Incest आग्याकारी माँ
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Re: आग्याकारी माँ
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मराठी चावट कथा-सतीश(running)
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Re: आग्याकारी माँ
सतीश ने दूसरी बार में व्हिप को सामने से उसके पेट वाले हिस्से पे मारा, श्वेता फिर से चिहुंकी. सांसें श्वेता की फिर से अटक सी गईं. लेदर उसके जिस्म पे सटीक चिपक रहा था. स्लो मोशन में देखें, तो लेदर उसके नंगे स्किन पे सटाक से चिपकता और एक कम्पन के साथ वापिस आता. हर बार पे श्वेता की सांसें अटक सी जातीं.
सतीश ने उससे इस दूसरे वार के साथ बोला- “बोलो एक और बार मास्टर, आग्रह करो मारने के लिए”
उसने कांपते हुए दर्द भरी आवाज में कहा- “यस्स … प्लीजज … वन्स हम्म वन्स मोर्रर्र … मास्टर”
श्वेता की आवाज से जाहिर था कि उसे दर्द हो रहा था. लेकिन उसके चेहरे पे वासना के भाव थे.
सतीश घूमते हुए श्वेता की बायीं तरफ आया और उसके नंगे सॉफ्ट गांड पे दे मारा. श्वेता जोर से चिहुंकी.
श्वेता-‘आहह ईसस्सस … हम्म..’
सतीश- ‘से … अगेन..’
उसने एक झटके में जल्दी से बोला- “वंस मोर मास्टर”
सतीश ने उसके दूसरे गांड पे मारा. श्वेता दांत भींच कर दर्द से चिहुंक उठी.
‘आहह … उक्क..’
श्वेता की ‘आहह..’ दर्द से अटक के रह गयी. फिर एक पल बाद उसने ‘उम्मम्मम … ईस्स..’ की आवाज के साथ लंबी सांस छोड़ी.
सतीश होंठों को दांत से चबाते हुए बड़े ही कामुक लहजे में बोला- “फिर से बोलो”.
‘उम्म्म यसस्स … वंस मोर मास्टर … हम्म आहह …
उसके इस अंदाज से सतीश के अन्दर वासना की लहर सी दौड़ गयी. श्वेता किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. शायद यह वाइन के नशे का नतीजा था. श्वेता दर्द को अपना चुकी थी और अब सतीश के वार का मजा ले रही थी. साथ ही श्वेता बड़बड़ा भी रही थी- “उम्म्म … ओह … यस मास्टर … आई लाईक दैट … उम्म्मम … हम्मम … आहह … यस प्लीज मास्टर … वन्स मोर मास्टर”
ऐसा करते हुए श्वेता अपने गांड बड़े कामुक अंदाज में हिलाते हुए दांतों से होंठों को काटने लगी. वाइन के नशे ने उसे रंडी बना दिया था.
उसके इस अंदाज से सतीश भी गर्म हो गया और सतीश ने जोर से श्वेता की नंगी पीठ, उठे हुए नग्न बॉब्स, नंगे पेट, नंगी गांड, मखमली टांगों पे लगातार कई कोड़े बरसा डाले.
श्वेता बस दर्द के मारे ‘आ आहह … ओह ओ ईईईई … ऊम्म..’ करके चीखती रही. श्वेता कुतिया की तरह चिल्ला रही थी.
सतीश ने कोड़े बरसाना रोका. उसने सिसकते हुए सांस ली … श्वेता रो रही थी. श्वेता की आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामुक भाव थे. श्वेता निढाल पड़ी सांसों पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी. श्वेता की चीखें काफी तेज थीं. सतीश को लगता था कि श्वेता की तेज आवाजें आसपास के नजदीक के फ्लैट तक सुनाई पड़ी होंगी.
अब सतीश रुक गया. सतीश श्वेता की आंखों में आंसू नहीं देख सकता था. सतीश ने उससे पूछा- “आरामसे करना चाहती हो”?
श्वेता कुछ नहीं बोली, उसने बस ना में सर हिलाया.
सतीश ने उससे बोला- “हम कभी बाद में कर सकते हैं जब तुम तैयार हो रहोगी”
श्वेता ने गुस्से से उसे देखा.
सतीश अपने पूरे होशोहवास में था. लेकिन श्वेता पर सेक्स का भूत सवार था. ऊपर से वाइन ने उसे और खोल दिया था. श्वेता इस वाइल्ड सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. हालांकि सतीश उसके स्वभाव को जानता था. उसे रोका नहीं जा सकता. सतीश ढीला पड़ा, तो श्वेता नाराज हो जाएगी. यह वाइल्ड सेक्स ही तो श्वेता की इच्छा थी. उसने सतीश की कई सेक्स इच्छाओं को पूरा किया था, आज सतीश की बारी थी.
सतीश उसके पीछे आया और उसके बाल पकड़ कर खींचे. श्वेता दर्द के साथ कामुकता भरी सिसकियां ले रही थी. उसने फुंफकार के सर ऊपर किया. गुस्से और कामवासना का सम्म्लित भाव उसके चेहरे पे था. श्वेता जोर जोर से सांस ले रही थी या यूं कहें श्वेता हांफ रही थी. सच में श्वेता “हम्म हम्मम..” करके हांफ भी रही थी.
सतीश ने बोला- “तुम्हें पसन्द आया मेरी रंडी”?
उसने हामी में सर हिलाया.
सतीश ने उसे बनावटी गुस्से से डाँट के कहा “तेज बोल मेरी रंडी”
श्वेता रोती सी आवाज में कांपती आवाज में बोली- “मुझे ये अच्छा लग रहा है मास्टर”
सतीश ने उसके गांड पर फिर से व्हिप से मारा. उसने गांड उचकाते हुए “उम्म्म हम्म उम्मम्म …” की आवाजें निकालीं. श्वेता अपनी सिसकारियों को दबा रही थी … या यूं कहें कि जितना हो सके, श्वेता धीमी आवाज कर रही थी.
सतीश ने उससे इस दूसरे वार के साथ बोला- “बोलो एक और बार मास्टर, आग्रह करो मारने के लिए”
उसने कांपते हुए दर्द भरी आवाज में कहा- “यस्स … प्लीजज … वन्स हम्म वन्स मोर्रर्र … मास्टर”
श्वेता की आवाज से जाहिर था कि उसे दर्द हो रहा था. लेकिन उसके चेहरे पे वासना के भाव थे.
सतीश घूमते हुए श्वेता की बायीं तरफ आया और उसके नंगे सॉफ्ट गांड पे दे मारा. श्वेता जोर से चिहुंकी.
श्वेता-‘आहह ईसस्सस … हम्म..’
सतीश- ‘से … अगेन..’
उसने एक झटके में जल्दी से बोला- “वंस मोर मास्टर”
सतीश ने उसके दूसरे गांड पे मारा. श्वेता दांत भींच कर दर्द से चिहुंक उठी.
‘आहह … उक्क..’
श्वेता की ‘आहह..’ दर्द से अटक के रह गयी. फिर एक पल बाद उसने ‘उम्मम्मम … ईस्स..’ की आवाज के साथ लंबी सांस छोड़ी.
सतीश होंठों को दांत से चबाते हुए बड़े ही कामुक लहजे में बोला- “फिर से बोलो”.
‘उम्म्म यसस्स … वंस मोर मास्टर … हम्म आहह …
उसके इस अंदाज से सतीश के अन्दर वासना की लहर सी दौड़ गयी. श्वेता किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. शायद यह वाइन के नशे का नतीजा था. श्वेता दर्द को अपना चुकी थी और अब सतीश के वार का मजा ले रही थी. साथ ही श्वेता बड़बड़ा भी रही थी- “उम्म्म … ओह … यस मास्टर … आई लाईक दैट … उम्म्मम … हम्मम … आहह … यस प्लीज मास्टर … वन्स मोर मास्टर”
ऐसा करते हुए श्वेता अपने गांड बड़े कामुक अंदाज में हिलाते हुए दांतों से होंठों को काटने लगी. वाइन के नशे ने उसे रंडी बना दिया था.
उसके इस अंदाज से सतीश भी गर्म हो गया और सतीश ने जोर से श्वेता की नंगी पीठ, उठे हुए नग्न बॉब्स, नंगे पेट, नंगी गांड, मखमली टांगों पे लगातार कई कोड़े बरसा डाले.
श्वेता बस दर्द के मारे ‘आ आहह … ओह ओ ईईईई … ऊम्म..’ करके चीखती रही. श्वेता कुतिया की तरह चिल्ला रही थी.
सतीश ने कोड़े बरसाना रोका. उसने सिसकते हुए सांस ली … श्वेता रो रही थी. श्वेता की आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामुक भाव थे. श्वेता निढाल पड़ी सांसों पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी. श्वेता की चीखें काफी तेज थीं. सतीश को लगता था कि श्वेता की तेज आवाजें आसपास के नजदीक के फ्लैट तक सुनाई पड़ी होंगी.
अब सतीश रुक गया. सतीश श्वेता की आंखों में आंसू नहीं देख सकता था. सतीश ने उससे पूछा- “आरामसे करना चाहती हो”?
श्वेता कुछ नहीं बोली, उसने बस ना में सर हिलाया.
सतीश ने उससे बोला- “हम कभी बाद में कर सकते हैं जब तुम तैयार हो रहोगी”
श्वेता ने गुस्से से उसे देखा.
सतीश अपने पूरे होशोहवास में था. लेकिन श्वेता पर सेक्स का भूत सवार था. ऊपर से वाइन ने उसे और खोल दिया था. श्वेता इस वाइल्ड सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. हालांकि सतीश उसके स्वभाव को जानता था. उसे रोका नहीं जा सकता. सतीश ढीला पड़ा, तो श्वेता नाराज हो जाएगी. यह वाइल्ड सेक्स ही तो श्वेता की इच्छा थी. उसने सतीश की कई सेक्स इच्छाओं को पूरा किया था, आज सतीश की बारी थी.
सतीश उसके पीछे आया और उसके बाल पकड़ कर खींचे. श्वेता दर्द के साथ कामुकता भरी सिसकियां ले रही थी. उसने फुंफकार के सर ऊपर किया. गुस्से और कामवासना का सम्म्लित भाव उसके चेहरे पे था. श्वेता जोर जोर से सांस ले रही थी या यूं कहें श्वेता हांफ रही थी. सच में श्वेता “हम्म हम्मम..” करके हांफ भी रही थी.
सतीश ने बोला- “तुम्हें पसन्द आया मेरी रंडी”?
उसने हामी में सर हिलाया.
सतीश ने उसे बनावटी गुस्से से डाँट के कहा “तेज बोल मेरी रंडी”
श्वेता रोती सी आवाज में कांपती आवाज में बोली- “मुझे ये अच्छा लग रहा है मास्टर”
सतीश ने उसके गांड पर फिर से व्हिप से मारा. उसने गांड उचकाते हुए “उम्म्म हम्म उम्मम्म …” की आवाजें निकालीं. श्वेता अपनी सिसकारियों को दबा रही थी … या यूं कहें कि जितना हो सके, श्वेता धीमी आवाज कर रही थी.
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Re: आग्याकारी माँ
दर्द कामुकता और सेक्स की गर्मी से उसका बदन जो तप रहा था, वह पिघलना शुरू हो गया था. पसीने की कुछ बूंदें उसके माथे पर झलक रही थीं.
सतीश ने अगला कोड़ा श्वेता की चूचियों पर मारा श्वेता पहले जैसे ही जोर से सिसकी- उम्म्म हूँ उम्मम्म … आह इस्स.
दर्द भरी मादक आवाजें उसके मुँह से निकल पड़ीं. अब सतीश उसे धीरे धीरे कोड़े मारने लगा था ताकि उसे दर्द न हो. लेकिन उसका जिस्म इस वक़्त काफी सेंसटिव था. हल्का सा स्पर्श भी उसे गर्म कर रहा था.
श्वेता की आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामवासना का भाव था. वह पक्की रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी.
अब सतीश ने उसके गांड पे कोड़ा मारा और बोला- “कहो तुम मेरी रंडी हो”
श्वेता अपनी सांसें सम्भालते हुए बोली- “हा मैं आपकी निजी और हमेशा के लिए रखैल हूँ”
सतीश ने उसके नंगे पेट पे एक और कोड़ा मारा और बोला- “कहो मैं तुम्हारी जिंदगी भर के लिए रंडी हूँ”
उसने वैसा ही बोला- “हा मैं तुम्हारी रखैल रहूंगी जिंदगी भर”
अब श्वेता की आवाज सामान्य थी. उसने रोना बंद कर दिया था. सतीश ने दो-तीन कोड़े लगा कर व्हिप को साइड में रखा और उसके जिस्म को ताड़ने लगा. दोबारा अब श्वेता सामान्य हो रही थी. उसका जिस्म वासना से तप के लाल पड़ गया था.
श्वेता सर झुकाये पुल बार से बंधी खड़ी थी. सतीश ने एक दफ़ा उसके चेहरे को देखा. उसके माथे पे पसीने की बूंदें थीं. उसके गर्दन और कंधे के भाग से पसीना छूते हुए उसके बॉब्स के बीच की घाटी में आ रहा था. उसका बदन पसीने के बूंदों के कारण चमक रहा था.
सतीश उसके पीछे गया और पीछे से उसके गाल पे किस किया. सतीश के लबों का स्पर्श पाते ही श्वेता सिहर गयी. उसने सर ऊपर की तरफ उठा लिया.
सतीश ने उसके कान की लटकन को धीरे से काटा. उसके मुख से धीमी सी आवाज निकली- “ईईस्स …
सतीश ने उसके कान के पीछे वाले भाग पे लगे पसीने की बूंदों पर जीभ को फिरा दिया. उसने दांत भींचे धीमी सी सिसकारी भरी- उम्म … सतीश.
उसका मुँह खुला था. आंखों पर पट्टी थी. श्वेता धीमी धीमी कामुक सिसकारियां लेते हुए सतीश का नाम पुकार रही थी.
यह काफी उत्तेजना भरा दृश्य था. श्वेता काफी उत्तेजित भी थी. पिछले एक घंटे से सतीश उसे अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. सतीश अपने हाथ आगे उसके सीने पे ले गया और अपनी तर्जनी उंगली से उसके सीने पर लगे पसीने को पौंछते हुए गर्दन तक आया और पीछे बाल पकड़ के उसका सर ऊपर कर दिया. इसके बाद सतीश ने अपनी उंगली को उसके मुँह में ठूंस दिया. श्वेता कामवासना की आग में जल रही थी. उसने सतीश की उंगली चाट ली.
सतीश ने उंगली को उसके लबों पे फेरा, तो श्वेता मीठी आहों के साथ बस इन खुराफातों का मजा ले रही थी. इधर सतीश भी उसके बालों को वैसे ही पकड़े हुए उसके उसके कंधे पे लगी पसीने की बूंदों को जीभ से चाट रहा था. सतीश ने जीभ श्वेता की पीठ पे फेरी, तो श्वेता तो जैसे सिहर ही उठी. श्वेता बोलने लगी- “भाई … अब चोद दे ना … कितना तड़पाएगा”.
सतीश खड़ा हुआ और उसके होंठों पे उंगली रखते हुए बोला- “कोई आवाज नहीं”
श्वेता चुप हुई तो सतीश ने कहा- “मास्टर को तुम या तो सिसकारियां लेते हुए पसन्द हो, या तो बिल्कुल चुपचाप”
श्वेता- “सॉरी मास्टर”.
सतीश ने श्वेता के स्तनों को आगे से पकड़ लिया और दबाते हुए कंधों पे, गर्दन पे, श्वेता की लटकती बांहों पे किस करने लगा. श्वेता बस “हम्मम आह उम्म्मम यस्स..” की सिसकारियां ले रही थी.
सतीश उसके बॉब्स को जोर जोर से दबाता, लेकिन उसे तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ रहा था … उलटे उसे आनन्द आता. श्वेता बस मादक सिसकारियां लेती- ओह्ह यस … उम्म्ममम्म हम्म … ओह्ह फ़क.
सतीश ने श्वेता की चूची को और जोर से भींचा.
श्वेता फिर से बोल पड़ी- “मास्टर प्लीज मुझे चोदो”
“हम्म..”
“हां आप जहां जैसे चाहें. जहां चाहें, बस चोद दे मुझे.”
ये सब वाइन के नशे का असर था.
सतीश बस उसे मसले जा रहा था.
श्वेता दोबारा बोल पड़ी- “प्लीज भाई चोद दो प्लीज भाई”.
सतीश- “ओके … लेकिन यहां नहीं”.
सतीश ने अगला कोड़ा श्वेता की चूचियों पर मारा श्वेता पहले जैसे ही जोर से सिसकी- उम्म्म हूँ उम्मम्म … आह इस्स.
दर्द भरी मादक आवाजें उसके मुँह से निकल पड़ीं. अब सतीश उसे धीरे धीरे कोड़े मारने लगा था ताकि उसे दर्द न हो. लेकिन उसका जिस्म इस वक़्त काफी सेंसटिव था. हल्का सा स्पर्श भी उसे गर्म कर रहा था.
श्वेता की आंखों में आंसू थे. लेकिन चेहरे पे वही कामवासना का भाव था. वह पक्की रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी.
अब सतीश ने उसके गांड पे कोड़ा मारा और बोला- “कहो तुम मेरी रंडी हो”
श्वेता अपनी सांसें सम्भालते हुए बोली- “हा मैं आपकी निजी और हमेशा के लिए रखैल हूँ”
सतीश ने उसके नंगे पेट पे एक और कोड़ा मारा और बोला- “कहो मैं तुम्हारी जिंदगी भर के लिए रंडी हूँ”
उसने वैसा ही बोला- “हा मैं तुम्हारी रखैल रहूंगी जिंदगी भर”
अब श्वेता की आवाज सामान्य थी. उसने रोना बंद कर दिया था. सतीश ने दो-तीन कोड़े लगा कर व्हिप को साइड में रखा और उसके जिस्म को ताड़ने लगा. दोबारा अब श्वेता सामान्य हो रही थी. उसका जिस्म वासना से तप के लाल पड़ गया था.
श्वेता सर झुकाये पुल बार से बंधी खड़ी थी. सतीश ने एक दफ़ा उसके चेहरे को देखा. उसके माथे पे पसीने की बूंदें थीं. उसके गर्दन और कंधे के भाग से पसीना छूते हुए उसके बॉब्स के बीच की घाटी में आ रहा था. उसका बदन पसीने के बूंदों के कारण चमक रहा था.
सतीश उसके पीछे गया और पीछे से उसके गाल पे किस किया. सतीश के लबों का स्पर्श पाते ही श्वेता सिहर गयी. उसने सर ऊपर की तरफ उठा लिया.
सतीश ने उसके कान की लटकन को धीरे से काटा. उसके मुख से धीमी सी आवाज निकली- “ईईस्स …
सतीश ने उसके कान के पीछे वाले भाग पे लगे पसीने की बूंदों पर जीभ को फिरा दिया. उसने दांत भींचे धीमी सी सिसकारी भरी- उम्म … सतीश.
उसका मुँह खुला था. आंखों पर पट्टी थी. श्वेता धीमी धीमी कामुक सिसकारियां लेते हुए सतीश का नाम पुकार रही थी.
यह काफी उत्तेजना भरा दृश्य था. श्वेता काफी उत्तेजित भी थी. पिछले एक घंटे से सतीश उसे अलग अलग तरीकों से उत्तेजित कर रहा था. सतीश अपने हाथ आगे उसके सीने पे ले गया और अपनी तर्जनी उंगली से उसके सीने पर लगे पसीने को पौंछते हुए गर्दन तक आया और पीछे बाल पकड़ के उसका सर ऊपर कर दिया. इसके बाद सतीश ने अपनी उंगली को उसके मुँह में ठूंस दिया. श्वेता कामवासना की आग में जल रही थी. उसने सतीश की उंगली चाट ली.
सतीश ने उंगली को उसके लबों पे फेरा, तो श्वेता मीठी आहों के साथ बस इन खुराफातों का मजा ले रही थी. इधर सतीश भी उसके बालों को वैसे ही पकड़े हुए उसके उसके कंधे पे लगी पसीने की बूंदों को जीभ से चाट रहा था. सतीश ने जीभ श्वेता की पीठ पे फेरी, तो श्वेता तो जैसे सिहर ही उठी. श्वेता बोलने लगी- “भाई … अब चोद दे ना … कितना तड़पाएगा”.
सतीश खड़ा हुआ और उसके होंठों पे उंगली रखते हुए बोला- “कोई आवाज नहीं”
श्वेता चुप हुई तो सतीश ने कहा- “मास्टर को तुम या तो सिसकारियां लेते हुए पसन्द हो, या तो बिल्कुल चुपचाप”
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सतीश ने श्वेता के स्तनों को आगे से पकड़ लिया और दबाते हुए कंधों पे, गर्दन पे, श्वेता की लटकती बांहों पे किस करने लगा. श्वेता बस “हम्मम आह उम्म्मम यस्स..” की सिसकारियां ले रही थी.
सतीश उसके बॉब्स को जोर जोर से दबाता, लेकिन उसे तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ रहा था … उलटे उसे आनन्द आता. श्वेता बस मादक सिसकारियां लेती- ओह्ह यस … उम्म्ममम्म हम्म … ओह्ह फ़क.
सतीश ने श्वेता की चूची को और जोर से भींचा.
श्वेता फिर से बोल पड़ी- “मास्टर प्लीज मुझे चोदो”
“हम्म..”
“हां आप जहां जैसे चाहें. जहां चाहें, बस चोद दे मुझे.”
ये सब वाइन के नशे का असर था.
सतीश बस उसे मसले जा रहा था.
श्वेता दोबारा बोल पड़ी- “प्लीज भाई चोद दो प्लीज भाई”.
सतीश- “ओके … लेकिन यहां नहीं”.
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- rajaarkey
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Re: आग्याकारी माँ
बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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Re: आग्याकारी माँ
Dhansu update bhai Bahut hi Shandar aur lajawab ekdum jhakaas mind-blowing.
Keep going
We will wait for next update
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I am big fan of your work
आवारा सांड़ अनौखा समागम अनोखा प्यारचमत्कारी Arhann- mohabbat ya nafrat SAAJAN (Family Love FANTASY)
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