Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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jay
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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Jemsbond wrote:marvelous stories, give bigger updates

thanks bro keep reading
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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friends next stori is Bura na mano holi hai
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jay
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बुरा न मानो होली है --1

ये घटना बस इस होली की है. 6 साल के बाद मै होली मे अपने घर पर था. मेरी उम्र 19 साल की है. मै अपने शहर से बहुत दूर एक कौलेज मे तकनीकि की पढाइ कर रहा हु. हडताल होने के कारण कौलेज एक महीने के लीये बन्द हो गया था.

सारे त्योहारो मे मुझे ये होली का उत्सव बिलकुल पसन्द नहीं है. मै ने पहले कभी भी होली नही खेला. पिछले 6 साल मै ने होस्तेल मे ही बिताया. मेरे अलाबा घर मे मेरे बाबुजी और मां है. मेरी छोती बहन का विवाह पिछले साल हो गया था. कुछ कारण् बस मेरी बहन रेनु होली मे घर नही आ पायी. लेकिन उसके जगह पर हमांरे दादाजी होली से कुछ दिन पहले हमांरे पास हुमसे मिलने आ गये थे. दादा कि उम्र करीब 61-62 साल है, लेकिन इस उम्र मे भी वे खुब हट्टे कटःठे दिखते थे. उनके बाल सफेद होने लगे थे लेकिन सर पर पुरे घने बाल थे. दादा चश्मा भी नही पहनते थे. मेरे बाबुजी की उम्र करीब 40-41 साल की होगी और मां कि उम्र 34-35 साल की. मां कहती है कि उसकी शादी 14 वे साल मे ही हो गयी थी और साल बितते बितते मै पैदा हो गया था. मेरे जनम के 2 साल बाद रेनु पैदा हुयी .

अब जरा मां के बारे मे बताउ. वो गाव मे पैदा हुयी और पली बढी. पांच भाइ बहन मे वो सब्से छोटी थी. खुब गोरा दमकता हुआ रंग. 5’5” लम्बी, चौडे कन्धे , खुब उभरी हुयी छाती, उथा हुआ स्तन और मस्त, गोल गोल भरे हुये नितम्ब. जब मै 14 साल क हूआ और मर्द और औरत के रिस्ते के बारे मे समझने लगा तो जिसके बारे मे सोचते ही लौडा खडा हो जाता था वो मेरी मां मांलती ही है. मैने कई बार मांलती के बारे मे सोच सोच कर हत्तु मांरा होगा. लेकिन ना तो कभी मांलती का चुची दबाने का मौका मिला ना ही कभी उसको अपना लौडा ही दिखा पाया. इस डर से क़ि अगर घर मे रहा तो जरुर एक दिन मुझसे पाप हो जायेगा , 8 वी क्लास के बाद मै जिद्द कर होस्तेल मे चला गया. मां को पता नहीं चल पाया कि इकलौते बेटे क लौडा मां कि बुर के लीये तरपता है. छुट्टियो मे आता था तो चोरी छिपे मांलती की जवानी का मज़ा लेता था और करीब करीब रोज रात को हत्तू मांरता था. मै हमेशा ये ध्यान रखता था कि मां को कभी भी मेरे उपर शक ना हो. और मां को शक नही हुआ. वो कभी कभी प्यार से गालो पर थपकी लगाती थी तो बहुत अछा लगता था. मुझे याद नही कि पिछले 4-5 सालो मे उसने कभी मुझे गले लगाया हो.

अब इस होली कि बात करे. मां सुबह से नास्ता , खाना बनाने मे व्यस्त थी. करीब 9 बजे हुम सब यानी, मै , बाबुजी और ददाजी ने नास्त किया और फिर मां ने भी हुम लोगों के साथ चाय पिया. 10-10.30 बजे बाबुजी के दोस्तो का ग्रूप आया . मै छत के उपर चला गया. मैने देखा कि कुछ लोगों ने मां को भी रंग लगाया. दो लोगों ने तो मां की चुत्तरो को दबाया, कुछ देर तो मां ने मजा लिया और फिर मां छटक कर वहा से हट गयी. सब लोग बाबुजी को लेकर बाहर चले गये . दादाजी अपने कमरे मे जाकर बैठ गये.

फिर आधे घंटे के बाद औरतो का हुजुम आया. करीब 30 औरते थी. हर उम्र की. सभी एक दुसरे के साथ खुब जमकर होली खेलने लगे. मुझे बहुत अछा लगा जब मैने देखा कि औरते एक दुसरे का चुची मसल मसल कर मजा ले रही है..कुछ औरते तो साया उठा उठा कर रंग लगा रही थी. एक ने त0 हद्द ही कर दी. उसने ने अपना हाथ दूसरी औरत के साया के अन्दर डाल कर बूर को मसला. कुछ औरतो ने मेरी मां मांलती को भी खुब मसला और उनकी चुची दबाइ. फिर सब कुछ खा पीकर बाहर चली गयी. उन औरतो ने मां को भी अपने साथ बाहर ले जाना चाहा लेकिन मां उनके साथ नही गई. उनके जाने के बाद मां ने दरवाजा बन्द किया . वो पुरी तरह से भींन्ग गई थी. मां ने बाहर खडे खडे ही अपना साडी उतार दिया. गीला होने के कारण साया और ब्लौज दोनो मां के बदन से चिपक गया था. कसी कसी जांघे , खुब उभरी हुई छाती और गोरे रंग पर लाल और हरा रंग मां को बहुत ही मस्त बना रहा था. ऐसी मस्तानी हालत मे मां को देख कर मेरा लौडा टाइट हो गया. मैने सोचा , आज अछा मौका है. होली के बहाने आज मां को बाहों मे लेकर मसलने का. मैने सोचा कि रंग लगाते लगाते आज चुची भी मसल दुंगा. यही सोचते सोचते मै नीचे आने लगा. जब मै आधी सीढी तक आया तो मुझे आवाज सुनाइ पडी,

ददाजी मां से पुछ रहे थे, “ विनोद कहाँ गया...” ”मांलुम नही, लगता है, अपने बाप के साथ बाहर चला गया है.” मां ने जबाब दिया.

मां को नही मांलुम था कि मै छत पर हूं और अब उनकी बाते सुन भी रहा हूं और देख भी रहा हूं. मैने देखा मांलती अपने ससुर के सामने गरदन झुकाये खडी है. दादाजी, मां के बदन को घूर रहे थे. तभी दादाजी ने मां के गालो को सहलाते हुये कहा,

“मेरे साथ होली नही खेलोगी?”

मै तो ये सुन कर दंग रह गया. एक ससुर अपनी बहु से होली खेलने को बेताब था. मैने सोचा, मां ददाजी को धक्का देकर वहा से हट् जायेगी लेकिन साली ने अपना चेहरा उपर उठाया और मुस्कुरा कर कहा,

“ मैने कब मना किया है ? “
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jay
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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कहकर मां वहां से हट गई . दादाजी भी कमरे के अन्दर गये और फिर दोनो अपने अपने हाथों में रंग लेकर वापस वही पर आ गये . दादाजी ने पहले दोनो हाथों से मां की दोनो गालों पर खुब मसल मसल कर रंग लगाया और उसी समय मां भी उनके गालो और छती पर रंग रगडने लगी. दादाजी ने दुबारा हाथ मे रंग लिया और इस बार मां की गोल गोल बडी बडी चुचीओ पर रंग लगाते हुये चुचीओ को दबाने लगे. मां भी सिसकारती मांरती हूई दादा के शरीर पर रंग लगा रही थी. कुछ देर तक चुचीओ को मसलने के बाद दादाजी ने मां को अपनी बाहों मे कस लीया और चुमने लगे. मुझे लगा मां गुस्सा करेगी और दादा को डांटेगी लेकिन मैंने देखा क़ि मां भी दादा के पाव पर पाव चढा कर चुमने मे मदद कर रही है. चुम्मा लेते लेते दादा का हाथ मां की पीठ को सहला रहा था और हाथ धीरे धीरे मां कि सुडौल नितम्बो की ओर बढ रहा था . वे दोनो एक दुसरे को जम कर चुम रहे थे जैसे पति , पत्नि हो. अब दादा मां कि चुत्तरो को दोनो हाथो से खुब कस कस कर मसल रहे थे और यह देख कर मेर लौडा पैंट से बाहर आने को तडप रहा था. क़हां तो मै यह सोच कर नीचे आ रहा था कि मै मां की मस्त गुदाज बौडी का मजा लुंगा और कहां मुझसे पहले इस हरामी दादा ने रंडी का मजा लेना शुरु कर दिया. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. मन तो कर रहा था कि मै दोनो के सामने जाकर् खडा हो जाऊँ. लेकीन तभी मुझे दादा कि आवाज सुनाई पडी.

“ रानी, पिचकारी से रंग डालुं ?”

दादा ने मां को अपने से चिपका लिया था. मां का पिछबारा दादा से सटा था और मुझे मां का सामने का मांल दीख रहा था. दादा का एक हाथ चुची को मसल रहा था और दुसरा हाथ मां के पेरु को सहला रहा था.

“अब भी कुछ पुछने की जरुरत है क्या..”

मां का इतना कहना था कि दादा ने एक झट्के मे साया के नाडे को खोल डाला और हाथ से धकेल कर साया को नीचे जांघो से नीचे गिरा दिया. मै अवाक था मां के बूर को देखकर . मां ने पैरो से ठेल कर साया को अलग कर दिया और दादा का हाथ लेकर अपनी बूर पर सहलाने लगी. बूर पर बाल थे जो बूर को ढक रखा था. दादाजी की अंगुली बूर को कुरेद रही थी और मां अपनी हाथो से ब्लाउज का बटन खोल रही थी. दादा ने मां के हाथ को अलग हट्या और फटा फट सारे बटन को खोल दिया और ब्लाउज को बाहर नीकाल दिया. अब मां पूरी तरह से नंगी थी. मैने जैसा सोचा था चूची उससे भी बडी बडी और सुडौल थी. दादा आराम से नंगी जबानी का मजा ले रहे थे. मां ने 2-3 मिनट दादा को चुची और चूत मसलने दिया फिर वो अलग हुई और वही फ्ल्लोर पर मेरी तरफ पाव रखकर लेट् गई. मेरा मन कर रहा था और जाकर चूत मे लौडा पेल दू. तभी दादा ने अपना धोती और कुर्ता उतारा और मां के चेहरे के पास बैठ गये. मां ने लन्ड को हाथ मे लेकर मसला और कहा,

“पिचकारी तो दिखता अछ्छा है लेकिन देखे इसमे रंग कितना है...” लन्ड को दबाते हुये कहा,

“देर मत करो, वे आ जायेंगे तो फिर रंग नही डाल पाओगे.”

और फिर, दादा पाव के बीच बैठ कर लन्ड को चूत पर दबाया और तीसरे धक्के मे पुरा लौडा बूर के अन्दर चला गया. क़रीब 10 मिनट् तक मां को खुब जोर जोर से धक्का लगा कद चोदा. उस रन्डी को भी चुदाई का खुब मजा आ रहा था तभी तो साली जोर जोर से सिसकारी मांर मांर कर और चुत्तर उछाल उछाल कर दादा के लंड के धक्के का बराबर जबाब दे रही थी. उन दोनो की चुदाई देखकर मुझे विशवास हो गया था कि मां और दादाजी पहले भी कई बार चुदाई कर चुके है...

”क्या राजा, इस बहु का बूर कैसा है, मजा आया कि नही ?” मां ने कमर उछालते हुये पूछा.

“मेरी प्यारी बहू , बहुत प्यारी चूत है और चूची तो बस, इतनी मस्त चुची पहले कभी नही दबाई.”

दादाजी ने चुची को मसलते हुये पेलना जारी रख्हा और कहा,

“रानी, तुम नही जानती, तुम जबसे घर मे दुल्हन बन कर आई, मै हजारो बार तुम्हारे चूत और चुची का सोच सोच कर लंड को हिला हिला कर तुम्हारा नाम ले ले कर पानी गिराता हूं. “

दादा ने चोदना रोक कर मां कि चुची को मसला और रस से भरे ओंठों को कुछ देर तक चूसा. फिर चुदाई सुरू की और कहा,

“ मुझे नही मांलुम था कि एक बार बोलने पर ही तुम अपना चूत दे दोगी.., नही तो मै तुम्हे पहले ही सैकडो बार चोद चुका होता.”

मुझे बिस्वास नही हुआ कि मां दादा से पहली बार चूद रही है. दादा ने एक बार कहा और हरामजादी बिना कोई नखरा किये चुदाने के लिये नंगी हो गयी और दादा कह रहे है कि आज पहली बार ही मां को चोद रहे हैं. लेकिन तब मां ने जो कहा वो सुनकर मुझे बिसवास हो गया कि मां पहली बार ही दादा से मरवा रही है.

मां ने कहा, “ राजा, मै कोई रंडी नहीं हूं. आज होली है, तुमने मुझे रंग लगाना चाहा, मैने लगाने दिया, तुमने चुची और चूत मसला, मैने मना नहीं किया, तुम्ने मुझे चूमां और मैने भी तुमको चुमां और तुम चोदना चाह्ते थे, पिचकारी दालना चाहते थे तो मेरी चूत ने पिचकारी अन्दर ले लीया. तुम्हारी जगह कोइ और भी ये चाहता तो मै उस से भी चूदवाती. चाहे वो राजा हो या नौकर . होली के दिन मेरा मांल , मेरी चूत, मेरी जवानी सब के लिये खुली है........”

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मां ने दादा को अपनी बांहो और जांघो मे कस कर बांधा और फिर कहा,

मां ने दादा को अपनी बांहो और जांघो मे कस कर बांधा और फिर कहा,

“आज जितना चोदना है , चोद लो, फिर अगली होली का इंतजार करना पडेगा मेरी नंगी जवानी का दर्शन करने के लिये.”

मां की बात सुनकर मै आशचर्य था कि होली के दिन कोई भी उसे चोद सकता था..लेकिन यह जान कद मै भी खुश हो गया. कोई भी मे तो मै भी आता हूं. आज जैसे भी हो , मां को चोदुंगा ही. ये सोच कर मै खुश था और उधर दादाजी ने मां की चूत मे पिचकारी मांर दी. बुर से मलाई जैसा गाढा दादाजी का रस बाहर नीकल रहा था और दादाजी खुब प्यार से मां को चुम रहे थे.

क़ुछ देर बाद दोनो उठ गये .

“कैसी रही होली...” मां ने पुछा. “ आप पहले होली पर हमांरे साथ क्यो नही रहे. मैने 12 साल पहले होली के दिन सबके लिये अपना खजाना खोल दिया था. “

मां ने दादा के लौडा को सहलाया और कहा, “ अभी भी लौडे मे बहुत दम है, किसी कुमांरी छोकडी का भी चूत एक धक्के मे फाड सकता है.”

मां ने झुक कर लौडे को चुमां और फिर कहा, “अब आप बाहर जाईये और एक घंटे के बाद आईयेगा. मै नही चाहती कि विनोद या उसके बाप को पता चले कि मै आप से चुद्वाई हूं. “

मां वहीं नंगी खडी रही और दादाजी को कपडे पहनते देखती रही. धोती और कुर्ता पहनने के बाद दादा ने फिर मां को बांहो मे कसकर दबाया और गालो और होंठो को चुमां. कुछ चुम्मा चाटी के बाद मां ने दादा को अलग किया और कहा ,

“अभी बाहर जाओ, बाद मे मौका मिलेगा तो फिर से चोद लेना लेकिन आज ही, कल से मै आप्की वही पुरानी बहु रहुंगी.”

दादा ने चुची दबाते हुये मां को दुबारा चुमां और बाहर चले गये. मै सोचने लगा कि क्य करु.? मै छत पर चला गया और वहा से देखा दादा घर से दूर जा रहे थे और आस पास मेरे पिताजी का कोई नामो निशान नही था. मैने लौडा को पैंट के अन्दर किया और धीरे धीरे नीचे आया. मां बरामदे मे नही थी. मै बिना कोइ आवाज किये अपने कमरे मे चला गया और वहा से झांका. इधर उधर देखने के बाद मुझे लगा की मां किचन मे हैं. मैने हाथ मे रंग लिया और चुपके से किचन मे घुसा. मां को देखकर दिल बाग बाग हो गया. वो अभी भी नंग धरंग खडी थी. वो मेरी तरफ पीठ करके पुआ बेल रही थी. मां की सुदौल और भरी भरी मांसल चुत्तर को देख कर मेरा लौदा पैंट फाड कर बाहर निकलना चाहता था.

कोई मौका दिये बिना मैने दोनो हाथो को मां कि बांहो से नीचे आगे बढा कर उनकी गालो पर खुब जोर जोर से रंग लगाते हुये कहा,

“मां , होली है.” और फिर दोनो हाथो को एक साथ नीचे लाकर मां कि गुदाज और बडे बडे चुचिओ को मसलने लगा.

“ओह्ह....तु कब आया....दरवाजा तो बन्द है....छोड ना बेटा...क्या कर रहा है... मां के साथ ऐसे होली नही खेलते......ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...इतना जोर जोर से मत मसल....अह्ह्ह्ह्ह...छोड दे .....अब हो गया...”

लेकिन मै ऐसा मौका कहां छोडने बाला था. मै मां की चुत्तडों को अपने पेरु से खुब दबा कर रख्हा और चूची को मसलता रहा...मां बार बार मुझे हटने के लिये बोल रही थी और बीच बीच मे सिसकारी भी मांर रही थी..खास कर जुब मै घूंडी को जोरो से मसलता था. मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था. मै लंड को पैंट से बाहर नीकालना चाहता था. मै कस कर एक हाथ से चुची को दबाये रख्हा और दूसरा हाथ पीछे लाकर पैंट का बटन खोला और नीचे गीरा दिया. मेरा लौडा पूरा टन टना गया था. मैने एक हाथ से लंड को मां के चुत्तर के बीच दबाया और दूसरा हाथ बढा कर चूत को मसलने लगा.

“नही बेटा, बूर को मत छुओ...ये पाप है....”

लौडा को चुत्तर के बीच मे दबाये रख्खा और आगे से बूर मे बीच बाली अंगुली घुशेर दी. करीब 15-20 मिनट पहले दादा चोद कर गये थे और चूत गीली थी. मेरा मन गन –गना गया था, मां की नंगी जवानी को छु कर. मुझे लगा कि इसी तरह अगर मै मां को रगडता रहा तो बिना चोदे ही झड जाउंगा और फिर मां मुझे कभी चोदने नही देगी. यही सोच कर मैने चूत से अंगुली बाहर निकाली और पीछे से ही कमर से पकर कर मां को उथा लिया.

“ओह्ह...क्या मस्त मांल है....चल रंडी , अब तुझे जम कर चोदुंगा ...बहुत मजा आयेगा मेरी रानी तुझे चोदने मे. “

ये कहते हुये मै मां को दोनो हाथो से उठा कर बेड पर पटक दिया और उसकी दोनो पैरो को फैला कर मैने लौडा बूर के छेद पर रख्खा और खुब जोर से धक्का मांरा.

“आउच..जरा धीरे .....” मां ने हौले से कहा.

मैने जोर का धक्का लगाया और कहा ,

“ओह्ह्ह्ह....मां , तु नही जानती , आज मै कितना खुश हुं. ..” मै धक्का लगाता रहा और खुब प्यार से मां की रस से भरी ऑंठो को चूमां.

“मां, जब से मेरा लौडा खडा होना शुरु हुआ चार साल पहले तो तबसे बस सिर्फ तुम्हे ही चोदने का मन करता है. हजारों बार तेरी चूत और चुची का ध्यान कर मैने लौडा हिलाया है और पानी गिराया है..हर रात सपने मे तुम्हे चोदता हुं. ..ले रानी आज पूरा मजा मांरने दे...”
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