किसी तरह उसने बाकी की सीढ़ियां चढ़ीं. आखिरी सीढ़ी पे श्वेता की हिम्मत जबाब देने लगी. अब श्वेता घुटने मोड़ के वहीं बैठने लगी. सतीश ने श्वेता की कमर में हाथ लगा के उसे ऊपर चढ़ाया. वहां पहुचते ही श्वेता घुटने के बल बैठ गयी … श्वेता हांफ रही थी. सतीश ने वाइब्रेटर ऑफ किया और उसे उठाया. सतीश उसे अपने साथ कमरे में ले जाने लगा. उसके हाथ बंधे थे. मुँह में पैंटी ठुंसी हुई थी. दर्द उसके चेहरे पे साफ था. हाथ आगे पेट के पास किये हुए श्वेता सतीश के साथ चल रही थी.
सतीश ने गेट पे उसे रोका और बोला,
सतीश-“दीदी, तुम गेम पूरा नहीं कर पाईं, इसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी”.
उसने आश्चर्य से सतीश की तरफ देखा, सतीश ने उसे देख के हां में सर हिलाया.
उसने भी हां में सर हिलाया. उसका मतलब था
‘ओके फ़ाईन’
श्वेता - “क्या है मेरी सजा?
सतीश- “मैं तुम्हें बेड पे नहीं चोदूंगा”.
उसने फिर इशारे से पूछा- “फिर?
सतीश ने मुस्कुराते हुए खिड़की की तरफ इशारा किया. उसने मुस्कुराते हुए अपने बंधे हाथों से सतीश के सीने पे धौल मारी और हंसने लगी.
सतीश के मम्मी पापा के बेड रूम में बालकनी है. यह मध्यम आकार की है, लेकिन सामान्य से बडी है. सतीश ने बालकनी का दरवाजा खोला. यह सुविधा बिल्डिंग के टॉप फ्लोर्स के लिए थी. मम्मी को भी यह पसंद था, इसी लिए हमने ये फ्लैट भी लिया था.
सतीश ने लाइट ऑफ कर दी. श्वेता को आने का इशारा किया. श्वेता बीच बालकनी में खुले आसमानों के नीचे बिल्कुल नंगी खड़ी थी. सतीश ने शर्ट कमरे में ही निकाल दी थी. सतीश ने अपनी पेंट निकाली और कमरे में फेंक दी. फिर सतीश ने आस पास देखा, कोई उन्हें देख नहीं सकता था. सतीश उससे चिपक गया. सतीश ने उसके हाथों को खोला. अब सतीश उसके कंधों पे किस कर रहा था. उसने एक हाथ पीछे करके श्वेता के गाल पे रखे हुए थे. सतीश ने ऐसे ही किस करना चालू रखा. सतीश उसके कंधों और गर्दन के भागों को चूम रहा था तथा साथ में उसके स्तनों को भी दबा रहा था.
श्वेता अपने गांड सतीश के लंड पे रगड़ रही थी. सतीश ने बालकोनी के रेलिंग के सहारे उसे झुकाया और श्वेता की चुत में पड़ा वाइब्रेटर निकाला. सतीश ने श्वेता की नंगी पीठ को चूमते हुये उसे वापस खड़ा किया. सतीश ने उसके बाल पकड़ के अपनी तरफ घुमाया. वाइब्रेटर, जो उसके रस से भीगा था, उसके मुँह में डालने लगा. श्वेता जीभ निकाल के अपना ही रस चाटने लगी. सतीश भी उसके साथ उसके रस को चाट रहा था. सतीश श्वेता की जीभ और होंठों पे लगे रस को चाट रहा था.
फिर सतीश ने वाइब्रेटर को एक तरफ फेंका और हाथ पीछे ले जाके श्वेता की कमर से उसे पकड़ कर उसके नंगे बदन को खुद से चिपका लिया. सतीश उसके होंठों को चूसने लगा. सतीश उसके होंठों को जोर जोर से चूस रहा था. श्वेता अपनी कोमल बांहों का घेरा बना कर सतीश के गर्दन में डाल के उससे चिपक गयी. वह सतीश का पूरा साथ देने लगी.
दोनों बालकनी में बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके वासना का खेल खेल रहे थे. चांदनी रात थी. मौसम ठंडा था. चाँद की हल्की रोशनी में श्वेता के होंठों को चूसने का मजा ही अलग था. हल्की ठंडी आरामदायक हवा बह रही थी, जो उनके सेक्स की आग को और भड़का रही थी. यूँ कहूँ कि आज पूरी कायनात भी उनका साथ दे रही थी.
सतीश उसके रसीले होंठों को चूस रहा था. दोनो एक दूसरे में खो चुके थे. वह दोनों बस आंखें बंद किये वासना के सागर में गोते लगा रहे थे.
कुछ देर तक किस करने के बाद सतीश रुका, सतीश ने आंखें खोली. सतीश ने एक सेकंड के लिए उसके चेहरे को देखा. श्वेता की बड़ी बड़ी सुरमयी आंखें, खुले बाल, चाँद की रोशनी में चमकते उसके रसीले होंठ.
ये सब देखते ही सतीश उत्तेजित हो उठा, वासना की लहर सी दौड़ गयी सतीश के शरीर में. सतीश ने दोनों हाथो से उसको कमर से पकड़ कर खींचा, श्वेता सतीश के नंगे बदन से और सट गयी. उसके फूले हुए स्तन सतीश के सीने से चिपक गए. सतीश उसके कड़क निपल्स को अपने सीने पे महसूस कर सकता था. सतीश ने श्वेता की गर्दन पे स्मूच करते हुए किस करना चालू किया.
Incest आग्याकारी माँ
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Re: आग्याकारी माँ
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Re: आग्याकारी माँ
श्वेता अपने सर को ऊपर करके आंखें बंद किये वासना भरी ठंडी आहें भर रही थी. उसका मुँह खुला था. श्वेता धीमी सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने उसके गांड के नीचे हाथ लगा के उठाया. श्वेता सतीश की गर्दन में बांहें डाले झूल गई और सतीश की कमर में अपनी टांगें लपेट कर सतीश के बदन से चिपक गयी. सतीश ने उसके होंठों को चूसते हुए उसे ले जाके दीवार से चिपका दिया. श्वेता नंगी पीठ के सहारे दीवार से चिपक गयी. सतीश ने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में लिए और अपने होंठों के पास ला कर चूमा. फिर झटके से ऊपर कर के दीवार के सहारे चिपका दिए. सतीश ने उसके हाथों को जोड़ के दीवार से चिपका रखा था. सतीश का ऐसा करना उसे अच्छा लगा, उसके होंठों पे हल्की मुस्कान थी.
सतीश ने दूसरे हाथ की उंगली को श्वेता की कोमल बांहों पे फिराया. श्वेता मस्त हो उठी. उसने आंखें बंद किये हुए हल्की मुस्कान के साथ ‘उम्मम …’ की धीमी सीत्कार ली. सतीश उसे उसी अवस्था में (हाथ ऊपर करके अपने एक हाथ से दीवार में चिपकाये) दूसरे हाथ की उंगलियां उसके नंगी कोमल बांहों पे फेरते हुए नीचे आ रहा था, श्वेता मस्त हो रही थी.
सतीश की उंगलियां श्वेता की गर्दन के पास पहुँची. श्वेता मीठी सी मुस्कान के साथ मस्त होके ‘उम्म्म हम्मम्म …’ की सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने उंगली उसके होंठों पे फेरा. श्वेता सेक्स के लिए प्यासी थी, सतीश के स्पर्श से उत्तेजित हो रही थी. उसने सतीश की उंगलियों को चूम कर दांत भींच लिया.
कामवासना उसके चेहरे पे साफ नजर आ रही थी. सतीश ने उसके चेहरे पर से, जो श्वेता की जुल्फें आ गयी थी, को उंगलियों से हटाया. उसका नूर सा चेहरा सतीश के सामने था. श्वेता आंखें बंद किये, पता नहीं कहां खोयी थी. सतीश उसके पास हो गया. उसके माथे पे चुम्बन किया. तो उसके होंठों की मुस्कान बढ़ गयी. श्वेता की सांसें तेज थीं, जो सतीश के चेहरे से टकरा रही थीं. सतीश ने श्वेता की आंखों पे किस किया. श्वेता की नाक के ऊपर किस किया. बारी बारी से उसके दोनों गालों पे किस किया.
श्वेता बस आंखें बंद किये सतीश के लबों के स्पर्श का आनन्द ले रही थी. उसके होंठों पे मुस्कान थी. श्वेता मुँह खोले सिसकारियां भर रही थी. सतीश ने दूसरे हाथ में उसके चेहरा पकड़ के दबाया. उसके दोनों गाल दबे हुए थे, जिससे उसके होंठों से पाउट्स बन गए थे. सतीश ने उसके रसीले होंठों को जीभ से चाट लिया.
अपने भाई की ये अदा श्वेता को बड़ी पसंद थी. सतीश धीरे धीरे प्यार करते करते अचानक से जंगली हो जाता था, जब श्वेता इसकी कामना भी नहीं कर रही होती थी. यह बात उसे और उत्तेजित करती थी.
खैर यहां खुले आसमान के नीचे सेक्स का आईडिया, बहुत ही रोमांचक था. श्वेता खुले आसमान के नीचे नंगे, अपने भाई से चुदने आयी थी. यह नया था तथा काफी रोमांचक था. यह श्वेता के रोम रोम को उत्तेजित कर रहा था. श्वेता दो बार झड़ चुकी थी लेकिन एक बार फिर गर्म होने लगी थी. पिछले दो घंटों से अलग अलग तरीकों से गर्म होने के बाद फाइनली श्वेता की चुदाई होने जा रही थी.
सतीश ने श्वेता की गर्दन पे किस किया. सतीश किस करते हुए नीचे बढ़ रहा था. सतीश उसके दोने बॉब्स को दबाये उसके सीने और गर्दन के भागों पे किस कर रहा था. सतीश श्वेता की गर्दन और कंधों तक किस कर रहा था. ऐसे ही हालात में सतीश ने उसके बॉब्स को मुँह में लिया.
श्वेता चिहुंक उठी- “आहह..
फिर उसने दांत भींच लिए और ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस्स हम्म …’ की आवाजें निकालीं.
पिछले 2 घंटों के करतबों के दौरान श्वेता के निप्पल बहुत सेंसिटिव हो गये थे. सतीश के होंठों का स्पर्श पाते ही जैसे उसे आराम मिला. सतीश बारी बारी से दोनों बॉब्स मुँह में लेके चूस रहा था. सतीश श्वेता की बॉब्स को पूरा मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन श्वेता की बॉब्स इतनी बड़ी थीं कि सम्भव नहीं था.
सतीश ने श्वेता की बॉब्स चूसते हुए एक मिनट के लिए ऊपर देखा. उस की बहन आंखें बंद किये हुए बॉब्स चुसवाने में मस्त थी. श्वेता की बांहें अभी भी ऊपर थीं. उसका चेहरा दायीं तरफ मुड़ा हुआ था. श्वेता दीवार से सटी सिसकारियां ले रही थी.
कहानी चालू रहेगी
सतीश ने दूसरे हाथ की उंगली को श्वेता की कोमल बांहों पे फिराया. श्वेता मस्त हो उठी. उसने आंखें बंद किये हुए हल्की मुस्कान के साथ ‘उम्मम …’ की धीमी सीत्कार ली. सतीश उसे उसी अवस्था में (हाथ ऊपर करके अपने एक हाथ से दीवार में चिपकाये) दूसरे हाथ की उंगलियां उसके नंगी कोमल बांहों पे फेरते हुए नीचे आ रहा था, श्वेता मस्त हो रही थी.
सतीश की उंगलियां श्वेता की गर्दन के पास पहुँची. श्वेता मीठी सी मुस्कान के साथ मस्त होके ‘उम्म्म हम्मम्म …’ की सिसकारियां ले रही थी. सतीश ने उंगली उसके होंठों पे फेरा. श्वेता सेक्स के लिए प्यासी थी, सतीश के स्पर्श से उत्तेजित हो रही थी. उसने सतीश की उंगलियों को चूम कर दांत भींच लिया.
कामवासना उसके चेहरे पे साफ नजर आ रही थी. सतीश ने उसके चेहरे पर से, जो श्वेता की जुल्फें आ गयी थी, को उंगलियों से हटाया. उसका नूर सा चेहरा सतीश के सामने था. श्वेता आंखें बंद किये, पता नहीं कहां खोयी थी. सतीश उसके पास हो गया. उसके माथे पे चुम्बन किया. तो उसके होंठों की मुस्कान बढ़ गयी. श्वेता की सांसें तेज थीं, जो सतीश के चेहरे से टकरा रही थीं. सतीश ने श्वेता की आंखों पे किस किया. श्वेता की नाक के ऊपर किस किया. बारी बारी से उसके दोनों गालों पे किस किया.
श्वेता बस आंखें बंद किये सतीश के लबों के स्पर्श का आनन्द ले रही थी. उसके होंठों पे मुस्कान थी. श्वेता मुँह खोले सिसकारियां भर रही थी. सतीश ने दूसरे हाथ में उसके चेहरा पकड़ के दबाया. उसके दोनों गाल दबे हुए थे, जिससे उसके होंठों से पाउट्स बन गए थे. सतीश ने उसके रसीले होंठों को जीभ से चाट लिया.
अपने भाई की ये अदा श्वेता को बड़ी पसंद थी. सतीश धीरे धीरे प्यार करते करते अचानक से जंगली हो जाता था, जब श्वेता इसकी कामना भी नहीं कर रही होती थी. यह बात उसे और उत्तेजित करती थी.
खैर यहां खुले आसमान के नीचे सेक्स का आईडिया, बहुत ही रोमांचक था. श्वेता खुले आसमान के नीचे नंगे, अपने भाई से चुदने आयी थी. यह नया था तथा काफी रोमांचक था. यह श्वेता के रोम रोम को उत्तेजित कर रहा था. श्वेता दो बार झड़ चुकी थी लेकिन एक बार फिर गर्म होने लगी थी. पिछले दो घंटों से अलग अलग तरीकों से गर्म होने के बाद फाइनली श्वेता की चुदाई होने जा रही थी.
सतीश ने श्वेता की गर्दन पे किस किया. सतीश किस करते हुए नीचे बढ़ रहा था. सतीश उसके दोने बॉब्स को दबाये उसके सीने और गर्दन के भागों पे किस कर रहा था. सतीश श्वेता की गर्दन और कंधों तक किस कर रहा था. ऐसे ही हालात में सतीश ने उसके बॉब्स को मुँह में लिया.
श्वेता चिहुंक उठी- “आहह..
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पिछले 2 घंटों के करतबों के दौरान श्वेता के निप्पल बहुत सेंसिटिव हो गये थे. सतीश के होंठों का स्पर्श पाते ही जैसे उसे आराम मिला. सतीश बारी बारी से दोनों बॉब्स मुँह में लेके चूस रहा था. सतीश श्वेता की बॉब्स को पूरा मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था. लेकिन श्वेता की बॉब्स इतनी बड़ी थीं कि सम्भव नहीं था.
सतीश ने श्वेता की बॉब्स चूसते हुए एक मिनट के लिए ऊपर देखा. उस की बहन आंखें बंद किये हुए बॉब्स चुसवाने में मस्त थी. श्वेता की बांहें अभी भी ऊपर थीं. उसका चेहरा दायीं तरफ मुड़ा हुआ था. श्वेता दीवार से सटी सिसकारियां ले रही थी.
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Re: आग्याकारी माँ
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Re: आग्याकारी माँ
Super excellent update! wonderful writing, mind blowing story
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Re: आग्याकारी माँ
बहुत ही उम्दा. बहुत ही उत्तेजना से भरपूर कहानी है... शानदार लेखन है
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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