Erotica प्यासी दुल्हन

Post Reply
User avatar
SID4YOU
Novice User
Posts: 1426
Joined: 29 Dec 2018 04:09

Erotica प्यासी दुल्हन

Post by SID4YOU »

मैं अर्चना हूँ और यह तब की बात है जब मैं नई नई दुल्हन बनी थी। मेरी शादी को 3 महीने हो गए थे। मेरे पति राजीव मुझसे बहुत प्यार करते थे। उनके 6 इंची मोटे लंड का स्वाद मेरी चूत तीन महीने में सौ से ज्यादा बार चख चुकी थी। जब वो घर पर होते थे तो चूचियाँ कभी भी दब जाती थीं। रात को कंप्यूटर पर कई बार ब्लू फिल्म मुझे दिखा चुके थे।

एक दिन बातों बातों में मैंने पूछ लिया- क्या लंड इतने लम्बे लम्बे और मोटे भी होते हैं?

राजीव बोले- प्यारी, वैसे तो 5-7 इंची ही लम्बे होते हैं लेकिन कुछ के बहुत लम्बे और मोटे भी होते हैं मेरे दोस्त अतुल का लंड 9 इंची लम्बा है।
मैंने पूछ लिया- आपको कैसे पता?

हँसते हुए राजीव बोले- हम लोग एक ही हॉस्टल में रहते थे तो हम दोनों ने कई बार एक दूसरे की मुठ ब्लू फ़िल्में देखते हुए मारी थी।

बातें करते हुए उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और बोले- तुम बात बहुत करती हो ! असल में लंड वही अच्छा होता है जो चूत की खुजली मिटा दे। चलो, अब घोड़ी बनो और चूत मारने दो।

मैं बोली- घोड़ी बनती हूँ लेकिन पहले आपके कपड़े तो उतार दूँ !
दो मिनट में मैंने उनका पजामा और बनियान उतार दी तो रोज़ की तरह उनका 6 इंची कड़क लंड मेरी आँखों के आगे था।मेरी आँखों में कामुक चमक आ गई थी। मैं बिस्तर पर घुटने रखकर घोड़ी बन गई, राजीव ने पीछे से मेरी चूत में उँगलियाँ घुसा कर घुमानी शुरू की और मेरी चूत के साथ साथ चूत के दाने को भी रगड़ने लगे।

मुझे लंड की प्यास लग रही थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं बोली- राजीव चोदो न ! बहुत खुजली हो रही है।

अपनी चिर परिचित आवाज़ के साथ राजीव बोले- रानी, अभी दोपहर में ही तो तुम्हारी चोदी है, इतनी पागल क्यों हो जाती हो?

इसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में छुला दिया और मेरा सर पलंग पर लगा कर मेरी चूत में अपने लंड को घुसा दिया और चूचियों को पकड़ कर मुझे चोदने लगे।

आह ऊह ऊह की आवाज़ों से कमरा गूंजने लगा।

एक औरत जब अपने अच्छे पति से चुदती है तो उसके मन में कहीं न कहीं यह बात छुपी होती है कि यह उसका अपना लंड है इसलिए उसमें कोई हिचक नहीं होती और वो खुल कर लंड का मज़ा लेती है। मैं भी इस समय खुल कर चुद रही थी। कुछ देर बाद मेरा चूत रस बाहर आ गया। राजीव बहुत अच्छे चोदू हैं, दो बार तो मुझे झड़ा ही देते हैं।

फ़िर इन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी चूत में अपना लंड दुबारा पेल दिया मेरे गालों और चूचों को दबाते हुए मुझे चोदने लगे और मेरी चूत में इनका लंड दुबारा दौड़ने लगा। दस मिनट चुदने के बाद मैं दुबारा जब झड़ने को हुई तो इन्होने भी अपना रस मेरी चूत में छोड़ दिया। हम लोग एक दूसरे से चिपक गए। सच अद्भुत चरम आनन्द का अनुभव था, आपकी भाभी ने चुदाई का स्वर्गीय सुख ले लिया था।

रात को चुदने के बाद अच्छी नींद आती है, मैं और राजीव सो गए। सुबह 6 बजे ही राजीव के बॉस का फ़ोन आ गया कि ऑफिस 8 बजे जाना है। मैं उठ गई और 7 बजे तक नाश्ता तैयार कर दिया इसके बाद ऑफिस जाने से पहले रोज़ की तरह राजीव का लौड़ा उनकी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वीर्य निकलने तक मैंने उनका लौड़ा पूरी मस्ती से चूसा और वीर्य पूरा अपने मुँह में गटक लिया।

इसके बाद राजीव ऑफिस चले गए।
User avatar
SID4YOU
Novice User
Posts: 1426
Joined: 29 Dec 2018 04:09

Re: प्यासी दुल्हन

Post by SID4YOU »

शाम को राजीव जब वापस आए तो बोले- अर्चना, मुझे दो दिन बाद अमेरिका 6 महीने के लिए जाना है।

हम सब लोग जाने की तैयारी में लग गए। मेरे सास ससुर भी यह सुनकर देहली आ गए। सब लोगों के साथ दो दिन बड़ी जल्दी निकल गए और राजीव अमेरिका के लिए उड़ गए। मेरे सास-ससुर देहली मेरे पास रुक गए।

दो दिन ठीकठाक कटे लेकिन तीसरे दिन रात को मेरी चूत बुरी तरह खुजियाने लगी, मुझे पता लगने लगा कि चूत की प्यास क्या होती है। उस समय मैं एक प्यासी दुल्हन थी जिसे सिर्फ इस समय एक लंड की चाहत थी। अमेरिका से उनसे 5-7 मिनट से ज्यादा रोज बात नहीं हो पाती थी। चैटिंग जरुर 1-2 घंटे रात को होती थी। लेकिन चूत की आग तो लंड से बुझती है। किसी तरह मैं रात को सो पाई।

अगले दिन राजीव रात को 12 बजे वेब केम पर थे। मैंने उन्हें बताया कि उनके पप्पू की याद मुझे कितनी आती है। पूरी रात हाथ चूत में घुसा रहता है। चूत की प्यास बुझ नहीं रही है।

राजीव बोले- रानी, मेरे लंड का भी बुरा हाल है, देखो तुम्हारी आवाज़ सुनकर पप्पू कैसा हिनहिना रहा है।

और उन्होंने अपना नेकर उतार दिया, उनका 6 इंची लंड कड़क, तना हुआ मेरे सामने था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने कहा- राजीव, इसे मेरी चूत में डालो ना !

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी, तब मैं पूरी नंगी थी। राजीव बोले- अर्चना, तुम्हारी गेंदें देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है !

और वो लंड की मुठ मारने लगे, मुझे पुचकारते हुए बोले- अपनी रानी के दर्शन तो कराओ !

मैंने अपनी चूत चौड़ी कर ली और कैमरा अपनी चूत से कुछ दूर रख लिया। चूत रानी को राजीव निहारने लगे और उनका हाथ लंड पर जोरों से चलने लगा। दो प्यासे, बुद्धू बक्से पर चूत और लंड देखकर खुश होने की कोशिश कर रहे थे।

एक बजे लाइट चली गई। कंप्यूटर बंद हो गया। मेरी चूत गीली हो गई थी लेकिन उसकी प्यास नहीं बुझी थी। मैं रसोई में चाय बनाने चली गई।

लाइट दस मिनट बाद आ गई थी, राजीव ने फ़ोन कर के कहा- मैं अब ऑफिस जा रहा हूँ।

चाय पीने के बाद मैं जब मैं अपने कमरे की तरफ जा रही थी तो मुझे अपने सास-ससुर के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने उनके कमरे में झांक कर देखा। पापा जी उठकर टीवी बंद कर रहे थे शायद मूवी ख़त्म हो गई थी। मेरी सास जो 45 साल के करीब थी, ने अपना ब्लाउज उतार दिया था, मोटी-मोटी, गोल-गोल थोड़ी लटकती हुई चूचियां सासु जी की बाहर थीं।

एक अंगड़ाई लेती हुई बोलीं- जब से बहू आई है, ठन्डे पड़ गए हो, पिछले तीन महीने में दो बार ही चोदा है, पहले तो हफ्ते में एक बार सवार हो ही जाते थे।

पापा जी ने मम्मीजी के गले में हाथ डालकर उनकी चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ ली और उन्हें मसलते हुए बोले- रानी थोड़ी शादी की भाग दौड़ हो गई थी, अब तो मैं फ्री हूँ, अब हफ्ते में दो बार तेरी मुनिया को ठंडा किया करूँगा, नहीं तो तेरा भरोसा नहीं किसी और का घुसवा ले ! अभी तो तू जवान है।
User avatar
SID4YOU
Novice User
Posts: 1426
Joined: 29 Dec 2018 04:09

Re: प्यासी दुल्हन

Post by SID4YOU »

सासु की चूचियां और निप्पल मसल मसल के पापाजी ने खड़े कर दिए थे। मेरा मन किया कि मैं वहाँ से हट जाऊँ। अपने पति से तो मरवाने का हर औरत को अधिकार है। लेकिन मेरे मन मैं एक चोर था, मैं पापाजी का लंड देखना चाह रही थी। पापाजी ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अब सिर्फ एक अंडरवीयर उनके बदन पर था। मम्मीजी उर्फ़ मेरी सासु ने अपना पेटीकोट उतार दिया था और वो पूरी नंगी हो चुकी थीं लेकिन मुझे उनकी चूत दिख नहीं रही थी। मेरी आँख दरवाज़े की झिरी पर थी और हाथ अपनी चूत के ऊपर था।

अगला पल मेरे लिए कभी न भूलने वाला था, सासु माँ ने पापाजी की चड्डी उतार दी और उनका लंड अपने हाथ में लेकर सहला रहीं थीं। थोड़ी देर में उन्होंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। चूसने के बाद जब ससुर का लंड बाहर निकला तो टनाटन कड़क 6 इंच का हो रहा था। बिल्कुल राजीव के लंड जैसा था। मेरी चूत गर्म भट्टी हो रही थी, मन कर रहा था कि पापाजी लंड मेरी चूत में डाल दें।

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी थी और अपनी उंगलियाँ चूत में घुसा लीं थीं। सास ने 5 मिनट तक ससुर जी के लौड़े की चुसाई और चटाई की। उसके बाद पापाजी ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, मम्मीजी ने दोनों टांगें फ़ैला दीं थीं। पापाजी कोंडोम लेने अलमारी की तरफ चले गए. सासु माँ की चिकनी चमचमाती चूत मेरी आँखों के सामने थी। उस पर एक भी बाल नहीं था आज ही शेव की हुई लग रही थी।

पापाजी ने अपने लंड पर कोंडोम लगाया और और सास को तिरछा कर के उनकी चूत में पेल दिया। सासु माँ की आह ऊह निकलने लगी जो बाहर तक आ रही थी, पापाजी का लोड़ा चूत में दौड़ रहा था, सास का मुँह मेरी तरफ था उनकी चूचियों की मसलाई और चूत की चुदाई साफ़ दिख रही थी, सास मज़े ले लेकर चुद रही थी और बहु मुठ मार रही थी।

पापाजी अच्छे चोदू थे, 5 मिनट तक उन्होंने सासु माँ की चूत चोदी, उसके बाद उन्होंने सासु को घोड़ी बना दिया।

कुतिया सास बोली- आज गांड का सुख दे दो, मुझे बड़ा मज़ा आता है गांड मरवाने में।
अगले पल जो था वो मेरे लिए नई चीज़ थी !

ससुर ने लंड मम्मीजी की गांड में डाल दिया था, मुझे लंड गांड में घुसता हुआ नहीं दिखा लेकिन उनके आसन से यह साफ़ था कि लंड गांड में ही घुसा है।

ऊपर से सास चिल्ला रही थी- कुत्ते, गांड फाड़ दी ! वाह वाह ! क्या मज़ा दिया है।
सास की गांड मारी जा रही थी और मेरी चूत रो रो कर गीली हो रही थी।

दस मिनट यह खेल चला होगा, उसके बाद पापाजी बोले- मैं यह कोंडोम बाहर डाल कर आता हूँ !
और वो दरवाज़े की तरफ आ गए मैं अपनी मेक्सी उठाकर नंगी ही अपने कमरे में दौड़ ली।
User avatar
SID4YOU
Novice User
Posts: 1426
Joined: 29 Dec 2018 04:09

Re: प्यासी दुल्हन

Post by SID4YOU »

दस दिन बाद मेरा बैंक का पेपर लखनऊ में था। मेरी कोई तैयारी नहीं थी। मैं घर मैं बोर हो रही थी, मैंने सासु मां से कहा- मैं पेपर दे आती हूँ।

सासु ने हाँ भर दी, सासु माँ बोली- तू अमित के घर कानपुर चली जाना, वहाँ से वो लखनऊ पेपर दिला लाएगा। उसकी मकान मालकिन बहुत अच्छी है, तेरी कम्पनी भी हो जाएगी, चाहे तो 6-7 दिन रुक भी आना।

अमित सासु की बहन का लड़का था और कानपूर मैं नौकरी करता था। देवर के यहाँ जाने की बात सुनकर मेरी चूत चुलबुली हो गई। मन ही मन ख़ुशी भी हो रही थी।

मैं गुरुवार को शताब्दी से कानपुर जा रही थी। मेरा पेपर रविवार को था। अमित बीच में देहली आया था, 3-4 दिन रुका था तो हम लोग आपस में थोड़ा खुल गए थे। उसने मुझे नॉन वेज जोक भी सुनाए थे और सेक्सी बातें भी की थीं।

अब मेरे मन के किसी कोने मैं उसके साथ मस्ती करने का मन कर रहा था, आज मंगलवार था। अभी जाने में एक दिन बीच में था। बुधवार को मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये और ब्यूटी पार्लर मैं जाकर अपना बदन चिकना करवाया। रात को सामन रखते समय दो जोड़ी सेक्सी ब्रा-पैंटी और मेक्सी जिनसे पूरी चूचियाँ और चूत चमकती थीं जाने के लिए रख लीं। दो छोटी स्कर्ट और 2-3 लो-कट ब्लाउज भी रखे।

रात को अमित का फ़ोन 9 बजे आया, मुझसे बोला- और भाभी कैसी हो?
मैंने कहा- अच्छी हूँ ! भाभी के स्वागत की तैयारी कर लेना।

हँसते हुए बोला- मैंने तो कर ली है। तुम क्या तोहफ़ा ला रही हो मेरे लिए।
मुस्कराते हुए बोली- दो संतरे ला रही हूँ।

देवर हँसते हुए बोला- चूस चूस कर खाऊँगा, जल्दी लेकर आओ।
अमित बोला- कल मुर्गा खाओगी या आराम से दो दिन बाद खाओगी?

मैं हँसते हुए बोली- मुझे मुर्गे की आवाज़ आ रही है। कुँकङु कूं कुँकङु कूं बोल रहा है। अभी इसे सुला दो आकर बताउंगी की कब खाना है।

फ़ोन पर बातें करने के बाद मैं अपनी चूत सहलाती हुई सो गई।

अगले दिन मैं शताब्दी से कानपुर पहुँच गई, अमित मुझे लेने आया था, उतरते ही उसने मुझे गले लगाया और बोला- घर पर अच्छी तरह से गले मिलूँगा, मुझे आप से मिलकर बहुत ख़ुशी हो रही है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और हम लोग बाहर आ गए। अमित की बाइक से हम उसके घर पहुँच गए। वहाँ उसकी 35 साल की मकान मालकिन रजनी ने मेरा स्वागत किया और हम लोगों के लिए चाय-नाश्ता ले आई।

हम सभी ने चाय पी, इसके बाद रजनी बोली- जाकर फ्रेश हो लो जब तक मैं बच्चों को देख लेती हूँ। आज रात को मेरे साथ सोना, इस नालायक का भरोसा नहीं, रात को सोने भी न दे।

मैं अमित के साथ उसके ऊपर वाले किराए के टू-रूम सेट में आ गई। कमरे की एंट्री बाहर और अंदर दोनों तरफ से थी। पहला कमरा बहुत छोटा था उसमें 4 कुर्सी, मेज और एक तखत था, अंदर का कमरा काफी साफ़ सुथरा और बड़ा था उसमें एक बड़ा पलंग पड़ा था, छोटी सी किचन और एक बाथरूम कमरे से जुड़ा था।
User avatar
SID4YOU
Novice User
Posts: 1426
Joined: 29 Dec 2018 04:09

Re: प्यासी दुल्हन

Post by SID4YOU »

शाम के 4 बज रहे थे।

कमरे में घुसकर मैंने कमरा बंद कर लिया। अमित बोला- भाभी, मैं बाहर के कमरे मैं बैठता हूँ, आप अंदर फ्रेश हो लो।

मैंने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- बाहर क्यों बैठते हो? अंदर आ जाओ। इतना शरमाओगे तो 5-6 दिन कैसे काटेंगे।

अमित और मैं अंदर वाले कमरे में आ गए। मैंने मुस्कराते हुआ कहा- सुबह से साड़ी लपेटी हुई है, अब कुछ हल्का हो लेती हूँ !

और मैंने अपनी साड़ी अमित के सामने उतार दी मेरी तनी हुई चूचियां अमित को ललचा रही थीं। पेटीकोट थोड़ा ठीक करते हुए मैंने नाभि के नीचे सरका दिया। मैंने अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- गले तो मिल लो !

अमित एक पुतले की तरह मेरी बाँहों में आ गया मैंने उसे कस कर चिपका लिया, अब मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं, अमित के लंड का उभार मैं अपनी नाभि पर महसूस कर रही थी। मैंने उसे 5 मिनट तक अपने से चिपके रखा और उसके गालों को कस कर चूम लिया। यह हमारा पहला सेक्स अनुभव था।

उसके बाद मैं बाथरूम में चली गई, मैंने अपनी चड्डी और ब्रा उतार दी और ब्लाउज दुबारा से पहन लिया। बाहर आकर अमित को दिखाती हुई बोली- इन्हें उतार कर बड़ा आराम लग रहा है।

अब मेरे बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था। बिस्तर पर अमित को बैठाकर मैं उसकी गोद में लेट गई और अपने चिकने पेट पर उसका हाथ रख लिया। अमित मेरी नाभि और पेट को सहलाने लगा।उसका मन मेरे दूध दबाने का कर रहा था लेकिन वो इसकी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, मैं अंदर ही अंदर मुस्करा रही थी। मैंने 2 मिनट बाद अमित के गले में हाथ डालकर उसके होंटों को 2-3 बार चूमा और बोली- यह प्यार अब तुम्हें पूरे हफ्ते मिलेगा।

दस मिनट हम बात करते रहे। इसके बाद मैं उसे उठाकर उठ गई। मैंने अपना एक सलवार-कुरता निकाल लिया। बाथरूम अंदर से बहुत छोटा था और उसमें टांगने के लिए कुछ नहीं था। मैं अंदर सिर्फ अमित की टॉवेल लेकर चली गई और अमित से बोली- जब मांगूं तो केवल मेरा कुरता दे देना वो भी आँखें बंद करके।

मैंने बाथरूम मैं अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मैं पूरी नंगी थी। अमित के साथ मस्ताने से मेरी चूत गीली हो रही थी। मैंने उँगलियों से ही अपनी चूत को शांत कर लिया। यह तो कुछ देर की ही शांति थी दोस्तो, असल में लंड खाई चूत लंड से ही शांत होती है।

उसके बाद मैं नहा ली। अमित का तौलिया बहुत छोटा था, चूत ढकती तो चूचियाँ खुली रहतीं और चूची ढकती तो चूत खुली रहती। मैंने तौलिया अपनी कमर पर बाँध लिया और स्तन खुले छोड़ दिए। दरवाज़ा खोल कर बहार झाँका तो अमित टीवी देख रहा था, मैंने जानबूझ कर बाहर निकल कर अमित को आवाज़ दी, अमित तुम सुन नहीं रहे हो, मेरी कुर्ती दो न।

अमित ने मुड़कर देखा तो मेरी नंगी चूचियाँ और भरी भरी चिकनी जांघें देखता ही रह गया। अमित ने मुझे कुरता दे दिया, मैंने चूचियाँ कुरते से ढक लीं और मुस्कराती हुई मुड़कर बाथरूम में आकर कुरता पहना, कुरता सिर्फ मेरी जांघें ढक रहा था। जैसे ही मैं दरवाज़े से बाहर निकली, मैं चौंक गई, अमित अपने लंड की मुठ मार रहा था। उसने मुझे नहीं देखा, मैं बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छुपकर अमित का लंड देखने लगी।

वाह ! क्या मोटा लंड था, मेरे पति से थोडा लम्बा ही लग रहा था, मन किया दौड़ कर मुँह में ले लूं और एक महीने से तड़प रही चूत में डलवा लूँ। दो मिनट बाद मैंने दरवाज़ा आवाज़ करके खोला तो अमित ने लंड जींस में डाल लिया और अपनी जींस ऊपर चढ़ा ली। इसके बाद मैं बाहर आ गई।
Post Reply