बीवी के गुलाम आशिक complete

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josef
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Re: बीवी के गुलाम आशिक

Post by josef »

उसने एक झीनी सी नाइटी पहनी और उसके ताजे अंतःवस्त्र उसमे से झांकने लगे …
मैंने उसे फिर से जकड़ लिया था मेरा लिंग उसके कूल्हे में गड़ा जा रहा था ,साला सोने का नाम ही नही ले रहा था…
“ओहो चलो खाना तो खा लो “
“मुझे तो बस तुम्हे खाना है ,”मैं उसके गर्दन को चूमने गला वो मचली और तेजी से मुझसे अलग हो गई उसके होठो में शरारत भरी मुस्कान थी ,
“अगर ऐसा किये ना, तो कोई बात नही बतलाऊंगी “वो हसंते हुए बाहर निकल गई और खाना टेबल में सजाने लगी,मैंने अपने लिंग को सहलाया ..
“थोड़ी देर सब्र करले बेटा नही तो कुछ भी नही मिलेगा “
खाना बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था,आज मैं उसी चुद में जाने को इतना बेताब था जिसे मैं साल भर से चोद रहा था,
हवसी तो मैं पहले से था लेकिन लग रहा था की अपनी फेंटेसी की वजह से मेरी पुरानी हवस फिर के जाग गई है और बड़ी जोर से जागी है …
पूरे खाने के दौरान मोना ने मुझे अपने से दूर ही रखा और मैं उसे देखकर अपना लिंग मसलता रहा,मुझे लगा की साला आज तो ये अंदर जाए बिना ही झड़ जाएगा …
मैं अपनी हवस को काबू पाने के लिए थोड़ा इधर उधर चल रहा था,जब ये कम नही हुई तो मैं अपने पंचिंग बेग को मारने लगा,मोना अब भी किचन में थी…
जब वो बेडरूम में आयी तो मुझे देखकर हँसने लगी..
“पूरी ताकत यही निकाल दोगे क्या ..”उसे पता था की जब मैं ज्यादा जोश में आता था और मुझे उसका साथ नही मिलता था तब मैं अपनी उत्तेजना को कम करने के लिए पंचिंग बेग को मारा करता था,खासकर उसके परेड वाले टाइम में मैं कई घण्टे तक उसे मरता थक जाता था लेकिन फिर मोना की टांगो को देखकर उत्तेजित हो जाता,आखिर उस बेचारी को अधिकतर मेरा लिंग अपने मुह और हाथो से मसल कर झडना पड़ता था,कुल मिलाकर मैं हवसी था जिसे मोना जैसी समझदार लड़की ही अपने प्यार से मैनेज कर पाती थी …
मैं तुरंत ही उसके ऊपर कूद गया ,उसकी आंखों को देखकर थोड़ा शांत हुआ,और उसके होठो को अपने होठो में भर लिया..
जब सांसे फूलने लगी तो हम अलग हुए ..
“क्या बताना चाहती थी “
मैं थोड़ा शांत हो चुका था ,
“आज राज से बात की “मेरी आंखे बड़ी हो गई और लिंग ने फिर से फुंकार जोरो से मार दी ,मैंने अपने लिंग को इतने जोरो से सहलाया की वो हँस पड़ी ..
“क्या तुम भी बस इतनी सी बात पर ऐसा खड़ा कर रहे हो पहले पूरा तो सुन लो “
मैं अधीरता से उसे देखने लगा ..
वो मुस्कुराते हुए मेरे सीने से लग गई ..
“जान सच में वो बहुत हैंडसम है ,आज उसके साथ ही लंच किया ,पूरे ऑफिस की लडकिय उसकी दीवानी है ..सोच रही हु आपकी बात मान ही लू .”
उसने आखिरी लाइन को थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा था लेकिन मेरे लिए इतना भी काफी था मैंने उसे झट से नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर टूट पड़ा ,पहले तो हंसती रही लेकिन फिर वो सिसकियां लेने लगी ,मैं उसके पूरे बदन को अपने थूक से गीला कर रहा था,
उसे भी पता था की मेरी इस उत्तेजना का कारण क्या है लेकिन हवस थोड़ी ही देर में प्यार की शक्ल लेने लगा,जिस चहरे को सालो से देख रहा था वो रोज मुझे कुछ नया ही लगता था,हर नजरिये के साथ साथ नजर भी बदलते जाती है ,
josef
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Re: बीवी के गुलाम आशिक

Post by josef »

वो इतनी मासूम लग रही थी की मुझे खुद पर भी थोड़ा गुस्सा आने लगा की मैं उसे कहा फसाना चाह रहा हु ,लेकिन हमे पता ताकि ये बातो तक तो ठीक है लेकिन असली जीवन में ये हुआ तो उसका सामना करना हमारे लिए बेहद ही मुश्किल होगा…
उसने मेरी आंखों में झांका मैं अभी भी उसके आंखों में डूबा हुआ था,उसकी आंखे थोड़ी पनियाई जैसे पहले पहले प्यार में अक्सर होता है,शायद ये थोड़ी मोड़ी शरारतें हमारे प्यार को कभी बूढ़ा होने नही देंगी,हम आज भी उसी नए जोड़े की तरह एक दूसरे के साथ व्यव्हार करते थे जैसा की शादी के समय किया करते थे,वो आज भी मेरी आंखों में प्यार देखकर इमोशनल हो जाती थी और आज भी मैं उसकी आंखों में पानी देखकर उसके प्यार में और उतर जाता था,
मैंने अपने होठो को उसके आंखों पर लगा दिया,उसका पानी मेरे होठो से मेरे मुह में चला गया था,उसके होठो पर हल्की मुस्कान खिली और हमारे होठ फिर से मिल गए,मन शांत होने लगा और हवस ने हारकर प्यार का रूप ले लिया,कपड़े खुलते गए और हम एक दूजे में सामने लगे,मन और भी शांत हो रहा था,उत्तेजना बढ़ रही थी लेकिन शरीर के तल पर ही वो मन को नही जला पा रही थी,शरीर के तल पर दोनो ही मिल चुके थे ,सांसे भी एक दूसरे में घुलने लगी थी और मन भी ,..........

मेरी आंखों की पट्टी खुली जिसे पिछले एक घंटे से मेरे आंखों में लगाया गया था,मेरे सामने एक गोरा और लंबा चौड़ा उम्रदराज शख्स एक बड़े से सिंहासन नुमा कुर्सी पर बैठा हुआ था,उसने काले रंग का पठानी शूट पहना था,एक घंटे पहले एक अनजान काल आया था,जिसने मुझे केस से जुड़े सबूत देने के लिए मुझे मेरे ऑफिस के पीछे एक सफेद वेन में बैठने का निर्देश दिया,वँहा दो मुस्कन्डो ने मेरे आंखों में पट्टी बांध दी थी जो अब खुली ….
मुझे एक कुर्सी में बिठाया गया था और मेरे सामने बैठा शख्स मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था..
“ASP साहब बहुत सुना है आपके बारे में ,आपके दिमाग की चर्चा हर जगह होती है ,सपना मर्डर केस,5 दिन में सॉल्व ..वाओ..kts बैंक घोटाला,1 महीने में सभी आरोपी सबूत के साथ पकड़ लिए अपने,और सबसे ज्यादा चर्चा में रहे चिट फंड घोटाले के उजागर में..बड़े बड़े दुश्मन खड़े कर लिए अपने,लेकिन डरे नही और आखिर आपके केरियर का सबसे बड़ा केस आदिवासी लेंड स्कैम ….”
मैं उस कमरे को और उस शख्स को ध्यान से देख रहा था,और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था..
“आप सोच रहे होंगे की ये कौन है और आपको किस जगह लाया गया है लेकिन फिक्र मत कीजिए आप सुरक्षित है …”
अब उसके बात से मेरे होठो में मुस्कान आ गई ..
“जंहा तक इस जगह कि बात है तो आपके ड्राइवर सच में बड़े चालाक है ,उन्होंने मुझे पूरा शहर घुमा दिया लेकिन MG रोड में नए लगे स्पीकर में बजते हुए रेडियो ने मुझे फिर से सतर्क कर दिया,फिर एक किलोमीटर चलने के बाद उन्होंने राइट टार्न लिया मैं उस सकरी गली के शोर को सुन सकता था जो की मस्जिद के पास खत्म होती है ,और फिर सीधा जाकर VIP रोड में मिल जाती है ,VIP रोड की शानदार सड़क में 5 किलोमीटर चलने के बाद फिर से एक लेफ्ट टर्न फिर वो उबड़ खाबड़ रोड जो नए बन रहे मॉर्डन टाउन जाने का शॉर्टकट है,लेकिन हम वँहा गए नही क्योकि 500 मीटर के बाद ही गाड़ी फिर से राइट मोड़ी गई और एक अच्छे सड़क में आ गई ,ऑफकोर्स ये तो हाइवे था,आपके ड्राइवर ने आधे घंटे के रास्ते को एक घंटा बनाने की कोशिस कर दी और फिर हमे ले आया शहर में फिर से मस्जिद के पास की पीछे वाली गली में ,अजान की आवाज और दुकानों से आती हुई लोभंग की खुशबू ने मुझे समझा दिया की मैं खान बाड़ी में हु ,जब सकरे रास्ते से होती हुई ये एक बड़े से मैदान जैसी जगह पर आ गई ,स्वाभाविक है ये खान बाड़ी की वो प्रसिद्द चाल है जंहा आने से पुलिस भी डरती है और रही तुम्हारी बात तो तुम इस चाल के मालिक असलम खान के बेटे होंगे,लेकिन मेरी चिंता की बात बस ये है की तुम्हे तो इस समय दिल्ली में होना था,क्योकि तुम्हारे पिता की मौत के बाद तुम्हारा गिरोह और परिवार दोनो ही बिखर गया था,मतलब की तुम फिर से अपने गिरोह को सक्रिय करने में लगे हो,अब मेरी फिक्र बस ये है की तुमने मेरे आंखों में पट्टी क्यो बंधी और अपनी पहचान छुपाने की कोशिस क्यो की ,इसका मतलब है की तुम दुनिया के सामने नही आना चाहते,क्योकि इस शहर में तुम्हारे पिता के दुश्मन तुमसे कही ज्यादा पावरफुल हो चुके है,और किसी को अगर भनक भी लगी की तुम यंहा फिर से आ गए तो …..”
उसके चहरे में पसीना छलक आया ..
“मैंने जितना आपके बारे में सुना था आप तो उससे भी ज्यादा तेज निकले ..”उसने घूरकर अपने ड्राइवर की ओर देखा जो आंखे फाडे हुए मेरी बात को सुन रहा था..
“कोई बात नही ये तो मेरा काम ही है,ऐसे तुम्हारे बारे में अभी तक इंटेलिजेंस को पता नही चल पाया ..ऐसा क्यो..??”
“मैं कुछ ही दिनों पहले यंहा आया हु,और साथ ही इसे बस मिलने जुलने के लिए यूज़ कर रहा हु ,मेरा असली ठिकाना कही और है,अभी तक किसी को नही पता की मैं असलम का बेटा हु ...क्योकि मैं हमेशा दिल्ली में ही रहा था,”
“ह्म्म्म अब काम की बात कर ले..”मैंने उसे घूरा ,वो थोड़ी दहशत में लग रहा था,
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rajsharma
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Re: बीवी के गुलाम आशिक

Post by rajsharma »

बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त

😠 😱 😘

😡 😡 😡 😡 😡 😡
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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