Incest मम्मी मेरी जान

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SATISH
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Re: मम्मी मेरी जान

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सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो? होश में तो हो?" वो फुसफुसा कर बोली.
सतीश:-"तुमने खुद ही तो कहा था उतार कर गंदे कपड़ों में दाल दुं."
सतिशने ऐसे जबरदस्त तनावपूर्ण माहोल के बावजूद अत्यंत शांत स्वर में उसे जवाब दिया जैसे वहां कुछ भी ऐसा वैसा नहीं हुआ था और सब नार्मल था.
सानिया:-"मेरे कहने का मतलब अभी से नहीं था. मैंने यह नहीं कहा था के अभी अपना पायजामा उतार कर मेरे सामने नंगे हो जाओ"
सानिया ऊँचे स्वर में बोलती है. सतीश उसकी तरफ मासुमियत से देखता है जैसे के उसे कुछ मालूम ही नहीं था के कोलाहल किस बात के लिए मचा हुआ है. सानिया का चेहरा कठोर रुख धरण कर जाता है जैसे उसने कोई सख्त फैसला लिया हो.
सानिया:-"ठीक है अगर तुम मेरे मुंह से कहलवाना चाहते हो तो ऐसे ही सही. तुम्हे अपनी यह घटिया हरकतें बंद करनी होंगी!" वो उसके अंदेशे को सच करती हुयी बोली.
सानिया:-"तुम चाहते हो के में तुम्हारे डैड को यहाँ बुलाऊ?"
सतिशने उसके दिखावे से न डरते हुये लापरवाही से अपने कंधे झटक दिये.
सानिया:-"अपना पायजामा इसी समय वापस पहनो वर्ना में इसी समय तुम्हारे डैड को बुला रही हु"
सानिया ने अपनी बात पर ज़ोर डालने के लिए अपना हाथ फर्श पर पढ़े उसके पाजामे की और झटका मगर जल्दबाज़ी में उसकी हथेली का पिछला भाग उसके कठोर लंड से टकरा गया. सानिया उस स्पर्श से कांप उठि और उसने फ़ौरन अपना हाथ झटक दिया. वो उसके एक तरफ से घूम कर घर के अंदर को जाने लगी मगर सतीश एक दम से पीछे होकर उसके रस्ते में और दरवाजे के बिच खड़ा हो गया.
सतीश:-"मगर उसे कैसे पह्नु, वो गन्दा है" सतिशने उससे कहा.
सानिया:-"तो कोई साफ़ कपड़ा पहन लो"
सतीश ने धुले कपड़ों की बास्केट को इस तरह देखा के उसे एहसास हो जाये के यह काम उसके बस से बाहर का था. हताश होकर सानिया खुद धुले कपड़ों की बास्केट में से उसके पेहनने के लिए कुछ ढूंडने लगी और आखिरकार उसने एक धुला हुआ पायजामा निकाल कर अपने बेटे की और बढा दिया. सतिशने मम्मी के हाथ से पायजामा लिया और झुक कर उसमे एक एक कर अपने दोनों पांव डालने लगा. और फिर धीरे धीरे खड़ा होते हुये पायजामा भी अपने साथ ऊपर चढाने लगा. सतीश उस समय रुका जब पयजामे का वेस्टबैंड उसके अंडकोषों से रगड खता हुआ उसके लंड के नीचले हिस्से को दबाने लगा जिस कारन सतीश का लंड हलके हलके आगे पीछे झुलने लगा. सानिया की नज़र सीधे उसके लंड पर टिकी हुयी थी और वो उसकी हर उछाल को धयानपूर्वक देख रही थी.
सतीश:-"मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा अगर तुम इसे देखोगी"
सतीश नरम स्वर में बोला.
सतीश:-"मुझे मालूम है यह डैड वाले से कहीं ज्यादा अच्छा है"
सानिया ने धीरे से सहमति के अंदाज़ में सर हिलाया जैसे वो अपने दिमाग में किसी बात का जवाब दे रही थी न के जो सतिशने कहा था उसके बारे में. फिर वो नज़र उठकर अपने बेटे को देखति है.
सानिया:-"येह तुम क्या कर रहे हो बेटा? आखिर तुम्हारा ईरादा क्या है?"
सतीश:-"मैं बस चाहता हु के तुम इसे देखो"
सानिया:-"मगर क्यों?"
सतीश:-"मुझे नहीं मालुम्. मैं बस चाहता हु"
सतिशने कहा. सानिया ने सर हिलाया जैसे वो सतीश का मतलब समझ गयी हो.
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SATISH
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Re: मम्मी मेरी जान

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सानिया:-"अब इसे ढको और यहाँ से जाओ. मुझे अपना का काम करने दो." वो बोली.
सतीश:-"मैं चला जाऊंगा अगर तुम इसे अपने हाथों से मेरे पायजामे में दाल दो" अपनी पिछली हरकतों से उत्साहित होकर सतिशने जवाबी वार किया. सानिया ने ठण्डी आह भरी और उसके पायजामे में उँगलियाँ फँसकर उसे ऊपर खीँचा. वेस्टबैंड के दवाब के कारन सतीश का लंड उसके पेट् से चिपक गया था, सानिया ने अपने हाथ सतीश की त्वचा से स्पर्श नहीं होने दिए थे. सानिया दो कदम पीछे हट गयी और सतीश के रस्ते से हट जाने का इंतज़ार करने लगी. सतिशने निचे देखा. उसके लंड का पूरा सुपाडा बाहर था.
सतीश:-"तुम बस इतना ही कर सकती हो?" सतिशने पुछा.
सानिया निचे देखने लगी.
सानिया:-"हूं"
उसने धीरे से कहा.
सतीश:-"ठीक है"
कहकर सतीश वहा से चला आया.
इसके बाद जैसे उसे मौन आज्ञा मिल गयी थी के जब भी डैड आसपास न हो या उनके साथ कमरे में न हो वह अपने लंड का प्रदर्शन कर सकता था. सानिया ने भी देख कर न देखने का अपना स्वभाव बदल कर उसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना सुरु कर दिया.
अगर वो कभी देखति थी तो ऐसे दिखावा करती थी जैसे यह कोई बड़ी बात नहीं थी और उसे अपनी इस बचकाना हरकत से पीछा छुड़ा लेना चाहिए था.
कयी दिनों के लंड प्रदर्शन के बाद अगले शनिवार को नाश्ते पर सतिशने डैड के किचन से चले जाने तक का इंतज़ार किया. जैसे ही वो किचन से बाहर निकले और सतिशने सीढ़ियों पर उनके कदमो की आवाज़ सुनि, सतिशने अपना पायजामा निचे किया और अपना लंड बाहर निकाल लिया और सानिया को देखकर मुस्कराने लगा. सतीश से इंतज़र नहीं हो रहा था के वो पलट कर उसके लंड को देखे. अखिरकार उसने कुछ समय के बाद देखा, हालांकि असलियत में वह अच्छी तरह से जानता था के उसे उसके लंड के नंगे होने का उसी सेकंड पता चल गया था जिस सेकंड सतिशने अपना पायजामा निचे खिसकाय था.
सानिया:-"भगवान के लिये, आखिर तुम कब इस हरकत से बाज आओगे?"
सतीश:-"किस हरकत से?"
सतिशने हँसते हुये कहा. सतिशने कुरसी पर अपने कुल्हे हिलाते हुये कहा जिससे सतीश का लंड गोलाई में चक्कर काटने लगा. उसके अस्चर्य की सीमा न रही जब सानिया भी हंस पड़ी, वो सच में हँसी थी.
सानिया:-"ईस हरकत से"
वो उसके झूलते हुए लंड की और इशारा करके बोली.
सतीश:-"कभी नही."
सतिशने उसे जवाब दिया.
सतीश:-"मेरी हमेशा से ख़्वाहिश रही है के आप एक बड़े वाले को देख सके."
उसकी बात से सानिया का चेहरा सुर्ख लाल हो गया.
सानिया:-"तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा के अपने डैड के आने से पहले इसे धक् लो"
सतीश:-"क्यों?" सतिशने उससे पुछा.
सतीश:-"मुझे परवाह नहीं अगर वो देख ले" सतिशने हवा बनाते हुए कहा जबकि वह अच्छी तरह से जानता था के डैड उसकी क्या दुर्गति कर सकते थे.
सानिया:-"तुम बस इसे धक् लो"
सानिया ने जोर देकर कहा तो सतिशने इंकार में सर हिलाया.
सानिया:-"मैं इसे नहीं ढकने वालि"
सानिया ने ज़ोर देकर कहा. उसका इशारा लांड्री रूम के उस दिन के वाकये की और था.
सतीश:-"मैं इसे खुद धक् लूँगा अगर तुम मुझे अपनी टांगे दिखाओगी तोह्....." सतिशने समझौता करते हुए कहा.
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