गाँव मे मस्ती

Post Reply
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव मे मस्ती

Post by 007 »


main
kuch na bolaa aur fir raghu se aage poochane lagaa. "raghu daadaa, motee ko
bhee aise imsaanom se chudaaee karane kaa aadat hai lagataa hai. ise kisane
sikhaayaa aisaa karanaa? tumane?"
"are naheen, ye bachapan se seekhaa sikhaayaa hai. ise aur un do kuttom aur
kutiyaa ko main shahar ke paas kee ek baaee se khareed kar laayaa hun. us
baaee kaa peshaa hee hai, saalee ramdee hai, bahut see ladakiyaam aur ladake
paal rakhe hain jo chaahe jaisee chudaaee karate hain graahakom ke saath. bahut
paise letee hai waha ramdee par dhamdaa khoob chalataa hai usakaa. pashuom
ke saath un ladake ladakiyom kee chudaaee is taraha ke khel bhee dikhaatee hai
usake aur jyaadaa paise letee hai saalee. sikhaakar kutte, kuttiyaa, ghode aadi
bechatee bhee hai. rasik log jo pashuom se chudaaee ke shaukeen hain, khareed
kar le jaate hain. Maajee ne paise diye the mujhe inhem khareed laane ko. motee
ko bachapan se bas yahee sikhaayaa gayaa hai, bechaare ko Maalooma bhee
naheen hogaa ki ghodee kyaa hotee hai. yahee haal un do kuttom aur kutiyom
kaa hai" raghu shaitaanee se meree or dekh kar muskaraa rahaa thaa.
meraa sir ghuna gayaa. Maa itanee chudail hogee main soch bhee naheen
sakataa thaa. usane raghu ko insaanom ke saath rati ke liye sikhaaye jaanawar
khareed laane ko kahaa thaa.
mere man kee baat bhaamp kar raghu bolaa. "teree Maa aur meree Maa, saalee
mahaa chudail ramdiyaam hain donom. nayee nayee chudaaee kaa raastaa
khojatee rahatee hain. ab hama donom betom ke saath to unakee mast chudaaee
hotee hee hai. dekhaa kaise mast rahatee hain apane apane betom se marawaane
se. ab kuch aur nayaa chaahiye unhem. aur kisee ko hama chaarom me shaamil
karane ko to we taiyaar naheen hain. meree Maa saalee mahaa chudail hai. usee
ne yaha raastaa sochaa. bahut pahale jab main chotaa thaa aur use koee chodane
waalaa naheen thaa tab ek do baar kutte se chudawaa chukee hai. bahut majaa
aayaa thaa use. iseeliye jab ek din Maalakin bolee ki manju kuch nayaa soch to
usane Maalakin ko bhee raajee kar liyaa jaanawar khareed laane ko."
maine poochaa. "to ab kyaa karatee hain donom un kuttom ke saath?" main apane
lund ko pakadakar muthiyaa rahaa thaa, mujhase rahaa naheen jaa rahaa thaa.
raghu meraa haath pakadakar bolaa. "dekhegaa? chal mere saath, tujhe raas
leelaa dikhaataa hun. waise donom motee par bhee fidaa hain par daratee hain
usake lund se. bas ek do baar mere saath choosane kee koshish kar letee hain. ho
jaayemgee taiyaar jaldee hee. aur fir motee ko chodane ko choot mil hee
jaayegee, ghodee kee na sahee par imsaanee ghodee kee, aur jyaadaa mast aur
taait. par un kuttom ke saath to unakee mast jamatee hai. teree Maa to khaas
meharabaan hai unapar. too chal aur dekh le"

main
ab lund paimt se nikaal kar muththa Maar rahaa thaa. raghu ne mujhe rokane
kee koshish kee par jab main naheen rukaa to bolaa "munnaa, too garaMaa gayaa
hai, main jaanataa hun, ye jaanawarom se chudaaee kee baat hee aisee hai, main
tujhe naheen rokoomgaa jhadane se par aise faalatoo na bahaa apanaa veerya,
chal meree hee gaand Maar le. chal ek naye tareeke se marawaataa hun
tujhase."
usane mujhe motee par bithaa diyaa. fir motee ke lund se nikale weerya kee ek
do boomdem umgalee par lekar apane gudaa me chupad leem aur meraa lund
choos kar geelaa kiyaa. fir waha uchak kar mere saamane motee kee peeth par
chadh gayaa. apanee dhotee peeche se uthaa kar bolaa "ghuseda de munnaa
meree gaand me teraa laudaa"
main to fanafanaa rahaa thaa. raghu kee gaand me lund daal diyaa. pakaak se
waha pooraa ghus gayaa. tab mujhe samajh me aayaa ki ghode kaa weerya
kitanaa chikanaa aur chipachipaa thaa. main baithaa baithaa hee raghu kee gaand
Maarane kee koshish karane lagaa.
raghu bolaa. "aise naheen munnaa, bas baithaa raha aur mujhe pakad le. ab
motee bhaagegaa to apane aap teraa lund meree gaand me andar baahar hogaa."
usane motee ko aidee lagaayee aur motee ghar kee or chal padaa. usakee chaal se
main oopar neeche aage peeche hilane lagaa aur meraa lund raghu kee gaand me
fisalane lagaa. bahut sukhad anubhav thaa. "raghu daadaa majaa aa gayaa" main
bolaa.
"ab motee ko sarapat bhagaataa hun, fir dekhanaa raajaa" kahakar raghu ne
motee ko ishaaraa kiyaa aur waha ghodaa daudane lagaa. maine aamkhem bamd
kar leem aur raghu kee kamar me haath daalakar peeche se chipat gayaa. ghodaa
oopar neeche hotaa thaa to raghu kee gaand apane aap itanee mast Maaree jaa
rahee thee ki main do minit se jyaadaa na ruk sakaa aur chillaakar jhad gayaa.






कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव मे मस्ती

Post by 007 »


ऐसा लगता था जैसे जान निकल गयी हो. थककर तृप्त होकर मैं निढाल हो
गया और रघु से चिपट कर सुसताने लगा.
रघु ने घोड़े की रफ़्तार कम की. "रघु मैं झाड़ गया, अब मा और
मन्जुबाई के यहाँ जाकर क्या करूँगा." मैं भूनभुनाया. मुझे
मज़ा आया था पर बुरा भी लग रहा था कि क्यों झाड़ गया. मस्ती मे
रहता तो कुत्तों के साथ की रासलीला देखने मे और मज़ा आता, ऐसा मैं
सोच रहा था.
"फिकर मत कर मुन्ना, वहाँ का जन्नत का नज़ारा देखकर तेरा ऐसा
खड़ा हो जाएगा जैसे झाड़ा ही ना हो." रघु ने समझाया.

"
रघु दादा, ऐसी घोड़े पर बिठा कर गान्ड मेरी भी मारो ना.
तुम्हारा मस्त मूसल मेरी गान्ड मे अंदर बाहर होगा जब मोती
भागेगा." मैने रघु से मचल कर कहा.
"ज़रूर मुन्ना, कल ही तुझे मोती पर बिठाकर जंगल मे घुमाने ले
चलूँगा गोद मे लेकर." रघु के आश्वासन से मुझे कुछ तसल्ली हुई.


दस मिनिट बाद हम रघु के घर मे पहुँचे. उसका घर खेतों के बीच
था. आस पास दूर दूर तक कोई और घर नही था. घर अच्छा छोटा सा बंगला
था और चारों ओर उँची चार दीवारी थी. घर के पहले ही रघु के कहने
पर हम नीचे उतर गये. "चुप चाप चलते हैं और देखते हैं कि दोनों
रंडिया क्या कर रही हैं?" रघु ने चुप रहने का इशारा करते हुए
मुस्कराकर कहा.
अंदर जाकर आँगन मे एक नये बने कमरे मे मोती को रघु ने बाँध दिया
और उसे पानी और दाना दे दिया. कमरा एकदम सॉफ सुथरा था जैसे
आदमियों के रहने के लिए बनाया गया हो. पास मे एक नीचा लंबा मुढा
था. चारे के बजाय रघु ने मोती को दाने मे, बादाम, अंगूर इत्यादि ऐसा
बढ़िया खाना दिया था. मैने रघु की ओर देखा तो मेरे कान मे वह फूस
फूसा कर बोला."अरे इसका वीर्य बढ़िया स्वादिष्ट बनाना है तो मस्त खाना
भी चाहिए ना?"
हम दबे पाँव मोती के कमरे से बाहर आए और बरामदे मे गये.
दरवाजा बंद था. रघु ने खिड़की थोड़ी खोल कर झाँका और फिर मुझे
चुप रहने का इशारा करते हुए बुलाया. मैं भी उसके पास खड़ा होकर
झाँकने लगा. अंदर का सीन देखा तो मज़ा आ गया. मेरी साँस चलने लगी
और चेहरा लाल हो गया.

मंजू बाई हाथों और घुटनों के बाल फर्श पर कुतिया जैसी झुक कर जमी हुई
थी. शेरू उसके पीछे से उसपर चढ़ा था. उसके आगे के पंजे मंजू की
कमर के इर्द गिर्द कसे हुए थे और पिछले दो पंजों पर खड़ा होकर वह
मंजू को कुतिया जैसा चोद रहा था. उसका लाल लाल लंड फ़चा फॅक मंजू की
गीली टपकती बुर मे अंदर बाहर हो रहा था.
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव मे मस्ती

Post by 007 »


मंजू दबे स्वर मे सिसकारिया भरते हुए 'अम' 'आम' 'आम' ऐसा कर रही थी.
कारण ये था कि उसका मूह भी टॉमी के लंड से भरा था. टॉमी सामने से
उसपर चढ़ा था और सामने के पंजे उसकी छाती के इर्द गिर्द लपेट कर दो
पैरों पर खड़ा सामने से मंजू बाई का मूह चोद रहा था. उसका लाल लंड
मंजू के मूह मे था. कभी लंड अंदर बाहर होता और कभी मंजू कस कर
उसे मूह मे पकड़कर चूसने लगती जिससे टॉमी मस्ती मे आकर भोंकने
लगता.

मंजू का शरीर कुत्तों के धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था. उसकी
पथराई आँखों से सॉफ दिख रहा था कि वह काम वासना की चरम
उँचाई पर थी.

मेरा ध्यान अब मा की ओर गया और मेरा लंड फटाफट खड़ा होने लगा. मेरी
चुदैल मा मादर जात नंगी एक कुर्सी मे टांगे पसार कर बैठी थी. ज़िनी
कुतिया उसके सामने बैठ कर उसकी बुर उपर से नीचे तक अपनी लंबी जीभ
से चाट रही थी. बीच मे मा अपनी चूत उंगलियों से पकड़कर फैला देती
और ज़िनी अपनी जीभ उसके अंदर डाल कर उसे लंड जैसा इस्तेमाल करके
चोदने लगती. मा भी सिसक रही थी और बार बार ज़िनी के कान पकड़कर
उसका तूथनी अपनी बुर पर दबा लेती.

रघु को भी मज़ा आ रहा था. मेरा लंड सहलाते हुए मेरे कान मे बोला.
"देखा क्या मज़ा ले रही हैं दोनों चुदैले? तेरी मा अभी तो कुतिया से बुर
चटवा रही है पर अब वह चुदाने को मर रही होगी. देखना, अभी
चुदवा लेगी"

और दो मिनिट बाद ही मा से ना रहा गया. ज़िनी को बाजू मे करके वह उठ
बैठी और जाकर मंजू के पास बैठ गयी. "ओ हरामन, दो दो के साथ मज़ा
कर रही है तब से. चल अब एक कुत्ता मुझे दे. झाड़ गया तो मुझे घंटा भर
रुकना पड़ेगा."

मंजू चूत या मूह का लंड छोड़ने को तैयार नही थी. मा ने आख़िर शेरू को
पकड़कर खींचना शुरू किया तब मंजू टॉमी का लंड मूह मे से
निकालकर बोली. "शेरू को चोदने दो मालकिन, बहुत मस्त चोद रहा है, आप
टॉमी को ले लो. वैसे इसका रस पीने को मेरा मन कर रहा है पर बाद मे पी
लूँगी आपकी बुर से. आप टॉमी से चुद लो." और उसने टॉमी को अपने
सामने से धकेल कर उतार दिया.

टॉमी को मज़ा आ रहा था इसलिए वह गुर्राने लगा. पर मा ने उसे जब अपनी
ओर खींचा तो वह खुश होकर मंजू पर से उतर कर मा का मूह चाटता हुआ
उसपर चढ़ने की कोशिश करने लगा. मा ने हँसते हँसते उसे अपने
पीछे लिया और ज़मीन पर झुक कर बोली. "अरे मूरख, आ ठीक से पीछे से और
चोद मुझे. इस चुदैल का मूह तो तूने चोदा, अब मेरी गरमा गरम बुर देती
हूँ तुझे. याद रखेगा तू भी!"

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव मे मस्ती

Post by 007 »

टॉमी मा पर पीछे से चढ़ गया. उसका लाल लाल लंड थिरक रहा था.
करीब छः इंच लंबा गाजर जैसा वह लंड बहुत रसीला लग रहा था. एक
क्षण मुझे भी लगा कि इसे चूसने मे क्या मज़ा आएगा.
टॉमी का लंड अब मा के चुतडो पर घिस रहा था. वह उचक उचक कर आगे
खिसकता हुआ मा की बुर मे लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर उसका
लंड मा के चुतडो के बीच फँस गया था. "अरे मूरख, गान्ड मार रहा है
या चोद रहा है रे? मंजू देख, इतनी बार चोद चुका पर अब तक ठीक छेद
पहचानना नही सीखा यह नालायक!" मा ने टॉमी को मीठी डाँट
लगाई. वह कम कम करके मा की पीठ चाटने लगा पर फिर से मा के
चुतडो के बीच ही लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
मंजू और मा आमने सामने थे. मंजू मा का चुम्मा लेते हुए बोली.
"गान्ड ही मरा लो मालकिन, आपने पहले भी तो मराई है इन दोनों कुत्तों
से, रघु के सामने!"

"अरे नही, आज तो चुदाउन्गि, चूत बहुत खुजला रही है रे. नही चुदाउन्गि तो
ऐसे ही गरम रहेगी और मुझे पागल कर देगी. गान्ड बाद मे मरा लूँगी.
मेरा प्यारा बेटा है ना घरपे, अपनी अम्मा की गान्ड का मतवाला" कहकर
मा ने हाथ पीछे करके टॉमी का अपने नितंबों के बीच फँसा लंड
निकाला और बुर पर रखकर टॉमी को पुचकारने लगी. "ले ले टॉमी बेटे,
अब डाल मा की बुर मे अपना लौडा" और टॉमी ने तुरंत एक धक्के मे उसे मा
की बुर मे आधा गाढ दिया.

"हाय, क्या मस्त लंड है रे तेरा राजा, डाल ना पूरा!" कहकर मा ने अपने
चूतड़ पीछे की ओर धकेली और टॉमी ने एक और धक्के के साथ पूरा लॉडा
मेरी मा की चूत मे उतार दिया. फिर मा से चिपक कर वह मा की कमर को
अगले पंजों से पकड़ कर जीभ निकाल कर हान्फता हुआ मा को चोदने लगा.
"वारी जाउ रे तुझ पर मेरे राजा, क्या चोदता है. चोद राजा चोद, अपनी
कुतिया बना ले मुझे और चोद डाल मेरे भोसड़े को" ऐसे गंदे शब्द प्रयोग
करती हुई मा अपने चूतड़ आगे पीछे करती हुई चुदाने लगी. मंजू
खिसक कर शेरू को पीठ पर लिए लिए मा के और पास आ गयी और उससे जीभ
लड़ाते हुए शेरू से चुदाने लगी. दोनों रंडिया अब चूमा चाटी करते
हुए एक दूसरी की जीभ चुसते हुए मन लगाकर कुत्तों से चुद रही थी. ज़िनी
बेचारी अकेली पड़ गयी थी. वह कूम कूम करती हुई उन दोनों के पास आ गयी
और उनका मूह चाटने लगी.

मेरा अब बुरा हाल था. खून खौल रहा था और लंड ऐसे खड़ा था जैसे लोहे का
बना हो. मैने मचल कर रघु से कहा. "रघु चलो अंदर, मैं अपनी
चुदैल मा के मूह मे लंड पेल देता हू, देखो कैसी पागल हुई जा रही है,
मेरा लंड मूह मे लेकर मस्त हो जाएगी."

रघु ने मुझे रोका. "मुन्ना, जब मा की जानवरों के साथ चुदाई चल रही
हो तो उसमे खलल ना दे बेटे. जब हम इन कुत्ते कुतियों के साथ चुदाई करते
हैं तो भरसक यही कोशिश करते है कि आपस की चुदाई कम से कम करे. पर
कभी कभी सब एक साथ चोदते है तो कौन किसे चोद रहा है इसका भी
ख़याल नही रहता. अब तू भी अंदर चल, मैं तुझे भी मज़ा दिलवाता हू.
मुझे भी नही रहा जा रहा."

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव मे मस्ती

Post by 007 »



मैने पूछा. "पर किसे चोदोगे रघु, मा और मंजू तो कुत्तों से चुद रही
है."

"अरे तू चल तो, सब मालूम हो जाएगा. पर एक बात बता, तुझे मज़ा आएगा ना?
या इन जानवरों से तुझे कुछ परहेज है?" रघु ने पूछा?

मैं क्या कहता! मेरी वो हालत हो गयी थी कि लगता था की कोई भी मिले चोदने
को, भले ही जानवर ही हो. और वी दोनों खूबसूरत कुत्ते मुझे अब बहुत
आकर्षित कर रहे थे. मा और मंजू की बुर से निकलते उनके रसीले लंड
को देखकर बार बार यही मन हो रहा था कि उन्हे चूस लू.
हमने अपने कपड़े निकाले और दरवाजा खोल कर हम अंदर आए. हमे
देखकर वे दोनों ज़रा भी नही चौंकी. उनकी आँखे पथराई हुई थी.
चुदाई के आनंद ने उन्हे पागल सा कर दिया था. मुझे देखकर भी मा ज़रा
नही झिझकी, बोली. "आ गया मेरा लाड़ला? देख बेटे, तेरी मा को कैसा स्वर्ग
मे पहुँचा दिया है टॉमी ने. "एयेए हहा" टॉमी और ज़ोर से चोद रे मेरे
पठ्ठे! दिखा दे मेरे पठ्ठे को कि तुझे ये उसकी मा, याने तेरी कुतिया
कितनी पसंद है! अनिल बेटे, शेरू और टॉमी भी मेरे बेटे है, इतनी देर
चोदते हैं कि निहाल कर देते है"

टॉमी जैसे मा की बात समझ रहा था. वह और उछल उछल कर मा को
चोदने लगा. उसका आनंद देखते ही बनता था. मा जैसी कुतिया चोदने
मिली इससे वह एकदम मस्ती मे था. यही हाल मंजू बाई और शेरू का था.
मैं और रघु उन दोनों के पास बैठ गये. मैं मा और मंजू को बारी बारी
चूमने लगा. उधर शेरू भोंक भोंक कर रघु का चेहरा चाटने लगा.

रघु को देख कर वह खुशी से पागल हो रहा था. ज़िनी भी रघु के पास
पहुँच गयी थी और उसकी धोती मे तूथनी डालने की कोशिश कर रही थी.
"बस बस यार, तुझे पता चल गया शायद कि अब तुझे और मज़ा आने वाला है?
अभी आता हू राजा, बस मुन्ना की जोड़ी जमा दू" रघु ने कहा. इतने मे शेरू ने
मौका देखकर रघु के खुले मूह मे जीभ डाल दी. मुझे लगा कि रघु थू
थू करने लगेगा पर उसने तो मूह और खोल दिया और हँसते हँसते अपने
मूह मे शेरू की जीभ लेकर उसे चूसने लगा जैसा वह मेरी जीभ चूसा
करता था.

शेरू और टॉमी की जीभ भी मस्त थी, गुलाबी और गीली. शेरू कू कू करते
हुए मस्ती से अपनी पूरी जीभ रघु के मूह मे देकर चुप हो गया और रघु
उसे ऐसे चूसने लगा जैसे मिठाई हो. मेरा लंड उछलने लगा. इस तरह की
चूमा चाटी की मैने कल्पना भी नही की थी.
सहसा मेरे लंड पर तपते गीले स्पर्श से मैने चौंक कर नीचे देखा तो
ज़िनी मेरा लंड चाट रही थी. वह कब रघु को छोड़ कर मेरे पास आ गयी थी,
पता ही नही चला. उसकी भूरी भूरी आँखे बड़े प्यार से मुझे देख रही थी.
उसकी लंबी लाल जीभ ने ऐसा जादू किया कि मैं झड़ने के करीब आ गया. उसकी
कुछ खुरदरी कुछ मखमली जीभ मेरे लंड को रगड़ रगड़ कर मुझे
दीवाना कर रही थी.

रघु ने शेरू के साथ का अपना चुंबन तोड़ कर कहा. "ज़िनी, रुक. मुन्ना, ये
लंड के रस की दीवानी कुतिया तुझे झाड़ा देगी. उसमे भी मज़ा आता है पर आज
मैं तुझे इससे सही तरीके से संभोग कराना चाहता हू. चलो तुम दोनों
की जोड़ी जमा दू, फिर आकर इस बदमाश शेरू की खबर लेता हू."
रघु मेरे पास आया. ज़िनी उसका मूह चाटने लगी. ज़िनी के साथ एक दो बार
जीभ लड़ाकार रघु ने उसे इशारा किया. ज़िनी खुशी खुशी हमारी ओर पीठ
करके खड़ी हो गयी और दुम हिलाने लगी.

रघु ने उसकी दुम उठाई और मुझे बोला. "मुन्ना, माल देख, क्या मस्त चूत
है!" दुम के नीचे कुतिया की लाल लाल खुली चूत दिख रही थी. एकदम गीली और
रिसति हुई. चूत के अंदर से ज़िनी के पपोटे फूल कर गुलाब के फूल जैसे बाहर आ
गये थे. रघु ने उसमे उंगली डाली और अंदर बाहर करते हुए बोला.
"मुन्ना, इसे चोद, ये तुझे जन्नत ले जाएगी."

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
Post Reply