सेक्स करो प्यार से

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SATISH
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सेक्स करो प्यार से

Post by SATISH »


प्रिय पाठको, मैं अपने इस लेख में कुछ गुप्त ज्ञान की बातें बता रहा हूँ.

लड़का हो या लड़की हर किसी को अपने एक साथी की तलाश रहती है और वो तलाश तब तक रहती है जब तक एक अच्छा साथी मिल न जाये। किसी को सेक्स के लिए साथी की तलाश होती है तो किसी को प्यार की। किसी को टाइम पास के लिए तो किसी को ऐशो आराम के लिए साथी की तलाश होती है।

पर मेरी नज़र में मुझे ऐसे साथी की तलाश रहती है कि जो बहुत अकेला हो और जिसे सच में एक अच्छे रिश्ते की तलाश हो। जहाँ प्यार हो, अपनापन हो और सेक्स तभी हो जब दोनों तरफ रजामंदी हो। इसी सोच के साथ मैंने आज तक जितने भी रिश्ते जीवन में अपनाये उन्हें बखूबी निभाये। पर किस्मत कब किसका साथ छुड़वा दे ये कहना मुश्किल है।
सबने सेक्स को लेकर बहुत से भ्रम पाल रखे हैं। जिसकी कई जानकारी तो मैं अपनी पहले की पोस्ट में डाल चुका था पर कुछ अलग ही समस्या से पीड़ित थे। खैर आज मैं यहाँ कुछ ऐसी जानकारी लेकर आया हूँ कि वो बहुत ही आप सबके उपयोगी होगी।

हमसफ़र को संतुष्ट कैसे करें
दोस्तो, सबसे पहले तो एक बात ध्यान रखो कि सेक्स संतुष्टि ही सब कुछ नहीं होती है। सबसे पहले तो आप उसकी हर छोटी-छोटी चीजों का ख्याल रखो कि उसे क्या पसंद है क्या नहीं, ये जानना बेहद जरूरी है।

कभी भी जीवन साथी या प्रेमी/प्रेमिका के साथ किसी भी बात को लेकर दबाव मत बनाओ। अगर लड़की को लंड चूसना नहीं पसंद है तो उसे उसके लिए जबरदस्ती न करे। बल्कि उसे ऐसे वीडियो दिखाओ कि वो खुद उसके लिए राजी हो।
बिना साफ़ किये लंड को कभी भी लड़की के मुँह में न दे। ऐसा करने से वो कभी आपका लंड मुँह में नहीं लेगी। जब तक आप अपने साथी का ख्याल नहीं रखेंगे वो कभी भी सेक्स में आपका साथ नहीं देगी/देगा।

लड़के हमेशा सेक्स में हायपर हो जाते हैं और सोचते हैं कि बस अब तो सारा पानी लड़की के मुँह में ही निकाल दूँ। पर ऐसा करने से पहले अपने हमसाथी को उस रूप से परिपक्व भी करना जरूरी है।

लड़की कई बार लड़के के द्वारा अधूरी चुदाई से परेशान हो जाती है, पर वो परेशान होने की जगह उस लड़के से उसकी समस्या को पूछे और उसका साथ दे। कई बार नर्वस हो जाने पर लड़का जल्दी परेशान भी होने लगता है। अपने साथी का ख्याल आपको भी रखना होगा। अगर उसका जल्दी पानी छुट जाता है तो उसे सेक्स के समय कहें कि धीरे धीरे प्यार से सेक्स करे और आप भी जब वो लंड चूत में डाल रखा हो तो चूत के ऊपर बने दाने को रगड़ते रहें। इससे आपकी चूत जल्दी पानी छोड़ देगी और आपको कभी नहीं लगेगा कि उसने पानी जल्दी छोड़ दिया।

आप लड़के को सेक्स में कॉपरेट करे और जिस लड़के का पानी जल्दी छुटता है तो उसे कहो कि मैं लंड अभी नहीं चूसूंगी अन्यथा तुम्हारा पानी पहले ही छुट जायेगा। अत: तुम पहले मुझे फारिग करो और फिर मैं तुम्हारे लिए सब करती हूँ। इससे वो पहले आपको रोमांस और प्यार कर फारिग करेगा और फिर बाद में स्वयं होगा।

सेक्स करते वक्त मन को सेक्स के साथ, ओरल और फॉर प्ले की तरफ भी लगाओ। जितना फॉर प्ले होगा, सेक्स उतना ही शानदार होगा। लड़के को लड़की के बदन का कोई हिस्सा नहीं छोड़ना चाहिये और पैर से लेकर उंगली उसे चाट जाना चाहिए। इससे लड़की ज्यादा रोमांचित होगी।

मैं आपको अपनी एक सेक्स कहानी बताता हूँ जो मेरी और मेरी एक दोस्त के बीच हुई; शायद आप इससे समझ जायेंगे सेक्स में संतुष्ट कैसे किया जाता है।

मेरी एक दोस्त थी, नाम था नम्रता, हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।
एक बार हम दोनों साथ में खंडाला गये और वहाँ पहुँच कर हमने एक डबल बेड का रूम बुक करवाया। हम दोनों दोस्त थे और वो भी बहुत अच्छे वाले।

पूरे दिन खंडाला घूमे और फिर होटल आकर रूम में चले गये। हम दोनों खुले विचारों वाले थे तो मैंने हम दोनों के लिए एक एक बियर ऑर्डर की और साथ में कुछ खाने को मँगवाया। हम दोनों ने कपड़े बदले और एक दूसरे से बातें करने लगे।

मैं उस वक्त शोर्ट नेकर और बनियान में था और नम्रता ने शॉर्ट्स नेकर और टीशर्ट पहन रखी थी।

नम्रता के बारे में बता देता हूँ पहले। नम्रता एक मॉडलिंग करने वाली लड़की है और हमारी दोस्ती किसी एक इवेंट में हुई थी और धीरे धीरे हमारी दोस्ती ज्यादा क्लोज हो गयी। नम्रता और मेरी उम्र दोनों की उस समय बराबर ही थी और यह बात लगभग 4 साल पहले की है।

नम्रता की हाईट करीब 5’7″ और उसके चूचे 34 के करीब थे। सच कहूँ वो जन्नत से कम नहीं थी, दूधिया जैसी सफेद और एकदम परी जैसी; बड़े-बड़े नाख़ून और उन पर नेल पॉलिश। सुंदर पैर और बड़े बड़े बाल, आँखें उसकी एक दम हिरनी जैसी, एक अप्सरा से कम नहीं थी वो।
जब पहली बार मैंने उसे देखा था तो मैं उसे बार-बार देखता ही रहा।

खैर अभी कहानी पर आते हैं हम… वो मेरे सामने बैठी और मैं उसके सामने और एक रजाई में हम दोनों पैर डाल बैठे थे और एक दूसरे से मस्ती भरी बातें कर रहे थे।

बियर रूम में आ चुकी थी और हम दोनों केन को ओपन कर बियर पीने लगे और एक दूसरे मस्ती करने लगे। हमारी मस्ती हमें रोमांचित कर रही थी और मुझे सच में मस्ती, मजाक और बातें करना बेहद पसंद है।
हमारी मस्ती बढ़ती जा रही थी और एक दूसरे को करीब लाती जा रही थी। बियर का नशा ज्यादा नहीं था क्योंकि मुझे तो वैसे भी दो तीन बियर से नशा होता नहीं है। पर उसे जरूर थोड़ा शरूर होने लगा।

रूम में हमने टीवी ओन कर म्यूजिक वाला चैनल चला लिया और उन गानों पर डांस करने लगे।
हम दोनों को ज्यादा ही अच्छा लगने लगा और एक दूसरे से मस्ती करते-करते भूल गये हैं दोस्त है। एक दूसरे को बाँहों में भर कर एक दूसरे के करीब आ गये। मस्ती चढ़ चुकी थी और मन भी रोमांस की ओर बढ़ रहा था।

पता नहीं नम्रता को क्या हुआ, उसने मेरे होंठ पर होंठ रख दिये और किस कर लिया। मुझे भी अच्छा लगा, मैंने भी वही दोहराया। वो जैसा करती, मैं वैसे करने लगा और अब तो बात इतनी आगे बढने लगी कि हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गये और स्मूच होने लगा।

मजा आ रहा था और बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों एक दूसरे को कई देर तक किस करने में लगे रहे और पता नहीं कब एक दूसरे को बाँहों में लेकर बिस्तर पर लेट गये। नम्रता मेरे ऊपर लेटकर मेरे होंठों को चूसती ही जा रही थी और मेरा हाथ उसके कूल्हों पर फिरने लगे तो कभी उसकी कमर पर।

अब तो मन बहुत आगे बढ़ने को इशारा करने लगा, पर जब तक नम्रता की तरफ कोई इशारा न मिले, मेरा आगे बढ़ना भी उचित नहीं लग रहा था। मैं बस उसके जवाब की प्रतीक्षा में उसके साथ किस करने में ही लगा रहा।
नम्रता अब मेरे होंठों को छोड़ मेरे गालों को काटने लगी और धीरे धीरे वो नीचे की ओर जाने लगी। उसे पता नहीं कैसा भूत सवार हुआ कि उसने मेर बनियान निकालने की जगह फाड़ दी और मेरे सीने पर किस करने लगी; मेरे दोनों निपल्स को मुँह में लेकर बारी चूसने लगी।

मैं समझ चुका था कि आज रूम में घमासान चुदाई की दास्ताँ लिखी जाएगी।

नम्रता पागलों की मुझे हर जगह काटने लगी। मैंने उसे गोद में उठाया और सीधे बाथरूम में ले गया और बाथटब में लेटा कर पानी चालू कर दिया और खुद भी उसमें आ गया।
नम्रता बोली- सतीश कपड़े भीग जायेंगे ऐसे तो सारे।
मैंने कहा- निकाल दो।
तो वह बोली- यह काम तुम ही करो ना फिर तो।

मैंने अपना शॉर्ट्स निकाल दिया तो नम्रता बोली- ये भी तो निकाल दो।
मैंने कहा- चड्डी तो रहने दे यार।
तो वो बोल पड़ी- नहीं, ये भी निकाल।

मैंने उसकी बात को समझ चड्डी निकाल दी। मेरा लंड तो पहले से ही तोप की तरह सलामी देने को तैयार था, जैसे ही चड्डी निकाली वो झटके से बाहर आया।

नम्रता मेरे लंड को निहारने लगी, वो बोली- सतीश, मैंने पहली बार पेनिस देखा है।
मैंने कहा- सच में? या झूठ बोल रही है?
नम्रता बोली- सतीश, सच कह रही हूँ… बच्चों की नुनु तो कई बार देखी है पर पेनिस आज पहली बार देखा है।

मैं समझ चुका था कि नम्रता पहली बार आज मेरे साथ सेक्स करेगी और मुझे भी लगने लगा इसे ऐसा सेक्स दूँ कि ये जब भी सेक्स करे तो मुझे याद करे।

मैंने नम्रता को बाथटब से उठाया और उसे खड़ा किया अपने पास और उसके जिस्म पर उंगली फेरने लगा और उसकी टीशर्ट निकालते हुए उसके जिस्म को निहारने लगा।

नम्रता ने ब्रा नहीं पहनी थी तो टीशर्ट निकालते ही बूब्स आजादी का अनुभव करते हुए हिलने लगे। उसके बूब्ज़ की गुलाबी निप्पल सच में इतनी मोहक थी कि मैं भूल ही नहीं सकता। मैंने ज्यादा समय व्यक्त न कर उसके शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया।

यह क्या… नम्रता ने तो पेंटी भी नहीं पहन रखी थी।
मैं बोला- नम्रता ये क्या, तूने तो नीचे कुछ नहीं पहना?
नम्रता बोली- सतीश, मैं रात को तो कभी कुछ पहनती ही नहीं सोते वक्त। घर पर तो बिना कपड़ों के ही सोती हूँ हमेशा। तेरे साथ थी तो टीशर्टस और शॉर्ट्स पहन लिया।

मैं फिर उसकी बात को बीच रोकते हुए घुटनों के बल उसकी चूत निहारने लगा। उसकी चूत हल्के बालों से घिरी हुई थी और चूत बिल्कुल अनछुई रूप से मुझे निहार रही थी। मैंने चूत की दोनों फाँक को खोलने की कोशिश की तो नम्रता ने पैर बंद कर लिए।
मैंने सोचा कि जल्दी नहीं, पहले इसे प्यार करता हूँ।

मैं नम्रता को वापस बाथ टब में अपनी गोद में लेकर बैठ गया और पानी से भरे टब में उसके साथ रोमांस करने लगा। अब हम एक दूसरे को किस करने लगे और एक दूसरे के साथ मस्ती। मैंने अपना लंड एकदम से साबुन लगाकर कर साफ़ किया और नम्रता की चूत को भी साफ़ की।

नहाकर हम नंगे ही रूम में आये और एक दूसरे को बिना कपड़े से पूछे ही बिस्तर पर ले गये। गीले शरीर से मस्ती करने में ज्यादा मजा आ रहा था। नम्रता अपने गीले बालों से बार बार मेरे चेहरे पर डाल रही थी और मैं मदहोश हो जाता।

मैंने नम्रता को सीधा लेटाया और तौलिये से उसका पूरा जिस्म साफ किया और फिर तेल की बोतल अपनी बैग से निकाली और उसके पूरे शरीर पर डालने लगा। मैंने इतना तेल उसके शरीर पर डाला कि जम कर उसके शरीर पर फिसल सकूं।

तेल डाल कर मैं उसके शरीर पर मालिश करने लगा, उसे अच्छा लगने लगा। उसकी नाभि में तेल डाल कर उसे खूब देर तक प्यार किया। फिर तेल को पूरी शरीर पर मालिश के रूप में कर मैं उसके पैरों की उंगली के पास आकर उन्हें चाटने लगा।
मैं पैरों की उँगलियों को चाट रहा था और वो सिसकारियां ले रही थी।

मैं पैरों की सभी उंगलियों को चाट कर फिर धीरे धीरे ऊपर बढ़ने लगा और जाँघ तक पहुँचने में भी वक्त लग गया। उसकी जाँघ मेरे चाटने से गीली हो चुकी थी। मैं किस करते करते करते और पैरों को चाटते-चाटते उसके पैरों के बीचों बीच लेट गया और उसकी चूत को निहारने लगा, जाँघों पर हाथ फिराने लगा।

मैंने चूत की फाँकोको खोला और उसे सूँघने लगा और पल झपकते ही अपनी जीभ बाहर निकाली और चूत पर जीभ फिराने लगा। मैं उसकी गुलाबी चूत बहुत ही प्यार से चाट रहा था, वो अपने हाथों से मेरी चूत पर दबाव बना रही थी।
मुझे उसकी चूत बहुत प्यार लग रही थी, ऐसा लग रहा था बस चाटता रहूँ। मेरे हाथ कभी चूत पर आते तो, कभी पेट पर। कभी चूचों को दबाते हुए फिर चूत पर आ जाते।

करीब दस मिनट तक उसकी चूत को तरह तरह से चूसता रहा और चाटता रहा। नम्रता की चूत से पानी निकल रहा था पर वो चूत गीली होने की वजह से आ रहा था। कामरस अभी तक चूत ने छोड़ा नहीं था और वही मुझे लग रहा था कि पहले नम्रता को प्यार देकर उसे संतुष्ट करूँ।

मैं ज्यादा देर वहाँ न रहकर उसके ऊपर आ गया और बूब्ज़ को चूसने लगा, कभी बूब्ज़ दबाता तो कभी चूसता, कभी गर्दन के पास किस करता तो कभी पेट पर।
कमरे में तो बस नम्रता की सिसकारियां ही गूँज रही थी। वो अपने हाथों को मेरे बालों में फिराये जा रही थी।

मैं अपनी दो उंगली चूत की दोनों फाँक पर रख और धीरे-धीरे चूत को रगड़ने लगा। वो गांड उठाती कभी तो कभी उछल पड़ रही थी। उसकी आवाज तेज हो गयी थी, मैं भी समझ चुका था कि उसका कामरस आने वाला है।
मैं देर न करते हुए अपना मुंह उसकी चूत पर लगा, जीभ से चूत को फिर चाटने लगा।

काफी देर तक उससे प्यार करने के बाद उसकी चूत ने आग उगल दी और काम रस मेरे मुँह में आने लगा, मैंने उसकी पूरी चूत को चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
नम्रता बोली- प्लीज, अब देर मत करो यार, कुछ करो। अभी मन भरा नहीं है।

मैंने उसे कहा- लंड चूसो।
नम्रता ने मना कर दिया, बोली- मैंने ऐसा किया नहीं कभी… और मुझे ये सब नहीं आता यार।
मैं बोला- मैंने तेरी चूत चाटी, तुझे कैसा लग रहा था?
वो बोली- मुझे तो बहुत जायदा बढ़िया लग रहा था।
तो मैंने बोला- मुझे भी बढ़िया लगेगा।

उसे मैंने सब समझाया और उसने मेरी बात मानी। उसने मेरे लंड पर किस करनी शुरू की और फिर मुँह में लेकर चूसने की कोशिश की ही थी कि उसने मुँह हटा दिया और बोली- मुझसे नहीं होगा। फिर कभी करवा लेना प्लीज आज नहीं।
मैंने उसका मान रखा और उसकी चूत पर लंड सेट करने लगा।

नम्रता बोली- प्लीज सतीश, दर्द मत करना यार!
मैं बोला- तू फ़िक्र मत कर।

मैंने उसकी चूत पर खूब सारा तेल डाला और चूत के अंदर तक तेल पहुँचाने लगा।
अब वो बार बार बोलने लगी- प्लीज सतीश, प्लीज फक मी यार!

मैंने मौके की नजाकत समझी और अपना लंड उसकी चूत पर लगा, धीरे धीरे चूत पर लगा रहा था। लंड को तेल से अच्छे से भिगो दिया और चूत पर दबाव बनाने; लंड बड़ी जतन के साथ चूत में जाने की कोशिश कर रहा था। चूत उसकी ज्यादा ही टाईट थी पर मैंने सोचा अगर आज सेक्स नहीं किया तो ये मुझे चुतिया ही समझेगी।

मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रखे और एक झटके के साथ चूत में लंड को उतार दिया मैंने।
एक बार तो उसने चीखने की कोशिश की, पर मेरे होंठों से उसके होंठ बंद थे तो उसकी आवाज वही दब गयी।

अब कुछ देर मैं उस पर शांत पड़ा रहा और फिर उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा।
धीरे धीरे मैं लंड आगे पीछे कर रहा था। नम्रता की चूत पहली चुदाई का अनुभव ले रही थी। मैं अब धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर कर रहा था। नम्रता भी अब साथ देने लगी और अपने नाखूनों से मेरी पीठ पर निशान देने लगी, बार-बार मुझे काटने लगी। मुझे बेहद रोमांचित महसूस हो रहा था।

उसी दौरान मेरा लंड थोड़ा ज्यादा हावी होने लगा तो मुझे लगा अब जल्दी पानी छूट जायेगा। मैंने उसी वक्त अपना दिमाग कहीं और लगा लिया और सोचने लगा कि मैं अपने काम में व्यस्त हूँ और कुछ लिख रहा हूँ।
मैंने अपना पूरा ध्यान चुदाई से हटा, अपने काम में लगा लिया।

चुदाई से ध्यान हटने की वजह से लंड ने फिर थोड़ी सोच को बदला और अब लंड चुदाई करते जा रहा था पर पानी नहीं छुट रहा था। नम्रता गांड उछाल उछाल कर चुदाई में मशगुल हो गयी। मेरा लंड जैसे पानी निकलने वाला जैसा महसूस होता तो मैं लंड को बाहर निकाल लेता और फिर कुछ सेकंड ऐसा कर फिर चूत में डाल देता।

करीब 10 मिनट की चुदाई वो भी ध्यान भंग करने से पूर्ण हुई और मेरा लंड का सारा पानी उसकी चूत में छूट गया।

हम दोनों का पहला सेक्स करीब डेढ़ घंटे तक चला और ये चला भी इसलिए कि हम दोनों ने एक दूसरे को पूरी तरह से कॉपरेट किया और मैंने अपना ध्यान कहीं और लगाये रखा।

उस रात हमने दो बार सेक्स किया और फिर सो गये।

एक रात में सही तरीके से चुदाई करो तो दो बार से अधिक बार नहीं हो पाती है। दो बार की चुदाई इतनी थका देती है कि तीसरी बार चूत मारने का मन ही नहीं करता।
पर चुदाई को ढंग से किया जाए तो।
लड़की हो या लड़का, एक दूसरे को पूर्ण रूप से सपोर्ट करे तो उसे अच्छा लगता है।नम्रता की शादी हो चुकी है पर उसने एक बात बोली- सतीश, तुमसे किया हुआ मेरा पहला सेक्स मेरे लिए हमेशा सुहागरात से कम नहीं है। मेरे पति को सिर्फ चुदाई से मतलब है, मेरा पानी छुटा या नहीं, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है।

मेरी और नम्रता की लास्ट चुदाई उसी खंडाला में हुई थी. उसके बाद पुणे आने पर हम लोग अपने काम में व्यस्त हो गये। पन्द्रह दिन बाद उसकी सगाई हो गयी और वो सुहागरात वाले दिन ज्यादा परेशान नहीं हुई। चुदाई मेरे द्वारा करने के बाद उसके पति ने उसे वो मजा नहीं दिया जो मैंने दिया।

खैर दोस्तो, इतना ही कहूँगा कि सेक्स को प्यार से करो, और जब करो तो ऐसे करो कि दोनों एक दूसरे को पूर्ण रूप से कोपरेट कर सको। जल्दबाजी सेक्स में अच्छी नहीं होती है। जिस लड़की की चूची छोटी हो वो भी चुदाई बेहतरीन कर सकती है, और जिसका लंड छोटा हो तो वो भी। बस दोनों में सेक्स करने की ललक हो बस। पार्टनर को प्यार दो, वो हर चीज करेगा जैसा तुम चाहोगे, जैसा कहोगे। बस उसे हर ख़ुशी देने का प्रयास करो। सेक्स से ज्यादा उसकी फीलिंग्स को महत्व दो, फिर देखो चुदाई धमाकेदार होती है कि नहीं।

दोस्तो, आपको मेरी गुप्त ज्ञान की कहानी कैसी लगी?
कमेन्ट जरूर करे....सलील

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