Incest आग्याकारी माँ

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kunal
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Re: Incest आग्याकारी माँ

Post by kunal »

बहुत ही उम्दा. बढ़िया मस्त अपडेट है दोस्त

अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
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rajsharma
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Re: Incest आग्याकारी माँ

Post by rajsharma »

सतीश भाई अपडेट का इंतज़ार है
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
badlraj
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Re: Incest आग्याकारी माँ

Post by badlraj »

कहानी बहुत मस्त है मित्र । अगले अपडेट का इंतजार रहेगा।
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SATISH
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Re: Incest आग्याकारी माँ

Post by SATISH »

माँ के दोस्त की शादी में एक शादीशुदा भाभी मिल गयी जो कि मेरे ही शहर पुणे की थी वह दुल्हन की सहेली थी और शादी के लिए मुम्बई आई थी वापसी में आंटी यानी दुल्हन की माँ के कहने पर उसको सतीश ने लिफ्ट दी बारिश का मौसम था लगातार बारिश हो रही थी सतीश ने शिला को सिड्यूस करके चलती गाड़ी में चोद दिया था अब आगे...

शिला- वैसे हम डिनर पर कहाँ चल रहे हैं?
सतीश- जहाँ तुम सही समझो,

शिला- "अब हमारी पहली डेट को कुछ स्पेशल तरीके से बनानी है.. तो कुछ स्पेशल करते हैं...!!

सतीश- "किसी अच्छे और अच्छे होटल में चलते हैं,

सतीश के ऐसा कहने पर शिलाने उसके गालों पर एक किस जड़ दी और सतीश का हाथ जो कि गेयर पर था उसके ऊपर अपना हाथ रख कर उससे प्यार भरी बातें करने लगी,

बातों ही बातों में कब शिलाने अपना हाथ उठा कर सतीश की जांघ पर रख कर सहलाना चालू कर दिया.. उसे पता ही न चला,

ये सब कुछ शिलाके साथ इतने रोमांटिक तरीके से पहली बार हो रहा था,

शिला के हाथ ने सतीश की जींस के ऊपर से ही उसके लंड को दबाना देना चालू किया,

यार क्या एहसास था.. बस यही लग रहा था कि ये समय यहीं रूक जाए..

खैर.. वह तब तक रेस्टोरेंट के पास पहुँच गए तो सतीशने उसे ठीक से बैठने के लिए बोला और होटल के एंट्री-गेट पर उसे उतार कर गाड़ी पार्किंग में लगाने चला गया,

फिर जब सतीश एंट्री-गेट पर पहुँचा,
शिला- "क्यों क्या हुआ.. बड़ा समय लगा दिया तुमने..?
फिर वह लोग अन्दर गए और लिफ्ट से फ़ूड कोर्ट वाली फ्लोर पर पहुँच गए, वहाँ पर वह लोगों ने एक कपल सीट ली,

फिर वेटर आया और मेनू देकर चला गया,
सतीश- "जो तुम्हें पसंद हो.. वो मंगवा लो, आज तुम्हारे मन का ही खाऊँगा...!

तो शिला ने वेटर को बुलाया और उसे आर्डर दिया और स्टार्टर में पनीर टिक्का मंगवाया,

वह लोग एक-दूसरे के हाथों को सहलाते हुए एक-दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी वेटर पनीर टिक्का और कोल्ड ड्रिंक देकर चला गया..
जिसे वह लोगों ने खाया और एक-दूसरे को अपने हाथों से भी खिलाया,

तब तक वहा खाना भी आ चुका था, फिर वह लोगों ने खाना खाया और सतीश फिनिश करके वाशरूम चला गया,

इसी बीच शिला ने उसे सरप्राइज़ देने के लिए और उसके इस दिन को यादगार बनाने के लिए वेटर को बुलाया और उसे शैम्पेन और कुछ स्नैक्स का आर्डर दिया और साथ ही यह भी बोला कि जैसे ही सतीश अन्दर आये.. वैसे ही
‘राह में उनसे मुलाकात हो गयी.. जिससे डरते थे वही बात हो गयी..’ वाला गाना बजा देना,

इधर अब सतीश को क्या पता कि शिला ने उसके लिए क्या कर रखा है.. तो सतीश जैसे ही अन्दर पहुँचा तो गाना चालू हो गया और रेस्टोरेंट की रोशनी बिल्कुल मद्धिम हो गई.. जो कि काफी रोमांटिक माहौल सा बना रही थी,

सतीश की ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा और सतीशने जाते ही शिला को,
सतीश- "आई लव यू वेरी मच’.." बोलकर चूम लिया,

जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग क्लैपिंग करने लगे… उनको ये लग रहा था कि वह अपनी एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने आए हैं.. और लगता भी क्यों नहीं.. शिला हसीन जो थी,
वो बहुत ही खूबसूरत और कर्वी शरीर की लड़की थी.. फिर सतीशने और शिलाने ‘चीयर्स’ के साथ शैम्पेन का एक-एक पैग पिया.. इसके पहले सतीशने कई बार वाइन पी थी पर शिलाने नही...

खैर.. एक गिलास से कोई फर्क तो न पड़ा.. पर एक अजीब सा करेंट दोनों के शरीर में दौड़ गया,

खाना अदि खाने के बाद सतीश ने बिल पे किया और वेटर को टिप भी दी,
फिर वह दोनों लिफ्ट से नीचे आए और सतीश उसे वहीं एंट्री-गेट पर छोड़ कर कार लेने चला गया.. पर जब कार लेकर वापस आया तो शिला वहाँ नहीं थी,

उसके दिमाग में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे क्योंकि शिला का सर शैम्पेन की वजह से भारी होने लगा था,

सतीश बहुत ही घबरा गया कि अब मैं क्या जवाब दूँगा आंटी को अगर शिला को कहीं कुछ हो गया सोचते-सोचते उसके शरीर में पसीने की बूँदें घबराहट के कारण बहने लगीं,

सतीशने चारों ओर नज़र दौड़ाई.. पर उसे शिला नजर नहीं आई,

सतीशने उसका फ़ोन मिलाया जो कि नहीं उठा.. तीन-चार बार मिलाने के बाद भी जब फोन नहीं उठा.. तो सतीश बहुत परेशान हो गया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ.. कहाँ देखूँ..?

सतीश की कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. वह सोच में पड़ गया.. कहीं शिला को नशा तो नहीं चढ़ गया.. कहीं उसका कोई फायदा न उठा ले.. तमाम तरह के विचार मन को सताने लगे,

फिर सतीशने गाड़ी की चाभी गेटमेन को गाड़ी पार्क करने के लिए दी.. और अन्दर चला गया,

वहाँ एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी तो सतीशने उससे घबराते हुए पूछा- अभी क्या कोई लेडी अन्दर आई है?

तो वो सतीश की घबराहट को देखकर हसने लगी,
रिसेप्शनिस्ट- "अरे सर आप थोड़ा रिलैक्स हो जाइए.. लगता है मैडम से आप कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं..!

यह कहते हुए उसने अपनी सीट पर रखे पानी के गिलास को उसे दिया,
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