Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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सुबह-सुबह दो बड़े बड़े मुसल लंडो की हाहाकारी चौतरफा चुदाई के बाद में रीमा पूरी तरह से निचुड़ गई थी | भारी थकावट से गहरी नींद में सो रही थी लेकिन एक गहरी नीद लेने के बाद जितेश की आंख खुल गई | कोकीन के नशे का सुरूर उतर चूका था | उसका सर भारी हो रहा था | रीमा उसके पड़ोस में उल्टा लेटी हुई थी | उसका सर बिस्तर में धंसा हुआ था और उसके हाथ भी बिस्तर में ही फंसे हुए थे पेट के बल बिस्तर से चिपकी हुई बहुत गहरी नीद में सो रही थी | चेहरे और पीठ पर बिखरे बाल, गोरी चिकनी पीठ और उठे हुए चौड़े मांसल चूतड़, गोरी चिकनी जांघे, रीमा अभी भी उसे उतनी ही मादक और कामुक लग रही थी जितना उसने सोने से पहले लग रही थी |

उसकी मांसल गुदाज गोरी जांघो और चौड़े मांसल चुताड़ो की दो गुलाबी उठान अपनी दरार घाटी में रीमा के जिस्म के करिश्माई सुरंगे छिपा रखी थी |

जितेश उठा फ्रेश हुआ और फिर आकर बिस्तर पर लेट गया | उसका हाथ अनायास ही रीमा की पीठ पर चला गया | और उसकी पीठ सहलाते सहलाते उसके चुताड़ो को सहलाने लगा | उसके दिमाग में जमकर कूटी गयी रीमा की गांड को देखने की दिलचस्पी होने लगी |

उसने गिरधारी को रीमा की कसी गुलाबी गांड का जबरदस्त तरीके से बाजा बजाते देखा था | तभी से उसके मन में एक भावना जग गयी थी जैसे गिरधारी ने एक ऐसा अनमोल खजाना लूट लिए जिस पर पहला हक़ शायद उसका था सिर्फ उसका | वो अन्दर ही अन्दर इस बात के लिए अभी भी कुढ़ रहा था कि वो दो टके का नीच आदमी गिरधारी रीमा जैसी अप्सरा जैसे हुस्न और जिस्म की मालकिन औरत की गांड का सारा मजा लूट ले गया | उससे ये बात बर्दाश्त नहीं हो रही थी |

पिछले कुछ दिन से उसने रीमा को संभाला है, उसके जख्मो की उसने मरहम पट्टी करी है, उसने उसे नहलाया है खिलाया है, उसका दिल बहलाया है, उसका हर ख्याल रखा है | इसीलिए उसने भी उसे अपना सब कुछ सौंप दिया | उसका हक़ बनता है रीमा के जिस्म को भोगने का क्योंकि वो ही तो उसका ख्याल रख रहा है | उसी ने उसके लिए खतरा उठाया है | ये गिरधारी भोसड़ी वाला मौके पर आकर सीधे छक्का मार गया | न लेना एक था न देना दो और फ्री में रीमा की गुलाबी गांड की मलाई चाट गया | नहीं रीमा सिर्फ उसकी है सिर्फ उसकी, जो हुआ सो हुआ लेकिन गिरधारी को वो इस तरह से जीतने नहीं देगा | साला जिंदगी भर गिरधारी उसे चिढ़ायेगा की उसकी बजाय रीमा ने उसे अपनी गांड मारने को दी | वो लीचड़ तो मेरा दिमाग खा जायेगा, उस लीचड़ को औकात में रखना ही होगा | साला रीमा की गांड मार कर उसकी जुबान कितनी कैची की तरह चलने लगी | साला मेरा कुत्ता मुझे ही आँख दिखाने लगा | वो साला मुझे क्या आंख दिखायेगा, उसे मै इस लायक छोडूंगा ही नहीं | जिस चीज के लिए वो उछाल रहा है वो चीज मै भी हासिल करूंगा ताकि उसको जवाब दे सकू | साला अकेला रीमा की कसी गुलाबी गांड के मजे नहीं ले सकता |


गिरधारी की इर्ष्या में जितेश को न जाने कौन सा नशा चढ़ गया | जब से उसने गिरधारी को रीमा की गांड मारते हुए देखा था तब से अंदर ही अन्दर कुढा जा रहा था | उसे गिरधारी से तो हर हाल में आगे ही रहना था हर मामले में इसीलिए उसका मन भी मचलने लगा था उसे शायद लग रहा था गिरधारी जो खजाना लूट ले गया है उसे लूटने से वह वंचित रह गया है | वो रीमा के चूतड़ सहला रहा था | और उसकी गुलाबी गांड के उस कसे हुए छल्ले को देख रहा था, जो सुबह ही अपने जीवन के सबसे मोटा लंड से चीरा गया था | उसे रीमा की गांड में बहुत दिलचस्पी होने लगी थी | आखिर कुछ देर तक हो यही सब सोचकर लेटा रहा |
koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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फिर उसने सीधे होते तनते लंड की तरफ देखा उसके अंदर शायद यही ख्वाहिश थी जो उसके मन में चल रहा था | आखिरकार उसने हिम्मत करके धीरे से रीमा को अपनी बाहों में जकड़ के बाएं दाएं करवट लिटा दिया अब वह ठीक रीमा के पीछे आ गया था | उसने अपने जिस्म को रीमा के जिस्म से चिपका लिया था उसने रीमा के घुटने थोड़े से मोड दिए थे | अब उसके भारी-भरकम ऊंचे ऊंचे चूतड़ों के उठान उसके बिल्कुल लंड के करीब आ गई थी वह पीछे से ही रीमा को बाहों में भर कर उसके बड़े बड़े मांसल उठे हुए उरोजों को मसलने लगा था | रीमा बहुत गहरी नींद में सो रही थी और उसे कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था | जितेश ने गौर से रीमा के जिस्म को देखा | बड़े बड़े ऊंचे ऊंचे चौड़े चूतड़ों की घाटी में छिपा हुआ उसका गुलाबी गांड का छेद की कसावट में वो सख्ती नहीं बची थी बल्कि उंगली तो आराम से घुस रही थी | इससे पहले रीमा ने कभी दो लंडो की तो छोड़ो एक लंड से भी कभी ढंग से चुदाई नहीं करी थी | आज जितेश उसे दो बार बेतहाशा चोद चुका था | ऊपर से गिरधारी के साथ में मिलकर उसने रीमा की गुलाबी संकरी सुरंगों को जो चौड़ा किया है | रीमा के देह में न तो जान बची थी न ताकत | उसका शरीर गहरी थकावट से चूर होकर गहरी नींद में सो रहा था | जोश में आकर के वासना की हवस में डूब कर के कुछ भी कर डालना एक अलग बात है लेकिन हर चीज का एक साइड इफेक्ट होता है उसमें जोश में वासना में डूब कर 2 लंडो को से चुदने के लिए हामी तो भर दी | लेकिन उसकी तो एक लंड से ही चीखे उबल पड़ती थी यहाँ तो दो दो मोटे तगड़े मुसल लंड, रीमा का बदन न तो ऐसी चुदाई का अभ्यस्त था न ऐसी ठोकरे बर्दास्त करने के काबिल | ऐसी चुदाई के लिए धीरे धीरे जिस्म को उसका आदी बनाना पड़ता है | यहाँ दो लंडो की चुदाई तो छोड़ो रीमा को नियमित रूप से रोज चुदने की आदत नहीं थी | यहां पर तो दो दो मुसल लंडो की भीषण ठोकरें थी जिसकी वजह से उसका पूरा बदन सर से लेकर कमर तक सब कुछ झटको से हिल गया था | वह उसका शरीर बहुत ही गहरी थकान में से भर गया था और इसीलिए वह बहुत गहरी नींद में सो गई थी लेकिन उसकी चूत और गांड के छेद को देखकर लग रहा था जैसे कि उन पर किसी ने बड़े-बड़े लंड उसे काफी घनघोर ठुकाई करी हो |
जितेश से रहा नहीं जा रहा था, धीरे धीरे उसके विवेक को उसकी वासना और इर्ष्या हरे ले रही थी |

वो रीमा के पीछे आकर उससे बिलकुल वैसे ही सट गया जैसे गिरधारी सट था | रीमा का नरम गुलाबी बदन का कोमल स्पर्श उसे पागल बनाने लगा | रीमा के जिस्म की गुलाबी गंध उसकी वासना की आग में घी डाल उसे और भड़काने लगी | रीमा के जिस्म का स्पर्श होते ही उसका लंड झटके लेकर सीधा होने लगा | जितेश रीमा के उरोजों को हलके हाथो से सहला रहा था | उसकी छाती रीमा की पीठ से सटी थी और उसकी कमर रीमा की कमर से सटी थी | उसका लंड रीमा के चौड़े मांसल नरम चुताड़ो की दो पहाड़ियों के बीच झटके खा रहा था | जितेश के अन्दर की दुविधा धीरे धीरे एकतरफा वासना से घिर कर खतम होती जा रही थी | उसके अन्दर का सही गलत का फर्क रीमा के जिस्म को फिर से भोगने की चाहत में ख़त्म होता जा रहा था | वैसे भी उसे ज्यादा सोचने की आदत थी नहीं | पहली बात रीमा को लेकर वो हिचकिचा रहा था | आखिर क्यों वो इतना सोच रहा है, जब रीमा ने अपनी गांड में लंड लेने से पहले नहीं सोचा | जो होगा देखा जायेगा | वैसे भी मैडम कौन सी दूध की धूलि है एक नंबर की चुद्दकड़ है | गिरधारी से खुजली मितवा रही थी फिर मुझसे क्या हर्ज है | इतने कसे चिकने उठान लिए मांसल चूतड़, चोदो जितेश देखा जायेगा | थोड़ा रोना धोना होगा और क्या | सब औरतो के यही नखरे होते है, जो ख्याल रखता है उसी को दुनिया भर का लेक्चर पिलाती है बताया क्यों नहीं पुछा क्यों नहीं, बिना मेरी मर्जी के कैसे छुआ कैसे अन्दर डाला, कैसे चोदा | बाहर किसी अनजान के खूटे से फाड़वा के आ जाएगी तब कुछ नहीं | चोदो साला देखा जायेगा, जानबूझकर वैसे भी रीमा तुम्हे अपनी गांड तो नहीं मारने देगी | अभी मौका है चौका मार दो, एक बार लंड घुस जायेगा फिर तो बिना माल छोड़े बाहर थोड़े आएगा | भला कोई औरत पूछ के अपनी गांड मारने देगी जितेश, चल अपने अरमान पुरे कर ले, फिर बाद में थोडा रोना धोना होगा, हाथ पैर पटकना होगा और थोड़ा गुस्सा थोड़ी नाराजगी ये सब तो हर मर्द औरत में चलता ही रहता है | आखिर उसने अपना मन मजबूत किया |

उसने अपने कमर को रीमा के चुताड़ो से और कसकर सटा लिया | फिर उसे कुछ याद आया | उसने लपक कर सिराहने से वैसलीन की डिबिया उठाई और ढेर सारी वैसलीन रीमा की गुलाबी गांड के मुहाने पर उड़ेल दी | फिर अपने तने हुए लंड पर वैसलीन मलने लगा | फिर उसने रीमा के चुताड़ो को थोड़ा फैलाकर उसकी गांड की सुरंग के कसे मुहाने पर अपना फूला मोटा सुपाडा सटा दिया |


उसने एक लम्बी साँस ली और अपनी कमर का जोर आगे की तरफ बढ़ा दिया | भले ही रीमा की गांड सुबह सुबह ही मोटे लंड से चीरी गयी हो लेकिन उसकी गांड का छल्ला अब तक पुराने शेप में आ चूका | वो नरम था लेकिन खुला हुआ नहीं था | जितेश को उसे फ़ैलाने के लिए जोर लगाना पड़ा | पहली कोशिश में जितेश असफल रहा | वो जल्दबाजी भी नहीं करना चाहता था | वो जब तक हो सके रीमा को सोते हुए ही उसको चोदना चाहता था | उसे पता था आंख खुलते ही रीमा दुनिया भर के नखरे शुरू कर देगी | इसलिए जल्दबाजी करके उसे अपना काम ख़राब नहीं करना था | उसने अपने लंड को कसकर मसला और धीरे से रीमा की चूत में घुसा दिया | रीमा की नरम चूत में उसके लंड का मोटा सुपाडा फिसलता चला गया | जितेश ने आइस्ते से कमर हिलानी शुरू की | चार पांच धक्को में ही रीमा की चूत गीली होनी शुरू गयी | उसने लंड को चिकना और गीला करना शुरू कर दिया | रीमा की चूत के गीलपन से जितेश का सुपाडा भीग गया | जितेश ने रीमा की गुलाबी चूत से अपना सुपाडा बाहर खीचा और रीमा की गुलाबी कसी गांड के मुहाने पर फिर लगा दिया | उसने अपने लंड को सख्ती से पकड़ा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटाकर अन्दर घुसेड़ने लगा | कमर और हाथ का कसकर जोर लगाते ही उसके लंड का सुपाडा रीमा की पिछली सुरंग के कसे छल्ले को फ़ैलाने लगा और जितेश का लंड रीमा के गहरे गुलाबी गांड में धसने लगा | रीमा की गांड का कसा छल्ला नरम था आसानी से फैलाता चला गया | जितेश के लंड का फूला सुपाडा रीमा के जिस्म में घुसकर गायब हो गया | रीमा गहरी नीद में थी लेकिन उसका अचेतन मन उसके शरीर में हो रही हरकतों पर प्रतिक्रिया दे रहा था | इसलिए उसकी चूत में लंड घुसाते ही उसकी चूत गीली होकर जितेश के लंड को भिगोने लगी थी | जितेश का लंड रीमा की गहरी गुलाबी संकरी गांड की मुहाने को चीर कर उसके जिस्म में धंस गया था | जितेश वही थम गया, रीमा थोड़ा सा कसमसाई लेकिन फिर शांत हो गयी | जितेश ने एक लम्बी राहत की साँस ली | वो वैसे ही पड़ा रहा | कुछ देर के लिए जैसे सोने का नाटक करने लगा |
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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कुछ देर तक जब रीमा की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो जितेश ने अपने सुपाडे को बाहर खीचा और फिर अन्दर घुसेड दिया | रीमा को उसने पीछे से अपनी बांहों में जकड़ रखा था | रीमा पूरी तरह से उसकी बाहों की गिरफ्त में थी | उसने सोच रखा था अगर रीमा की आँख खुल गयी तो उसे क्या करना है | अगर रीमा जग जाती है तो वो सोने का नाटक करेगा | रीमा को देखेगा कैसे रियेक्ट करती है | वो पहले भी रीमा की चूत में लंड घुसेड़कर सो चूका है | अगर रीमा पूछेगी तो कह देगा, रीमा ने ही उसकी गांड में लंड घुसेड़कर सोने को बोला था | वो तो बस उसकी बात मान कर वही कर रहा है जो वो चाहती थी | उसके अपने लंड के सुपाडे को रीमा की गांड में घुसाए रखा | रीमा की गांड का छल्ला इतनी कुटाई के बाद अब इतना जिद्दी नहीं रहा गया था | वो आराम से जितेश के लंड की बात मानकर फैलकर चौड़ा हो गया था | जितेश ने हौले हौले अपनी कमर हिलानई शुरु कर दी | बमुश्किल इंच डेढ़ इंच ही उसका लंड रीमा की गुलाबी गांड की दूरी तय कर रहा था लेकिन बड़ी मंजिल तय करने का ये छोटा कदम भी बहुत महत्वपूर्ण था | जितेश को इस छोटे कदम की अहमियत पता थी | जितेश थोड़ा निराश था की वो रीमा की कोरी करारी गांड नहीं मार पाया | रीमा की कोरी करारी गांड मारने का सपना पालना तो बेवखूफी थी इसलिए जो मिल रहा था उसी में खुश रहने में भलाई थी | रीमा जैसी कमसिन गोरी जवान अप्सरा की गांड मारने को मिल रहा था ये कहाँ से कम था | उसके शहर में पूछो, कितने मर्दों के दिलो पर सांप लोटते थे रीमा को देखकर | जितेश को तो खुद को किस्मतवाला समझना चाहिए जो उसे रीमा की तीनो सुरंगों का सफ़र करने का मौका मिल रहा है | जितेश दुनिया का वो पहला मर्द था जिसने रीमा के मुहँ चूत और अब गांड तीनो छेदों में अपना लंड पेला था | शायद जितेश को भी अहसास नहीं था उसने क्या हासिल कर लिया है, उसे क्या मिल गया है | रीमा भले ही सो रही हो लेकिन उसका अचेतन इन हलके हलके उसकी गांड में सरकते लंड के धक्को से अनजान नहीं था | उसका अचेतन मन बार बार रीमा के चेतन मन को यह अहसास करा रहा था की उसके शरीर में कुछ हो रहा है | रीमा की आँख तो नहीं खुली लेकिन रीमा फिर से पेल के बल लुढ़ककर बेड से चिपक गयी | जब तक जितेश ने लंड पेलना नहीं शुरू किया था तब तक उसे कसकर बाहों में थामे रखा था लेकिन अब रीमा उसकी बाहों से आजाद होकर फिर से पेट के बल लेट गयी | जितेश का लंड अब हवा में सीधा तना हुआ था |



आखिर जितेश को उठना पड़ा | इस बार जितेश ने रीमा को अपनी बांहों में भरने की कोशिश नहीं की | बल्कि उसके पीछे उसके ऊपर आ गया | उसने रीमा के चुताड़ो के पीछे जांघो के पास दोनों तरफ अपने पैरो को मोड़कर उसके घुटने बेड पर टिका दिए | अब रीमा के उठे हुए चूतड़ और उसकी दरार घाटी बिलकुल उसकी आँखों के सामने थी | रीमा के चुताड़ो को फैलाकर जितेश ने सख्ती से अपने फूले हुए मोटे लंड को थामा और रीमा की पिछली सुरंग पर सटा दिया | उसके जोर लगाते ही उसके तगड़े लंड का फूला सुपाडा रीमा के मांसल नरम चुताड़ो के मांस में गायब हो गया | वो अभी भी किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं था | पता नहीं शायद उसे कही डर था अगर रीमा जग गयी तो उसे गांड मारने से मना कर देगी |


लेकिन वो किसी भी हाल में गिरधारी के रीमा की गांड मारने के बाद पीछे नहीं रहना चाहता था | वह चाहता था जैसे गिरधारी ने रीमा की जमकर गांड मार कर जबरदस्कीत मजा लिया है वैस ही कुछ मजा वो भी लुटे | मर्द कितना भी समझदार हो लेकिन औरतो के बारे में सब मर्दों की राय एक जैसी ही होती है | एक बार जब कोई मर्द किसी औरत की जांघे खोल पाता है फिर वो उसे एक अगल नजरिये से ही देखता है | उसे औरत को चोदने में या चोदने के लिए पूछने में कोई झिझक नहीं होती | कई बार तो बिना मर्जी के ही उसे चोद डालता है, उसे लगता है आखिर उससे छिटक के ये जाएगी कहाँ | जितेश के साथ भी कुछ ऐसा ही मनोविज्ञान चल रहा था | जब तक उसने रीमा को नंगा सिर्फ देखा था तब तक वो उसे छूने से पहले भी पूछता था | उसकी चूत चूची देखने में हिचक रहा था | फिर जब उसे एक बार चोद लिया तो उसके अन्दर की वो सारी झिझक हिचक खतम हो गयी, वो समझ गया था रीमा को चोदना आसन है, ये बहुत आसानी से चुदने को राजी हो जाती है | फिर जब उसने गिरधारी को उसकी गांड पर ठोकरे लगाते देखा तब से उसका दिमाग भन्ना रहा है | उसने रीमा के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन रीमा की हरकतों ने उसके दिमाग की नसे फाड़ दी | अब वो अपने घायल मन को इकठा कर उस हकीकत को अपने दिलो जहन में उतार रहा था की जो हुआ वही सच है हकीकत है लेकिन उसके अन्दर रीमा के जिस्म से बेरोकटोक खेलने की हिम्मत बढ़ गयी | अब उसे रीमा को चुने या चोदने के लिए उससे पूछने की जरुरत महसूस नहीं हो रही थी | बाकि मामलों में भले ही वो रीमा का ख्याल रखे और सवेदनशील रहे लेकिन चुदाई के मामले में रीमा की उन्मुकत्ता ने उसे एक खास केटेगरी में डाल दिया था | मर्दों की खास कटेगरी, एक नंबर की चुद्दकद | जितेश के लिए फिलहाल अभी रीमा का यही वजूद था, आगे चलकर भले ही उसके विचार बदल जाये | हर वो औरत जो अपने लिए सेक्स मांगती है उसे मर्द इसी केटेगरी में डाल देते है | जितेश भी कुछ अलग नहीं था | रोहित इस मामले में कुछ ज्यादा उदार था उसने रीमा की लेबलिंग नहीं की थी क्योंकि उसका अलग अलग औरतो के साथ एक लम्बा अनुभव था इसलिए या शायद वो रीमा से उतना गहरे से अटैच नहीं था या उसको लेकर सेंटीमेंटल नही था | वो बस रीमा जैसी थी उसे वैसे ही देखता था | उसको लेकर अपने दिमाग में कोई अलग इमेज नहीं गढ़ता था |

जितेश की जिंदगी में ज्यादा औरते आई नहीं और रीमा जैसी खूबसूरत तो बिलकुल नहीं | जितेश रीमा को लेकर सेंटीमेंटल हो गया था | वो इस तरह के माहौल में पला बढ़ा नहीं था जहाँ आदमी औरत कौन किसको चोद रहा है ये बात कोई मायने नहीं रखती हो | एक आदमी दो औरत , दो आदमी एक औरत ये सब उसके लेवल से बहुत ऊपर की बाते थी | भले ही उस वक्त वो रीमा को कुछ कह न पाया हो लेकिन उसके मन में मलाल तो था ही रीमा को गिरधारी के साथ शेयर करने का | यही मलाल उसे रीमा की सोते हुए गांड मारने पर मजबूर कर रहा था | वो भले ही रीमा के साथ सामान्य बनने की कोशिश कर रहा था लेकिन ये सब उसके लिए सामान्य नहीं था | उसकी ट्रेनिंग ऐसी थी की वो सब्र कर लेता था और अपने मन के भाव सामने नहीं आने देता था लेकिन रीमा उसके लिए पर्सनल हो गयी थी | वो उसके लिए सेंटीमेंटल हो गया था | यही भाव उसे इस वक्त रीमा की पिछली सुरंग में अपना लंड पेलने पर मजबूर कर रहा था | आखिर कोई कैसे रीमा के साथ वो कर सकता है जो उसने भी नहीं किया | शायद जितेश के अंदर भी यही असुरक्षा थी कि रीमा उसकी है तो कोई दूसरा कैसे मजा ले सकता है आखिर कैसे रीमा ने उसके लीचड़ नौकर को अपनी गांड मारने की इजाजत दे दी थी | उसे तो यह नहीं अच्छा लगा था हालांकि जितेश कुछ कर नहीं सकता था | इसलिए उसने कुछ कहा नहीं लेकिन अब सोती हुई रीमा की गांड मार रहा था |



जितेश ने अपने लंड पर जोर डाला | उसका लंड रीमा की गांड को चीरता हुआ अन्दर धंसने लगा | रीमा के जिस्म में धंसते मुसल लंड का दर्द फिर से जगने लगा | रीमा की गांड फिर से दर्द से सिसकने लगी | उसका ;लंड बस थोड़ा सा आगे बढ़ा था रीमा नीद में भी कसमसा कर रह गई थी शायद वो इतनी गहरी नींद में भी इस बात का एहसास कर गई थी कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है | उसके चेहरे पर दर्द की लकीरे उभर आई | जितेश का आधा लंड रीमा के चुताड़ो की दरार में गायब हो गया था | रीमा के अंतर्मन में कहीं एहसास हो गया था कि कोई नुकीली चीज उसे चीरती हुआ अन्दर धंस रही है | उसकी गांड अभी भी दर्द से भरी हुई थी भले ही अभी उसका शरीर ठंडा पड़ा हुआ था | जितेश जहाँ था वही थम गया | कुछ ही देर में रीमा सामान्य हो गई और फिर से उसकी सांसों की आवाजों से पता चलने लगा वह गहरी नींद में चली गई है जितेश ने अपने लंड को हल्का सा बाहर निकाला लेकिन उसका सुपारा तो रीमा की गांड के कसे छल्ले में अटक गया था | आगे जितेश ने हौले हौले कमर हिलाने में भलाई समझी | रीमा की कमर के ऊपर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा था |




जितेश के धक्के अब आगे की तरफ बढ़ने लगे थे, रीमा कब तक गहरी नींद में सोती रहती जब उसके पीछे से कोई मुसल लंड उसके जिस्म में मुसल लंड पेल रहा था | जितेश का मोटा लंड रीमा को गांड के मुहाने को चीर अन्दर तक जा रहा था | आखिर कैसे न उसका जिस्म का अचेतन मन उसके चेतन मन को जगा देता | उसे भी एहसास हुआ, कुछ तो गड़बड़ है, आखिर उसके चुताड़ो में दर्द कैसा उभर रहा है , आखिर क्यों उसकी गांड का दर्द उसे फिर से सिसकने पर मजबूर किये दे रहा है | इधर जितेश था की अपनी सनक में अपनी जिद में रीमा की परवाह किये बिना उसके चुताड़ो को चीरता हुआ उसके जिस्म में घुसा जा रहा था | रीमा की कच्ची नीद टूट गयी जैसे ही उसकी आंख खुली है उसे एहसास हुआ उसके पूरे जिस्म का कोना कोना दर्द के मारे और थकावट से चूर चूर हो रहा है | ऊपर से उसकी गांड में दर्द भी हो रहा था और वह दर्द उसके चूतड़ों और पिंडलियों जांघो में तक महसूस हो रहा था | उसे आँख खुलते ही अहसास हो गया आखिर माजरा क्या है | जितेश उसके चूतड़ थामे अपनी कमर का पूरा जोर उसके चुताड़ो पर लगा रहा है | उसने जिदेस को अपने ऊपर पाया और उसके लंड को अपनी गांड में यह क्या है | आखिर जितेश कर क्उया रहा है बिना उसकी मर्सजी के बिना उसकी सहमती के आखिर जितेश उसके जिस्म में घुस कैसे सकता है | जितेश की तरफ गर्दन घुमाकर कर देखा जो एक हाथ से उसके चूतड़ को और एक हाथ से उसके कंधे को थामे उसके कानों पर अपनी गरम गरम सांसे छोड़ रहा था |
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