कड़ी_47
रंजीत एक महीने बाद वापस मुंबई आ रहा था और उसने अपने सभी आदमियों को सभी हथियारों और सभी माल को लाने के लिए एक बड़ी जगह पर जहां ये सब सुरक्षित थी वही बुला लिया। अब उसमें डर नहीं था, जो रजत और एम. एल.ए. के मरने से उसे लगा था।
इतने दिनों बाद जब जीत को ये एहसास हुआ की अरे वो तो एक मामली से इंसान से ही इर रहा था। एक साथ उसके दो लोगों के मारने से थोड़े टाइम के लिए सठिया गया था, और होता भी कैसे नहीं? क्योंकी उनमें से एक उसका दायां हाच एम.एल.ए. काला था, तो दूसरा उसका पार्टनर रजत था।
अब ऐसे टाइम में दोनों का कुछ मिनटों में मईर होना खौफ तो पैदा करता ही है, और वैसे भी जो गलत करता हैं उसे तो इप होता ही है। फिर जब उसे इस बात का एहसास हुआ की वो बिना वजह ही इर वहाँ है। माना की देखा है, लेकिन वो रंजीत को तो नहीं मार सकता है। उसके पास एक मिशाच की कुछ शक्ति है और कुछ काले मंत्र, जिसमें वो बहुत कुछ कर सकता है। अब इतना होने पर भी डरेगा क्या? ये सोच कर हाहाहाहा... करके हँसने लगता है। आज इतने दिनों बाद वो अपनी कमीनी हँसी हैंसा था, वरना टेन्शन के मारे क्या करें क्या नहीं? कैसे बचें ये सब सोच-सोचकर उसके दिमाग की गाण्ड मार ली थी उसनें। अब वो मस्त था।
फिर उसने अपने सभी आदमियों को अपने एक नये अड्डे पर पूरे माल के साथ बुलाता है। उनके आने और सब सेंट होने के बाद आज एक महीने और 6 दिन बाद वो मुंबई आ रहा था परे प्लान के साथ। वैसे उसे अपने शक्तिशाली होने का याद आने के बाद, उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं थी।
रंजीत- "पकिया, सब सेंट है ना... और पूरा माल है की नहीं? सभी आदमी आ गये की नहीं?" पकिया पंजीत के गुन्डों का हेड था, वो इसी को हर बार आईर देता था।
पकिया- हाँ बास सब आ गये और पूरा माल भी है।
रंजीत- ठीक है। अब उसमें भी खेल लेते हैं। साला मुझसे खेल रहा था, अब में खेलंगा हाहाहा.."
पकिया- बास प्लान बन्या है?
रंजीत- "अभी तक बो प्लान बनाकर अकेला देखकर मेरे आदमियों को मार रहा था, अब उसे वैसा ही चारा डालूंगा..."
पकिया- अपुन के कुछ भी समझ नहीं आया बास।
रंजीत. "अबे भोसड़ी के... तभी मैं बास हूँ। सुन मेरे यहां अकेले होने की खबर फैला दो। वो खुद मुझे ट्रॅटता हुआ यहां आएगा और हम सभी उसका यहां शिकार करेंगे समझा?"
पकिया- "हाँ बास, मस्त प्लान है। अब साले की गाण्ड मांगी हाहाहाहा..."
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में ऐसे ही इनको चोदने में लगा रहता हैं दिन रात। पूरा मजा आता है पर अभी तक उन्होंने गौर नहीं किया था। लेकिन सभी प्रेग्नेंट हो गई थी। जिसका उन्हें पता ही नहीं चल रहा था इस हवस के खेल का खेलते-खेलते, और अब भी लगे हुए थे।
अब 15 दिन निकल चुके थे, और सुबह का नाश्ता कर रहे थे की तभी रंजीत का काल आता है।
मैं- हेलो।
रंजीत, राज?- "हेला बॅटे, कैसे हो?"
मैं मन में- "तेरी मोम का चोद रहा ह साले। कहा है आजकल? फोन किया है तो कुछ बात जरूर होगी। पता करता हूँ.."
मैं- ही डैड... कैसे हो और कहाँ हो?
रंजीत- मैं अभी इंडिया में ही हूँ, और यहां एक काम से बाहर हूँ। कुछ दिन में आ जाऊँगा।
उसके इंडिया में होने का सुनकर मैं अपने काम को पूरा करने के लिए, यानी इसकी जान लेकर अपनी हकूमत करने के लिए इसका आना जररी था। चलो आ गया, अब मैं अपना काम पूरा कर सकता है।
रंजीत- "अरे क्या हुआ कुछ बोल नहीं रहा?"
मैं वो कुछ नहीं। यह आपका नंबर तो नहीं है। और आपका नंबर भी बंद बता रहा था, ये सब क्या चक्कर है?"
रंजीत- "बो.. वो मेरा फोन पानी में गिर गया तो मैंने नया नंबर ले लिया है। अब यही नंबर है। ठीक है?"
मैं- ओके बाइ।
Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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काल काटकर मैं इस कंपनी में काल करके ये बोलता है की मेरा ये फोन चोरी हो गया है क्या आप इसका अभी क्या लोकेशन है बता सकते हैं? उसने भी मुझे बता दिया जिससे मेरे चेहरे पर एक कमीनी स्माइल आ गई। फिर जब मैं डिनर टेबल की तरफ देखा तो सब मुझे घर रहे थे।
में -क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो?
मोम- ये तू किससे ऐसे बात कर रहा था?
मैं- अरे वो तो मेरे दोस्त के डैड थे। उन्हीं से बात कर रहा था।
फिर सभी डिनर करते हैं। ऐसे ही टाइम हो जाता है। फिर मैं रोज जो करता वो करता हैं, जिसमें 6 बज जातें है। मैं वहां रात में जाने का सोचा था। अब रंजीत यहां होगा तो उसके कुछ आदमी भी तो होंगे, इसलिए मैं रात को जाकर सभी को मस्त मार सकता था।
"धड़ाम्म... आह्ह... सीईईई...
वो क्या था कि 7:00 पीयम हो रहे थे, और मैं यही सब सोचते हए जा रहा था की रिया दीदी भी अपने गम में आ रही थी और हम दोनों का ध्यान नहीं था, जिससे हम टकरा गये और मैं उनके ऊपर गिर गया। अब मेरी सभी बहनें कपड़े इतने छोटे पहनती है की क्या कह?
बस फिर क्या था। जिससे मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी चूत को लगा, और उनकी सिसकी निकल गई और मेरी लाटरी।
फिर रात को ऐसा कुछ हुवा की सब कुछ बदल गया और अलग दिन जब मैं उठा तो मेरी पूरी बाही बदल गई थी। अब मेरा जिश्म पत्थर की तरह था, आँखें अब पूरी बदली हुई थीं। मैं नंगा जाकर तैयार हुआ। फिर आज सब जल्दी करके में निकल गया जीत के अड्डे पर। अपने एक नये शैतान के रूप में। आप सभी को भी देखना हैं तो देखो।
जब मैं वहाँ गया तो देखा की एक बड़ी पानी फैक्टरी के जैसे थी, जहां सिर्फ मुख्य दरवाजे पर सिर्फ दो लोग थे बस। लेकिन अंदर फैक्टरी के लिए जैसे कोई चीज नहीं थी। बस एक केबिन था मस्त और कुछ नहीं। में बाहर से ही ये सब देख रहा था। मुझे ये सब दिख रहा था और ये भी की कैसे ये सब मुझे लालीपाप देने के लिए परे तैयार है।
में भी उनकी साथ मजे लेते हुए तेजी से दोनों का मारा और उनके हथियार लेकर चल दिया अंदर। लेकिन यहां कोई नहीं था, तो आगे चल दिया। जैसे ही मैं बीच में आया चारों तरफ से हाथों में गन लिए गन्डों ने मुझे घर लिया। मैं खड़ा रहा। ये देखकर मैं बिल्कुल नहीं चकित हुआ था। क्योंकी ये सब में पहले ही बाहर से देख लिया था। मुझे सब पहले ही दिख गया था की कैसे में लोग छपे हुए हैं।
फिर एक आदमी हँसता हुआ आया। अरें ये क्या ये तो रंजीत था।
रंजीत- "हाहाहा... अरे कितना बड़ा चतिया है रे त, मेरे दो लोगों को मार दिया। मैं समझ तो त कोई बड़ी चीज होगा। साला ये तो चूतिया निकला हाहाहाहा... बड़ी आसानी से मेरे हाथ लग गया हाहाहा... अब देख मैं तेरा क्या हश्र करता हूँ?"
मैं- "एक मिनट... ये क्या पार? मेरे नकली ईंड राज, उर्फ ओरिजिनल जीत नापर, उर्फ 2 मेन डान आफ मुंबई, ये क्या त तो अभी तक मुझे पहचाना ही नहीं। लगता मुँह साफ करना ही पड़ेगा.."
रंजीत और सब मेरी बात सुनकर चौंक गये। अब मेरी आवाज बदल गई थी। इसलिए रंजीत मुझे नहीं पहचान सका। फिर मैंने रूमाल से चेहरा साफ किया। साले चतिए की वजह से मेरा लक बिगाड़ना पड़ा था। फिर जब में अपना मुँह ऊपर किया तो मुझे देखकर उसे एक बड़ा झटका लगा। लेकिन फिर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, और मैं जानता था वो क्यों आ रही है?
रंजीत- "हाहाहा... तो तू सब जान गया। लेकिन अब तू मेरा कुछ नहीं कर सकता। साला तभी मैं सोच की मैं उसे देख क्यों नहीं पा रहा हैं? लेकिन अब नहीं। अब मैं सब समझ गया। लेकिन मैं ये भी जानता हूँ की तू इतना भी शक्तिशाली नहीं है की मुझसे टकरा सके। चलो तेरे बाप की तरह तू भी मेरे हाथों मारा जाएगा हाहाहाहा.."
मैं- "अबे गान्ड... मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की तने किसे मारा किसे नहीं? और वैसे भी मैं किसी एक से कहां हुआ है। तू मुझे क्या मारेगा। तू क्या कुछ शक्ति रखकर मुझसे पंगा लेंगा... मरेगा तू आज मरेंगा हाहाहा..."
मेरी बात सुनकर उसे कुछ अजीब तो लगा, और डर भी। फिर उसने अपने 150 गुन्डों को मुझे मारने के लिए बोला। जिससे सभी मुझपे गोलियां चलाने लगे। लौकज गोलियां लगकर नीचे गिर रही थीं। ये देखकर सब कि आश्चर्य लगा। पर सबसे बड़ा झटका रंजीत को की मेरे को कुछ हो क्या नहीं रहा है? यहां तक की गोलियां मुझे छतें ही नीचे गिर रही है, उसके साथ तो ऐसा नहीं होता था। में अलग बात है गोली से वो मरता नहीं था, लेकिन गोली जैसे ही उसे लगती तो उसके जिश्म में चली जाती थी, और जहां लगती थी वहां गोली का घाव के साथ निशान हो जाता था, और देखते ही देखते सब सही हो जाता था। पर मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था, बल की मुझे तो गोली सही से छू भी नहीं रही थी।
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में -क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो?
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मैं- अरे वो तो मेरे दोस्त के डैड थे। उन्हीं से बात कर रहा था।
फिर सभी डिनर करते हैं। ऐसे ही टाइम हो जाता है। फिर मैं रोज जो करता वो करता हैं, जिसमें 6 बज जातें है। मैं वहां रात में जाने का सोचा था। अब रंजीत यहां होगा तो उसके कुछ आदमी भी तो होंगे, इसलिए मैं रात को जाकर सभी को मस्त मार सकता था।
"धड़ाम्म... आह्ह... सीईईई...
वो क्या था कि 7:00 पीयम हो रहे थे, और मैं यही सब सोचते हए जा रहा था की रिया दीदी भी अपने गम में आ रही थी और हम दोनों का ध्यान नहीं था, जिससे हम टकरा गये और मैं उनके ऊपर गिर गया। अब मेरी सभी बहनें कपड़े इतने छोटे पहनती है की क्या कह?
बस फिर क्या था। जिससे मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी चूत को लगा, और उनकी सिसकी निकल गई और मेरी लाटरी।
फिर रात को ऐसा कुछ हुवा की सब कुछ बदल गया और अलग दिन जब मैं उठा तो मेरी पूरी बाही बदल गई थी। अब मेरा जिश्म पत्थर की तरह था, आँखें अब पूरी बदली हुई थीं। मैं नंगा जाकर तैयार हुआ। फिर आज सब जल्दी करके में निकल गया जीत के अड्डे पर। अपने एक नये शैतान के रूप में। आप सभी को भी देखना हैं तो देखो।
जब मैं वहाँ गया तो देखा की एक बड़ी पानी फैक्टरी के जैसे थी, जहां सिर्फ मुख्य दरवाजे पर सिर्फ दो लोग थे बस। लेकिन अंदर फैक्टरी के लिए जैसे कोई चीज नहीं थी। बस एक केबिन था मस्त और कुछ नहीं। में बाहर से ही ये सब देख रहा था। मुझे ये सब दिख रहा था और ये भी की कैसे ये सब मुझे लालीपाप देने के लिए परे तैयार है।
में भी उनकी साथ मजे लेते हुए तेजी से दोनों का मारा और उनके हथियार लेकर चल दिया अंदर। लेकिन यहां कोई नहीं था, तो आगे चल दिया। जैसे ही मैं बीच में आया चारों तरफ से हाथों में गन लिए गन्डों ने मुझे घर लिया। मैं खड़ा रहा। ये देखकर मैं बिल्कुल नहीं चकित हुआ था। क्योंकी ये सब में पहले ही बाहर से देख लिया था। मुझे सब पहले ही दिख गया था की कैसे में लोग छपे हुए हैं।
फिर एक आदमी हँसता हुआ आया। अरें ये क्या ये तो रंजीत था।
रंजीत- "हाहाहा... अरे कितना बड़ा चतिया है रे त, मेरे दो लोगों को मार दिया। मैं समझ तो त कोई बड़ी चीज होगा। साला ये तो चूतिया निकला हाहाहाहा... बड़ी आसानी से मेरे हाथ लग गया हाहाहा... अब देख मैं तेरा क्या हश्र करता हूँ?"
मैं- "एक मिनट... ये क्या पार? मेरे नकली ईंड राज, उर्फ ओरिजिनल जीत नापर, उर्फ 2 मेन डान आफ मुंबई, ये क्या त तो अभी तक मुझे पहचाना ही नहीं। लगता मुँह साफ करना ही पड़ेगा.."
रंजीत और सब मेरी बात सुनकर चौंक गये। अब मेरी आवाज बदल गई थी। इसलिए रंजीत मुझे नहीं पहचान सका। फिर मैंने रूमाल से चेहरा साफ किया। साले चतिए की वजह से मेरा लक बिगाड़ना पड़ा था। फिर जब में अपना मुँह ऊपर किया तो मुझे देखकर उसे एक बड़ा झटका लगा। लेकिन फिर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर स्माइल आ गई, और मैं जानता था वो क्यों आ रही है?
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Re: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
कड़ी_48
मेरे साथ उसके जैसा कुछ भी नहीं हो रहा है, ये सब सोचकर जीत को अब डर लगने लगा की मेरे पास इतनी शक्ति कहां से आई? फिर वो मेरी तरफ देखता है।
मैं सभी के गोली चलाते रहने पर, और मुझे कुछ न होने पर सभी आश्चर्य में थे। फिर मैं अपने हाथ के इशारे से नीचे पड़ी सभी गोलियों को हवा में उठा देता हैं। आँख के इशारे से वो सभी गोलियां तेजी से गोल-गोल घमने लगती हैं। सभी ये देखकर भूत-भूत कह भागने लगते हैं। लेकिन गोली से तेज नहीं भाग पाए। वो क्या है की उनकी भागते ही मैंने उन सभी गोलियों को उनकी तरफ फेंक दिया हाथ के इशारे से। जिसमें सभी को गोलियां लगती गईं, वो भी इतनी की यहां खून में पूरा लाल हो गया था।
रंजीत मुझे ऐसा करते देखकर इर रहा था। फिर उसे अपनी शक्ति को याद किया तो उसने मुझे अपनी स्पीड दिखाईं, यानी जब में सामने देखता तो वो वहां से तेजी से कभी इधर तो कभी उधर हो जाता। ये देख कर मैंने उसे अपनी कमीनी स्माइल दी। फिर में उसके साथ अपनी स्पीड दिखाई। उसे तो बस हवा का तंज झोंका ही महसूस हो रहा था। फिर मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया।
उसने आग का एक गोला फेंका, पर मैंने कुछ नहीं किया। वो मुझसे टकराकर दम तोड़ दिया। ये उसके सबसे शक्तिशाली शक्ति में से था, तो अब उसकी और फटी। उसने कुछ और करने की कोशिश की तो मैं उसका हाथ क्या उसे पू को ही अपने हाथ में रोक दिया, और थोड़ा हवा में उठाकर नीचे छोड़ दिया।
रंजीत धड़ाम की आवाज के साथ नीचे गिरा, और तेज आहह... के साथ दर्द से चिल्लाया। फिर कुछ देर रोने के बाद मुझसे दर्द और डर के साथ बोला- "तुम्हारे पास इतनी शक्ति कहां से आई? आह्ह..."
मैं- चल मरने से पहले दर्द से रोते हुए मेरी कहानी सुन। वो क्या है की कल 7:00 बजे में तेरे ही बारे में सोच रहा था की कैसे कर सब? मुझे रात होने का इंतजार था। क्योंकी तभी में इतना शक्तिशाली नहीं था, या ये कहाँ मेरी फ्री शक्ति आक्टिव नहीं हुई थी।
यही सब सोचते हए जा रहा था की उधर से रिया दीदी आ रही थी। अब तुम थे नहीं, लेकिन सब इतने छोटे कपड़ों में और अंदर से नंगी होती थीं। बस दोनों का ध्यान नहीं था तो टकराकर गिर गयें। मेरा तो हाथ सीधा उसकी नंगी कवारी चूत पे जाकर लगा। उसकी तो इसी में आ निकल गई।
मैं समझ गया की ये तो पूरा हाट माल है। बस फिर क्या था? मैं वैसे ही पड़े हुए उसकी चूत रगड़ने लगा। वो मजे से आहे लेती रही। मैं दूसरे हाथ से उसकी नंगी गाण्ड भी दबाने लगा। वो क्या उसकी छोटी सी स्कर्ट तो गिरतं ही उसे पूरा नंगा कर दी थी। इतने में रति की आवाज आईकी डिनर तैयार हैं। जिससे मुझे गुस्सा तो बहत आया साली की अभी जाकर गाण्ड मारग रगड़ के। लेकिन फिर सोचा साली इसके अलावा 3 और माल हैं। अगर यही करने लगा तो उनकी कैसे मिलेगी?
यही सोचकर उसे अलग किया और कहा- "रात को गम में आना..." रिया तो पूरी गरम थी, हाँ बोल दी।
फिर नीचे आकर सभी डिनर किए और फिर सब सोने चले गये। अरे मैंने तो तुझे बताया ही नहीं साले की तर्ने तो झुमरी की लेने में इतनी देर किया। मैंने तो उसकी और उसकी बेटी की फाड़कर रख दी, और रति की तो तुझे पता ही है। लेकिन ये दिन पता होगा। अब वो खुद भी मजे लकर रोज चुदती है मेरे लण्ड में तो उसे कितना मजा आता है। तुझ जैसे लल्ली वाले क्या जाने साले गान्डू? सोच मेरी वजह से तू इतने साल तक रति के साथ सोता रहा राज बनकर, लेकिन फिर भी त उसके साथ कुछ नहीं कर पाया मंग बजह से। तो साले सोच की तू मेरी अब क्या झांट का बाल भी उखाड़ सकता है क्या? हाहाहाहा।
मेरी चुदाई की बात सुनकर रंजीत की गाण्ड ऐसी जली जैसे साले की गाण्ड में गरम सरिया डाल दिया हो। अब जिन्हें कोई इतने सालों से चोदने के सपने और जाल बिछाए, और चोद काई और जाए, तो ऐसा ही होगा ना?
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मेरे साथ उसके जैसा कुछ भी नहीं हो रहा है, ये सब सोचकर जीत को अब डर लगने लगा की मेरे पास इतनी शक्ति कहां से आई? फिर वो मेरी तरफ देखता है।
मैं सभी के गोली चलाते रहने पर, और मुझे कुछ न होने पर सभी आश्चर्य में थे। फिर मैं अपने हाथ के इशारे से नीचे पड़ी सभी गोलियों को हवा में उठा देता हैं। आँख के इशारे से वो सभी गोलियां तेजी से गोल-गोल घमने लगती हैं। सभी ये देखकर भूत-भूत कह भागने लगते हैं। लेकिन गोली से तेज नहीं भाग पाए। वो क्या है की उनकी भागते ही मैंने उन सभी गोलियों को उनकी तरफ फेंक दिया हाथ के इशारे से। जिसमें सभी को गोलियां लगती गईं, वो भी इतनी की यहां खून में पूरा लाल हो गया था।
रंजीत मुझे ऐसा करते देखकर इर रहा था। फिर उसे अपनी शक्ति को याद किया तो उसने मुझे अपनी स्पीड दिखाईं, यानी जब में सामने देखता तो वो वहां से तेजी से कभी इधर तो कभी उधर हो जाता। ये देख कर मैंने उसे अपनी कमीनी स्माइल दी। फिर में उसके साथ अपनी स्पीड दिखाई। उसे तो बस हवा का तंज झोंका ही महसूस हो रहा था। फिर मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया।
उसने आग का एक गोला फेंका, पर मैंने कुछ नहीं किया। वो मुझसे टकराकर दम तोड़ दिया। ये उसके सबसे शक्तिशाली शक्ति में से था, तो अब उसकी और फटी। उसने कुछ और करने की कोशिश की तो मैं उसका हाथ क्या उसे पू को ही अपने हाथ में रोक दिया, और थोड़ा हवा में उठाकर नीचे छोड़ दिया।
रंजीत धड़ाम की आवाज के साथ नीचे गिरा, और तेज आहह... के साथ दर्द से चिल्लाया। फिर कुछ देर रोने के बाद मुझसे दर्द और डर के साथ बोला- "तुम्हारे पास इतनी शक्ति कहां से आई? आह्ह..."
मैं- चल मरने से पहले दर्द से रोते हुए मेरी कहानी सुन। वो क्या है की कल 7:00 बजे में तेरे ही बारे में सोच रहा था की कैसे कर सब? मुझे रात होने का इंतजार था। क्योंकी तभी में इतना शक्तिशाली नहीं था, या ये कहाँ मेरी फ्री शक्ति आक्टिव नहीं हुई थी।
यही सब सोचते हए जा रहा था की उधर से रिया दीदी आ रही थी। अब तुम थे नहीं, लेकिन सब इतने छोटे कपड़ों में और अंदर से नंगी होती थीं। बस दोनों का ध्यान नहीं था तो टकराकर गिर गयें। मेरा तो हाथ सीधा उसकी नंगी कवारी चूत पे जाकर लगा। उसकी तो इसी में आ निकल गई।
मैं समझ गया की ये तो पूरा हाट माल है। बस फिर क्या था? मैं वैसे ही पड़े हुए उसकी चूत रगड़ने लगा। वो मजे से आहे लेती रही। मैं दूसरे हाथ से उसकी नंगी गाण्ड भी दबाने लगा। वो क्या उसकी छोटी सी स्कर्ट तो गिरतं ही उसे पूरा नंगा कर दी थी। इतने में रति की आवाज आईकी डिनर तैयार हैं। जिससे मुझे गुस्सा तो बहत आया साली की अभी जाकर गाण्ड मारग रगड़ के। लेकिन फिर सोचा साली इसके अलावा 3 और माल हैं। अगर यही करने लगा तो उनकी कैसे मिलेगी?
यही सोचकर उसे अलग किया और कहा- "रात को गम में आना..." रिया तो पूरी गरम थी, हाँ बोल दी।
फिर नीचे आकर सभी डिनर किए और फिर सब सोने चले गये। अरे मैंने तो तुझे बताया ही नहीं साले की तर्ने तो झुमरी की लेने में इतनी देर किया। मैंने तो उसकी और उसकी बेटी की फाड़कर रख दी, और रति की तो तुझे पता ही है। लेकिन ये दिन पता होगा। अब वो खुद भी मजे लकर रोज चुदती है मेरे लण्ड में तो उसे कितना मजा आता है। तुझ जैसे लल्ली वाले क्या जाने साले गान्डू? सोच मेरी वजह से तू इतने साल तक रति के साथ सोता रहा राज बनकर, लेकिन फिर भी त उसके साथ कुछ नहीं कर पाया मंग बजह से। तो साले सोच की तू मेरी अब क्या झांट का बाल भी उखाड़ सकता है क्या? हाहाहाहा।
मेरी चुदाई की बात सुनकर रंजीत की गाण्ड ऐसी जली जैसे साले की गाण्ड में गरम सरिया डाल दिया हो। अब जिन्हें कोई इतने सालों से चोदने के सपने और जाल बिछाए, और चोद काई और जाए, तो ऐसा ही होगा ना?
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- jay
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Re: Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति
पलैशबैक
- कल रात का फिर मैं डिनर कर के रूम में आकर सबके साने का इंतजार करने लगा। जब सब सो गये तो रिया दीदी के रूम में चला गया। साला अब मुझसे और रुका नहीं जा पा तो दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया और जैसे ही घूमा तो अंदर का नजारा देखकर लण्ड खड़ा होकर गोलियां चलाने लगा। अब इसमें इसकी क्या गलती थी? वो क्या है की रिया रात के लिए जो पहनी हुई थी, वो ऐसी थी की जब वो नीचे झुक कर कुछ उठा रही थी, तभी मुझे उसकी गोरी कुंवारी चूत साफ दिख रही थी। क्योंकी रकम में पूरे लाइट जली हुई थी, जिससे दिन की तरह साफ नजर आ रहा था। और ये ड्रेस तो ऐसी थी की सीधी खड़ी भी होती तभी भी थोड़ा सा भी इधर-उधर होने पर उसकी चूत के फूले हुए मोटे होंठ साफ-साफ दिख ही जाएं।
रिया जो भी कर रही थी उसे करके वो बालकनी में आकर गई खड़ी हो गई। यहां हवा के चलने से उसकी ड्रेस उड़ रही थी, जिसमें उसकी चूत का मस्त नजारा साफ दिख रहा था। मैं जाकर उसके पीछे खड़ा होकर अपना लण्ड उसकी गाण्ड में अपने शार्ट के साथ ही घुसाने की कोशिश करने लगा। वैसे भी वो तो नंगी ही थी। वो भी समझ गई की मैं ही हैं और क्यों आया हैं? वैसे भी उसी में मुझे उसकी चूत मारने का इन्विटेशन दिया था। जिससे मजे लेते वो अपनी गाण्ड पीछे मेरी तरफ करके झक के खड़ी हो गई, तो मैं भी उसकी चूत को पीछे से रगड़ने लगा। वो मजे से आहे लेने लगी। फिर मैं उसे घुमाकर उस किस करने लगा। वो भी मुझे किस करने लगी। पर ये दोनों किस हमारी या ये कहाँ मेरी अब तक की सबसे अलग थी। इसमें तो जैसे मेरा बहसीपन साफ दिख रहा था, जिसे बो भी एंजाय कर रही थी।
पर इससे हमें अजीब लग रहा था जैसे कुछ और ही रूप है हमारा। पर अभी तो हमें इससे कुछ लेना देना ही नहीं था। कुछ देर के बाद मैं उसे उठाकर बेड की तरफ चल दिया। अब मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा था। ऐसा नशा किसी के साथ नहीं था। हाँ ये जप था की रति के साथ ऐसा जर लगा, पर इतना वहसीपन कभी नहीं आया था। उसे लेकर बेड पे साथ ही गिर गया और उसकी गर्दन पकड़कर उसके मुँह को जीभ निकालकर चाटने लगा। जैसे आप समझ ही गये होंगे की उसे भी बड़ा मजा आ रहा था इससे, और वो भी बड़ी अजीब लग रही थी मुझे।
कुछ देर के बाद मैंने उसके कपड़े जार से खींचकर निकाल दिए। जिससे वो फट भी गये थे। पर इसमें दोनों को कुछ फर्क नहीं पड़ा। क्योंकी दोनों पे तो हवस के बहसीपन के नशे में चूर थे। फिर मैं उसकी चूचियां मसलने लगा जोर-जोर से। उसकी चूचियां ऐसी श्री जैसे सालों से किसी न इसे ख्वा भी ना हो। फिर नीचे आकर उसकी चूत देखी, तो क्या मस्त चूत थी उसकी। मैं तो उसे देखकर पागलों की तरह चूसने और काटने लगा। जिससे रिया तो चंडी को तरह जोर-जोर से चिल्लाए जा रही थी मजे में। कोई और होता तो दर्द से ऐसा करती। और कुछ देर बाद ही वो मुझं नीचे लिटाकर खुद अपनी चूत मेरे मुँह पर रखकर मजे से चूत चटवाने लगी।
रिया- "उहह ... आअहह ... मजा आ रहा है... साले कुत्ते कितना मस्त चूस रहा है... आअहह... मजा आ रहा है...'
कुछ देर चूत चटाई के बाद में उठकर अपनी शार्ट उतार कर अपना लण्ड उसकी तरफ किया, तो वो जल्दी से मेरे बोलने से पहले ही लण्ड पकड़कर उसे चूसने लगी, जैसे एक्सपर्ट बो रंडी को भी फेल कर रही थी लण्ड चूसने में। मैं तो बता ही नहीं सकता की क्या मजा आ रहा था। वो कभी गोटियों को तो कभी लण्ड के टो को तो कभी आधे लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थी।
मैं- "आह्ह ... साली क्या चूस रही है आह्ह... ऐसा नशा, ऐसा मज्जा... आह्ह.."
ऐमें ही लण्ड चूसने के बाद मैंने उसे उठाकर घोड़ी बना दिया। क्योंकी अब में ऐसे ही उसकी चूत फाड़ने वाला था। पर इन सब में मुझे में नहीं पता था की मेरा चेहरा कभी बदलकर कुछ और ही दिखा देता था, जिसका मुझे कुछ एहसास ही नहीं था। लेकिन जब मैं रिया की चूत फाड़ने के लिए जैसे ही उसके पास आया, तो उसने मेरी तरफ देखा, जिससे मेरा चेहरा देखकर वो डर गईं। पर वो कुछ करती उससे पहले ही मैंने उसकी चूत में लण्ड पकड़कर तेज-तेज शक्तिशाली धक्के मार दिए। जिससे उसकी चीख गले में ही रुक गई, और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत की धज्जियां उड़ाता हुआ पूरा अंदर चला गया।
फिर मैं बिना रुके दनादन चादने लगा। मुझे परे मजा आ रहा था। लेकिन अभी तक की सभी लड़कियों और औरतों से तेज निकलकर उन्हें मुझे गमली देने में टाइम लगा था मेरे चोदने के बाद। पर ये साली तो... पूरा लण्ड जाने के बाद मैंने बस एक दो धक्के ही मारे थे की इसकी पूरी आवाज निकलने लगी, पर साली लण्ड निकालने को नहीं बोल रही थी।
रिया- "साले मादरचोद... तेरी मोम की चूत कुत्ते... आराम से नहीं फाड़ सकता था आहह... मेरी बरसों की कुँवारी चूत को तने कितनी बुरी तरह फाड़ा है..."
ऐसे चोदने के बाद में उसे लिटाकर चोदने लगा। रिया तो पर मजे से चुद रही थी। फिर उसकी टाँग उठाकर चोदना शुरू किया। लेकिन मैंने या उसने एक बात पर गौर नहीं किया की हम दोनों अभी चुदाई और हवस के नशे में थे। जिससे किसी को भी ये नहीं दिखा की रिया की चूत फटने से जो खुन निकाला था, उसे मेरे लण्ड के पीते ही मेरा चेहरा अब बदल रहा था, जिसे देखकर रिया डर गईं।
मेरा बा चेहरा ज्यादा इरावना रहा था, या ये कहाँ को मेरा पहले वाला चेहरा सिर्फ कम ही आ रहा था।
रिया- "आहह... चाद और जोर से चोद... साले मजा आ रहा है मस्त लण्ड है तेरा माधरचोद.."
ऐसे ही कितनी देर चोदने में रिया दो बार पानी छोड़ चुकी थी। फिर जब मुझे लगा की अब पोजीशन चेंज करनी चाहिए तो में नीचे लेट गया और वो मेरी तरफ मह करके लण्ड पे करने लगी। ये साली अब तक की सबसे तेज लड़की थी। मुझे मजा आ रहा था।
फिर जब रिया उठकर मेरी तरफ पीठ करके फिर से लण्ड पे कूदने लगी, तब मैं तो चूत के मजे लेते हुए आराम से लेटा हुआ था। फिर जब मैंने नीचे से धक्का मारते हुए आँख खोलकर देखा तो मुझे रिया की पीठ पर एक भतनी जैसे बर्थमाकं या पक्का टैटू जो बनवाते हैं, वैसा दिखा। ये मेरे लिए पहला आश्चर्य था। क्योंकी मैंने पहले कभी भी रिया के यहां ये टैट्र नहीं देख था। जब उसकी पीछे से पूरी पीठ दिखती थी वैसी सेक्सी ड्रेस पहनती थी। फिर मुझे उसका चेहरा भी कुछ देर में अजीब सा होने जैसा दिख रहा था। लेकिन उसकी कसी हई चूत की वजह से मैं इस गौर नहीं कर पा रहा था।
रिया- "आहाँ हाँ छोद जोर से चोद.. मा के लौड़े आहह..
अब शायद वो अपना पानी छोड़ने के करीब थी, और में भी इसी के साथ नीचे से तेज-तेज और लंबे धक्के मार रहा था। जिससे वो अकड़ कर पानी छोड़ दी, और उसके कुछ देर बाद ही में भी पानी छोड़ दिया। फिर लण्ड निकालकर थोड़ा उसके चेहरा पे गिराया।
फिर रिया मेरा लण्ड चूस रही थी की एकदम से अचानक अंधेरा हो गया और कुछ देर के बाद जब उजाला हुआ तो, मेरे सामने कुछ दूरी पे 4 अलग-अलग तरह की सेक्सी ड्रेस और बाड़ी वाली कोई अजीब सी 4 खतरनाक और डरावनी लड़कियां खड़ी थी। उसे देखकर अगर आदमी का मत निकल जाए तो उन्हें ऐसे देखकर लण्ड भी खड़ा हो जाए।
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- कल रात का फिर मैं डिनर कर के रूम में आकर सबके साने का इंतजार करने लगा। जब सब सो गये तो रिया दीदी के रूम में चला गया। साला अब मुझसे और रुका नहीं जा पा तो दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया और जैसे ही घूमा तो अंदर का नजारा देखकर लण्ड खड़ा होकर गोलियां चलाने लगा। अब इसमें इसकी क्या गलती थी? वो क्या है की रिया रात के लिए जो पहनी हुई थी, वो ऐसी थी की जब वो नीचे झुक कर कुछ उठा रही थी, तभी मुझे उसकी गोरी कुंवारी चूत साफ दिख रही थी। क्योंकी रकम में पूरे लाइट जली हुई थी, जिससे दिन की तरह साफ नजर आ रहा था। और ये ड्रेस तो ऐसी थी की सीधी खड़ी भी होती तभी भी थोड़ा सा भी इधर-उधर होने पर उसकी चूत के फूले हुए मोटे होंठ साफ-साफ दिख ही जाएं।
रिया जो भी कर रही थी उसे करके वो बालकनी में आकर गई खड़ी हो गई। यहां हवा के चलने से उसकी ड्रेस उड़ रही थी, जिसमें उसकी चूत का मस्त नजारा साफ दिख रहा था। मैं जाकर उसके पीछे खड़ा होकर अपना लण्ड उसकी गाण्ड में अपने शार्ट के साथ ही घुसाने की कोशिश करने लगा। वैसे भी वो तो नंगी ही थी। वो भी समझ गई की मैं ही हैं और क्यों आया हैं? वैसे भी उसी में मुझे उसकी चूत मारने का इन्विटेशन दिया था। जिससे मजे लेते वो अपनी गाण्ड पीछे मेरी तरफ करके झक के खड़ी हो गई, तो मैं भी उसकी चूत को पीछे से रगड़ने लगा। वो मजे से आहे लेने लगी। फिर मैं उसे घुमाकर उस किस करने लगा। वो भी मुझे किस करने लगी। पर ये दोनों किस हमारी या ये कहाँ मेरी अब तक की सबसे अलग थी। इसमें तो जैसे मेरा बहसीपन साफ दिख रहा था, जिसे बो भी एंजाय कर रही थी।
पर इससे हमें अजीब लग रहा था जैसे कुछ और ही रूप है हमारा। पर अभी तो हमें इससे कुछ लेना देना ही नहीं था। कुछ देर के बाद मैं उसे उठाकर बेड की तरफ चल दिया। अब मुझसे बिल्कुल भी रुका नहीं जा रहा था। ऐसा नशा किसी के साथ नहीं था। हाँ ये जप था की रति के साथ ऐसा जर लगा, पर इतना वहसीपन कभी नहीं आया था। उसे लेकर बेड पे साथ ही गिर गया और उसकी गर्दन पकड़कर उसके मुँह को जीभ निकालकर चाटने लगा। जैसे आप समझ ही गये होंगे की उसे भी बड़ा मजा आ रहा था इससे, और वो भी बड़ी अजीब लग रही थी मुझे।
कुछ देर के बाद मैंने उसके कपड़े जार से खींचकर निकाल दिए। जिससे वो फट भी गये थे। पर इसमें दोनों को कुछ फर्क नहीं पड़ा। क्योंकी दोनों पे तो हवस के बहसीपन के नशे में चूर थे। फिर मैं उसकी चूचियां मसलने लगा जोर-जोर से। उसकी चूचियां ऐसी श्री जैसे सालों से किसी न इसे ख्वा भी ना हो। फिर नीचे आकर उसकी चूत देखी, तो क्या मस्त चूत थी उसकी। मैं तो उसे देखकर पागलों की तरह चूसने और काटने लगा। जिससे रिया तो चंडी को तरह जोर-जोर से चिल्लाए जा रही थी मजे में। कोई और होता तो दर्द से ऐसा करती। और कुछ देर बाद ही वो मुझं नीचे लिटाकर खुद अपनी चूत मेरे मुँह पर रखकर मजे से चूत चटवाने लगी।
रिया- "उहह ... आअहह ... मजा आ रहा है... साले कुत्ते कितना मस्त चूस रहा है... आअहह... मजा आ रहा है...'
कुछ देर चूत चटाई के बाद में उठकर अपनी शार्ट उतार कर अपना लण्ड उसकी तरफ किया, तो वो जल्दी से मेरे बोलने से पहले ही लण्ड पकड़कर उसे चूसने लगी, जैसे एक्सपर्ट बो रंडी को भी फेल कर रही थी लण्ड चूसने में। मैं तो बता ही नहीं सकता की क्या मजा आ रहा था। वो कभी गोटियों को तो कभी लण्ड के टो को तो कभी आधे लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थी।
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ऐमें ही लण्ड चूसने के बाद मैंने उसे उठाकर घोड़ी बना दिया। क्योंकी अब में ऐसे ही उसकी चूत फाड़ने वाला था। पर इन सब में मुझे में नहीं पता था की मेरा चेहरा कभी बदलकर कुछ और ही दिखा देता था, जिसका मुझे कुछ एहसास ही नहीं था। लेकिन जब मैं रिया की चूत फाड़ने के लिए जैसे ही उसके पास आया, तो उसने मेरी तरफ देखा, जिससे मेरा चेहरा देखकर वो डर गईं। पर वो कुछ करती उससे पहले ही मैंने उसकी चूत में लण्ड पकड़कर तेज-तेज शक्तिशाली धक्के मार दिए। जिससे उसकी चीख गले में ही रुक गई, और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत की धज्जियां उड़ाता हुआ पूरा अंदर चला गया।
फिर मैं बिना रुके दनादन चादने लगा। मुझे परे मजा आ रहा था। लेकिन अभी तक की सभी लड़कियों और औरतों से तेज निकलकर उन्हें मुझे गमली देने में टाइम लगा था मेरे चोदने के बाद। पर ये साली तो... पूरा लण्ड जाने के बाद मैंने बस एक दो धक्के ही मारे थे की इसकी पूरी आवाज निकलने लगी, पर साली लण्ड निकालने को नहीं बोल रही थी।
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