उसके निप्पल पहले से ज़्यादा कड़े होकर बाहर निकल आए.

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