गाँव मे मस्ती

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Re: गाँव मे मस्ती

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Raghu maa kee chU t me lund pela taa huaa bolaa "bahu t pyaar karemge munnaa ko maajee, use bhee sab kaama kreeDaa sikhaa kar aapake kadamom me laa kar pa Tak denge fir aap din bhar us bachche ke saa th mas tee karanaa"

maa ko baa t shaayad jach rahee thee kyomki usane kuch nahi kahaa manju ne maa ke nipal masala te hue kahaa "are abhee se use chudaaee ke khel me lagaa diyaa to do saal me lund bhee bada ho jaayegaa usakaa Raghu ko dekho, jab se lund khada hone lagaa, tab se chod rahaa hai mujhe badamaash ab dekho kaisaa ghoDe jaisaa lauDaa ho gayaa hai usakaa"

maa aakhir taiyaar ho gayee " Theek hai Raghu, kal se tere aur manju ke supurd kiyaa maine munne ko, haa & y, main mara tee kyom nahi? chod chod kar maar Daal mujhe mere raajaa" mas tee me paagal hokar ammaa bolee

manju khush ho gayee Raghu ko bolee "Raghu be Te, kal se hee shuru ho jaa main kaha tee thee naa ki maalakin maan jaayemgee! aakhir apane be Te ko bhee to pakkaa chodU banaanaa hai inhem tu ab chod Daal be Te aise chod apanee maalakin ko ki waha seedhe imdralok pahunch jaaye"

maa ke hom Thom par apanaa munh jamaakar manju ammaa kaa munh chUsane lagee aur Raghu ab ammaa ko aisee berahamee se chodane lagaa jaise ghoDaa ghoDee ko choda taa hai mujhase ab na rahaa gayaa main wahaam se bhaagaa aur kamare me aakar sa Taasa T mu Th Th maaree jhaDaa to i tanee jor se ki weerya seedhaa Chaha fu T dUr saamane kee deewaar par lagaa aaj kaa waha kaamuk najaaraa mere liye swarg kaa najaaraa thaa

main fir jaakar aage kee chudaaee dekhanaa chaaha taa thaa par i tane mee The skhalan ke baad kab meree aamkh lag gayee mujhe pa taa hee nahi chalaa

dUsare din maa bahu t tRup t dikh rahee thee chala te chala te thoDe pair alag fu taraa kar chal rahee thee main school ke liye taiyaar huaa aur jaane lagaa to maa ne mujhe bulaayaa "anil be Te, aaj se Raghu tujhe saaikil par pahunchaa diyaa karegaa"

main thoDaa Daraa huaa thaa kaafee sochane ke baad mujhe kuch amdaajaa hone chalaa thaa ki Raghu kee mujh me i tanee dilachaspee kyom thee aur un maa be Te ne mil kar kyom maa se apanee baa t kal raa t manawaa lee thee Raghu kee kal kee baa tem yaad karake main aanaakaanee karane lagaa man hee man lag rahaa thaa ki Raghu na jaane mere saa th kyaa kyaa kare waise maa ko choda taa huaa usakaa lund mujhe bada pyaaraa lagaa thaa ek baar aisaa bhee lagaa thaa ki use chuna lUm

maa ne meree ek na sunee waha kaamasukh me paagal thee aur manju ko vachan de chukee thee naaraaj ho kar usane seedhe mujhe ek tamaachaa lagaa diyaa aur Daan t kar bolee "ab maar khaayegaa buree taraha! chupachaap Raghu ke saa th jaa aur waha jo kahe waisaa kar"

main ruaamsaa Raghu ke saa th ho liyaa Raghu mere gaal sahalaa kar pyaar se bolaa "maa ke tamaache kaa buraa nahi maana te munnaa, tu ghabaraa taa kyom hai? main dushman thoDe hee hun tuMhaaraa! bahu t pyaar se school le jaaUmgaa ammaa jaana tee haim ki main tujh se ki tanaa pyaar kara taa hun meree ammaa bhee bahu t chaaha tee hai tujhe"

main kahane waalaa thaa ki maalum hai kaise tuma donom mujhe chaaha te ho par chup rahaa Dar ke saa th main u tsuk bhee thaa ki ab kyaa hogaa! aakhir main apanee ramDee maa kaa be Taa jo thaa usee kaa kaamuk swabhaav mujhe viraasa t me milaa thaa

maine kahaa "Raghu daadaa, abhee to ek gham Taa hai school shuru hone me! i tanee jaldee jaa kar main kyaa karUmgaa?"

waha hams diyaa "chalo to munnaa, majaa karemge, thoDee jamgal kee sair karaa te haim tujhe"

Raghu ne meraa bas taa kairiyar par lagaayaa aur mujhe saaikil par aage DanDe par bi Thaakar chal diyaa aaj waha bahu t mUD me thaa aur gunagunaa rahaa thaa baar baar jhukakar mere baalom ko chuna le taa thaa school jaa te samaya ek ghanaa jamgal pada taa thaa wahaam waha ek sunasaan jagaha par ruk gayaa aur saaikil se u tarakar Dhakela taa huaa jamgal ke amdar ghanee jhaaDee ke peeche le gayaa saaikil khaDee karake usane mujhe u tarane ko kahaa fir usane chaadar biChaaee aur mujhe usapar bi Thaakar khud mere paas bai Tha gayaa "aao munnaa thoDe yahaam Chaamv me bai Thakar gapashap kara te haim

maine dekhaa ki usakee dho tee me ek bada tambU ban gayaa thaa Raghu kaa lund kas kar khada thaa Raghu meree or bade pyaar se dekh rahaa thaa mujhe dekha te hue usane apana haa th dho tee ke Upar se hee apane lauDe par rakhaa aur use sahalaane lagaa

main ab ghabaraa gayaa thaa thaa par ek ajeeb anakahee chaaha t se meraa man bhar gayaa thaa maine puChaa "hama yahaam kyom ruke haim Raghu? aur tuma ye kyaa kar rahe ho?" usane koee jawaab nahi diyaa aur achaanak mujhe apanee god me kheemchakar mere gaal chunane lagaa
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Re: गाँव मे मस्ती

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"यह क्या कर रहे हो रघू दादा? छोडो ना" मैं घबरा कर चिल्लाया पर उसने मेरे मुँह को अपने मुँह से बंद कर दिया और हाफपैंट के उपर से ही मेरे शिश्न पर हाथ फेरने लगा मुझे अजीब सा लग रहा था और मैं कल की देखी और सुनी बातों को याद करके घबरा भी रहा था उसके चंगुल से छूटने को मैं हाथ पैर फटकारने लगा रघू के सशक्त बाहुपाश के आगे मेरी क्या चलने वाली थी? मेरे होंठों को अपने होंठों मे दबा कर चूसते हुए मुझे बाँहों मे भींचकर वह मेरे लंड को सहलाता रहा उसके हाथ ने ऐसा जादू किया कि मेरा लंड कुछ ही देर मे तन कर खड़ा हो गया

मुझे मज़ा आने लगा और मैंने छूटने की कोशिश करना बंद कर दिया रघूका चूमना भी मुझे अच्छा लगा रहा था उसके कुछ खुरदरे होंठ मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे मैंने अचानक पूरा समर्पण कर दिया और आँखें बंद करके उसके प्यार का मज़ा लेने लगा मेरे ढीले पड़े बदन को और जोरों से बाँहों मे भींच कर वह अब मेरे होंठों को ज़ोर से चूसने लगा साथ ही उसने मेरी हाफपैंट की ज़िप खोलकर उसमे से मेरा लंड निकाल लिया और उसे कस कर पकड़ लिया

कुछ देर बाद मुझे चूमना बंद करके रघू बोला "मज़ा आ रहा है मुन्ना?" मैंने मूंडी हिलाई तो खुश होकर बोला "मैं कह रहा था मुन्ना घबरा मत अपने राजा मुन्ना को मैं बहुत प्यार करूँगा, खूब सुख दूँगा अब देख और मज़ा आएगा, बस चुपचाप बैठे रहो"

मुझे नीचे चादर पर लिटा कर वह मेरे लंड को हाथ मे लेकर मुठियाने लगा उसकी आँखें ऐसी उसपर लगी थीं कि जैसे लंड नहीं, कोई मिठाई हो अचानक वह झुका और उंगली से मेरे सुपाडे पर की चमडी नीचे कर दी "हाय मुन्ना, सुपाडा है या रेशमी अंगूर का दाना है रे? क्या चीज़ है मेरे मालिक!" कहकर वह उसे चाटने लगा
मुझे बड़ा अच्छा लगा पर उसकी खुरदरी जीभ का स्पर्श मुझे अपने नंगे सुपाडे पर सहना नहीं हो रहा था "रघू छोड़, कैसा तो भी लगता है" उसके सिर के बाल पकडकर हटाने की कोशिश करता हुआ मैं बोला

रघू ने सिर उठाया और हँस कर बोला "अब तो तेरा लंड चूसकर ही उठुंगा मैं मुन्ना राजा ऐसी चीज़ कोई छोडता है? मलाई है मलाई" फिर अपना मुँह खोल कर उसने मेरा पूरा लंड निगल लिया और चूसने लगा मैं सिहर उठा इतना सुख मुझे कभी नहीं मिला था, माँ की ब्रेसियार मे मुठ्ठ मारते हुए भी नहीं

एक दो बार रघू के बाल पकडकर मैंने उसका सिर हटाने की कोशिश की और फिर आख़िर अपने चूतड उछाल कर उसका मुँह चोदने की कोशिश करने लगा मेरी जांघों को सहलाते हुए रघू ने चूसना मेरा लंड जारी रखा अपनी जीभ से वह इतने प्यार से मेरा शिश्न रगड रहा था कि मैं कसमसा कर झड गया
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Re: गाँव मे मस्ती

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रघू ने मेरा लंड ऐसे चूसा जैसे कुलफी चूस रहा हो आँखें बंद करके उसने चटखारे ले लेकर मेरा वीर्य निगला जब आखरी बूँद मेरे लंड से निचुड गयी तो वह उठ बैठा मैं लस्त हो गया था बहुत मज़ा आया था

"मेरा लौडा देखेगा राजा" रघू ने बड़े लाड से पूछा मैं शरमा गया पर मूंडी हिलाकर हाँ कर दी रघू ने अपनी धोती एक तरफ से उठाई और अपना लौडा बाहर निकाल कर हाथ मे ले लिया "मुन्ना, मस्त मलाई थी तेरी अब रोज खिलाएगा ना? ले, मैं भी अब तुझे गाढी रबडी खिलाता हुँ, ऐसा स्वाद तुझे कभी नहीं मिला होगा तेरी अम्मा तो दीवानी है इसकी"

मैं उस हलब्बी लंड को देखकर काँप उठा मन मे भय और कामना की एक मिली जुली टीस उठने लगी कल माँ की चूत मे रघू का लंड अंदर बाहर होता मैंने देखा था पर आज पास से उसकी साइज़ देखी तो मानों लकवा मार गया बहुत अच्छा भी लगा गोरा गोरा लंड एकदमा मांसल और कड़ा था बड़ी बड़ी नसें उभरी हुई थीं सुपाडा नंगा था और उसकी गुलाबी चमडी तन कर रेशम की तरह पतली और चिकनी लग रही थी मुझे लगा था कि लंड की जड मे घनी काली झान्टे होंगीं पर उसका पेट एकदमा चिकना और सपाट था गोटियाँ भी चिकनी थीं

"अरे काटेगा नहीं, हाथ मे तो ले! ज़रा खेल उससे खुद के लौडे से खेलता है कि नहीं मुठ्ठ मारने के पहले?" रघू ने मुझे पुचकार कर कहा अब तक मैं अपना डर भूल कर तैश मे आ गया था मैंने धीरे से उस थिरकते लंड को हथेली मे पकड़ा और हिलाया फिर दूसरे हाथ की हथेली भी उसके डंडे के इर्द गिर्द जकड ली दोनों हाथों की मुठ्ठियो से भी वह आधा भी नहीं ढका था

"बाप रे रघू दादा, कितना मोटा और लंबा है? अम्मा और मंजू बाई कैसे लेती हैं इसे अपनी चूत मे? और झान्टे भी नहीं हैं" मेरे मुँह से निकल गया

"तूने देखा है क्या अपनी अम्मा को मुझसे चुदते?" रघू बोला मेरे चेहरे पर उमड आए शरम के भाव देखकर मेरे गाल दबाता हुआ बोला "अच्छा हुआ जो देख लिया मज़ा आया? मेरी अम्मा और तुम्हारी माँ, दोनों महा चुदैल रंडिया हैं मुन्ना अरे ऐसे लंड लेती हैं अपने भोसडो मे कि जैसे साली जनम जनम की प्यासी हों मैं तो घंटों चोदता हूँ दोनों छिनालों को साली मेरा ही क्या, घोड़े का भी लंड ले लें, इतनी गहरी चूत है उनकी"

मैं अब मस्ती मे रघू का लंड दबा और हिला रहा था "कितना प्यारा और चिकना लगता है तेरा लंड एकदमा सॉफ भी है! कितना लंबा है बता ना?" कहते हुए ना रहकर मैंने उसे चूम लिया फिर शरमा गया

रघू खुश हो गया "ये बात हुई मुन्ना, अरे तेरे लिए ये लंड कब से खड़ा है दस इंच का है पूरा नाप ले तेरी स्केल से" उसके कहने पर मैंने बस्ते से स्केल निकाली और नापा सच मे दस इंच लंबा और अढाई इंच मोटा था सुपाडा तो तीन इंच मोटा था!

रघू आगे बोला "मैं रोज शेव करता हूँ अम्मा को ऐसा चिकना बिना बाल का लंड बहुत अच्छा लगता है पर उसकी खुद की ये लंबी झान्टे हैं साली बदमाश है कहती है कि चूत चूसते समय झांटें मुँह मे जाएँ तो ज़्यादा मज़ा आता है पर मेरा लौडा चूसते हुए एक भी बाल मुँह मे जाए, उसे अच्छा नहीं लगता चल, तू अब नखरा ना कर तुझे मेरा लौडा पसंद आया ये मुझे मालूम है अब चूस डाल" कहते हुए उसने मुझे अपने पास खींचा और मेरा सिर अपनी गोद मे दबा दिया लंड मे से सौंधी सौंधी मद जैसी खुशबू आ रही थी
"मुँह खोल और ले सुपाडा मुँह मे लड्डू जैसे" उसके कहने पर मैंने उसका सुपाडा मुँह मे ले लिया और चूसने लगा मुझे पूरा मुँह खोलना पड़ा तब जाकर वह सुपाडा मुँह मे आया मुँह ऐसा भर गया था जैसे बड़ा मगज़ का लड्डू एक साथ मुँह मे भर लिया हो मेरा सारा डर गायब हो गया था बहुत मज़ा आ रहा था मैं उस नरम चमडी पर जीभ फेरते हुए मज़ा ले लेकर रघू का लौडा चूसने लगा

रघू मेरे बालों मे उंगलियाँ चलाते हुए बोला "हाय मुन्ना, मस्त चूसता है रे तू राजा बाद मे तुझे पूरा लौडा जड तक निगलाना सीखा दूँगा बहुत मज़ा आएगा तू मेरा लौडा लेना भी सीख लेना बहुत प्यार से दूँगा तुझे लौडा देने और लेने मे मुझे मज़ा आता है मेरी माँ तो रोज मेरा लेती है, आगे से भी और पीछे से भी मालकिन ने पिछले दरवाजे से नहीं लिया अब तक डरती है शायद तू ले ले एक बार तो मैं कहूँगा कि लो, आपके कमसिन छोकरे ने भी मेरा ले लिया, अब क्यों डरती हैं? या पहले वी तेरा छोटा लौडा ले लें, फिर मैं उन्हें प्यार से बड़ा दे दूँगा पिछवाड़े से"

मुझे लौडा देने की बात से मैं थोड़ा घबराया उसका इशारा मेरी गान्ड मे लंड देने का था यह मैं समझ गया पर लंड चूसने मे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं चुपचाप चूसता रहा

आधे घंटे हमने खूब मज़ा किया बीच मे रघू ने मेरे मुँह से लंड निकाल लिया और मुझे गोद मे लेकर खूब चूमा मेरी जीभ चुसी और अपनी चुसवाई मेरा लंड भी फिर खड़ा हो गया था और रघू उसे प्यार से सहला सहला कर मस्त कर रहा था
"अपनी चिकनी गान्ड तो दिखा मुन्ना" कहकर रघू ने एकाएक मेरी पैंट उतार दी मैं घबरा गया मुझे लगा रहा था कि शायद वह वहीं मेरी गान्ड मारेगा मेरी कातर आँखों मे उतर आए डर को देखकर उसने मुझे समझाया "डर मत राजा ऐसे थोड़े मारूँगा तेरी जल्दी मे मज़े ले लेकर मारूँगा मख्खन भी लगाना पड़ेगा जिससे सट से घुस जाए तेरे चूतडो के बीच मेरी माँ के सामने मारूँगा वह रहेगी तो तुझे संभाल लेगी उसे बड़ी आस है अपनी मालकिन के छोरे की गान्ड अपने बेटे से चुदते देखने की अभी बस मुझे तेरी गान्ड देखनी है रे राजा"
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Re: गाँव मे मस्ती

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मेरी पैंट उतार कर उसने मेरे चूतडो पर हाथ फेरा और उन्हें ऐसे दबाया जैसे गेंदे हों "आहा क्या गान्ड हे रे तेरी अनिल राजा! एकदम मख्खन साली छोकरियों की भी इतनी प्यारी नहीं होती" कहकर वह झुककर मेरे नितंब चूमने लगा फिर आवेश मे आकर वह उन्हें बेतहाशा चाटने लगा और सीधे मेरी गान्ड के छेद मे नाक डालकर सूंघने लगा जैसे उसमे इत्र भरा हो सूंघ कर फिर मेरी गान्ड मे उसने जीभ डाल दी

मुझे गुदगुदी हुई तो मैं हँसने लगा "छोड़ रघू, गुदगुदी होती है" मैंने उसका सिर हटाने की कोशिश की पर उसकी ताक़त के आगे मेरी क्या चलने वाली थी ज़ोर ज़ोर से वह मेरी गान्ड चूसता रहा मुझे मज़ा आ रहा था इसलिए ज़रा सा नखरा करके छूटने की दिखाऊ कोशिश करके मैं गान्ड चुसवाता रहा आख़िर अपने आप पर उसने किसी तरह काबू किया और उठ बैठा

"क्या माल है राजा तू मैं तो कच्चा चबा जाऊ तुझे! तेरा गुलाम हो कर रहूं पर चल बहुत हो गया स्कूल भी जाना है" कहकर वह टाँग लंबी करके बैठ गया और मुझे खींच कर मेरा सिर अपनी जाँघ पर लेकर अपना तन्नाया लौडा मेरे होंठों और गालों पर फेरता हुआ बोला "अब चूस ले मुन्ना और देख, मैं झड़ूँगा तो मुँह से गिराना नहीं सब निगल लेना वीर्य मे बड़ी ताक़त होती है तू खा के देख स्वाद भी झकास लगेगा तुझे, फिर मेरे आगे पीछे घुमा करेगा हमेशा- रघू दादा लौडा चुसाओ कहकर"

मैंने मुँह खोल कर फिर उसका सुपाडा निगला और चूसने लगा रघूने एक हाथ से मेरे सिर को थामा और दूसरे हाथ से लंड का डंडा मुठ्ठी मे पकडकर सडका लगाने लगा उसकी साँसें अब तेज चल रही थीं मैं साँस रोके चूस रहा था और वीर्य के फवारे का इंतजार कर रहा था डर लग रहा था कि जाने कैसा लगे? अगर अच्छा नहीं लगा और थूक दिया तो रघू बुरा मान जाएगा

सुपाडा अचानक मेरे मुँह मे ऐसे फूल गया जैसे गुब्बारा हो "देख मुन्ना, अब झडता हूँ, मेरी बात याद रखना आहह हाईईईई " कहकर रघू झड गया गरमा गरमा चिपचिपे वीर्य की पिचकारी सी मेरे मुँह मे छूट पडी उसकी धार इतनी तेज थी कि कुछ बूँदें तो सीधे फवारे जैसी मेरे गले मे चली गयीं

उस चिपचिपे द्रव्य की मुझे पहले थोड़ी उबकाई आई पर मन कड़ा करके मैंने रघू का वीर्य निगलाना शुरू किया जब स्वाद लिया तो मज़ा आ गया; खारी कसैली मलाई जैसा स्वाद था खुशबू तेज और सिर घुमा देने वाली थी मेरा लंड खड़ा हो गया मैंने आँखें बंद की और चूस चूस कर रघू का वीर्य पीने लगा बहुत अच्छा लग रहा था अब मैं समझा कि उन गंदी कहानियों मे औरतें कैसे लंड चूसने को बेताब रहती थीं मैंने अब उसका लंड ऐसे चूसा जैसे गंडरी हो एक भी बूँद मैं छोड़ना नहीं चाहता था
जब उसका लंड ठंडा हो गया तो उसने मेरे मुँह से उसे निकाला लंड बिलकुल सॉफ था, एक भी बूँद वीर्य की नहीं बची थी रघू खुश हो गया "शाबास मुन्ना, सही चूसा तूने मज़ा आया? स्वाद मिला?" मैंने सिर हिलाया तो मेरी आँखों मे झलकती तृप्ति देख कर वह मस्त हो गया "अब देख तेरे साथ क्या मज़ा करता हूँ चल कपड़े पहन ले और स्कूल चल"

मेरा लंड खड़ा था मज़ा आ रहा था मैंने मचल कर कहा "रघू, तू भी फिर एक बार चूस ले ना मेरा लंड "
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Re: गाँव मे मस्ती

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उसने अपनी धोती ठीक की और मुझे पैंट पहनाते हुए बोला "अब नहीं मेरे मुन्ना राजा अब ज़रा सबर कर अब शाम को स्कूल छूटने के बाद मज़ा करेंगे मेरी अम्मा के लिए भी तो कुछ माल रख और देख, स्कूल मे मुठ्ठ नहीं मारना"

मुझे स्कूल छोड़कर रघू चला गया मैं बहुत खुश था मुँह मे अब भी रघू के वीर्य का स्वाद था उसके लंड को याद कर कर के मेरा और खड़ा हो रहा था एक दो बार लगा कि बाथरूम जाकर मुठ्ठ मार आऊ पर रघू को दिए वायदे को याद करके मैं चुप रहा

आख़िर स्कूल छूटा और मैं बस्ता उठा कर भागा रघू मुझे लेने आया था मैं साइकिल पर बैठा और हम चल दिए बीच मे अकेले मे साइकिल रोक कर रघू ने मुझे चूम लिया सॉफ था कि उसे मेरे चुंबन लेने मे बहुत मज़ा आता था अपने मुँह मे मेरे होंठ लेकर वह मन लगा कर चूस रहा था उसका लंड खड़ा होकर मेरी पीठ पर धक्के दे रहा था
"रघू, लंड चूसने दे ना" चुंबन ख़टमा होने पर मैंने ज़िद की एक गहरी साँस लेकर वह फिर साइकिल चलाते हुए बोला "अब घर जाकर अम्मा इंतजार कर रही होगी"

हम घर आए तो माँ अपने कमरे मे सिर पर पट्टी बाँध कर लेटी थी मंजू उसका सिर दबा रही थी "क्या हुआ माँ" मैंने पूछा

"अरे कुछ नहीं बेटा, तेरी माँ की माहवारी शुरू हो गई है, उसे बड़ी तकलीफ़ होती है इन दिनों मे तू बता, मेरे बेटे ने ठीक से स्कूल छोड़ा या नहीं तुझे?" मंजू बाई बोली उसकी आँखों मे शैतानी की चमक थी माँ ने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाई "हाँ अनिल बेटे अच्छा लगा तुझे? तेरा ख़याल रखा ना रघू ने?"

मैं क्या कहता, शरमा गया चुपचाप रघू की ओर देखने लगा मेरे चेहरे की खुशी और लज्जा से दोनों औरतें समझ गयीं और हँसने लगीं रघू भी बोला "मालकिन, मुन्ना को मस्त मलाई खिलाई मैंने मैंने भी खाई बड़ा मज़ा आया बहुत प्यारा बच्चा है अम्मा, एकदमा सही!" कहकर उसने उंगली और अंगूठा मिलाकर मेरी दाद दी

"चलो, अच्छा हुआ अब मैं तो बीमार हूँ, ऐसा करो मंजू बाई, तुम और रघू दो तीन दिन यहीं मुन्ना के कमरे मे सो जाओ उसका मन बहलाओ अनिल बेटे, जा अपने कमरे मे मंजू बाई को अभी भेजती हूँ और देख, उनकी सब बातें सुनना जो कहें वह करना कुछ गडबड की तो हाथ पैर बाँध कर चाबुक से मारूँगी" माँ ने मुझे धमकी दी

"नहीं अम्मा, रघू दादा मुझे बहुत प्यार करता है मैं कुछ नहीं करूँगा" मैंने खुशी खुशी कहा और वहाँ से भाग लिया मंजू बाई ने रसोई मे नाश्ता बना कर रखा था मैंने खाया और कमरे मे आकर अपने पलंग पर लेट गया मन मे खुशी की लहर दौड रही थी लंड कस कर खड़ा था लग रहा था कि मुठ्ठ मार लूँ पर अपने आप पर कम्ट्रोल करके पड़ा रहा

थोड़ी देर मे मंजुबाई कमरे के अंदर आई दरवाजा लगाकर मेरे पास आकर बैठ गयी "तो मज़ा आया मेरे बेटे का लंड चूस कर मुन्ना?" आँख मारकर मुस्कराते हुए उसने पूछा

मैं शरमा कर बोला "हाँ बाई, बहुत स्वाद आया"

अपनी चोली उतारते हुए मंजू बोली "रघू कहा रहा था कि तू जनमजात गान्डू और चुदक्कड है, इतना मस्त चूसा तूने उसका लौडा पहली बार मे कि तुझ पर मर मिटा है वह कह रहा था कि साधी हुई रंडियाँ भी इतना मस्त नहीं चुसतीं" अपनी प्रशंसा सुनकर मैं और शरमा गया पर अब मेरी आँखें मंजू बाई पर लगी हुई थीं
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